आज का पंचाग आपका राशि फल, अनुशासन जीवन को उत्कृष्ट बनाने का सरल आधार है, अष्ट सिद्धि नवनिधि के दाता अतुलित बलधाम हनुमान से ये कैसा बैर!!, शास्त्रों में वर्णित रोगप्रतिकारक क्षमता (इम्यून थैरेपी) से कर्क रोग (कैंसर) का निदान

आज हनुमान जन्मोत्सव से प्रेरित ~

🚩💪#एंग्री_हनुमान 💪🚩

कुछ वर्ष पूर्व कर्नाटक के रहने वाले ‘करण आचार्य’ ने “क्रोधित हनुमान” की एक पेंटिंग बनाई थी, जिसकी प्रशंसा प्रधानमंत्री ‘श्री नरेन्द्र मोदी जी’ ने भी की थी और उनके द्वारा प्रशंसा किये जाने के बाद अचानक यह पेंटिंग देश भर में सुर्खियों में आ गया था।

OLA-UBER समेत निजी वाहन वाले हनुमान जी की इस तस्वीर को अपने-अपने कारों के ऊपर लगाने लग गये तो ओला-उबर का प्रयोग करने वाले लोग ऐसे कार ड्राइवरों को प्रोत्साहित करने हेतु उन्हें बिल से अधिक पैसे पेमेंट करने लगे। इन बातों से हिन्दू द्वेषी मीडिया व अन्य जमात वालों के सीने पर सांस लोटने लगे। “द वायर” आदि जमातों ने बजरंगबली को निशाने पर लेते हुए कई लेख लिखें। अगर आप पढ़ने-लिखने में रुचि रखते हैं तो आपको यह भी याद होगा कि काफी पहले ‘हंस’ पत्रिका के संपादक ‘राजेन्द्र यादव’ में यही हरकत की थी और हनुमान जी को “मानव-सभ्यता का पहला आतंकवादी” बताया था।

आपने कभी सोचा है कि बजरंगबली से इन जमातों के चिढ़ने की वजह क्या है? क्यों बजरंग बली की उस मनभावन पेंटिंग को ये ‘ब्रेकिंग इंडिया फोर्सेस’ “मिलिटेंट हनुमान” कहने लगें?

आख़िर हनुमान जी से इनके चिढ़ने की वजह क्या है? वजह है कि :-

💐 “बजरंग बली” के उज्ज्वल चरित्र और कृतित्व से सम्पूर्ण भारतवर्ष न जाने कितने सदियों से प्रेरणा लेता आया है।

💐 हनुमान प्रतीक हैं उस स्वाभिमान” के जिन्होंने ‘बाली’ जैसे महापराक्रमी परंतु अधम शासक के साथ रहने की बजाए ‘बाली’ के अनाचार से संतप्त ‘सुग्रीव’ के साथ रहना स्वीकार किया था ताकि दुनिया के सामने यह आदर्श स्थापित हो कि सत्य और न्याय के साथ खड़ा होना ही धर्म है।

💐 हनुमान प्रतीक हैं उस “स्वामी-भक्ति” और “राज-भक्ति” के जिन्हें उस समय के सबसे शक्तिशाली साम्राज्य के प्रतिनिधि प्रभु श्रीराम का सानिध्य प्राप्त था परंतु उन्होंने अपने स्वामी सुग्रीव का साथ नहीं छोड़ा और उनके प्रति उनकी राजभक्ति असंदिग्ध रही।

💐 हनुमान प्रतीक हैं उस सेतु के जो उत्तर और दक्षिण भारत को जोड़ती है। जिसने किष्किंधा और अयोध्या को जोड़ा। पेंटिंग बनाने वाले “करण आचार्य” दक्षिण से थे और पेंटिंग वायरल होने लगी दिल्ली में तो इनके पेट में मरोड़ उठने लगी कि अरे ये कैसे हो गया? हमने उत्तर भारत और दक्षिण भारत में कनफ्लिक्ट पैदा करने के लिए जो वर्षों- बर्ष मेहनत की है वो इतनी आसानी से कैसे जाया हो रही है?

💐 हनुमान प्रतीक हैं उस “अनुशासन और प्रोटोकॉल” के जिसका अनुपालन उन्होंने अपने जीवन में हर क्षण किया जबकि ‘हनुमान’ विरोधियों को अनुशासनहीन समाज पसंद है।

💐 हनुमान प्रतीक हैं उस पौरुष के जिसका स्वामी ‘बाली’ जब अधम होकर एक स्त्री पर कुदृष्टि डालने लगा तो उन्होंने उसे सहन नहीं किया और बाली का साथ छोड़ने में एक पल भी नहीं लगाया।

💐 हनुमान प्रतीक हैं स्त्री रक्षण के प्रति उस कर्तव्य के जो किसी और की स्त्री के सम्मान की रक्षा के लिए भी निडर-बेखौफ होकर उस समय के सबसे शक्तिशाली शासक को चुनौती देने उसके राज्य में घुस जाते हैं।

