आज नाग पंचमी के दिन करें काल सर्प दोष निवारण के लिए करें ये उपाय, जाने कितने पहले की है धरती और सनातन धर्म संस्कृति, आज का पंचाग आपका राशि फल

 🌞 *~ वैदिक पंचांग ~* 🌞

🌤️ *दिनांक – 02 अगस्त 2022*
🌤️ *दिन – मंगलवार*
🌤️ *विक्रम संवत – 2079 (गुजरात-2078)*
🌤️ *शक संवत -1944*
🌤️ *अयन – दक्षिणायन*
🌤️ *ऋतु – वर्षा ऋतु*
🌤️ *मास -श्रावण*
🌤️ *पक्ष – शुक्ल*
🌤️ *तिथि – पंचमी 03 अगस्त प्रातः 05:41 तक तत्पश्चात षष्ठी*
🌤️ *नक्षत्र – उत्तराफाल्गुनी शाम 05:29 तक तत्पश्चात हस्त*
🌤️ *योग – शिव शाम 06:38 तक तत्पश्चात सिध्द*
🌤️ *राहुकाल – शाम 04:01से शाम 05:39 तक*
🌞 *सूर्योदय – 06:13*
🌦️ *सूर्यास्त – 19:15*
👉 *दिशाशूल – उत्तर दिशा में*
🚩 *व्रत पर्व विवरण – नाग पंचमी मंगला गौरी पूजन*
🔥 *विशेष – पंचमी को बेल खाने से कलंक लगता है। (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)*
🌞 *~ वैदिक पंचांग ~* 🌞

