भगवान केदारेश्वर के कपाट शीतकाल के लिए विधिवत बंद हुए बदरीनाथ के कपाट आगामी 17 नवम्बर को बंद होंगे, जीवन के उत्तरार्द्ध के लिए अति महत्वपूर्ण परामर्श, आज का पंचाग आपका राशि फल

 ।। 🕉 ।।🚩🌞 *सुप्रभातम्* 🌞🚩

📜««« *आज का पञ्चांग* »»»📜

कलियुगाब्द…………………….5126

विक्रम संवत्……………………2081

शक संवत्………………………1946

मास…………………………….कार्तिक

पक्ष……………………………….शुक्ल

तिथी……………………………द्वितीया

रात्रि 10.02 पर्यंत पश्चात तृतीया

रवि………………………….दक्षिणायन

सूर्योदय ..प्रातः 06.32.15 पर

सूर्यास्त…………….संध्या 05.48.40 पर

सूर्य राशि…………………………तुला

चन्द्र राशि…………………….वृश्चिक

गुरु राशि………………………..वृषभ

नक्षत्र…………………………अनुराधा

दुसरे दिन प्रातः 07.57 पर्यंत पश्चात ज्येष्ठा

योग…………………………..सौभाग्य

प्रातः 11.36 पर्यंत पश्चात शोभन

करण…………………………..बालव

प्रातः 09.15 पर्यंत पश्चात कौलव

ऋतु……………………….(उर्ज) शरद

दिन…………………………….रविवार

🇬🇧 *आंग्ल मतानुसार :-*

03 नवम्बर सन 2024 ईस्वी ।

*भाई दूज : चित्रगुप्त जयंती : यम द्वितीया -*

भ्रातृ द्वितीया (भाई दूज) कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को मनाया जाने वाला हिन्दू धर्म का पर्व है जिसे यम द्वितीया भी कहते हैं।

भाई दूज दीपावली के दो दिन बाद आने वाला ऐसा पर्व है, जो भाई के प्रति बहन के स्नेह को अभिव्यक्त करता है एवं बहनें अपने भाई की खुशहाली के लिए कामना करती हैं। 

कार्तिक शुक्ल द्वितीया को पूर्व काल में यमुना ने यमराज को अपने घर पर सत्कारपूर्वक भोजन कराया था। उस दिन नारकी जीवों को यातना से छुटकारा मिला और उन्हें तृप्त किया गया। वे पाप-मुक्त होकर सब बंधनों से छुटकारा पा गये और सब के सब यहां अपनी इच्छा के अनुसार संतोष पूर्वक रहे। उन सब ने मिलकर एक महान् उत्सव मनाया जो यमलोक के राज्य को सुख पहुंचाने वाला था। इसीलिए यह तिथि तीनों लोकों में यम द्वितीया के नाम से विख्यात हुई। जिस तिथि को यमुना ने यम को अपने घर भोजन कराया था, उस तिथि के दिन जो मनुष्य अपनी बहन के हाथ का उत्तम भोजन करता है उसे उत्तम भोजन समेत धन की प्राप्ति भी होती रहती है।

कायस्थ समाज में इसी दिन अपने आराध्य देव चित्रगुप्त की पूजा की जाती है। कायस्थ स्वर्ग में धर्मराज का लेखा-जोखा रखने वाले चित्रगुप्त का पूजन सामूहिक रूप से तस्वीरों अथवा मूर्तियों के माध्यम से करते हैं। वे इस दिन कारोबारी बहीखातों की पूजा भी करते हैं।

☸ शुभ अंक…………………….3

🔯 शुभ रंग…………………….नीला

 