💐 हनुमान प्रतीक हैं उस ‘चातुर्य और निडरता’ के जिनकी वाणी के ओज ने श्री राम को भी मंत्रमुग्ध कर दिया था।

अगर हम रामायण का कथानक देखें तो पता चलता है कि हनुमान, जामवंत, सुग्रीव, नल-नील, अंगद और तमाम दूसरे वानर वीर ये सब वो लोग हैं जो वनवासी-गिरिवासी और वंचित समाज के प्रतिनिधि हैं। ये उनलोगों के रूप में चिन्हित हैं जिनकी भाषा संस्कृत नहीं थी, जो किसी कथित उच्च वर्ग से नहीं थे, जो शहरी सभ्यता के नहीं थे परंतु इनके प्रतिनिधि के रूप में “हनुमान क्या उच्च वर्ण और क्या निम्न वर्ण, क्या नगरवासी और क्या वनवासी, सब हिन्दुओं के घरों में आराध्य रूप में पूजित हैं।

इनको “हनुमान जी” से पीड़ा इसलिये है क्योंकि इन्हें बर्दाश्त नहीं हो रहा कि कैसे वनवासी वर्ग का एक प्रतिनिधि हर हिन्दू घर में पूजित है। इन्हें ये पच नहीं रहा कि कैसे कोई ऐसा पात्र हो सकता है जिसके प्रति हिंदुओं के वंचित समाज से लेकर भारत का प्रधानमंत्री तक में एक समान भावना है। “हनुमान” से इनकी वेदना इसलिए है क्योंकि उनके होते वर्ग-संघर्ष, जाति-संघर्ष, आर्य-द्रविड़ विवाद, उत्तर-दक्षिण संघर्ष पैदा करने के इनके तमाम षडयंत्र विफल हो जा रहे हैं।

हनुमान से इनको तकलीफ़ इसलिए भी है क्योंकि “मारुति” इन्द्रिय संयम के जीवंत प्रतीक हैं यानि बजरंगबली “यौन-उच्छृंखलता” के इनके नारों की राह के रोड़े भी हैं। हनुमान धर्म के नाम पर कहीं भी सॉफ्ट नहीं हैं, ये इनकी पीड़ा है।

एक अकेले हनुमान के कारण “ब्रेकिंग इंडिया फोर्सेस” के तमाम मंसूबें नाकाम हैं तो इनको हनुमान से तकलीफ़ क्यों न हो?

आज हर हिन्दू घर में हनुमान कई रूपों में मौजूद हैं, कहीं वो तस्वीर रूप में, कहीं मूर्ति-रूप में, कहीं, महावीरी-ध्वज रूप में, कहीं हनुमान-चालीसा, बजरंग-बाण या सुंदर-काण्ड रूप में उपस्थित हैं।
जय जय श्री राम

~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~महायुद्ध समाप्त हो चुका था। जगत को त्रास देने वाला रावण अपने कुटुंब सहित नष्ट हो चुका था। कौशलाधीश राम के नेतृत्व में चहुँओर शांति थी। 

श्री राम का राज्याभिषेक हुआ। राजा राम ने सभी वानर और राक्षस मित्रों को ससम्मान विदा किया। अंगद को विदा करते समय राम रो पड़े थे। हनुमान को विदा करने की शक्ति तो श्रीराम में भी नहीं थी। माता सीता भी उन्हें पुत्रवत मानती थीं। हनुमान अयोध्या में ही रह गए। 

राम दिन भर दरबार में, शासन व्यवस्था में व्यस्त रहे। सन्ध्या जब शासकीय कार्यों से छूट मिली तो गुरु और माताओं का कुशलक्षेम पूछने अपने कक्ष में आए। हनुमान उनके पीछे-पीछे ही थे। राम के निजी कक्ष में उनके सारे अनुज अपनी-अपनी पत्नियों के साथ उपस्थित थे। 

वनवास, युद्ध, और फिर अनंत औपचारिकताओं के पश्चात यह प्रथम अवसर था जब पूरा परिवार एक साथ उपस्थित था। राम, सीता और लक्ष्मण को तो नहीं, कदाचित अन्य वधुओं को एक बाहरी, अर्थात हनुमान का वहाँ होना अनुचित प्रतीत हो रहा था। 

चूंकि शत्रुघ्न सबसे छोटे थे, अतः वे ही अपनी भाभियों और अपनी पत्नी की इच्छापूर्ति हेतु संकेतों में ही हनुमान को कक्ष से जाने के लिए कह रहे थे। पर आश्चर्य की बात कि हनुमान जैसा ज्ञाता भी यह मामूली संकेत समझने में असमर्थ हो रहा था। 

