नहीं रहे देश को अपने उद्योगों और वाहनों से समृद्ध बना कर सजाने वाले भारत के अनमोल रतन टाटा, जीते जी उन्हें भारत रत्न भी देदेते तो तुम्हारी जेब का क्या जाता!, लोक कल्याण के लिए संसार की अद्भुत घटना थी देवनदी माँ गंगा का धराधाम पर आगमन जाने कब तक धराधाम पर रहेगी गंगा नदी, आज का पंचाग आपका राशि फल

*।। ॐ ।।*🚩🌞 *सुप्रभातम्* 🌞🚩
📜««« *आज का पंचांग* »»»📜
कलियुगाब्द…………………..5126
विक्रम संवत्………………….2081
शक संवत्…………………….1946
मास……………………………अश्विन
पक्ष……………………………..शुक्ल
तिथी……………………………सप्तमी
दोप 12.27 पर्यंत पश्चात अष्टमी
रवि……………………….दक्षिणायन
सूर्योदय…….प्रातः 06.22.15 पर
सूर्यास्त……..संध्या 06.05.55 पर
सूर्य राशि………………………..कन्या
चन्द्र राशि………………………….धनु
गुरु राशि…………………………वृषभ
नक्षत्र………………………..पूर्वाषाढ़ा
दुसरे दिन प्रातः 05.32 पर्यंत पश्चात उत्तराषाढ़ा
योग……………………………अतिगंड
रात्रि 04.32 पर्यंत पश्चात सुकर्म
करण…………………………..वणिज
दोप 12.27 पर्यंत पश्चात विष्टि
ऋतु………………………..(इष) शरद
दिन……………………………..गुरुवार

🇬🇧 *आंग्ल मतानुसार :–*
10 अक्तूबर सन 2024 ईस्वी ।

⚜️ *अभिजीत मुहूर्त :-*
प्रातः 11.50 से 12.36 तक ।

👁‍🗨 *राहुकाल :-*
दोपहर 01.40 से 03.07 तक ।

🌞 *उदय लग्न मुहूर्त :-*
*कन्या*04:44:06 06:54:37
*तुला*06:54:37 09:09:24
*वृश्चिक*09:09:24 11:25:34
*धनु*11:25:34 13:31:10
*मकर*13:31:10 15:18:17
*कुम्भ*15:18:17 16:51:49
*मीन*16:51:49 18:23:01
*मेष*18:23:01 20:03:46
*वृषभ*20:03:46 22:02:25
*मिथुन*22:02:25 24:16:08
*कर्क*24:16:08 26:32:18
*सिंह*26:32:18 28:44:06

🚦 *दिशाशूल :-*
दक्षिणदिशा – यदि आवश्यक हो तो दही या जीरा का सेवन कर यात्रा प्रारंभ करें ।

☸ शुभ अंक…………………..1
🔯 शुभ रंग…………………..पीला

✡ *चौघडिया :-*
प्रात: 10.45 से 12.12 तक चंचल
दोप. 12.12 से 01.39 तक लाभ
दोप. 01.39 से 03.06 तक अमृत
सायं 04.33 से 06.00 तक शुभ
सायं 06.00 से 07.33 तक अमृत
रात्रि 07.33 से 09.06 तक चंचल

📿 *आज का मंत्र :-*
|। ॐ परमात्मने नम: ।|

📢 *सुभाषितानि :-*
*श्रीमद्भगवतगीता (नवमोऽध्यायः – राजविद्याराजगुह्ययोग:) -*
अपि चेत्सुदुराचारो भजते मामनन्यभाक् ।
साधुरेव स मन्तव्यः सम्यग्व्यवसितो हि सः ॥९- ३०॥
अर्थात :
यदि कोई अतिशय दुराचारी भी अनन्य भाव से मेरा भक्त होकर मुझको भजता है तो वह साधु ही मानने योग्य है, क्योंकि वह यथार्थ निश्चय वाला है। अर्थात्‌ उसने भली भाँति निश्चय कर लिया है कि परमेश्वर के भजन के समान अन्य कुछ भी नहीं है॥30॥

🍃 *आरोग्यं :-*
*कडवी तोराई के औषधीय उपयोग :-*

1. वमन कराना : एक फल को रात्रि को एक सेर जल में डाले, उसमे से 4 तोले जल सुबह पिलाने पर वमन विरेचन होकर उदार शुद्धि हो जाती है |

2. अर्श के रोग में : कडवी तोराई के मूल को जल या तोरई के पानो के रस में घिसकर मस्से पर लेप करने से मस्से गिर जाते है |

3. चर्म रोग में : सुखी कडवी तोराई में रात्रि में जल भर दे रोज सुबह 5 तोले पिने से समस्त प्रकार के चर्म रोग समाप्त हो जाते है |

