११ मुख २२ भुजा विराट हनुमन्ताय नमः
इस सृष्टि में कोई सम्पत्ति नहीं जो मन की शांति से बड़ी हो! इसलिए निरंतर बोलो जय जय बजरंगबली
*᯾ 卐 ᯾* *श्री हरिहरौ* *विजयतेतराम*
*सुप्रभातम**आज का पञ्चाङ्ग*
*_शनिवार, ०२ नवम्बर २०२४_*
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सूर्योदय: 🌄 ०६:३८, सूर्यास्त: 🌅 ०५:३२
चन्द्रोदय: 🌝 ०७:०८, चन्द्रास्त: 🌜१७:४६
अयन 🌖 दक्षिणायणे(दक्षिणगोलीय)
ऋतु: 🌳 हेमन्त
शक सम्वत: 👉 १९४६ (क्रोधी)
विक्रम सम्वत: 👉२०८१(काल)
मास 👉 कार्तिक, पक्ष 👉 शुक्ल
तिथि 👉 प्रतिपदा (२०:२१से द्वितीया)
नक्षत्र 👉 विशाखा (२९:५८से अनुराधा)
योग 👉 आयुष्मान् (११:१९से सौभाग्य)
प्रथम करण 👉 किंस्तुघ्न(०७:२१ तक)
द्वितीय करण👉बव(२०:२१ तक)
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॥ गोचर ग्रहा: ॥ 🌖🌗🌖🌗
सूर्य 🌟 तुला
चंद्र 🌟 वृश्चिक (२३:२० से)
मंगल 🌟कर्क(उदित,पूर्व,मार्गी)
बुध 🌟 वृश्चिक(उदय, पूर्व, मार्गी)
गुरु 🌟 वृष(अस्त, पश्चिम, मार्गी)
शुक्र 🌟 वृश्चिक (उदित, पूर्व, मार्गी)
शनि 🌟 कुम्भ (उदित, पूर्व, वक्री)
राहु 🌟 मीन, केतु 🌟 कन्या
शुभाशुभ मुहूर्त विचार
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अभिजित मुहूर्त 👉 ११:३८ से १२:२२
अमृत काल 👉 २०:१६ से २२:०२
त्रिपुष्कर योग 👉 २०:२१ से २९:५८
विजय मुहूर्त 👉 १३:५० से १४:३३
गोधूलि मुहूर्त 👉 १७:२९ से १७:५५
सायाह्न सन्ध्या 👉 १७:२९ से १८:४७
निशिता मुहूर्त 👉 २३:३४ से २४:२७
राहुवास 👉 पूर्व
राहुकाल 👉 ९:१६ से १०:३८
यमगण्ड 👉 १३:२२ से १४:४४
दुर्मुहूर्त 👉 ०६:३२ से ०७:१५
होमाहुति 👉 सूर्य, दिशा शूल 👉 पूर्व
अग्निवास 👉 आकाश
चन्द्रवास 👉 पश्चिम (उत्तर २३:२३ से)
शिववास – श्मशान में (२०:२१ से गौरी के साथ)
☄चौघड़िया विचार☄〰️〰️〰️〰️〰️〰️
॥ दिन का चौघड़िया ॥
१ – काल २ – शुभ ३ – रोग ४ – उद्वेग
५ – चर ६ – लाभ ७ – अमृत ८ – काल
॥रात्रि का चौघड़िया॥
१ – लाभ २ – उद्वेग ३ – शुभ ४ – अमृत
५ – चर ६ – रोग ७ – काल ८ – लाभ
नोट👉 दिन और रात्रि के चौघड़िया का आरंभ क्रमशः सूर्योदय और सूर्यास्त से होता है। प्रत्येक चौघड़िए की अवधि डेढ़ घंटा होती है।
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शुभ यात्रा दिशा🚌🚈🚗⛵🛫
उत्तर-पश्चिम (वाय विन्डिंग अथवा तिल मिश्रित चावल का सेवन कर यात्रा करें)
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तिथि विशेष〰️〰️〰️〰️
गोवर्धन-बलि पूजा, अन्नकूट, कार्तिक शुक्ल पक्ष आरम्भ, विवाहादि मुहूर्त तुला ल० (प्रातः ०६:०० से ०६:४० तक), गृहप्रवेश मुहूर्त प्रातः ०८:०२ से ०९:२५ तक आदि।
आज जन्मे शिशुओं का नामकरण 〰️〰️〰️〰️
