जिन्हें सिल्क्यारा टनल में फंसे 41 श्रमिकों की सकुशल वापसी पच नहीं रही

🔮 विदेशी टनल एक्सपर्ट अर्नाल्ड डिक्स जितने बार भी टनल के अंदर गए और बाहर निकले, उतनी बार पास वापस स्थापित पूजा स्थल के आगे घुटनों पर बैठकर हाथ जोड़े और आंख बंद करके प्रार्थना किया।

🔮 इन्हीं अमेरिकी एक्सपर्ट ने आते ही टनल के मुहाने से हटाए गए पूजा स्थल को वापस रखवाया था। कहा था कि हिमालय ने गुस्सा दिखाया है। उन्होंने मजदूरों को बंधक बनाया है। अब हिमालय ही जब चाहेगा, तब उनको छोड़ेगा।

🔮 हुआ भी ऐसा ही। अमेरिकी मशीन भी पहली बार किसी मिशन पर टूट गया और दरवाजे तक पहुंचकर भी सारे एक्सपर्ट लाचार हो गए थे।

🔮 अमेरिकी टनल विशेषज्ञ ने कहा था कि उन्होंने मां काली से एक डील की है। शायद अब वे उस आध्यात्म अनुभव को साझा करेंगे।

🔮 आज भी अर्नाल्ड उस छोटे से चबूतरे वाले मंदिर के में देवी, भोलेनाथ और बाबा बौगनाथ की पूजा की और बहुत देर तक वहीं बैठे रहे।

🔮 सबसे अजूबा तब हुआ, जब इसी पूजा स्थल के पीछे चट्टान पर पानी की धारा निकल गई। और उससे बाबा भोलेनाथ की आकृति सी बन गई। मौसम अचानक साफ हो गया। जबकि बारिश का अनुमान मौसम विभाग ने बता रखा था। उसे देखकर अर्नाल्ड ने कहा कि आज हिमालय और यहां के बाबा भोलेनाथ खुशखबरी देने वाले हैं।

🔮 एक दूसरे धर्म के प्रख्यात इंजीनियर द्वारा हिंदू धर्म की मान्यताओं को इस स्तर तक समझना और इज्जत देना काफी कुछ कह जाता है।

🔮 जहाँ विज्ञान डगमगाता है। वहीं से आस्था की शुरूआत होती है। विज्ञान और धर्म विपरीत नहीं बल्कि पूरक है।

🔮 सभी 41 लोगों की सकुशल लौटे अब सरकार से कुछ उम्मीद कि अब हर मजदूर का दुर्घटना इंश्योरेंस कंपलसरी हो ……और दूसरा पहाड़ों के मंदिर को धार्मिक स्थल रहने दें, पर्यटन स्थल न बनाएं। प्रकृति से छेड़छाड़ कम से कम हो। और पहाड़ों के धार्मिक स्थान में रहने के होटल, घर आदि निर्माण न हों। लोग सुबह जाएं और वापस उसी दिन नीचे लौटें। बस मूलभूत सुविधा ही हो।

प्रकृति ने बता दिया है कि वह सर्वोपरि है, वही ईश्वर है, वही शक्ति है, हम सबको उसे मानना ही होगा (साभार संकलन) ✍️हरीश मैखुरी 

चाहे आप मोदी के समर्थक हो या मोदी के विरोधी हो आपको यह स्वीकार करना पड़ेगा कि इस तरह का बचाव कार्य अभूतपूर्व है

 प्रधानमंत्री कार्यालय के पांच लोग 15 दिनों तक दिन रात घटनास्थल पर ही थे वहीं कंटेनर में रहते थे उत्तराखंड के मुख्यमंत्री हर रोज तीन-चार घंटे के लिए मौजूद रहते थे जनरल बीके सिंह नितिन गडकरी और कई अन्य मंत्री वहां अक्सर जाते थे और बचाव कार्य की समीक्षा करते थे 

वायु सेना का विशेष विमान हैदराबाद भेज कर आगर मशीन मंगाई गई स्लोवेनिया से विशेष विमान से दुनिया के सबसे बड़े बचाव विशेषज्ञ को बुलाया गया .. एक खास तरह का प्लाज्मा कटर मनाने के लिए पहले टीम को हैदराबाद भेजा गया फिर विमान को अमेरिका भेजा गया वहां से खास तरह का प्लाज्मा कटर लाया गया 

चार मशीन और रोबोट और ग्राउंड पेनिट्रेटिंग रडार स्विट्जरलैंड से विशेष विमान से मंगाए गए 

घटनास्थल पर हेलीपैड और एक काम चलाऊ रनवे भी बना दिया गया दुर्घटना स्थल पर अभिलंब ऑक्सीजन जनरेटर प्लांट लगा दिया गया 

आप दिल पर हाथ रख कर सोचिए कि क्या कभी इतिहास में इस रेस्कयू ऑपरेशन के पहले आपने इतना त्वरित ढंग से और इसकी ऑपरेशन सुना है✍️हरीश मैखुरी 

