।। *🕉️* ।। 🚩 🌞 *सुप्रभातम्* 🌞 🚩
⚜️««« *आज का पंचांग* »»»⚜️
कलियुगाब्द……………………5126
विक्रम संवत्…………………..2081
शक संवत्………………………1946
रवि………………………..दक्षिणायन
मास……………………………आश्विन
पक्ष………………………………शुक्ल
तिथी…………………………….पंचमी
प्रातः 11.15 पर्यंत पश्चात षष्ठी
सूर्योदय……प्रातः 06.21.00 पर
सूर्यास्त …..संध्या 06.07.49 पर
सूर्य राशि………………………कन्या
चन्द्र राशि……………………वृश्चिक
गुरु राशि……………………….वृषभ
नक्षत्र…………………………..ज्येष्ठा
रात्रि 03.59 पर्यंत पश्चात मूल
योग……………………….आयुष्मान
प्रातः 06.49 पर्यंत पश्चात सौभाग्य
करण…………………………बालव
प्रातः 11.15 पर्यंत पश्चात कौलव
ऋतु……………………..(इष) शरद
दिन…………………………मंगलवार
🇬🇧 *आंग्ल मतानुसार* :-
08 अक्तूबर सन 2024 ईस्वी ।
⚜️ *अभिजीत मुहूर्त* :-
दोप 11.50 से 12.37 तक ।
👁🗨 *राहुकाल* :-
दोप 03.08 से 04.36 तक ।
☸ शुभ अंक………………..8
🔯 शुभ रंग………………..लाल
🌞 *उदय लग्न मुहूर्त :-*
*कन्या* 04:51:59 07:02:35
*तुला* 07:02:35 09:17:17
*वृश्चिक*09:17:17 11:33:27
*धनु* 11:33:27 13:39:03
*मकर* 13:39:03 15:26:10
*कुम्भ* 15:26:10 16:59:42
*मीन* 16:59:42 18:30:55
*मेष* 18:30:55 20:11:39
*वृषभ* 20:11:39 22:10:18
*मिथुन* 22:10:18 24:24:01
*कर्क* 24:24:01 26:40:11
*सिंह* 26:40:11 28:51:59
🚦 *दिशाशूल* :-
उत्तरदिशा – यदि आवश्यक हो तो गुड़ का सेवन कर यात्रा प्रारंभ करें ।
✡ *चौघडिया* :-
प्रात: 09.18 से 10.45 तक चंचल
प्रात: 10.45 से 12.13 तक लाभ
दोप. 12.13 से 01.40 तक अमृत
दोप. 03.07 से 04.35 तक शुभ
रात्रि 07.35 से 09.08 तक लाभ ।
📿 *आज का मंत्र* :-
।। ॐ आंजनेय नमः ।।
📢 *संस्कृत सुभाषितानि :-*
*श्रीमद्भगवतगीता (नवमोऽध्यायः – राजविद्याराजगुह्ययोग:) -*
शुभाशुभफलैरेवं मोक्ष्यसे कर्मबन्धनैः ।
संन्यासयोगयुक्तात्मा विमुक्तो मामुपैष्यसि ॥९- २८॥
अर्थात :
इस प्रकार, जिसमें समस्त कर्म मुझ भगवान के अर्पण होते हैं- ऐसे संन्यासयोग से युक्त चित्तवाला तू शुभाशुभ फलरूप कर्मबंधन से मुक्त हो जाएगा और उनसे मुक्त होकर मुझको ही प्राप्त होगा। ॥28॥
🍃 *आरोग्यं :*-
इमली के औषधीय उपयोग :
1. नेत्र की लाली : इमली के पानों का रस और दूध मिलाकर कांसी की थाली में कांसे के कटोरे से खूब घोटे फिर आँखों की पलक तथा चारो और लगाने से लाली, अश्रुस्त्राव और डाह दूर होता है |
2. सोमरोग : इमली की गिरी 4 माशे रात्री में पानी में भिगो कर रख दे दुसरे दिन सुबह छिलके निकालकर दूध के साथ छान कर पी ले समस्त प्रकार के मूत्र विकार समाप्त होंगे |
3. अति स्वेद : पकी इमली की गिरी को इमली के फलों के जल में पीसकर लेप करने से ज्यादा और बदबूदार पसीने की समस्या दूर होगी |
⚜ *आज का राशिफल :-*
🐏 *राशि फलादेश मेष :-*
(चू, चे, चो, ला, ली, लू, ले, लो, आ)
आज पुराना रोग परेशानी का कारण बन सकता है। अज्ञात भय सताएगा। वाणी में हल्के शब्दों के प्रयोग से बचें। वैवाहिक प्रस्ताव मिल सकता है। परिवार में सुख-शांति बनी रहेगी। कुसंगति से बचें। चिंता रहेगी। धन प्राप्ति में अवरोध दूर होंगे। कोर्ट व कचहरी में अनुकूलता रहेगी।
🐂 *राशि फलादेश वृष :-*
(ई, ऊ, ए, ओ, वा, वी, वू, वे, वो)
नौकरी में अधिकारी प्रसन्न रहेंगे। पारिवारिक सहयोग मिलेगा। शुभ समय। शत्रु भय रहेगा। जीवनसाथी के स्वास्थ्य की चिंता रहेगी। शारीरिक कष्ट संभव है। जोखिम व जमानत के कार्य टालें। भूमि व भवन संबंधी खरीद-फरोख्त की योजना बनेगी। आर्थिक उन्नति होगी। व्यवसाय ठीक चलेगा। निवेश शुभ रहेगा।
👫 *राशि फलादेश मिथुन :-*
(का, की, कू, घ, ङ, छ, के, को, ह)
किसी आनंदोत्सव में भाग लेने का अवसर प्राप्त होगा। यात्रा मनोरंजक रहेगी। विद्यार्थी वर्ग सफलता हासिल करेगा। कारोबार में बुद्धिबल से उन्नति होगी। नौकरी में मातहतों का सहयोग प्राप्त होगा। दुष्टजनों से सावधानी आवश्यक है। पारिवारिक चिंता बनी रहेगी। विवाद को बढ़ावा न दें। प्रमाद से बचें।
🦀 *राशि फलादेश कर्क :-*
(ही, हू, हे, हो, डा, डी, डू, डे, डो)
शादी की बात बिगड़ सकती है। आवश्यक निर्णय सोच-समझकर करें। लेन-देन में जल्दबाजी न करें। पुराना रोग उभर सकता है। दु:खद समाचार की प्राप्ति संभव है। किसी के उकसाने में न आएं। व्यवसाय ठीक चलेगा। नौकरी में कार्यभार रहेगा। थकान हो सकती है। जोखिम व जमानत के कार्य टालें। आय में निश्चितता रहेगी।