🌷 *नागपंचमी* 🌷
🙏🏻 *श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को नागपंचमी का पर्व मनाया जाता है। इस पर्व पर प्रमुख नाग मंदिरों में श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ती है और भक्त नागदेवता के दर्शन व पूजा करते हैं। सिर्फ मंदिरों में ही नहीं बल्कि घर-घर में इस दिन नागदेवता की पूजा करने का विधान है।*
🙏🏻 *ऐसी मान्यता है कि जो भी इस दिन श्रद्धा व भक्ति से नागदेवता का पूजन करता है उसे व उसके परिवार को कभी भी सर्प भय नहीं होता। इस बार यह पर्व 02 अगस्त, मंगलवार को है। इस दिन नागदेवता की पूजा किस प्रकार करें, इसकी विधि इस प्रकार है-*
🌷 *पूजन विधि* 🌷
🙏🏻 *नागपंचमी पर सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि करने के बाद सबसे पहले भगवान शंकर का ध्यान करें इसके बाद नाग-नागिन के जोड़े की प्रतिमा (सोने, चांदी या तांबे से निर्मित) के सामने यह मंत्र बोलें-*
🌷 *अनन्तं वासुकिं शेषं पद्मनाभं च कम्बलम्।*
*शंखपाल धृतराष्ट्रं तक्षकं कालियं तथा।।*
*एतानि नव नामानि नागानां च महात्मनाम्।*
*सायंकाले पठेन्नित्यं प्रात:काले विशेषत:।।*
*तस्मै विषभयं नास्ति सर्वत्र विजयी भवेत्।।*
🙏🏻 *इसके बाद पूजा व उपवास का संकल्प लें। नाग-नागिन के जोड़े की प्रतिमा को दूध से स्नान करवाएं। इसके बाद शुद्ध जल से स्नान कराकर गंध, फूल, धूप, दीप से पूजा करें व सफेद मिठाई का भोग लगाएं। यह प्रार्थना करें-*
🌷 *सर्वे नागा: प्रीयन्तां मे ये केचित् पृथिवीतले।।*
*ये च हेलिमरीचिस्था येन्तरे दिवि संस्थिता।*
*ये नदीषु महानागा ये सरस्वतिगामिन:।*
*ये च वापीतडागेषु तेषु सर्वेषु वै नम:।।*
🙏🏻 *प्रार्थना के बाद नाग गायत्री मंत्र का जप करें-*
🌷 *ऊँ नागकुलाय विद्महे विषदन्ताय धीमहि तन्नो सर्प: प्रचोदयात्।*
🐍 *इसके बाद सर्प सूक्त का पाठ करें* 🐍
🌷 *ब्रह्मलोकुषु ये सर्पा: शेषनाग पुरोगमा:।*
*नमोस्तुतेभ्य: सर्पेभ्य: सुप्रीता: मम सर्वदा।।*
*इन्द्रलोकेषु ये सर्पा: वासुकि प्रमुखादय:।*
*नमोस्तुतेभ्य: सर्पेभ्य: सुप्रीता: मम सर्वदा।।*
*कद्रवेयाश्च ये सर्पा: मातृभक्ति परायणा।*
*नमोस्तुतेभ्य: सर्पेभ्य: सुप्रीता: मम सर्वदा।।*
*इंद्रलोकेषु ये सर्पा: तक्षका प्रमुखादय:।*
*नमोस्तुतेभ्य: सर्पेभ्य: सुप्रीता: मम सर्वदा।।*
*सत्यलोकेषु ये सर्पा: वासुकिना च रक्षिता।*
*नमोस्तुतेभ्य: सर्पेभ्य: सुप्रीता: मम सर्वदा।।*
*मलये चैव ये सर्पा: कर्कोटक प्रमुखादय:।*
*नमोस्तुतेभ्य: सर्पेभ्य: सुप्रीता: मम सर्वदा।।*
*पृथिव्यांचैव ये सर्पा: ये साकेत वासिता।*
*नमोस्तुतेभ्य: सर्पेभ्य: सुप्रीता: मम सर्वदा।।*
*सर्वग्रामेषु ये सर्पा: वसंतिषु संच्छिता।*
*नमोस्तुतेभ्य: सर्पेभ्य: सुप्रीता: मम सर्वदा।।*
*ग्रामे वा यदिवारण्ये ये सर्पा प्रचरन्ति च।*
*नमोस्तुतेभ्य: सर्पेभ्य: सुप्रीता: मम सर्वदा।।*
*समुद्रतीरे ये सर्पा ये सर्पा जलवासिन:।*
*नमोस्तुतेभ्य: सर्पेभ्य: सुप्रीता: मम सर्वदा।।*
*रसातलेषु या सर्पा: अनन्तादि महाबला:।*
*नमोस्तुतेभ्य: सर्पेभ्य: सुप्रीता: मम सर्वदा।।*
🐍 *नागदेवता की आरती करें और प्रसाद बांट दें। इस प्रकार पूजा करने से नागदेवता प्रसन्न होते हैं और हर मनोकामना पूरी करते हैं।*हिंदू धर्म में सदियों से नागों की पूजा करने की परंपरा रही है। हिंदू परंपरा में नागों को भगवान शिव का आभूषण भी माना गया है। भारत में नागों के अनेक मंदिर हैं, इन्हीं में से एक मंदिर है उज्जैन स्थित नागचंद्रेश्वर का जो की उज्जैन के प्रसिद्ध महाकाल मंदिर की तीसरी मंजिल पर स्थित है। पूरी दुनिया में यह एकमात्र ऐसा मंदिर है, जिसमें विष्णु भगवान की जगह भगवान भोलेनाथ सर्प शय्या पर विराजमान हैं। मंदिर में स्थापित प्राचीन मूर्ति में शिवजी, गणेशजी और मां पार्वती के साथ दशमुखी सर्प शय्या पर विराजित हैं। शिवशंभु के गले और भुजाओं में भुजंग लिपटे हुए हैं। नागचंद्रेश्वर मंदिर की खास बात यह है कि यह मंदिर साल में सिर्फ एक दिन नागपंचमी (श्रावण शुक्ल पंचमी) पर ही दर्शन के लिए खोला जाता है। ऐसी मान्यता है कि नागराज तक्षक स्वयं मंदिर में रहते हैं। नागचंद्रेश्वर मंदिर में 11वीं शताब्दी की एक अद्भुत प्रतिमा है, इसमें फन फैलाए नाग के आसन पर शिव-पार्वती बैठे हैं। कहते हैं यह प्रतिमा नेपाल से यहां लाई गई थी। उज्जैन के अलावा दुनिया में कहीं भी ऐसी प्रतिमा नहीं है।

 क्या है पौराणिक मान्यता 

सर्प राज तक्षक ने शिवशंकर को मनाने के लिए घोर तपस्या की थी। तपस्या से भोलेनाथ प्रसन्न हुए और उन्होंने सर्पों के राजा तक्षक नाग को अमरत्व का वरदान दिया। मान्यता है कि उसके बाद से तक्षक राजा ने प्रभु के सान्निध्य में ही वास करना शुरू कर दिया। लेकिन महाकाल वन में वास करने से पूर्व उनकी यही मंशा थी कि उनके एकांत में विघ्न ना हो अत: वर्षों से यही प्रथा है कि मात्र नागपंचमी के दिन ही वे दर्शन को उपलब्ध होते हैं। शेष समय उनके सम्मान में परंपरा के अनुसार मंदिर बंद रहता है।

इस मंदिर में दर्शन करने के बाद व्यक्ति किसी भी तरह के सर्पदोष से मुक्त हो जाता है, इसलिए नागपंचमी के दिन खुलने वाले इस मंदिर के बाहर भक्तों की लंबी कतार लगी रहती है। यह मंदिर काफी प्राचीन है। माना जाता है कि परमार राजा भोज ने 1050 ईस्वी के लगभग इस मंदिर का निर्माण करवाया था। इसके बाद सिंधिया घराने के महाराज राणोजी सिंधिया ने 1732 में महाकाल मंदिर का जीर्णोद्धार करवाया था। 

 

