पंचाग पढ़ने से सौभाग्य बना रहता है भगवान राम और कृष्ण भी पढते थे, हनुमान जन्मोत्सव आज जयन्ती और जन्मोत्सव में भेद नहीं

*अतुलितबलधामं हेमशैलाभदेहं, दनुजवनकृशानुं ज्ञानिनामग्रगण्यम्।।
सकलगुणनिधानं वानराणामधीशं, रघुपतिप्रियभक्तं वातजातं नमामि ।।
आपको सपरिवार
हनुमान जन्मोत्सव की हार्दिक शुभकामनाएं। 

. ।। *ॐ* ।।

    .🚩🌞 *सुप्रभातम्* 🌞🚩

📜««« *आज का पंचांग*»»»📜

कलियुगाब्द……………………5125

विक्रम संवत्…………………..2080

शक संवत्……………………..1945

मास………………………………चैत्र

पक्ष……………………………..शुक्ल

तिथी…………………………..पूर्णिमा

प्रातः 10.02 पर्यंत पश्चात प्रतिपदा

रवि………………………….उत्तरायण

सूर्योदय…………प्रातः 06.15.50 पर

सूर्यास्त…………संध्या 06.44.06 पर

सूर्य राशि…………………………मीन

चन्द्र राशि……………………….कन्या

गुरु राशि…………………………मीन

नक्षत्र…………………………….हस्त

दोप 12.34 पर्यंत पश्चात चित्रा

योग…………………………..व्याघात

रात्रि 02.25 पर्यंत पश्चात हर्षण

करण……………………………..बव

प्रातः 10.02 पर्यंत पश्चात बालव

ऋतु……………………..(मधु) वसंत

दिन…………………………..गुरुवार

 

🇬🇧 *आंग्ल मतानुसार :–*

06 अप्रैल सन 2023 ईस्वी ।

 

⚜️ *तिथि विशेष :*

🚩 *चैत्र शुक्ल पूर्णिमा (श्री हनुमान प्रकटोत्सव) :*

हनुमान जी को शिवजी का ग्यारहवां अवतार माना जाता है। हिन्दू मान्यतानुसार रुद्रावतार भगवान हनुमान माता अंजनी और वानर राज केसरी के पुत्र हैं। चैत्र शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि को ही हनुमान प्रकटोत्सव के रूप में मानते हैं। हनुमान जी के जन्म का वर्णन वायु- पुराण में किया गया है।

हनुमान जयंती के दिन प्रात: काल सभी नित्य कर्मों से निवृत्त होने के बाद हनुमान जी की पूजा करनी चाहिए। पूजा में ब्रह्मचर्य का विशेष ध्यान रखना चाहिए। हनुमान जी की पूजा में चन्दन, केसरी, सिन्दूर, लाल कपड़े और भोग हेतु लड्डू अथवा बूंदी रखने की परंपरा है।

 

प्रेत आदि की बाधा निवृति हेतु हनुमान जी के इस मंत्र का जाप करना चाहिए:

ॐ दक्षिणमुखाय पच्चमुख हनुमते करालबदनाय

नारसिंहाय ॐ हां हीं हूं हौं हः सकलभीतप्रेतदमनाय स्वाहाः।

प्रनवउं पवनकुमार खल बन पावक ग्यानधन।

जासु हृदय आगार बसिंह राम सर चाप घर।।

 

शत्रुओं से मुक्ति पाने के लिए हनुमान जी के इस मंत्र का जाप करना चाहिए:

ॐ पूर्वकपिमुखाय पच्चमुख हनुमते टं टं टं टं टं सकल शत्रु सहंरणाय स्वाहा।

 

अपनी रक्षा और यथेष्ट लाभ हेतु इस मंत्र का जाप करना चाहिए

अज्जनागर्भ सम्भूत कपीन्द्र सचिवोत्तम।

रामप्रिय नमस्तुभ्यं हनुमन् रक्ष सर्वदा।।

 

⚜️ *अभिजीत मुहूर्त :-*

प्रातः 12.04 से 12.54 तक ।

 

👁‍🗨 *राहुकाल :-*

दोपहर 02.02 से 03.34 तक ।

 

