आज का पंचाग आपका राशि फल, मंदिरों में ध्वजा लगाने के सुफल, मृत्यु के चौदह प्रकार

 ‼️ 🕉️ ‼️
🚩🌞 *सुप्रभातम्* 🌞🚩
📜««« *आज का पञ्चांग* »»»📜
कलियुगाब्द…………………..5123
विक्रम संवत्………………….2078
शक संवत्…………………….1943
रवि……………………….दक्षिणायन
मास………………………….श्रावण
पक्ष……………………………शुक्ल
तिथी………………………..द्वितीया
संध्या 06.03 पर्यंत पश्चात तृतीया
सूर्योदय….. ….प्रातः 06.01.12 पर
सूर्यास्त……….संध्या 07.02.31 पर
सूर्य राशि……………………….कर्क
चन्द्र राशि………………………सिंह
गुरु राशि…………………… …कुम्भ
नक्षत्र…………………………..मघा
प्रातः 09.47 पर्यंत पश्चात पूर्वाफाल्गुनी
योग……………………………..परिघ
रात्रि 08.19 पर्यंत पश्चात शिव
करण…………………………..बलव
प्रातः 06.34 पर्यंत पश्चात कौलव
ऋतु……………………………….वर्षा
*दिन………………………मंगलवार*

*🇮🇳 राष्ट्रीय सौर श्रावण, दिनांक १९*
*( नभ मास ) !*

*🇬🇧 आंग्ल मतानुसार दिनांक*
*१० अगस्त सन २०२१ ईस्वी !*

👁‍🗨 *अभिजीत मुहूर्त :-*
दोप 12.06 से 12.57 तक ।

👁‍🗨 *राहुकाल :-*
दोप 03.45 से 05.21 तक ।

☸ शुभ अंक…………………1
🔯 शुभ रंग……………….सफ़ेद

🌞 *उदय लग्न मुहूर्त :-*
*कर्क*
04:00:22 06:20:59
*सिंह*
06:20:59 08:38:45
*कन्या*
08:38:45 10:55:25
*तुला*
10:55:25 13:15:17
*वृश्चिक*
13:15:17 15:34:14
*धनु*
15:34:14 17:38:35
*मकर*
17:38:35 19:21:11
*कुम्भ*
19:21:11 20:48:53
*मीन*
20:48:53 22:14:04
*मेष*
22:14:04 23:49:32
*वृषभ*
23:49:32 25:45:23
*मिथुन*
25:45:23 28:00:22

🚦 *दिशाशूल :-*
उत्तरदिशा – यदि आवश्यक हो तो गुड़ का सेवन कर यात्रा प्रारंभ करें ।

✡ *चौघडिया :-*
प्रात: 09.17 से 10.54 तक चंचल
प्रात: 10.54 से 12.31 तक लाभ
दोप. 12.31 से 02.07 तक अमृत
दोप. 03.44 से 05.21 तक शुभ
रात्रि 08.21 से 09.44 तक लाभ ।

📿 *आज का मंत्र :-*
।। ॐ दीनसाधककराय नम: ।।

📯 *संस्कृत सुभाषितानि :-*
न जातु कामः कामानुपभोगेन शाम्यति ।
हविषा कृष्णवत्मैर्व भुय एवाभिवर्धते ॥
अर्थात :-
जैसे अग्नि में घी डालने से वह अधिक प्रज्वलित होती है, वैसे भोग भोगने से कामना शांत नहीं होती, उल्टे प्रज्वलित होती है ।

🍃 *आरोग्यं :*-
*लौंग की चाय पीने के लाभ -*

1. प्रतिदिन सुबह लौंग की चाय पीने से आपको साइनस की तकलीफ से निजात मिलेगी। लौंग में उपस्थित यूगेनोल कफ दूर करने में सहायक होता है।