उस समय इस मंदिर का भी जीर्णोद्धार हुआ था। सभी की यही मनोकामना रहती है कि नागराज पर विराजे शिवशंभु की उन्हें एक झलक मिल जाए। लगभग दो लाख से ज्यादा भक्त एक ही दिन में नागदेव के दर्शन करते हैं। नागचंद्रेश्वर मंदिर की पूजा और व्यवस्था महानिर्वाणी अखाड़े के संन्यासियों द्वारा की जाती है।

जय श्री महाकाल🚩🚩

📖 *वैदिक पंचांग संपादक ~ अंजनी निलेश ठक्कर*
📒 *वैदिक पंचांग प्रकाशित स्थल ~ सुरत शहर (गुजरात)*
🌞 ~ *वैदिक पंचांग* ~ 🌞
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🌷प्रश्न  – यह संसार कब बना ? 
💐उत्तर  – यह संसार 1,96,08,53,123  वर्ष पूर्व बना। 
🌷प्रश्न  – यह संसार कितने वर्ष तक और चलता रहेगा? 
💐उत्तर – यह संसार 2,35,91,46,877 वर्ष तक और चलेगा ।
🌷प्रश्न  – वैदिक धर्म कितने वर्ष पुराना है ?
💐उत्तर  – वैदिक धर्म  1,96,08,53,123 वर्ष पुराना है ।
🌷प्रश्न  – रामायण का काल कितना पुराना है?
💐उत्तर  – रामायण काल लगभग 10 लाख वर्ष पुराना है ।
🌷प्रश्न  – महाभारत का काल कितना पुराना है? 
💐उत्तर  – महाभारत का काल लगभग 5200 वर्ष पुराना है। 
🌷प्रश्न  – पारसी मत कितना पुराना है? 
💐उत्तर  – पारसी मत लगभग 4500 वर्ष पुराना है। 
🌷 प्रश्न  – यहूदी मत कितना पुराना है?
💐उत्तर  – यहूदी मत 4000 वर्ष पुराना है। 
🌷प्रश्न  – जैन – बौद्ध मत का काल कितना पुराना है? 
💐उत्तर  – जैन- बौद्ध मत का काल लगभग  2500 वर्ष पुराना है। 
🌷प्रश्न  – शंकराचार्य का काल कितना पुराना है? 
💐 उत्तर  – शंकराचार्य का काल लगभग  2300 वर्ष पुराना है?
🌷प्रश्न  – हिन्दू- पुराण मत का काल कितना पुराना है? 
💐उत्तर  – हिन्दू पुराण  मत का काल लगभग 2200 वर्ष पुराना है।
🌷प्रश्न  – ईसाई मत कितना पुराना है?
💐उत्तर  – ईसाई मत लगभग 2023 वर्ष पुराना है।
🌷प्रश्न  – इस्लाम मत कितना पुराना है? 
💐उत्तर  – इस्लाम मत लगभग 1413 वर्ष पुराना है।
🌷प्रश्न  – सिक्ख मत कितना पुराना है? 
💐उत्तर  – सिक्ख मत लगभग 513 वर्ष पुराना है।
🌷प्रश्न  – ब्रह्माकुमारी, राधास्वामी, गायत्री परिवार, स्वामी नारायण, आनन्द मार्ग …..  इत्यादि मत – पंथ – सम्प्रदाय कितने वर्ष पुराने है ?
💐उत्तर  – देश में सैकड़ों की संख्या में प्रचलित वर्तमान सम्प्रदाय- 100 – 150 वर्ष पूर्व के आसपास के काल के ही है। 
🌷 प्रश्न  – ईश्वर को मूर्ति रूप में बनाकर पूजना कब से आरम्भ किया?
💐उत्तर  – ईश्वर को मूर्ति रूप में बनाकर पूजना अनादि काल से आरम्भ हुआ।
शिवालय के अन्दर तो शिवलिङ्ग सभी स्थानों पर मिलते हैं।
पपरन्तु यदि सम्पूर्ण शिवालय ही शिवलिङ्गाकृति में हो तो कितना मनमोहक दृश्य हो.!!
और यह अतुलनीय शिव मन्दिर शिवलिङ्ग की आकृति में ही निर्मित हैं।
यह मन्दिर रामगढ़, झारखंड में निर्जन वन में स्थित हैं।
(चित्र-साभार)
मन्दिर के स्थापत्य में लिङ्गाकृति और जल लहरी (अरघा) का स्वरूप स्पष्टता से दृष्टिगोचर होता है।
इस मन्दिर के देखभाल और पुनर्निर्माण/सौंदर्यीकरण की अत्यंत आवश्यकता है अन्यथा हम इस अद्भुत विशिष्टतापूर्ण मन्दिर को खो देंगे।
इसके निर्माण का वास्तविक समय तो ज्ञात नहीं है।
इसे निर्माण करवाने वाले सनातनी पूर्वजों को नमन।
अतुलनीय सनातन धरोहर…!!
जय सनातन धर्म🙏🚩🙏