🌞 *उदय लग्न मुहूर्त :-*

*मीन*  

05:12:01 06:42:04

*मेष*  

06:42:04 08:23:56

*वृषभ*  

08:23:56 10:22:35

*मिथुन*  

10:22:35 12:36:17

*कर्क*  

12:36:17 14:52:27

*सिंह*  

14:52:27 17:04:16

*कन्या*  

17:04:16 19:14:55

*तुला*  

19:14:55 21:29:33

*वृश्चिक*  

21:29:33 23:45:43

*धनु*  

23:45:43 25:51:20

*मकर*  

25:51:20 27:38:28

*कुम्भ*  

27:38:28 29:12:01

 

🚦 *दिशाशूल :-*

दक्षिणदिशा – यदि आवश्यक हो तो दही या जीरा का सेवन कर यात्रा प्रारंभ करें ।

 

☸ शुभ अंक…………………..6

🔯 शुभ रंग………………….पीला

 

✡ *चौघडिया :-*

प्रात: 10.55 से 12.28 तक चंचल

दोप. 12.28 से 02.01 तक लाभ

दोप. 02.01 से 03.33 तक अमृत

सायं 05.06 से 06.39 तक शुभ

सायं 06.39 से 08.06 तक अमृत

रात्रि 08.06 से 09.33 तक चंचल

 

📿 *आज का मंत्र :-*

|। ॐ ऐं भ्रीम हनुमते श्री राम दूताय नम: ।|

 

📢 *सुभाषितानि :-*

नाहं वसामि वैकुंठे योगिनांहृदये न च।

मद्भक्ता यत्र गायंति यत्र तिष्ठामि नारद॥

अर्थात :

हे नारद! मैं न तो बैकुंठ में ही रहता हूँ और न योगियों के हृदय में ही रहता हूँ। मैं तो वहीं रहता हूँ, जहाँ प्रेमाकुल होकर मेरे भक्त मेरे नाम का कीर्तन किया करते हैं। 

 

🍃 *आरोग्यं :-*

*गिलोय के औषधीय गुण : -*

 

*4. खांसी -*

अगर कई दिनों से आपकी खांसी ठीक नहीं हो रही है तो गिलोय का सेवन करना फायदेमंद हो सकता है। गिलोय में एंटीएलर्जिक गुण होने के कारण यह खांसी से जल्दी आराम दिलाती है। खांसी दूर करने के लिए गिलोय के काढ़े का सेवन करें।

खांसी से आराम पाने के लिए गिलोय का काढ़ा बनाकर शहद के साथ उसका सेवन करें। इसे दिन में दो बार खाने के बाद लेना ज्यादा फायदेमंद रहता है। 

 

⚜ *आज का राशिफल :-*

 

🐐 *राशि फलादेश मेष :-*

(चू, चे, चो, ला, ली, लू, ले, लो, आ)

वाहन व मशीनरी के प्रयोग में सावधानी रखें। जरा सी लापरवाही से अधिक हानि हो सकती है। पुराना रोग बाधा का कारण बन सकता है। वाणी पर नियंत्रण रखें। अपेक्षित कार्यों में विलंब हो सकता है। चिंता तथा तनाव रहेंगे। पार्टनरों से मतभेद संभव है। व्यवसाय ठीक चलेगा। समय नेष्ट है। नए कार्य में लाभ मिलेगा। नौकरी और व्यापार के लिए समय अच्छा रहेगा।

 

🐂 *राशि फलादेश वृष :-*

(ई, ऊ, ए, ओ, वा, वी, वू, वे, वो)

पारिवारिक चिंता बनी रहेगी। अनहोनी की आशंका रहेगी। शत्रुभय रहेगा। कानूनी अड़चन दूर होगी। जीवनसाथी से सहयोग प्राप्त होगा। कारोबार में वृद्धि होगी। नौकरी में अधिकारी प्रसन्न रहेंगे। रुके हुए कार्यों में गति आएगी। घर-बाहर सभी अपेक्षित कार्य पूर्ण होंगे। दूसरों के कार्य की जवाबदारी न लें।