अस्तु, उनकी उपस्थिति में ही बहुत देर तक सारे परिवार ने जी भर कर बातें की। फिर भरत को ध्यान आया कि भैया-भाभी को भी एकांत मिलना चाहिए। उर्मिला को देख उनके मन में हूक उठती थी। इस पतिव्रता को भी अपने पति का सानिध्य चाहिए। 

अतः उन्होंने राम से आज्ञा ली, और सबको जाकर विश्राम करने की सलाह दी। सब उठे और राम-जानकी का चरणस्पर्श कर जाने को हुए। परन्तु हनुमान वहीं बैठे रहे। उन्हें देख अन्य सभी उनके उठने की प्रतीक्षा करने लगे कि सब साथ ही निकले बाहर। 

राम ने मुस्कुराते हुए हनुमान से कहा, “क्यों वीर, तुम भी जाओ। तनिक विश्राम कर लो।”

हनुमान बोले, “प्रभु, आप सम्मुख हैं, इससे अधिक विश्रामदायक भला कुछ हो सकता है? मैं तो आपको छोड़कर नहीं जाने वाला।”

शत्रुघ्न तनिक क्रोध से बोले, “परन्तु भैया को विश्राम की आवश्यकता है कपीश्वर! उन्हें एकांत चाहिए।”

“हाँ तो मैं कौन सा प्रभु के विश्राम में बाधा डालता हूँ। मैं तो यहाँ पैताने बैठा हूँ।”

“आपने कदाचित सुना नहीं। भैया को एकांत की आवश्यकता है।”

“पर माता सीता तो यहीं हैं। वे भी तो नहीं जा रही। फिर मुझे ही क्यों निकालना चाहते हैं आप?”

“भाभी को भैया के एकांत में भी साथ रहने का अधिकार प्राप्त है। क्या उनके माथे पर आपको सिंदूर नहीं दिखता?

हनुमान आश्चर्यचकित रह गए। प्रभु श्रीराम से बोले, “प्रभु, क्या यह सिंदूर लगाने से किसी को आपके निकट रहने का अधिकार प्राप्त हो जाता है?”

राम मुस्कुराते हुए बोले, “अवश्य। यह तो सनातन प्रथा है हनुमान।”

यह सुन हनुमान तनिक मायूस होते हुए उठे और राम-जानकी को प्रणाम कर बाहर चले गए।

प्रातः राजा राम का दरबार लगा था। साधारण औपचारिक कार्य हो रहे थे कि नगर के प्रतिष्ठित व्यापारी न्याय मांगते दरबार में उपस्थित हुए। ज्ञात हुआ कि पूरी अयोध्या में रात भर व्यापारियों के भंडारों को तोड़-तोड़ कर हनुमान उत्पात मचाते रहे थे। राम ने यह सब सुना और सैनिकों को आदेश दिया कि हुनमान को राजसभा में उपस्थित किया जाए। 

रामाज्ञा का पालन करने सैनिक अभी निकले भी नहीं थे कि केसरिया रंग में रंगे-पुते हनुमान अपनी चौड़ी मुस्कान और हाथी जैसी मस्त चाल से चलते हुए सभा में उपस्थित हुए। उनका पूरा शरीर सिंदूर से पटा हुआ था। एक-एक पग धरने पर उनके शरीर से एक-एक सेर सिंदूर भूमि पर गिर जाता। उनकी चाल के साथ पीछे की ओर वायु के साथ सिंदूर उड़ता रहता। 

राम के निकट आकर उन्होंने प्रणाम किया। अभी तक सन्न होकर देखती सभा, एकाएक जोर से हँसने लगी। अंततः बंदर ने बंदरों वाला ही काम किया। अपनी हँसी रोकते हुए सौमित्र लक्ष्मण बोले, “यह क्या किया कपिश्रेष्ठ? यह सिंदूर से स्नान क्यों? क्या यह आप वानरों की कोई प्रथा है?”

हनुमान प्रफुल्लित स्वर में बोले, “अरे नहीं भैया। यह तो आर्यों की प्रथा है। मुझे कल ही पता चला कि अगर एक चुटकी सिंदूर लगा लो तो प्रभु राम के निकट रहने का अधिकार मिल जाता है। तो मैंने सारी अयोध्या का सिंदूर लगा लिया। क्यों प्रभु, अब तो कोई मुझे आपसे दूर नहीं कर पाएगा न?”

सारी सभा हँस रही थी। और भरत हाथ जोड़े अश्रु बहा रहे थे। यह देख शत्रुघ्न बोले, “भैया, सब हँस रहे हैं और आप रो रहे हैं? क्या हुआ?” 

