चमोली जिले का स्थापना दिवस, कुछ खास है यह तारीख

24 फरवरी 1960 को चमोली, उत्तरकाशी और पिथौरागढ़ तीन जिलों का गठन हुआ, लेकिन विकास को गति देने और भारत चीन सामरिक दृष्टि से बनाये गये ये सीमान्त जिले आज भी विकास के नाम पर बहुत पिछड़े हुए हैं… एक जिला उत्तरकाशी विकास की शून्यता इतनी कि लोग इस क्षेत्र को ही पिछड़ा घोषित करने की मांग को लेकर आन्दोलनरत हैं.. दूसरा चमोली जिला जिसकी भी विकास की राहें सूनी-सूनी पड़ी हैं। कुछ  यही हाल पिथौरागढ़ जनपद का भी है। सामान्य तौर पर देखें तो विकास के नाम पर चमोली जिला एक अत्यंत पिछड़ा हुआ जिला है… कई विश्व प्रसिद्ध धार्मिक स्थल और पर्यटन क्षेत्र होने के बावजूद भी विकास के नाम पर शून्यता वाकई दुर्भाग्यपूर्ण है, विकास की अनदेखी होते देख लोग पलायन के लिए मजबूर हैं…
तत्कालीन यूपी सरकार और अब कि उत्तराखंड सरकार में यहाँ के कई नेताओं ने इस क्षेत्र का नेतृत्व किया लेकिन विकास पहले से घटता चला गया… यहाँ के कई चुनिन्दा निदेशालय जो पहले थे…यहाँ से विस्थापित कर दिये गए… रेशम निदेशालय, S.S.B. प्रसिक्षण सेंटर, A.N.M. प्रशिक्षण सेंटर, पशुपालन निदेशालय, भेड़ प्रजनन केन्द्र, कस्तूरी मृग प्रजनन केन्द्र मत्स्य निदेशालय सभी उपेक्षा के शिकार यहाँ से बदल दिए गये… विश्व प्रसिद्ध औली, जड़ी बूटी निदेशालय, राज्य का पहला विधि विवि० भी इसी तरह उपेक्षित होते होते समाप्ति की कगार पर पहुच गया है ।
चमोली जिले के कुछ प्रमुख स्थल:
– हिंदुओं का प्रमुख तीर्थ स्थल बद्रीनाथ सहित पञ्च बदरी
– विश्व प्रसिद्ध हिमक्रीडा स्थल औली
– पंच केदारों में से रुद्रनाथ, कल्पनाथ
– हिमालयी महाकुम्भ नंदा देवी राज जात यात्रा का स्थल नौटी
– उत्तराखंड की बहस की राजधानी गैरसैंण
– पञ्च प्रयागों में से विष्णुप्रयाग, नन्दप्रयाग, कर्णप्रयाग
आदि कई महत्वपूर्ण एवं धार्मिक स्थल होते हुए भी चमोली जिला विकास और पर्यटन के क्षेत्र में पिछड़ा हुआ और दुखी है अपने उजड़ते घर बिखरते लोगो को देख कर गांव के गांव खाली देख कर।