 

👫🏻 *राशि फलादेश मिथुन :-*

(का, की, कू, घ, ङ, छ, के, को, ह)

प्रतिद्वंद्विता में वृद्धि होगी। जीवनसाथी से अनबन हो सकती है। स्थायी संपत्ति खरीदने-बेचने की योजना बन सकती है। परीक्षा व साक्षात्कार आदि में सफलता प्राप्त होगी। कारोबार में वृद्धि होगी। नौकरी में अधिकार बढ़ सकते हैं। छोटे भाइयों का सहयोग प्राप्त होगा। प्रसन्नता रहेगी। संचित कोष में वृद्धि होगी। प्रमाद न करें।

 

🦀 *राशि फलादेश कर्क :-*

(ही, हू, हे, हो, डा, डी, डू, डे, डो)

नौकरी और व्यापार में लाभ के अवसर हाथ आएंगे। विद्यार्थी वर्ग सफलता हासिल करेगा। व्यापार में अधिक लाभ होगा। यात्रा मनोरंजक रहेगी। किसी आनंदोत्सव में भाग लेने का अवसर प्राप्त होगा। मनपसंद भोजन का आनंद प्राप्त होगा। लेन-देन में सावधानी रखें। शत्रुओं का पराभव होगा। विवाद को बढ़ावा न दें। भय रहेगा। प्रमाद न करें।

 

🦁 *राशि फलादेश सिंह :-*

(मा, मी, मू, मे, मो, टा, टी, टू, टे)

पारिवारिक समस्याओं में इजाफा होगा। चिंता तथा तनाव बने रहेंगे। भागदौड़ रहेगी। दूर से बुरी खबर मिल सकती है। विवाद को बढ़ावा न दें। बनते कामों में बाधा हो सकती है। दूसरों से अपेक्षा न करें। व्यवसाय ठीक चलेगा। आय में निश्चितता रहेगी। मातहतों से अनबन हो सकती है। कुसंगति से हानि होगी।

 

🙎🏻‍♀️ *राशि फलादेश कन्या :-*

(ढो, पा, पी, पू, ष, ण, ठ, पे, पो)

पुराने किए गए प्रयासों का लाभ मिलना प्रारंभ होगा। मित्रों की सहायता कर पाएंगे। सामाजिक प्रतिष्ठा बढ़ेगी। कीमती वस्तुएं संभालकर रखें। नौकरी में अधिकारी प्रसन्न रहेंगे। किसी बड़े काम करने की योजना बनेगी। व्यवसाय लाभप्रद रहेगा। भाइयों का सहयोग मिलेगा। भाग्य का साथ मिलेगा। प्रसन्नता रहेगी।

 

⚖ *राशि फलादेश तुला :-*

(रा, री, रू, रे, रो, ता, ती, तू, ते)

दूर से शुभ समाचार प्राप्त होंगे। आत्मविश्वास में वृद्धि होगी। जोखिम उठाने का साहस कर पाएंगे। सुख के साधन जुटेंगे। पराक्रम बढ़ेगा। घर में मेहमानों का आगमन होगा। व्यय होगा। किसी पारिवारिक आयोजन का हिस्सा बन सकते हैं। निवेश शुभ रहेगा। व्यापार ठीक चलेगा। प्रसन्नता रहेगी। शत्रु परास्त होंगे।

 

🦂 *राशि फलादेश वृश्चिक :-*

(तो, ना, नी, नू, ने, नो, या, यी, यू)

शारीरिक कष्ट से बाधा संभव है। प्रेम-प्रसंग में अनुकूलता रहेगी। अप्रत्याशित लाभ हो सकता है। व्यावसायिक यात्रा सफल रहेगी। नौकरी में उच्चाधिकारी की प्रसन्नता प्राप्त होगा। आय में वृद्धि होगी। निवेश शुभ रहेगा। पार्टनरों का सहयोग प्राप्त होगा। लेन-देन में जल्दबाजी न करें।

 

🏹 *राशि फलादेश धनु :-*

(ये, यो, भा, भी, भू, धा, फा, ढा, भे)

