आज का पंचाग आपका राशि फल, इंग्लैंड में संस्कृत शिक्षा के आविर्भाव का इतिहास

संसार के पहले सर्जन थे महर्षि सुश्रुत 

🕉श्री हरिहरो विजयतेतराम🕉
🌄सुप्रभातम🌄
🗓आज का पञ्चाङ्ग🗓
🌻गुरुवार, ०२ दिसम्बर २०२१🌻

सूर्योदय: 🌄 ०६:५६
सूर्यास्त: 🌅 ०५:२१
चन्द्रोदय: 🌝 २९:३१
चन्द्रास्त: 🌜१५:४४
अयन 🌕 दक्षिणायने (दक्षिणगोलीय
ऋतु: शरद्
शक सम्वत: 👉 १९४३ (प्लव)
विक्रम सम्वत: 👉 २०७८ (आनन्द)
मास 👉 मार्गशीर्ष
पक्ष 👉 कृष्ण
तिथि 👉 त्रयोदशी (२०:२६ तक)
नक्षत्र 👉 स्वाती (१६:२८ तक)
योग 👉 शोभन (१७:०० तक)
प्रथम करण 👉 गर (१०:०४ तक)
द्वितीय करण 👉 वणिज (२०:२६ तक)
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॥ गोचर ग्रहा: ॥
🌖🌗🌖🌗
सूर्य 🌟 वृश्चिक
चंद्र 🌟 तुला
मंगल 🌟 तुला (उदित, पश्चिम, मार्गी)
बुध 🌟 वृश्चिक (अस्त, पूर्व, मार्गी)
गुरु 🌟 कुंम्भ (उदय, पूर्व, मार्गी)
शुक्र 🌟 धनु (उदय, पश्चिम, मार्गी)
शनि 🌟 मकर (उदय, पूर्व, मार्गी)
राहु 🌟 वृष
केतु 🌟 वृश्चिक
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शुभाशुभ मुहूर्त विचार
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अभिजित मुहूर्त 👉 ११:४६ से १२:२७
अमृत काल 👉 ०८:३१ से ०९:५८, २९:५६ से ०७:२२
विजय मुहूर्त 👉 १३:५० से १४:३१
गोधूलि मुहूर्त 👉 १७:०६ से १७:३०
निशिता मुहूर्त 👉 २३:३९ से २४:३४
राहुकाल 👉 १३:२४ से १४:४१
राहुवास 👉 दक्षिण
यमगण्ड 👉 ०६:५६ से ०८:१४
होमाहुति 👉 केतु
दिशाशूल 👉 दक्षिण
अग्निवास 👉 पाताल (२०:२६ से पृथ्वी)
भद्रावास 👉 पाताल (२०:२६ से ३०:४३ तक)
चन्द्रवास 👉 पश्चिम
शिववास 👉 भोजन में (२०:२६ से श्मशान में)
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☄चौघड़िया विचार☄
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॥ दिन का चौघड़िया ॥
१ – शुभ २ – रोग
३ – उद्वेग ४ – चर
५ – लाभ ६ – अमृत
७ – काल ८ – शुभ
॥रात्रि का चौघड़िया॥
१ – अमृत २ – चर
३ – रोग ४ – काल
५ – लाभ ६ – उद्वेग
७ – शुभ ८ – अमृत
नोट– दिन और रात्रि के चौघड़िया का आरंभ क्रमशः सूर्योदय और सूर्यास्त से होता है। प्रत्येक चौघड़िए की अवधि डेढ़ घंटा होती है।
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शुभ यात्रा दिशा
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उत्तर-पश्चिम (दही का सेवन कर यात्रा करें)
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तिथि विशेष
