आज का पंचाग आपका राशि फल, महर्षि पिप्पलाद और शनिदेव, तेजोमहालय ही वर्तमान ताजमहल है?, भारतीय इतिहासकार श्री पुरुषोत्तम नागेश ओक को भारत रत्न कब देंगे?

‌‌   *༺ ॐ ༻​​*

              *|| जय श्री राधे ||*

    *🌺 महर्षि पाराशर पंचांग 🌺*

        *🙏अथ पंचांगम् 🙏*

*दिनांक :~*

*03/05/2023, बुधवार*

त्रयोदशी, शुक्ल पक्ष,

वैशाख

▬▬▬▬▬⁂⧱⁂▬▬▬▬▬

 

(समाप्ति काल)

 

तिथि—-त्रयोदशी 23:49:02 तक

पक्ष————————-शुक्ल

नक्षत्र————-हस्त 20:55:19

योग————-हर्शण 11:25:51

करण———-कौलव 11:37:52

करण————तैतुल 23:49:02

वार————————बुधवार

माह————————वैशाख

चन्द्र राशि——————–कन्या

सूर्य राशि———————-मेष

रितु————————–ग्रीष्म

आयन——————-उत्तरायण

संवत्सर——————शोभकृत

संवत्सर (उत्तर)—————–पिंगल

विक्रम संवत—————-2080

गुजराती संवत————–2079

शक संवत—————–1945

 

वृन्दावन

सूर्योदय—————-05:40:03

सूर्यास्त—————-18:52:32

दिन काल————- 13:12:29 

रात्री काल————- 10:46:44

चंद्रोदय—————- 16:42:59 

चंद्रास्त—————- 28:39:05

 

लग्न—- मेष 18°9′ , 18°9′

 

सूर्य नक्षत्र—————— भरणी 

चन्द्र नक्षत्र——————- हस्त

नक्षत्र पाया——————- रजत

 

*🚩💮शुभा$शुभ मुहूर्त💮🚩*

 

राहू काल 12:16 – 13:55 अशुभ

यम घंटा 07:19 – 08:58 अशुभ

गुली काल 10:37 – 12: 16अशुभ

अभिजित 11:50 – 12:43 अशुभ

दूर मुहूर्त 11:50 – 12:43 अशुभ

वर्ज्यम 29:12* – 30:51* अशुभ

 

*💮दिशा शूल ज्ञान———–उत्तर*

परिहार-: आवश्यकतानुसार यदि यात्रा करनी हो तो पान अथवा पिस्ता खाके यात्रा कर सकते है l

इस मंत्र का उच्चारण करें-:

*शीघ्र गौतम गच्छत्वं ग्रामेषु नगरेषु च l*

*भोजनं वसनं यानं मार्गं मे परिकल्पय: ll*

 

*🚩💮पद, चरण💮🚩*

 

ष—- हस्त 08:22:17

 

ण—- हस्त 14:39:57

 

ठ—- हस्त 20:55:19

 

पे—- चित्रा 27:08:25

 

*🚩💮ग्रह गोचर 💮🚩*

 

        ग्रह =राशी , अंश ,नक्षत्र, पद

==========================

सूर्य=मेष 18 : 14 भरणी , 2 लू 

चन्द्र=कन्या 15:56 , हस्त , 2 ष

बुध =मेष 16°: 34′ भरणी’ , 1 ली    

शुक्र=मिथुन 00°05, मृगशिरा ‘ 3 का 

मंगल=मिथुन 25°30 ‘ पुनर्वसु ‘ 2 को 

गुरु=मेष 02°30 ‘ अश्विनी , 1 चू 

शनि=कुम्भ 11°13 ‘ शतभिषा ,2 सा       

राहू=(व) मेष 09°40 अश्विनी , 3 चो 

केतु=(व) तुला 09°40 स्वाति , 1 रू 

 