🦁 *राशि फलादेश सिंह :-*
(मा, मी, मू, मे, मो, टा, टी, टू, टे)
पराक्रम व प्रतिष्ठा में वृद्धि होगी। घर-बाहर पूछ-परख रहेगी। आय में वृद्धि होगी। कारोबार का विस्तार होगा। नौकरी में प्रमोशन मिल सकता है। प्रयास सफल रहेंगे। पार्टनरों का सहयोग प्राप्त होगा। निवेश लाभदायक रहेगा। घर में सुख-शांति रहेगी। उत्साह बना रहेगा। भाग्य का साथ मिलेगा। संतान की चिंता रहेगी।
💁♀️ *राशि फलादेश कन्या :-*
(ढो, पा, पी, पू, ष, ण, ठ, पे, पो)
आय में वृद्धि होगी। कारोबार लाभप्रद रहेगा। दुष्टजन हानि पहुंचा सकते हैं। दूर से शुभ समाचार की प्राप्ति होगी। घर में अतिथियों का आगमन होगा। व्यय बढ़ेगा। आत्मविश्वास में वृद्धि होगी। जोखिम उठाने का साहस कर पाएंगे। निवेश शुभ रहेगा। नौकरी में सहकर्मियों का साथ रहेगा। थकान रहेगी।
⚖ *राशि फलादेश तुला :-*
(रा, री, रू, रे, रो, ता, ती, तू, ते)
प्रेम-प्रसंग में समय अच्छा रहने से आशातीत सफलता प्राप्त होगी। व्यावसायिक यात्रा सफल रहेगी। अप्रत्याशित लाभ हो सकता है। सट्टे व लॉटरी से दूर रहें। कारोबार का विस्तार होगा। नौकरी में प्रमोशन मिल सकता है। सुख के साधन जुटेंगे। शत्रु परास्त होंगे। भाग्य का साथ मिलेगा। सभी ओर से सफलता मिलेगी।
🦂 *राशि फलादेश वृश्चिक :-*
(तो, ना, नी, नू, ने, नो, या, यी, यू)
राजभय रहेगा। विवाद को बढ़ावा न दें। लेन-देन में जल्दबाजी हानि देगी। शारीरिक कष्ट संभव है। अप्रत्याशित खर्च सामने आएंगे। व्यवस्था में मुश्किल होगी। दूसरों से अपेक्षा न करें। चिंता तथा तनाव रहेंगे। अनहोनी की आशंका रहेगी। दूसरों के झगड़ों में न पड़ें। आय में निश्चितता रहेगी।
🏹 *राशि फलादेश धनु :-*
(ये, यो, भा, भी, भू, धा, फा, ढा, भे)
व्यावसायिक यात्रा सफल रहेगी। नेत्र पीड़ा हो सकती है। मानसिक बेचैनी रहेगी। बकाया वसूली के प्रयास सफल रहेंगे। लाभ के अवसर हाथ आएंगे। अधिकार प्राप्ति के योग हैं। पार्टनरों का सहयोग मिलेगा। नौकरी में उच्चाधिकारी प्रसन्न रहेंगे। भागदौड़ रहेगी। दूसरों के काम में दखल न दें। विवाद से बचें। लाभ होगा।
🏹 *राशि फलादेश मकर :-*
(भो, जा, जी, खी, खू, खे, खो, गा, गी)
घर-परिवार में कोई बड़ा काम हो सकता है। नई योजना बनेगी। नया उपक्रम प्रारंभ हो सकता है। सामाजिक कार्य करने का अवसर मिलेगा। प्रतिष्ठा बढ़ेगी। स्वास्थ्य का पाया कमजोर रहेगा। कोई नई समस्या आ सकती है। व्यवसाय ठीक चलेगा। घर-बाहर प्रसन्नता रहेगी। प्रमाद न करें। राज्य से प्रसन्नता रहेगी।
*राशि फलादेश कुंभ :-*
(गू, गे, गो, सा, सी, सू, से, सो, दा)
कारोबार लाभदायक रहेगा। नौकरी में उच्चाधिकारी प्रसन्न रहेंगे। मातहतों का सहयोग प्राप्त होगा। थकान व कमजोरी महसूस हो सकती है। कोर्ट व कचहरी के काम निबटेंगे। पूजा-पाठ में मन लगेगा। प्रसन्नता रहेगी। आंखों को चोट व रोग से बचाएं। धन प्राप्ति सुगम होगी। सुख के साधन जुटेंगे। प्रमाद न करें।
🐠 *राशि फलादेश मीन :-*
व्यवसाय में आय में निश्चितता रहेगी। नौकरीपेशा को प्रयास अधिक करना पड़ेंगे। पुराना रोग उभर सकता है। अनहोनी की आशंका रहेगी। मातहतों से कहासुनी हो सकती है। पार्टनरों से मतभेद संभव है। वाहन व मशीनरी के प्रयोग में सावधानी रखें। दूसरों से अपेक्षा न करें। बनते काम बिगड़ सकते हैं। सोच-समझकर निर्णय लें।
☯ *आज मंगलवार है अपने निकटवर्ती के मंदिर में संध्या 7 बजे सामूहिक हनुमान चालीसा पाठ में अवश्य सम्मिलित होवें |*
।। 🐚 *शुभम भवतु* 🐚 ।।
🇮🇳*भारत माता की जय* 🚩🚩
🙏नवदुर्गा 🙏
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नवदुर्गा सनातन धर्म में भगवती माता दुर्गा जिन्हे आदिशक्ति जगत जननी जगदम्बा भी कहा जाता है भगवती के नौ मुख्य रूप है जिनकी विशेष पूजा व साधना नवरात्रि के दौरान और वैसे भी विशेष रूप से की जाती है इन नौ दुर्गा देवियों को पापों की विनाशिनी कहा जाता है हर देवी के अलग अलग वाहन हैं अस्त्र शस्त्र हैं परन्तु यह सब एक हैं और सभी परम भगवती दुर्गा जी से ही प्रकट होती है
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🙏नौ रूप 🙏
देवी दुर्गा के नौ रूप होते हैं जिन्हें नवदुर्गा कहा जाता है
शैलपुत्री👉