आज २९:५८ तक जन्मे शिशुओ का नाम विशाखा नक्षत्र के प्रथम, द्वितीय, तृतीय एवं चतुर्थ चरण अनुसार क्रमशः (ती, तू, ते, तो) नामाक्षर से तथा इसके बाद जन्मे शिशुओ का नाम अनुराधा नक्षत्र के प्रथम चरण अनुसार क्रमशः (ना) नामाक्षर से रखना शास्त्र सम्मत है।
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उदय-लग्न मुहूर्त
तुला – २९:२१ से ०७:४२
वृश्चिक – ०७:४२ से १०:०१
धनु – १०:०१ से १२:०४
मकर – १२:०४ से १३:४६
कुम्भ – १३:४६ से १५:११
मीन – १५:११ से १६:३५
मेष – १६:३५ से १८:०९
वृषभ – १८:०९ से २०:०३
मिथुन – २०:०३ से २२:१८
कर्क – २२:१८ से २४:४०+
सिंह – २४:४०+ से २६:५९+
कन्या – २६:५९+ से २९:१७+
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पञ्चक रहित मुहूर्त
रज पञ्चक – ०६:३२ से ०७:४२
शुभ मुहूर्त – ०७:४२ से १०:०१
चोर पञ्चक – १०:०१ से १२:०४
शुभ मुहूर्त – १२:०४ से १३:४६
रोग पञ्चक – १३:४६ से १५:११
शुभ मुहूर्त – १५:११ से १६:३५
शुभ मुहूर्त – १६:३५ से १८:०९
रोग पञ्चक – १८:०९ से २०:०३
शुभ मुहूर्त – २०:०३ से २०:२१
मृत्यु पञ्चक – २०:२१ से २२:१८
अग्नि पञ्चक – २२:१८ से २४:४०+
शुभ मुहूर्त – २४:४०+ से २६:५९+
रज पञ्चक – २६:५९+ से २९:१७+
शुभ मुहूर्त – २९:१७+ से २९:५८+
चोर पञ्चक – २९:५८+ से ३०:३२+
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आज का राशिफल🐐🐂💏💮🐅👩
मेष🐐 (चू, चे, चो, ला, ली, लू, ले, लो, अ)
आज का दिन बीते कुछ दिनों की तुलना में बेहतर रहेगा। आज के दिन आपका मुख्य लक्ष्य अधिक से अधिक धन कमाना रहेगा इसमें काफी हद तक सफल भी रहेंगे। दिन के आरंभ में परिजन अथवा कार्य क्षेत्र से शुभ समाचार मिलेंगे। आज आप अधिकांश कार्यो में समय से पहले ही पूर्ण कर लेंगे लेकिन फिर भी धन लाभ के लिये थोड़ा इन्तजार करना पड़ेगा। आज कार्य क्षेत्र पर आपके विचारों का विरोध करने वाले भी होंगे जो केवल आपकी छवि खराब कर अपना हित करने का प्रयास करेंगे परन्तु इसमे सफल नही हो सकेंगे। कार्यो से समय निकाल कर मित्र मंडली के साथ आनंद के पल बिताने का समय मिलेगा धार्मिक क्षेत्र की लघु यात्रा भी होगी। सेहत बनी रहेगी।
वृष🐂 (ई, ऊ, ए, ओ, वा, वी, वू, वे, वो)
आज का दिन आपके लिये वृद्धिकारक रहेगा। लेकिन आज आप किसी की सहायता बहुत गंभीर परिस्थितियों में ही अथवा कही फंसने पर ही लेंगे जिससे कार्यो में विलंब होगा। आज आप मेहनत की कमाई की अपेक्षा अनैतिक कार्यो से शीघ्र धन कमाने के चक्कर मे भी पड़ेंगे परन्तु इससे लाभ की जगह हानि भी हो सकती है सतर्क रहें आज आपको कोई मीठा बोलकर ठग सकता है। कार्य व्यवसाय में आज पूर्व में कई गई मेहनत का फल अवश्य ही धन लाभ के रूप में मिलेगा। नौकरी वालो के ऊपर अधिकारियों की कृपा दृष्टि रहने से काम निकालना आसान बनेगा परन्तु सहकर्मी आपसे ईर्ष्या का भाव रखेंगे। गृहस्थ में महिलाओं को छोड़ बाकी सभी शांत रहेंगे।
