प्रधान अनशन पर, सरकार मनमर्जी पर

 

सुनो मान्यवर??? पर्वतीय कंदराओं के ग्राम प्रधान और पंचायत प्रतिनिधि 10 दिनों से परेड ग्राउंड में भूख हड़ताल पर हैं। इनमें अनेक महिलायें भी हैं। इन महिलाओं ने तो करवा चौथ भी इसी धरने पर बैठे बैठे मनाया।

इनकी प्रदेश हित की चार छोटी छोटी मांगें हैं। आप लोग पंचायती राज संस्थाओं और स्थानीय निकायों को मजबूत करने की बातें करते हैं, मगर आपका कोई मंत्री प्रतिनिधि या आप खुद इन से नहीं मिले हाल नहीं पूछा। ऐसे ही होगी ये संस्थायें मजबूत? भूख हड़ताल के संवेदनशील इतना टालरेंस ठीक नहीं मान्यवर, राज्य वित्त का लाभ पंचायती राज संस्थाओं को क्यों नहीं मिलना चाहिए? आप गैरसैंण के मामले में भी शांत हैं।

लगता है आपने “नो वर्क नो डिफेक्ट नो इफैक्ट” शांति से निकालो समय वाला फार्मूला पकड़ लिया है। इससे आपका काम कुछ भी नहीं समय चल भी सकता है मान्यवर परन्तु प्रदेश सफर कर रहा है। ज्ञात रहे पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत अनशनकारियों को परेड ग्राउंड घरना स्थल पर पहुंच कर समर्थन दे चुके हैं। जरूरत है कि सरकार ने भी संवेदनशील हो। और पंचायतों को राज्य वित्त का लाभ दे। 

ये खबर आने के बाद अंततोगत्वा पंचायत प्रतिनिधियों का संघर्ष रंग लाया काबीना मंत्री अरबिन्द पांडे धरना स्थल पर आये और आश्वस्त किया कि मांगें पूरी होंगी। अन्नशन समाप्त कराया।