आज का पंचाग आपका राशि फल, मंदिरों में दर्शन स्पर्शन की फलदायी विधि, कुछ वास्तु जानकारी जिनसे मिलती है समृद्धि, द्रोपदी संबंधित मिथक और वास्तविक सत्य, सूर्योदय का प्रकाश देखने के लिए नयन भी खुलने चाहिए

 हिमाचल का एक मंदिर

सनातन धर्म की एक अनोखी परम्परा हैं कि किसी भी मंदिर में दर्शन के बाद बाहर आकर मंदिर की पैड़ी या ऑटले पर थोड़ी देर बैठना। क्या आप जानते हैं इस परंपरा का क्या कारण है ?
आजकल तो लोग मंदिर की पैड़ी पर बैठकर अपने घर/व्यापार/राजनीति इत्यादि की चर्चा करते हैं, परंतु यह प्राचीन परंपरा एक विशेष उद्देश्य के लिए बनाई गई है। वास्तव में मंदिर की पैड़ी पर बैठ कर एक श्लोक बोलना चाहिए। यह श्लोक आजकल के लोग भूल गए हैं। इस लोक को मनन करें और आने वाली पीढ़ी को भी बताएं। श्लोक इस प्रकार है ~
*अनायासेन मरणम् ,*
*बिना देन्येन जीवनम्।*
*देहान्त तव सानिध्यम् ,*
*देहि मे परमेश्वरम्॥*

इस श्लोक का अर्थ है ~
*अनायासेन मरणम्* अर्थात् के कष्ट विहीन हमारी मृत्यु हो और कभी भी रूगण होकर शय्या पर न पड़ें, कष्ट उठाकर मृत्यु को प्राप्त ना हों चलते फिरते ही हमारे प्राण निकल जाएं।
*बिना देन्येन जीवनम्* अर्थात् परवशता का जीवन ना हो। कभी किसी के आसरे ना रहाना पड़े। जैसे कि लकवा हो जाने पर व्यक्ति दूसरे पर आश्रित हो जाता है वैसे पराधीन ना हों। ठाकुर जी की कृपा से बिना भिक्षा के ही जीवन बसर हो सकें।
*देहांते तव सानिध्यम* अर्थात् जब भी मृत्यु हो तब भगवान के सम्मुख हो। जैसे भीष्म पितामह की मृत्यु के समय स्वयं कृष्ण जी) उनके सम्मुख जाकर खड़े हो गए। उनके दर्शन करते हुए प्राण निकले।
*देहि में परमेशवरम्* हे परमेश्वर ऐसा वरदान हमें देना।

*भगवान से प्रार्थना करते हुऐ उपरोक्त श्र्लोक का पाठ करें।* गाड़ी, लाडी, लड़का, लड़की, पति, पत्नी, घर, धन इत्यादि (अर्थात् संसार) नहीं मांगना है, यह तो भगवान आप की पात्रता के हिसाब से खुद आपको देते हैं। इसीलिए दर्शन करने के बाद बैठकर यह प्रार्थना अवश्य करनी चाहिए। यह प्रार्थना है, याचना नहीं है। याचना सांसारिक पदार्थों के लिए होती है। जैसे कि घर, व्यापार,नौकरी, पुत्र, पुत्री, सांसारिक सुख, धन या अन्य बातों के लिए जो मांग की जाती है वह याचना है वह भिक्षा है।

*’प्रार्थना’ शब्द के ‘प्र’ का अर्थ होता है ‘विशेष’ अर्थात् विशिष्ट, श्रेष्ठ और ‘अर्थना’ अर्थात् निवेदन। प्रार्थना का अर्थ हुआ विशेष निवेदन।*

मंदिर में भगवान का दर्शन सदैव खुली आंखों से करना चाहिए, निहारना चाहिए। कुछ लोग वहां आंखें बंद करके खड़े रहते हैं। आंखें बंद क्यों करना, हम तो दर्शन करने आए हैं। भगवान के स्वरूप का, श्री चरणों का, मुखारविंद का, श्रृंगार का, *संपूर्ण आनंद लें, आंखों में भर ले निज-स्वरूप को।*
*दर्शन के बाद जब बाहर आकर बैठें, तब नेत्र बंद करके जो दर्शन किया हैं उस स्वरूप का ध्यान करें। मंदिर से बाहर आने के बाद, पैड़ी पर बैठ कर स्वयं की आत्मा का ध्यान करें तब नेत्र बंद करें और अगर निज आत्मस्वरूप ध्यान में भगवान नहीं आए तो दोबारा मंदिर में जाएं और पुन: दर्शन करें।*

रामराम जी🙏

[1] मुख्य द्वार के पास कभी भी कूड़ादान ना रखें इससे पड़ोसी शत्रु हो जायेंगे |

[२] सूर्यास्त के समय किसी को भी दूध,दही या प्याज माँगने पर ना दें इससे घर की समृद्धि समाप्त हो जाती है |

[३] छत पर कभी भी अनाज या बिस्तर ना धोएं..हाँ सुखा सकते है इससे ससुराल से सम्बन्ध खराब होने लगते हैं |

[४] फल खूब खाओ स्वास्थ्य के लिए अच्छे है लेकिन उसके छिलके कूडादान में ना डालें वल्कि बाहर फेंकें इससे मित्रों से लाभ होगा |

