हनुमान जी के पश्वा 97 वर्षीय सुरेशानंद मैखुरी का जाना अपने आप में एक जीवंत युग का इतिहास बन जाना है

जनपद चमोली के मैखुरा गांव सभा के सामाजिक कार्यकर्ता और हनुमान के पश्वा (जिन पर हनुमान जी अवतरित होते हैं) श्री सुरेशानंद मैखुरी का 97 वर्ष की आयु में अपने पैतृक निवास मैखुरा में पूर्णमासी को देहावसान हो गया। उनके जाने से मैखुरा गरखे की एक पीढ़ी का जीवंत इतिहास भी ओझल हो गया। वे उस युग के सद्पुरूष थे जिन्होंने कोटद्वार और ऋषिकेश से बद्रीनाथ तक का पैदल मार्ग देखा था और उस पर चले भी थे।

श्री सुरेशानंद जी विद्युत विभाग से सेवानिवृत्त थे लेकिन उससे अधिक वे सफल कृषक एवं गोपालक थे उनके रहते खेतीबाड़ी जीवंत और गोशाला पशुओं से भरी रहती थी वे एक जागरूक सामाजिक कार्यकर्ता और प्रतिष्ठित व्यक्तियों में थे उन्हें कभी किसी की आलोचना करते हुए नहीं देखा गया। सुरेशाननद जी गांव की समस्याओं के लिए सदैव चिंतित और संघर्षरत रहते थे।

उनके 4 पुत्र एवं दो पुत्रियां हैं जिसमें से बड़े पुत्र गोविंद मैखुरी जी सेना से सेवानिवृत्त होने के बाद मैखुरा गांव ग्राम प्रधान और चंडिका देवी इंटर कॉलेज कांडा मैखुरा के प्रबंधक भी रहे उनके दूसरे नंबर के पुत्र श्री गोपाल दत्त मैखुरी जी उत्तर प्रदेश सरकार में गाजियाबाद कॉपरेटिव अधिष्ठान में वरिष्ठ अधिकारी रहे, उनके तीसरे पुत्र महेंद्र प्रसाद रेलवे में सेवारत रहे जबकि चौथे नंबर के पुत्र राजेंद्र प्रसाद डायट गोचर चमोली में वरिष्ठ प्रवक्ता हैं, उनकी दो पुत्रियां गोदावरी और मंजू प्रतिष्ठित परिवारों की बहुए हैं। श्री सुरेशानंदजी न केवल हनुमान जी के पश्वा थे अपितु हनुमानजी के भक्त भी थे मैखुरा गांव के सुविख्यात पांडव नृत्य में जब उन पर हनुमान जी अवतरित होते थे निश्चित रूप से उनका हनुमान का प्राकट्य देखने योग्य होता था उनकी भाव भंगिमा और नृत्य देखकर बचपन में हम बहुत आल्हादित और प्रसन्न होते थे।

श्री सुरेशानंद जी का निधन उनकी अपनी इच्छानुसार ही अपने पैतृक गांव मैखुरा में हुआ। वे रिश्ते में मेरे दादाजी लगते थे दो वर्ष पूर्व एक दिन उनके देहरादून स्थित मकान में उनसे मिलने गया उन दिनों वर्धक्य के चलते उनका स्वास्थ्य ठीक नहीं था कहने लगे ‘हमारी उम्र हो चली है लेकिन अपने आराध्य हनुमान जी से प्रार्थना करूंगा कि मेरा निधन उत्तरायण में मेरे घर पैतृक गांव मैखुरा में हो और मेरा संस्कार अपने पैतृक घाट लंगासू में हो ऐसी ईच्छा है’। आश्चर्यजनक रूप से उनकी मृत्यु उत्तरायण में पूर्णमासी की तिथि को हुई और वह भी जिस समय वे चाहते थे उसी समय हुई। उनके निधन पर पूरे मैखुरा गरखे में शोक पसर गया, भारी संख्या में लोग नम आंखों से उनकी अंतिम यात्रा में सम्मिलित हुए। उनके पुत्र गोपाल दत्त जी का मुझे फोन आया कि पिताजी का निधन हो गया। गायत्री कुंज के उत्तराखंड प्रभारी श्री दिनेश मैखुरी ने भी उन्हें श्रद्धांजलि दी और उनकी अंतिम शव यात्रा में मुझे सम्मिलित होने हेतु अवगत कराया लेकिन उस दिन मुझे भारी वायरल बुखार चल रहा था और मैं खड़ा उठने की स्थिति में नहीं था इस कारण चाहते हुए भी मैं उनकी अंतिम यात्रा के पुण्य लाभ का अर्जन नहीं कर सका, लेकिन उनके जाना निश्चित रूप से मेरे मन को व्यतीत कर गया। रिश्ते में भले मेरे दादा थे लेकिन उनका मेरे साथ निजी रूप से भी अथाह लगाव रहा। दादा जी मुझे मित्रवत परामर्श देते थे उनके जाने से एक शदी के अनुभव की पूंजी बहुत सी ऐतिहासिक जानकारियां भी उन्हीं के साथ चले गई।

अनादि निधनो देवो शंख चक्र गदाधर:

अव्यक्तं पुण्डरीकाक्ष पित्रमोक्ष प्रदोभव

सुरेशानंद जी के जेष्ठ पुत्र गोविन्द प्रसाद द्वारा सभी महानुभावों को अवगत कराया गया कि  “हमारे घर में आज दि0 9/6/2023 से 12/6/2023 तक श्री गरुड़ पुराण कथा का आयोजन हो रहा है

   अतः सभी श्रद्धालुओं से अनुरोध है कि दोपहर 3:30 से कथा श्रवण हेतु हमारे घर में पधारने का कष्ट करेंगे”

हनुमान जी के पश्वा हमारे महनीय दादा जी का जाना अपने आप में एक युग का अंत है भगवान इस दुख की घड़ी में उनके परिवार को इस विशाद को सहन करने की शक्ति प्रदान करें और श्री सुरेशानंदजी को वैकुंठधाम में अपने श्री चरणों में स्थान प्रदान करें, इसी कामना के साथ भावभीनी श्रध्दांजलि और नमन्। हे युगद्रष्टा पितृ देवता अपनी छाया माया से हमें सद्बुद्धि और मार्गदर्शन देते रहें। ✍️हरीश मैखुरी