आज का पंचाग आपका राशि फल, समृद्धि, स्वास्थ्य, साधना का पर्व धन त्रयोदशी, धन बढ़ेगा तेरहगुना देखें लग्न व किस राशि वाले क्या खरीदें धनतेरस के दिन जानें

🕉श्री हरिहरो विजयतेतराम🕉
🌄सुप्रभातम🌄
🗓आज का पञ्चाङ्ग🗓
🌻मंगलवार, २ नवम्बर २०२१🌻

सूर्योदय: 🌄 ०६:३४
सूर्यास्त: 🌅 ०५:३२
चन्द्रोदय: 🌝 २८:३०
चन्द्रास्त: 🌜१६:०४
अयन 🌕 दक्षिणायने (दक्षिणगोलीय
ऋतु: शरद्
शक सम्वत: 👉 १९४३ (प्लव)
विक्रम सम्वत: 👉 २०७८ (आनन्द)
मास 👉 कार्तिक
पक्ष 👉 कृष्ण
तिथि 👉 द्वादशी (११:३१ तक)
नक्षत्र 👉 उत्तराफाल्गुनी (११:४४ तक)
योग 👉 वैधृति (१८:१४ तक)
प्रथम करण 👉 तैतिल (११:३१ तक)
द्वितीय करण 👉 गर (२२:२० तक)
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॥ गोचर ग्रहा: ॥
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सूर्य 🌟 तुला
चंद्र 🌟 कन्या
मंगल 🌟 तुला (अस्त, पश्चिम, मार्गी)
बुध 🌟 तुला (उदित, पूर्व, मार्गी)
गुरु 🌟 मकर (उदय, पूर्व, मार्गी)
शुक्र 🌟 धनु (उदय, पश्चिम, मार्गी)
शनि 🌟 मकर (उदय, पूर्व, मार्गी)
राहु 🌟 वृष
केतु 🌟 वृश्चिक
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शुभाशुभ मुहूर्त विचार
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अभिजित मुहूर्त 👉 ११:३८ से १२:२२
अमृत काल 👉 २८:२५ से २९:५४
त्रिपुष्कर योग 👉 ०६:३१ से ११:३१
विजय मुहूर्त 👉 १३:५० से १४:३४
गोधूलि मुहूर्त 👉 १७:१८ से १७:४२
निशिता मुहूर्त 👉 २३:३४ से २४:२७
राहुकाल 👉 १४:४५ से १६:०७
राहुवास 👉 पश्चिम
यमगण्ड 👉 ०९:१६ से १०:३८
होमाहुति 👉 केतु
दिशाशूल 👉 उत्तर
नक्षत्र शूल 👉 उत्तर (११:४४ तक)
अग्निवास 👉 पृथ्वी
चन्द्रवास 👉 दक्षिण
शिववास 👉 नन्दी पर (११:३१ से भोजन में)
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☄चौघड़िया विचार☄
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॥ दिन का चौघड़िया ॥
१ – रोग २ – उद्वेग
३ – चर ४ – लाभ
५ – अमृत ६ – काल
७ – शुभ ८ – रोग
॥रात्रि का चौघड़िया॥
१ – काल २ – लाभ
३ – उद्वेग ४ – शुभ
५ – अमृत ६ – चर
७ – रोग ८ – काल
नोट– दिन और रात्रि के चौघड़िया का आरंभ क्रमशः सूर्योदय और सूर्यास्त से होता है। प्रत्येक चौघड़िए की अवधि डेढ़ घंटा होती है।
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शुभ यात्रा दिशा
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पूर्व-उत्तर (धनिया अथवा दलिये का सेवन कर यात्रा करें)
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तिथि विशेष
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धन तेरस (धन्वंतरि जयन्ती), यम दीपदान, भौम प्रदोष व्रत, बुध तुला में ०९:५१ से आदि।
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आज जन्मे शिशुओं का नामकरण
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आज ११:४४ तक जन्मे शिशुओ का नाम
उत्तराफाल्गुनी नक्षत्र के तृतीय एवं चतुर्थ चरण अनुसार क्रमशः (प, पी) नामाक्षर से तथा इसके बाद जन्मे शिशुओं का नाम हस्त नक्षत्र के प्रथम, द्वितीय एवं तृतीय चरण अनुसार क्रमश (पू, ष, ण) नामाक्षर से रखना शास्त्रसम्मत है।
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उदय-लग्न मुहूर्त
तुला – २९:२२ से ०७:४२
वृश्चिक – ०७:४२ से १०:०२
धनु – १०:०२ से १२:०५
मकर – १२:०५ से १३:४६
कुम्भ – १३:४६ से १५:१२
मीन – १५:१२ से १६:३६
मेष – १६:३६ से १८:१०
वृषभ – १८:१० से २०:०४
मिथुन – २०:०४ से २२:१९
कर्क – २२:१९ से २४:४१
सिंह – २४:४१ से २७:००
कन्या – २७:०० से २९:१८
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पञ्चक रहित मुहूर्त
रज पञ्चक – ०६:३१ से ०७:४२
शुभ मुहूर्त – ०७:४२ से १०:०२
चोर पञ्चक – १०:०२ से ११:३१
शुभ मुहूर्त – ११:३१ से ११:४४
रोग पञ्चक – ११:४४ से १२:०५
शुभ मुहूर्त – १२:०५ से १३:४६
मृत्यु पञ्चक – १३:४६ से १५:१२
अग्नि पञ्चक – १५:१२ से १६:३६
शुभ मुहूर्त – १६:३६ से १८:१०
मृत्यु पञ्चक – १८:१० से २०:०४
अग्नि पञ्चक – २०:०४ से २२:१९
शुभ मुहूर्त – २२:१९ से २४:४१
रज पञ्चक – २४:४१ से २७:००
शुभ मुहूर्त – २७:०० से २९:१८
चोर पञ्चक – २९:१८ से ३०:३२
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आज का राशिफल
🐐🐂💏💮🐅👩
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मेष🐐 (चू, चे, चो, ला, ली, लू, ले, लो, अ)
आज का दिन आशा से कुछ कम लाभ देगा फिर भी आवश्यकताओं की पूर्ति आसानी से कर लेंगे। नौकरी पेशा एवं व्यवसायी वर्ग को आज अतिरिक्त कार्य करना पड़ेगा इसका लाभ भी जल्द ही मिल जाएगा। व्यापार में वृद्धि होगी लेकिन आर्थिक लाभ के लिए थोड़ा इंतजार करना पड़ेगा। आज आपसे या किसी निकटस्थ से कुछ नुकसान भी हो सकता है जिसका सीधा असर धन और व्यवसाय पर भी पड़ेगा। सामाजिक व्यवहार पहले से अधिक बनेंगे परन्तु इनमें से अधिकांश लाभ की जगह खर्च ही करवाएंगे। परिवार में सुख शांति रहेगी बीच मे किसी गलतफहमी के कारण मामूली नारजगी रह सकती है। संध्या का समय थकान वाला रहेगा फिर भी सुख से बिताएंगे।

