पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत का त्रियुगीनारायण मंदिर में दिव्य स्वागत चारधाम देवस्थानम बोर्ड उत्तराखंड की परम्पराओं व सांस्कृतिक अक्षुण्णता और धार्मिक पर्यटन को बढ़ावा देने हेतु महत्वपूर्ण उपलब्धि

पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत सोनप्रयाग के निकट प्राचीन त्रिजुगीनारायण मंदिर पहुंचे। जहां ग्रामीणों ने उनका जोरदार स्वागत किया। मंदिर के निकट ही गांव है जिसमें 250 के लगभग ग्रामीण लोग रहते हैं। देवस्थानम बोर्ड में त्रिजुगीनारायण मंदिर को सम्मिलित किये जाने से मंदिर के समस्त पुजारी एवं उनके परिजनों ने बहुत ही प्रसन्नता जाहिर की। उन्होंने पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत का त्रियुगीनारायण मंदिर में भव्य स्वागत किया तथा चारधाम देवस्थानम बोर्ड उत्तराखंड की परम्पराओं व सांस्कृतिक अक्षुण्णता और धार्मिक पर्यटन को बढ़ावा देने हेतु महत्वपूर्ण उपलब्धि बताया। 

पूर्व सीएम त्रिवेन्द्र ने कहा कि देवस्थानम बोर्ड अब तक का सबसे बड़ा सुधारात्मक कदम। आज भले ही राजनीति से प्रेरित कुछ लोग जानबूझकर इसका विरोध कर रहे हो लेकिन आने वाले 10 साल बाद सभी को इसकी अहमियत पता लगेगी, और यही लोग आगे आकर इसका समर्थन करेंगे, इसकी तारीफ करेंगे। उन्होंने कहा कि सरकार का काम अपने अतिथियों को सुविधाएं देना होता है। अतिथि देवो भव: को सर्वोपरि मानते हुए ही देवस्थानम की नींव रखी गई। ताकि यहां से जाने के बाद यात्री यहां की व्यवस्थाओं का गुणगान हर जगह करें और देवभूमि में तीर्थ यात्रियों का आना जाना लगा रहे इसी उद्देश्य को लेकर की इसका गठन किया गया।

आपको बता दें कि सोनप्रयाग के निकट ही प्राचीन त्रिजुगीनारायण मंदिर में शिव-पार्वती का विवाह संपन्न हुआ था। प्राचीन काल से ही यहां अखंड धुनी जलती रहती है। इसका शिल्प भी श्रीकेदारनाथ जी की ही तरह कत्यूरी शैली का है। मंदिर के निकट ही गांव है जिसमें 250 के लगभग ग्रामीण लोग रहते हैं।

ग्राम प्रधान प्रियंका तिवारी, सामाजिक कार्यकर्ता आशीष गैरोला आदि ने पुष्पमालाएं पहनाईं। मार्ग से गुजरते समय लगभग 200 पुरुष, महिला, बच्चों ने मिलकर पुष्प वर्षा की। मंदिर परिसर में मुख्य पुजारी सूरज मोहन सेमवाल एवं अन्य पुजारियों ने पूर्व सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत को पुष्पमाला पहनाई। पुजारी ने पूरे विधि विधान के साथ पूजा अर्चना कराई। मंदिर समिति एवं ग्रामीणों का कहना था कि देवस्थानम बोर्ड में जुड़ने से मंदिर में तीर्थयात्रियों की संख्या बहुत बढ़ेगी। इससे पूरे गाँव की आय बढ़ेगी।

मंदिर एवं गांव में अनेक आधारभूत सुविधाएं उपलब्ध होंगी जिससे यात्रियों को भी लाभ होगा।