भरत स्वयं को सम्भालते हुए बोले, अनुज, तुम देख नहीं रहे! वानरों का एक श्रेष्ठ नेता, वानरराज का सबसे विद्वान मंत्री, कदाचित सम्पूर्ण मानवजाति का सर्वश्रेष्ठ वीर, सभी सिद्धियों, सभी निधियों का स्वामी, वेद पारंगत, शास्त्र मर्मज्ञ यह कपिश्रेष्ठ अपना सारा गर्व, सारा ज्ञान भूल कैसे रामभक्ति में लीन है। 

राम की निकटता प्राप्त करने की कैसी उत्कंठ इच्छा, जो यह स्वयं को भूल चुका है। ऐसी भक्ति का वरदान कदाचित ब्रह्मा भी किसी को न दे पाएं। मुझ भरत को राम का अनुज मान भले कोई याद कर ले, पर इस भक्त शिरोमणि हनुमान को संसार कभी भूल नहीं पाएगा। हनुमान को बारम्बार प्रणाम।

 

जय श्री राम जय श्री हनुमान

राधे-राधे ॥आज का भगवद् चिंतन॥
17-04-2022
*” अनुशासन “*

🕉️जीवन का एक सीधा सा नियम है और वो ये कि अगर अनुशासन नहीं तो प्रगति भी नहीं।

🕉️अनुशासन में बहकर ही एक नदी सागर तक पहुँचकर सागर ही बन जाती है। अनुशासन में बँधकर ही एक बेल जमीन से उठकर वृक्ष जैसी ऊँचाई को प्राप्त कर पाती है और अनुशासन में रहकर ही वायु फूलों की खुशबु को अपने में समेटकर स्वयं भी सुगंधित हो जाती है व चारों दिशाओं को सुगंध से भर देती है।

🕉️पानी अनुशासन हीन होता है तो बाढ़ का रूप धारण कर लेता है, हवा अनुशासन हीन होती है तो आँधी बन जाती है और अग्नि अगर अनुशासन हीन हो जाती है तो महा विनाश का कारण बन जाती है। ऐसे ही अनुशासनहीनता स्वयं के जीवन को तो विनाश की तरफ ले ही जाती है साथ ही साथ दूसरों के लिए भी विनाश का कारण बन जाती है।

🕉️गाड़ी अनुशासन में चले तो सफर का आनंद और बढ़ जाता है। इसी प्रकार जीवन भी अनुशासन में चले तो जीवन यात्रा का आनंद और बढ़ जाता है। जीवन का घोड़ा निरंकुशता अथवा उच्छृंखलता का त्याग करके निरंतर प्रगति पथ पर अथवा तो अपने लक्ष्य की ओर दौड़ता रहे उसके लिए अपने हाथों में अनुशासन रुपी लगाम का होना भी परमावश्यक हो जाता है।

🇮🇳🌹🙏🏻 *🕉️ जय श्री सूर्यनारायण*🙏🏻🌹🇮🇳

𝕝𝕝 🕉 𝕝𝕝

श्री हरिहरो
विजयतेतराम

*🌹।।सुप्रभातम्।।🌹*

🗓 आज का पञ्चाङ्ग 🗓
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*रविवार, १७ अप्रैल २०२२*