वृष🐂 (ई, ऊ, ए, ओ, वा, वी, वू, वे, वो)
आज के दिन आप अतिआत्मविश्वास की भावना से ग्रसित रहेंगे यह घरेलू कलह एवं व्यवसाय में हानि का कारण बन सकती है।आज आप स्वयं को हर कार्य मे श्रेष्ठ दिखाने का प्रयास करेंगे जिस कारण किसी से वर्चस्व को लेकर तकरार होने की संभावना है। मन इच्छित कार्य ना होने से क्रोध आएगा। व्यवसायी वर्ग को पूर्व में किये निवेश का लाभ दुगना होकर मिलेगा परन्तु नवीन कार्यो में धन उलझ सकता है। धार्मिक कार्यो में दिखावे अथवा स्वार्थवश सहभागिता देंगे। सामाजिक क्षेत्र पर सम्मान में कमी आ सकती है बोलचाल में संयम रखें। विद्यार्थ वर्ग आज मानसिक दुविधा में रहने से श्रेष्ठ प्रदर्शन से चूकेंगे। घर मे मन कम ही लगेगा।

मिथुन👫 (का, की, कू, घ, ङ, छ, के, को, हा)
आज आपकी समस्त दिनचर्या अस्त-व्यस्त रहेगी। जिस भी कार्य मे हाथ डालेंगे उसमे असफलता मिलेगी अथवा विलंब होगा। आज लोभ अथवा किसी दुर्व्यसन के कारण सामाजिक क्षेत्र पर मान भंग हो सकता है घर परिवार में भाई बंधुओ से मतांतर के कारण तीखी झड़प होगी। आज आपका पक्ष लेने वाला कोई नही मिलेगा ना ही व्यवसाय में ही किसी का उचित सहयोग मिल सकेगा। महिलाये घरेलू कार्यो से परेशानी अनुभव करेंगी इसके विपरीत मनोरंजन पर अधिक ध्यान देंगी जिससे कुछ हानि भी हो सकती है। बाहर घूमने अथवा किसी समारोह के निमंत्रण में जाने की योजना बनाएंगे परन्तु यहां भी वैर विरोध का सामना करना पड़ेगा।

कर्क🦀 (ही, हू, हे, हो, डा, डी, डू, डे, डो)
आज का दिन भी आपकी कीर्ति में वृद्धि करने वाला रहेगा। दिन के आरंभ में पुराने कार्य निपटाने में व्यस्त रहेंगे शीघ्र ही अन्य अनुबंध मिलने से आर्थिक पक्ष मजबूत होगा। सामाजिक व्यवहारों से भी आज जम कर लाभ उठाएंगे। मध्यान के समय कार्य क्षेत्र पर सुस्ती रहेगी परन्तु संध्या से व्यस्तता बढ़ जाएगी। आज किसी अपरिचित को उधार ना दें निश्चित ही डूबेगा। सरकारी अथवा अन्य महत्त्वपूर्ण कार्य ले देकरआज पूर्ण करने का प्रयास करें लाभदायक रहेगा इसके बाद परिस्तितियो में बदलाव आने से कार्य सफलता में संदेह रहेगा। पारिवारिक वातावरण में आनंद मंगल रहेगा आज मांगलिक कार्यकर्मो में भी व्यस्त रहेंगे इनपर खर्च भी करना पड़ेगा।

सिंह🦁 (मा, मी, मू, मे, मो, टा, टी, टू, टे)
आज के दिन कार्य क्षेत्र एवं गृहस्थ में उठापटक वाली स्थिति रहेगी। व्यवसायी वर्ग भी एक साथ कई काम हाथ मे लेने पर उलझन की स्थिति से गुजरेंगे। मध्यान तक अधिक परिश्रम करना पड़ेगा परन्तु लाभ आशानुकूल नही रहने से निराशा होगी। अधिक कमाने की लालसा अनैतिक प्रवृतियों की ओर खींचेंगी जिसका आरंभ में लाभ मिलेगा परन्तु बाद में हानि दिखती नजर आएगी। नकारात्मक विचार मन पर हावी रहेंगे संध्या के बाद किसी बुजुर्ग के सहयोग से कामचलाऊ स्थिति बन सकेगी धन लाभ होने से कार्य चलते रहेंगे। किसी मांगलिक कार्यक्रम को लेकर अधिक खर्च करना पड़ेगा। महिलाओ का व्यवहार अटपटा रहेगा।

कन्या👩 (टो, पा, पी, पू, ष, ण, ठ, पे, पो)
आज के दिन धन लाभ आपके व्यवहार के ऊपर काफी हद तक निर्भर रहेगा स्वभाव में चंचलता ना आने दे लक्ष्य के प्रति दृढ़ रहें आशा से अधिक लाभ हो सकता है। व्यवसायी वर्ग व्यवसाय में तेजी रहने से उत्साहित रहेंगे व्यस्तता भी अन्य दिनों की अपेक्षा अधिक रहेगी। नए कार्यो का विचार बना कर रखें जल्द ही इस पर काम करना पड़ेगा। कार्य क्षेत्र पर अधीनस्थों के कारण थोड़ी असुविधा बनेगी फिर भी स्थिति संभाल लेंगे। दाम्पत्य जीवन मे खुशिया बढ़ेंगी महिलाये मानसिक रूप से चंचल फिर भी आर्थिक एवं अन्य कारणों से सहयोगी रहेंगी। आकस्मिक यात्रा के योग बन सकते है संभव हो तो टालें वरना उचित लाभ से वंचित रह सकते है।