मालूम था कि ऑपरेशन सेव 41 पूरा होने के कुछ घंटों बाद देश में वही पुरानी चिकचिक शुरू हो जाएगी । मजदूरों की जान खतरे में थी अतः वे चुप थे । हालांकि मन में घुटन लगातार चल रही थी । तमन्ना तो यही थी कि अनहोनी घट जाए और उनको सरकार को जमकर घेरने का मौका मिल जाए ।

आखिर किसी एक ज्वलंत मुद्दे पर भी कहीं विपक्ष चुप रह सकता है ? उन्हें तो मोदी सरकार पर बरसना था कि उधर ऑपरेशन 100% कामयाब हो गया । फिर भी , भला विघ्नसंतोषी भी भला कहीं चुप रह सकते हैं ? तो कल सवेरे का सूर्योदय होते ही बरसने लगे सरकार पर । गिनाने लगे कमियां । क्या करें यह भारत हैं । यहां विपक्ष की रोजी रोटी ऐसे ही चलती है । तो आइए , कुछ बातें करें ।

कुछ लोगों के मन की हो नहीं पाई , सारे श्रमिक सकुशल बच गए । एक मौका था जो सेव 41 आपरेशन की सफलता के साथ दफ्न हो गया । बड़े मंसूबे बनाए थे दोनों सरकारों को जबरदस्त ढंग से घेरने के , दम घोट कर रह गए । जब 17 दिनों तक सुरंग को फाड़कर फंसे श्रमिकों को बाहर निकालने के लिए दुनिया की सबसे बड़ी मुहीम चल रही थी तो किसी की जुबान से सहानुभूति में दो शब्द न फूटे । जब तमाम श्रमिक सकुशल बाहर आ गए , तब सारी दुनिया वाले खुशी में चीख रहे थे , पर इनके होंठ सिल गए थे । श्रमिकों की सकुशल वापसी पर वे कुछ नहीं बोले ।

वे क्यों नहीं बोले कुछ ? उन्हीं की बड़ाई कर देते जिन रैट माइनर्स ने अपने पंजों से चट्टानें फाड़ डाली ? मौका था और दस्तूर भी ; कम से कम ऐसे मौके पर तो सरकार के प्रयासों की सराहना कर देते ? अब क्या बताएं , कैसे कर देते ? दरअसल दिल ही दिल में जो जहरीले बयान तैयार कर सुरक्षित धर दिए थे , वे बोलने नहीं दे रहे थे।श्रमिक एक एक कर सकुशल टनल से बाहर आ रहे थे और उनके दिलों पर छुरियां चल रही थी । बेबस इंसानों पर बाबा बजरंग बली की कृपा उन्हें रास नहीं आई । नए सिरे से कोशिश हुई कि इलाज में कोई खामी दिखाई दे , किन्तु इंतजाम उम्मीदों से भी बढ़िया थे ।

भाई लोगों विदेशी न्यूज़ चैनल कंगाले रात भर । फिर विदेशी अखबारों में आंखें खराब की । पाया कि न्यूयार्क टाइम्स , द टेलीग्राफ , बीबीसी , अलजजीरा , सीएनएन , फ्रांस टीवी , सऊदी टीवी , रशियन टीवी आदि आप्रेशन टनल की प्रशंसा से खचाखच भरे पड़े थे । यहां तक कि सभी देशों का टीवी मीडिया ऑपरेशन को लाइव दिखा रहा था । ऐसे में भाई लोगों ने रातभर दम घोटे रक्खा ।

बताते हैं कि एक जनाब तो विदेश यात्रा पर निकल गए । बाकी नेताओं ने टीवी पत्रकारों से मुंह फेर लिया । एक भी नेता प्रसंशा के दो शब्द बोलने को तैयार नहीं हुआ । लेकिन रात बीतते ही कल सवेरे से कोसने का सिलसिला शुरू हो गया । तमाम हकीकत जानने और सारा ऑपरेशन लाइव दिखाने वाले टीवी न्यूज चैनलों ने विपक्षी नेताओं को बैठाकर फिर से दंगल शुरू करा दिए । बहरहाल यह सब तो चलता ही रहेगा । अच्छी बात यह है कि देश की जिस जनता को भ्रमितकर लाभ लेने की कोशिश है , वह जनता पूरे ऑपरेशन की लाइव कवरेज अपनी आंखों से देख चुकी है ।
(साभार अवधेश प्रताप सिंह कानपुर उत्तर प्रदेश) 

*मोदी जी ने 41 श्रमिको को बचा लिया।*
*कांग्रेस आपदा में भी*
*अपने लिए अवसर ढूंढती है।*

*कांग्रेस कैसे भूल जाती है।*
*अपने समय की केदारनाथ की त्रासदी..*
*उस समय भी मोदी जी ने मदद के लिए कहा था।*
*तो इसी कांग्रेस ने मना कर दिया था..*
*फिर भी मोदी जी ने मदद की थी।*
*तब वो गुजरात के मुख्यमंत्री थे..*

