*भगवान शिव का वो मौन रहस्य जो आज तक कोई समझ नहीं पाया – सनातन ज्ञान जो आपके जीवन को बदल सकता है! भाग – 1*क्या आपने कभी सोचा है —
भगवान शिव वास्तव में कौन हैं?
हमने उन्हें शिवलिंग के रूप में देखा,
कथा में सुना,व्रत-पूजा में पूजा,
लेकिन क्या कभी उनके मौन स्वरूप को समझा है?
यह लेख उसी मौन शिव का है, जो आपके भीतर छिपे हैं।
जो न तो शोर करते हैं,न ही प्रचार,
लेकिन जब आप पूरी तरह टूट जाते हैं…
वो चुपचाप आकर आपका सिर सहलाते हैं।
*1. शिव – केवल परब्रह्म परमात्मा या भगवान ही नहीं, एक ‘अनुभव’ हैं-*
जब पूरी दुनिया आपको अकेला छोड़ देती है —
जब अपने भी पराए बन जाते हैं, और जीवन की राह एक अंधेरी सुरंग-सी लगती है,
तब एक मौन आपकी आत्मा से बात करता है।
कोई शब्द नहीं, कोई आवाज़ नहीं — फिर भी एक सुकून भरा संदेश भीतर गूंजता है:“मैं हूँ ना…”
वही मौन, वही अपनापन, वही निश्चल करुणा — “शिव” हैं।
भगवान शिव को समझने के लिए ना तो आपको किसी मंदिर में जाना पड़ता है,
ना किसी विशेष व्रत-उपवास की आवश्यकता है।
शिव एक प्रतिमा नहीं, बल्कि एक चेतना हैं —
एक ऐसी ‘जीवंत अनुभूति’, जो तब प्रकट होती है जब हम अपने भीतर उतरते हैं।
वो अनुभव तब होता है जब आप अकेले बैठे रो रहे होते हैं,
और कोई हाथ आपके कंधे पर नहीं होता,
पर फिर भी लगता है कोई है जो आपके दर्द को शब्दों के बिना भी समझ रहा है। शिव वही हैं,
जो आपके हर टूटे टुकड़े को बिना भेदभाव स्वीकार करते हैं।
जो आपके अधूरेपन को पूर्णता में बदलने की शक्ति देते हैं।
वे कोई “बाहरी ईश्वर” नहीं – वे आपके भीतर हैं।
आपके हर सांस में, हर धड़कन में।
आपकी हर मौन में, और हर आंसू के पीछे छिपी पुकार में।
शिव को पूजा नहीं जाता, शिव को ‘जीया’ जाता है।
वे कोई पूजा-पाठ का बंधन नहीं, बल्कि अहसास की स्वतंत्रता हैं।
जब आप कहते हैं:
“मैं टूटा हुआ हूँ…तब “शिव कहते हैं:
“मैं तुम्हारे हर टुकड़े में समाया हूँ…”
*2. शिव का सबसे बड़ा रहस्य – ‘मौन में ब्रह्म उपस्थिति’*
सभी धर्म ग्रंथों में भगवान को पुकारने के लिए मंत्र बताए गए, भक्ति के गीत बताए गए, श्लोकों की ध्वनि से ईश्वर को जगाने की परंपरा रही है। परंतु भगवान शिव… वे इन सबसे अलग हैं। वे किसी मंत्र के बंधन में नहीं बंधते। वे नाद से परे हैं, और उसी मौन में वास करते हैं जहाँ शब्द समाप्त हो जाते हैं। मौन ही उनका मंत्र है।
जब आपकी आँखों से आँसू बहते हैं, लेकिन होंठ खामोश रहते हैं… जब मन चीखता है लेकिन दुनिया कुछ नहीं सुनती… उस क्षण जब आप टूट कर खुद में समा जाते हैं, वहीं पर शिव प्रकट होते हैं – बिना आवाज़ के, बिना आहट के। वे आपके मौन को सुनते हैं, आपकी धड़कनों में छिपे दुःख को समझते हैं, और बिना बोले ही कह देते हैं – “वत्स, मैं यहीं हूँ। तू अकेला नहीं है।” यही शिव का सबसे बड़ा रहस्य है – वे शब्दों से अधिक आपके मौन में प्रकट होते हैं। भगवान शिव इतने भोले क्यों हैं कि संसार को गरल से बचाने के लिए समुद्र मंथन से निकले विष को स्वयं पी जाते हैं।