तुला⚖️ (रा, री, रू, रे, रो, ता, ती, तू, ते)
आज का दिन भी सावधानी से व्यतीत करें। कार्य क्षेत्र पर प्रतिस्पर्धी आपको क्षति पहुचाने के लिए कुछ भी कर सकते है। घर मे भी किसी की चुगली का शिकार बनना पड़ेगा जिससे कुछ समय के लिए माहौल खराब होगा लेकिन शीघ्र ही स्थिति स्पष्ट होने से शांति स्थापित हो जाएगी। आध्यात्म में रुचि रहेगी साथ ही आडम्बर भी रहने से प्राप्ति न्यून रहेगी। आज अपने कार्य छोड़ अन्य की समस्या सुलझाने में स्वयं का नुकसान कर लेंगे जिसकी भरपाई बाद में असंभव ही रहेगी। परिवार अथवा रिश्तेदारी में विवाह अथवा अन्य मांगलिक आयोजन पर खर्च करने पड़ेंगे। महिलाये किसी ना किसी कारण से नाराज रहेंगी।

वृश्चिक🦂 (तो, ना, नी, नू, ने, नो, या, यी, यू)
आज आप प्रातः काल से ही अधूरे कामो को पूर्ण करने में जुट जाएंगे लेकिन फिर भी अपने किये कार्यो से पूरी तरह आश्वस्त नही होंगे अधिके बेहतर करने मनोवृति कार्यो में विलंब करेगी आज आप जैसा भी करेंगे वह अन्य लोगो की अपेक्षा पहले ही बेहतर रहेगा। भ्रम में पड़कर स्वयं का नुकसान कर लेंगे लेकिन फिर भी आज का दिन आर्थिक रूप से हर हाल में संतोषजनक रहेगा पूर्व नियोजित खर्च भी होंगे महिलाये दिखावे के कारण आवश्यकता से अधिक खर्च करेंगी जिससे घरेलू कलह का कारण बन सकती है। संध्या के समय मनोरंजन के अवसर मिलने से मानसिक थकान मिटेगी। आज कुछ ऐसी घटनाएं घटेंगी जिनकी निकट भविष्य में पुनरावृति होगी।

धनु🏹 (ये, यो, भा, भी, भू, ध, फा, ढा, भे)
आज का दिन भी कार्यो में सफलता दिलाने वाला रहेगा फिर भी अतिआवश्यक कार्यो को आज ही पूर्ण करने का प्रयास करें बाद में स्थिति प्रतिकूल बनने वाली है। दिन का आरंभ किसी शुभ समाचार की प्राप्ति से होगा। महिलाये आज पुरुषों की अपेक्षा अधिक शांत रहेंगी घरेलू वातावरण को क्लेश मुक्त रखने में महत्त्वपूर्ण योगदान देंगी। आज आपको पैतृक व्यवसाय से अधिक लाभ होगा लेकिन आर्थिक लाभ में विलंब होने से कुछ समय के लिए परेशानी रहेगी संध्या का समय अधिक व्यस्त रहेगा रिश्तेदारी के व्यवहार निभाने में समय देना पड़ेगा। घर के बड़े लोग आपसे प्रसन्न रहेंगे रात्रि के समय अचानक अशुभ समाचार मिलने से बेचैनी रहेगी।

मकर🐊 (भो, जा, जी, खी, खू, खा, खो, गा, गी)
आपके लिए आज का दिन मिश्रित फलदायी रहेगा। आज आपके लगभग सभी कार्य अंत में जाकर आर्थिक अथवा किसी अन्य कारण से अटक सकते है। आर्थिक मामलों को सुलझाने में किसी की चापलूसी करनी पड़ेगी अन्यथा उलझने ज्यादा बढ़ सकती है। सेहत भी नरम-गरम रहेगी इसकी अनदेखी कर कार्यो में जुटे रहेंगे जिससे बाद में तकलीफ बढ़ने की संभावना है। सभी प्रकार के जमीन अथवा सरकारी कार्य आज निरस्त रखें व्यर्थ भागदौड़ के बाद भी हासिल कुछ नही होगा। व्यर्थ के खर्च अधिक परेशान करेंगे धन कोष में कमी का कारण बनेंगे। घर के सदस्य आपसी विचारो से असहमत रहेंगे। बुजुर्गो के स्वास्थ्य का विशेष ख्याल रखें।

कुंभ🍯 (गू, गे, गो, सा, सी, सू, से, सो, दा)
आज का दिन अधिक थकान वाला रहेगा आप आज आवश्यक कार्यो को प्रातः काल मे ही पूर्ण करने का प्रयास करेंगे लेकिन कुछ कार्य फिर भी अधूरे रह सकते है। दैनिक कार्य आज अस्त-व्यस्त रहेंगे। व्यवसायी लोग थकान एवं उन्माद के कारण बेमन से कार्य करेंगे परन्तु आर्थिक रूप से दिन बेहतर रहेगा। पुराने आश्वासन आज फलीभूत होने से धन आगमन सुनिश्चित होगा। भविष्य की योजनाओं पर खर्च होगा। कार्य क्षेत्र पर सहयोगियों का बर्ताव कुछ समय के लिए क्रोध दिलाएगा। मांगलिक कार्यो पर खर्च अधिक होगा धर्म कर्म के लिए भी समय निकाल लेंगे। घर का वातावरण लगभग सामान्य ही रहेगा। विपरीत लिंगीय के कारण दुख होगा।