*15-16 जून 2013 को उत्तराखंड केदारनाथ में जलप्रलय शुरू हुआ।*
*जो भीषण तबाही मचा गया था।* *केदारनाथ में लगभग पच्चीस हजार श्रद्धालु मर गये थे।*
*लाश निकालने का ठेका भी, वाड्रा की कंपनी को दिया था कांग्रेस ने*

*तीन दिन चली इस भीषण तबाही में*
*कांग्रेस की सरकार ने केदारनाथ में फंसे श्रद्धालु भक्तों की कोई मदद नहीं की।*

*चौथे दिन जब इस भयंकर तबाही की खबर अंतरराष्ट्रीय मीडिया की सुर्खियां बन गई।*
*तब निर्लज्ज कांग्रेस ने सहायता भेजने का एलान किया !*
*ध्यान रहे सिर्फ “एलान” किया था।*

*18 जून को कांग्रेस की राजमाता*
*अमेरिका अपना इलाज कराने गई हुई थी।*
*और कांग्रेस का युवराज बैंकॉक में था..*

*उन्हें सूचना भेजी गई।*
*तब दोनों मां बेटे 21 जून को भारत पहुंचे !*

*कांग्रेस ने बहुत तामझाम करके आपदा में फंसे लोगों की सहायता के लिये।*
*बिस्किट के पैकेट और पानी की बोतलों के आठ ट्रक रवाना किये।*

*जिन पर सोनिया गांधी और राहुल गांधी के बड़े~बड़े पोस्टर लगाकर*
*मां बेटे ने उन्हें झंडी दिखाकर रवाना किया।*
*फोटो भी खिंचवाए गये*
*जो अखबारों की सुर्खियां बने थे।*

*उन ट्रकों को न किराया दिया गया*
*न डीजल दिया गया था।*

*आठ दिन भटककर उन ट्रक ड्राइवरों ने*
*आखिरकार वो बिस्किट बेचकर अपना किराया वसूल किया और निकल लिये।*

*आज तक कोई पूछने भी नहीं गया की उस राहत सामग्री का क्या हुआ !*

*फिर जब वहां लाशें सड़ने लगी।*
*तो महामारी का खतरा बढ़ता देख*
*आसपास के गांवों के लोगों ने आन्दोलन किया।*

*वह भी पन्द्रह दिन बाद किया।*
*जब लाशों से बदबू आने लगी थी।*

*कई ग्रामीणों ने सामूहिक दाहसंस्कार भी किये।*
*लेकिन चूँकि शव हीं शव फैले देखकर लोग डर गये थे।*

*अब देखे, हिन्दुओं की लाशों पर कैसे व्यापार हुआ..*

*तब कांग्रेस ने उन लाशों को निकालने के लिये एक विज्ञप्ति निकाली।*

*एक कम्पनी आगे आई।*
*जिसने एक लाश निकालने के 4,60,000 रुपये में टेंडर लिया था..*
*और लगभग 16,000 लाशें तीन दिन में निकाली थी।*

*सरकार ने उस कम्पनी को “सात अरब छतीस करोड़” का भुगतान तुरन्त कर दिया..*

*हालाँकि लाशें मिलने का सिलसिला महीनों चलता रहा..*
*फिर कई दिन कंकाल मिलते रहे।*

*हाँ ये बात अलग है कि लाशें निकालने वाली कम्पनी..*
*रॉबर्ट वाड्रा की थी*
*जो उसने किराये के हेलीकॉप्टर लेकर रातों~रात बनाई थी।*

*कांग्रेस की सरकारी सहायता के नाम पर किया नाटक और हिन्दूओं की लाशों के साथ किया गया क्रूर मजाक भी जरूर याद रखियेगा।*

*मां~बेटे के भेजे बिस्किट आज भी नही पहुंचे हैं।*
*विश्व के इतिहास में लाशों का इतना बड़ा व्यापार..*
*कहीं और सुनने को मिले तो बताइएगा।।*

*और 7,36,00 ,00,000 (सात अरब छत्तीस करोड़ ) का घोटाला।*
*और भयानक त्रासदी में भी हिन्दूओं की दुर्गति तो शायद आप भूल हीं जाएंगे..*
*क्योंकि हम भूलने में माहिर हैं…*

*इसे कहते हैं लाशों पर राजनीति करना*

*भगवान ना करें*
*की जो अभी उत्तराखंड में सुरंग हादसा हुआ है।*
*उसमें अगर कोई मजदूर हताहत हुआ होता।*
*या कोई नुकसान होता।*
*तो यही कांग्रेसी सीधा मोदी जी पर आरोप लगाते।*
*कहते कि भाजपा “लाशों पर की राजनीति” करती है।*
*किंतु यही कांग्रेसी केदारनाथ त्रासदी को भूल जाते।*
*भारत माता की जय*
*वंदे मातरम – जय हिंद*
🪷 🇮🇳. 🙏. 🇮🇳 🪷 (साभार शोशल मीडिया वायरल)