*3. क्यों यह रहस्य अब तक छिपा रहा?*
क्योंकि हमने शिव को सिर्फ महाकाल, तांडवकर्ता के रूप में ही दिखाया। हमने उन्हें केवल रुद्र रूप में जाना, जहाँ वे प्रलयकारी हैं, और मृत्यु की सीमा पार कर जाते हैं। लेकिन बहुत कम लोग जानते हैं कि भोले शंकर बहुत भोले हैं वे संसार रक्षा के लिए समस्त ज्वलनशील विष को अपने कंठ में धारण कर लेते इसीलिए नीलकंठ कहलाते हैं शिव आत्मिक पुनर्जन्म का भी प्रतीक हैं। उनके ‘सखा’, ‘सहारा’, और ‘मौन गुरु’ के रूप को आज भी बहुत कम लोग समझ पाए हैं। वे वो हैं जो तब भी हमारे साथ रहते हैं जब पूरा संसार हमें छोड़ चुका होता है। जब कोई नहीं सुनता, तब वे मौन में हमारी हर पुकार को सुनते हैं। वे शब्दों में नहीं, संवेदना में उतरते हैं। यही सबसे बड़ा सनातन रहस्य है – कि शिव को बोलना नहीं पड़ता, वे मौन में ही हमारा सबसे बड़ा संवाद बन जाते हैं। उनका मौन ही मंत्र है, उनका मौन ही उत्तर है, और उनका मौन ही वह शक्ति है जो हमें टूटने से बचाती है।
*4. जब शिव आपको छूते हैं – एक आत्मा की पुकार*
जब आप थक जाते हैं,
और दुनिया से कट जाते हैं,
जब रिश्तों की भीड़ में खुद को अकेला पाते हैं,
तो एक गहरा मौन आपके भीतर उतरने लगता है।
शब्द खो जाते हैं,
भावनाएं सिसकियों में ढलने लगती हैं,
और अचानक… एक अजीब-सी कंपन पूरे शरीर में दौड़ती है।
आपकी आंखें नम हो जाती हैं,
दिल किसी अनकहे दर्द से भारी हो जाता है,
और मन में एक ही सवाल गूंजता है — “क्या कोई मुझे सुन रहा है?”
तभी… एक अलौकिक स्पर्श महसूस होता है।
कोई बिना कहे आपके भीतर उतर आता है,
आपको थामता है…
आपको वो सुनता है जो आपने कभी कहा ही नहीं था।
वो कोई और नहीं,
वो स्वयं भगवान शिव हैं — मौन में प्रकट होते हुए, आत्मा की पुकार पर उत्तर देते हुए।
आप समझ जाते हैं…
जब दुनिया चुप हो जाती है, तब शिव बोलते हैं।
और जब आप रोते हैं, तब शिव आपको छूते हैं।
*5. भगवान शिव आपको क्या संदेश देना चाहते हैं?*
“तू बहुत रो लिया वत्स,
अब आ मेरे पास।
कुछ मत कह, बस मौन हो जा —
मैं सब जानता हूँ।
अब मैं तुझे पकड़कर फिर से खड़ा करूंगा…”
ये शब्द किसी किताब में नहीं लिखे,
न ही किसी वेद, पुराण या ग्रंथ के पन्नों पर छपे हैं।
ये वो मौन वाणी है जो आपके टूटे हुए दिल में हर रात गूंजती है,
जब दुनिया सारी दुनिया आपको देखकर अपना मुहँ फेर लेती है और आप अकेले अपने आंसुओं में डूब जाते हैं।
ये वही शब्द हैं जो भगवान शिव हर उस आत्मा से कहते हैं
जो टूट चुकि होता है, हार मान चुका होता है,
लेकिन कहीं ना कहीं अब भी चाहता है कि कोई उसे थाम ले।
ये वाणी उस शिव की है जो त्रिनेत्र तो रखते हैं,
पर सबसे पहले हृदय की आंखों से देख लेते हैं कि आपने कितना सहा है।
आपकी चीखें चाहे दुनिया ना सुने,
लेकिन शिव उन शांत सिसकियों को भी सुनते हैं