मीन🐳 (दी, दू, थ, झ, ञ, दे, दो, चा, ची)
आज का दिन आपको यश दिलाएगा। शारीरिक एवं मानसिक रूप से भी तंदुरुस्त रहेंगे। कार्य व्यवसाय में कई महत्त्वपूर्ण फैसले निकट भविष्य में लाभदायक सिद्ध होंगे। आज एक साथ अधिक कार्य करना पसंद करेंगे इससे व्यवसाय वृद्धि के साथ ही धन लाभ भी उचित मात्रा में हो सकेगा। विरोधी भी मुह ताकते रह जाएंगे। आज प्रेम प्रसंगों में समय बर्बाद ना करे इसकी जगह कार्य क्षेत्र पर समय दें अन्यथा लाभ की स्थिति ज्यादा देर नही टिकेगी। घरेलू एवं व्यक्तिगत सुख के साधनों पर आज अधिक खर्च होगा महिलाये महंगे सौंदर्य प्रसाधन पर खर्च करेंगी। छोटी मोटी बातो को छोड़ परिवार में सुख शांति बनी रहेगी।
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〰〰〰〰〰〰〰〰〰〰〰🙏 राधे राधे🙏

 

 हस्तरेखा ज्योतिष: धनतेरस 2 नवंबर 2021 मंगलवार को है : धनतेरस का अर्थ होता है धन की तेरह गुणा वृद्धि होना.
किस राशि वाले क्या खरीदें धनतेरस के दिन जानें

पं वेद प्रकाश तिवारी ज्योतिष एवं हस्तरेखा विशेषज्ञ
9919242815 निशुल्क परामर्श उपलब्ध

व्यक्ति चाहे व्यापार में हो या नौकरी में या कृषि के क्षेत्र में, हर इंसान अपने धन में वृद्धि करना चाहता है. धनतेरस के दिन खरीद करना बहुत ही शुभ माना जाता है. इस दिन आप छोटी या बड़ी वस्तु खरीदकर अपने लिए भाग्य का दरवाजा खोल सकते हैं. इस बार धनतेरस 2 नवंबर 2021मंगलवार को है.

धनतेरस पर यदि राशि के अनुसार खरीदारी की जाए तो सुख, समृद्धि और धन में तेरह गुणा की वृद्धि होती है. जातक इस बात का ध्यान रखें कि धनतेरस के दिन खरीदारी हमेशा शुभ समय में की जानी चाहिए.

धनतेरस के द‍िन खरीदारी का मुहूर्त

(1) सुबह 07:07 से 09:15बजे तक

(2) दोपहर 01:00 से 02:30 बजे तक

(3) रात 05:35 से 07:30 बजे तक

धनतेरस 2 नवंबर 2021 मंगलवार : जानिये कब है धनतेरस, क्या है पूजन का सबसे शुभ मुहूर्त

मेष राशि : तांबे से बनी वस्तु की खरीदारी शुभ होगा. इसके अलावा भूमि या भवन की खरीद भी इस राशि के जातकों के लिए शुभ माना जाता है.

वृषभ राशि: इस राशि के जातक सबसे पहले शुभ मुहूर्त में चांदी या चावल की खरीदारी करें. इसके बाद चाहे किसी भी चीज की खरीद कर सकते हैं. शुभ होगा.

मिथुन राशि: मिथुन राशि वाले जातक इस दिन सबसे पहले सोने की खरीद करें या कांसा धातु की बनी गणेश जी मूर्ति या हंस के जोड़ा को खरीद सकते हैं. इनकी खरीदारी आपके लिए शुभ होगी.

कर्क राशि: कर्क राशि वाले लोग स्फटिक और चांदी का श्रीयंत्र खरीद सकते हैं. इसके बाद जो भी खरीदें शुभ होगा.

सिंह राशि: इस राशि के जातक धनतेरस के दिन सबसे पहले पीतल से बनी किसी वस्तु की खरीदारी करें और उसके बाद किसी सोने की वस्तु की खरीद करें. ऐसा करने से मां लक्ष्मी की विशेष कृपा बरसेगी.

कन्या राशि: कांसे या हाथी दांत से बनी वस्तु खरीदें. इससे आपके धन में वृद्धि होगी और धन का निवेश करने पर आपको लाभ की प्राप्ति होगी

तुला राशि: चांदी का श्रीयंत्र, आभूषण या सिक्का जरूर खरीदें.

वृश्चिक राशि: इस राशि के जातक तांबा या पंचधातु से बनी वस्तुओं की खरीदारी करें. इसके बाद गेहूं और गुड़ की खरीदारी करें.

धनु राशि: धनु राशि के लोग सबसे पहले इस दिन हल्दी और केसर की खरीदारी करें और इसके बाद चाहें तो सोने की खरीदारी कर सकते हैं.

मकर राशि: इस राशि के जातकों को सबसे पहले अपने घर की सजावट के लिए कोई सामान खरीदना चाहिए. इसके बाद आप अपनी रुचि के अनुसार कुछ भी खरीदारी कर सकते हैं. इससे आपको लाभ प्राप्त होगा.

कुंभ राशि: कुंभ राशि के जातक इस दिन लोहे की वस्तु के साथ नीलम की खरीद करें. भवन, भूमि, वाहन या कोई इलेक्ट्रॉनिक उपकरण भी शुभ होगा.

मीन राशि: मीन राशि के जातक इस दिन सबसे पहले घर की सजावट से संबंधित चीजें खरीदें. उनके लिए शुभ होगा.

बता दें कि धनतेरस के दिन धनिये के बीज की खरीद शुभ मानी जाती है. दिवाली के दिन इस धनिये को मां लक्ष्मी के सामने अर्पित किया जाता है और दिवाली के अगले दिन इसे मिट्टी में बो दिया जाता है. ऐसा कहा जाता है कि धनिया अगर खिली हुई उगती है तो इसका अर्थ होता है कि मां लक्ष्मी उस जातक पर प्रसन्न हैं.