2. यदि आप मसूड़ों या दांतों में होने वाले दर्द से छुटकारा पाना चाहते हैं तो लौंग की गुनगुनी चाय से कुल्ला करें। इससे आपके मुंह में उपस्थित बैक्टीरिया बाहर निकल जाएंगे।

3. लौंग में एंटीसेप्टिक तत्व मौजूद होते हैं जिससे इंफेक्शन को ठीक किया जा सकता है। लौंग की चाय पीने से शरीर के टॉक्सिन्स बाहर निकल जाते हैं। यही नहीं आप इससे बनी चाय को घाव या फंगल इंफेक्शन पर भी लगा सकते हैं।

4. प्रतिरक्षा स्तर को बढ़ाने में सहायक लौंग की चाय आपके ज्वर को कम कर सकता है।

5. लौंग की चाय पीने से पेट की समस्याओं में निजात मिलता है। यदि आप खाना खाने से पहले लौंग की चाय पीते हैं तो लार के उत्पादन की प्रक्रिया तेज होती है और एसिडिटी की समस्या भी दूर हो जाती हैं तथा पेट दर्द भी कम हो जाता है।

. ⚜ *आज का राशिफल* ⚜

🐐 *राशि फलादेश मेष :-*
*(चू, चे, चो, ला, ली, लू, ले, लो, आ)*
धनागम होगा। भूमि व भवन संबंधी योजना बनेगी। रोजगार मिलेगा। आय में वृद्धि होगी। जल्दबाजी न करें। नौकरी में ऐच्छिक स्थानांतरण एवं पदोन्नति के योग हैं। स्वाध्याय के महत्व को समझें। संतान को अपने कार्यों में सफलता मिल सकेगी।

🐂 *राशि फलादेश वृष :-*
*(ई, ऊ, ए, ओ, वा, वी, वू, वे, वो)*
पुराना रोग उभर सकता है। बेचैनी रहेगी। प्रयास सफल रहेंगे। योजना बनेगी। कार्यप्रणाली में सुधार होगा। व्यापारिक गोपनीयता भंग न करें। पूंजी निवेश लाभकारी रहेगा। व्यापार की चिंता रहेगी। आपसी विचार-विमर्श लाभप्रद रहेगा। आशानुरूप स्थिति बनेगी।

👫🏻 *राशि फलादेश मिथुन :-*
*(का, की, कू, घ, ङ, छ, के, को, ह)*
शारीरिक कष्ट से बाधा संभव है। विवाद न करें। दु:खद समाचार मिल सकता है। लाभ के अवसर हाथ से निकलेंगे। शत्रु से सतर्क रहें। काम के प्रति लापरवाही न करें, किसी बात पर मतभेद की संभावना है।

🦀 *राशि फलादेश कर्क :-*
*(ही, हू, हे, हो, डा, डी, डू, डे, डो)*
फालतू खर्च होगा। क्रोध पर नियंत्रण रखें। पुराना रोग उभर सकता है। कुसंगति से हानि होगी। अनसोचे कार्य होंगे। दांपत्य जीवन में मनमुटाव हो सकता है। पारिवारिक समस्याएँ सूझबूझ से निपटाएँ। कार्य में सहयोग मिलेगा। सामाजिक मान-प्रतिष्ठा बढ़ेगी।

🦁 *राशि फलादेश सिंह :-*
*(मा, मी, मू, मे, मो, टा, टी, टू, टे)*
वैवाहिक प्रस्ताव मिल सकता है। शुभ समाचार प्राप्त होंगे। मान बढ़ेगा। धनार्जन होगा। थकान रहेगी। रचनात्मक कार्य में मन लगेगा। अपना व्यवहार संयमित रखकर काम करें। मित्रों की मदद से समस्या का समाधान हो सकेगा। समय का सदुपयोग होगा।