यात्रा में सावधानी रखें। जल्दबाजी से हानि होगी। अप्रत्याशित खर्च सामने आएंगे। चिंता तथा तनाव रहेंगे। पुराना रोग उभर सकता है। वाणी पर नियंत्रण रखें। दूसरों के कार्य में दखल न दें। अपेक्षित कार्यों में विलंब होगा। आय में निश्चितता रहेगी। व्यवसाय ठीक चलेगा। प्रमाद न करें। लाभ बढ़ेगा।

 

🐊 *राशि फलादेश मकर :-*

(भो, जा, जी, खी, खू, खे, खो, गा, गी)

कोई बड़ी बाधा आ सकती है। राजभय रहेगा। जल्दबाजी से काम बिगड़ेंगे। बकाया वसूली के प्रयास सफल रहेंगे। व्यावसायिक यात्रा सफल रहेगी। किसी के व्यवहार से स्वाभिमान को चोट पहुंच सकती है। लाभ के अवसर हाथ आएंगे। नौकरी में अनुकूलता रहेगी। व्यापार में वृद्धि होगी।

 

🏺 *राशि फलादेश कुंभ :-*

(गू, गे, गो, सा, सी, सू, से, सो, दा)

नई योजना बनेगी जिसका लाभ तुरंत नहीं मिलेगा। सामाजिक कार्य करने में रुचि रहेगी। प्रतिष्ठा बढ़ेगी। शारीरिक कष्ट संभव है। चिंता तथा तनाव हावी रहेंगे। सभी तरफ से सफलता प्राप्त होगी। नौकरी में प्रभाव बढ़ेगा। व्यापार में वृद्धि होगी। आय बढ़ेगी। घर में प्रसन्नता रहेगी। ऐश्वर्य पर व्यय हो सकता है।

 

🐋 *राशि फलादेश मीन :-*

(दी, दू, थ, झ, ञ, दे, दो, चा, ची)

चोट व दुर्घटना से हानि संभव है। जल्दबाजी न करें। स्वास्थ्य का पाया कमजोर रह सकता है। विवाद को बढ़ावा न दें। बनते काम बिगड़ सकते हैं। भाइयों से कहासुनी हो सकती है। आय बनी रहेगी। व्यापार ठीक चलेगा। नौकरी में सहकर्मी विरोध कर सकते हैं। जोखिम व जमानत के कार्य टालें, धैर्य रखें।

 

*आज का दिन सभी के लिए मंगलमय हो ।*

।। *शुभम भवतु* ।।

 

🇮🇳🇮*भारत माता की जय*

🚩हनुमान जयंती आज

राम भक्त हनुमान की जयंती हर साल चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि को मनाई जाती है। उनका जन्म चैत्र पूर्णिमा दिन मंगलवार को हुआ था। 

उत्तर भारत में चैत्र पूर्णिमा को हनुमान जयंती मनाई जाती है।

05 अप्रैल दिन बुधवार को सुबह 09:19 बजे से चैत्र पूर्णिमा तिथि प्रारंभ हो गयी ।

राम भक्त हनुमान की जयंती हर साल चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि को मनाई जाती है। हालांकि देश के कुछ हिस्सों में अन्य तिथियों पर भी मनाते हैं। उत्तर भारत में चैत्र पूर्णिमा को हनुमान जयंती मनाई जाती है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, वीर हनुमान जी रुद्रावतार हैं। उनका जन्म चैत्र पूर्णिमा दिन मंगलवार को हुआ था। उनके पिता वानरराज केसरी और माता का नाम अंजना है। हनुमान जी का जन्म भगवान राम की सेवा के लिए हुआ। उन्होंने सीता माता की खोज और लंका विजय करने में प्रभु राम की मदद की।

 

हनुमान जयंती की तिथि 

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हिंदू कैलेंडर के अनुसार, इस साल 05 अप्रैल दिन बुधवार को सुबह 09:19 बजे से चैत्र पूर्णिमा तिथि प्रारंभ हो जाएगी और 06 अप्रैल दिन गुरुवार को सुबह 10:04 बजे इसका समापन होगा। ऐसे में उदयातिथि के आधार पर हनुमान जयंती 06 अप्रैल गुरुवार को मनाई जाएगी। इस दिन व्रत रखा जाएगा और वीर बजरंगबली की पूजा की जाएगी।