👁‍🗨 *अभिजीत मुहूर्त :-*

दोप 11.47 से 12.32 तक ।

👁‍🗨*राहुकाल :-*

संध्या 04.20 से 05.43 तक ।

🌞 *उदय लग्न मुहूर्त :-*

*तुला* 05:20:09 07:34:46

*वृश्चिक* 07:34:46 09:50:57

*धनु* 09:50:57 11:56:33

*मकर* 11:56:33 13:43:40

*कुम्भ* 13:43:40 15:17:12

*मीन* 15:17:12 16:48:24

*मेष* 16:48:24 18:29:09

*वृषभ* 18:29:09 20:27:48

*मिथुन* 20:27:48 22:41:31

*कर्क* 22:41:31 24:57:41

*सिंह* 24:57:41 27:09:29

*कन्या* 27:09:29 29:20:09

🚦 *दिशाशूल :-*

पश्चिमदिशा – यदि आवश्यक हो तो दलिया, घी या पान का सेवनकर यात्रा प्रारंभ करें । 

✡ *चौघडिया :-*

प्रात: 07.58 से 09.22 तक चंचल

प्रात: 09.22 से 10.56 तक लाभ

प्रात: 10.56 से 12.09 तक अमृत

दोप. 01.32 से 02.56 तक शुभ

सायं 05.43 से 07.19 तक शुभ

संध्या 07.19 से 08.56 तक अमृत

रात्रि 08.56 से 10.32 तक चंचल । 

💮 *आज का मंत्रः*

॥ ॐ रवये नम: ॥

 *संस्कृत सुभाषितानि :-*

*श्रीमद्भगवतगीता (नवमोऽध्यायः – राजविद्याराजगुह्ययोग:) -*

कथं विद्यामहं योगिंस्त्वां सदा परिचिन्तयन् ।

केषु केषु च भावेषुचिन्त्योऽसि भगवन्मया ॥१०- १७॥

अर्थात : हे योगेश्वर! मैं किस प्रकार निरंतर चिंतन करता हुआ आपको जानूँ और हे भगवन्‌! आप किन-किन भावों में मेरे द्वारा चिंतन करने योग्य हैं?॥17॥ 

🍃 *आरोग्यं सलाह :-*

*पाचन शक्ति बढ़ाने के आयुर्वेदिक उपाय :-*

*दही का सेवन -*

गर्मियों में दही का सेवन शरीर को बहुत ही फायदा पहुंचाता है। कैल्शियम, प्रोटीन और दूसरे पोषक तत्वों से भरपूर दही शरीर की कई आवश्यकताओं को पूरा करने में मददगार होता हैं। दही में मौजूद अच्छे बैक्टिरिया जिसका नाम है प्रोबायोटिक्स, इम्यून सिस्टम को मजबूत बनाता है और महिलाओं को वेजिनल इंफ्केशन से बचाता है। यदि आप पाचन की समस्या से ग्रसित है या फिर पाचन शक्ति बढ़ाना चाहते हैं तो आप दही और उससे बना लस्सी का सेवन कीजिए। आप दही या लस्सी का सेवन दोपहर के लंच के बाद जरूर करें। 

*त्रिफला -*

आयुर्वेद में त्रिफला का बहुत ही महत्व है। इससे बना एक हर्बल औषधि है जो कब्ज, वजन घटाने, पेट की चर्बी को कम करने और पेट की बीमारियों में लाभ देती है। त्रिफला आपको किसी भी आयुर्वेदिक दुकान पर मिल जाएगा, लेकिन आपको त्रिफला का सेवन कैसे करना है और कितनी मात्रा में लेना है इसके लिए विशेषज्ञ से जरूर राय लें। त्रिफला एक शक्तिशाली जड़ी बूटी है, जो कोलेन से विषैले तत्व को बाहर निकालने में मदद करता है और पोषक तत्वों के अवशोषण में वृद्धि करने मदद करता है। अगर आप पाचन की समस्या से ग्रसित हैं, तो आप त्रिफला का सेवन करना शुरू कर दीजिए।

⚜ *आज का राशिफल :-*

🐏 *राशि फलादेश मेष :-*

*(चू, चे, चो, ला, ली, लू, ले, लो, आ)*

नवीन वस्त्राभूषण की प्राप्ति होगी। कोई बड़ा कार्य हो जाने से प्रसन्नता रहेगी। निवेश लाभदायक रहेगा। भाग्योन्नति के प्रयास सफल रहेंगे। रोजगार में वृद्धि होगी। व्यावसायिक यात्रा लाभदायक रहेगी। बेरोजगारी दूर करने के प्रयास सफल रहेंगे। विवाद से बचें। आवश्यक वस्तु गुम हो सकती है।