🙎🏻‍♀️ *राशि फलादेश कन्या :-*
*(ढो, पा, पी, पू, ष, ण, ठ, पे, पो)*
वैवाहिक प्रस्ताव मिल सकता है। शुभ समाचार प्राप्त होंगे। मान बढ़ेगा। धनार्जन होगा। थकान रहेगी। रचनात्मक कार्य में मन लगेगा। अपना व्यवहार संयमित रखकर काम करें। मित्रों की मदद से समस्या का समाधान हो सकेगा। समय का सदुपयोग होगा।

⚖ *राशि फलादेश तुला :-*
*(रा, री, रू, रे, रो, ता, ती, तू, ते)*
परिवार की चिंता रहेगी। जीवनसाथी से सहयोग मिलेगा। कानूनी अड़चन दूर होगी। व्यवसाय ठीक चलेगा। थकान रहेगी। पिता का स्वास्थ्य संतोष देगा। अहंकार के भाव मन में न आने दें। व्यापार में नई योजनाओं से लाभ होगा। आर्थिक स्थिति संतोषप्रद रहेगी।

🦂 *राशि फलादेश वृश्चिक :-*
*(तो, ना, नी, नू, ने, नो, या, यी, यू)*
बेरोजगारी दूर होगी। व्यावसायिक यात्रा सफल रहेगी। अप्रत्याशित लाभ हो सकता है। प्रसन्नता में वृद्धि होगी। कामकाज की जिज्ञासा बढ़ेगी। राजनीतिक एवं सामाजिक कार्यों में सफलता की संभावना है। व्यापार में मनोनुकूल लाभ होने के योग हैं।

🏹 *राशि फलादेश धनु :-*
*(ये, यो, भा, भी, भू, धा, फा, ढा, भे)*
स्वादिष्ट भोजन का आनंद मिलेगा। विद्यार्थी वर्ग सफलता हासिल करेगा। व्यवसाय ठीक चलेगा। प्रमाद न करें। कार्य एवं व्यवसाय के क्षेत्र में विभिन्न बाधाओं से मन अशांत रहेगा। स्वार्थ एवं भोग की प्रवृत्ति के कारण अधिक प्रतिष्ठा प्राप्त नहीं कर पाएँगे।

🐊 *राशि फलादेश मकर :-*
*(भो, जा, जी, खी, खू, खे, खो, गा, गी)*
मकर
धर्म-कर्म में रुचि रहेगी। कानूनी अड़चन दूर होगी। धनार्जन होगा। प्रसन्नता रहेगी। यश, प्रतिष्ठा में वृद्धि के योग हैं। मनोरंजन के अवसर उपलब्ध होंगे। अनसोचे कामों में हाथ नहीं डालें। कामकाज की जिज्ञासा बढ़ेगी। आर्थिक स्थिति अच्छी रहेगी।

🏺 *राशि फलादेश कुंभ :-*
*(गू, गे, गो, सा, सी, सू, से, सो, दा)*
प्रयास सफल रहेंगे। मान-सम्मान मिलेगा। व्यवसाय ठीक चलेगा। सुख के साधन जुटेंगे। शत्रु परास्त होंगे। सुखवृद्धि एवं पारिवारिक उन्नति होगी। आर्थिक योजनाओं में धन का निवेश हो सकता है। पड़ोसियों से किसी बात पर मतभेद की संभावना है।

🐋 *राशि फलादेश मीन :-*
अपनी स्थिति, योग्यता के अनुरूप कार्य करें। चोट, चोरी व विवाद आदि से हानि संभव है। जोखिम न लें। झंझटों में न पड़ें। आय में कमी होगी। व्यापार में लाभ होने के योग हैं। धार्मिक कामों में रुचि बढ़ेगी। परिवार में किसी से विवाद हो सकता है।

☯ *आज मंगलवार है अपने नजदीक के मंदिर में संध्या ०७.०० बजे सामूहिक हनुमान चालीसा पाठ में अवश्य सम्मिलित होवें !*

