किसानों की आत्महत्या का मुआवजा?

सरकार ने ऊधमसिंह नगर जिले के खटीमा और पिथौरागढ़ जिले के बेरीनाग में आत्महत्या करने वाले किसानों के परिवारों को पांच-पांच लाख रुपये की आर्थिक सहायता देने की घोषणा की है। इन दोनों किसानों ने कृषि ऋण चुकता न कर पाने के कारण आत्महत्या की थी।

कुमाऊं के सीमांत पिथौरागढ़ जिले में कुछ दिनों पहले बेरीनाग तहसील के पुरानाथल गांव के सरतोला तोक निवासी सुरेंद्र सिंह (60 वर्ष) ने जहरीला पदार्थ पीकर आत्महत्या कर ली थी। बताया गया कि सुरेंद्र सिंह ने पांच वर्ष पूर्व साधन सहकारी समिति पुरानाथल से कृषि कार्य के लिए 75 हजार रुपये का कर्ज लिया था। ऋण माफ न होने से वह तनाव में आ गया और उसने 16 जून को जहरीला पदार्थ खाकर आत्महत्या कर ली। इसके कुछ दिन बाद ही खटीमा के कंचनपुरी गांव के रामअवतार (46 वर्ष) ने खेत के निकट एक पेड़ पर फांसी लगाकर आत्महत्या की थी। उसने एसबीआइ की खटीमा शाखा से 1.97 लाख व बैंक ऑफ बड़ौदा नानकमत्ता शाखा से 1.75 लाख का कृषि ऋण लिया था। कैबिनेट मंत्री व सरकार के प्रवक्ता मदन कौशिक ने बताया कि मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने दोनों किसानों के परिजनों को पांच-पांच लाख रुपये की सहायता देने की घोषणा की है। दोनों मामलों की मजिस्टे्रटी जांच की जा रही है।

सरकार भले ही मुआवजा दे और मजिस्ट्रेटी जांच कराएं लेकिन सिक्केे का दूसरा पहलू यह है कि जब किसान ने आत्महत्या कर ही ली तो उसके लिए एक करोड़ की राशि भी किसी काम की नहीं, दूसरा यह पांच लाख रुपए की मुआवजा राशि किसानों की आत्महत्या हेतु प्रोत्साहन राशि भी बन सकती है और इससे किसानों की आत्महत्या की दर अथवा हत्या की संख्या में भी वृद्धि हो सकती है। अच्छा हो जिंदा रहते ही किसानों की यथास्थिति का आंकलन कर लिया जाए और किसान की माली हालात ऐसी तो नहीं की यह आत्महत्या कर सकता है इसका आगढ़न और आंकलन कर लिया जाना चाहिए, तभी आत्महत्याएं रुक सकती हैं।