तीन अप्रैल से लापता है रुद्रप्रयाग की विजय लक्ष्मी

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कर्णप्रयाग महाविद्यालय से BA कर रही बेटी सुबह 9 बजे घर से कॉलेज के लिए निकली विजय लक्ष्मी लेकिन कॉलेज नहीं पहुँची। रुद्रप्रयाग जनपद में घोलतीर पुलिस चौकी के अंतर्गत छिनका गांव की 19 वर्षीय विजय लक्ष्मी पुत्री श्री सतीश भट्ट ०३ अप्रेल से लापता हैं । वे तीन अप्रैल सुबह कर्णप्रयाग विद्यालय के लिए घर से निकली थी।

 

पुलिस द्वारा गुमशुदगी पंजीकृत कर ली गयी है। पुलिस खोज में जुट गई । 

सूचित करें- 98716 66802

 विजय लक्ष्मी के खो जाने कारण का अभी पता नहीं लग सका है। पुलिस इस प्रकरण की छानबीन कर रही है। वहीं परिवार दुखी हैं और तरह तरह की आशंकाओं से संतृप्त है।

 

इंदौर धौलकर की महारानी अहिल्याबाई होल्कर न्यायप्रिय उदार महारानी थी 1754 में खंडेराव की युद्ध में वीरगति प्राप्त होने पर ससुर मल्हारराव होलकर के कहने पर अहिल्या देवी सती नहीं हुई जबकि अन्य 3 रानियां सती हो गईं। इसके बाद ससुर मल्हार राव ने बहू अहिल्या देवी को होलकर साम्राज्य का उत्तराधिकारी बनाया 1745 में अहिल्या देवी ने पुत्र को जन्म दिया, नाम रखा मालेराव। लेकिन वो भी असमय चल बसा फिर तो महारानी ने मन को सुदृढ़ कर एक योद्धा की भांति राज्य की भांति शाशन किया। वे अपना हर आदेश जय शिव शंकर लिख कर आरंभ करती थी ।

उन्होंने देश भर में सैकड़ों बावड़ियों, मंदिरों धर्मशालाओ का निर्माण कराया। उत्तराखंड में भी उन्होंने मंदिरों और धर्मशालाओं का जीर्णोद्धार किया। चमोली जनपद में बदरीनाथ मंदिर का जीर्णोद्धार किया बदरीनाथ मंदिर की छत पर सोने की चादरें लगवायी। गौचर की भूमि को स्थानीय लोगों से खरीद कर उसे गायों के चरने का मैदान बनाया। उतने धन से कई ताजमहल बन सकते थे। दुर्भाग्य से हमें किसी पुस्तक में उनके बारे मे नहीं पढाया गया।नयी पीढ़ी को रानी लक्ष्मी बाई, रानी सत्यवती सावित्री, जाबाला, गार्गी, भारती, रानी मेड़तनी, और महारानी अहिल्या बाई होल्कर से अवश्य प्रेरणा लेनी चाहिए। इतिहास की यह कहानियां पाठ्यक्रम में होनी चाहिए। ताकि नयी पीढ़ी को चरित्र निर्माण साहस पराक्रम और धैर्य में सहयोग मिले और वे किसी जालसजी के शिशिकार ना बनें।  सदाचार संस्कार और संस्कृति के अभाव में कदाचार अनाचार और व्यभिचार पनपता है। ✍️हरीश मैखुरी