मिथुन👫 (का, की, कू, घ, ङ, छ, के, को, हा)
आज का दिन आपके लिए सामान्य रहेगा। आज आप कर्म की अपेक्षा कल्पना में ज्यादा खोये रहेंगे। व्यवसाय स्थल पर कार्यो को अंत तक टालने का प्रयास करेंगे हानि लाभ की परवाह भी आज कम ही रहेगी। किसी उलझे सार्वजिक कार्य को सुलझाने पर आपकी बुद्धि चातुर्य की प्रशंसा होगी जिससे मन मे अतिआत्मविश्वास की भावना रहेगी। कार्य क्षेत्र पर सहकर्मियों को उपेक्षित दृष्टि से देखना मतभेद को जन्म देगा। व्यावहारिक बने अन्यथा आने वाले समय मे किसी से कार्य निकालने में परेशानी होगी। धन की आमद न्यून रहेगी उधारी के व्यवहारों को लेकर बेचैन रहेंगे समय पर किसी का धन ना लौटाने के कारण तीखी झड़प हो सकती है।
कर्क🦀 (ही, हू, हे, हो, डा, डी, डू, डे, डो)
आज का दिन आपके लिये प्रतिकूल रहेगा। स्वभाव में परिवर्तन होने पर आज आपको बात बात पर क्रोध आएगा आवेश में आकर किसी से अपशब्द बोलने पर झगड़ा हो सकता है। सेहत भी आज नरम रहेगी कार्यो को बेमन से करेंगे। कार्य क्षेत्र पर सहकर्मी आपकी मदद करने का प्रयास करेंगे लेकिन आपके गुस्सैल स्वभाव के कारण हिम्मत नही जुटा पाएंगे। धन लाभ आवश्यकता से थोड़ा कम किसी के माध्यम से हो ही जायेगा। पारिवार में कोई अकस्मात घटना घटने की संभावना है किसी भी कार्य मे जोखिम ना लें परिणाम बुरे होंगे। यात्रा आज ना करें चोटादि का भय रहेगा। परिवार की महिलाये भी शारीरिक समस्या से परेशान रहेंगी।
सिंह🦁 (मा, मी, मू, मे, मो, टा, टी, टू, टे)
आज के दिन आपको अपनी किसी गलती का पश्चाताप होगा लेकिन आज का दिन अभाव में रहने के कारण इसमे सुधार करना संभव नही होगा। मन मे बहुत कुछ करने की योजना बनाएंगे लेकिन सहयोग एवं धन की कमी के कारण मन की मन मे ही रह जायेगी। बेरोजगार लोग आज कुछ ज्यादा ही परेशान रहेंगे भाग-दौड़ करने के बाद थोड़ी आशा जागेगी लेकिन जिस पद के अधिकारी है उसे कोई अन्य प्राप्त कर लेगा। व्यवसायी वर्ग का भी कुछ ऐसा ही हाल रहेगा कार्य क्षेत्र पर आज अन्य लोगो के ऊपर निर्भर रहना पड़ेगा। घरेलू वातावरण शांत रहेगा महिलाये परिजनों की भावनाओ को ध्यान में रखकर ही दैनिक व्यवस्था चलाएंगी।
कन्या👩 (टो, पा, पी, पू, ष, ण, ठ, पे, पो)
