तो समाज कल्याण विभाग की छात्रवृत्ति ही डकार गये?

 
उधर देश में नए राष्ट्रपति का चुनाव की सरगर्मियां है और इधर अपने सूबे के साहब बहाद्दुर आज अपने 100 दिनों का गुणगान कर रहे होंगे।  अपने देश के वास्तविक दलितों वंचितों का तो पता नहीं पर राजनैतिक जमात नें उनके प्रतीकों को उनके कल्याण के बखान के लिए हमेशा जिन्दा रखा है , कभी किसी शीर्ष पद का प्रत्याशी बना कर तो कभी उसके नाम पर घोषणाओं की झड़ी लगा कर ,लेकिन यकीन मानिए कि धरातलीय हालात बिलकुल जुदा हैं।
पूरा देश दलितों के नाम पर श्री रमानाथ कोविंद और श्रीमती  मीरा कुमार के उच्च पद पर पहुचने की घटना को दलित और वंचितों के कल्याण से जोड़ कर सत्ताधीशों की नैतिकता का गुणगान कर सकता है, लेकिन मेरे लिए अंकित कुमार दास पुत्र श्री घनश्याम दास और उस जैसे 317 अनुसूचित जाति , अनुसूचित जन जाति व् वंचित वर्ग के छात्रों को शिक्षा हेतु समाजकल्याण विभाग द्वारा मिलने वाली छात्रवृत्ती का सही हाथों में न पहुँचने का अंदेशा अगर झूठ निकल आये तो यही सबसे बड़ी बात होगी।
खैर …! आपको बताता चलूँ कि देहरादून के एक निजी कालेज  जो कि वर्तमान सत्ता पक्ष के एक रसूखदार विधायक के पुत्र का है में वर्ष 2014-15 व् 2015-16 में अनुसूचित जाति, जनजाति, एनी पिछड़ा वर्ग के पढ़ने वाले 486 छात्रों के शिक्षा उन्नयन हेतु समाजकल्याण विभाग के अंतर्गत  कुल 21013110/- रूपये की क्षात्रवृत्ती निर्गत हुई है , इस योजना के अंतर्गत सूबे के भिन्न भिन्न जनपदों व् सुदूर इलाकों से आये क्षात्रों को मिलने वाली क्षात्रवृत्ती को  सम्बंधित छात्रों के बैंक एकाउंट में डाले जाने का ही प्रावधान है , लेकिन सबसे मजेदार बात यह है कि कुल जमा 486 क्षात्रों में से 317 क्षात्रों के इस छात्रवृत्ती हेतु नए बैंक एकाउंट पंजाब नेशनल बैंक की तिलक रोड स्तिथ शाखा में खुले है।
नए बैंक एकाउंट खुलना कोई शंका का कारण नहीं हो सकता लेकिन यह शंका का कारण हो सकता है कि इतनी बड़ी संख्या में उन प्रोफेशनल कोर्स में दाखिला लेने वाले उन छात्रों के पास बैंक एकाउंट ही न हो जिनके लिए प्राथमिक कक्षाओं से ही विभिन्न छात्रवृत्ति की योजनाएं गतिमान रहती हैं, ……? और अगर उनके पास एकाउंट पहले से मौजूद थे तो नए एकाउंट क्यों खोले गए …..?
अब दूसरी बात कि पंजाब नेशनल बैंक की तिलक रोड शाखा में खोले गए इन बैंक एकाउंट्स में से 183 बैंक एकाउंट ऐसे है जिनमे  अधिकतर छात्रों के बैंक एकाउंट में दर्ज मोबाइल नम्बर एक ही है , उदाहरण के तौर पर 11 छात्रों के खातों में पंजीकृत  मोबाइल नंबर 9917040457  , आठ क्षात्रों के बैंकः खातों में मोबाइल नंबर 9917044992 दर्ज है ऐसे ही बीस से अधिक मोबाइल नम्बर है जिनमें पांच से लेकर पंद्रह क्षात्रों के खाते एक ही बैंक की एक ही शाखा में खोले गए हैं।
 उपलब्ध प्रपत्रों का विश्लेषण करने पर एक और आश्चर्यजनक पहलू यह समझ में आया कि इन खातों में प्रयोग किये गए  अधिकतर मोबाइल नम्बर 99170 सीरीज के हैं, मतलब जिस भी कंपनी के ये मोबाइल नम्बर है उससे एक साथ नम्बर खरीदे गए हैं और उन नंबरों को छात्रों के खातों से लिंक कर दिया गया ताकि जैसे ही उसमें सम्बंधित छात्र को मिलने वाली छात्रवृत्ती की रकम जमा हो तो मोबाइल नंबर पर मेसेज भी आ जाए और वे लोग जिन्होंने इस पूरे प्रकरण की व्यूह रचना की है वे तुरन्त उस रकम को खातों से निकाल लें।
अब आप समझिये कि दलित कल्याण की अविधारणा कब कहाँ कैसे फलीभूत हो रही है, प्रश्नगत प्रकरण पर यह भई बता दूं कि ये मामला तब का है जब कि कांग्रेस की सरकार थी और जिस कालेज से ये मामला जुड़ा है वह वर्तमान सरकार के एक रुसूखदार विधायक के पुत्र का है।
असल स्तिथियों में दलित कल्याण ऐसा ही है जैसा मैंने बताया है और यह केवल एक मामला है ऐसे ही अभी बहुत सारे निजी विद्यालय और हैं जिनके आंकड़ों पर काम चल रहा है जो कि जल्द ही आपके सामने लाया जाएगा । फिलहाल यह मान के चलिए कि समाजकल्याण विभाग के कुछ चिन्हित अधिकारियों, निजी विद्यालयों के प्रबंधकों और नेताओं नें मिल कर अनुसूचित जाति, जान जाति , अन्य पिछड़ा वर्ग के छात्रों को मिलने वाली 200 करोड़ रूपये से अधिक की राशि को डकार दिया है, और मेरा यह भी दावा है कि ये जीरो टॉलरेंस के दावे करने वाले जुमलेबाज भी दोषियों के विरुद्ध  कार्यवाही करने की हिम्मत नहीं कर सकते।
चाहे राष्ट्रपति श्री रमानाथ कोविंद बनें या फिर श्रीमती मीरा कुमार पर फिलहाल का दलित और वंचितों का असल धरातल पर कल्याण तो यही है , जैसा कि ऊपर वर्णित है, अब आप लोग चाहें तो परेड ग्राउंड में जा कर सूबेदार बहाद्दुर के 100 दिनी जलसे में जाकर जयकारे लगा सकते है और दिल खोल कर तालिया बजा सकते हैं।
( साभार- अखिलेश डिमरी की फेसबुक  वाल से)