सूर्योदय: 🌄 ०५:०५८
सूर्यास्त: 🌅 ०६:४१
चन्द्रोदय: 🌝 १९:३०
चन्द्रास्त: 🌜०६:०९
अयन🌕उत्तरायने (उत्तरगोलीय
ऋतु: 🌿 बसंत
शक सम्वत:👉१९४४(शुभकृत)
विक्रम सम्वत:👉२०७९(नल)
मास 👉 वैशाख
पक्ष 👉 कृष्ण
तिथि👉प्रतिपदा(२२:०१ तक
नक्षत्र 👉चित्रा(०७:१७ तक)
योग 👉 वज्र (२३:४१ तक)
प्रथम करण 👉 बालव
(११:१५ तक)
द्वितीय करण 👉 कौलव
(२२:०१ तक)
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॥ गोचर ग्रहा: ॥
🌖🌗🌖🌗
सूर्य 🌟 मेष
चंद्र 🌟 तुला
मंगल🌟कुम्भ(उदित,पश्चिम,मार्गी
बुध🌟मेष(उदय,पश्चिम,मार्गी)
गुरु🌟मीन(उदित,पूर्व,मार्गी)
शुक्र🌟कुम्भ(उदित,पूर्व,वक्री)
शनि🌟मकर(उदित,पूर्व,मार्गी)
राहु 🌟 मेष
केतु 🌟 तुला
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शुभाशुभ मुहूर्त विचार
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अभिजित मुहूर्त 👉 ११:५१ से १२:४३
अमृत काल 👉 २१:२३ से २२:५३
त्रिपुष्कर योग 👉 २९:३४ से २९:४७
विजय मुहूर्त 👉 १४:२६ से १५:१८
गोधूलि मुहूर्त 👉 १८:३२ से १८:५६
सायाह्न सन्ध्या 👉 १८:४५ से १९:५१
निशिता मुहूर्त 👉 २३:५४ से २४:३८
राहुकाल 👉 १७:०८ से १८:४५
राहुवास 👉 उत्तर
यमगण्ड 👉 १२:१७ से १३:५४
होमाहुति 👉 चन्द्र (२९:३४ तक)
दिशाशूल 👉 पश्चिम
अग्निवास 👉 पाताल (२२:०१ से पृथ्वी)
चन्द्र वास 👉 पश्चिम
शिववास 👉 गौरी के साथ (२२:०१ से सभा में)
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☄चौघड़िया विचार☄
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॥ दिन का चौघड़िया ॥
१ – उद्वेग २ – चर
३ – लाभ ४ – अमृत
५ – काल ६ – शुभ
७ – रोग ८ – उद्वेग
॥रात्रि का चौघड़िया॥
१ – शुभ २ – अमृत
३ – चर ४ – रोग
५ – काल ६ – लाभ
७ – उद्वेग ८ – शुभ
नोट– दिन और रात्रि के चौघड़िया का आरंभ क्रमशः सूर्योदय और सूर्यास्त से होता है। प्रत्येक चौघड़िए की अवधि डेढ़ घंटा होती है।
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शुभ यात्रा दिशा
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पश्चिम-दक्षिण (पान का सेवन कर यात्रा करें)
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तिथि विशेष
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वैशाख कृष्ण पक्ष आरम्भ, महावीर रथ यात्रा (जैन), विवाहादि मुहूर्त मेष लग्न प्रातः ०६:०५ से प्रातः ०७:१२ तक आदि।
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आज जन्मे शिशुओं का नामकरण
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आज ०७:१७ तक जन्मे शिशुओ का नाम
चित्रा नक्षत्र के चतुर्थ चरण अनुसार क्रमश (री) नामाक्षर से तथा इसके बाद जन्मे शिशुओ का नाम स्वाति नक्षत्र के प्रथम, द्वितीय, तृतीय एवं चतुर्थ चरण अनुसार क्रमशः (रू, रे, रो, ता) नामाक्षर से रखना शास्त्रसम्मत है।
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उदय-लग्न मुहूर्त
मेष – २९:४३ से ०७:१७
वृषभ – ०७:१७ से ०९:१२
मिथुन – ०९:१२ से ११:२७
कर्क – ११:२७ से १३:४८
सिंह – १३:४८ से १६:०७
कन्या – १६:०७ से १८:२५
तुला – १८:२५ से २०:४६
वृश्चिक – २०:४६ से २३:०५
धनु – २३:०५ से २५:०९
मकर – २५:०९ से २६:५०
कुम्भ – २६:५० से २८:१६
मीन – २८:१६ से २९:३९
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पञ्चक रहित मुहूर्त
शुभ मुहूर्त – ०५:४८ से ०७:१७
चोर पञ्चक – ०७:१७ से ०७:१७
शुभ मुहूर्त – ०७:१७ से ०९:१२
रोग पञ्चक – ०९:१२ से ११:२७
शुभ मुहूर्त – ११:२७ से १३:४८
मृत्यु पञ्चक – १३:४८ से १६:०७
अग्नि पञ्चक – १६:०७ से १८:२५
शुभ मुहूर्त – १८:२५ से २०:४६
रज पञ्चक – २०:४६ से २२:०१
शुभ मुहूर्त – २२:०१ से २३:०५
चोर पञ्चक – २३:०५ से २५:०९
शुभ मुहूर्त – २५:०९ से २६:५०
रोग पञ्चक – २६:५० से २८:१६
रोग पञ्चक – २८:१६ से २९:३४
शुभ मुहूर्त – २९:३४ से २९:३९
शुभ मुहूर्त – २९:३९ से २९:४७
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आज का राशिफल
🐐🐂💏💮🐅👩
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मेष🐐 (चू, चे, चो, ला, ली, लू, ले, लो, अ)
आज का दिन विजय दिलाने वाला है योजनाबद्ध होकर कार्य करे तो आज विचारे कार्यो में अवश्य सफलता मिल सकती है। दिन के आरंभ और अंत के समय अनैतिक कार्यो में मन भटकेगा इससे बचने का प्रयास करें अन्यथा इसी में फंस कर रह जाओगे। नौकरी पेशाओ को कार्य क्षेत्र पर आज सहकर्मियो से ही प्रतिस्पर्धा रहने के कारण बड़ी असमंजस की स्थिति से गुजरना पड़ेगा फिर भी अन्य लोगो की तुलना में आपका कार्य बेहतर रहने से प्रसंशा के हकदार बनेंगे। व्यवसायी वर्ग को भी उतार चढ़ाव देखने के बाद ही प्रयासों में सफलता मिलेगीधन की आमद अवश्य होगी लेकिन कही न कही खर्च भी हो जाएगी। आँख में जलन अथवा शारीरिक शिथिलता रहेगी।