आज के दिन आपके अंदर उदासीनता छाई रहेगी। प्रत्येक कार्य को पूरी निष्ठा से करेंगे लेकिन सफलता मिलनी संदिग्ध रहेगी आज व्यवसाय में थोड़ी सी भी लापरवाही करने पर आपके हिस्से का लाभ किसी अन्य को मिल सकता है। धन लाभ की आज संभावनाए ही रहेंगी होगा भी तो बहुत कम। कार्य क्षेत्र पर व्यावहारिक रहेंगे फिर भी लाभ के अवसर बनाने में असफल रहेंगे। धर्म-कर्म के प्रति आस्था रहेगी लेकिन अन्य परेशानियों के कारण केवल व्यवहारिकता निभाएंगे। नौकरी पेशा लोग अधिकारियों से असंतुष्ट रहेंगे व्यवसाइयों को काम का बोझ आज ज्यादा रहेगा इसके अनुपात में लाभ कम ही मिलेगा। परिवार के सदस्य भी स्वार्थ हेतु व्यवहार करेंगे।
तुला⚖️ (रा, री, रू, रे, रो, ता, ती, तू, ते)
आज के दिन आपको परिवार के बड़ो का मार्गदर्शन एवं सहयोग मिलेगा। आज दिन के आरम्भ में आप कोई बड़ी गलती कर सकते है लेकिन बुजुर्गो का सानिध्य रहने से बच जाएंगे। कार्य व्यवसाय में भी आज पैतृक प्रतिष्ठा का लाभ मिलेगा। व्यवसाय में उन्नति होगी लेकिन इसका लाभ तुरंत नही मिल सकेगा। आज जल्दबाजी में कार्य करने की जगह धैर्य से सोच समझ कर ही निर्णय लें समय अनुकूल है सफल अवश्य होंगे। विपरीत लिंगीय आकर्षण अधिक रहेगा इससे बचे मान भंग हो सकता है। सामाजिक क्षेत्र पर आपकी आवश्यकता पड़ेगी लेकिन इसमे अरुचि दिखाएंगे। मानसिक परिश्रम अधिक रहेगा।
वृश्चिक🦂 (तो, ना, नी, नू, ने, नो, या, यी, यू)
आज के दिन आप अपनी ही कमियों के कारण परेशान रहेंगे गलती करने पर भी स्वीकार नही करेंगे जिससे प्रेम संबंधों में कड़वाहट आएगी महिलाये भी विवाद होने पर शांत नही बैठेंगी तुरंत जवाब देंगी जिससे माहौल ज्यादा गंभीर बनेगा। कार्य क्षेत्र पर धन अथवा अन्य कारणों से विवाद हो सकता है। सहकर्मी मांग पूरी ना होने पर मनमानी करेंगे। कार्य क्षेत्र पर दैनिक गतिविधयां अस्त व्यस्त रहने के कारण सीमित व्यवसाय होगा धन की आमद में भी कमी आएगी। भविष्य को ध्यान में रखते हुए परिजन अथवा सहकर्मियों की छोटी-मोटी गलतियों को अनदेखा करें। नव विवाहितो का वैवाहिक जीवन खतरे में पड़ सकता है विवेक से काम लें।
धनु🏹 (ये, यो, भा, भी, भू, ध, फा, ढा, भे)
आज के दिन आप दैनिक कार्यो के साथ ही सामाजिक कार्यो में भी रुचि लेंगे। सार्वजनिक क्षेत्र पर आपका परोपकारी व्यवहार सम्मान दिलाएगा। अपने कार्य छोड़कर लोगो की परेशानियों को सुलझाने के लिए तत्पर रहेंगे लेकीन आज धन संबंधित सहायता सोच समझ कर ही करें धन की वापसी असम्भव रहेगी। कार्य व्यवसाय में आज मध्यान तक परिश्रम करना पड़ेगा इसके बाद ही आय के साधन बन पाएंगे धन लाभ अचानक ही होगा। पारिवारिक माहौल आपसी गलतफहमी के कारण थोड़ी देर के लिये अशान्त बनेगा कुछ समय मे ही सामान्य भी हो जाएगा। हल्के फुल्के क्रोध को छोड़ स्वास्थ्य ठीक ही रहेगा।
मकर🐊 (भो, जा, जी, खी, खू, खा, खो, गा, गी)