💮चोघडिया, दिन

लाभ 05:40 – 07:19 शुभ

अमृत 07:19 – 08:58 शुभ

काल 08:58 – 10:37 अशुभ

शुभ 10:37 – 12:16 शुभ

रोग 12:16 – 13:55 अशुभ

उद्वेग 13:55 – 15:34 अशुभ

चर 15:34 – 17:13 शुभ

लाभ 17:13 – 18:53 शुभ

 

🚩चोघडिया, रात

उद्वेग 18:53 – 20:13 अशुभ

शुभ 20:13 – 21:34 शुभ

अमृत 21:34 – 22:55 शुभ

चर 22:55 – 24:16* शुभ

रोग 24:16* – 25:37* अशुभ

काल 25:37* – 26:58* अशुभ

लाभ 26:58* – 28:18* शुभ

उद्वेग 28:18* – 29:39* अशुभ

 

💮होरा, दिन

बुध 05:40 – 06:46

चन्द्र 06:46 – 07:52

शनि 07:52 – 08:58

बृहस्पति 08:58 – 10:04

मंगल 10:04 – 11:10

सूर्य 11:10 – 12:16

शुक्र 12:16 – 13:22

बुध 13:22 – 14:28

चन्द्र 14:28 – 15:34

शनि 15:34 – 16:40

बृहस्पति 16:40 – 17:47

मंगल 17:47 – 18:53

 

🚩होरा, रात

सूर्य 18:53 – 19:46

शुक्र 19:46 – 20:40

बुध 20:40 – 21:34

चन्द्र 21:34 – 22:28

शनि 22:28 – 23:22

बृहस्पति 23:22 – 24:16

मंगल 24:16* – 25:10

सूर्य 25:10* – 26:04

शुक्र 26:04* – 26:58

बुध 26:58* – 27:51

चन्द्र 27:51* – 28:45

शनि 28:45* – 29:39

 

*🚩💮उदयलग्न प्रवेशकाल💮🚩* 

 

मेष > 03:54 से 05:32 तक

वृषभ > 05:32 से 07: 32 तक 

मिथुन > 07:36 से 09:46 तक 

कर्क > 09:46 से 12:02 तक

सिंह > 12:02 से 14:14 तक

कन्या > 14:14 से 16:26 तक

तुला > 16:26 से 18:42 तक

वृश्चिक > 18:42 से 20:56 तक

धनु > 20:56 से 23:48 तक

मकर > 23:48 से 00:48 तक

कुम्भ > 00:48 से 02:20 तक

मीन > 02:20 से 03:50 तक

 

*🚩विभिन्न शहरों का रेखांतर (समय)संस्कार*

 

       (लगभग-वास्तविक समय के समीप) 

दिल्ली +10मिनट——— जोधपुर -6 मिनट

जयपुर +5 मिनट—— अहमदाबाद-8 मिनट

कोटा +5 मिनट———— मुंबई-7 मिनट

लखनऊ +25 मिनट——–बीकानेर-5 मिनट

कोलकाता +54—–जैसलमेर -15 मिनट

 

*नोट*– दिन और रात्रि के चौघड़िया का आरंभ क्रमशः सूर्योदय और सूर्यास्त से होता है। 

प्रत्येक चौघड़िए की अवधि डेढ़ घंटा होती है। 

चर में चक्र चलाइये , उद्वेगे थलगार ।

शुभ में स्त्री श्रृंगार करे,लाभ में करो व्यापार ॥

रोग में रोगी स्नान करे ,काल करो भण्डार ।

अमृत में काम सभी करो , सहाय करो कर्तार ॥

अर्थात- चर में वाहन,मशीन आदि कार्य करें ।

उद्वेग में भूमि सम्बंधित एवं स्थायी कार्य करें ।

शुभ में स्त्री श्रृंगार ,सगाई व चूड़ा पहनना आदि कार्य करें ।

लाभ में व्यापार करें ।

रोग में जब रोगी रोग मुक्त हो जाय तो स्नान करें ।

काल में धन संग्रह करने पर धन वृद्धि होती है ।

अमृत में सभी शुभ कार्य करें ।

 