⚜ *आज का राशिफल :-*

🐏 *राशि फलादेश मेष :-*
(चू, चे, चो, ला, ली, लू, ले, लो, आ)
आज चोट व दुर्घटना से हानि संभव है। जल्दबाजी न करें। स्वास्थ्य का पाया कमजोर रह सकता है। विवाद को बढ़ावा न दें। बनते काम बिगड़ सकते हैं। भाइयों से कहासुनी हो सकती है। आय बनी रहेगी। व्यापार ठीक चलेगा। नौकरी में सहकर्मी विरोध कर सकते हैं। जोखिम व जमानत के कार्य टालें, धैर्य रखें।

🐂 *राशि फलादेश वृष :-*
(ई, ऊ, ए, ओ, वा, वी, वू, वे, वो)
कोर्ट व कचहरी में लाभ की स्थिति बनेगी। नौकरी में अधिकारी प्रसन्न रहेंगे। पिछले लंबे समय से रुके कार्य बनेंगे। प्रसन्नता रहेगी। दूसरों से अपेक्षा न करें। घर-परिवार की चिंता रहेगी। अज्ञात भय सताएगा। दुष्टजन हानि पहुंचा सकते हैं। व्यापार लाभदायक रहेगा। प्रयास करें।

👫 *राशि फलादेश मिथुन :-*
(का, की, कू, घ, ङ, छ, के, को, ह)
भूमि व भवन संबंधित कार्य बड़ा लाभ दे सकते हैं। उन्नति के मार्ग प्रशस्त होंगे। रोजगार प्राप्ति के प्रयास सफल रहेंगे। व्यापार अच्‍छा चलेगा। नौकरी में अनुकूलता रहेगी। मातहतों का सहयोग मिलेगा। कर्ज की रकम चुका पाएंगे। प्रतिद्वंद्वी सक्रिय रहेंगे। आलस्य न करें। निवेश शुभ रहेगा।

🦀 *राशि फलादेश कर्क :-*
(ही, हू, हे, हो, डा, डी, डू, डे, डो)
रचनात्मक कार्य सफल रहेंगे। पार्टी व पिकनिक का आनंद मिलेगा। शत्रु परास्त होंगे। व्यापार ठीक चलेगा। निवेश में जल्दबाजी न करें। कीमती वस्तुएं संभालकर रखें। वाणी पर संयम रखें। अनहोनी की आशंका रहेगी। पारिवारिक जीवन सुख-शांति से बीतेगा। प्रसन्नता रहेगी।

🦁 *राशि फलादेश सिंह :-*
(मा, मी, मू, मे, मो, टा, टी, टू, टे)
आज बेवजह दौड़धूप बनी रहेगी। माता के स्वास्थ्य का ध्यान रखें। कोई शोक समाचार मिल सकता है। अपेक्षित कार्यों में बाधा उत्पन्न हो सकती है। पार्टनरों से मतभेद संभव है। व्यवसाय की गति धीमी रहेगी। आय बनी रहेगी। दूसरों को कार्य में हस्तक्षेप न करें। दुष्टजन हानि पहुंचा सकते हैं।

👧 *राशि फलादेश कन्या :-*
(ढो, पा, पी, पू, ष, ण, ठ, पे, पो)
सामाजिक कार्य करने का मन बनेगा। मेहनत का फल मिलेगा। मान-सम्मान मिलेगा। निवेश शुभ रहेगा। व्यापार में वृद्धि होगी। भाग्य का साथ मिलेगा। नए काम करने की इच्छा बनेगी। प्रसन्नता रहेगी। पारिवारिक सहयोग मिलेगा। मनोरंजन का वक्त मिलेगा। जोखिम व जमानत के कार्य बिलकुल न करें।

⚖ *राशि फलादेश तुला :-*
(रा, री, रू, रे, रो, ता, ती, तू, ते)
पराक्रम व प्रतिष्ठा में वृद्धि होगी। उत्साहवर्धक सूचना प्राप्त होगी। ऐश्वर्य के साधनों पर व्यय होगा। भूले-बिसरे साथियों से मुलाकात होगी। मित्रों तथा पारिवारिक सदस्यों के साथ समय अच्छा व्यतीत होगा। व्यवसाय लाभप्रद रहेगा। निवेश शुभ रहेगा। शत्रुओं का पराभव होगा। प्रमाद न करें।

🦂 *राशि फलादेश वृश्चिक :-*
(तो, ना, नी, नू, ने, नो, या, यी, यू)
जीवनसाथी से सहयोग प्राप्त होगा। भेंट व उपहार की प्राप्ति होगी। यात्रा लाभदायक रहेगी। नौकरी में प्रमोशन मिल सकता है। रोजगार प्राप्ति होगी। किसी बड़ी समस्या का हल निकलेगा। प्रसन्नता रहेगी। भाग्य अनुकूल है। लाभ लें। प्रमाद न करें। स्वास्थ्य का ध्यान रखें।