🐂 *राशि फलादेश वृष :-*

*(ई, ऊ, ए, ओ, वा, वी, वू, वे, वो)*

व्यापार ठीक चलेगा। आय होगी। विवेक का प्रयोग करें। जोखिम व जमानत के कार्य टालें। मित्रों का सहयोग प्राप्त होगा। व्ययवृद्धि से तनाव रहेगा। किसी व्यक्ति के उकसावे में न आएं। विवाद से बचें। पारिवारिक चिंता बनी रहेगी। काम में मन नहीं लगेगा।

👫 *राशि फलादेश मिथुन :-*

*(का, की, कू, घ, ङ, छ, के, को, ह)*

नए अनुबंध हो सकते हैं। रोजगार में वृद्धि होगी। रुके कार्य पूर्ण होंगे। प्रसन्नता रहेगी। नौकरी में उच्चाधिकारी की प्रसन्नता प्राप्त होगी। बकाया वसूली के प्रयास सफल रहेंगे। लंबी यात्रा हो सकती है। लाभ होगा। प्रशंसा मिलेगी। घर-बाहर पूछ-परख रहेगी। प्रमाद न करें।

🦀 *राशि फलादेश कर्क :-*

*(ही, हू, हे, हो, डा, डी, डू, डे, डो)*

व्यवसाय मनोनुकूल लाभ देगा। कार्य पूर्ण होंगे। प्रसन्नता रहेगी। प्रतिष्ठा बढ़ेगी। भाग्य का साथ मिलेगा। स्वास्थ्य का ध्यान रखें। जोखिम न लें। भाइयों का सहयोग मिलेगा। आय में वृद्धि होगी। आर्थिक उन्नति के प्रयास सफल रहेंगे। कोई बड़ा कार्य कर पाएंगे।

🦁 *राशि फलादेश सिंह :-*

*(मा, मी, मू, मे, मो, टा, टी, टू, टे)*

राजकीय सहयोग से कार्य पूर्ण व लाभदायक रहेंगे। कारोबार मनोनुकूल रहेगा। शेयर मार्केट में जोखिम न लें। नौकरी में चैन रहेगा। घर-बाहर प्रसन्नता बनी रहेगी। दुष्टजन हानि पहुंचा सकते हैं। ध्यान रखें। तीर्थदर्शन हो सकता है। सत्संग का लाभ मिलेगा।

👩‍🦰 *राशि फलादेश कन्या :-*

*(ढो, पा, पी, पू, ष, ण, ठ, पे, पो)*

व्यापार ठीक चलेगा। जोखिम व जमानत के कार्य बिलकुल न करें। वाहन, मशीनरी व अग्नि आदि के प्रयोग से हानि की आशंका है, सावधानी रखें। दूसरों के झगड़ों में हस्तक्षेप न करें। आवश्यक वस्तु समय पर नहीं मिलने से क्षोभ होगा। फालतू की बातों पर ध्यान न दें।

⚖ *राशि फलादेश तुला :-*

*(रा, री, रू, रे, रो, ता, ती, तू, ते)*

राजकीय सहयोग प्राप्त होगा। वैवाहिक प्रस्ताव प्राप्त हो सकता है। कारोबार से लाभ होगा। नौकरी में प्रभाव बढ़ेगा। कोई बड़ा कार्य करने की योजना बन सकती है। कार्यसिद्धि होगी। सुख के साधनों पर व्यय होगा। प्रसन्नता रहेगी। प्रमाद न करें। शत्रुओं का पराभव होगा।

🦂 *राशि फलादेश वृश्चिक :-*

*(तो, ना, नी, नू, ने, नो, या, यी, यू)*

प्रॉपर्टी ब्रोकर्स के लिए सुनहरा मौका साबित हो सकता है। भाग्योन्नति के प्रयास सफल रहेंगे। रोजगार में वृद्धि के योग हैं। स्वास्थ्‍य कमजोर रहेगा। आय में वृद्धि होगी। व्यस्तता रहेगी। मित्रों की सहायता कर पाएंगे। संपत्ति के बड़े सौदे बड़ा लाभ दे सकते हैं।

🏹 *राशि फलादेश धनु :-*

*(ये, यो, भा, भी, भू, धा, फा, ढा, भे)*

आज बौद्धिक कार्य सफल रहेंगे। किसी प्रबुद्ध व्यक्ति का मार्गदर्शन मिल सकता है। यात्रा मनोरंजक रहेगी। पारिवारिक मांगलिक कार्य हो सकता है। नौकरी में अधिकार बढ़ सकते हैं। उन्नति के मार्ग प्रशस्त होंगे। मेहनत का फल पूरा नहीं मिलेगा। स्वास्थ्य खराब हो सकता है।