आज के दिन आप कुछ हद तक आपके रुके कार्यो को पूर्ण कर सकेंगे लेकिन प्रत्येक कार्यो में धैर्य का परिचय देना होगा तुरंत लाभ ना मिलने से हताश ना हों कर्म करते रहें दे से ही सही सफलता अवश्य मिलेगी। आज सरकार संबंधित कार्यो को प्राथमिकता दें अधिकारी वर्ग का नरम व्यवहार रहने से लटके कार्यो में गति आएगी। लोन अथवा अन्य धन संबंधित कागजी कार्य भी आज कर सकते है निश्चित सफलता मिलेगी। आज आपके अचल संपत्ति के विवाद में पड़ने की संभावना है किसी से विवाद ना करें भाई बंधु आपसे असंतुष्ट रहेंगे। परिस्थितियां कैसी भी बने धन लाभ आज होकर ही रहेगा। बीच मे स्वास्थ्य को लेकर थोड़े चिंतित रहेंगे।
कुंभ🍯 (गू, गे, गो, सा, सी, सू, से, सो, दा)
आज के दिन आप परिस्थितियों में सुधार आने से राहत की सांस लेंगे। कल तक जो लोग आपके कार्यो में विघ्न डाल रहे थे अथवा आपके निर्णयों को गलत बताया रहे थे वे ही आपका सम्मान करते नजर आएंगे विशेषकर बुजुर्ग लोगो का व्यवहार आज आपके प्रति एकदम उल्टा नजर आएगा मौका देखकर आपकी प्रशंशा करने से नही चूकेंगे। कार्य व्यवसाय में भी लाभ कमाने के कई अवसर हाथ लगेंगे धन लाभ आज एक से अधिक साधनों से होगा। सरकारी कार्य आज ना करें अधिकारियों से गरमा-गरमी होने पर अधूरे रह सकते है। पारिवारिक वातावरण संतोषजनक रहेगा। सेहत का ध्यान रखे मौसमी बीमारी हो सकती है।
मीन🐳 (दी, दू, थ, झ, ञ, दे, दो, चा, ची)
आज का दिन आपके लिए निराशाजनक रहेगा आज आप जल्दी से किसी भी कार्य को करने का साहस नही जुटा पाएंगे पर जिस भी कार्य को करेंगे उसमे कुछ भी बना रहेगा। कार्य व्यवसाय में सहकर्मियों अथवा अधीनस्थों से तालमेल की कमी के कारण जहां लाभ होने था वहां हानि होगी। निवेश आज भूल कर भी ना करें उधारी के व्यवहारों में भी कमी लाये अन्यथा आर्थिक संकट का सामना करना पड़ेगा। आज किसी से उधार लेने की भी आवश्यकता पड़ सकती है यथा संभव इसे कल तक निरस्त रखें लौटाने में परेशानी आएगी। महिलाये गृहस्थ को संभालने का पूरा प्रयास करेंगे लेकिन कुछ प्रकरण में विवश हो जाएंगी।
गोवर्धन पूजन विशेष
✍️राजेश मंत्री
हमारे वेदों में कार्तिक शुक्ल प्रतिपदा के दिन वरुण, इन्द्र, अग्नि आदि देवताओं की पूजा का विधान है। इसी दिन बलि पूजा, गोवर्धन पूजा, मार्गपाली आदि होते हैं। इस दिन गाय-बैल आदि पशुओं को स्नान कराकर, फूल माला, धूप, चंदन आदि से उनका पूजन किया जाता है। गायों को मिठाई खिलाकर उनकी आरती उतारी जाती है। यह ब्रजवासियों का मुख्य त्योहार है। अन्नकूट या गोवर्धन पूजा भगवान कृष्ण के अवतार के बाद द्वापर युग से प्रारम्भ हुई। उस समय लोग इन्द्र भगवान की पूजा करते थे तथा छप्पन प्रकार के भोजन बनाकर तरह-तरह के पकवान व मिठाइयों का भोग लगाया जाता था। ये पकवान तथा मिठाइयां इतनी मात्रा में होती थीं कि उनका पूरा पहाड़ ही बन जाता था।