जो आप किसी से नहीं कह पाते।
वो कहते हैं —
“वत्स, अब बस… अब मैं तुझे संभालूंगा।
तेरी सारी थकान, सारा दुःख,
अब मेरे पास रख दे —
अब तू मेरा है, और मैं तेरा…”
यही है शिव का मौन संदेश —
जो पुस्तकों में नहीं,
आपके हृदय के सबसे गहरे स्वर में लिखा हुआ है।
*निष्कर्ष:*
इस लेख को केवल पढ़िए मत — इससे जीना सीखें।
शिव वही हैं, जो बिना बोले आपका सबसे बड़ा सहारा बनते हैं।
जब कोई नहीं होता, वो होते हैं।
जब आप हँसते हैं, वो मुस्कराते हैं।
जब आप रोते हैं, वो भीग जाते हैं।
और जब आप टूटते हैं,
वो खुद को समेटकर आपको जोड़ देते हैं।
जब संसार आपके भीतर के दर्द को नहीं समझता, तब शिव आपकी आत्मा की हर थरथराहट को महसूस करते हैं। वो केवल देवों के देव ही नहीं, आपके भीतर छुपे उस मौन को भी जानने वाले हैं, जिसे आप शब्दों में नहीं कह पाते। जब आप खुद से दूर हो जाते हैं, शिव तब भी आपसे जुड़े रहते हैं — आपकी हर साँस, हर आह, हर मौन पुकार में। वो आपको धैर्य देते हैं जब रास्ता धुंधला होता है, शक्ति देते हैं जब मन बिखरने लगे, और प्रेम देते हैं जब दिल अकेला पड़ जाए। शिव का साथ कोई चमत्कार नहीं, एक अनुभव है — और अगर आपने उस अनुभव को अपने भीतर एक बार भी जिया है,
तो आप जान चुके हैं कि परमात्मा सदा आपके साथ हैं, बस मौन में, सहज में, और आपके हर टूटे पल में। इसे अपने जीवन में आत्मसात कीजिए।*
शिव केवल मौन ही नहीं, ध्यान भी हैं। वो ध्यान जो शरीर को पार कर आत्मा तक पहुँचता है।
वो मौन मंत्र, जो बिना बोले सब कुछ कह देता है।
*हर हर महादेव! जय श्रीकृष्ण! जय सनातन धर्म!*
*अर्जुन ने भी कृष्ण से यही प्रश्न पूछा था*
कि आपका यह कहना है कि हर वस्तु एक ही ऊर्जा से बनी है और हर एक चीज दैवीय है, अगर वही देवत्व दुर्योधन में भी है, तो वह ऐसे काम क्यों कर रहा है? कृष्ण ने जवाब दिया, ‘ईश्वर निर्गुण है,दिव्यता निर्गुण है। उसका अपना कोई गुण नहीं है।’ इसका अर्थ है कि वह बस विशुद्ध ऊर्जा है। आप उससे कुछ भी बना सकते हैं। जो बाघ आपको खाने आता है, उसमें भी वही ऊर्जा है और कोई देवता, जो आकर आपको बचा सकता है, उसमें भी वही ऊर्जा है। बस वे अलग-अलग रूप से काम कर रहे हैं।
*कब किया जाता था उपयोग*
विशेषज्ञ मानते हैं पुतले से किसी इंसान को क्षति पहुंचाना इस जादू का उद्देश्य नहीं है। इस जादू के लिए काला जादू शब्द भी गलत है, तंत्र विज्ञान की एक विधा है। जिसे भगवान शिव ने अपने भक्तों को दिया था। पुराने समय में इस तरह का पुतला बनाकर उस पर प्रयोग सिर्फ कहीं दूर बैठे रोगी के उपचार व परेशानियां दूर करने के लिए किया जाता था। उस पुतले पर रोगी का बाल बांधकर विशेष मंत्रों से उसके नाम के साथ जागृत किया जाता था। उसके बाद रोगी के जिस भी अंग में समस्या होती थी। पुतले के उसी अंग पर सुई को गड़ाकर विशेषज्ञ अपनी सकारात्मक ऊर्जा को वहां तक पहुंचाता था। कुछ समय तक ऐसा करने पर तकलीफ खत्म हो जाती थी। यही कारण है कि इसे रेकी और एक्यूप्रेशर का मिश्रण भी कहा जा सकता है। जिसमें अपनी आध्यात्मिक ऊर्जा की सहायता से किसी को जीवन दिया जा सकता है।