 

हनुमान जयंती का पूजा मुहूर्त

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06 अप्रैल को हनुमान जयंती के दिन आप सुबह में पूजा कर सकते हैं। सुबह 06 बजकर 06 मिनट से शुभ उत्तम मुहूर्त बन रहा है, जो सुबह 07 बजकर 40 मिनट तक है। उसके बाद दोपहर में 12 बजकर 24 मिनट से दोपहर 01 बजकर 58 मिनट तक लाभ उन्नति मुहूर्त है।

जो लोग शाम के समय में हनुमान जयंती की पूजा करना चाहते हैं, वे शाम को 05 बजकर 07 मिनट से रात 08 बजकर 07 मिनट के बीच कर सकते हैं। हनुमान जयंती को शाम 05:07 बजे से लेकर शाम 06:42 बजे तक शुभ उत्तम मुहूर्त है। वहीं, शाम 06 बजकर 42 मिनट से रात 08 बजकर 07 मिनट तक अमृत सर्वोत्तम मुहूर्त है।

 

हनुमान जयंती का शुभ समय

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हनुमान जयंती के दिन अभिजित मुहूर्त दिन में 11 बजकर 59 मिनट से दोपहर 12 बजकर 49 मिनट तक है। यह उस दिन का शुभ समय है। इस दिन हस्त और चित्रा नक्षत्र में हनुमान जयंती मनाई जाएगी।

 

हनुमान जयंती की पूजा

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06 अप्रैल को हनुमान जयंती की पूजा शुभ उत्तम मुहूर्त में करें या फिर अपने सुविधानुसार मुहूर्त में भी पूजा कर सकते हैं। आज हनुमान जी को लाल पुष्प, सिंदूर, अक्षत्, पान का बीड़ा, मोतीचूर के लड्डू, लाल लंगोट आदि अर्पित करें। फिर हनुमान चालीस का पाठ करें। हनुमान मंत्र का जाप भी कल्याणकारी होगा। उसके बाद हनुमान जी की आरती करें। बजरंगबली के आशीर्वाद से आपके पूरे परिवार की उन्नति होगी। संकट मिटेंगे और दोष दूर होंगे।

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*ज्योतिष आचार्य पांडुरंगरावशास्त्री*