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प्रदोष व्रत, मासिक शिवरात्रि, देवप्रतिष्ठा+वाहनादि क्रय-विक्रय+व्यवसाय आरम्भ+उद्योग (मशीनरी) आरम्भ+गृहप्रवेश मुहूर्त प्रातः १०:५७ से दोपहर ०२:५४ तक, नीवखुदाई एवं गृहारम्भ मुहूर्त प्रातः ०७:०३ से ०८:२० तक, विवाहादी मुहूर्त कुंम्भ-मीन लग्न प्रातः ११:५५ से दोपहर ०२:५२ तक आदि।
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आज जन्मे शिशुओं का नामकरण
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आज १६:२८ तक जन्मे शिशुओ का नाम
स्वाति नक्षत्र के तृतीय एवं चतुर्थ चरण अनुसार क्रमशः (रो, ता) नामाक्षर से तथा इसके बाद जन्मे शिशुओं का नाम विशाखा नक्षत्र के प्रथम, द्वितीय एवं तृतीय चरण अनुसार क्रमश (ती, तू, ते) नामाक्षर से रखना शास्त्रसम्मत है।
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उदय-लग्न मुहूर्त
वृश्चिक – २९:४४ से ०८:०४
धनु – ०८:०४ से १०:०७
मकर – १०:०७ से ११:४९
कुम्भ – ११:४९ से १३:१४
मीन – १३:१४ से १४:३८
मेष – १४:३८ से १६:१२
वृषभ – १६:१२ से १८:०६
मिथुन – १८:०६ से २०:२१
कर्क – २०:२१ से २२:४३
सिंह – २२:४३ से २५:०२
कन्या – २५:०२ से २७:२०
तुला – २७:२० से २९:४१
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पञ्चक रहित मुहूर्त
अग्नि पञ्चक – ०६:५६ से ०८:०४
शुभ मुहूर्त – ०८:०४ से १०:०७
रज पञ्चक – १०:०७ से ११:४९
शुभ मुहूर्त – ११:४९ से १३:१४
चोर पञ्चक – १३:१४ से १४:३८
रज पञ्चक – १४:३८ से १६:१२
शुभ मुहूर्त – १६:१२ से १६:२८
चोर पञ्चक – १६:२८ से १८:०६
शुभ मुहूर्त – १८:०६ से २०:२१
रोग पञ्चक – २०:२१ से २०:२६
शुभ मुहूर्त – २०:२६ से २२:४३
मृत्यु पञ्चक – २२:४३ से २५:०२
अग्नि पञ्चक – २५:०२ से २७:२०
शुभ मुहूर्त – २७:२० से २९:४१
रज पञ्चक – २९:४१ से ३०:५७
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आज का राशिफल
🐐🐂💏💮🐅👩
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मेष🐐 (चू, चे, चो, ला, ली, लू, ले, लो, अ)
आज का दिन भी आपके लिए लाभदायक रहेगा। व्यावसायिक क्षेत्र पर आज ज्यादा प्रतिस्पर्धा ना रहने से इसका भरपूर लाभ उठाएंगे। नौकरी वाले जातक आज अतिरिक्त काम आने से कुछ समय के लिये असहज और क्रोध से भरे रहेंगे। मध्यान तक कार्यो में गंभीरता दिखाएंगे लेकिन इसके बाद का समय मौज शौक पूरे करने की इच्छा के चलते कार्यो में ध्यान नही रहेगा फिर भी आज आर्थिक स्थिति निरंतर सुधरेगी। मनोकामनाओं की पूर्ति आसानी से कर सकेंगे। दिखावे की वृत्ति रहने से सामर्थ्य से अधिक खर्च करने के कारण बजट प्रभावित होगा। घर मे आज अन्य दिनों की अपेक्षा शांति रहेगी।