समृद्धि, स्वास्थ्य, साधना का पर्व धन त्रयोदशी

कार्तिक के पूर्वार्द्ध और उत्तरार्द्ध के संधिकाल के पांच दिवस विशेष रूप से ज्ञातव्य हैं, जिनको सामान्यतया दीपोत्सव के रूप में देखा जाता है।
भारतीय सुदीर्घ सांस्कृतिक अवधारणा में कार्तिक मास उपज-निपज के उल्लास और नवीन दृष्टि तथा संसाधनों के शोधन की आलोकन अवधि है। इस मास के पूर्वार्द्ध और उत्तरार्द्ध के संधिकाल के पांच दिवस विशेष रूप से ज्ञातव्य हैं, जिनको सामान्यतया दीपोत्सव के रूप में देखा जाता है। धन त्रयोदशी, रूप चतुर्दशी, दीपावली या यक्षरात्रि (अमावस्या), लगुड़ प्रतिपदा और यम द्वितीया अपने ककहरे में संवत्सर का सात्विक व्याकरण संयोजित किए हुए हैं, क्योंकि ये धरा और उससे प्राप्त धन-धान्य, जन-स्वास्थ्य, सौन्दर्य, कृतिका दर्शन, उजास, द्यूतरंजन के बाद पशुचारण के लिए उपयोगी लगुड़ और लिपि की जनक लेखनी के आराधन की सुदीर्घ परंपरा का पोषण करने वाले पर्वोचित दिवस हैं।

इस श्रृंखला का पहला पर्व धन त्रयोदशी या धनतेरस है, जिसकी लोकसम्मत और शास्त्रीय परम्पराएं क्रमश: समृद्धि और स्वास्थ्य के सोच और साधन से जुड़ी हुई हैं। उत्तर-पश्चिमी भारत की परम्पराएं, जहां कि अरावली जैसी प्राचीनतम पर्वतमालाएं, शिलाओं वाली भूमि, गुहाएं और उन पर प्रवहमान सरिताएं रही हैं, यह सिद्ध करती हैं कि पूर्वकाल में यह दिवस खनिजों की खोज के लिए उपयुक्त माना जाता था। सौभाग्यवती महिलाएं तड़के जागती हैं और स्नानादि कार्यों से निवृत्त हो, भूमि खोदने वाला कोई औजार तथा पूजा का थाल लेकर बस्ती से दूर जाती हैं।
वहीं, वे किसी योग्य स्थान का पूजन, दीपन कर खोदती हैं और उसकी मिट्टी लेकर घर लौट जाती हैं। यही मिट्टी उचित रूप से शोधित की जाती है और फिर उसके पिण्ड बनाकर घर में रखती हैं। जब अधिकांश घर कच्चे थे, वर्षपर्यन्त आवश्यकता के अनुसार उन पिण्डों की मिट्टी से आंगन, यज्ञस्थल आदि की लिपाई करती थीं। यह परम्परा उन स्मृतियों को आत्मसात किए है, जबकि खदानों की खोज की जाती थी। जिस तरह निवास योग्य गुफाओं के आस-पास उगने वाले पौधों के फल-फूल को मौसम के अनुसार देखकर महिलाओं ने खेती की खोज की, उसी तरह वर्षाकाल के बाद खदानों की खोज का श्रेय भी महिलाओं को दिया जा सकता है।

मुहूर्तों के रूप में निर्धारित अधोमुख नक्षत्रों की मान्यताएं सिद्ध करती हैं कि खदानों की खोज मिट्टी और उसमें पाए जाने वाले धातुमय पाषाणों के आधार पर की गई, जिनको महिलाओं की दृष्टि ने पहचानकर किसी स्थान को चिह्नित किया। ऐसे नक्षत्रों में मूल, आश्लेषा, विशाखा, कृतिका, पूर्वा फाल्गुनी, पूर्वाषाढ़ा, पूर्वाभाद्रपद, भरणी और मघा- ये नौ नक्षत्र हैं और ये ही नक्षत्र किसी गर्त में प्रवेश, निधि खनन, परिखा, द्यूतक्रीड़ा आदि कार्यों के लिए उपयुक्त माने गए हैं। जैसा कि गरुड़ पुराण में कहा गया है…

एषु देवतागारखननं निधान खननं तथा। गणितं ज्यौतिषारम्भं खनीबिल प्रवेशनम्। कुर्यादधोगतान्येव कार्याणि वृषभध्वज।।

ये ही विधियां और क्रियाएं कालान्तर में धातुशोधन विषयक ग्रंथों- शुल्बशास्त्र, धातुशास्त्र, रसायन, पाककर्म और मणिराग आदि की विषयवस्तु बनीं, जिनके लिए चाणक्य ने कहा है कि आकराध्यक्ष को इन विषयों में निपुणता प्राप्त करनी चाहिए अथवा इन विधियों के विशेषज्ञों तथा उन वस्तुओं के व्यापारियों के साथ रहकर कीटी, मूषा, राख आदि लक्षणों को जानकर पुरानी खानों की खोज करनी चाहिए- किट्ट मूषांगार भस्मलिंगं वाकरम्।
प्रथमत: नारी दृष्टि से पहचानी गई हल्की, भारी, रंग, गंध, रस वाली मिट्टियों के अनेक नाम और भेदोपभेद अर्थशास्त्र में मिलते हैं। नागार्जुनतन्त्र उस स्मृति को संजोए हुए है, जब लोग निपुण नारी के केशों की यज्ञोपवीत को धारण कर खदान और निधिस्थलों को खोजने के लिए शबर का वेश धारण करते थेशाबरं धारयेद् रूपं मन्त्री सर्वार्थसिद्धये। गुणिनी या मृतानारी तत्केशैरुपवीतकम्। इत्येवं रूपधृग्वीर: पूजां कुर्यात् निधिस्थले।। ( सिद्धनागार्जुनतंत्र 24, 2-3)

इस तरह खानों की खोज से ही कोश की उन्न्ति, शक्तिशाली सेना का निर्माण तथा पृथ्वी की प्राप्ति की मान्यता का विकास हुआ…
आकर प्रभव: कोष: कोषाद्दण्ड: प्रजायते। पृथिवी कोषदण्डाभ्यां प्राप्यते कोषभूषणा।। (अर्थशास्त्र 2, 12, 3)