वृष🐂 (ई, ऊ, ए, ओ, वा, वी, वू, वे, वो)
आज के दिन भी मध्यान तक सेहत संबंधित समस्या लगी रहेगी स्वभाव में चिड़चिड़ाहट और जिद रहने से जो भी संपर्क में आएगा उसे परेशानी होगी। आप किसी को कुछ भी कहे लेकिन किसी की सुनेंगे बिल्कुल नही। मध्यान बाद स्वभाव में कुछ स्थिरता आएगी काम धंधे को लेकर गंभीर होंगे आय के अवसर भी मिलेंगे परन्तु आज जितनी भी आय होगी आने से पहले जाने का रास्ता बना लेगी। संध्या के समय थकान रहने पर भी मन मौज शौक एवं अन्य अनर्गल कार्यो में भटकेगा धार्मिक क्षेत्र की यात्रा भी हो सकती है लेकिन पर्यटन मात्र ही। पैतृक संपर्क से जहां लाभ खोज रहे है वहां माता के सहयोग से ही लाभ हो सकता है व्यवहारिक रहें वरना कामना पूर्ति नही हो पाएगी। विपरीत लिंगीय वर्ग से अच्छी पटेगी।

मिथुन👫 (का, की, कू, घ, ङ, छ, के, को, हा)
आज के दिन आप अपनी बुद्धि का इस्तेमाल कुछ अधिक ही करेंगे हर कार्य मे अतिरिक्त दिमाग चलाएंगे जहां केवल व्यवहारिकता से काम निकल सकता है वहां भी अपनी श्रेष्ठता का परिचय देने से नहीं चूकेंगे अन्य लोगो को आपका स्वभाव सनकी जैसा लगेगा लेकिन बोलेंगे नही। कार्य क्षेत्र पर आज लाभ कमाने के अवसर मिलते रहेंगे लेकिन सफलता सब मे नही मिल पाएगी धन लाभ मेहनत और चतुराई के बल पर आशाजनक हो जाएगा। कार्य क्षेत्र पर सहकर्मियो को शक की दृष्टि से देखेंगे जिससे कहासुनी तो नही पर मतभेद जरूर रहेंगे। मित्र परिजनों के आगे भी अक्लमंदी दिखाने पर आपकी हसी हो सकती है। पिता से व्यवसाय को लेकर विचार में भिन्नता रहेगी। आज का कुछ हिस्सा दवाओं पर खर्च होगा।

कर्क🦀 (ही, हू, हे, हो, डा, डी, डू, डे, डो)
आज का दिन अशुभ फलदायी रहेगा आज आपको अपनी वाणी और व्यवहार दोनो पर संयम रखने की जरूरत है अथवा के दिनों से जमी दोस्ती अथवा स्नेह व्यवहार टूट भी सकती हैं। दिन के आरंभ से किसी कार्य मे असफल होने पर क्रोध आएगा परिजन भी इच्छा के विपरीत कार्य कर आग में घी का काम करेंगे। दोपहर तक मानसिक रूप से विक्षिप्त जैसे व्यवहार करेंगे इसके बाद व्यावसाय से लाभ मिलने पर क्रोध को भूल जाएंगे। लेकिन कार्य क्षेत्र पर छोटे मोटे धन को लेकर भी झगड़ा करने पर आमदा होंगे। विवेकी व्यवहार रखे अन्यथा व्यवसाय में बदनामी होने पर लंबे समय तक परेशानी देखनी पड़ेगी। संध्या बाद दिन भर की खीज घर पर उतारने पर मुश्किल से शांत हुआ वातावरण फिर खराब होगा। चोटादि का भय है।

सिंह🦁 (मा, मी, मू, मे, मो, टा, टी, टू, टे)
आज के दिन आपका स्वभाव अत्यंत रहस्यमय रहेगा अन्य लोगो के मन का भेद तुरंत ले लेंगे लेकिन अपने मन की बात किसी से नही बाटेंगे। कार्य क्षेत्र पर आज दौड़ धूप भी अधिक करनी पड़ेगी फिर भी आरम्भ में कार्यो में विफल होने पर गुस्सा आएगा पराक्रम में कमी आएगी लेकिन पूर्व संचित पुण्य से कुछ न कुछ लाभ कमा ही लेंगे। नौकरी वाले जातक आज मन कही अन्य जगह भटकने के कारण जबरदस्ती कार्य करेंगे अधिकारी वर्ग से सतर्क रहें गरमा गरमी हो सकती है। संध्या का समय दिन की अपेक्षा बेहतर रहेगा सामाजिक क्षेत्र से सम्मान के साथ धन भी मिलेगा लेकिन खर्च भी करना पड़ेगा। आय व्यय में संतुलन बना लेंगे लेकिन बचत नही कर पाएंगे। संध्या बाद शरीर मे शिथिलता बनेगीं।