*🚩 अग्नि वास ज्ञान -:*

*यात्रा विवाह व्रत गोचरेषु,*

*चोलोपनिताद्यखिलव्रतेषु ।*

*दुर्गाविधानेषु सुत प्रसूतौ,*

*नैवाग्नि चक्रं परिचिन्तनियं ।।* *महारुद्र व्रतेSमायां ग्रसतेन्द्वर्कास्त राहुणाम्*

*नित्यनैमित्यके कार्ये अग्निचक्रं न दर्शायेत् ।।*

 

 13 + 4 + 1 = 18 ÷ 4 = 2 शेष

 आकाश लोक पर अग्नि वास हवन के लिए अशुभ कारक है l

 

*🚩💮 ग्रह मुख आहुति ज्ञान 💮🚩*

 

सूर्य नक्षत्र से अगले 3 नक्षत्र गणना के आधार पर क्रमानुसार सूर्य , बुध , शुक्र , शनि , चन्द्र , मंगल , गुरु , राहु केतु आहुति जानें । शुभ ग्रह की आहुति हवनादि कृत्य शुभपद होता है

 

 शनि ग्रह मुखहुति

 

*💮 शिव वास एवं फल -:*

 

 13 + 13 + 5 = 31÷ 7 = 3 शेष

 

वृषभारूढ़ = शुभ कारक

 

*🚩भद्रा वास एवं फल -:*

 

*स्वर्गे भद्रा धनं धान्यं ,पाताले च धनागम:।*

*मृत्युलोके यदा भद्रा सर्वकार्य विनाशिनी।।*

 

*💮🚩 विशेष जानकारी 🚩💮*

 

*बुध प्रदोष व्रत (शिव पूजन)

 

*सर्वार्थ सिद्धि योग 20:55 तक

 

*श्री निंबार्क राधाकृष्ण बिहारी जी का 35 वा पाटोत्सव 

 

*🚩💮 शुभ विचार 💮🚩*

 

मूर्खाणां पण्डिता द्वेष्या अधनानां महाधनाः ।

वरांगना कुलस्त्रीणां सुभगानां च दुर्भगा ।।

।। चा o नी o।।

 

मूढ़ लोग बुद्धिमानो से इर्ष्या करते है. गलत मार्ग पर चलने वाली औरत पवित्र स्त्री से इर्ष्या करती है. बदसूरत औरत खुबसूरत औरत से इर्ष्या करती है.

 

*🚩💮सुभाषितानि 💮🚩*

 

गीता -: आत्मसंयमयोग अo-06

यदा हि नेन्द्रियार्थेषु न कर्मस्वनुषज्जते ।,

सर्वसङ्‍कल्पसन्न्यासी योगारूढ़स्तदोच्यते ॥,

जिस काल में न तो इन्द्रियों के भोगों में और न कर्मों में ही आसक्त होता है, उस काल में सर्वसंकल्पों का त्यागी पुरुष योगारूढ़ कहा जाता है॥,4॥,

*💮🚩 दैनिक राशिफल 🚩💮*

देशे ग्रामे गृहे युद्धे सेवायां व्यवहारके।

नामराशेः प्रधानत्वं जन्मराशिं न चिन्तयेत्।।

विवाहे सर्वमाङ्गल्ये यात्रायां ग्रहगोचरे।

जन्मराशेः प्रधानत्वं नामराशिं न चिन्तयेत ।।

🐏मेष

परिवार में आवाजाही बनी रहेगी। उत्साहवर्धक सूचना प्राप्त होगी। उत्तेजना पर नियंत्रण रखें। व्यावसायिक यात्रा सफल रहेगी। जोखिम न उठाएं। तनाव रहेगा, मान बढ़ेगा। प्रसन्नता रहेगी। बकाया वसूली के प्रयास सफल रहेंगे। शारीरिक कष्ट से बाधा संभव है।