 
*हनुमान जयंती या जन्मोत्सव ❓*
आजकल वाट्सएप्प में करने वाले एक भ्रामक सन्देश सर्वत्र प्रेषित किया जा रहा हैं कि हनुमान जयन्ती न कहकर इसे हनुमान जन्मोत्सव कहना चाहिए ; क्योंकि जयन्ती मृतकों की मनायी जाती है और हनुमान जी तो अजर अमर हैं ।
उपरोक्त विषय केवल भ्रांति भ्रान्ति मात्र ही है ।
हमें जयंती ही मनाना चाहिए ।
सबसे पहले जयन्ती का अर्थ जानने की आवश्यकता है —
जयं पुण्यं च कुरुते जयन्तीमिति तां विदुः –स्कन्दमहापुराण,तिथ्यादितत्त्व,
अर्थात जो जय और पुण्य प्रदान करे उसे जयन्ती कहते हैं । 
कृष्णजन्माष्टमी से भारत का प्रत्येक प्राणी परिचित है । इसे कृष्णजन्मोत्सव भी कहते हैं । किन्तु जब यही अष्टमी अर्धरात्रि में पहले या बाद में रोहिणी नक्षत्र से युक्त हो जाती है तब इसकी संज्ञा “कृष्णजयन्ती” हो जाती है —
रोहिणीसहिता कृष्णा मासे च श्रावणेSष्टमी ।
अर्द्धरात्रादधश्चोर्ध्वं कलयापि यदा भवेत्।
जयन्ती नाम सा प्रोक्ता सर्वपापप्रणाशिनी ।।
और इस जयन्ती व्रत का महत्त्व कृष्णजन्माष्टमी अर्थात् रोहिणीरहित कृष्णजन्माष्टमी से अधिक शास्त्रसिद्ध है । 
इससे यह सिद्ध हो गया कि जयन्ती जन्मोत्सव ही है ।
 अन्तर 
इतना है कि योगविशेष में जन्मोत्सव की संज्ञा जयन्ती हो जाती है । यदि रोहिणी का योग न हो तो जन्माष्टमी की संज्ञा जयन्ती नहीं हो सकती–
चन्द्रोदयेSष्टमी पूर्वा न रोहिणी भवेद् यदि ।
तदा जन्माष्टमी सा च न जयन्तीति कथ्यते ॥–
नारदीयसंहिता
अयोध्या में श्रीरामानन्द सम्प्रदाय के सन्त कार्तिक मास में स्वाती नक्षत्रयुक्त कृष्णपक्ष की चतुर्दशी को हनुमान् जी महाराज की जयन्ती मनाते हैं —
“स्वात्यां कुजे शैवतिथौ तु कार्तिके कृष्णेSञ्जनागर्भत एव मेषके ।
श्रीमान् कपीट्प्रादुरभूत् परन्तपो व्रतादिना तत्र तदुत्सवं चरेत् ॥
–वैष्णवमताब्जभास्कर
कहीं भी किसी मृत व्यक्ति के मरणोपरान्त उसकी जयन्ती नहीं अपितु पुण्यतिथि मनायी जाती है । भगवान् की लीला का संवरण होता है । मृत्यु या जन्म सामान्य प्राणी का होता है । भगवान् और उनकी नित्य विभूतियाँ अवतरित होती हैं । और 
उनको मनाने से प्रचुर पुण्य का समुदय होने के साथ ही पापमूलक विध्नों किम्वा नकारात्मक ऊर्जा का संक्षय होता है । 
इसलिए हनुमज्जयन्ती नाम शास्त्रप्रमाणानुमोदित ही है —
“जयं पुण्यं च कुरुते जयन्तीमिति तां विदुः” –स्कन्दमहापुराण, तिथ्यादितत्त्व
जैसे कृष्णजन्माष्टमी में रोहिणी नक्षत्र का योग होने से उसकी महत्ता मात्र रोहिणीविरहित अष्टमी से बढ़ जाती है । और उसकी संज्ञा जयन्ती हो जाती है । ठीक वैसे ही कार्तिक मास में कृष्णपक्ष की चतुर्दशी से स्वाती नक्षत्र तथा चैत्र मास में पूर्णिमा से चित्रा नक्षत्र का योग होने से कल्पभेदेन हनुमज्जन्मोत्सव की संज्ञा ” हनुमज्जयन्ती” होने में क्या सन्देह है ??
एकादशरुद्रस्वरूप भगवान् शिव ही हनुमान् जी महाराज के रूप में भगवान् विष्णु की सहायता के लिए चैत्रमास की चित्रा नक्षत्र युक्त पूर्णिमा को अवतीर्ण हुए हैं —
” यो वै चैकादशो रुद्रो हनुमान् स महाकपिः।
अवतीर्ण: सहायार्थं विष्णोरमिततेजस: ॥
–स्कन्दमहापुराण,माहेश्वर खण्डान्तर्गत, केदारखण्ड-८/१००
पूर्णिमाख्ये तिथौ पुण्ये चित्रानक्षत्रसंयुते ॥
चैत्र में हनुमज्जयन्ती मनाने की विशेष परम्परा दक्षिण भारत में प्रचलित है ।
इसलिए वाट्सएप्प में कॉफी पेस्ट करने वालों गुरुजनों के चरणों में बैठकर कुछ शास्त्र का भी अध्ययन करो । 
वाट्सएप्प या गूगल से नहीं अपितु किसी गुरु के सान्निध्य से तत्त्वों का निर्णय करो ।
अरे भाई, जयन्ती का अर्थ पुण्यतिथि नहीं होता। *हनुमान जयन्ती मनाओ। धूमधाम से मनाओ।*
शास्त्र कहते हैं
जयंतीनामपूर्वोक्ता हनूमज्जन्मवासरः तस्यां भक्त्या कपिवरं नरा नियतमानसाः।