अन्नकूट परिचय
अन्नकूट एक प्रकार से सामूहिक भोज का आयोजन है जिसमें पूरा परिवार और वंश एक जगह बनाई गई रसोई से भोजन करता है। इस दिन चावल, बाजरा, कढ़ी, साबुत मूंग, चौड़ा तथा सभी सब्जियां एक जगह मिलाकर बनाई जाती हैं। मंदिरों में भी अन्नकूट बनाकर प्रसाद के रूप में बांटा जाता है।
अन्नकूट पूजन विधि
इस दिन प्रात:गाय के गोबर से गोवर्धन बनाया जाता है। अनेक स्थानों पर इसके मनुष्याकार बनाकर पुष्पों, लताओं आदि से सजाया जाता है। शाम को गोवर्धन की पूजा की जाती है। पूजा में धूप, दीप, नैवेद्य, जल, फल, फूल, खील, बताशे आदि का प्रयोग किया जाता है।
गोवर्धन में ओंगा (अपामार्ग) अनिवार्य रूप से रखा जाता है। पूजा के बाद गोवर्धनजी के सात परिक्रमाएं उनकी जय बोलते हुए लगाई जाती हैं। परिक्रमा के समय एक व्यक्ति हाथ में जल का लोटा व अन्य खील (जौ) लेकर चलते हैं। जल के लोटे वाला व्यक्ति पानी की धारा गिराता हुआ तथा अन्य जौ बोते हुए परिक्रमा पूरी करते हैं।
गोवर्धनजी गोबर से लेटे हुए पुरुष के रूप में बनाए जाते हैं। इनकी नाभि के स्थान पर एक कटोरी या मिट्टी का दीपक रख दिया जाता है। फिर इसमें दूध, दही, गंगाजल, शहद, बताशे आदि पूजा करते समय डाल दिए जाते हैं और बाद में इसे प्रसाद के रूप में बांट देते हैं।
अन्नकूट में चंद्र-दर्शन अशुभ माना जाता है। यदि प्रतिपदा में द्वितीया हो तो अन्नकूट अमावस्या को मनाया जाता है।
इस दिन प्रात:तेल मलकर स्नान करना चाहिए।
इस दिन पूजा का समय कहीं प्रात:काल है तो कहीं दोपहर और कहीं पर सन्ध्या समय गोवर्धन पूजा की जाती है।
इस दिन सन्ध्या के समय दैत्यराज बलि का पूजन भी किया जाता है। वामन जो कि भगवान विष्णु के एक अवतार है, उनकी राजा बालि पर विजय और बाद में बालि को पाताल लोक भेजने के कारण इस दिन उनका पुण्यस्मरण किया जाता है। यह माना जाता है कि भगवान वामन द्वारा दिए गए वरदान के कारण असुर राजा बालि इस दिन पातल लोक से पृथ्वी लोक आता है।
गोवर्धन गिरि भगवान के रूप में माने जाते हैं और इस दिन उनकी पूजा अपने घर में करने से धन, धान्य, संतान और गोरस की वृद्धि होती है। आज का दिन तीन उत्सवों का संगम होता है।
इस दिन दस्तकार और कल-कारखानों में कार्य करने वाले कारीगर भगवान विश्वकर्मा की पूजा भी करते हैं। इस दिन सभी कल-कारखाने तो पूर्णत: बंद रहते ही हैं, घर पर कुटीर उद्योग चलाने वाले कारीगर भी काम नहीं करते। भगवान विश्वकर्मा और मशीनों एवं उपकरणों का दोपहर के समय पूजन किया जाता है।