🐂वृष

अप्रत्याशित लाभ हो सकता है। बेरोजगारी दूर होगी। आय में वृद्धि होगी। यात्रा से लाभ होगा। प्रतिद्वंद्वी सक्रिय रहेंगे। स्वास्थ्य का ध्यान रखें। घर-बाहर प्रसन्नता रहेगी। यात्रा मनोरंजक होगी। लाभ के अवसर बढ़ेंगे। विवाद को बढ़वा न दें।

👫मिथुन

फालतू खर्च होगा। लेन-देन में सावधानी रखें। कीमती वस्तुएं संभालकर रखें। पुराना रोग उभर सकता है। चिंता रहेगी, बाकी सामान्य रहेगा। जोखिम व जमानत के कार्य टालें। रुका हुआ धन मिल सकता है।

🦀कर्क

जोखिम उठाने का साहस कर पाएंगे। बकाया वसूली के प्रयास सफल रहेंगे। रुके कार्यों में गति आएगी। धनलाभ होगा। नए अनुबंध हो सकते हैं। जल्दबाजी से बचें। व्यावसायिक यात्रा सफल रहेगी। आय के नए स्रोत प्राप्त होंगे।

🐅सिंह

आंखों में कष्ट संभव है। व्यावसायिक यात्रा सफल रहेगी। योजना फलीभूत होगी। घर-बाहर पूछ-परख रहेगी। व्यवसाय ठीक चलेगा। प्रतिद्वंद्वी शांत रहेंगे। आय बढ़ेगी। कार्यप्रणाली में सुधार होगा।

🙎कन्या

राजकीय सहयोग से लाभ के अवसर बढ़ेंगे। धन प्राप्ति सुगम होगी। दौड़धूप अधिक रहेगी। तनाव रहेगा। पूजा-पाठ में मन लगेगा। निवेश शुभ रहेगा। प्रसन्नता रहेगी। नई योजना बनेगी। मान-सम्मान मिलेगा।

⚖तुला

परिवार के वरिष्ठजनों के स्वास्थ्य की चिंता रहेगी। जोखिम व जमानत के कार्य टालें। दूसरों के झगड़ों में न पड़ें। स्वास्थ्य का ध्यान रखें। वाहन व मशीनरी के प्रयोग में सावधानी रखें। लेन-देन में सावधानी रखें।

🦂वृश्चिक

कोर्ट व कचहरी में अनुकूलता रहेगी। प्रेम-प्रसंग में सफलता मिलेगी। व्यावसायिक गतिविधि बढ़ेगी। विवेक से कार्य करें। लाभ होगा। निवेश व यात्रा मनोनुकूल रहेंगे। चिंता रहेगी। तीर्थदर्शन संभव है। पूजा-पाठ में मन लगेगा।

🏹धनु

विरोधी सक्रिय रहेंगे। तनाव बना रहेगा। भूमि व भवन के कार्य बड़ा लाभ देंगे। रोजगार में वृद्धि होगी। जोखिम लेने का साहस कर पाएंगे। स्वास्थ्य का ध्यान रखें। उन्नति होगी। कोर्ट व कचहरी में अनुकूलता रहेगी। धनार्जन होगा।

🐊मकर

विद्यार्थी वर्ग सफलता हासिल करेगा। किसी आनंदोत्सव में भाग लेने का मौका मिलेगा। स्वादिष्ट भोजन का आनंद प्राप्त होगा। व्यवसाय ठीक चलेगा। उत्तेजना पर नियंत्रण रखें। क्रोध पर नियंत्रण रखें। जोखिम व जमानत के कार्य टालें।

🍯कुंभ

मेहनत अधिक होगी। लाभ में कमी रहेगी। बुरी सूचना मिल सकती है, धैर्य रखें। घर-बाहर अशांति रह सकती है। थकान महसूस होगी। दूसरों के झगड़ों में न पड़ें। चोट, चोरी व विवाद आदि से हानि संभव है। फालतू खर्च होगा।