*🚩 🎪 ‼️ 🕉️ हं हनुमते नमः ‼️ 🎪 🚩*

*☯ आज का दिन भी के लिए मंगलमय हो ☯*

*‼️ शुभम भवतु ‼️*

🚩 🇮🇳 ‼️ *भारत माता की जय* ‼️ 🇮🇳 🚩

मन्दिर में ध्वजा क्यों चढ़ाई जाती है और क्या है उसका महत्व.? 🚩🚩🚩
सनातन हिन्दू धर्म में ऐसा माना जाता है कि बिना ध्वजा (ध्वज, पताका, झण्डा) के मन्दिर में असुर निवास करते है इसलिए मन्दिर में सदैव ध्वजा लगी होनी चाहिए । सनातन धर्म की चार पीठों में से एक द्वारका पीठ भारत का एक मात्र ऐसा मन्दिर है जहां पर 52 गज की ध्वजा दिन में तीन बार चढ़ाई जाती है । 
यह रक्षा ध्वज है जो मन्दिर और नगर की रक्षा करता है । ऐसा माना जाता है कि ध्वजा नवग्रह को धारण किये होती है, जो रक्षा कवच का काम करती है । मंदिर के शिखर पर लगभग 84 फुट लंबी विभिन्न प्रकार के रंग वाली, लहराती धर्मध्वजा को देखकर दूर से ही श्रीकृष्ण-भक्त उसके सामने अपना शीश झुका लेते हैं ।
कब से शुरु हुई मन्दिर में ध्वजा लगाने की परम्परा ?
प्राचीनकाल में देवताओं और असुरों में भीषण युद्ध हुआ । उस युद्ध में देवताओं ने अपने-अपने रथों पर जिन-जिन चिह्नों को लगाया, वे उनके ध्वज कहलाये । तभी से ध्वजा लगाने की परम्परा शुरु हुई । जिस देवता का जो वाहन है, वही उनकी ध्वजा पर भी अंकित होता है । 
किस देवता की ध्वजा पर है कौन-सा चिह्न ?
प्रत्येक देवता के ध्वज पर उनको सूचित करने वाला चिह्न (वाहन) होता है । जैसे—
विष्णु—विष्णुजी की ध्वजा का दण्ड सोने का व ध्वज पीले रंग का होता है । उस पर गरुड़ का चिह्न अंकित होता है ।
शिव—शिवजी की ध्वजा का दण्ड चांदी का व ध्वज सफेद रंग का होता है । उस पर वृषभ का चिह्न अंकित होता है ।
ब्रह्माजी—ब्रह्माजी की ध्वजा का दण्ड तांबे का व ध्वज पद्मवर्ण का होता है । उस पर कमल (पद्म) का चिह्न अंकित होता है ।
गणपति—गणपति की ध्वजा का दण्ड तांबे या हाथीदांत का व ध्वज सफेद रंग का होता है । उस पर मूषक का चिह्न अंकित होता है ।
सूर्यनारायण—सूर्यनारायण की ध्वजा का दण्ड सोने का व ध्वज पचरंगी होता है । उस पर व्योम का चिह्न अंकित होता है ।
गौरी—गौरी की ध्वजा का दण्ड तांबे का व ध्वज बीरबहूटी के समान अत्यन्त रक्त वर्ण का होता है । उस पर गोधा का चिह्न होता है ।
भगवती/देवी/दुर्गा—देवी की ध्वजा का दण्ड सर्वधातु का व ध्वज लाल रंग का होता है । उस पर सिंह का चिह्न अंकित होता है ।
चामुण्डा—चामुण्डा की ध्वजा का दण्ड लोहे का व ध्वज नीले रंग का होता है । उस पर मुण्डमाला का चिह्न अंकित होता है ।
कार्तिकेय—कार्तिकेय की ध्वजा का दण्ड त्रिलौह का व ध्वज चित्रवर्ण का होता है । उस पर मयूर का चिह्न अंकित होता है ।
बलदेवजी—बलदेवजी की ध्वजा का दण्ड चांदी का व ध्वज सफेद रंग का होता है । उस पर हल का चिह्न अंकित होता है ।
