तीरथ सिंह रावत का बयान वायरल, कहा-फटी हुई जीन्स में बहिनें अपने बच्चों को क्या संंस्कार दे रही हैं?

✍️हरीश मैखुरी

तीरथ सिंह रावत का बयान वायरल, कहा-फटी हुई जीन्स में बहिनें अपने बच्चों को क्या संंस्कार दे रही हैं?

तीरथ सिंह रावत ने कड़वी बात बिना लाग लपेट के कह दी तो इसमें आपत्ति क्या है? फटे हुए वस्त्र न केवल शरीर की शोभा बिगाड़ते हैं अपितु ये शरीर के वास्तु दोष भी होते हैं। सुन्दर वस्त्र विन्यास ही शरीर की शोभा होता है। अब इक्कीसवीं शदी का मानव वनमानुषों की भांति ही रहना पसंद करे तो ये उसकी इच्छा है। लेकिन राज्य का मुखिया सही बात बिना लाग लपेट के कह दे यह आज के समय में आवश्यक और अपरिहार्य है। आश्चर्य की बात है कि तीरथ रावत के फटी जींस वाले बयान पर वो हिंदू लोग भी चिल्ला रहें हैं जो बुर्के की जबर्दस्त वकालत करते हैं।

#फटीजींस
बता दें कि मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत का बयान शोशल मीडिया पर वायरल है इसे लेकर अनेक तरह के विचार भी सामने आ रहे हैं, इस इस बयान को नारी स्वतंत्रता से जोड़कर देखने वाला गैंग और मनुवादी सोच बताने वाला गैंग भी तुरंत सक्रिय हो गया और लगा नारी की स्वतंत्रता की दुहाई देने। वहीं बड़ी संख्या लोग तीरथसिंह रावत के बयान के पक्ष में दिखे और कहा कि उधड़े और फटे हुए कपड़े भारतीय संस्कृति और समाज के विरुद्ध बाजार वाद की शाजिस का हिस्सा हैं, उनका कहना है कि मुख्यमंत्री के बयान में विवादित कुछ भी नहीं। 

विदेशों से लोग भारतीय संस्कृति के अनुसंधान के लिए आ रहे हैं। लेकिन अपने देश के कतिपय लोगों को मुख्यमंत्री का बयान विवादित दिखने लगा है।

बता दें कि उत्तराखंड के नए मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत का महिलाओं के कपड़ों को लेकर बयान चर्चा में आया है जिसमें उन्होंने कहा कि बहनों को फटी हुई जीन्स में देखकर हैरानी होती है। उनके मन में ये सवाल उठता है कि इससे समाज में क्या संदेश जाएगा। एएनआई हिंदी न्यूज द्वारा जारी एक वीडियो में तीरथ सिंह रावत ने कहा कि ‘मैं जयपुर में एक कार्यक्रम में था और जब मैं जहाज में बैठा, तो मेरे बगल में एक बहन जी बैठी थीं. मैंने जब उनकी तरफ देखा तो नीचे गमबूट थे। जब और ऊपर देखा तो घुटने फटे थे। हाथ देखे तो कई कड़े थे। उनके साथ में दो बच्चे भी थे। उन्होंने कहा कि मैंने पूछा तो महिला ने बताया कि वो एनजीओ चलाती हैं। मैंने कहा कि समाज के बीच में घुटने फटे दिखते हैं, बच्चे साथ में हैं, ये क्या संस्कार हैं ?’

बता दें कि इससे पहले जब मुख्यमंत्री ने बाल संरक्षण आयोग की कार्यशाला में बचों को संस्कारित बनाने और नशे की लत से बचाने की बात कही तब फटी हुई जींस को वायरल करने वालों ने ऐसे समाचार को प्रमुखता नहीं दी। 

संस्कार ही बच्चों को बचा सकते हैं नशे की लत से : मुख्यमंत्री मुख्यमंत्री ने किया ‘बच्चों में बढ़ती नशे की प्रवृत्ति, रोकथाम और पुनर्वास’ विषय पर आयोजित कार्यशाला का शुभारम्भ* संस्कारित बच्चे जीवन के किसी भी क्षेत्र में असफल नहीं होते

देहरादून। बाल अधिकार संरक्षण आयोग की ओर से ‘बच्चों में बढ़ती नशे की प्रवृत्ति, रोकथाम और पुनर्वास’ विषय पर आयोजित दो दिवसीय कार्यशाला का शुभारम्भ करते हुए मुख्यमंत्री श्री तीरथ सिंह रावत ने कहा कि युवाओं में नशे की प्रवृत्ति बढ़ती जा रही है। नशा समेत तमाम विकृतियों से बच्चों को बचाने के लिए उन्हें संस्कारवान बनाना होगा। संस्कारित बच्चे जीवन के किसी भी क्षेत्र में असफल नहीं होते। इसके अलावा उन्होंने कहा कि नशा मुक्ति को लेकर जमीनी स्तर पर जागरूकता अभियान चलाए जाने चाहिए।

मुख्यमंत्री ने कहा कि बच्चे स्कूल से ज्यादा समय अपने घर पर बिताते हैं लिहाजा बच्चों को संस्कारवान बनाने की जिम्मेदारी अभिभावकों की भी है। बच्चों की गतिविधियों पर बराबर नजर बनाने की जरूरत है ताकि उन्हें गलत दिशा में जाने से रोका जा सके। उन्होंने कहा कि पश्चात्य देश भारतीय संस्कृति की महानता को समझ चुके हैं, इसलिए अब वह हमारी संस्कृति का अनुशरण कर रहे हैं। लेकिन चिंताजनक बात यह है कि हमारे देश के युवा पाश्चात्य संस्कृति से प्रभावित हो रहे हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि नशा मुक्ति के लिए चलाए जा रहे अभियान में सिर्फ सरकारी प्रयास ही पर्याप्त नहीं हो सकते इसके लिए सामाजिक संगठनों, संस्थाओं और समाज के गणमान्य लोगों को भी आगे आना होगा। नशा विमुक्ति को लेकर व्यापक जन जागरूकता अभियान चलाए जाने की भी आवश्यकता है।

कैबिनेट मंत्री श्री गणेश जोशी ने कहा कि नशा मुक्ति के लिए विल पॉवर होनी जरूरी है। यदि कोई व्यक्ति नशे की गिरफ्त में आ चुका है तो दृढ़ इच्छाशक्ति के बूते ही वह नशे को छोड़ सकता है। उन्होंने कहा कि नशे के तस्करों के जाल को तोड़ने के साथ ही तस्करों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करनी होती तभी इसमें सुधार हो सकता है। बाल अधिकार संरक्षण आयोग की अध्यक्ष श्रीमती उषा नेगी ने कहा कि उत्तराखण्ड में आयोग ने वर्ष 2018 को नशे के खिलाफ अभियान शुरू किया था जो निरन्तर जारी है। खासकर नशे में लिप्त बच्चों की पहचान कर उनके रेस्क्यू व पुनर्वास किया जा रहा है। आयोग के इस अभियान को अच्छा जनसमर्थन मिल रहा है। बाल अधिकार संरक्षण आयोग की सचिव सुश्री झरना कामठान ने कहा कि आयोग की पहल पर उत्तराखण्ड में नशे के कारोबारियों के खिलाफ अब तक 930 मामले पंजीकृत हुए हैं। यह कार्रवाई जारी है। कार्यशाला उत्तर प्रदेश, चण्डीगढ़ समेत कई प्रदेशों के बाल अधिकार संरक्षण आयोग अध्यक्ष अथवा सदस्य उपस्थित रहे