लोकांचल में धन त्रयोदशी पर धन-धातु के व्यवहार के मूल में यही पुरातन मान्यता आज नवीन रूप में अपना महत्व बनाए हुए है। तब नारी ही खदान पर अग्नि लेकर पहुंचती थी और प्रद्रावण आदि विधियों से धातु को पाया जाता था। वह धीरे-धीरे दीपदान के रूप में स्मरण रह गया- तां म आ वह जातवेदो लक्ष्मीमनपगामिनीम्।
इस दिन दीपोत्सव का प्रथम दीप भोर वेला में पृथ्वी के नाम पर जलाया जाता है क्योंकि पृथ्वी ही समस्त वैभव की आधार है। वही लक्ष्मी की सबसे बड़ी पीठिका है- प्रादुर्भूतोस्मि राष्ट्रेस्मिन् कीर्तिमृद्धि ददातु मे।

इसी दिन को ‘धन्वन्तरि आविर्भाव दिवस” के रूप में जाना जाता है, जो आयुर्वेद के आद्य प्रवर्तक और आरोग्य के देवता हैं। हालांकि, आयुष्य के देव अश्विनी कुमार भी माने गए हैं और त्रयोदशी को विश्वे, काम और मदन के नाम से भी जाना जाता है, जैसी कि अग्निपुराण की मान्यता है। ऋग्वेद में श्यावऋषि के शरीर के शत्रुओं द्वारा तीन टुकड़े कर देने और अश्विनी कुमार द्वारा जोड़कर पुनर्जीवित करने का वर्णन आया है।

आयुर्वेद निदान, परीक्षण और उपचार योग्य विधियों के साथ कुल आठ अंगों वाला है- काय चिकित्सा, बालचिकित्सा, ग्रह चिकित्सा, ऊर्ध्वांग चिकित्सा, शल्य चिकित्सा, दंष्ट चिकित्सा, जरा चिकित्सा और वृष चिकित्सा। सुश्रुतसंहिता, काश्यपसंहिता, चरकसंहिता, अष्टांगहृदय आदि आयुर्वेद के मुख्य ग्रन्थ हैं, जिनमें भैषजकर्म, भिषग्वर आदि की योग्यताओं का विशद् वर्णन मिलता है। आयुर्वेद की इस मान्यता के मूल में इस दिन अरण्योत्पादित औषधि दर्शन की पुरातन परम्परा रही होगी, जिसका दिग्दर्शन ऋग्वेद में रोग निवारक सूक्त के रूप में प्रथमत: मिलता हैआ वात वाहि भेषजं वि वात वाहि यद्रप:। त्वं हि विश्वभेषज देवानां दूत ईयसे।।

इसमें वायु से कहा गया है कि ‘तुम औषधि यहां ले आओ, जो दोष है, उसको दूर करो; संपूर्ण औषधियों को साथ रखने वाले वायु निश्चित ही तुम देवताओं के दूत की तरह चलते हो।” यह मान्यता इस मास में शीतल और सुखदायी वायु के संचरण की ओर भी संकेत है। कहना न होगा कि धन त्रयोदशी के महत्वपूर्ण पर्व होने के मूल में हमारे सुदीर्घ अनुभवों और विश्वासों की वह बुनियाद है, जिसे हमने ऋषि निर्देश के रूप में जाना है और उसको परम्परा के रूप में अंगीकार किया है- इह खल्वायुर्वेदं नामोपांगमथर्ववेदस्यानुत्पाद्यैव प्रजा:।

पृथ्‍वी पूजन का पर्व धनतेरस

धनतेरस पर्व लोक की पुरानी मान्‍यताओं में धरती के पूजन और मृतिका संग्रहण, संरक्षण का पर्व रहा है। भूदेवी के प्रति सम्‍मान की परंपरा बहुत पुरानी है। वेदों में भी भूमिसूक्‍त आया है और पृथिवी से नाना प्रकार की अपेक्षाएं की गई हैं। भूमि भाग्‍य प्रदायक होती है, इसीलिए हम सब ही इसका समादर करते हैं, यह भूमि हमें उत्‍तमोत्‍तम धान्‍य प्रदान करती रहे : सीते वन्‍दामहे त्‍वार्वाची सुभगे भव। यथा न: सुमना असो यथा न: सुफला भुव:।। (अथर्ववेद 3, 17, 8 )

वैदिक मान्‍यताओं में लोकमान्‍यताओं के महत्‍व का यह अद्भुत समावेश है और लोक में हजारों साल पुरानी मान्‍यताओं का व‍ह उजास आज भी बना हुआ है। वैदिक प्रार्थना में आया है कि हे पृथिवी तुम्‍हारा जो मध्‍यस्‍थान तथा सुगुप्‍त नाभिस्‍थान एवं तुम्‍हारे शरीर संबंधी जो पोषक अन्‍नादि रस पदार्थ हैं, उनमें हमें धारण करो और हमें शुद्ध करो – यत्‍ते मध्‍यं पृथिवि रोहिणीं विश्‍वरूपां ध्रुवां भूमिं पृथिवीमिन्‍द्रगुप्‍ताम्। अजीतोSहतो अक्षतोSध्‍यष्‍ठां पृथिवीमहम्।। (अथर्ववेद 12, 1, 12)
पृथ्‍वी की मिट्टी को संगृहीत करते समय यह मंत्र पाठ करने की मान्‍यता है – अश्‍वक्रांते रथक्रांते विष्‍णुक्रांते वसुन्‍धरे। मृत्तिके हर मे पापं यन्‍मया दुष्‍कृतं कृतम्।। (पद्मपुराण, सृष्टिखण्‍ड अ. 46)

ब्रह्मवैवर्तपुराण में विष्‍णुप्रोक्‍त पृथ्‍वीस्‍तोत्र में कहा है कि तुम मंगल आधार हो, मंगल के सर्वथा योग्‍य हो, मंगलदायिनी हो, सब मंगलमय पदार्थ तुम्‍हारा ही स्‍वरूप है, हे मंगलेश्‍वरी मुझे मंगल प्रदान करो – मंगले मंगलाधारे मंगल्‍ये मंगलप्रदे। मंगलार्थे मंगलेशे मंगलं देहि मे भवे।। (ब्रह्मवैवर्त., प्रकृतिखंड)