दुर्गाजी पहले स्वरूप में शैलपुत्री के नाम से जानी जाती हैं ये ही नवदुर्गाओं में प्रथम दुर्गा हैं पर्वतराज हिमालय के घर पुत्री रूप में उत्पन्न होने के कारण इनका नाम शैलपुत्री पड़ा नवरात्र पूजन में प्रथम दिवस इन्हीं की पूजा और उपासना की जाती है इनका वाहन वृषभ है इसलिए यह देवी वृषारूढ़ा के नाम से भी जानी जाती हैं इस देवी ने दाएँ हाथ में त्रिशूल धारण कर रखा है और बाएँ हाथ में कमल सुशोभित है यही सती के नाम से भी जानी जाती हैं🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩
🙏कथा🙏
एक बार जब सती के पिता प्रजापति दक्ष ने यज्ञ किया तो इसमें सारे देवताओं को निमन्त्रित किया पर अपने दामाद भगवान शंकर को नहीं सती अपने पिता के यज्ञ में जाने के लिए विकल हो उठीं शंकरजी ने कहा कि सारे देवताओं को निमन्त्रित किया गया है उन्हें नहीं ऐसे में वहाँ जाना उचित नहीं है परन्तु सती सन्तुष्ट नहीं हुईं🩸🩸🩸🩸
सती का प्रबल आग्रह देखकर शंकरजी ने उन्हें यज्ञ में जाने की अनुमति दे दी सती जब घर पहुँचीं तो सिर्फ माँ ने ही उन्हें स्नेह दिया बहनों की बातों में व्यंग्य और उपहास के भाव थे भगवान शंकर के प्रति भी तिरस्कार का भाव था दक्ष ने भी उनके प्रति अपमानजनक वचन कहे इससे सती को क्लेश पहुँचा वे अपने पति का यह अपमान न सह सकीं और योगाग्नि द्वारा अपनेआप को जलाकर भस्म कर लिया
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इस अनिष्ट से व्यथित होकर शंकर भगवान ने केश से वीरभद्र को उत्पन्न कर दक्ष प्रजापति का यज्ञ विध्वंश करने हजारों गणों के साथ भेजा और उस यज्ञ का विध्वंस करा दिया यही सती अगले जन्म में शैलराज हिमालय की पुत्री के रूप में जन्मी और शैलपुत्री कहलाईं शैलपुत्री पार्वती जी की कठोर तपस्या के बाद उनका लोक कल्याण की भावना से विवाह फिर से भगवान शंकर से हुआ शैलपुत्री शिव की अर्द्धांगिनी बनीं इस देवीय कथा का महत्व और शक्ति अनन्त है🥦🥦🥦🥦🥦
अन्य नाम👉 सती पार्वती वृषारूढ़ा हेमवती काली दुर्गा और भवानी भी इन्ही परमेश्वरी देवी के अन्य नाम हैं
🙏ब्रह्मचारिणी🙏
नवरात्र पर्व के दूसरे दिन माँ ब्रह्मचारिणी की पूजा अर्चना की जाती है साधक इस दिन अपने मन को माँ के चरणों में लगाते हैं ब्रह्म का अर्थ है तपस्या और चारिणी यानी आचरण करने वाली इस प्रकार ब्रह्मचारिणी का अर्थ हुआ तप का आचरण करने वाली
भगवान शंकर को पति रूप में प्राप्त करने के लिए घोर तपस्या की थी इस कठिन तपस्या के कारण इस देवी को तपश्चारिणी अर्थात् ब्रह्मचारिणी नाम से अभिहित किया
कहते है माँ ब्रह्मचारिणी देवी की कृपा से सर्वसिद्धि प्राप्त होती है दुर्गा पूजा के दूसरे दिन देवी के इसी स्वरूप की उपासना की जाती है इस देवी की कथा का सार यह है कि जीवन के कठिन संघर्षों में भी मन विचलित नहीं होना चाहिए
🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷 🙏 कथा 🙏
पूर्वजन्म में इस देवी ने हिमालय के घर पुत्री रूप में जन्म लिया था और नारदजी के उपदेश से भगवान शंकर जी को पति रूप में प्राप्त करने के लिए घोर तपस्या की थी इस कठिन तपस्या के कारण इन्हें तपश्चारिणी अर्थात् ब्रह्मचारिणी नाम से अभिहित किया गया एक हजार वर्ष तक इन्होंने केवल फल फूल खाकर बिताए और सौ वर्षों तक केवल जमीन पर रहकर शाक पर निर्वाह किया🔱🔱🔱🔱🔱🔱🔱
कुछ दिनों तक कठिन उपवास रखे और खुले आकाश के नीचे वर्षा और धूप के घोर कष्ट सहे तीन हजार वर्षों तक टूटे हुए बिल्व पत्र खाए और भगवान शंकर की आराधना करती रहीं इसके बाद तो उन्होंने सूखे बिल्व पत्र खाना भी छोड़ दिए कई हजार वर्षों तक निर्जल और निराहार रह कर तपस्या करती रहीं पत्तों को खाना छोड़ देने के कारण ही इनका नाम अपर्णा नाम पड़ गया
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कठिन तपस्या के कारण देवी का शरीर एकदम क्षीण हो गया देवता ऋषि सिद्धगण मुनि सभी ने ब्रह्मचारिणी की तपस्या को अभूतपूर्व पुण्य कृत्य बताया सराहना की और कहा हे देवी आज तक किसी ने इस प्रकार की कठोर तपस्या नहीं की यह तुम्हीं से ही सम्भव थी तुम्हारी मनोकामना परिपूर्ण होगी और भगवान चन्द्रमौलि शिवजी तुम्हें पति रूप में प्राप्त होंगे अब तपस्या छोड़कर घर लौट जाओ जल्द ही तुम्हारे पिता तुम्हें बुलाने आ रहे हैं
🙏चन्द्रघण्टा🙏