🐟मीन

मेहनत का फल पूरा-पूरा मिलेगा। मान-सम्मान में वृद्धि होगी। व्यवसाय ठीक चलेगा, रोजगार में वृद्धि होगी। घर-बाहर प्रसन्नता रहेगी। जल्दबाजी न करें। भूमि व भवन संबंधी योजना बनेगी। स्वास्थ्य कमजोर रहेगा।

🙏आपका दिन मंगलमय हो🙏

🌺🌺🌺🌺🙏🌺🌺🌺🌺

*आचार्य नीरज पाराशर (वृन्दावन)*

(व्याकरण,ज्योतिष,एवं पुराणाचार्य)

09897565893, 09412618599🚩
🌹🌹🌹🌹🌹🌹
*पिप्पलाद* हैं कौन :-
🌹🌹🌹🌹🌹🌹
👇
*जब* महर्षि दधीचि के माँसपिंड का शमशान मे दाह संस्कार हो रहा था तो उनकी पत्नी अपने पति का वियोग सहन नहीं कर पायीं और पास में ही स्थित विशाल पीपल वृक्ष के कोटर में 3 वर्ष के बालक को रख स्वयम् चिता में बैठकर सती हो गयीं।

*इस* प्रकार महर्षि दधीचि और उनकी पत्नी का बलिदान हो गया किन्तु पीपल के कोटर में रखा बालक भूख प्यास से तड़प तड़प कर चिल्लाने लगा। जब कोई वस्तु नहीं मिली तो कोटर में गिरे पीपल के गोदों(फल) को खाकर बड़ा होने लगा।
कालान्तर में पीपल के पत्तों और फलों को खाकर बालक का जीवन येन केन प्रकारेण सुरक्षित रहा।

एक दिन देवर्षि नारद वहाँ से गुजरे। नारद ने पीपल के कोटर में बालक को देखकर उसका परिचय पूछा :–
👇
नारद – बालक तुम कौन हो?
बालक – यही तो मैं भी जानना चाहता हूँ।
नारद – तुम्हारे जनक कौन हैं?
बालक – यही तो मैं जानना चाहता हूँ।
तब नारद जी ने ध्यान धर बालक को देखा।
👇
नारद ने आश्चर्यचकित हो बताया कि हे बालक! तुम महान दानी महर्षि दधीचि के पुत्र हो। तुम्हारे पिता की अस्थियों का वज्र बनाकर ही देवताओं ने असुरों पर विजय पायी थी। नारद ने बताया कि तुम्हारे पिता दधीचि की मृत्यु मात्र 31 वर्ष की वय में ही हो गयी थी।
बालक – मेरे पिता की अकाल मृत्यु का कारण क्या था ?
नारद – तुम्हारे पिता पर शनिदेव की महादशा थी।
बालक – मेरे ऊपर आयी विपत्ति का कारण क्या था ?
नारद – शनिदेव की महादशा।
इतना बताकर देवर्षि नारद ने पीपल के पत्तों और गोदों को खाकर जीने वाले बालक का नाम *पिप्पलाद* रखा और उसे दीक्षित किया।
नारद के जाने के बाद बालक पिप्पलाद ने नारद के बताए अनुसार ब्रह्मा जी की घोर तपस्या कर उन्हें प्रसन्न किया।

ब्रह्मा जी ने जब बालक पिप्पलाद से वर माँगने को कहा तो पिप्पलाद ने अपनी दृष्टि मात्र से किसी भी वस्तु को जलाने की शक्ति माँगी।

ब्रह्मा जी से वर मिलने पर सर्वप्रथम पिप्पलाद ने शनि देव का आह्वाहन कर अपने सम्मुख प्रस्तुत किया और सामने पाकर आँखे खोलकर भस्म करना शुरू कर दिया।