🐊 *राशि फलादेश मकर :-*

*(भो, जा, जी, खी, खू, खे, खो, गा, गी)*

आय में निश्चितता रहेगी। व्यवसाय ठीक चलेगा। लेन-देन में सावधानी रखें। किसी भी अपरिचित व्यक्ति पर अंधविश्वास न करें। शोक संदेश मिल सकता है। विवाद को बढ़ावा न दें। किसी के उकसाने में न आएं। व्यस्तता रहेगी। थकान व कमजोरी रहेगी। काम में मन नहीं लगेगा।

🏺 *राशि फलादेश कुंभ :-*

*(गू, गे, गो, सा, सी, सू, से, सो, दा)*

कार्यसिद्धि से प्रसन्नता रहेगी। आय में वृद्धि होगी। सामाजिक कार्य करने के अवसर मिलेंगे। मेहनत सफल रहेगी। बिगड़े काम बनेंगे। घर-बाहर पूछ-परख रहेगी। जोखिम उठाने का साहस कर पाएंगे। पार्टनरों का सहयोग मिलेगा। समय की अनुकूलता का लाभ लें। धनार्जन होगा।

🐟 *राशि फलादेश मीन :-*

*(दी, दू, थ, झ, ञ, दे, दो, चा, ची)*

आज नए मित्र बनेंगे। दूरस्थ क्षेत्र से अच्‍छी खबर मिलेगी। प्रसन्नता रहेगी। कार्यों में गति आएगी। विवेक का प्रयोग करें। लाभ में वृद्धि होगी। मित्रों के सहयोग से किसी बड़ी समस्या का हल मिलेगा। व्यापार ठीक चलेगा। घर-बाहर सुख-शांति रहेगी। पुराने संगी-साथी व रिश्तेदारों से मुलाकात होगी।

☯ *आज का दिन सभी के लिए मंगलमय हो ।*

।। 🐚 *शुभम भवतु* 🐚 ।।

*जय श्री राम* *जय श्री कृष्ण*
*🏵️जीवन में उत्तरार्ध के महत्वपूर्ण इन तीन चरणों में दुखी न हों:*
*🏵️ पूरा पढ़े और कुछ अपने विचार भी व्यक्त करें।*
*(1) पहला चरण :-55 से 65 वर्ष*
*कार्यस्थल आपसे दूर हो जाता है।*
*अपने करियर के दौरान आप चाहे कितने भी सफल या शक्तिशाली क्यों न हों, अब आपको एक साधारण व्यक्ति ही कहा जाएगा। इसलिए, अपनी नौकरी या व्यवसाय की मानसिकता और श्रेष्ठता की भावना से चिपके न रहें*
*इस चरण में मन में कुछ आए तब भी उसे व्यक्त नहीं करें, जैसे मैंने ऐसा किया, मैने वैसा किया, तुम कुछ नहीं कर रहे हो, हमारे समय में ऐसा होता था, आदि बातें न करें, क्योंकि जब आप भी बच्चे थे, तो आपने भी किसी की नहीं सुनी होगी, तो आज की पीढ़ी आपकी क्यों सुनेगी।।*
*(2) दूसरा चरण :-65 से 75 वर्ष*
*”इस चरण में, समाज धीरे-धीरे आपको दूर कर देता है। आपके मिलने-जुलने वाले दोस्त और सहकर्मी कम हो जाएँगे और आपके पिछले कार्यस्थल पर शायद ही कोई आपको पहचानता हो।*
*यह न कहें कि “मैं था…” या “मैं कभी था…” क्योंकि युवा पीढ़ी आपको नहीं पहचानेगी, और आपको इसके बारे में बुरा नहीं मानना चाहिए!*