वृष🐂 (ई, ऊ, ए, ओ, वा, वी, वू, वे, वो)
आज का दिन आपके लिए बेहद खर्चीला रहेगा लेकिन धन की आमद भी अकस्मात हो जाने से खर्च अखरेंगे नही। समाजिक कार्यो में रुचि लेने से पारिवारिक प्रतिष्ठा बढ़ेगी। सहकर्मियों से तालमेल की कमी के कारण व्यावसायिक गतिविधियां कुछ समय के लिए प्रभावित होंगी फिर भी संतुलन बनाने में सफल रहेंगे। आय आज कुछेक साधन से ही फिर भी उपयुक्त मात्रा में हो जाएगी। घरेलू सामानों की खरीददारी के साथ ही सुख सुविधा बढ़ाने पर खर्च होगा। घर मे रिश्तेदारों के आगमन से चहल पहल रहेगी। बुजुर्गो से आगे के लिए मार्गदर्शन मिलेगा।

मिथुन👫 (का, की, कू, घ, ङ, छ, के, को, हा)
आज के दिन आपका स्वभाव कुछ रूखा रहेगा। घर हो या बाहर अपनी जिद के आगे किसी की नही चलने देंगे जिससे परिजनों के साथ अन्य लोगो को भी परेशानी में डालेंगे। कार्य क्षेत्र पर भी जल्दबाजी अथवा मनमानी के कारण होने वाले लाभ में कमी आ सकती है। धन सम्बंधित कार्यो को आज ना करें तो ही बेहतर रहेगा अथवा किसी अनुभवी की सलाह के बाद ही करें। आज के दिन आप स्वयं को अन्य लोगो से श्रेष्ठ दिखाने के चक्कर मे अपमानित भी हो सकते है। घर मे सामान्यतः माहौल शांत ही रहेगा लेकिन किसी ना किसी सदस्य से मतभेद उभरने पर उग्र बहस होने की संभावना है।

कर्क🦀 (ही, हू, हे, हो, डा, डी, डू, डे, डो)
आज के दिन आप ना चाहते हुए भी कलह के प्रसंगों में पड़ सकते है अथवा आज किसी ना किसी के द्वारा आपकी आलोचना अवश्य की जाएगी। व्यवहार में नरमी रखना अति आवश्यक है अन्यथा लाभ के अवसरों से दूरी बनेगी। आर्थिक रूप से आज का दिन सामान्य रहेगा खर्चो पर नियंत्रण रखें तो धन संबधित परेशानी नही रहेगी अन्यथा बजट गड़बड़ायेगा। आज आप वैसे तो मितव्ययता से ही काम करेंगे फिर भी कुछ आवश्यक घरेलू खर्च करने ही पड़ेंगे। घर मे अथवा रिश्तेदारों से अशुभ समाचार मिलने की संभावना है। सेहत में धीरे धीरे सुधार आएगा।

सिंह🦁 (मा, मी, मू, मे, मो, टा, टी, टू, टे)
आज के दिन भी आपको सुख शांति की अनुभूति होगी। लेकिन दिन का आरंभिक भाग आलस्य की भेंट चढ़ने से कुछ महत्त्वपूर्ण कार्यो में विलंब होगा। आर्थिक दृष्टिकोण से मध्यान तक स्थिति अच्छी रहेगी इसके बाद व्यवसाय में मंदी आने से थोड़ा बहुत धन लाभ ही हो सकेगा। नौकरी पेशा जातक आज निश्चिन्त होकर आराम में समय बिताएंगे। संध्या का समय बाहर घूमने फिरने मनोरंजन में व्यतीत होगा। घरेलू आवश्यकताओं पर धन खर्च भी आज अधिक रहेगा। गृहस्थ में सदस्यों की चोटी मोटी हरकतों को अनदेखा करें शांति रहेगी।

कन्या👩 (टो, पा, पी, पू, ष, ण, ठ, पे, पो)
आज के दिन आपमे संतोषी वृति रहने से मानसिक रूप से शांत रहेंगे परन्तु घरवालों के ताने आज लापरवाह प्रवृति के कारण सुनने ही पड़ेंगे। कार्य क्षेत्र पर आज अधिक सतर्कता बरतनी पड़ेगी प्रतिस्पर्धा एवं व्यस्तता अधिक रहेगी जिससे चोरी चकारी का भय है। धन लाभ के लिए आज परिश्रम अधिक करना पड़ेगा आवश्यकता अनुसार हो जायेगा। संध्या का समय कार्य से समय निकाल मित्र परिचितों के साथ यात्रा पर्यटन में बिताएंगे लेकिन आपसी संबंध मामूली बातो से खराब ना हो इसका ध्यान रखें। परिवार में अचानक अशांति फैलेगी।

तुला⚖️ (रा, री, रू, रे, रो, ता, ती, तू, ते)
आज के दिन आप काल्पनिक दुनिया मे खोये रहेंगे आज आपके विचार जितने बड़े होंगे उनकी अपेक्षा कर्म नही करेंगे। व्यावसायिक क्षेत्र पर आज विलम्ब से उपस्थिति देने पर कार्य भी विलम्ब से ही चलेंगे। लेकिन फिर भी आर्थिक रूप से आज आप प्रतिस्पर्धियों की अपेक्षा अधिक लाभ कमाएंगे। किसी अनुबंध के मानसिक दुविधा के कारण हाथ से निकलने की संभावना भी है। परिवार में आपके अधिक बोलने के कारण कुछ समय के लिए माहौल खराब हो सकता है महिलाये आज बाहर से प्रसन्न परन्तु अंदर से ईर्ष्यालु रहेंगी। घरेलू आवश्यकताओं के साथ बुजुर्गो की दवाओं पर खर्च करना पड़ेगा।