शनिदेव सशरीर जलने लगे। ब्रह्मांड में कोलाहल मच गया। सूर्यपुत्र शनि की रक्षा में सारे देव विफल हो गए। सूर्य भी अपनी आँखों के सामने अपने पुत्र को जलता हुआ देखकर ब्रह्मा जी से बचाने हेतु विनय करने लगे।
अन्ततः ब्रह्मा जी स्वयम् पिप्पलाद के सम्मुख पधारे और शनिदेव को छोड़ने की बात कही किन्तु पिप्पलाद तैयार नहीं हुए। ब्रह्मा जी ने एक के बदले दो वर माँगने की बात कही।

*तब पिप्पलाद* ने खुश होकर निम्नवत दो वरदान माँगे –
1- जन्म से 5 वर्ष तक किसी भी बालक की कुंडली में शनि का स्थान नहीं होगा।जिससे कोई और बालक मेरे जैसा अनाथ न हो।
2- मुझ अनाथ को शरण पीपल वृक्ष ने दी है। अतः जो भी व्यक्ति सूर्योदय के पूर्व पीपल वृक्ष पर जल चढ़ाएगा उसपर शनि की महादशा का असर नहीं होगा।
ब्रह्मा जी ने तथास्तु कह वरदान दिया।
तब पिप्पलाद ने जलते हुए शनि को अपने ब्रह्मदण्ड से उनके पैरों पर आघात करके उन्हें मुक्त कर दिया। जिससे शनिदेव के पैर क्षतिग्रस्त हो गए और वे पहले जैसी तेजी से चलने लायक नहीं रहे।
अतः तभी से शनि “शनै:चरति य: शनैश्चर:” अर्थात जो धीरे चलता है वही शनैश्चर है, कहलाये और शनि आग में जलने के कारण काली काया वाले अंग भंग रूप में हो गए।
सम्प्रति शनि की काली मूर्ति और पीपल वृक्ष की पूजा का यही धार्मिक विधान है।आगे चलकर पिप्पलाद ने प्रश्नउपनिषद की रचना की ।।
🚩
श्री 1008 बाबा नवीन,
अमरावती कालोनी वाले।
🚩