🏹 *राशि फलादेश धनु :-*
(ये, यो, भा, भी, भू, धा, फा, ढा, भे)
घर की कीमती वस्तुएं संभालकर रखें। यात्रा के दौरान आभूषण या कोई खास चीज भूलें नहीं। फालतू खर्च होगा। स्वास्थ्य का पाया कमजोर रहेगा। लापरवाही न करें। बनते काम बिगड़ सकते हैं। विवेक का प्रयोग करें। लाभ होगा। लाभ में कमी रह सकती है। नौकरी में कार्यभार रहेगा। आलस्य न करें।

🐊 *राशि फलादेश मकर :-*
(भो, जा, जी, खी, खू, खे, खो, गा, गी)
आज डूबी हुई रकम प्राप्त हो सकती है। यात्रा लाभदायक रहेगी। किसी बड़ी समस्या से सामना हो सकता है। व्यापार में वृद्धि के योग हैं। पार्टनरों का सहयोग मिलेगा। नौकरी में चैन रहेगा। व्यवसाय में अधिक ध्यान देना पड़ेगा। किसी अपने का व्यवहार दु:ख पहुंचाएगा। कानूनी समस्या हो सकती है।

🏺 *राशि फलादेश कुंभ :-*
(गू, गे, गो, सा, सी, सू, से, सो, दा)
आपके सामाजिक प्रतिष्ठा में वृद्धि होगी। कोई बड़ी योजना फलीभूत होगी। किसी बड़ी समस्या का हल एकाएक हो सकता है। प्रसन्नता रहेगी। प्रयास अधिक करना पड़ेंगे। नौकरी में अधिकार बढ़ेंगे। आय में वृद्धि होगी। सुख के साधनों पर व्यय होगा। स्वास्थ्य का ध्यान रखें। प्रमाद न करें।

🐟 *राशि फलादेश मीन :-*
(दी, दू, थ, झ, ञ, दे, दो, चा, ची)
प्रापर्टी विवाद में कानूनी सहयोग मिलेगा। लाभ में वृद्धि होगी। रुके कार्यों में गति आएगी। तंत्र-मंत्र में रुचि बढ़ेगी। सत्संग का लाभ मिलेगा। शेयर मार्केट से लाभ होगा। घर-बाहर पूछ-परख रहेगी। व्यापार में वृद्धि होगी। भाग्य का साथ रहेगा। थकान का अनुभव हो सकता है। आलस्य बना रहेगा।

☯ *आज का दिन सभी के लिए मंगलमय हो*

।। 🐚 *शुभम भवतु* 🐚 ।।

🇮🇳🇮🇳 *भारत माता की जय* 🚩🚩

देश को अपने उद्योगों और वाहनों से समृद्ध बना कर सजाने वाले रतन टाटा नहीं रहे। मुम्बई के ब्रिज कैंडी चिकित्सालय में कल उन्होंने अंतिम सांस ली। रतन टाटा का जन्‍म 28 सितंबर 1937 को हुआ था. उन्‍हें एक अरबपति होने के साथ ही एक सहदृय, सरल और नेक व्‍यक्ति के रूप में देखा जाता है. उनसे जुड़े ऐसे कई किस्‍से हैं, जो बताते हैं कि उन्‍होंने बहुत से लोगों की मदद की. साथ ही देश की तरक्‍की में भी रतन टाटा के योगदान को कभी भुलाया नहीं जा सकेगा। अधिकतर राजनीतिज्ञ रतन टाटा के चंदे से अपनी राजनीतिक दुकानें चलाते रहे और देश के एक लब्धप्रतिष्ठत उद्योगपति को गालियां देते रहे जबकि भारत रत्न स्वयं रखते रहे। परन्तु वे टाटा की घोर उपेक्षा करते रहे, जीते जी एक भारत रत्न देश के रतन को भी दे देते तो तुम्हारी जेब का क्या जाता! भारत के अनमोल रतन टाटा के निधन पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने गहरा दुख व्यक्त करते हुए कहा कि देश ने एक इतिहास पुरूष को खो दिया।

भावभीनी श्रध्दांजलि और नमन् रतन जी आप वैसे ही भारत रत्न हो । हमें विश्वास है आपके जाने के बाद भी देश पर टाटा नमक का कर्ज है जो कभी नहीं उतरेगा ✍️🙏हरीश मैखुरी