कन्या👩 (टो, पा, पी, पू, ष, ण, ठ, पे, पो)
आज आपका स्वभाव दो तरफा रहेगा स्वयं को बाहर से संतोषि प्रदर्शित करेंगे लेकिन अंदर से उथल पुथल लगी रहेगी। कार्य व्यवसाय को लेकर आज दूरदर्शी सोच लाभ नही करेगी तो हानि होने से भी बचाएगी। व्यावसायिक लेन देन को लेकर ज्यादा माथा पच्ची में नही पड़ेंगे लेकिन किसी के दबाव में आकर जल्दबाजी दिखाएंगे फिर भी कुछ ना कुछ लाभ ही मिलेगा। धन की आमद आज सीमित साधनों से पर आवश्यकता अनुसार हो जाएगी। माता अथवा संतानों से किसी विषय को लेकर तीखी बहस हो सकती है इसमें विजय आपकी ही होगी लेकिन परिजनों का दिल दुखाने पर ही। बाहर की यात्रा के प्रसंग बनेंगे परन्तु इसे टालने के प्रयास करेंगे। महिलाओ का रहस्यमयी व्यवहार घर मे संदेह पैदा करेगा सेहत अकस्मात बिगड़ने अथवा चोट-मोच का भय है।

तुला⚖️ (रा, री, रू, रे, रो, ता, ती, तू, ते)
आज के दिन भी आपको अनुकूल वातावरण मिलने से मन के अनुसार कार्य कर सकेंगे दिन के आरम्भ में किसी कार्य को करने की जल्दी में गलती कर पछतायेंगे पर मध्यान बाद का समय आपकी आशाओं पर खरा उतरेगा। काम धंधे में अन्य प्रतिस्पर्धियों को पीछे छोड़ लाभ के नए मार्ग बनाएंगे पूर्व में की मेहनत के कारण इसके हकदार भी आपही रहेंगे। धन की आमद आज थोड़ी मात्रा में लेकिन कई साधनों से होगी। आर्थिक स्थिति भी बेहतर बनने से सुखोपभोग की मानसिकता बढ़ेगी घर के बुजुर्गों से घर के बजट को लेकर विचारों में भिन्नता रहेगी। केवल पिता को छोड़ अन्य सभी परिजनों को लुभाने में सफल रहेंगे लेकिन अंत मे आवश्यकता पिता की ही पड़ेगी। ठंड से बचे सेहत खराब हो सकती है।

वृश्चिक🦂 (तो, ना, नी, नू, ने, नो, या, यी, यू)
आज के दिन आपको प्रतिकूल परिस्थितियो का सामना करना पड़ेगा मध्यान तक किसी विशेष कार्य से भागदौड़ करनी पड़ेगी लेकिन इसका परिणाम निराशाजनक रहने से आगे काम करने का उत्साह नही रहेगा। धन को लेकर आज भी असमंजस की स्थिति में रहेंगे लोग एक बार कोई वस्तु अथवा धन लेकर वापस करने में आनाकानी करेंगे इस वजह से आपका काम बीच मे रुकेगा साथ ही किसी के ताने भी सुनने को मिलेगें। कार्य व्यवसाय से जोड़ तोड़ कर लाभ तो होगा परन्तु आकस्मिक हानि सारे लाभ पर पानी फेर देगी। कार्य क्षेत्र से संबंधित मामले में माता अथवा किसी स्त्री वर्ग के सहयोग की आवश्यकता पड़ेगी लेकिन इनका जिद्दी स्वभाव रहने से काम निकालने में खासी मशक्कत करनी पड़ेगी। जोड़ो में दर्द और कब्जी की शिकायत रह सकती है।

धनु🏹 (ये, यो, भा, भी, भू, ध, फा, ढा, भे)
आज का दिन बीते कल की तुलना में उदासीन रहेगा दिन के आरम्भ से ही कार्यो में लापरवाही बरतेंगे दिनचर्या भी आज धीमी गति से चलेगी। धन संबंधित मामले दिमाग मे बैठे रहने पर भी आज परिस्थिति ज्यादा लाभदायक नही रहने के कारण मन को संतोष देना पड़ेगा। कार्य क्षेत्र पर व्यवसाय सामान्य रहेगा फिर भी धन की आवक में कमी आएगी। उधारी के व्यवहारों को लेकर मन मे चिंता रहेगी सामर्थ्य होने पर भी चुकाने में आनाकानी करेंगे जिससे छवि खराब हो सकती है। घर का वातावरण खुशनुमा रहेगा परिजन भविष्य की योजनाओ पर विचार करेंगे लेकिन एकराय ना होने से योजना बनते बनते ढीली पड़ेंगी। पिता से भी आंतरिक मतभेद होंगे पर प्रदर्शन नही करेंगे। आलस्य को छोड़ सेहत ठीक रहेगी।