*(3) तीसरा चरण :-75से 85 वर्ष*
*इस चरण में आप पहुंच रहें हो या नहीं, ये तो पता नहीं है, लेकिन बहुत भाग्यशाली हो ओर पहुंच गए तो याद रखें, वैसे याददाश्त गायब होने लगती है, फिर भी याद रखें, इस चरण में परिवार धीरे-धीरे आपको दूर कर देगा। भले ही आपके कई बच्चे और नाती-नातिन हों, लेकिन ज़्यादातर समय आप अपने साथी के साथ या अकेले ही रह रहे होंगे।*
*जब आपके बच्चे कभी-कभार आते हैं, आपसे बात करते हैं, कभी कभी पुछते है,तो यह स्नेह की अभिव्यक्ति है, इसलिए उन्हें कम आने के लिए दोष न दें, क्योंकि वे अपने जीवन में व्यस्त हैं!*
*और अंत में 85+के बाद,*
*इस समय धरती आपको नष्ट करना चाहती है। इस समय, दुखी या शोक मत करो, क्योंकि यह जीवन का अंतिम चरण है, और हर कोई अंततः इसी मार्ग का अनुसरण करेगा!, भगवान का नाम का जाप करो और धन्यवाद करो।।*
*इसलिए, जब तक हमारा शरीर अभी भी सक्षम है, जीवन को भरपूर जिएँ!*
*आपको**जो पसंद है वो खाएँ,*पीएँ, खेलें और जो पसंद है वो करें, घूमना, फिरना, दोस्तों के साथ समय बिताना, जो भी आपको पसंद हैं, वो करें, मर्यादा का पालन करते हुए।**खुश रहें, खुशी से जिएँ..* यदि स्वास्थ्य के प्रति संवेदनशील हों तो *रात का भोजन कम कर दें। क्यों कि इस भोजन के बाद हम कोई विशेष वर्कआउट और परिश्रम नहीं करते तो भोजन से मिली ऊर्जा फैट अर्थात् चर्बी में बदलने लगती है और अधिक चर्बी विभिन्न रोगों व आलस्य का कारण बनती है। सुबह स्नान ध्यान के बाद पोष्टिक नाश्ता लें जिसमें हरी शब्जी या ऋतु कालीन शब्जी फल बिना मलाई का दूध या दही लें एक अखरोट भी ले सकते हैं। काजू बादाम का लोभ ना करें ये अधिक मात्रा में लेना हानिकर होते हैं यानी गरिष्ठ फैटी डाईट परांठे पूरी कम या बंद करें। संभव है तो देशी गाय का दूध लें गो पालन करें। और सप्ताह में केवल एक बार दो चम्मच तरल घी एक साथ पियें इससे पेट साफ होगा शरीर में ग्रीस बना रहेगा। भैंस का घी मक्खन दूध चर्बी बढा सकता है।

*55+ के बाद दोस्तों का एक समूह बनाएँ और कभी-कभार एक निश्चित स्थान पर, एक निश्चित समय पर मिलते रहें। टेलीफोनिक और वॉट्सएप पर संपर्क में रहें। पुराने जीवन के अनुभवों को याद करें और एक-दूसरे के साथ अनुभव साझा करें, अपने लिए समय निकाले, कहीं भी जानें का प्लान बनाएं।।* और हां यदि माता-पिता जीवित हैं और तो उनकी सेवा का अवसर हाथ से जाने ना दें उन्हें समय दें समय पर भोजन और दवा दें। अपने कुल गुरू कुल देवता ईष्ट देवता का स्मरण करते रहें।

धन अधिक हो तो अपने जीवन में एक मंदिर अवश्य बनायें और किसी गुरूकुल में दान दें। सरकार द्वारा कब्जाये गये मंदिरों में धन देने से विधर्मियों का बोलबाला होता है और धन का दुरुपयोग होता है पहले मंदिरों से गोशाला और गुरूकुल चलते थे जिसे सैक्युलर सरकारों ने समाप्त कर दिया है। मुम्बई का गणपति मंदिर हिन्दुओं के दान से म्लेच्छ वििधर्मियों को करोड़ों रुपये उधार दे चुका है जिसे वे फिर कभी नहीं लौटाते। तिरुपति आदि ऐसे सरकार द्वारा कब्जाये गये बहुत से मंदिर हैं जिनके धन का दुरूपयोग म्लेच्छों के हित में किया जा रहा है भगवान के भोग लड्डू का ठेका म्लेच्छ कंपनी को देना इसका प्रमाण है। इसलिए ऐसे बडे़ मंदिरों में दान देने से अच्छा है और गुरूकुलों और गोशाला खोलने का मुख कार्य करें। जिन मंदिरों से गुरूकुल और गोशाला नहीं चलती उन मंदिरों का मोह त्यागना ही पुण्य है।