गांवों में महिलाएं मुंह अंधेरे उठकर पवित्र होकर थाल सजाती है। दीप जलाती है, जल का पात्र, खुरपी या कुदाल लिए घर से निकलती है और पीली मिट्टी वाली भूमि की पूजा करके उसका किंचित अंश अपने घर लेकर आती है। उसको घर के देव आलय में रखती हैं और इस तरह रत्‍नगर्भा, धन-धान्‍य देने वाली भूमि को सम्‍मान देती हैं। हाथ पर जो रक्षा सूत्र राखी के दिन बंधा होता है, उसको इसी संध्‍या को खोलकर दीपक की बाती बनाती हैं और उससे दीप जलाकर पशु स्‍थान में गाय-बैल आदि को दिखाती है, इसके पीछे भाव ये है कि वे स्‍वस्‍थ रहे और हल-लांगल आदि को हांकने में सहयोगी बने रहें – शुनं वाहा: शुनं नर: शुनं कृषतु लांगलम्। शुनं वरत्रा बध्‍यन्‍तां शुनमष्‍ट्रामुदिंगय।। (अथर्ववेद 3, 17, 6)

इसी कारण दीपोत्‍सव के दूसरे दिन बैलों का शृंगार करके उनको पूजन, दौडाने की परंपरा भी रही है। यह प्राचीन मान्‍यताओं का लौकिक रूप है, जिसे खेंखरा भी कहा जाता है। पराशर के कृषिशास्‍त्र में इस प्रकार की मान्‍यताओं का जीवंत चित्रण मिलता है।

अथ अपामार्ग आख्यान

अपामार्ग नाम आंधी झाड़ा है, यह कम ही ग्रामीण जानते हैं लेकिन, ये जरूर जानते हैं कि इंद्र के वज्र जैसे कांटों वाले झाड़ जब फलते हैं तो झाड़ा होता है। अनेक शाक हरी होकर स्वाद और रस को रचती है। जिन खेतों में यह कांटा झाड़ फलता है, वहां का उत्पाद शीघ्र उतरकर बिकने जाता है।
सब्जी उत्पादन करने वाली स्त्री अपनी शाक की टोकरी में सबसे नीचे कौन सी वनस्पति रखती है? रहीम होते तो ‘बरवे नायिका’ बांच देते और कवि केशव होते तो शाक प्रिया ही लिख देते। मित्र अत्रि विक्रमार्क अन्तर्वेदी जी बता रहे हैं कि क्यों कार्तिक से इसका संयोग है! वे धन तेरस से बात कहते हैं कि यह तिथि स्वास्थ्य रक्षण की दृष्टि से अत्यन्त महत्त्वपूर्ण मानी गई है। वनस्पति जिसे अपामार्ग , चिरचिटा, लटजीरा, चिचड़ी आदि नामों से जानते हैं, इसका प्रयोग करने हेतु निर्देश प्राप्त होता है। धनतेरस के दिन इसे विधिपूर्वक प्राप्त करना चाहिये। वैद्यकशास्त्र के अनुसार इसका प्रयोग करना चाहिए।
अपामार्गं बुधाय –
बुध हेतु अपामार्ग की समिधा लेनी चाहिए। श्वेत अपामार्ग का ही उपयोग करना चाहिए :
अथापामार्गत्रयोदश्यां श्वेते मुहूर्ते स्नानं
कृत्वापामार्गं त्रिः परिभ्रामयेद्राज्ञ उपरि मन्त्रेण ॥
ईशानां त्वा भेषजानामिति त्रिभिः सूक्तैः
प्रतीचीनफल इति सूक्तेन वा पुनः स्नानम् ॥
{पैप्पलादसंहिता के मन्त्र}
तत आरात्रिकं परिधत्तेति द्वाभ्यामिति समानम् ॥
{शिव के लिए ईशान में , यम के लिए दक्षिण में दीप प्रज्ज्वलित करना , आरती करना}
आगे के दिवसों में –
अथ दीपोत्सवं प्रतिपदि हस्त्यश्वादिक्दीक्षासमानम् ॥
हाँ एक और विशेष बात है-
कार्त्तिक्यां बहुलस्य त्रयोदशीम् विद्यात्तु स्वातिसंपातम् ॥
पुराकाल में कार्त्तिकमास की त्रयोदशी तिथि में अपांनपात् स्वाति नक्षत्र में संपात होता था। अपामार्ग अर्थात् जलमार्ग, दक्षिणगोल अथवा दक्षिणायन में से किसकी बात है यह आप विचार लें :
प्र॒ती॒चीन॑फलो॒ हि त्वमपा॑मार्ग रु॒रोहि॑थ ।
सर्वा॒न् मच्छ॒पथाँ अधि॒ वरी॑यो यावया इ॒तः ॥१॥
यद् दु॑ष्कृ॒तं यच्छम॑लं॒ यद् वा चेरि॒म पा॒पया॑ ।
त्वया॒ तद् वि॑श्वतोमु॒खापा॑मा॒र्गाप॑ मृज्महे ॥२॥
श्या॒वद॑ता कुन॒खिना॑ ब॒ण्डेन॒ यत् स॒हासि॒म।
अपा॑मार्ग॒ त्वया॑ व॒यं सर्वं॒ तदप॑ मृज्महे ॥३॥
अपामार्गे धृतिर्मेधा. प्रज्ञा शक्तिर्वपुश्शुचिः ।
(वैखानसगृह्यसूत्र)
मध्यकालीन ओषधि कोश में बुद्धि, बल के लिए कहा गया है : अपामार्गे धृतिर्मेधा प्रज्ञाशक्तिस्तथासने। (भाव प्रकाशः १.५.३२)
अपामार्ग के इतने सन्दर्भ मिलना बहुत रोचक है। इन दिनों मैंने इससे जुड़ी अनेक लोक मान्यताओं का
अध्ययन किया है। कार्तिक में ही यह विशेष रूप से
पकती है और दृढ़ होती है। इसके बाद शाक के पकने के अच्छे दिन आ जाते हैं और यह आंधीझाड़ा उनके लिए अच्छे संकेत करता है। लोक अंचल में आज भी जादू की तरह उपयोगी है।
अथर्ववेद में अपामार्ग सूक्त प्राप्त होते है (कांड-४ सूक्त-१७-१८-१९) यानि उस काल की स्मृतियां लोक में है अथवा लोक के प्रयोग वैदिक ऋषियों को भी ज्ञात थे।
✍🏻डॉ श्रीकृष्ण जुगनू जी के लेखों से संग्रहित