गोवर्धन पूजा की पौराणिक कथा
एक बार एक महर्षि ने ऋषियों से कहा कि कार्तिक शुक्ल पक्ष प्रतिपदा को गोवर्धन व अन्नकूट की पूजा करनी चाहिए। तब ऋषियों ने महर्षि से पूछा-‘ अन्नकूट क्या है? गोवर्धन कौन हैं? इनकी पूजा क्यों तथा कैसे करनी चाहिए? इसका क्या फल होता है? इस सबका विधान विस्तार से कहकर कृतार्थ करें।’
महर्षि बोले- ‘एक समय की बात है- भगवान श्रीकृष्ण अपने सखा और गोप-ग्वालों के साथ गाय चराते हुए गोवर्धन पर्वत की तराई में पहुंचे। वहां पहुंचकर उन्होंने देखा कि हज़ारों गोपियां 56 (छप्पन) प्रकार के भोजन रखकर बड़े उत्साह से नाच-गाकर उत्सव मना रही थीं। पूरे ब्रज में भी तरह-तरह के मिष्ठान्न तथा पकवान बनाए जा रहे थे। श्रीकृष्ण ने इस उत्सव का प्रयोजन पूछा तो गोपियां बोली-‘आज तो घर-घर में यह उत्सव हो रहा होगा, क्योंकि आज वृत्रासुर को मारने वाले मेघदेवता, देवराज इन्द्र का पूजन होगा। यदि वे प्रसन्न हो जाएं तो ब्रज में वर्षा होती है, अन्न पैदा होता है, ब्रजवासियों का भरण-पोषण होता है, गायों का चारा मिलता है तथा जीविकोपार्जन की समस्या हल होती है।
यह सुनकर श्रीकृष्ण ने कहा- ‘यदि देवता प्रत्यक्ष आकर भोग लगाएं, तब तो तुम्हें यह उत्सव व पूजा ज़रूर करनी चाहिए।’ गोपियों ने यह सुनकर कहा- ‘कोटि-कोटि देवताओं के राजा देवराज इन्द्र की इस प्रकार निंदा नहीं करनी चाहिए। यह तो इन्द्रोज नामक यज्ञ है। इसी के प्रभाव से अतिवृष्टि तथा अनावृष्टि नहीं होती।’
श्रीकृष्ण बोले- ‘इन्द्र में क्या शक्ति है, जो पानी बरसा कर हमारी सहायता करेगा? उससे अधिक शक्तिशाली तो हमारा यह गोवर्धन पर्वत है। इसी के कारण वर्षा होती है। अत: हमें इन्द्र से भी बलवान गोवर्धन की पूजा करनी चाहिए।’ इस प्रकार भगवान श्रीकृष्ण के वाक-जाल में फंसकर ब्रज में इन्द्र के स्थान पर गोवर्धन की पूजा की तैयारियां शुरू हो गईं। सभी गोप-ग्वाल अपने-अपने घरों से सुमधुर, मिष्ठान्न पकवान लाकर गोवर्धन की तलहटी में श्रीकृष्ण द्वारा बताई विधि से गोवर्धन पूजा करने लगे।
उधर श्रीकृष्ण ने अपने आधिदैविक रूप से पर्वत में प्रवेश करके ब्रजवासियों द्वारा लाए गए सभी पदार्थों को खा लिया तथा उन सबको आशीर्वाद दिया। सभी ब्रजवासी अपने यज्ञ को सफल जानकर बड़े प्रसन्न हुए। नारद मुनि इन्द्रोज यज्ञ देखने की इच्छा से वहां आए। गोवर्धन की पूजा देखकर उन्होंने ब्रजवासियों से पूछा तो उन्होंने बताया- ‘श्रीकृष्ण के आदेश से इस वर्ष इन्द्र महोत्सव के स्थान पर गोवर्धन पूजा की जा रही है।’