मकर🐊 (भो, जा, जी, खी, खू, खा, खो, गा, गी)
आज का दिन हर प्रकार से शुभ रहेगा कार्य व्यवसाय से में बुद्धि विद्या और संतान का सहयोग मिलने से कई दिनों से टल रही योजना को आगे बढ़ाएंगे। कार्य विस्तार और उन्नति होने से मन प्रसन्न रहेगा। आज आपका स्वभाव भी अन्य दिनों की तुलना में शांत रहेगा मध्यान के बाद धन को लेकर किसी पर गरम हो सकते है फिर भी स्थिति आज आपके पकड़ में ही रहेगी। व्यवसाय में प्रतिस्पर्धा के कारण नए शत्रु बनेंगे सन्तान भी आज शत्रु वृद्धि का कारण बन सकती है पर इन बातों का आपकी दिनचर्या पर कोई प्रभाव नही पड़ेगा। धन की आमद आवश्यकता से अधिक ही होगी। घर का वातावरण कुछ समय को छोड़ सामान्य रहेगा। पर्यटन की योजना बनेगी उत्तम वाहन भोजन सुख मिलेगा। आरोग्य में थोड़ी नरमी अनुभव करेंगे।

कुंभ🍯 (गू, गे, गो, सा, सी, सू, से, सो, दा)
आज का दिन आपके भविष्य का निर्धारण करेगा दिन के आरंभ में आलस्य के कारण किसी आवश्यक कार्य मे विलंब होगा निरस्त भी हो सकता है इसके बाद ही स्वभाव में गंभीरता आएगी। ध्यान रखें आज की मेहनत तुरंत लाभ नही देगी लेकिन आने वाले कल धन लाभ आशा से अधिक हो सकता है। आज आपके अधिकांश कार्य अंतिम चरण पर पहुचकर किसी कमी के कारण आगे के लिये टलेंगे। धन की आमद के लिये किसी के सहयोग की आवश्यकता पड़ेगी लेकिन पूर्व में किये गलत व्यवहार के कारण सहयोग मिलने में परेशानी आएगी। सरकारी अथवा अन्य महत्त्वपूर्ण कार्य संध्या से पहले करले कल धन को छोड़ अन्य कोई कार्य सफल नही होगा। आज मानसिकता खर्च करने वाली रहेगी इससे परिजन और स्वयं प्रसन्न ही रहेंगे।

मीन🐳 (दी, दू, थ, झ, ञ, दे, दो, चा, ची)
आज के दिन पूर्वार्ध से ही सेहत संबंधित समस्या खड़ी होगी सर पर कार्य का भार होने पर भी शारीरिक रूप से तैयार नही रहेंगे फिर भी जबरदस्ती करने पर मध्यान के समय समस्या गहरायेगी लेकिन सेहत की आज अनदेखी ही करेंगे। कार्य क्षेत्र पर भाग्य का साथ मिलेगा व्यवसाय में गती रहने से थोड़े ही समय मे अधिक लाभ कमा लेंगे विरोधी वर्ग बाधा पहुचाने का हर सम्भव प्रयास करेंगे लेकिन आज सफल नही हो पाएंगे। धन की आमद एक साथ कई मार्ग से होगी। जोखिम वाले कार्य शेयर सट्टे आदि से जल्द लाभ हो सकता हैं फिर भी ज्यादा लालच में ना पढ़ें। परिवार में शांति रहेगी परिजन मोटा खर्च करने की योजना बनाएंगे। संध्या बाद का समय थकान के बाद भी आनंददायक रहेगा।
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शास्त्रों में कर्क रोग का सरल निदान है। निंघंटू और चरक संहिता में सरल उपचार है। बताई गयी विधि से हल्दी दूध और शिवप्रिया (भांग) व थुनेर की छाल या पतों का प्रयोग करें गोमुत्र दूब के पानी से नहायें तथा हर एकादशी पर व्रत रखें विशेष रूप से निर्जला एकादशी का व्रत अनुष्ठान करें उसी से इम्यून सिस्टम सुदृढ़ होता है कैंसर आदि जटिल रोगों की यही इम्यून थेरपी है, इससे कोई सा कैंसर हो समाप्त हो जाता है। भांग या भंगोली का प्रयोग करने वाले को कैंसर और मानसिक तनाव नहीं होता, और पाचन सही रहता है। टाटा कैंसर रिसर्च इंस्टीट्यूट मुंबई ने अपनी भी रिसर्च में निर्जला एकादशी की इम्यून थैरेपी को उजागर किया है। आधुनिक चिकित्सा पद्धति विशेष रूप से अंग्रेजी चिकित्सा पद्धति में कैंसर शूगर किडनी हृदय बीपी थाईराईड आदि उपचार कमाई के क्रूरतम साधन हैं। ये सभी रोग अधिकांश रूप से शारीरिक श्रम नहीं करने वाले और फूड एडिक्शन तथा मांस मंदिरा तंबाकू आदि अभक्ष्य खाने वालों को और संध्या वंदन से विरत रहने से होते हैं।✍️ डाॅ हरीश मैखुरी