[५] माह में एक बार किसी भी दिन घर में मिश्री युक्त खीर जरुर बनाकर परिवार सहित एक साथ खाएं अर्थात जब पूरा परिवार घर में इकट्ठा हो उसी समय खीर खाएं तो माँ लक्ष्मी की शीघ्र कृपा होती है |

[६] माह में एक बार अपने कार्यालय में भी कुछ मिष्ठान जरुर ले जाएँ उसे अपने साथियों के साथ या अपने अधीन नौकरों के साथ मिलकर खाए तो धन लाभ होगा |

[७] रात्री में सोने से पहले रसोई में बाल्टी भरकर रखें इससे क़र्ज़ से शीघ्र मुक्ति मिलती है और यदि स्नानघर में वर्तन भरकर रखेंगे तो जीवन में उन्नति के मार्ग में बाधा नहीं आवेगी |

[८] वृहस्पतिवार के दिन घर में कोई भी पीली वस्तु अवश्य खाएं हरी वस्तु ना खाएं तथा बुधवार के दिन हरी वस्तु खाएं लेकिन पीली वस्तु बिलकुल ना खाएं इससे सुख समृद्धि बड़ेगी |

[९] रात्रि को झूठे बर्तन कदापि ना रखें इसे पानी से निकाल कर रख सकते है हानि से बचोगें |

[१०] स्नान के बाद गीले या एक दिन पहले के प्रयोग किये गये तौलिये का प्रयोग ना करें इससे संतान हठी व परिवार से अलग होने लगती है अपनी बात मनवाने लगती है अतः रोज़ साफ़ सुथरा और सूखा तौलिया ही प्रयोग करें |

[११] कभी भी यात्रा में पूरा परिवार एक साथ घर से ना निकलें आगे पीछे जाएँ इससे यश की वृद्धि होगी |
ऐसे ही अनेक अपशकुन है जिनका हम ध्यान रखें तो जीवन में किसी भी समस्या का सामना नही करना पड़ेगा तथा सुख समृद्धि बड़ेगी |
वास्तु उपाय 🔴🔴🔴🔴
💥१. घर में सुबह सुबह कुछ देर के लिए भजन अवशय लगाएं ।
💥२. घर में कभी भी झाड़ू को खड़ा करके नहीं रखें, उसे पैर नहीं लगाएं, न ही उसके ऊपर से गुजरे अन्यथा घर में समृद्धि की कमी हो जाती है। झाड़ू हमेशा छुपा कर रखें |
💥३. शय्या पर बैठ कर कभी खाना न खाएं, ऐसा करने से धन की हानी होती हैं। लक्ष्मी घर से निकल जाती है घर मे अशांति होती है। 
💥४. घर में जूते-चप्पल इधर-उधर बिखेर कर न रखें उससे आपकी जीवनचक्र में अव्यवस्था रहेगी।

 