यदि धन की कमी हो तो बाहर होटलों में खाने-पीने का शोक कम करें, ये एक तरह का जहर ही होता है। भोजन अपने घर पर बनाएं, कपड़े साफ सुथरे पहने भले ही एक या दो ही जोड़ी हों। धनाभाव हो तो अब ऐसे भी बहुत से नेटवर्किंग प्लान आ गये हैं जिनमें आप दो या तीन सौ रूपये जीवन में केवल एक बार लगा के हर दिन कुछ न कुछ कमा सकते हैं। मेरे एक मित्र का फोन आया था कि बड़े भाई आपके परामर्श बहुत उपयोगी होते हैं पर आपका फोन नम्बर नहीं था बड़ी यत्न करके फेसबुक से निकाला ऐसे सभी मित्रों के लिए आज अपना वटसैप फोन नम्बर भी लिख रहे हैं ✍️ डाॅ0 हरीश मैखुरी 9634342461, बीएसएनएल 9412032471
*🏵️राम रामेति रामेति, रमे रामे मनोरमे ।* *सहस्रनाम तत्तुल्यं, रामनाम वरानने॥*
*🏵️सुप्रभात, आपका जीवन मंगलमय हो*

*जय बाबा केदार के जयघोष के साथ ग्यारहवें ज्योर्तिलिंग श्री केदारनाथ धाम के कपाट शीतकाल के लिए बंद हुए।* 

• *श्री केदारनाथ मंदिर को भब्य रूप से फूलो से सजाया गया।* 

• *अभूतपूर्व रही श्री केदारनाथ धाम यात्रा : अजेंद्र*

केदारनाथ / रूद्रप्रयाग 3 नवंबर। विश्व प्रसिद्ध ग्यारहवें ज्योर्तिलिंग श्री केदारनाथ धाम के कपाट रविवार को भैया दूज के पावन पर्व पर प्रातः 08:30 बजे शीतकाल के लिए बंद हो गए। ऊं नम् शिवाय, जय बाबा केदार के जय घोष तथा भारतीय सेना के बैंड की भक्तिमय धुनों के बीच वैदिक विधि-विधान व धार्मिक परंपराओं के साथ कपाट बंद किए गए। श्री बदरीनाथ- केदारनाथ मंदिर समिति (बीकेटीसी) अध्यक्ष अजेंद्र अजय समेत 15 हजार से अधिक श्रद्धालु कपाट बंद होने के साक्षी बने। कपाट बंद होने के अवसर पर मंदिर को दीपावली के दिन से ही भव्य रूप से फूलों से सजाया गया था । 

रविवार प्रातः पांच बजे से बीकेटीसी अध्यक्ष अजेंद्र अजय की उपस्थिति में कपाट बंद करने की प्रक्रिया शुरू हुई। बीकेटीसी के आचार्य, वेदपाठियों, पुजारीगणों ने भगवान केदारनाथ के स्वयंभू शिवलिंग की समाधि पूजा की। स्वयंभू शिवलिंग को भस्म, स्थानीय पुष्पों बेल पत्र आदि से समाधि रूप दिया गया। प्रातः 08:30 बजे बाबा केदार की पंचमुखी उत्सव डोली को मंदिर से बाहर लाया गया इसके बाद श्री केदारनाथ मंदिर के कपाट बंद कर दिए गए।

कपाट बंद होने के साथ ही बाबा केदार की पंचमुखी उत्सव डोली ने अपने पहले पड़ाव रामपुर के लिए प्रस्थान किया। हजारों श्रद्धालु बाबा की पंचमुखी डोली के साथ पैदल ही रवाना हुए। श्रद्धालुओं के लिए जगह – जगह भंडारे आयोजित किये गये थे। आज केदारनाथ में मौसम साफ रहा। आस-पास बर्फ होने से सर्द बयारें भी चलती रही लेकिन श्रद्धालुओं में भारी उत्साह रहा।