यह सुनते ही नारद उल्टे पांव इन्द्रलोक पहुंचे तथा उदास तथा खिन्न होकर बोले-‘हे राजन! तुम महलों में सुख की नींद सो रहे हो, उधर गोकुल के निवासी गोपों ने इद्रोज बंद करके आप से बलवान गोवर्धन की पूजा शुरू कर दी है। आज से यज्ञों आदि में उसका भाग तो हो ही गया। यह भी हो सकता है कि किसी दिन श्रीकृष्ण की प्रेरणा से वे तुम्हारे राज्य पर आक्रमण करके इन्द्रासन पर भी अधिकार कर लें।’
नारद तो अपना काम करके चले गए। अब इन्द्र क्रोध में लाल-पीले हो गए। ऐसा लगता था, जैसे उनके तन-बदन में अग्नि ने प्रवेश कर लिया हो। इन्द्र ने इसमें अपनी मानहानि समझकर, अधीर होकर मेघों को आज्ञा दी- ‘गोकुल में जाकर प्रलयकालिक मूसलाधार वर्षा से पूरा गोकुल तहस-नहस कर दें, वहां प्रलय का सा दृश्य उत्पन्न कर दें।’
पर्वताकार प्रलयंकारी मेघ ब्रजभूमि पर जाकर मूसलाधार बरसने लगे। कुछ ही पलों में ऐसा दृश्य उत्पन्न हो गया कि सभी बाल-ग्वाल भयभीत हो उठे। भयानक वर्षा देखकर ब्रजमंडल घबरा गया। सभी ब्रजवासी श्रीकृष्ण की शरण में जाकर बोले- ‘भगवन! इन्द्र हमारी नगरी को डुबाना चाहता है, आप हमारी रक्षा कीजिए।’
गोप-गोपियों की करुण पुकार सुनकर श्रीकृष्ण बोले- ‘तुम सब गऊओं सहित गोवर्धन पर्वत की शरण में चलो। वही सब की रक्षा करेंगे।’ कुछ ही देर में सभी गोप-ग्वाल पशुधन सहित गोवर्धन की तलहटी में पहुंच गए। तब श्रीकृष्ण ने गोवर्धन को अपनी कनिष्ठा अंगुली पर उठाकर छाता सा तान दिया और सभी गोप-ग्वाल अपने पशुओं सहित उसके नीचे आ गए। सात दिन तक गोप-गोपिकाओं ने उसी की छाया में रहकर अतिवृष्टि से अपना बचाव किया। सुदर्शन चक्र के प्रभाव से ब्रजवासियों पर एक बूंद भी जल नहीं पड़ा। इससे इन्द्र को बड़ा आश्चर्य हुआ। यह चमत्कार देखकर और ब्रह्माजी द्वारा श्रीकृष्ण अवतार की बात जानकर इन्द्र को अपनी भूल पर पश्चाताप हुआ। वह स्वयं ब्रज गए और भगवान कृष्ण के चरणों में गिरकर अपनी मूर्खता पर क्षमायाचना करने लगे। सातवें दिन श्रीकृष्ण ने गोवर्धन को नीचे रखा और ब्रजवासियों से कहा- ‘अब तुम प्रतिवर्ष गोवर्धन पूजा कर अन्नकूट का पर्व मनाया करो।’ तभी से यह उत्सव (पर्व) अन्नकूट के नाम से मनाया जाने लगा।
श्री गोवर्धन महाराज जी की आरती
श्री गोवर्धन महाराज, ओ महाराज,
तेरे माथे मुकुट विराज रहेओ।
तोपे पान चढ़े तोपे फूल चढ़े,
तोपे चढ़े दूध की धार।
तेरे माथे मुकुट विराज रहेओ।
तेरी सात कोस की परिकम्मा,
और चकलेश्वर विश्राम
तेरे माथे मुकुट विराज रहेओ।
तेरे गले में कण्ठा साज रहेओ,
ठोड़ी पे हीरा लाल।
तेरे माथे मुकुट विराज रहेओ।
तेरे कानन कुण्डल चमक रहेओ,
तेरी झाँकी बनी विशाल।
तेरे माथे मुकुट विराज रहेओ।
गिरिराज धरण प्रभु तेरी शरण।
करो भक्त का बेड़ा पार
तेरे माथे मुकुट विराज रहेओ।