🕉श्री हरिहरो विजयतेतराम🕉
🌄सुप्रभातम🌄
🗓आज का पञ्चाङ्ग🗓
🌻शुक्रवार, ४ फरवरी २०२२🌻

सूर्योदय: 🌄 ०७:०८
सूर्यास्त: 🌅 ०५:५८
चन्द्रोदय: 🌝 ०९:१९
चन्द्रास्त: 🌜२१:१८
अयन 🌕 उत्तरायने (दक्षिणगोलीय
ऋतु: 🌫️ शिशिर
शक सम्वत: 👉 १९४३ (प्लव)
विक्रम सम्वत: 👉 २०७८ (आनन्द)
मास 👉 माघ
पक्ष 👉 शुक्ल
तिथि 👉 चतुर्थी (२७:४७ तक)
नक्षत्र 👉 पूर्वभाद्रपद (१५:५८ तक)
योग 👉 शिव (१९:१० तक)
प्रथम करण 👉 वणिज (१६:०६ तक)
द्वितीय करण 👉 विष्टि (२७:४७ तक)
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॥ गोचर ग्रहा: ॥
🌖🌗🌖🌗
सूर्य 🌟 मकर
चंद्र 🌟 मीन (१०:०२ से)
मंगल 🌟 धनु (उदित, पश्चिम, मार्गी)
बुध 🌟 मकर (अस्त, पश्चिम, मार्गी)
गुरु 🌟 कुंम्भ (उदय, पूर्व, मार्गी)
शुक्र 🌟 धनु (उदित, पूर्व, वक्री)
शनि 🌟 मकर (अस्त, पश्चिम, मार्गी)
राहु 🌟 वृष
केतु 🌟 वृश्चिक
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शुभाशुभ मुहूर्त विचार
⏳⏲⏳⏲⏳⏲⏳
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अभिजित मुहूर्त 👉 १२:०९ से १२:५३
अमृत काल 👉 ०८:१० से ०९:४४
रवियोग 👉 ०७:०६ से १५:५८
विजय मुहूर्त 👉 १४:१९ से १५:०३
गोधूलि मुहूर्त 👉 १७:४५ से १८:०९
निशिता मुहूर्त 👉 २४:०४ से २४:५७
राहुकाल 👉 ११:१० से १२:३१
राहुवास 👉 दक्षिण-पूर्व
यमगण्ड 👉 १५:१४ से १६:३५
होमाहुति 👉 बुध
दिशाशूल 👉 पश्चिम
नक्षत्र शूल 👉 दक्षिण (१५:५८ तक)
अग्निवास 👉 पृथ्वी
भद्रावास 👉 मृत्यु (१६:०६ से २७:४७)
चन्द्रवास 👉 पश्चिम (उत्तर १०:०३ से)
शिववास 👉 क्रीड़ा में (२७:४७ से कैलाश पर)
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☄चौघड़िया विचार☄
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॥ दिन का चौघड़िया ॥
१ – चर २ – लाभ
३ – अमृत ४ – काल
५ – शुभ ६ – रोग
७ – उद्वेग ८ – चर
॥रात्रि का चौघड़िया॥
१ – रोग २ – काल
३ – लाभ ४ – उद्वेग
५ – शुभ ६ – अमृत
७ – चर ८ – रोग
नोट– दिन और रात्रि के चौघड़िया का आरंभ क्रमशः सूर्योदय और सूर्यास्त से होता है। प्रत्येक चौघड़िए की अवधि डेढ़ घंटा होती है।
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शुभ यात्रा दिशा
🚌🚈🚗⛵🛫
उत्तर-पश्चिम (दहीलस्सी अथवा राई का सेवन कर यात्रा करें)
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तिथि विशेष
🗓📆🗓📆
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वरद विनायक तिल चतुर्थी, बुध मार्गी ०९:४३ से, गृह प्रवेश मुहूर्त प्रातः ०७:१५ से ११:१९ तक, विवाह मुहूर्त धनु-मकर लग्न रात्रि ०३:५७ से प्रातः ०७:१४ तक आदि।
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आज जन्मे शिशुओं का नामकरण
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आज १५:५८ तक जन्मे शिशुओ का नाम
पूर्वाभाद्रपद नक्षत्र के तृतीय एवं चतुर्थ चरण अनुसार क्रमश (द, दी) नामाक्षर से तथा इसके बाद जन्मे शिशुओं का नाम उत्तरा भाद्रपद नक्षत्र के प्रथम, द्वितीय एवं तृतीय चरण अनुसार क्रमश: (दू, थ, झ) नामाक्षर से रखना शास्त्रसम्मत है।
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उदय-लग्न मुहूर्त
मकर – २९:५६ से ०७:३७
कुम्भ – ०७:३७ से ०९:०३
मीन – ०९:०३ से १०:२६
मेष – १०:२६ से १२:००
वृषभ – १२:०० से १३:५५
मिथुन – १३:५५ से १६:१०
कर्क – १६:१० से १८:३१
सिंह – १८:३१ से २०:५०
कन्या – २०:५० से २३:०८
तुला – २३:०८ से २५:२९
वृश्चिक – २५:२९ से २७:४८
धनु – २७:४८ से २९:५२
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पञ्चक रहित मुहूर्त
शुभ मुहूर्त – ०७:०६ से ०७:३७
मृत्यु पञ्चक – ०७:३७ से ०९:०३
अग्नि पञ्चक – ०९:०३ से १०:२६
शुभ मुहूर्त – १०:२६ से १२:००
मृत्यु पञ्चक – १२:०० से १३:५५
अग्नि पञ्चक – १३:५५ से १५:५८
शुभ मुहूर्त – १५:५८ से १६:१०
रज पञ्चक – १६:१० से १८:३१
शुभ मुहूर्त – १८:३१ से २०:५०
चोर पञ्चक – २०:५० से २३:०८
शुभ मुहूर्त – २३:०८ से २५:२९
रोग पञ्चक – २५:२९ से २७:४७
शुभ मुहूर्त – २७:४७ से २७:४८
मृत्यु पञ्चक – २७:४८ से २९:५२
अग्नि पञ्चक – २९:५२ से ३१:०५
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आज का राशिफल
🐐🐂💏💮🐅👩
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मेष🐐 (चू, चे, चो, ला, ली, लू, ले, लो, अ)
आज के दिन से आपको ज्यादा लाभ की उम्मीद नही रहेगी। दिन के आरम्भ से ही मौसमी बीमारियों का प्रकोप कार्य करने का उत्साह खत्म करेगा। व्यवसाय में भी डर का वातावरण महत्तवपूर्ण निर्णय लेने से रोकेगा लेकिन आज आप मन की सुनने की अपेक्षा दिमाग का प्रयोग करें जहां हानि कि सम्भवना रहेगी वहां से आकस्मिक लाभ मिल सकता है। माता की भी सेहत खराब होने से दौड़धूप करनी पड़ेगी घर मे किसी न किसी की बीमारी पर खर्च बढ़ेगा। मध्यान से स्थिति में सुधार आने लगेगा बीमारी में थोड़ा सुधार आने पर व्यवसाय की चिंता सताएगी फिर भी ज्यादा भागदौड़ से बचे अन्यथा संध्या बाद तबियत फिर से खराब होने पर थोड़े बहुत कार्य भी नही कर पाएंगे। संतोषी वृति अपनाए सुखी रहेंगे।