कपाट बंद होने के अवसर पर बीकेटीसी अध्यक्ष अजेंद्र अजय ने कहा कि इस यात्राकाल में रिकार्ड साढ़े 16 लाख से अधिक तीर्थ यात्री श्री केदारनाथ धाम पहुंचे। देश के यशस्वी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विजन से आज भव्य व दिव्य केदारपुरी का पुनर्निर्माण हो रहा है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिह धामी के मार्गदर्शन में केदारनाथ धाम यात्रा का सफल संचालन हुआ। उन्होंने सफल यात्रा संचालन के लिए बीकेटीसी के कार्मिकों, पुलिस – प्रशासन, यात्रा व्यवस्था से जुड़े विभिन्न विभागों, एनडीआरएफ, एसडीआरएफ, आईटीबीपी आदि का आभार जताया। 

 बीकेटीसी मीडिया प्रभारी डा हरीश गौड़ ने बताया कि बाबा केदार की पंचमुखी डोली आज 3 नवंबर को रामपुर रात्रि प्रवास करेगी 4 नवंबर सोमवार को श्री विश्वनाथ मंदिर गुप्तकाशी रात्रि प्रवास कर 5 नवंबर मंगलवार को शीतकालीन गद्दीस्थल श्री ओंकारेश्वर मंदिर ऊखीमठ पहुंचेगी। शीतकाल में बाबा केदार की पूजा ओंकारेश्वर मंदिर उखीमठ में ही संपादित होगी। 

आज कपाट बंद होने के अवसर पर बीकेटीसी अध्यक्ष अजेंद्र अजय के अलावा स्वामी संबिदानंद महाराज,रुद्रप्रयाग के जिलाधिकारी डा.सौरव गहरवार, पुलिस अधीक्षक अक्षय प्रह्लाद कोंडे, केदारनाथ विकास प्राधिकरण के अपर मुख्य कार्याधिकारी योगेंद्र सिंह, मुख्य कार्याधिकारी विजय प्रसाद थपलियाल, सदस्य श्रीनिवास पोस्ती,भास्कर डिमरी, प्रभारी अधिकारी यदुवीर पुष्पवान, मुख्य पुजारी शिवशंकर लिंग, धर्माचार्य ओंकार शुक्ला, तीर्थ पुरोहितों की संस्था केदार सभा के अध्यक्ष राजकुमार तिवारी,पूर्व अध्यक्ष विनोद शुक्ला, वेदपाठी स्वयंबंर सेमवाल, डोली प्रभारी प्रदीप सेमवाल, ललित त्रिवेदी,देवानंद गैरोला अरविंद शुक्ला, कुलदीप धर्म्वाण, उमेश पोस्ती,प्रकाश जमलोकी, रविंद्र भट्ट आदि उपस्थित रहे।  

यहां यह भी उल्लेखनीय है इस यात्रा वर्ष की उत्तराखंड चारधाम यात्रा शनै- शनै समापन कीओर है धामों में मौसम सर्द हो गया है।श्री केदारनाथ धाम आज कपाट बंद होने तक पहुंचे

आज कुल 18644 श्रद्धालुओं ने कपाट बंद होने के अवसर पर दर्शन किए जब कि इस पूरे यात्रा काल 1652076 श्रद्धालुओं ने भगवान केदारनाथ के दर्शन किए। 

 श्री बदरीनाथ धाम के कपाट इस यात्रा वर्ष 17 नवंबर को बंद हो रहे है।श्री गंगोत्री धाम के कपाट बीते शनिवार 2 नवंबर को शीतकाल हेतु बंद हो गये है।

श्री केदारनाथ धाम के कपाट आज भैयादूज 3 नवंबर को प्रात: बंद हुए तथा श्री यमुनोत्री धाम के कपाट आज भैयादूज के अवसर पर आज 3 नवंबर दोपहर को बंद हो जायेंगे।

जबकि पवित्र गुरूद्वारा हेमकुंट साहिब तथा लोकपाल लक्ष्मण मंदिर के कपाट बीते 10 अक्टूबर को बंद हो गये। द्वितीय केदार मद्महेश्वर जी के कपाट 20 नवंबर को बंद हो रहे है तथा तृतीय केदार तुंगनाथ जी के कपाट कल सोमवार 4 नवंबर को बंद हो रहे है जबकि चतुर्थ केदार रूद्रनाथ जी के कपाट 17 अक्टूबर को बंद हुए।