चालीस पार करती स्त्रियां न बूढ़ी होती हैं न बच्चियां, लेकिन उनके अपने दर्द होते हैं

चालीस पार करती स्त्रियां न बूढ़ी होती हैं न बच्चियां.. ज़िंदगी के तमाम झंझावात झेलकर अब इनकी ज़िंदगी लगभग सम पर आ चुकी होती है..इनके

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