*कब हुआ विभेदक उपयोग *
कुछ स्वार्थी लोगों ने इस प्राचीन विधा को समाज के सामने गलत रूप में स्थापित किया। तभी से इसे काला जादू नाम दिया जाने लगा। दरअसल, उन्होंने अपनी ऊर्जा का उपयोग समाज को नुकसान पहुंचाने के लिए किया। गौरतलब है जिस तरह काले जादू की सहायता से सकारात्मक ऊर्जा पहुंचाकर किसी के रोग व परेशानी को दूर किया जा सकता है। ठीक उसी तरह सुई के माध्यम से किसी तक अपनी नकारात्मक ऊर्जा पहुंचाकर। उसे तकलीफ भी दी जा सकती है।
*ममता बनर्जी के विरूद्ध राष्ट्रपति शासन चाहिए…!!***
*ऐसा चाहने वालो में अधिकतर वो है जो बीजेपी के अल्पमत में होने पर पटाखे फोड़ रहे थे। मोदीजी तानाशाह हैं, मोदीजी मनमानी करते हैं, अमित शाह ने टिकट ऐसे बांटे, वैसे बांटे…!!**
राष्ट्रपति शासन की प्रोसेस क्या है? वही लोकसभा मे पास करो, फिर राज्य सभा में । मतलब फिर से नीतीश और नायडू को मनाओ, जबकि कुछ ही दिन पहले उन्हें वफ्फ एक्ट के लिये मनाया है।
नीतीश और नायडू कोई गुलाम नहीं है, उनकी अपनी पार्टी और राजनीति है। नीतीश कुमार और चिराग पासवान के तो ममता बनर्जी से व्यक्तिगत संबंध भी ठीक है, मतलब आपको सिर्फ नेगोशिएट नहीं करना है।
आपको सबसे पहले व्यक्तिगत संबंध खराब करवाने है, फिर वोटिंग के लिये भी मनाना है। ये ध्यान रखना कि यदि आप बार बार नीतीश नायडू के पास जाओगे तो कल को आपका अपना बहुत कुछ दाँव पर लगेगा।
कायदे से इन 5 सालों में बस 2-3 बार सहयोगी दलों की आवश्यकता पड़नी चाहिए, इसलिए ये प्रस्ताव पारित करवाना फिलहाल एक सिरदर्द है। ऊपर से राज्यसभा मे तो आपको नवीन पटनायक का भी साथ चाहिए जो कि ममता बनर्जी के क्लोज फ्रेंड है।
ज़ब आप कहते हैं कि राष्ट्रपति शासन लगाकर धज्जिया उड़ा दो तो ये कोई हँसी ख़ुशी का खेल नहीं है कि राष्ट्रपति को बस एक साइन ही करना हो।
इसलिए मोदी जी को दिया सबक कहीं और नहीं गया बल्कि हवा मे उड़ता हुआ दोगुनी रफ्तार से सिर्फ आप ही के गले मे फंस गया है। जिन्हें मोदीजी द्वारा लोकतंत्र के गला घुटने का डर था वे ममता बनर्जी की हैवानियत देख ले।
जिन्हे मोदी जी मे कम कट्टर हिन्दू नजर आ रहा था, वे बंगाल मे कटते हिन्दुओ की आँख मे आँखे डालकर कहें, “हमने सबक सीखा दिया”
बीजेपी को 240 सीटें मिले या 400, मोदीजी को रिटायरमेंट के बाद दिल्ली और गांधीनगर मे एक शानदार बंगला मिलेगा, बेहतरीन पेंशन मिलेगी। चाहे किसी की भी सरकार हो जेहादी कभी मोदीजी के द्वार नहीं जाएंगे।
मैं पुनरावृति करूँगा, आपने कोई सबक नहीं सिखाया बल्कि आप खुद आने वाली पीढ़ियों के लिये एक सबक बन गए हो। आपने लोकतंत्र बचाने के चक्कर मे ममता बनर्जी के हवाले एक राज्य कर दिया है, जिसे वो निचोड़ रही है।
