हंस कल्चर सेंटर ने देहरादून में किया दिव्यांगों का सम्मान

जगमोहन ‘आज़ाद’

आज हम सब के लिए सम्मान की बात हैं कि आज देश भर में दिव्यांगों ने अपनी लगन, परिश्रम और क्षमताओं से श्रेष्ठ मुकाम हासिल करके समाज में यह साबित कर दिया कि दिव्यांगों में प्रतिभा और ऊर्जा की कोई कमी नही है। यह हमारे समाज के लिए भी गर्व और प्रेरणा की बात हैं । उक्त विचार हंस कल्चर सेंटर दिल्ली के सचिव चंदन सिंह भंडारी ने समाज सेवी माता मंगलाजी एवं श्री भोलेजी महाराज और लोक गायिका कल्पना चौहान के सौजन्य से देहरादून के नगर निगम सभागार में आयोजित दिव्यांग सम्मान समारोह में व्यक्त किए।

“जीना इसी का नाम हैं” कार्यक्रम के तह्त में देहरादून के नगर निगम सभागार में उत्तराखंड के दूरदराज से आएं दिव्यांगों को माताश्री मंगलाजी एवं श्री भोले जी महाराज की प्रेरणा से हंस कल्चर सेंटर ने सम्मानित किया। इस मौके पर चंदन सिंह भंडारी ने कहा की माताश्री मंगला जी एवं श्री भोलेजी महाराज की सोच हैं कि दिव्यांगों को समाज की मुख्यधारा में शामिल कर उनकी प्रतिभा एवं छुपी हुई असीम शक्तियों को उजागर करके उन्हें सम्मानजनक जीवन के लिये सक्षम बनाया जाया। यह निश्चित तौर पर हमारे लिए प्रेरक हैं कि माताजी एवं महाराज जी इस कार्य को आगे बढ़ाते हुए दिव्यांगों को अपनी प्रतिभा प्रदर्शन का अवसर प्रदान कर रहे है। जिससे असंख्य दिव्यांगों का भविष्य ही नहीं सवंर रहा है,बल्कि उन्हें अपने फन को दिखाने के लिए मंच भी मिल रहा है। मैं बधाई देना चाहूंगा लोक गायिका कल्पना चौहान और संगीतकार राजेंद्र चौहान जी को कि उन्होंने इस कार्यक्रम का आयोजन किया। श्री भंडारी ने कहां की माताश्री मंगलाजी एवं श्री भोलेजी महाराज देश के अंतिम छोर पर खड़े हर उस जरूरमंद के साथ खड़े हैं। जिन्हें समाज की मुख्यधारा में आने के लिए संघर्षों का सामना करना पड़ रहा है। ऐसे हर व्यक्ति के साथ माताश्री मंगलाजी एवं श्री भोलेजी महाराज का आशीर्वाद हमेशा हैं।

कार्यक्रम में मौजूद उत्तराखंड सरकार के कैबिनेट मंत्री डॉ.हरक सिंह दिव्यांगों की प्रस्तुतियां देख भावुक हो गए। इसे मौके पर डॉ.रावत ने कहां की माताश्री मंगलाजी एवं श्री भोलेजी महाराज हमारे सामज के लिए आज जिस तरह के कार्य कर रहे है। यह बहुत ही सम्मान की बात हैं,और आज इस कार्यक्रम के माध्यम से जिस तरह से माताजी-महाराज जी ने उत्तराखंड के दूरदराज के क्षेत्रों में रह रहे दिव्यांगों को इतना बड़ा मंच प्रदान किया हैं. यह यकीनन भावुक करने वाले क्षण हैं। जिन्हें मैं शब्दों के माध्यम से व्यक्त नहीं कर सकता है। लेकिन इतना जरूर कहना चाहूंगा की माता मंगलाजी एवं भोलेजी महाराज ने इन दिव्यांगों को नया जीवन देने के दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठाया हैं।

इस मौके पर उच्च शिक्षा मंत्री धन सिंह रावत ने कहा कि ‘जीना इसी नाम है’ के इस कार्यक्रम में माता मंगलाजी एवं भोलेजी महाराज ने उत्तराखण्ड के दिव्यांगों को अपनी प्रतिभा दिखाने का जो सुनहरा अवसर दिया हैं। वह हमें भी गर्व करने का मौका दे रहा हैं,क्योंकि ये वो लोगों हैं। जिन्हें वास्तव में संघर्षों के मायने मालूम हैं,बस आवश्यकता इस बात की हैं कि इनके हुनर को संवरने का मौका मिले,जिसे माताश्री मंगला जी एवं श्री भोलेजी महाराज ने साकार किया हैं। मैं इस कार्यक्रम की संयोजक कल्पना चौहान को भी बधाई देता हूं कि उन्होंने हमे इस कार्यक्रम का हिस्सा होने का मौका दिया।
दर्शकों से खचाखच भरे देहरादून के नगर निगम सभागार में आयोजित इस दिव्यांग सम्मान समारोह ‘जीना इसी नाम है’ में पहाड़ के दूरदराज से आए दिव्यांगों ने जब अपनी प्रस्तुतियां दी तो,उस पर तालियां तो बजी ही,साथ ही दर्शक भावुक भी हुए।

इस मौके पर हंस कल्चर के सेंटर के प्रतिनिधि सत्यपाल सिंह नेगी,देवेंद्र सिंह नेगी,दिनेश कंडारी,सुरेंद्र सिंह गुसाई, हंस कल्चर सेंटर के उत्तराखंड प्रभारी प्रदीप राणा,मेयर विनोद चमोली,समाजसेवी दिनेश चमोली,उत्तराखंड रत्न पंडित मुन्ना लाला नौटियाल,हास्य कलाकार घनानंद घना भी विशेष तौर पर मौजूद थे।