*देवनदी माँ गंगा का धराधाम पर आगमन *

माँ गंगा की उत्पत्ति की कहानी बहुत रोचक और प्रेरणादायी है। यह बात उस समय की है जब श्री हरि विष्णु ने देवमाता अदिति के पुत्र के रूप में अपना वामन अवतार लिया था। उस समय धरती और स्वर्ग लोग के अधिपति दैत्यराज बलि थे। वह अपने गुरु शुक्राचार्य के बताए मार्ग पर चलते हुए निरंतर चलने वाले यज्ञ करवाते थे और गरीबों एवं ब्राह्मणो को दान देते थे। उन्हें अपने दानवीर होने का अहंकार था। उनके राज्य काल में देवताओं के लिए बुरा समय चल रहा था। उनके राज्य में असुरों को उनकी सुरक्षा प्रदान थी जिस से आम जन को कष्ट भी भोगने पड़ रहे थे। तब प्रभु ने इस समस्या को हल करने हेतु वामन अवतार लिया।

वामन देव का बलि के दरबार में आगमन

बालक ब्राह्मण रुपी वामन देव दैत्यराज बलि के यज्ञ स्थान पर पहुंचे। जब बलि की नजर उन पर पड़ी तो बलि ने उनसे उनकी इच्छा पूछी। यह सुन वामन देव ने कहा “राजन! आपकी बहुत प्रशंसा सुनी है। आप दानवीर हैं, मुझे केवल उतनी भूमि चाहिए जितनी भूमि मेरे तीन पग (कदम) में नप जाये। यह सुन सभी लोग वामन देव पर हसने लगे। महाराज बलि भी अहंकार में आकर हंस पड़े। फिर हाथ जोड़ कर वामन देव से और भी कुछ मांगने का आग्रह किया परन्तु वामन देव तीन पग भूमि पर अड़े रहे। ब्राह्मण बालक से महाराज बलि ने कहा ” दान के लिए आशवस्त कर मैं पीछे नहीं हटूंगा आखिर मैं दानवीर हूँ। ऐसा तो आपने भी कहा है भगवन! मैं आपको आपकी नापी हुई तीन पग भूमि दान करने का संकल्प लेता हूँ।

वामन देव का विकराल रूप

जैसे ही राजा ने संकल्प लिया वैसे ही वामन देव ने विराट रूप धरा। लोग भयभीत होकर इधर उधर भागने लगे। वामन देव ने एक पग में धरती और दूसरे पग में आकाश को नाप दिया और फिर तीसरे पग के लिए अपने पैर उठाये और बालि की ओर देखा। तभी बलि ने हाथ जोड़ कर अपने घुटनों पर बैठ कर कहा “हे प्रभु! तीसरे पग में आप मुझे नाप लें और मुझपर भी स्वामित्व स्थापित कर ले, यह रहा मेरा मस्तक आपकी सेवा में..आप मेरे मस्तक पर पग धरें।

गंगा की उत्पत्ति

जब प्रभु आकाश को नाप रहे थे तभी उनके पैर का अंगूठा ब्रह्माण्ड में टकराया और वहीं से दिव्य जल बहने लगा, जिससे प्रभु श्री हरी के चरण कमल धुले। वो दिव्य जल की धारा जैसे ही प्रभु के चरण धो कर नीचे की ओर गिरा तभी ब्रह्मा जी ने उस जल की धारा को अपने कमण्डल में धारण कर लिया। और यही जल धारा ब्रम्हा जी की पुत्री गंगा कहलायीं। ये जल धारा श्री हरि विष्णु के पैर यानि पद से टकरा कर निकली इसलिए देवी गंगा को विष्णुपदी भी कहते हैं।

भागीरथी

महाराज भगीरथ की तपस्या से प्रसन्न होकर देवी गंगा के पिता भगवान ब्रम्हा जी ने उन्हें धरती पे अवतरित होने की आज्ञा दी। किन्तु देवी गंगा की जल धारा के वेग को सहने की क्षमता धरती में नहीं थी इसलिए कैलाशपति प्रभु शिव ने उन्हें अपने जटाओं में धारण किया। और इसलिए देवादि देव महादेव को गंगाधर भी कहते हैं। महाराज भागीरथी की तपस्या से प्रसन्न होकर उन्होंने अपनी एक जटा खोल देवी गंगा को धरती पर आने दिया। माता गंगा ने धरती पर आकर भागीरथी के पूर्वजों को मुक्ति दी और माता गंगा की सकारात्मक ऊर्जा से पूर्ण अमृत तुल्य जल धारा मनुष्यों के लिए कल्याणमयी सिद्ध हुई। माता गंगा को देवनदी भी कहतें हैं। भविष्य पुराण में आख्यान है कि कलयुग के प्रथम चरण में ग्राम देवता और कलयुग के द्वितीय चरण में गंगा नदी धरती से विलुप्त हो जायेगी। जो सच होता हुआ दिख रहा है।