वैसे राष्ट्रपति शासन लग जाए तो ही ठीक है,अगले साल चुनाव है। चुनाव से ठीक पहले बांग्लादेशी घुसपैठियों के नाम वोटर लिस्ट से काट सकते है।थोड़ा सेक्युलरिज्म और डेमोक्रेसी खतरे मे आएगी, मगर ठीक है, अब तो आदत है ये सुनने की।
बस यक्ष प्रश्न एक ही है, क्या नीतीश कुमार तैयार होंगे? यदि नहीं, तो NDA की एकता का सार्वजनिक रूप से मज़ाक बन जाएगा। वैसे नैतिक रूप से कांग्रेस को समर्थन देना चाहिए, उसका ममता से नाम मात्र का गठबंधन है।
लेकिन नैतिकता और कांग्रेस मतलब शान्ति और पाकिस्तान। कांग्रेस ममता को भी वैसे ही बचाएगी जैसे 1998 मे राबड़ी देवी के जंगलराज को बचाया था। कुल मिलाकर इसका समाधान ये ही है कि जंगलराज चलने दो।
*इलेक्शन कमीशन को 2005 बिहार चुनाव की तरह काम करना होगा। जहाँ भी बूथ पर हमले हो, वहाँ के चुनाव रद्द करो, ममता भी लालू, ठाकरे और केजरीवाल की तरह ही गिरेगी। लेकिन राष्ट्रपति शासन अब आसान नहीं है।और वहां राष्ट्रपति शासन के छ महिने में कांग्रेस बामपंथी गठबंधन चुप बैठेगा या अपने लिए जमीन बनायेगा। राम राम रहेगी सभी को!!**
*खो देने के बाद ही पता चलता है, कितना कीमती था, समय, व्यक्ति और संबन्ध इनके पास होने तक इनका महत्व अवश्य समझें*
*दिनांक 16/04/2025, बुधवार*
तृतीया, कृष्ण पक्ष,
वैशाख समाप्ति काल
🌹आज तृतीया युक्त *चतुर्थी* व्रत🌹
तिथि–तृतीया 13:16:27 तक फिर *चतुर्थी*
पक्ष———————कृष्ण
नक्षत्र——— अनुराधा 29:54:04
योग———- व्यतिपत 24:17:02
करण——-विष्टि भद्र 13:16:28
करण————- बव 26:21:55
वार———————– बुधवार
माह———————– वैशाख
चन्द्र राशि—————- वृश्चिक
सूर्य राशि——————– मेष
रितु——————– वसंत
आयन————– उत्तरायण
संवत्सर————–विश्वावसु
संवत्सर (उत्तर)———- सिद्धार्थ
विक्रम संवत————– 2082
गुजराती संवत———— 2081
शक संवत—————- 1947
कलि संवत————— 5126
सूर्योदय————– 05:54:56
सूर्यास्त————— 18:43:20
दिन काल———— 12:48:23
रात्री काल———— 11:10:36
चंद्रास्त————– 07:31:40
चंद्रोदय—————- 21:55:15
लग्न—- मेष 2°4′ , 2°4′
सूर्य नक्षत्र————— अश्विनी
चन्द्र नक्षत्र————– अनुराधा
नक्षत्र पाया—————— रजत
*🚩💮🚩 पद, चरण 🚩💮🚩*
ना—- अनुराधा 09:51:57
नी—- अनुराधा 16:33:39
नू—- अनुराधा 23:14:23
*🚩💮 ग्रह गोचर 💮🚩*
ग्रह =राशी , अंश ,नक्षत्र, पद
=====================
सूर्य= मेष 02°40, अश्विनी 1 चु
चन्द्र= वृश्चिक 22°30 , अनुराधा 1 ना
बुध =मीन 05°52 ‘ उ o भा o 1 दू
शु क्र= मीन 00°05, पू o फाo’ 4 दी
मंगल=कर्क 04°30 ‘ पुष्य ‘ 1 हु
गुरु=वृषभ 24°30 मृगशिरा, 1 वे
शनि=मीन 02°28 ‘ पू o भा o , 4 दी
राहू=(व) मीन 01°45 पू o भा o, 4 दी
केतु= (व)कन्या 01°45 उ oफा o 2 टो
=====================
*🚩🚩 शुभा$शुभ मुहूर्त 🚩🚩*
राहू काल 12:19 – 13:55 अशुभ
यम घंटा 07:31 – 09:07 अशुभ
गुली काल 10:43 – 12: 19अशुभ
अभिजित 11:54 – 12:45 अशुभ
दूर मुहूर्त 11:54 – 12:45 अशुभ
वर्ज्यम 07:38 – 09:25 अशुभ
प्रदोष 18:43 – 20:59 शुभ