#ताजमहल_का_सच।
आप सभी ने देखा होगा कि देश के सभी #शिवमंदिरों में #शिवलिंग के ऊपर एक कलश रखा होता है जिसमें पानी या दूध भरा जाता है और #शिवलिंग के ऊपर जलाभिषेक किया जाता है पर क्या कभी किसी ने भी कोई ऐसी कबर देखी है जिस पर कलश रख कर उस मुर्दे की लाश पर जलाभिषेक किया जाता हो।
पूरे विश्व मे किसी भी कब्रस्तान मे ऐसी कोई भी कबर नहीं है जहां ऐसा होता हो। पैगंबर मोहम्मद की कबर पर भी नहीं, पर एक विचित्र प्रकार की कबर बनाई गई है जिसके ऊपर कलश रखकर जलाभिषेक किया जाता हो। इस फोटो में देखें यह फोटो #ताजमहल में मुमताज़ की कबर की है। इसके ऊपर एक कलश है जिससे जलाभिषेक होता है।
#ताजमहल एक प्राचीन #शिवमंदिर है जिसका असली नाम #तेजोमहालय है। #तेजोमहालय के अंदर एक #शिवलिंग था और उस #शिवलिंग के ऊपर कलश में से कुदरती रूप से उस #शिवलिंग के ऊपर जलाभिषेक होता था।
#आगरा शहर ऋषि अंगिरा के नाम से बना है। ऋषि अंगिरा शिव जी के परम भक्त थे। औ#तेजोमहालय मूल रूप से कुओं के ऊपर बनाया गया है। इन कुओं का कनेक्शन यमुना नदी के साथ है। यमुना नदी से पानी इन कुओं में भरकर आता है। ये कुएँ इस प्रकार से बनाए गए हैं कि इनमें कभी भी जवार नहीं आता।
#तेजोमहालय के नीचे एक लकड़ियों का ढांचा भी बनाया गया है। जो उन कुओं में से पानी खींचने का काम करता है। जैसे पेड़ अपनी जड़ों के द्वारा जमीन में से पानी चूसता है और पानी को ऊपर की ओर खींच कर अपनी पत्तियों तक पहुंचाता है। लकड़ी के अंदर पानी को खींचने के कुदरती गुण होते हैं जो हमारे पूर्वजों को बहुत पहले से पता है।
हिंदूओं का ये मानना है कि #तेजोमहालय में इस कलश के द्वारा जो जलाभिषेक होता है वो #शिवलिंग के ऊपर कुदरती रूप से होने वाला जलाभिषेक हैं पर मुस्लिम पक्ष द्वारा यह कहा जाता है कि यह तो मुमताज़ के द्वारा बहाए जाने वाले आंसू है।
अब मुझे ये समझ में नहीं आ रहा है कि मरी हुई मुमताज़ अपनी कबर में से चार पांच फुट ऊपर इस कलश में आंसू कैसे ट्रांसफर कर रही है? और मुमताज़ ये जो आंसू बहा रही है वो किस लिए बहा रही है?
क्या #तेजोमहालय बनाने वाले कारीगरों के हाथ कटवा दिए उसके आंसू बह रहे हैं? या चौदहवीं डिलीवरी करते समय उसकी मृत्यु हो गई, इस बात का उसे दुख है? या उसकी मृत्यु के बाद शाहजहाँ ने मुमताज़ की बहन से जबरदस्ती निकाह कर लिया था और इसके लिए उसने मुमताज़ की बहन के पति की हत्या करवा दी। इस संदर्भ में महान इतिहासकार पुरूषोत्तम नागेश ओक ने विस्तार से लिखा है और अकाट्य तथ्य प्रस्तुत किए हैं। (साभार) 

श्री पुरुषोत्तम नागेश ओक का नाम राष्ट्रवादी इतिहासकारों में बहुत सम्मानित है। यद्यपि ऐजेन्डा धारी बामपंथी इतिहासकार उन्हें मान्यता देने से कतराते थे; क्योंकि उन्होंने इतिहास का अध्यापन नहीं किया था; पर उन्हें इतिहास उद्घाटित करने ऐसी तथ्यपरक तीक्ष्ण दृष्टि प्राप्त थी, जिससे उन्होंने विश्व के इतिहास में खलबली मचा दी। वे अकाट्य सत्य लिखने के लिए लब्धप्रतिष्ठत रहे हैं। 

उनका जन्म 2 मार्च, 1917 को मध्य प्रदेश के इन्दौर नगर में श्री नागेश ओक एवं श्रीमती जानकी बाई के घर में हुआ था। तीन भाइयों में मंझले पुरुषोत्तम ओक की प्रतिभा के लक्षण बचपन से ही प्रकट होने लगे थे। उन्होंने 1933 में मैट्रिक, 1937 में बी.ए., 1939 में एम.ए. तथा 1940 में कानून की परीक्षा मुम्बई विश्वविद्यालय से उत्तीर्ण की।

1939 में द्वितीय विश्व युद्ध प्रारम्भ होने पर श्री ओक खड़की स्थित सैन्य प्रतिष्ठान में भर्ती हो गये। वहाँ आठ मास के प्रशिक्षण के बाद उन्हें सिंगापुर भेज दिया गया। वहाँ वे जापानियों द्वारा बन्दी बना लिये गये। पर कुछ समय बाद जब भारतीय सैनिकों ने जापान का सहयोग करने का निश्चय किया, तो सभी 60,000 बन्दियों को छोड़ दिया गया। श्री ओक सेगांव (वियतनाम) रेडियो से भारत की स्वतन्त्रता के लिए प्रचार करते रहे। आगे चलकर वे नेताजी सुभाषचन्द्र बोस के निकट सहयोगी बन गये।