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माँ दुर्गाजी की तीसरी शक्ति का नाम चंद्रघंटा है नवरात्रि उपासना में तीसरे दिन की पूजा का अत्यधिक महत्व है और इस दिन इन्हीं के विग्रह का पूजन आराधन किया जाता है इस दिन साधक का मन मणिपूर चक्र में प्रविष्ट होता है🦚🦚🦚🦚🦚
इस देवी की कृपा से साधक को अलौकिक वस्तुओं के दर्शन होते हैं दिव्य सुगन्धियों का अनुभव होता है और कई तरह की ध्वनियाँ सुनाई देने लगती हैं🥬🥬🥬🥬🥬🥬🥬
देवी का यह स्वरूप परम शांतिदायक और कल्याणकारी माना गया है इसीलिए कहा जाता है कि हमें निरन्तर उनके पवित्र विग्रह को ध्यान में रखकर साधना करना चाहिए उनका ध्यान हमारे इहलोक और परलोक दोनों के लिए कल्याणकारी और सद्गति देने वाला है इस देवी के मस्तक पर घंटे के आकार का आधा चन्द्र है इसीलिए इस देवी को चन्द्रघण्टा कहा गया है इनके शरीर का रंग सोने के समान बहुत चमकीला है इस देवी के दस हाथ हैं वे खडग और अन्य अस्त्र-शस्त्र से विभूषित हैं
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सिंह पर सवार इस देवी की मुद्रा युद्ध के लिए उद्धत रहने की है इसके घण्टे सी भयानक ध्वनि से अत्याचारी दानव दैत्य और राक्षस काँपते रहते हैं नवरात्रि में तीसरे दिन इसी देवी की पूजा का महत्व है इस देवी की कृपा से साधक को अलौकिक वस्तुओं के दर्शन होते हैं दिव्य सुगंधियों का अनुभव होता है और कई तरह की ध्वनियाँ सुनाईं देने लगती हैं इन क्षणों में साधक को बहुत सावधान रहना चाहिए
इस देवी की आराधना से साधक में वीरता और निर्भयता के साथ ही सौम्यता और विनम्रता का विकास होता है इसलिए हमें चाहिए कि मन वचन और कर्म के साथ ही काया को विहित विधि विधान के अनुसार परिशुद्ध पवित्र करके चन्द्रघण्टा के शरणागत होकर उनकी उपासना आराधना करना चाहिए इससे सारे कष्टों से मुक्त होकर सहज ही परम पद के अधिकारी बन सकते हैं यह देवी कल्याणकारी है
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🙏कूष्माण्डा🙏
नवरात्र पूजन के चौथे दिन कूष्माण्डा देवी के स्वरूप की ही उपासना की जाती है इस दिन साधक का मन अनाहत चक्र में अवस्थित होता है🩸🩸🩸🩸
नवरात्रि में चौथे दिन देवी को कुष्माण्डा के रूप में पूजा जाता है अपनी मन्द हल्की हँसी के द्वारा अण्ड यानी ब्रह्माण्ड को उत्पन्न करने के कारण इस देवी को कुष्माण्डा नाम से अभिहित किया गया है जब सृष्टि नहीं थी चारों तरफ अन्धकार ही अन्धकार था तब इसी देवी ने अपने ईषत् हास्य से ब्रह्माण्ड की रचना की थी इसीलिए इसे सृष्टि की आदिस्वरूपा या आदिशक्ति कहा गया है🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩
इस देवी की आठ भुजाएँ हैं इसलिए अष्टभुजा कहलाईं इनके सात हाथों में कमण्डल धनुष बाण कमल पुष्प अमृतपूर्ण कलश चक्र तथा गदा हैं आठवें हाथ में सभी सिद्धियों और निधियों को देने वाली जप माला है इस देवी का वाहन सिंह है और इन्हें कुम्हड़े की बलि प्रिय है संस्कृत में कुम्हड़े को कुष्माण्ड कहते हैं इसलिए इस देवी को कुष्माण्डा
इस देवी का वास सूर्यमण्डल के भीतर लोक में है सूर्यलोक में रहने की शक्ति क्षमता केवल इन्हीं में है इसीलिए इनके शरीर की कान्ति और प्रभा सूर्य की भाँति ही दैदीप्यमान है इनके ही तेज से दसों दिशाएँ आलोकित हैं ब्रह्माण्ड की सभी वस्तुओं और प्राणियों में इन्हीं का तेज व्याप्त है🌵🌵🌵🌵🌵
अचंचल और पवित्र मन से नवरात्रि के चौथे दिन इस देवी की पूजा आराधना करना चाहिए इससे भक्तों के रोगों और शोकों का नाश होता है तथा उसे आयु यश बल और आरोग्य प्राप्त होता है यह देवी अत्यल्प सेवा और भक्ति से ही प्रसन्न होकर आशीर्वाद देती हैं सच्चे मन से पूजा करने वाले को सुगमता से परम पद प्राप्त होता है🎄🎄🎄🎄🎄🎄
विधि विधान से पूजा करने पर भक्त को कम समय में ही कृपा का सूक्ष्म भाव अनुभव होने लगता है यह देवी आधियों व्याधियों से मुक्त करती हैं और उसे सुख समृद्धि और उन्नति प्रदान करती हैं अंततः इस देवी की उपासना में भक्तों को सदैव तत्पर रहना चाहिए
🙏स्कंदमाता🙏
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नवरात्रि का पाँचवाँ दिन स्कंदमाता की उपासना का दिन होता है मोक्ष के द्वार खोलने वाली माता परम सुखदायी हैं माँ अपने भक्तों की समस्त इच्छाओं की पूर्ति करती हैं इस देवी की चार भुजाएँ हैं यह दायीं तरफ की ऊपर वाली भुजा से स्कन्द को गोद में पकड़े हुए हैं नीचे वाली भुजा में कमल का पुष्प है बायीं तरफ ऊपर वाली भुजा में वरदमुद्रा में हैं और नीचे वाली भुजा में कमल पुष्प है🌱🌱🌱🌱🌱🌱🌱