वृष🐂 (ई, ऊ, ए, ओ, वा, वी, वू, वे, वो)
आज के दिन बीते दिन की अपेक्षा आपका स्वभाव एकदम विपरीत रहेगा आज आपके अंदर व्यवहारिकता अधिक रहेगी सार्वजिक क्षेत्र पर मीठी वाणी के बल पर वरिष्ठ लोगो से नए संबंध बनेंगे इसने भविष्य में कुछ न कुछ लाभ अवश्य होगा। पराक्रम शक्ति प्रबल रहने पर भी काम-धंधे से मध्यान तक दौड़धूप के बाद भी सकारात्मक परिणाम ना मिलने से मायूसी आएगी लेकिन संध्या के समय मेहनत का फल धन लाभ के रूप में मिलने से मन को राहत पहुचेगी। संध्या के समय भी व्यवसाय में गति रहेगी लेकिन खर्च बढ़ने से संचय नही कर पाएंगे। घर मे मातृ शक्ति की अधिक चलेगी काम निकालने के लिये खुशामद करनी पड़ेगी। भूमि वाहन सुख आज उत्तम रहेगा। व्यावसायिक चिंता को छोड़ सेहत ठीक ही रहेगी।

मिथुन👫 (का, की, कू, घ, ङ, छ, के, को, हा)
आज का दिन भी कार्य सफलता दायक रहेगा लेकिन आज आपको गलत मार्गदर्शन करने वाले भी मिलेंगे जो आपके हितैषी बनकर बेवजह ही उटपटांग सलाह देकर मार्गभ्रमित करेंगे। किसी भी कार्य को करने से पहले घर मे बुजुर्गों की सलाह अवश्य लें सफलता निश्चत होगी। व्यावसायिक क्षेत्र पर आज अन्य दिनों की तुलना में अधिक माथापच्ची करनी पड़ेगी धन लाभ के कई अवसर मिलेंगे लेकिन बेवजह के खर्च भी आज अधिक रहेंगे जिससे थोड़ा बहुत लाभ ही हाथ लगेगा। आज जोखिम वाले कार्यो में निवेश से बचे अन्यथा धन फंस सकता है। आध्यात्म के क्षेत्र से जुड़े जातको को साधना में नई अनुभूति होगी। गूढ़ विषयो को जानने की लालसा बढ़ेगी। सेहत में कुछ विकार भी आ सकता है। पेट से ऊपर के भाग संबंधित परेशानी की संभावना है।

कर्क🦀 (ही, हू, हे, हो, डा, डी, डू, डे, डो)
आज का दिन आपकी आशाओं पर खरा उतरेगा दिनचर्या भी आज व्यवस्थित रहने का फायदा मिलेगा। दिन के आरंभ में कार्य करने की गति थोड़ी धीमी रहेगी लेकिन मध्यान से धीरे धीरे गति आने लगेगी एक बार सफ़लता का स्वाद चखने के बाद अधिक निष्ठा से कार्यो में तल्लीन हो जाएंगे। धन की आमद रुक रुक कर पर एकसाथ कई मार्ग से होने पर उत्साहित रहेंगे। जोखिम आज बेजीझक ले सकते है लाभ ही होगा। मध्यान बाद आपका ध्यान कार्य क्षेत्र पर कम मनोरंजन पर अधिक रहेगा जल्दबाजी में कार्य करेंगे जिससे कुछ त्रुटि होने की संभावना है सतर्क होकर कार्य करें। पारिवारिक वातावरण लगभग शांत ही रहेगा किसी की जिद के आगे झुकना पड़ेगा। जोड़ो में तकलीफ हो सकती है।

सिंह🦁 (मा, मी, मू, मे, मो, टा, टी, टू, टे)
आज भी दिन आपके लिये प्रतिकूल रहने वाला है सेहत में आज भी कुछ ना कुछ विकार रहने से कार्य करने का मन नही करेगा आज आपको ज्यादा भाग दौड़ अथवा मेहनत के कार्य से बचना चाहिये अन्यथा स्थिति गंभीर भी हो सकती है। मध्यान के समय कार्यो को जबरदस्ती करेंगे जिससे थकान बढ़ेंगी और काम मे भी कुछ ना कुछ नुक्स रह जायेगा। दोपहर बाद का समय थोड़ा राहत वाला रहेगा किसी स्वजन की सहायता से धन अथवा अन्य प्रकार से लाभ होगा सेहत में सुधार तो आएगा परन्तु विपरीत लिंगीय आकर्षण भी बढ़ने से अपमान जैसी स्थिति बनेगी। घर के सदस्यों का सहयोग आज कम ही मिलेगा पति पत्नी एकदूसरे को शंका की दृष्टि से देखेंगे। यात्रा ना करें।

कन्या👩 (टो, पा, पी, पू, ष, ण, ठ, पे, पो)
आज का दिन लाभदायक है आज आप जिस भी कार्य को करने का मन बनाएंगे परिस्थितियां पहले से ही इसके अनुकूल बनने लगे जाएंगी। कार्य क्षेत्र पर प्रतिस्पर्धा रहने पर भी आपके व्यवसाय को प्रभावित नही कर पायेगी। नौकरी पेशाओ को अपने कार्य मे विजय मिलने से अधिकारी वर्ग से निकटता बढ़ेगी लेकिन बच कर भी रहे आज जिससे भी प्रेम संबंधों में घनिष्ठता बढ़ेगी वही कुछ ना कुछ भार आपके ऊपर डालेगा जिससे अपने कार्यो अथवा हितों की हानि हो सकती है। धन लाभ के लिये ज्यादा भागदौड़ नही करनी पड़ेगा सहज रूप से होने पर निश्चिन्त रहेंगे। गृहस्थी में सुख शांति बनी रहेगी पैतृक साधनों में वृद्धि करने से घर के बड़े बुजुर्ग प्रसन्न रहेंगे लेकिन महिलाए किसी बात को लेकर मुह फुलायेंगी सेहत मामूली बातो को छोड़ ठीक ही रहेगी।