वृश्चिक🦂 (तो, ना, नी, नू, ने, नो, या, यी, यू)
आज का दिन आपके लिए अशुभ रहेगा। आज जिस भी कार्य को करने का मन बनाएंगे उसी में विघ्न-बाधाएं आएंगी कार्य व्यवसाय में भी आज छोटी सी गलती बड़ा नुकसान कराएगी सतर्क रहें। आज पुराने कार्यो से ही थोड़ा बहुत लाभ हो सकता है नए कार्य अभी हाथ मे ना लें नई परेशानी में पड़ सकते है। आज किसी के बुरे भले कहने अथवा चुगली करने से परेशान ना हों आज ऐसे कई प्रसंग बनेंगे मौन रहने पर किसी भी प्रकार के कुप्रभाव से बच जाएंगे। परिवार में भी आज सबके अलग अलग मत रहने से तालमेल बैठाने में दिक्कत आएगी। रात्रि के समय से कुछ राहत मिलने लगेगी।

धनु🏹 (ये, यो, भा, भी, भू, ध, फा, ढा, भे)
आज के दिन आप घरेलू कार्यो में ज्यादा व्यस्त रहेंगे प्रातः काल से ही कही बाहर पर्यटन अथवा रिश्तेदारी में जाने की तैयारी रहेगी। कार्य क्षेत्र पर अधिक ध्यान नही दे पाएंगे फलस्वरूप आंशिक लाभ से ही संतोष करना पड़ेगा। खर्च आय से ज्यादा रहेंगे फिर भी अधिकांश खर्च आवश्यक होने के कारण इसका आपके ऊपर कोई फर्क नही पड़ेगा। नौकरी पेशा जातको को आज कोई शुभ समाचार मिलेगा इसका लाभ भी अतिशीघ्र मिलने की संभावना है। आज आसपडोसियो अथवा यात्रा में सहयात्रियों से विनम्र व्यवहार करें झगड़ा हो सकता है। घरेलु सुख बढ़ेगा।

मकर🐊 (भो, जा, जी, खी, खू, खा, खो, गा, गी)
आज का दिन आपके लिए आनंददायक रहेगा दिन को ज्यादा खुशनुमा बनाने में परिजनों के साथ ही मित्र रिश्तेदारो का भी सहयोग मिलेगा। दिन के आरंभ में थोड़ी सुस्ती अवश्य रहेगी लेकिन इसके बाद शारीरिक रूप से चुस्त नजर आएंगे। सिन का अधिकांश समय सैर सपाटे मनोरंजन में व्यतीत होगा। व्यवसायी वर्ग भी आज अधूरे कार्य को जल्दी निपटाने का प्रयास करेंगे। आर्थिक दृष्टिकोण से आज के दिन तालमेल बना रहेगा फिर भी अनुपयोगी खर्च चाह कर भी नही रोक सकेंगे। परिजनों को कामना पूर्ति होने से घर मे उत्साह का वातावरण बनेगा।

कुंभ🍯 (गू, गे, गो, सा, सी, सू, से, सो, दा)
आज का दिन आपके लिए थोड़ा भाग दौड़ वाला रहेगा। फिर भी आज किसी मनोकामना पूर्ति ना होने से निराश हो सकते है। धार्मिक क्षेत्र की यात्रा देवदर्शन के योग बनने से मानसिक शांति मिलेगी। आज आप अपने मन की बातों को खुल कर कह सकेंगे जिससे लोगो से आपसी संबंध ज्यादा प्रगाढ़ बनेंगे। घर के साथ ही बाहर वालो का भी आपके ऊपर विश्वाश बढ़ेगा। आज आपकी किसी नादानी का फल परिजनों को भी भुगतना पड़ सकता है मान सम्मान को ध्यान में रख कर ही कोई कदम उठाएं आर्थिक आयोजन सहज पूर्ण होंगे फिर भी धन की आमद आज मध्यम से कम ही रहेगी।