💮चोघडिया, दिन
लाभ 05:55 – 07:31 शुभ
अमृत 07:31 – 09:07 शुभ
काल 09:07 – 10:43 अशुभ
शुभ 10:43 – 12:19 शुभ
रोग 12:19 – 13:55 अशुभ
उद्वेग 13:55 – 15:31 अशुभ
चर 15:31 – 17:07 शुभ
लाभ 17:07 – 18:43 शुभ
🚩चोघडिया, रात
उद्वेग 18:43 – 20:07 अशुभ
शुभ 20:07 – 21:31 शुभ
अमृत 21:31 – 22:55 शुभ
चर 22:55 – 24:19* शुभ
रोग 24:19* – 25:42* अशुभ
काल 25:42* – 27:06* अशुभ
लाभ 27:06* – 28:30* शुभ
उद्वेग 28:30* – 29:54* अशुभ
💮होरा, दिन
बुध 05:55 – 06:59
चन्द्र 06:59 – 08:03
शनि 08:03 – 09:07
बृहस्पति 09:07 – 10:11
मंगल 10:11 – 11:15
सूर्य 11:15 – 12:19
शुक्र 12:19 – 13:23
बुध 13:23 – 14:27
चन्द्र 14:27 – 15:31
शनि 15:31 – 16:35
बृहस्पति 16:35 – 17:39
मंगल 17:39 – 18:43
🚩होरा, रात
सूर्य 18:43 – 19:39
शुक्र 19:39 – 20:35
बुध 20:35 – 21:31
चन्द्र 21:31 – 22:27
शनि 22:27 – 23:23
बृहस्पति 23:23 – 24:19
मंगल 24:19* – 25:15
सूर्य 25:15* – 26:10
शुक्र 26:10* – 27:06
बुध 27:06* – 28:02
चन्द्र 28:02* – 28:58
शनि 28:58* – 29:54
*🚩उदयलग्न प्रवेशकाल 🚩*
मेष > 05:46 से 07:22 तक
वृषभ > 07:22 से 09:22 तक
मिथुन > 09:22 से 11:46 तक
कर्क > 11:46 से 14:02 तक
सिंह > 14:02 से 16:16 तक
कन्या > 16:16 से 18:32 तक
तुला > 18:32 से 20:44 तक
वृश्चिक > 20:44 से 23:12 तक
धनु > 23:12 से 01:24 तक
मकर > 01:24 से 02:58 तक
कुम्भ > 02:58 से 04:22 तक
मीन > 04:28 से 05:44 तक
====================
*🚩विभिन्न शहरों का रेखांतर (समय)संस्कार*
(लगभग-वास्तविक समय के समीप)
दिल्ली +10मिनट——— जोधपुर -6 मिनट
जयपुर +5 मिनट—— अहमदाबाद-8 मिनट
कोटा +5 मिनट———— मुंबई-7 मिनट
लखनऊ +25 मिनट——–बीकानेर-5 मिनट
कोलकाता +54—–जैसलमेर -15 मिनट
*नोट*– दिन और रात्रि के चौघड़िया का आरंभ क्रमशः सूर्योदय और सूर्यास्त से होता है।
प्रत्येक चौघड़िए की अवधि डेढ़ घंटा होती है।
चर में चक्र चलाइये , उद्वेगे थलगार ।
शुभ में स्त्री श्रृंगार करे,लाभ में करो व्यापार ॥
रोग में रोगी स्नान करे ,काल करो भण्डार ।
अमृत में काम सभी करो , सहाय करो कर्तार ॥
अर्थात- चर में वाहन,मशीन आदि कार्य करें ।
उद्वेग में भूमि सम्बंधित एवं स्थायी कार्य करें ।
शुभ में स्त्री श्रृंगार ,सगाई व चूड़ा पहनना आदि कार्य करें ।
लाभ में व्यापार करें ।
रोग में जब रोगी रोग मुक्त हो जाय तो स्नान करें ।
काल में धन संग्रह करने पर धन वृद्धि होती है ।
अमृत में सभी शुभ कार्य करें ।
*💮दिशा शूल ज्ञान————-उत्तर*
परिहार-: आवश्यकतानुसार यदि यात्रा करनी हो तो पान अथवा पिस्ता खाके यात्रा कर सकते है l
इस मंत्र का उच्चारण करें-:
*शीघ्र गौतम गच्छत्वं ग्रामेषु नगरेषु च l*
*भोजनं वसनं यानं मार्गं मे परिकल्पय: ll*
*🚩 अग्नि वास ज्ञान -:*
*यात्रा विवाह व्रत गोचरेषु,*
*चोलोपनिताद्यखिलव्रतेषु ।*
*दुर्गाविधानेषु सुत प्रसूतौ,*