पहाड़ों पर रहकर सांसारिक जीवों में नवचेतना का निर्माण करने वालीं स्कन्दमाता नवरात्रि में पाँचवें दिन इस देवी की पूजा अर्चना की जाती है कहते हैं कि इनकी कृपा से मूढ़ भी ज्ञानी हो जाता है स्कन्द कुमार कार्तिकेय की माता के कारण इन्हें स्कन्दमाता नाम से अभिहित किया गया है इनके विग्रह में भगवान स्कन्द बालरूप में इनकी गोद में विराजित हैं इस देवी की चार भुजाएँ हैं
यह दायीं तरफ की ऊपर वाली भुजा से स्कन्द को गोद में पकड़े हुए हैं नीचे वाली भुजा में कमल का पुष्प है बायीं तरफ ऊपर वाली भुजा में वरदमुद्रा में हैं और नीचे वाली भुजा में कमल पुष्प है इनका वर्ण एकदम शुभ्र है यह कमल के आसन पर विराजमान रहती हैं इसीलिए इन्हें पद्मासना भी कहा जाता है सिंह इनका वाहन है🌿🌿🌿🌿🌿
शास्त्रों में इसका पुष्कल महत्व बताया गया है इनकी उपासना से भक्त की सारी इच्छाएँ पूरी हो जाती हैं भक्त को मोक्ष मिलता है सूर्यमण्डल की अधिष्ठात्री देवी होने के कारण इनका उपासक अलौकिक तेज और कान्तिमय हो जाता है अतः मन को एकाग्र रखकर और पवित्र रखकर इस देवी की आराधना करने वाले साधक या भक्त को भवसागर पार करने में कठिनाई नहीं आती है
उनकी पूजा से मोक्ष का मार्ग सुलभ होता है यह देवी विद्वानों और सेवकों को पैदा करने वाली शक्ति है यानी चेतना का निर्माण करने वालीं कहते हैं
🙏कात्यायनी🙏
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माँ दुर्गा के छठे स्वरूप का नाम कात्यायनी है उस दिन साधक का मन आज्ञा चक्र में स्थित होता है योगसाधना में इस आज्ञा चक्र का अत्यन्त महत्वपूर्ण स्थान है
नवरात्रि में छठे दिन माँ कात्यायनी की पूजा की जाती है इनकी उपासना और आराधना से भक्तों को बड़ी सहजता से अर्थ धर्म काम और मोक्ष चारों फलों की प्राप्ति होती है उसके रोग शोक संताप और भय नष्ट हो जाते हैं जन्मों के समस्त पाप भी नष्ट हो जाते हैं कात्य गोत्र में विश्वप्रसिद्ध महर्षि कात्यायन ने भगवती पराम्बा की उपासना की🍀🍀🍀🍀🍀🍀🍀🍀🍀🍀 कठिन तपस्या की उनकी इच्छा थी कि उन्हें पुत्री प्राप्त हो मां भगवती ने उनके घर पुत्री के रूप में जन्म लिया इसलिए यह देवी कात्यायनी कहलाईं इनका गुण शोधकार्य है इसीलिए इस वैज्ञानिक युग में कात्यायनी का महत्व सर्वाधिक हो जाता है इनकी कृपा से ही सारे कार्य पूरे जो जाते हैं यह वैद्यनाथ नामक स्थान पर प्रकट होकर पूजी गईं
🪴🪴🪴🪴🪴🪴🪴🪴🪴
माँ कात्यायनी अमोघ फलदायिनी हैं भगवान कृष्ण को पति रूप में पाने के लिए ब्रज की गोपियों ने इन्हीं की पूजा की थी यह पूजा कालिन्दी यमुना के तट पर की गई थी
इसीलिए यह ब्रजमण्डल की अधिष्ठात्री देवी के रूप में प्रतिष्ठित हैं इनका स्वरूप अत्यन्त भव्य और दिव्य है यह स्वर्ण के समान चमकीली हैं और भास्वर हैं इनकी चार भुजाएँ हैं दायीं तरफ का ऊपर वाला हाथ अभयमुद्रा में है तथा नीचे वाला हाथ वर मुद्रा में माँ के बाँयी तरफ के ऊपर वाले हाथ में तलवार है व नीचे वाले हाथ में कमल का फूल सुशोभित है इनका वाहन भी सिंह है🪻🪻🪻🪻🪻🪻🪻
इनकी उपासना और आराधना से भक्तों को बड़ी आसानी से अर्थ धर्म काम और मोक्ष चारों फलों की प्राप्ति होती है उसके रोग शोक संताप और भय नष्ट हो जाते हैं जन्मों के समस्त पाप भी नष्ट हो जाते हैं इसलिए कहा जाता है कि इस देवी की उपासना करने से परम पद की प्राप्ति होती है
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🙏कालरात्रि🙏
माँ दुर्गाजी की सातवीं शक्ति कालरात्रि के नाम से जानी जाती हैं दुर्गापूजा के सातवें दिन माँ कालरात्रि की उपासना का विधान है इस दिन साधक का मन सहस्रार चक्र में स्थित रहता है इसके लिए ब्रह्माण्ड की समस्त सिद्धियों का द्वार खुलने लगता है कहा जाता है कि कालरात्रि की उपासना करने से ब्रह्माण्ड की सारी सिद्धियों के दरवाजे खुलने लगते हैं और तमाम असुरी शक्तियां उनके नाम के उच्चारण से ही भयभीत होकर दूर भागने लगती हैं