तुला⚖️ (रा, री, रू, रे, रो, ता, ती, तू, ते)
आज के दिन भी आप अपने मन की ही सुनेंगे और करेंगे। व्यवहारिकता रहेगी फिर भी अपने मे ही मगन रहेंगे किसी का कार्यो में दखल देना आपको भायेगा नही। कार्य व्यवसाय में आज बुद्धि और धन दोनो लगाने पर ही लाभ कमाया जा सकता है। सहकर्मी आपके अड़ियल व्यवहार से परेशान रहेंगे कहासुनी भी हो सकती है फिर भी आज संध्या के समय धन की प्राप्ति किसी पुराने साधन के द्वारा हो ही जाएगी। मन मे लंबी यात्रा के विचार बनेंगे लेकिन आज करना केवल खर्च बढ़ाना मात्र रहेगा इससे लाभ की आशा ना रखें। घर का वातावरण भी आज ढुलमुल रहेगा वादा पूरा करने में आनाकानी करेंगे जिससे परिजनों के मन मे कड़वाहट आएगी। सेहत आज सामान्य रहेगी फिर भी लोहे के उपकरणों से सावधान रहें।

वृश्चिक🦂 (तो, ना, नी, नू, ने, नो, या, यी, यू)
आज का दिन भी आपकी आशा के अनुकूल रहेगा लेकिन आज आप लाभ पाने के लिये गलत हथकंडे अपनाएंगे जिससे सामाजिक क्षेत्र पर आलोचना हो सकती है। पुराने कार्य से धन की आमद निश्चित रहेगी फिर भी ज्यादा पाने की लालसा में चैन से ना खुद बैठेंगे ना ही कार्य क्षेत्र पर अन्य सहयोगियों को बैठने देंगे। सहकर्मी मन ही मन आपको बुराभला कहेंगे पर आर्थिक रूप से मदद मिलने पर व्यवहार बदल जायेगा। व्यवसाय में नए प्रतिद्वन्दी उभरेंगे लेकिन आज आपका चाहकर भी अहित नही कर पाएंगे। भागीदारी के कार्यो में निवेश से बचें। घर मे किसी के ऊपर नाजायज दबाव डालने से कलह हो सकती है। नेत्र, हड्डी, मूत्र संबंधित समस्या होने की संभावना है।

धनु🏹 (ये, यो, भा, भी, भू, ध, फा, ढा, भे)
आज के दिन भी आपको घरेलू एवं सामाजिक क्षेत्र पर प्रतिकूल फल मिलने वाले है। दिन के आरंभ से ही आपका स्वभाव अत्यंत रूखा रहेगा लोगो की कमियां खोज खोज कर लड़ने के लिये तैयार रहेंगे घर के सदस्य भी पुरानी गलतियां गिना कर माहौल को अधिक अशांत बनाएंगे। मध्यान बाद स्थिति में थोड़ा सुधार आएगा कार्य क्षेत्र पर आकस्मिक धन लाभ होने से मन की कड़वाहट कम होगी लेकिन धन संबंधित विषयों को लेकर किसी न किसी से कलह भी हो सकती है। संध्या का समय व्यवसाय में वृद्धि करेगा लेकिन धन लाभ होने की जगह आश्वासन ही मिलेंगे। घर में भी वातावरण पहले से शांत बनेगा पर पूरी तरह शांत होने में समय लग सकता है। अनैतिक कार्यो से दूर रहे शारीरिक हानि के साथ मान भंग होने की संभावना है। मानसिक अशांति अन्य विकारों को जन्म देगी शान्त रहने का प्रयास करें।

मकर🐊 (भो, जा, जी, खी, खू, खा, खो, गा, गी)
आज का दिन भी आपको आर्थिक समृद्धि प्रदान करेगा लेकिन आज खर्च करते समय सोच विचार अवश्य करें ठगे जाने अथवा अन्य कारणों से हानि हो सकती है घर के बड़े परिजन भी आपकी फिजूल खर्ची से नाराज होंगे इसके बाद ही मितव्ययी बनेंगे। कार्य क्षेत्र से दिन के पूर्वार्द्ध में ही अनुकूल वातावरण मिलेगा धन की आमद असमय होने से आश्चर्य में पढ़ेंगे। दूर रहने वाले स्वयंजन से कोई अप्रिय सूचना मिलने से कुछ समय के लिये उदासी छाएगी फिर भी अन्य क्षेत्रों से उत्साहित करने वाले प्रसंग बनते रहेंगे। वाहन चलाते समय विशेष सावधानी रखें अकस्मात दुर्घटना में चोटादि का भय है शरीर मे दुखन एवं मूत्राशय संबंधित संमस्या होगी।