कामदेव—कामदेव की ध्वजा का दण्ड त्रिलौह का (सोना, चांदी, तांबा मिश्रित)  व ध्वज लाल रंग का होता है । उस पर मकर का चिह्न अंकित होता है ।
यम—यमराज की ध्वजा का दण्ड लोहे का व ध्वज कृष्ण वर्ण का होता है । उस पर महिष (भैंसे) का चिह्न अंकित होता है ।
इन्द्र—इन्द्र की ध्वजा का दण्ड सोने का व ध्वज अनेक रंग का होता है । उस पर हस्ती (हाथी) का चिह्न अंकित होता है ।
अग्नि—अग्नि की ध्वजा का दण्ड सोने का व ध्वज अनेक रंग का होता है । उस पर मेष का चिह्न अंकित होता है ।
वायु—वायु की ध्वजा का दण्ड लौहे का व ध्वज कृष्ण वर्ण का होता है । उस पर हरिन का चिह्न अंकित होता है ।
कुबेर—कुबेर की ध्वजा का दण्ड मणियों का व ध्वज लाल रंग का होता है । उस पर मनुष्य के पैर का चिह्न अंकित होता है ।
वरुण की ध्वजा पर कच्छप चिह्न होता है।
ऋषियों की ध्वजा पर कुश का चिह्न अंकित होता है।
प्राय: लोग किसी मनोकामना पूर्ति के लिए हनुमानजी या देवी के मन्दिर में ध्वजा लगाने की मन्नत रखते हैं । हनुमानजी व देवी की पूजा बिना ध्वजा-पताका के पूरी नहीं होती है । देवी का तो पौषमास की शुक्ल नवमी को ध्वजा नवमी व्रत होता है जिसमें उनको ध्वजा अर्पण की जाती है।
प्रश्न यह है कि मन्दिर में ध्वजारोपण से कैसे हमारी मनोकामना पूरी हो जाती है ? इसका उत्तर हमें नारद-विष्णु पुराण में मिलता है जिसमें कहा गया है कि—
भगवान विष्णु के मन्दिर में ध्वजा चढ़ाने का महत्व यह है कि जितने क्षणों तक ध्वजा की पताका वायु के वेग से फहराती है, ध्वजा चढ़ाने वाले मनुष्य की उतनी ही पापराशियां नष्ट हो जाती हैं । जब पाप नष्ट हो जाते हैं तो पुण्य का पलड़ा भारी हो जाता है और मनुष्य की मनचाही वस्तु उसे प्राप्त हो जाती है ।
मन्दिर में ध्वजा चढ़ाने से मनुष्य की सम्पत्ति की सदा वृद्धि होती रहती है । 
ध्वजारोपण से मनुष्य इस लोक में सभी प्रकार के सुख भोग कर परम गति को प्राप्त होता है ।
जिस प्रकार मन्दिर की ध्वजा दूर से ही दिखाई पड़ जाती है, उसी प्रकार ध्वज अर्पण करने से मनुष्य हर क्षेत्र में विजयी होता है और उसकी यश-पताका चारों ओर फहराती है ।
ध्वजारोपण के लिए पहले सुन्दर ध्वजा का निर्माण करायें । फिर शुभ मुहुर्त में जिस देवता को ध्वजा चढ़ानी है, उन भगवान का पूजन करें । इसके बाद ध्वजा का पंचोपचार (रोली, चावल, पुष्प, धूप-दीप और नैवेद्य से) पूजन करें । फिर ब्राह्मण द्वारा स्वस्तिवाचन करा कर मंगल वाद्य आदि बजाकर उसका मन्दिर में आरोहण करें । हो सके तो उस देवता के मन्त्र से 108 आहुति का हवन करें । ब्राह्मण को वस्त्र दक्षिणा देकर भोजन करायें ।  धर्म की जय हो🙏🚩🙏🔱🚩
*मृत्यु के १४ प्रकार*