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नाम से अभिव्यक्त होता है कि माँ दुर्गा की यह सातवीं शक्ति कालरात्रि के नाम से जानी जाती है अर्थात जिनके शरीर का रंग घने अन्धकार की तरह एकदम काला है नाम से ही जाहिर है कि इनका रूप भयानक है सिर के बाल बिखरे हुए हैं और गले में विद्युत की तरह चमकने वाली माला है अन्धकारमय स्थितियों का विनाश करने वाली शक्ति हैं कालरात्रि काल से भी रक्षा करने वाली यह शक्ति है इस देवी के तीन नेत्र हैं यह तीनों ही नेत्र ब्रह्माण्ड के समान गोल हैं इनकी साँसों से अग्नि निकलती रहती है यह गर्दभ की सवारी करती हैं ऊपर उठे हुए दाहिने हाथ की वर मुद्रा भक्तों को वर देती है दाहिनी ही तरफ का नीचे वाला हाथ अभय मुद्रा में है यानी भक्तों हमेशा निडर निर्भय रहो बायीं तरफ के ऊपर वाले हाथ में लोहे का काँटा तथा नीचे वाले हाथ में खड्ग है इनका रूप भले ही भयंकर हो परन्तु यह सदैव शुभ फल देने वाली माँ हैं इसीलिए यह शुभंकरी कहलाईं अर्थात इनसे भक्तों को किसी भी प्रकार से भयभीत या आतंकित होने की कतई आवश्यकता नहीं उनके साक्षात्कार से भक्त पुण्य का भागी बनता है🌼🌼🌼🌼🌼🌼🌼
कालरात्रि की उपासना करने से ब्रह्माण्ड की सारी सिद्धियों के दरवाजे खुलने लगते हैं और तमाम असुरी शक्तियाँ उनके नाम के उच्चारण से ही भयभीत होकर दूर भागने लगती हैं इसलिए दानव दैत्य राक्षस और भूत प्रेत उनके स्मरण से ही भाग जाते हैं यह ग्रह बाधाओं को भी दूर करती हैं और अग्नि जल जन्तु शत्रु और रात्रि भय दूर हो जाते हैं इनकी कृपा से भक्त हर तरह के भय से मुक्त हो जाता है
🙏महागौरी🙏
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माँ दुर्गाजी की आठवीं शक्ति का नाम महागौरी है दुर्गापूजा के आठवें दिन महागौरी की उपासना का विधान है नवरात्रि में आठवें दिन महागौरी शक्ति की पूजा की जाती है नाम से प्रकट है कि इनका रूप पूर्णतः गौर वर्ण है इनकी उपमा शंख चन्द्र और कुन्द के फूल से दी गई है अष्टवर्षा भवेद् गौरी यानी इनकी आयु आठ वर्ष की मानी गई है इनके सभी आभूषण और वस्त्र श्वेत हैं इसीलिए उन्हें श्वेताम्बरधरा कहा गया है इनकि चार भुजाएँ हैं और वाहन वृषभ है इसीलिए वृषारूढ़ा भी कहा गया है इनको इनके ऊपर वाला दाहिना हाथ अभय मुद्रा है तथा नीचे वाला हाथ त्रिशूल धारण किया हुआ है। ऊपर वाले बाएँ हाथ में डमरू धारण कर रखा है और नीचे वाले हाथ में वर मुद्रा है इनकी पूरी मुद्रा बहुत शान्त है पति रूप में शिव को प्राप्त करने के लिए महागौरी ने कठोर तपस्या की थी इसी कारण से इनका शरीर काला पड़ गया परन्तु तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने इनके शरीर को गंगा के पवित्र जल से धोकर कान्तिमय बना दिया उनका रूप गौर वर्ण का हो गया इसीलिए यह महागौरी कहलाईं
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यह अमोघ फलदायिनी हैं और इनकी पूजा से भक्तों के तमाम कल्मष धुल जाते हैं पूर्वसंचित पाप भी नष्ट हो जाते हैं महागौरी का पूजन अर्चन उपासना आराधना कल्याणकारी है इनकी कृपा से अलौकिक सिद्धियां भी प्राप्त होती हैं
एक और मान्यता के अनुसार एक भूखा सिंह भोजन की तलाश में वहाँ पहुँचा जहाँ देवी ऊमा तपस्या कर रही होती है देवी को देखकर सिंह की भूख बढ़ गई परन्तु वह देवी के तपस्या से उठने का प्रतीक्षा करते हुए वहीं बैठ गया इस प्रतीक्षा में वह काफी कमज़ोर हो गया देवी जब तप से उठी तो सिंह की दशा देखकर उन्हें उस पर बहुत दया आ गई उन्होने द्याभाव और प्रसन्न्ता से उसे भी अपना वाहन बना लिया क्योंकि वह उनकी तपस्या पूरी होने के प्रतीक्षा में स्वंय भी तप कर बैठा
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कहते है जो स्त्री माँ की पूजा भक्ति भाव सहित करती हैं उनके सुहाग की रक्षा देवी स्वंय करती हैं
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इन्हें अन्नपूर्णा ऐश्वर्य प्रदायिनी चैतन्यमयी भी कहा जाता है महादेव प्रमोद दा का अर्थ है महादेव को आनंद देनेवाली
🙏सिद्धिदात्री🙏
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माँ दुर्गा की नौवीं शक्ति का नाम सिद्धिदात्री हैं ये सभी प्रकार की सिद्धियों को देने वाली हैं नवरात्र के नौवें दिन इनकी उपासना की जाती है मान्यता है कि इस दिन शास्त्रीय विधि विधान और पूर्ण निष्ठा के साथ साधना करने वाले साधक को सभी सिद्धियों की प्राप्ति हो जाती है इस देवी के दाहिनी तरफ नीचे वाले हाथ में चक्र ऊपर वाले हाथ में गदा तथा बायीं तरफ के नीचे वाले हाथ में शंख और ऊपर वाले हाथ में कमल का पुष्प है इनका वाहन सिंह है और यह कमल पुष्प पर भी आसीन होती हैं नवरात्र में यह अन्तिम देवी हैं हिमाचल के नन्दापर्वत पर इनका प्रसिद्ध तीर्थ है