स्वतन्त्रता के बाद श्री ओक पत्रकारिता के क्षेत्र में उतरे। 1947 से 1953 तक वे हिन्दुस्तान टाइम्स एवं स्टेट्समैन के दिल्ली में संवाददाता रहे। 1954 से 1957 तक उन्होंने सूचना एवं प्रसारण मन्त्रालय में प्रचार अधिकारी के नाते कार्य किया। फिर 1959 से 1974 तक दिल्ली स्थित अमरीकी दूतावास की सूचना सेवा में उप सम्पादक का काम सँभाला। इन सब कामों के बीच श्री ओक अपनी रुचि के अनुकूल इतिहास विषयक लेखन करते रहे।

श्री ओक का मत था कि भारत में जिन भवनों को मुगलकालीन निर्माण बताते हैं, वह सब भारतीय हिन्दू शासकों द्वारा निर्मित हैं। मुस्लिम शासकों ने उन पर कब्जा किया और कुछ फेरबदल कर उसे अपने नाम से प्रचारित कर दिया। स्वतन्त्रता के बाद भारत सरकार ने भी सच को सदा दबा कर रखा; पर श्री ओक ने ऐसे तथ्य प्रस्तुत किये, जिन्हें आज तक कोई काट नहीं सका है।श्री पुरुषोत्तम नागेश ओक ने दो पुस्तकें मराठी में लिखीं। ‘हिन्दुस्थानाचे दुसरे स्वातन्त्रय युद्ध’ तथा ‘नेताजीच्या सहवासाल’। हिन्दी में उनकी पुस्तकें हैं: भारतीय इतिहास की भयंकर भूलें; विश्व इतिहास के विलुप्त अध्याय; कौन कहता है अकबर महान था; दिल्ली का लाल किला हिन्दू कोट है; लखनऊ के इमामबाड़े हिन्दू राजमहल हैं; फतेहपुर सीकरी एक हिन्दू नगर।

आगरा का लाल किला हिन्दू भवन है; भारत में मुस्लिम सुल्तान (भाग 1 व 2); वैदिक विश्व राष्ट्र का इतिहास (4 भाग); ताजमहल मंदिर भवन है; ताजमहल तेजो महालय शिव मन्दिर है; ग्रेट ब्रिटेन हिन्दू देश था; आंग्ल भाषा (शब्दकोश) हास्यास्पद है; क्रिश्चियनिटी कृष्ण नीति का विद्रूप है। इनमें ताजमहल का सच उजागर करने वाली किताबें सर्वाधिक लोकप्रिय हुईं।

इतिहास श्री ओक का प्रिय विषय था। सरकारी सेवा से अवकाश लेने के बाद उन्होंने ‘इन्स्टीट्यूट फाॅर रिराइटिंग वर्ल्ड हिस्ट्री’ नामक संस्था की स्थापना की और उसके द्वारा नये शोध सामने लाते रहे। उनके निष्कर्ष थे कि ईसा से पूर्व सारी दुनिया में वैदिक संस्कृति और संस्कृत भाषा का ही चलन था। 04 दिसम्बर, 2007 को पुणे में उनका देहान्त हुआ। 

नरेटिव देखिये भारत में शहनाई बजाने वाले को भारत रत्न दिया जाता है। लेकिन आश्चर्यजनक रूप से पुरूषोत्तम नागेश ओक जैसे अकाट्य सत्य और वास्तविक इतिहास को उजागर करने वाले महान भारतीय इतिहास कार की उपेक्षा की जाती है। कागज पर कूंची से चित्र बनाने वाले पिकासो जैसे विदेशी चित्रकारों का महिमामंडन किया जाता है लेकिन पत्थरों पर अविश्वसनीय मंदिर और मूर्तियां बनाने वाले भारतीय शिल्पकारों का नाम भी नहीं लिया जाता। (साभार)