मीन🐳 (दी, दू, थ, झ, ञ, दे, दो, चा, ची)
आज का दिन भी आपके लिए विपरीत फलदायक रहेगा। सेहत के विषय मे आज अधिक ध्यान रखना पड़ेगा लापरवाही करने पर आगे परिणाम गंभीर बन सकते है। शारीरिक अस्वस्थता के कारण किसी भी कार्य मे मन मुश्किल से ही लगा पाएंगे। हाथ पैरों में शिथिलता रहेगी पेट संबंधित अथवा जुखाम बुखार आदि से कष्ट संभव है। आज किसी भी कार्य में जोर जबरदस्ती करने का प्रयास ना करें अन्यथा परिणाम निराशाजनक ही रहेंगे। यात्रा का विचार कर रहे है तो यथा संभव टाले आकस्मिक दुर्घटना चोटादि का भय रहेगा। परिजनों के साथ अधिक समय बिताने का प्रयास करें गलतफहमियां दूर होंगी।
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〰〰〰〰🙏राधेराधे🙏

 

१८१० ए.डी. तक, इंग्लैंड में संस्कृत शिक्षा की कोई व्यवस्था नहीं थी। सबसे पहले इंग्लैंड में, १८११ में ऑक्सफोर्ड यूनीवर्सिटी में संस्कृत भाषा की शिक्षा के लिए व्यवस्था की गई। इसके लिए एक कट्टर ईसाई सामने आया , वह था कर्नल “जोसेफ बोडन” जो कि “ईस्ट इंडिया कम्पनी” की सेना में बम्बई में लेफ्टिनेंट- कर्नल रहा था।

इसने अवकाश ग्रहण करने के बाद, अपनी समस्त सम्पत्ति, जो उस समय लगभग पच्चीस हजार पौंड थी, की वसीयत ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय में संस्कृत-प्रोफेसर के एक पद की स्थापना के लिए कर दी , विश्वविद्यालय ने कृतज्ञता स्वरूप इसका नाम ‘बोडेन चेयर ऑफ संस्कृत’ रख दिया। बोडेन चेयर का उद्देश्य केवल साहित्यिक दृष्टि से संस्कृत भाषा का पढ़ना-पढ़ाना नहीं था , बल्कि ब्रिटेन के राजैतिक और “ईसाई मिशनरियों” के धार्मिक_हितों की पूर्ति के लिए था।

कर्नल बोडेन ने अपनी वसीयत, जो कि १५ अगस्त १८११ को कैंटरबरी, यू॰के॰ के न्यायालय में रजिस्टर्ड की गई , उसके मुख्य अंश और उद्देश्य इस प्रकार हैं:

“मैं अपनी समस्त सम्पत्ति ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय को दान देता हूँ। वे इसे विश्वविद्यालय या किसी कॉलेज में, जहाँ वे उचित समझें प्रयोग करें ताकि उसके देश (इंग्लैंड) वासियों को संस्कृत भाषा का समुचित ज्ञान हो सके , जो भारत के मूल निवासियों के धर्मग्रंथों को समझने और उनके “ईसाईयत में धर्मान्तरण” में सहायक हो सकें।” (भारती पृ. २४९-२५०)

“बोडेन चेयर” पर प्रतिष्ठित होने वालो सबसे पहला व्यक्ति
“एच.एच. विलसन” (१७८६-१८६०) था। वह भारत में मेडीकल प्रोफेशन के एक सदस्य के रूप में, १८०८ में आया तथा १८३२ तक यहाँ रहा। भारत निवास के इस काल में उसने संस्कृत भाषा सीखी , इस आशा और उद्देश्य से कि शायद यह भाषा ज्ञान उसे हिन्दू धर्म
शास्त्रों को समझने और ‘आवश्यकता होने पर विकृत अर्थ करने और भारतीयों को ईसाईयत में धर्मान्तरित करने में सहायक हो सके। इस संस्कृत ज्ञान के आधार पर ही विलसन को , १८३२ में, ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय में संस्कृत की बोडेन चेयर का “प्रथम अधिष्ठाता” बनाया गया।

यहाँ उसने सबसे पहले मिशनरियों के लिए “दी रिलीजन एण्ड फिलोसोफिकल सिस्टम ऑफ दी हिन्दूज” नामक पुस्तक लिखी, इस पुस्तक के लिखने के उद्देश्य के विषय में उसने कहाः