*नैवाग्नि चक्रं परिचिन्तनियं ।।* *महारुद्र व्रतेSमायां ग्रसतेन्द्वर्कास्त राहुणाम्*
*नित्यनैमित्यके कार्ये अग्निचक्रं न दर्शायेत् ।।*
15 + 3 + 4 + 1 = 23 ÷ 4 = 3 शेष
मृत्यु लोक पर अग्नि वास हवन के लिए शुभ कारक है l
*🚩💮 ग्रह मुख आहुति ज्ञान *
सूर्य नक्षत्र से अगले 3 नक्षत्र गणना के आधार पर क्रमानुसार सूर्य , बुध , शुक्र , शनि , चन्द्र , मंगल , गुरु , राहु केतु आहुति जानें । शुभ ग्रह की आहुति हवनादि कृत्य शुभपद होता है
मंगल ग्रह मुखहुति
*💮 शिव वास एवं फल -:*
18 + 18 + 5 = 41 ÷ 7 = 6 शेष
क्रीड़ायां = शोक , दुःख कारक
*🚩भद्रा वास एवं फल -:*
*स्वर्गे भद्रा धनं धान्यं ,पाताले च धनागम:।*
*मृत्युलोके यदा भद्रा सर्वकार्य विनाशिनी।।*
दोपहर 13:17 तक
स्वर्गलोक = शुभ कारक
*💮🚩 विशेष जानकारी 🚩*
*चतुर्थी व्रत चन्द्रोदय रात्रि 22.02
* सर्वार्थ, अमृत सिद्धि योग 29:54 तक
*🚩💮 शुभ विचार 💮🚩*
इक्षुरापः पयो मूलं ताम्बूलं फलमौषधम्।
भक्षयित्वाऽपिकर्तव्याःस्नानदानादिकाःक्रियाः ।।।। चा o नी o।।
ऊख, जल, दूध, पान, फल और औषधि इन वस्तुओं के भोजन करने पर भी स्नान दान आदि क्रिया कर सकते हैं।
*🚩💮🚩 सुभाषितानि 🚩💮🚩*
गीता -:दैवासुरसम्पद्विभागयोग :- अo-16
तस्माच्छास्त्रं प्रमाणं ते कार्याकार्यव्यवस्थितौ।,
ज्ञात्वा शास्त्रविधानोक्तं कर्म कर्तुमिहार्हसि॥,
इससे तेरे लिए इस कर्तव्य और अकर्तव्य की व्यवस्था में शास्त्र ही प्रमाण है।, ऐसा जानकर तू शास्त्र विधि से नियत कर्म ही करने योग्य है॥,24॥,
*💮🚩 दैनिक राशिफल 🚩💮*
देशे ग्रामे गृहे युद्धे सेवायां व्यवहारके।
नामराशेः प्रधानत्वं जन्मराशिं न चिन्तयेत्।।
विवाहे सर्वमाङ्गल्ये यात्रायां ग्रहगोचरे।
जन्मराशेः प्रधानत्वं नामराशिं न चिन्तयेत ।।
🐂मेष👉 यात्रा लाभदायक रहेगी। डूबी हुई रकम प्राप्त हो सकती है, प्रयास करें। उन्नति के मार्ग प्रशस्त होंगे। शेयर मार्केट से बड़ा लाभ हो सकता है। संचित कोष में वृद्धि होगी। नौकरी में प्रभाव बढ़ेगा। कारोबारी सौदे बड़े हो सकते हैं। व्यस्तता के चलते स्वास्थ्य प्रभावित होगा, सावधानी रखें।
🐏वृष👉 फालतू खर्च पर नियंत्रण रखें। बजट बिगड़ेगा। कर्ज लेना पड़ सकता है। शारीरिक कष्ट से बाधा उत्पन्न होगी। लेन-देन में सावधानी रखें। अपरिचित व्यक्तियों पर अंधविश्वास न करें। वाणी में हल्के शब्दों के प्रयोग से बचें। व्यापार-व्यवसाय लाभदायक रहेगा। आय होगी। संतुष्टि नहीं होगी।
👫मिथुन👉 नवीन वस्त्राभूषण की प्राप्ति संभव है। यात्रा लाभदायक रहेगी। बेरोजगारी दूर करने के प्रयास सफल रहेंगे। कारोबारी बड़े सौदे बड़ा लाभ दे सकते हैं। निवेश में सोच-समझकर हाथ डालें। आशंका-कुशंका रहेगी। पुराना रोग उभर सकता है। लापरवाही न करें। कीमती वस्तुएं संभालकर रखें। घर-बाहर प्रसन्नता रहेगी।
🦀कर्क👉 कीमती वस्तुएं संभालकर रखें। स्वास्थ्य का पाया कमजोर रहेगा। चिंता बनी रहेगी। जीवनसाथी से सहयोग मिलेगा। मेहनत का फल मिलेगा। कार्यसिद्धि होगी। निवेश लाभदायक रहेगा। व्यापार-व्यवसाय में मनोनुकूल लाभ होगा। सामाजिक प्रतिष्ठा बढ़ेगी। निवेश शुभ रहेगा। व्यस्तता रहेगी।