जपंतश्चार्चयंतश्च पुष्पपाद्यार्घ्यचंदनैः धूपैर्दीपैश्च नैवेद्यैः फलैर्ब्राह्मणभोजनैः।
समंत्रार्घ्यप्रदानैश्च नृत्यगीतैस्तथैव च तस्मान्मनोरथान्सर्वान्लभंते नात्र संशयः॥
हनुमान के जन्म का दिन जयंती नाम से बताया गया है। उस दिन भक्तिपूर्वक, मन को वश मे करके, पुष्प, अर्घ्य चंदन से, धूप, दीप से, नैवेद्य से, फलों से, ब्रह्मणों को भोजन कराने से, मंत्रपूर्वक अर्घ्य प्रदान करने से तथा नृत्यगीता आदि से कपिश्रेष्ठ का जप, अर्चना करते हुए मनुष्य सभी मनोरथों को प्राप्त करते हैं, इसमें कोई संशय नहीं है।
आचार्य सियारामदास नैयायिक ✍️जयंती का अर्थ होता है जिसकी विजय पताका निरंतर लहराती रहती है । जिसकी सर्वत्र जय जय है । 
ये किसने निकाल दिया कि जयंती मरे हुए लोगों की होती है ???? 
मरे हुए लोगों की “पुण्यतिथि” होती है।  
“जयंती” शब्द का अर्थ है जिनका यश , जिनका जय , जिनका विजय अक्षुण है और नित्य है , सदा विद्यमान है।  
जयंती महापुरुषों की या भगवान की ही होती है । नश्वर शरीर धारियों के लिए जयंती नहीं है । 
जिनकी कीर्ति , यश ,सौभाग्य , विजय निरंतर हो और जिसका नाश न हो सके ,उसे जयंती कहते हैं । 
आदिशक्ति महामाया जगतजननी का नाम भी जयंती है । 
तो क्या आपके हिसाब से इनकी मृत्यु हो चुकी है ???? 
ये कौन से शास्त्र में है , मतलब यह किस पाणिनि के व्याकरण से आप लोगों ने यह अर्थ लगाया कि जयंती मरे हुए लोगों की होती है ???? 
जयंती का प्रयोग मुख्यत: किसी घटना के घटित होने के दिन की, आगे आने वाले वर्षों मे पुनरावृत्ति को दर्शाने के लिये किया जाता है । 
अरे आज के युग में भी आप अपने माता पिता या किसी जीवित महापुरुष के 25 वर्ष विवाह ,सन्यास या साक्षात्कार दिवस के पूर्ण होने पर  मनाते हैं न , तो क्या माता पिता मर गए या उस महापुरुष की मृत्यु हो गयी ??? 
रजत जयंती , स्वर्ण जयंती , हीरक जयंती  में क्या सब मर जाते हैं ??? 
हनुमान जी की कीर्ति , यश , विजय पताका , भक्ति , ज्ञान , विज्ञान ,  जय निरंतर और नित्य है , इसलिये इनकी जयंती मनाई जाती है । 
ऐसे तो नृसिंह जयंती , वामन जयंती ,मत्स्य जयंती इत्यादि भगवान के सभी अवतारों की जयंती मनाई जाती है तो मुझे यह प्रमाण लाकर दिखा दें जहाँ इन अवतारों के मृत्यु का वर्णन है । 
जयंती मृत्यु से नहीं , उनके नित्य, सदा विद्यमान , अक्षुण , कभी न नष्ट होने वाली कीर्ति और जयत्व के कारण मनाई जाती है । 
चाहे वह जन्म हो या मृत्यु हो । महावीर जयंती ,बुद्ध जयंती , कबीरदास जयंती ,  गुरुनानक जयंती इत्यादि सभी उनके जन्म दिन ही मनाई जाती है ।
जयंती का किसी भी तरह जन्म और मृत्यु से कोई सम्बंध नहीं है । 
जन्मोत्सव साधारण से लोगों का मनाया जाता है , लेकिन “जयंती”  शब्द विराट है ,वृहद है और यह मात्र दिव्य पुरुषों का ही मनाया जाता है। 
कृपया Whatsapp ज्ञान से बचें । हाथ जोड़कर विनती है । 
बस एक यही कारण रहा कि हमारे शास्त्रों का भी ऐसे ही अर्थ का अनर्थ किया गया और हमने बिना जाने समझे बस उसको प्रसारित और प्रचारित करने लगे ।
कृपा करके ऐसे प्रचारित पोस्ट्स से बचें और शास्त्रों का अवलम्बन लें वरना बनाते बनाते सब बिगड़ जाएगा ।
अब जैसे आप ने “हाथ जोड़कर निवेदन है कि जन्मोत्सव कहें ,जयंती नहीं” इस message को आँख बंद करके बिना सोचे समझे forward करते रहे , उसी तरह इसे भी करें । 
धन्यवाद 🙏 
© Shwetabh Pathak*श्रीहनुमानजीके जन्मके विषयमें कल्पभेद का प्रभाव -*
1.चैत्र शुक्ला पूर्णिमा मंगलवार के दिन में 
*चैत्रे मासि सितेपक्षे पौर्णिमास्यां कुजेऽहनि।*
2. *#कार्तिक_कृष्ण_चतुर्दशी* भौमवार स्वाति नक्षत्र मेष लग्न में  महानिशा में  अंजना देवीने हनुमानजीको जन्म दिया था।
 