कुंभ🍯 (गू, गे, गो, सा, सी, सू, से, सो, दा)
आज के दिन आपको घर और कारोबार में तालमेल बैठाने में परेशानी आएगी। दिमाग मे व्यवसाय सम्बंधित उलझने दिन के आरंभ से ही लगी रहेंगी उपर से घरेलू कार्य का बोझ आने से दुविधा में रहेंगे घर के बुजुर्गों का सहयोग भी कम रहने से स्वयं को ही अधिकांश कार्य निपटाने पड़ेंगे। दोपहर बाद भागदौड़ से निजात मिलेगी लेकिन व्यावसायिक कारणों से व्यस्तता बढ़ेगी कार्य क्षेत्र का माहौल अकस्मात बदलने से थोड़ी असहजता होगी फिर भी सहयोगियों की मदद से इससे पर पा लेंगे धन की आमद टलते टलते संध्या के समय अचानक होगी। घर मे आज किसी के नाराज होने से वातावरण कुछ समय के लिये उदासीन बनेगा बात मानने पर सामान्य हो जाएगा संचित धन में कमी आएगी सेहत में भी कुछ न कुछ विकार रहेगा पर कार्य रुकने नही देंगे।

मीन🐳 (दी, दू, थ, झ, ञ, दे, दो, चा, ची)
आज के दिन आपका व्यक्तित्त्व निखरा हुआ रहेगा लेकिन स्वभाव में जिद और अहम भी रहने से लोग आपकी बातो का गलत अर्थ ही निकालेंगे। मध्यान से पहले तक एकाग्रता अधिक रहेगी मानसिक रूप से शांत रहने के कारण दैनिक पूजा पाठ में आज अधिक मन लगेगा लेकिन दोपहर बाद कार्य भार बढ़ने से एकाग्रता भंग होगी जिस कार्य को करना है उसे छोड़ व्यर्थ के कार्यो में रुचि लेंगे। कार्य व्यवसाय में मेहनत से पीछे नही हटेंगे परन्तु तुरंत फल पाने की चाह मानसिक अशांति बढ़ाएगी धैर्य से काम ले आज आवश्यकता अनुसार आर्थिक लाभ अवश्य होगा भले थोड़ा विलंब से ही हो। पारिवारिक वातावरण अपने काम से काम रखने तक ही शांत रहेगा किसी को ताने मारना अथवा कार्य मे दखल देना परेशानी में डालेगा। सेहत छोटी मोटी व्याधि को छोड़ सामान्य रहेगी।
〰〰〰〰〰〰〰〰〰〰〰
〰〰〰〰〰🙏राधे राधे🙏

कौन कहता है कि द्रौपदी के पांच पति थे 200 वर्षों से प्रचारित झूठ का खंडन -👇👇👇

द्रौपदी का एक ही पति था- युधिष्ठिर

_जर्मन के संस्कृत जानकार मैक्स मूलर को जब विलियम हंटर की कमेटी के कहने पर वैदिक धर्म के आर्य ग्रंथों को बिगाड़ने का जिम्मा सौंपा गया तो उसमे मनु स्मृति, रामायण, वेद के साथ साथ महाभारत के चरित्रों को बिगाड़ कर दिखाने का भी काम किया गया। किसी भी प्रकार से प्रेरणादायी पात्र – चरित्रों में विक्षेप करके उसमे झूठ का तड़का लगाकर महानायकों को चरित्रहीन, दुश्चरित्र, अधर्मी सिद्ध करना था, जिससे भारतीय जनमानस के हृदय में अपने ग्रंथो और महान पवित्र चरित्रों के प्रति घृणा और क्रोध का भाव जाग जाय और प्राचीन आर्य संस्कृति सभ्यता को निम्न दृष्टि से देखने लगें और फिर वैदिक धर्म से आस्था और विश्वास समाप्त हो जाय। लेकिन आर्य नागरिको के अथक प्रयास का ही परिणाम है कि मूल महाभारत के अध्ययन बाद सबके सामने द्रोपदी के पाँच पति के दुष्प्रचार का सप्रमाण खण्डन किया जा रहा है। द्रोपदी के पवित्र चरित्र को बिगाड़ने वाले विधर्मी, पापी वो तथाकथित ब्राह्मण, पुजारी, पुरोहित भी हैं जिन्होंने महाभारत ग्रंथ का अध्ययन किये बिना अंग्रेजो के हर दुष्प्रचार और षड्यंत्रकारी चाल, धोखे को स्वीकार कर लिया और धर्म को चोट पहुंचाई।_

अब ध्यानपूर्वक पढ़ें—

#विवाह का विवाद क्यों पैदा हुआ था:–

(१) अर्जुन ने द्रौपदी को स्वयंवर में जीता था। यदि उससे विवाह हो जाता तो कोई परेशानी न होती। वह तो स्वयंवर की घोषणा के अनुरुप ही होता।

(२) परन्तु इस विवाह के लिए कुन्ती कतई तैयार नहीं थी।

(३) अर्जुन ने भी इस विवाह से इन्कार कर दिया था। “बड़े भाई से पहले छोटे का विवाह हो जाए यह तो पाप है। अधर्म है।” (भवान् निवेशय प्रथमं)

मा मा नरेन्द्र त्वमधर्मभाजंकृथा न धर्मोsयमशिष्टः (१९०-८)