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माना जाता है कि इनकी पूजा करने से बाकी देवियों की उपासना भी स्वंय हो जाती है यह देवी सर्व सिद्धियाँ प्रदान करने वाली देवी हैं उपासक या भक्त पर इनकी कृपा से कठिन से कठिन कार्य भी आसानी से संभव हो जाते हैं अणिमा महिमा गरिमा लघिमा प्राप्ति प्राकाम्य ईशित्व और वशित्व आठ सिद्धियाँ होती हैं इसलिए इस देवी की सच्चे मन से विधि विधान से उपासना आराधना करने से यह सभी सिद्धियां प्राप्त की जा सकती हैं
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कहते हैं भगवान शिव ने भी इस देवी की कृपा से यह तमाम सिद्धियाँ प्राप्त की थीं इस देवी की कृपा से ही शिव जी का आधा शरीर देवी का हुआ था इसी कारण शिव अर्द्धनारीश्वर नाम से प्रसिद्ध हुए
इस देवी के दाहिनी तरफ नीचे वाले हाथ में चक्र ऊपर वाले हाथ में गदा तथा बायीं तरफ के नीचे वाले हाथ में शंख और ऊपर वाले हाथ में कमल का पुष्प है🍄🟫🍄🟫🍄🟫🍄🟫🍄🟫🍄🟫
विधि विधान से नौंवे दिन इस देवी की उपासना करने से सिद्धियाँ प्राप्त होती हैं इनकी साधना करने से लौकिक और परलौकिक सभी प्रकार की कामनाओं की पूर्ति हो जाती है मां के चरणों में शरणागत होकर हमें निरन्तर नियमनिष्ठ रहकर उपासना करनी चाहिए इस देवी का स्मरण ध्यान पूजन हमें इस संसार की असारता का बोध कराते हैं और अमृत पद की ओर ले जाते हैं
स्वर्गलोकनिवासी उपदेवता गण जिन में गन्धर्व यक्ष इत्यादि आद्य हैं और असुर अमर देवगण भी इन सब से जिसकी सेवा होती है
🙏नवरात्रि के नवरंग 🙏
रविवार केसरी रंग
सोमवार सफेद रंग
मंगलवार लाल रंग
बुधवार हरा रंग
गुरुवार कच्चा पीला हल्दी पीला रंग
शुक्रवार गुलाबी दूधिया या कोई चमकदार रंग
शनिवार नीला आसमानी जामुनी रंग
नव दुर्गा महत्व👉
1👉शैलपुत्री सम्पूर्ण जड़ पदार्थ अथवा अपरा प्रकृति से उत्पन्न यह भगवती का पहला स्वरूप हैं मिट्टी जल वायु अग्नि व आकाश इन पंच तत्वों पर ही निर्भर रहने वाले जीव शैल पुत्री का प्रथम रूप हैं इस पूजन का अर्थ है प्रत्येक जड़ पदार्थ अर्थात कणकण में परमात्मा के प्रकटीकरण का अनुभव करना योनि चक्र के तहत घास शैवाल काई पौधे इत्यादि शैलपुत्री हैं💧💧💧💧💧💧
2👉 ब्रह्मचारिणी जड़ अपरा में ज्ञान परा का प्रस्फुरण के पश्चात चेतना का वृहत संचार भगवती के दूसरे रूप का प्रादुर्भाव है यह जड़ चेतन का जटिल संयोग है प्रत्येक वृक्ष में इसे देख सकते हैं सैंकड़ों वर्षों तक पीपल और बरगद जैसे अनेक बड़े वृक्ष ब्रह्मचर्य धारण करने के स्वरूप में ही स्थित होते है🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏
3👉 चन्द्रघण्टा भगवती का तीसरा रूप है यहाँ जीव में आवाज वाणी तथा दृश्य ग्रहण व प्रकट करने की क्षमता का प्रादुर्भाव होता है जिसकी अंतिम परिणिति मनुष्य में बैखरी वाणी है🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷
4👉 कूष्माण्डा अर्थात अण्डे को धारण करने वाली स्त्री और पुरुष की गर्भधारण गर्भाधान शक्ति है मनुष्य योनि में स्त्री और पुरुष के मध्य इक्षण के समय मंद हंसी कूष्माण्डा देवी का स्व भाव के परिणाम स्वरूप जो आकर्षण और प्रेम का भाव उठता है वो भगवती की ही शक्ति है इनके प्रभाव को समस्त प्राणीमात्र में देखा जा सकता है
5👉 स्कन्दमाता पुत्रवती माता पिता का स्वरूप है अथवा प्रत्येक पुत्रवान माता पिता स्कन्द माता के रूप हैं🪷🪷🪷🪷🪷🪷🪷🪷🪷
6👉 कात्यायनी के रूप में वही भगवती माता पिता की कन्या हैं यह देवी का छठा स्वरुप है
7👉 कालरात्रि देवी भगवती का सातवां रूप है जिससे सब जड़ चेतन मृत्यु को प्राप्त होते हैं अपरा और परा विभक्त हो जातें है मन की मृत्यु के समय सब प्राणियों को इस स्वरूप का अनुभव होता है भगवती के इन सात स्वरूपों के दर्शन सबको प्रत्यक्ष सुलभ होते हैं परन्तु आठवां ओर नौवां स्वरूप परा प्रकृति होने के कारण सुलभ नहीं है
8👉 महागौरी भगवती का आठवाँ स्वरूप महागौरी जगत की कालिख वृति न रहने के कारण गौर वर्ण का परम शुद्ध व परम पवित्र है🦚🦚🦚🦚🦚🦚🦚🦚🦚🦚🦚