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राम-रावण युद्ध चल रहा था, तब अंगद ने रावण से कहा- तू तो मरा हुआ है, मरे हुए को मारने से क्या फायदा?
रावण बोला– मैं जीवित हूँ, मरा हुआ कैसे?
अंगद बोले, सिर्फ साँस लेने वालों को जीवित नहीं कहते – साँस तो लुहार की धौंकनी भी लेती है!
तब अंगद ने मृत्यु के 14  प्रकार बताए-
कौल कामबस कृपिन विमूढ़ा।
अतिदरिद्र अजसि अतिबूढ़ा।।
सदारोगबस संतत क्रोधी।
विष्णु विमुख श्रुति संत विरोधी।।
तनुपोषक निंदक अघखानी।
जीवत शव सम चौदह प्रानी।।
1. *कामवश:* जो व्यक्ति अत्यंत भोगी हो, कामवासना में लिप्त रहता हो, जो संसार के भोगों में उलझा हुआ हो, वह मृत समान है। जिसके मन की इच्छाएं कभी खत्म नहीं होतीं और जो प्राणी सिर्फ अपनी इच्छाओं के अधीन होकर ही जीता है, वह मृत समान है। वह अध्यात्म का सेवन नहीं करता है, सदैव वासना में लीन रहता है।
2. *वाममार्गी:* जो व्यक्ति पूरी दुनिया से उल्टा चले, जो संसार की हर बात के पीछे नकारात्मकता खोजता हो; नियमों, परंपराओं और लोक व्यवहार के खिलाफ चलता हो, वह वाम मार्गी कहलाता है। ऐसे काम करने वाले लोग मृत समान माने गए हैं।
3. *कंजूस:* अति कंजूस व्यक्ति भी मरा हुआ होता है। जो व्यक्ति धर्म कार्य करने में, आर्थिक रूप से किसी कल्याणकारी कार्य में हिस्सा लेने में हिचकता हो, दान करने से बचता हो, ऐसा आदमी भी मृतक समान ही है।
4. *अति दरिद्र:* गरीबी सबसे बड़ा श्राप है। जो व्यक्ति धन, आत्म-विश्वास, सम्मान और साहस से हीन हो, वह भी मृत ही है। अत्यंत दरिद्र भी मरा हुआ है। गरीब आदमी को दुत्कारना नहीं चाहिए, क्योंकि वह पहले ही मरा हुआ होता है। दरिद्र-नारायण मानकर उनकी मदद करनी चाहिए।
5. *विमूढ़:* अत्यंत मूढ़ यानी मूर्ख व्यक्ति भी मरा हुआ ही होता है। जिसके पास बुद्धि-विवेक न हो, जो खुद निर्णय न ले सके, यानि हर काम को समझने या निर्णय लेने में किसी अन्य पर आश्रित हो, ऐसा व्यक्ति भी जीवित होते हुए मृतक समान ही है, मूढ़ अध्यात्म को नहीं समझता।
6. *अजसि:* जिस व्यक्ति को संसार में बदनामी मिली हुई है, वह भी मरा हुआ है। जो घर-परिवार, कुटुंब-समाज, नगर-राष्ट्र, किसी भी ईकाई में सम्मान नहीं पाता, वह व्यक्ति भी मृत समान ही होता है।
7. *सदा रोगवश:* जो व्यक्ति निरंतर रोगी रहता है, वह भी मरा हुआ है। स्वस्थ शरीर के अभाव में मन विचलित रहता है। नकारात्मकता हावी हो जाती है। व्यक्ति मृत्यु की कामना में लग जाता है। जीवित होते हुए भी रोगी व्यक्ति जीवन के आनंद से वंचित रह जाता है।
8. *अति बूढ़ा:* अत्यंत वृद्ध व्यक्ति भी मृत समान होता है, क्योंकि वह अन्य लोगों पर आश्रित हो जाता है। शरीर और बुद्धि, दोनों अक्षम हो जाते हैं। ऐसे में कई बार वह स्वयं और उसके परिजन ही उसकी मृत्यु की कामना करने लगते हैं, ताकि उसे इन कष्टों से मुक्ति मिल सके।