अन्त में मेरा वही निवेदन जो गत कई दिनों के पोस्ट पर लगातार है, वही एक बार फिर से –

अभी त्यौहार शुरू हैं।
पूरे वर्ष का एक तिहाई व्यय इन उत्सवों में होने वाला है। शोरूम और कॉरपोरेट को छोड़कर, जहाँ तक सम्भव हो अपनी जड़ों को खोजिए।
एक परिवार पर आश्रित सात शिल्प हुआ करते थे, ढूंढिए कि आज वे किस स्थिति में है?
और वर्षपर्यन्त तक, किसी को कोई रियायत नहीं। इन लफंगों को तो बाद में भी नहीं।
विचार कीजिए! हमारा स्वयं का इकोसिस्टम विकसित करने में योगदान दीजिये।

बस इतना करने का प्रयास कीजिए, शेष का मार्ग स्वयं स्पष्ट हो जाएगा –
कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन ।
मा कर्मफलहेतुर्भुर्मा ते संगोऽस्त्वकर्मणि ॥
अर्थ: तेरा कर्म करने में ही अधिकार है, उसके फलों में कभी नहीं। इसलिए तू कर्मों के फल हेतु मत हो तथा तेरी कर्म न करने में भी आसक्ति न हो.

धनतेरस 2 नवंबर 2021 मंगलवार को है : धनतेरस का अर्थ होता है धन की तेरह गुणा वृद्धि होना.
किस राशि वाले क्या खरीदें धनतेरस के दिन जानें

पं वेद प्रकाश तिवारी ज्योतिष एवं हस्तरेखा विशेषज्ञ
9919242815 निशुल्क परामर्श उपलब्ध

व्यक्ति चाहे व्यापार में हो या नौकरी में या कृषि के क्षेत्र में, हर इंसान अपने धन में वृद्धि करना चाहता है. धनतेरस के दिन खरीद करना बहुत ही शुभ माना जाता है. इस दिन आप छोटी या बड़ी वस्तु खरीदकर अपने लिए भाग्य का दरवाजा खोल सकते हैं. इस बार धनतेरस 2 नवंबर 2021मंगलवार को है.

धनतेरस पर यदि राशि के अनुसार खरीदारी की जाए तो सुख, समृद्धि और धन में तेरह गुणा की वृद्धि होती है. जातक इस बात का ध्यान रखें कि धनतेरस के दिन खरीदारी हमेशा शुभ समय में की जानी चाहिए.

धनतेरस के द‍िन खरीदारी का मुहूर्त

(1) सुबह 07:07 से 09:15बजे तक

(2) दोपहर 01:00 से 02:30 बजे तक

(3) रात 05:35 से 07:30 बजे तक

धनतेरस 2 नवंबर 2021 मंगलवार : जानिये कब है धनतेरस, क्या है पूजन का सबसे शुभ मुहूर्त

मेष राशि : तांबे से बनी वस्तु की खरीदारी शुभ होगा. इसके अलावा भूमि या भवन की खरीद भी इस राशि के जातकों के लिए शुभ माना जाता है.

वृषभ राशि: इस राशि के जातक सबसे पहले शुभ मुहूर्त में चांदी या चावल की खरीदारी करें. इसके बाद चाहे किसी भी चीज की खरीद कर सकते हैं. शुभ होगा.

मिथुन राशि: मिथुन राशि वाले जातक इस दिन सबसे पहले सोने की खरीद करें या कांसा धातु की बनी गणेश जी मूर्ति या हंस के जोड़ा को खरीद सकते हैं. इनकी खरीदारी आपके लिए शुभ होगी.

कर्क राशि: कर्क राशि वाले लोग स्फटिक और चांदी का श्रीयंत्र खरीद सकते हैं. इसके बाद जो भी खरीदें शुभ होगा.

सिंह राशि: इस राशि के जातक धनतेरस के दिन सबसे पहले पीतल से बनी किसी वस्तु की खरीदारी करें और उसके बाद किसी सोने की वस्तु की खरीद करें. ऐसा करने से मां लक्ष्मी की विशेष कृपा बरसेगी.

कन्या राशि: कांसे या हाथी दांत से बनी वस्तु खरीदें. इससे आपके धन में वृद्धि होगी और धन का निवेश करने पर आपको लाभ की प्राप्ति होगी

तुला राशि: चांदी का श्रीयंत्र, आभूषण या सिक्का जरूर खरीदें.

वृश्चिक राशि: इस राशि के जातक तांबा या पंचधातु से बनी वस्तुओं की खरीदारी करें. इसके बाद गेहूं और गुड़ की खरीदारी करें.

धनु राशि: धनु राशि के लोग सबसे पहले इस दिन हल्दी और केसर की खरीदारी करें और इसके बाद चाहें तो सोने की खरीदारी कर सकते हैं.

मकर राशि: इस राशि के जातकों को सबसे पहले अपने घर की सजावट के लिए कोई सामान खरीदना चाहिए. इसके बाद आप अपनी रुचि के अनुसार कुछ भी खरीदारी कर सकते हैं. इससे आपको लाभ प्राप्त होगा.

कुंभ राशि: कुंभ राशि के जातक इस दिन लोहे की वस्तु के साथ नीलम की खरीद करें. भवन, भूमि, वाहन या कोई इलेक्ट्रॉनिक उपकरण भी शुभ होगा.

मीन राशि: मीन राशि के जातक इस दिन सबसे पहले घर की सजावट से संबंधित चीजें खरीदें. उनके लिए शुभ होगा.

बता दें कि धनतेरस के दिन धनिये के बीज की खरीद शुभ मानी जाती है. दिवाली के दिन इस धनिये को मां लक्ष्मी के सामने अर्पित किया जाता है और दिवाली के अगले दिन इसे मिट्टी में बो दिया जाता है. ऐसा कहा जाता है कि धनिया अगर खिली हुई उगती है तो इसका अर्थ होता है कि मां लक्ष्मी उस जातक पर प्रसन्न हैं.