9👉 सिद्धिदात्री भगवती का नौंवा रूप सिद्धिदात्री है यह ज्ञान अथवा बोध का प्रतीक है जिसे जन्म जन्मान्तर की साधना से पाया जा सकता है इसे प्राप्त कर साधक परम सिद्ध हो जाता है इसलिए इसे सिद्धिदात्री कहा है इसमें शक्ति स्वयं शिव हो जाती है पार्वती स्वयं शंकर हो जाती है और राधा स्वयं कृष्ण हो जाती है आत्मा अर्थात जीवात्मा अपने परम स्थिति में परमात्मा हो जाती है शक्ति पार्वती राधा व जीवात्मा एक है शिव शंकर कृष्ण व परमात्मा एक है भगवान अर्धनारीश्वर है सब उनमें ही ओत प्रोत है सबकुछ वो है अलग कोई नही नवदुर्गा आयुर्वेद एक मत यह कहता है कि ब्रह्माजी के दुर्गा कवच में वर्णित नवदुर्गा नौ विशिष्ट औषधियों में है
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1👉 प्रथम शैलपुत्री हरड़ कई प्रकार के रोगों में काम आने वाली औषधि हरड़ हिमावती है जो देवी शैलपुत्री का ही एक रूप है यह आयुर्वेद की प्रधान औषधि है यह पथया हरीतिका अमृता हेमवती कायस्थ चेतकी और श्रेयसी सात प्रकार की होती है
2👉ब्रह्मचारिणी ब्राह्मी ब्राह्मी आयु व याददाश्त बढ़ाकर रक्तविकारों को दूर कर स्वर को मधुर बनाती है इसलिए इसे सरस्वती भी कहा जाता है
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3👉चन्द्रघण्टा चन्दुसूर यह एक ऐसा पौधा है जो धनिए के समान है यह औषधि मोटापा दूर करने में लाभप्रद है इसलिए इसे चर्महन्ती भी कहते हैं🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹
4👉 कूष्माण्डा पेठा इस औषधि से पेठा मिठाई बनती है इसलिए इस रूप को पेठा कहते हैं इसे कुम्हड़ा भी कहते हैं जो रक्त विकार दूर कर पेट को साफ करने में सहायक है मानसिक रोगों में यह अमृत समान है
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5👉 स्कन्दमाता अलसी देवी स्कन्दमाता औषधि के रूप में अलसी में विद्यमान हैं यह वात पित्त व कफ रोगों की नाशक औषधि है🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩
6 👉कात्यायनी मोइया देवी कात्यायनी को आयुर्वेद में कई नामों से जाना जाता है जैसे अम्बा अम्बालिका व अम्बिका इसके अलावा इन्हें मोइया भी कहते हैं यह औषधि कफ पित्त व गले के रोगों का नाश करती है
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7👉 कालरात्रि नागदौनयह देवी नागदौन औषधि के रूप में जानी जाती हैं यह सभी प्रकार के रोगों में लाभकारी और मन एवं मस्तिष्क के विकारों को दूर करने वाली औषधि है🪷🪷🪷🪷🪷🪷🪷🪷
8👉 महागौरी तुलसी तुलसी सात प्रकार की होती है सफेद तुलसी काली तुलसी मरूता दवना कुढेरक अर्जक और षटपत्र ये रक्त को साफ कर ह्वदय रोगों का नाश करती है🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷
9👉 सिद्धिदात्री शतावरी दुर्गा का नौवाँ रूप सिद्धिदात्री है जिसे नारायणी शतावरी कहते हैं यह बल बुद्धि एवं विवेक के लिए उपयोगी है🙏 है
https://www.facebook.com/reel/27318942134418664?mibextid=4MzKDw5ooBP2efJs
“द केरल स्टोरी” गंभीर विषय है.. इसे सामान्य ना लें..!
कुछ समय पहले किसी फिल्मी हस्ती में हिम्मत नहीं थी कि वो कश्मीर का वह सच दिखा सके..जिसके कारण कश्मीर घाटी करीब करीब हिन्दू विहीन हो गयी।
उतनी ही हिम्मत की जरुरत थी “‘द केरला स्टोरी”‘ को बनाने में जिसे सुदीप्तो सेन ने बखूबी कर दिखाया..!
फ़िल्म के कुछ संवाद जैसे..
“हमारे मिशन के लिए लड़कियों को करीब लाओ..उन्हें खानदान से ज़ुदा करो..जिस्मानी रिश्ते बनाओ..हो सके तो प्रेग्नेंट कर दो..और जल्द से जल्द अगले मिशन के लिए हैंडओवर करो”..!
ऐसे अनेक संवाद है जो आपको हिलाकर रख देंगे..!
लेकिन पूरी फ़िल्म की सच्चाई एक संवाद में छुपी है..जब एक लड़की दहशत गर्दों से बचकर अपने पिता से माफ़ी मांगते हुए कहती है की “हमारे इन हालातों के जिम्मेदार आप भी है..जिन्होंने बचपन से हमें पाश्चात्य और अन्य बाहरी संस्कार दिए.. कभी भी हमें अपने धर्म, अपनी संस्कृति के बारे में नहीं सिखाया न ही बताया”..!!
लव जिहाद को मदरसों मस्जिदों आदि से प्रोत्साहित किए जाने संबंधित हजारों वीडियो शोशल मीडिया पर वायरल हैं। ऐसा एक लिंक यहां दे रहे हैं
https://www.facebook.com/reel/1262471811582722?mibextid=4MzKDw5ooBP2efJs
इसके उपरांत यदि कोई लड़की या माता पिता ना समझे तो ये उनकी कठिनाई है..! लेकिन सरकारों को इस संगठित अपराधों को गंभीरता से लेना चाहिए और नये प्रभावी कानून बनाने चाहिए।