9. *सतत क्रोधी:* 24 घंटे क्रोध में रहने वाला व्यक्ति भी मृतक समान ही है। ऐसा व्यक्ति हर छोटी-बड़ी बात पर क्रोध करता है। क्रोध के कारण मन और बुद्धि दोनों ही उसके नियंत्रण से बाहर होते हैं। जिस व्यक्ति का अपने मन और बुद्धि पर नियंत्रण न हो, वह जीवित होकर भी जीवित नहीं माना जाता। पूर्व जन्म के संस्कार लेकर यह जीव क्रोधी होता है। क्रोधी अनेक जीवों का घात करता है और नरकगामी होता है।
10. *अघ खानी:* जो व्यक्ति पाप कर्मों से अर्जित धन से अपना और परिवार का पालन-पोषण करता है, वह व्यक्ति भी मृत समान ही है। उसके साथ रहने वाले लोग भी उसी के समान हो जाते हैं। हमेशा मेहनत और ईमानदारी से कमाई करके ही धन प्राप्त करना चाहिए। पाप की कमाई पाप में ही जाती है और पाप की कमाई से नीच गोत्र, निगोद की प्राप्ति होती है।
11. *तनु पोषक:* ऐसा व्यक्ति जो पूरी तरह से आत्म संतुष्टि और खुद के स्वार्थों के लिए ही जीता है, संसार के किसी अन्य प्राणी के लिए उसके मन में कोई संवेदना न हो, ऐसा व्यक्ति भी मृतक समान ही है। जो लोग खाने-पीने में, वाहनों में स्थान के लिए, हर बात में सिर्फ यही सोचते हैं कि सारी चीजें पहले हमें ही मिल जाएं, बाकी किसी अन्य को मिलें न मिलें, वे मृत समान होते हैं। ऐसे लोग समाज और राष्ट्र के लिए अनुपयोगी होते हैं। शरीर को अपना मानकर उसमें रत रहना मूर्खता है, क्योंकि यह शरीर विनाशी है, नष्ट होने वाला है।
12. *निंदक:* अकारण निंदा करने वाला व्यक्ति भी मरा हुआ होता है। जिसे दूसरों में सिर्फ कमियाँ ही नजर आती हैं, जो व्यक्ति किसी के अच्छे काम की भी आलोचना करने से नहीं चूकता है, ऐसा व्यक्ति जो किसी के पास भी बैठे, तो सिर्फ किसी न किसी की बुराई ही करे, वह व्यक्ति भी मृत समान होता है। परनिंदा करने से नीच गोत्र का बंध होता है।
13. *परमात्म विमुख:* जो व्यक्ति ईश्वर यानि परमात्मा का विरोधी है, वह भी मृत समान है। जो व्यक्ति यह सोच लेता है कि कोई परमतत्व है ही नहीं; हम जो करते हैं, वही होता है, संसार हम ही चला रहे हैं, जो परमशक्ति में आस्था नहीं रखता, ऐसा व्यक्ति भी मृत माना जाता है।
14. *श्रुति संत विरोधी:* जो संत, ग्रंथ, पुराणों का विरोधी है, वह भी मृत समान है। श्रुत और संत, समाज में अनाचार पर नियंत्रण (ब्रेक) का काम करते हैं। अगर गाड़ी में ब्रेक न हो, तो कहीं भी गिरकर एक्सीडेंट हो सकता है। वैसे ही समाज को संतों की जरूरत होती है, वरना समाज में अनाचार पर कोई नियंत्रण नहीं रह जाएगा।
अतः मनुष्य को उपरोक्त चौदह दुर्गुणों से यथासंभव दूर रहकर स्वयं को मृतक समान होने से बचना चाहिए।  …….
जय श्री सीता राम🙏