*ऊर्जस्य चासिते पक्षे स्वात्यां भौमे कपीश्वरः।*
*मेषलग्नेऽञ्जनीगर्भाच्छिवः प्रादुर्भूत् स्वयम्।।* 
             (उत्सवसिन्धु) 
*कार्तिकस्यासिते पक्षे भूतायां च महानिशि।*
*भौमवारेऽञ्जना देवी हनुमंतमजीजनत्।।* 
              ( वायुपुराण )
3. कल्पभेदसे कुछ विद्वान इनका प्राक़ट्य काल चैत्र शुक्ल एकादशीके दिन मघा नक्षत्रमें मानते हैं।
 *चैत्रे मासि सिते पक्षे हरिदिन्यां मघाभिधे।*
*नक्षत्रे समुत्पन्नो हनुमान् रिपुसूदनः।।*
(आनंदरामायण,सारका० 13.162)
श्रीहनुमानजीके प्राकट्यको लेकरके और भी कई विकल्प शास्त्रोंमें उपलब्ध होते हैं।
*हनुमानजीका जन्म मूँजकी मेखलासे युक्त,कौपीनसे संयुक्त और यज्ञोपवीत से विभूषित ही हुआ था ।और ये सब शृंगार सदा हनुमान जी के साथ ही रहता है।*
*चैत्रे मासि सिते पक्षे पौर्णमास्यां कुजेऽहनि।*
*मौञ्जीमेखलया युक्तः कौपीनपरिधारकः।।*
        (हनुमदुपासनाकल्पद्रुमे)
अतः कल्पभेद भिन्नता।
जयन्ती और जन्मोत्सव में भेद नहीं है यह भ्रम संभवतः इसलिए भी फैला कि कुछ कुटिल लोगों ने मरणधर्मा लोगों की भी बड़ी चालाकी से जयन्ती मनाना आरंभ करा दिया। विशेष रूप से भारत वर्ष का बंटवारा करने वालों की जयन्ती मनाने के चलते लोगों को भ्रम हो चला कि जयन्ती मरे हुए लोगों की मनायी जाती है। जबकि उनकी केवल पुण्यतिथि कही जा सकती है। जन्मोत्सव या जन्म तिथि जीवन पर्यन्त ही मनाई जा सकती है मृतयुपर्यन्त केवल पुण्यतिथि। जयन्ती या जन्मोत्सव एक ही शब्द के पर्यावाची हैं जो केवल जीवंत लोगों की हो सकती है। और हनुमान जी चिरंजीवी हैं सदैव हैं इसलिए उनकी जयंती यानी जयकार या जन्म का उत्सव यानी जन्मोत्सव कहें एक ही बात है। जय श्रीराम,।