(४) कुन्ती मां थी। यदि अर्जुन का विवाह भी हो जाता,भीम का तो पहले ही हिडम्बा से (हिडम्बा की ही चाहना के कारण) हो गया था। तो सारे देश में यह बात स्वतः प्रसिद्ध हो जाती कि निश्चय ही युधिष्ठिर में ऐसा कोई दोष है जिसके कारण उसका विवाह नहीं हो सकता।

 

(५) आप स्वयं निर्णय करें कुन्ती की इस सोच में क्या भूल है? वह माता है, अपने बच्चों का हित उससे अधिक कौन सोच सकता है? इसलिए माता कुन्ती चाहती थी और सारे पाण्डव भी यही चाहते थे कि विवाह युधिष्ठिर से हो जाए।

 

प्रश्न:-क्या कोई ऐसा प्रमाण है जिसमें द्रौपदी ने अपने को केवल एक की पत्नी कहा हो या अपने को युधिष्ठिर की पत्नी बताया हो ?

 

#उत्तर:-

 

(1)-#द्रौपदी को कीचक ने परेशान कर दिया तो दुःखी द्रौपदी भीम के पास आई। उदास थी। भीम ने पूछा सब कुशल तो है? द्रौपदी बोली जिस स्त्री का पति राजा युधिष्ठिर हो वह बिना शोक के रहे, यह कैसे सम्भव है?

 

आशोच्यत्वं कुतस्यस्य यस्य भर्ता युधिष्ठिरः ।

जानन् सर्वाणि दुःखानि कि मां त्वं परिपृच्छसि ।।-(विराट १८/१)

 

_द्रौपदी स्वयं को केवल युधिष्ठिर की पत्नि बता रही है।_

 

(2)- वह भीम से कहती है- जिसके बहुत से भाई, श्वसुर और पुत्र हों,जो इन सबसे घिरी हो तथा सब प्रकार अभ्युदयशील हो, ऐसी स्थिति में मेरे सिवा और दूसरी कौन सी स्त्री दुःख भोगने के लिए विवश हुई होगी-

 

भ्रातृभिः श्वसुरैः पुत्रैर्बहुभिः परिवारिता ।

एवं सुमुदिता नारी का त्वन्या दुःखिता भवेत् ।।-(२०-१३)

 

द्रौपदी स्वयं कहती है उसके बहुत से भाई हैं, बहुत से श्वसुर हैं, बहुत से पुत्र भी हैं,फिर भी वह दुःखी है। यदि बहुत से पति होते तो सबसे पहले यही कहती कि जिसके पाँच-पाँच पति हैं, वह मैं दुःखी हूँ,पर होते तब ना ।

 

(3)-और जब भीम ने द्रौपदी को,कीचक के किये का फल देने की प्रतिज्ञा कर ली और कीचक को मार-मारकर माँस का लोथड़ा बना दिया तब अन्तिम श्वास लेते कीचक को उसने कहा था, *”जो सैरन्ध्री के लिए कण्टक था,जिसने मेरे भाई की पत्नी का अपहरण करने की चेष्टा की थी, उस दुष्ट कीचक को मारकर आज मैं अनृण हो जाऊंगा और मुझे बड़ी शान्ति मिलेगी।”

 

अद्याहमनृणो भूत्वा भ्रातुर्भार्यापहारिणम् ।

शांति लब्धास्मि परमां हत्वा सैरन्ध्रीकण्टकम् ।।-(विराट २२-७९)

 

इस पर भी कोई भीम को द्रौपदी का पति कहता हो तो क्या करें? मारने वाले की लाठी तो पकड़ी जा सकती है, बोलने वाले की जीभ को कोई कैसे पकड़ सकता है?

 

(4)-द्रौपदी को दांव पर लगाकर हार जाने पर जब दुर्योधन ने उसे सभा में लाने को दूत भेजा तो द्रौपदी ने आने से इंकार कर दिया। उसने कहा जब राजा युधिष्ठिर पहले स्वयं अपने को दांव पर लगाकर हार चुका था तो वह हारा हुआ मुझे कैसे दांव पर लगा सकता है? महात्मा विदुर ने भी यह सवाल भरी सभा में उठाया। #द्रौपदी ने भी सभा में ललकार कर यही प्रश्न पूछा था -क्या राजा युधिष्ठिर पहले स्वयं को हारकर मुझे दांव पर लगा सकता था? सभा में सन्नाटा छा गया।* किसी के पास कोई उत्तर नहीं था। तब केवल भीष्म ने उत्तर देने या लीपा-पोती करने का प्रयत्न किया था और कहा था, *”जो मालिक नहीं वह पराया धन दांव पर नहीं लगा सकता परन्तु स्त्री को सदा अपने स्वामी के ही अधीन देखा जा सकता है।”-

 

अस्वाभ्यशक्तः पणितुं परस्व ।स्त्रियाश्च भर्तुरवशतां समीक्ष्य ।-(२०७-४३)

 

“ठीक है युधिष्ठिर पहले हारा है पर है तो द्रौपदी का पति और पति सदा पति रहता है, पत्नी का स्वामी रहता है।”

 

