राम को जानना ही सार्थक जीवन का उद्देश्य

 

हरीश मैखुरी

‘तुलसी की रामायण’ और ‘बाल्मीकि रामायण’ में क्या अन्तर है ? उत्तर कुछ ऐसा हो सकता है – – दोनों में संस्कृति और सभ्यता का अन्तर के कारण से ये प्रश्न उठा है। बाल्मीकि रामायण शुद्ध रामायण है जो राम के जन्म से पहले ही संस्कृत में लिखी गई थी और तुलसी कृत रामायण सिद्ध रामायण है जो राम के जन्म के 26 लाख साल बाद 16 वीं सदी में अवधी लोकभाषा में लिखी गई है। दोनों रामायणों में तिल भर का भी अन्तर नहीं है, क्योंकि दोनों को जनाने वाला एक ही है राम। तुलसी जी खुद लिखते हैं ‘जानहिं तेहि जेहि जनावा’।

भाव और श्रद्धा पैदा करिये तो आप भी राम को जान जाएंगे। जान जाओगे तो मान जाओगे। अब प्रश्न खुद से करिये राम को जानना है कि मानना है। हर बाला देवी की प्रतिमा और बच्चा-बच्चा राम है। जब भी हमारे हाथ सहायता के लिए उठते हैं तो हम राम बन जाते हैं और जब हमारे हाथ किसी पर उठते हैं तो हम ही रावण होते हैं। … कण कण और क्षण क्षण में राम हैँ आंख तो खुले।