“यह लेखमाला उन व्यक्तियों की सहायता के लिए लिखी गई हैं जो कि म्यू द्वारा स्थापित दो सौं पौंड के पुरस्कार के लिए प्रत्याशी हों और जो हिन्दू धर्म ग्रन्थों का सर्वोत्तम प्रकार से खंडन कर सकें।” (भारती, पृ. ९)

१८६० में, प्रो॰ विलसन के निधन के बाद, बोडेन चेयर का दूसरा अधिष्ठाता “मौनियर विलियम्स” हुआ। १८१९ में बम्बई में जन्मा मौनियर एक कट्टर ईसाई था। यह हिन्दू धर्म को नष्ट करने को और भी अधिक वचनबद्ध था जैसा कि उसने अपनी पुस्तक ‘ए संस्कृत-इंग्लिश डिक्शनरी’ की भूमिका में लिखाः

“मैं इस तथ्य की ओर ध्यान आकर्षित करना चाहूँगा के मैं केवल बोडेन-चेयर का दूसरा अधिष्ठाता हूँ और उसके संस्थापक कर्नल बोडेन ने अपनी वसीयत (१५ अगस्त १८११) में सबसे अधिक स्पष्टता के साथ लिखा है कि उसकी वसीयत का विशेष उद्देश्य संस्कृत धर्मशास्त्रों का अनुवाद करना है ताकि उसके देश (इंग्लैंड) वासी भारत के मूल निवासियों का ईसाईयत में धर्मान्तरित करने के योग्य हो सकें। इस ही कारण जब मेरे शिक्षक और सुप्रसिद्ध पूर्व अधिकारी प्रो॰एच.एच. विलसन, जो कि १८३२ में इस चेयर के प्रत्याशी थे, तो उनके लेखन कार्य के कारण उनको उस पद के मुख्य दावेदार के रूप में प्रस्तुत किया गया था , निश्चय ही इसे आश्चर्यजनक न समझा जाए कि यदि मेरे श्रद्धेय गुरूजी के चरण चिन्हों पर चलते हुए मैंने अपने व्यवसायिक जीवन का मुख्य उद्देश्य भारतीयों के धर्म ग्रंथों का अंग्रेजी में भाष्य करने के लिए सुविधा प्रदान करना है तथा भारत के धर्मों और रीति – रिवाजों की अच्छी जानकारी को देशहित में बढ़ावा देना है।”

१८६० में, बोडेन चेयर के लिए चुने जाने के बाद अपनी पुस्तक दी स्टडी ऑफ संस्कृत इन रिलेशन टू मिशनरी वर्क इन इंडिया (१८६१) इसमें उसने एक मिशनरी की तरह स्पष्ट कहाः

“जब हिन्दू धर्म के मजबूत किलों की दीवारों को घेरा जाएगा, उन पर सुरंगे बिछाई जाऐंगी और अंत में ईसा मसीह के सैनिकों द्वारा उन पर धावा बोला जाएगा तो ईसाईयत की विजय अन्तिम और पूरी तरह होगी (वही पृ. २६२) सुस्पष्ट है कि ऑक्सफ़ोर्ड के “बोडेन चेयर” के दोनों
अधिष्ठाताओं ने संस्कृत शिक्षा को ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय में अपने मिशनरी उद्देश्यों की पूर्ति के लिए आरम्भ किया।

मैक्समूलर ने भी १८४७ से ही बोडेन चेयर के उद्देश्य की पूर्ति के लिए अथाह परिश्रम किया , ऋग्वेद का विकृत भाष्य और ‘बोडेन चेयर’ पाने के लिए चुनाव भी लड़ा , मगर अंग्रेज मोनियर विलियम्स के पक्ष में ८८३ वोटों के विरुद्ध, ६१० वोट पाने के कारण वह हार गया (मिश्रा, पृ. १६) क्योंकि वह एक गैर-ब्रिटिश था। इस संदर्भ में ऐन्साईक्लोपीडिया ब्रिटेनिका (रंव. XVII पृ. ९२७) बतलाता हैः

मैक्समूलर के जीवन की यह एक बहुत बड़ी निराशा थी , फिर भी वह हिन्दू धर्म शास्त्रों के विकृतीकरण और भारतीय धार्मिक नेताओं का ईसाईयत में धर्मान्तरण के लिए प्रयास करता रहा।
✍🏻मनोज झा