यानि द्रौपदी को युधिष्ठिर द्वारा हारे जाने का दबी जुबान में भीष्म समर्थन कर रहे हैं। यदि द्रौपदी पाँच की पत्नी होती तो वह ,बजाय चुप हो जाने के पूछती,जब मैं पाँच की पत्नी थी तो किसी एक को मुझे हारने का क्या अधिकार था? द्रौपदी न पूछती तो विदुर प्रश्न उठाते कि “पाँच की पत्नि को एक पति दाँव पर कैसे लगा सकता है? यह न्यायविरुद्ध है।”

 

_स्पष्ट है द्रौपदी ने या विदुर ने यह प्रश्न उठाया ही नहीं। यदि द्रौपदी पाँचों की पत्नी होती तो यह प्रश्न निश्चय ही उठाती।_

 

इसीलिए भीष्म ने कहा कि द्रौपदी को युधिष्ठिर ने हारा है। युधिष्ठिर इसका पति है। चाहे पहले स्वयं अपने को ही हारा हो, पर है तो इसका स्वामी ही। और नियम बता दिया – जो जिसका स्वामी है वही उसे किसी को दे सकता है,जिसका स्वामी नहीं उसे नहीं दे सकता।

 

(5)- #द्रौपदी कहती है- “कौरवो ! मैं धर्मराज युधिष्ठिर की धर्मपत्नि हूं।तथा उनके ही समान वर्ण वाली हू।आप बतावें मैं दासी हूँ या अदासी?आप जैसा कहेंगे,मैं वैसा करुंगी।”-

 

तमिमांधर्मराजस्य भार्यां सदृशवर्णनाम् ।

ब्रूत दासीमदासीम् वा तत् करिष्यामि कौरवैः ।।-(६९-११-९०७)

 

#द्रौपदी अपने को युधिष्ठिर की पत्नी बता रही है।

 

(6)- #पाण्डव वनवास में थे दुर्योधन की बहन का पति सिंधुराज जयद्रथ उस वन में आ गया। उसने द्रौपदी को देखकर पूछा -तुम कुशल तो हो?द्रौपदी बोली सकुशल हूं।मेरे पति कुरु कुल-रत्न कुन्तीकुमार राजा युधिष्ठिर भी सकुशल हैं।मैं और उनके चारों भाई तथा अन्य जिन लोगों के विषय में आप पूछना चाह रहे हैं, वे सब भी कुशल से हैं। राजकुमार ! यह पग धोने का जल है। इसे ग्रहण करो।यह आसन है, यहाँ विराजिए।-

 

कौरव्यः कुशली राजा कुन्तीपुत्रो युधिष्ठिरः

अहं च भ्राताश्चास्य यांश्चा न्यान् परिपृच्छसि ।-(१२-२६७-१६९४)

 

#द्रौपदी भीम,अर्जुन,नकुल,सहदेव को अपना पति नहीं बताती,उन्हें पति का भाई बताती है।

 

और आगे चलकर तो यह एकदम स्पष्ट ही कर देती है। जब युधिष्ठिर की तरफ इशारा करके वह जयद्रथ को बताती है—

 

एतं कुरुश्रेष्ठतमम् वदन्ति युधिष्ठिरं धर्मसुतं पतिं मे ।-(२७०-७-१७०१)

 

“कुरू कुल के इन श्रेष्ठतम पुरुष को ही ,धर्मनन्दन युधिष्ठिर कहते हैं। ये मेरे पति हैं।”

 

क्या अब भी सन्देह की गुंजाइश है कि द्रौपदी का पति कौन था?

 

(7)- कृष्ण संधि कराने गए थे। दुर्योधन को धिक्कारते हुए कहने लगे”– दुर्योधन! तेरे सिवाय और ऐसा अधम कौन है जो बड़े भाई की पत्नी को सभा में लाकर उसके साथ वैसा अनुचित बर्ताव करे जैसा तूने किया। –

 

कश्चान्यो भ्रातृभार्यां वै विप्रकर्तुं तथार्हति ।

आनीय च सभां व्यक्तं यथोक्ता द्रौपदीम् त्वया ।।-(२८-८-२३८२)

 

कृष्ण भी द्रौपदी को दुर्योधन के बड़े भाई की पत्नी मानते हैं।

द्रौपदी का केवल एक ही पति था – युधिस्ठिर। उनका नाम पांचाली इसलिए था क्योकि वो पांचाल नरेश की पुत्री थी , न की पाँच भाइयों की पत्नी। इसके अन्य प्रमाण भी महाभारत में हैं।

 

अब सत्य को ग्रहण करें और द्रौपदी के पवित्र चरित्र का सम्मान करें।

वेदों की ओर चले , मनुष्य बने , तार्किक बने।

बाकि आप खुद ,,,,,,,, समझ लीजिए,,,,,,,

 

तर्कशील बने।*

*विज्ञानवादी बने।*

*भारत को सामर्थ्यशाली बनाएँ !*

 

पर्दाफाश होगा।

आज नही तो कल निश्चित होगा।।

देश के लोगों का मान सम्मान स्वाभिमान छीनने वाले दुश्मनों का सत्यानाश होगा।

*अंधविश्वासभगाओ*

*आत्मविश्वासजगाओ*

 

*शिक्षित बनो और शिक्षित करो।*

 

सबेरा और उजाला तब नहीं होता जब सूर्योदय होता है, उसके लिए आंखें भी खोलनी पडती है।

 

Curtsy Surekha Koth