🐅सिंह👉 कानूनी अड़चन दूर होकर लाभ की स्थिति निर्मित होगी। प्रेम-प्रसंग में जोखिम न लें। व्यापार में लाभ होगा। नौकरी में प्रभाव बढ़ेगा। निवेश में सोच-समझकर हाथ डालें। शत्रु पस्त होंगे। विवाद में न पड़ें। अपेक्षाकृत कार्य समय पर होंगे। प्रसन्नता रहेगी। भाग्य का साथ मिलेगा। व्यस्तता रहेगी। प्रमाद न करें।
🙍♀️कन्या👉 घर-परिवार के किसी सदस्य के स्वास्थ्य की चिंता रहेगी। वाणी पर नियंत्रण रखें। चोट व दुर्घटना से बड़ी हानि हो सकती है। लेन-देन में जल्दबाजी न करें। फालतू खर्च होगा। विवाद को बढ़ावा न दें। अपेक्षाकृत कार्यों में विलंब होगा। चिंता तथा तनाव रहेंगे। आय में निश्चितता रहेगी। शत्रुभय रहेगा।
⚖️तुला👉उत्साहवर्धक सूचना प्राप्त होगी। भूले-बिसरे साथियों से मुलाकात होगी। विरोधी सक्रिय रहेंगे। जल्दबाजी में कोई निर्णय न लें। बड़ा काम करने का मन बनेगा। झंझटों से दूर रहें। कानूनी अड़चन का सामना करना पड़ सकता है। फालतू खर्च होगा। व्यापार मनोनुकूल लाभ देगा। जोखिम बिलकुल न लें।
🦂वृश्चिक👉दूर से बुरी खबर मिल सकती है। दौड़धूप अधिक होगी। बेवजह तनाव रहेगा। किसी व्यक्ति से कहासुनी हो सकती है। फालतू बातों पर ध्यान न दें। मेहनत अधिक व लाभ कम होगा। किसी व्यक्ति के उकसाने में न आएं। शत्रुओं की पराजय होगी। व्यापार-व्यवसाय लाभदायक रहेगा। आय में निश्चितता रहेगी।
🏹धनु👉बेरोजगारी दूर करने के प्रयास सफल रहेंगे। परीक्षा व साक्षात्कार आदि में सफलता प्राप्त होगी। स्थायी संपत्ति से बड़ा लाभ हो सकता है। समय पर कर्ज चुका पाएंगे। नौकरी में अधिकारी प्रसन्न तथा संतुष्ट रहेंगे। निवेश शुभ फल देगा। घर-परिवार के किसी सदस्य के स्वास्थ्य की चिंता रहेगी, ध्यान रखें।
🐊मकर👉व्यवसाय में ध्यान देना पड़ेगा। व्यर्थ समय न गंवाएं। पूजा-पाठ में मन लगेगा। कानूनी अड़चन दूर होगी। जल्दबाजी से हानि संभव है। थकान रहेगी। कुसंगति से बचें। निवेश शुभ रहेगा। पारिवारिक सहयोग प्राप्त होगा। लाभ के अवसर हाथ आएंगे। दूसरों के काम में हस्तक्षेप न करें। घर-बाहर प्रसन्नता रहेगी।
🍯कुंभ👉योजना फलीभूत होगी। कार्यस्थल पर परिवर्तन संभव है। विरोधी सक्रिय रहेंगे। सामाजिक प्रतिष्ठा बढ़ेगी। मित्रों की सहायता कर पाएंगे। आय में वृद्धि होगी। शेयर मार्केट से लाभ होगा। नौकरी में प्रभाव वृद्धि होगी। व्यापार-व्यवसाय लाभदायक रहेगा। घर-परिवार में सुख-शांति रहेगी। जल्दबाजी न करें। पुराना रोग उभर सकता है।
🐟मीन👉पार्टी व पिकनिक का आनंद मिलेगा। रचनात्मक कार्य सफल रहेंगे। मनपसंद भोजन का आनंद प्राप्त होगा। व्यापार-व्यवसाय लाभप्रद रहेगा। समय की अनुकूलता का लाभ मिलेगा। व्यस्तता के चलते स्वास्थ्य कमजोर रह सकता है। दूसरों के झगड़ों में न पड़ें। अपने काम पर ध्यान दें। लाभ होगा।