शिव महेश्वर–गुरुकुल में गाय का गोबर उठाने वाला भी यह बता देगा,,

१–अ इ उ ण,,२-ऋ लृ क,,३- ए ओ ङ,,४-ऐ औ च ५–ह य व र ट,, ६-ल ण,,७-ञ् म ङ् ण न म,,८- झ भ ञ,,९- घ ढ ध ष,, १०-ज ब ग ङ द श,,११- ख फ छ ठ थ च ट त व,, १२-क प य,,१३- श ष स र,,१४- ह ल,,,

ऊपर लिखे सूत्र किसी भी #वैदिक गुरुकुल में पढ़े हुए ब्रह्मचारी आचार्य या बिना पढ़े सिर्फ वैसे ही गुरुकुल में किसी सेवा के लिए रह रहे किसी भाई बहन से आप पूछ लेंगे की ये क्या हैं? और इनका रचयिता कौन है तो वे तपाक से बता देंगे–ये हैं #प्रत्याहार सूत्र या शिव महेश्वर सूत्र और इनके रचयिता आचार्य हैं–आचार्य शिव,,

कालांतर में विद्या के अभाव में और जनता द्वारा #गपोड़ों की सहज स्वीकृति के चलते एक आचार्य की प्रज्ञा मज़ाक बनकर रह गई,, कहानियां बना दी गई कि ये तो शिव के #डमरू से निकले,, क्योंकि जब अपने दिमाग में गोबर भरा हो तो दूसरे किसी की इतनी उन्नत प्रज्ञा कैसे हो सकती है कि वह ऐसी रचना रच दे,, यकीन करना कठिन है,, इसलिए तमाम तरह के गप्प हांक दिए गए,,

#संस्कृत विश्व की सबसे समृद्ध भाषा है शब्दों के मामले में,,करोड़ो अरबों शब्द हैं इसमें,, इन शब्दों को बनाया कैसे जाता है,,सीधा सा उत्तर है #व्याकरण के ज्ञान से,, प्रश्न है कि व्याकरण के लिए किसका ज्ञान चाहिए??उत्तर है #पंचोपदेश का,, पंचोपदेश में कौनसे ग्रन्थ हैं??उत्तर है–अष्टाध्यायी,, धातुपाठ,, लिंगानुशाशन,,गणपाठ,, उणादिकोष,,

किसी भी शब्द के अंदर मूल में #धातु होती है,, वह तय करेगी कि शब्द किस अर्थ को प्रकट करेगा,, धातु को शब्द बनाने के लिए #अष्टाध्यायी के सूत्रों का सहारा लेना पड़ेगा उसके बिना यह संभव ही नहीं है,, ऐसे ही अन्य शास्त्र सहायक हैं,,
तो फिर क्या कोई ऐसा #कोड भी है जिसके अंदर अरबों खरबों शब्द समा जाते हों, उनके बनने की सारी प्रक्रिया,,??कोई ऐसा #बीज है जिसके अंदर सैकड़ो एकड़ में फैलने वाला वटवृक्ष समाया हो??तो जवाब है कि हाँ जी,, वे बीज हैं प्रत्याहार सूत्र–शिव महेश्वर सूत्र,,

अष्टाध्यायी को मानव मस्तिष्क की सर्वश्रेष्ठ रचना माना जाता है,, उससे ऊपर मानव मष्तिष्क कुछ नहीं रच सकता,, फिर #शिवमहेश्वर सूत्रों को किस कोटि में रक्खा जाए,, क्योंकि रचे तो वे भी एक आचार्य की प्रज्ञा से ही हैं,,मन मानने को तैयार नहीं कि कोई ऐसा भी कर सकता है,, इसलिए कहानियां बनी कि डमरू से निकले,,

#रावण को भी शिव को अपना गुरु #आचार्य मानना पड़ा,, क्योंकि प्रत्याहार सूत्रों के आगे सबकुछ घुटने टेक देता है,, ऐसा कुछ भी रचना सम्भव नहीं,, इसलिए अपने आचार्य की महिमा में रावण ने अनेक स्तोत्र रचे,,

शिव महेश्वर रामायण काल में एक महान #तेजस्वी आचार्य हुए,,,प्रत्याहार सूत्रों के रचयिता,,एक ऐतिहासिक पुरुष,, उनके बारे में कभी और…
अपनी संस्कृति अपना गौरव,, *सूर्यदेव*
✍🏻स्वामी सूर्यदेव