चमोली—‘उत्तराखण्ड बाल संरक्षण आयोग के अध्यक्ष ने समीक्षा बैठक , दिए आवश्यक निर्देश

 

संदीप

‘उत्तराखण्ड बाल संरक्षण आयोग के अध्यक्ष श्री योगेन्द्र खण्डूरी ने विकास भवन सभागार में बाल सरंक्षण के कार्यो की समीक्षा करते हुए सभी संबधित अधिकारियों को दिये की बाल अधिकारों के संरक्षण के लिए स्वास्थ्य, शिक्षा और सुरक्षा को सर्वोच्च प्राथमिकता देते हुए बाल श्रम, बाल हिंसा, कुपोषण एवं बाल यौन शोषण जैसे गम्भीर मामलों पर अंकुश लगाने के लिए प्रभावी कदम उठाना सुनिश्चित करें।उन्होंने कहा कि बाल हितों की अनदेखी करने पर आयोग द्वारा बाल संरक्षण अधिनियम के अन्तर्गत कठोर कार्यवाही अमल लायी जायेगी। बैठक में आयोग के मा0 सदस्य वाचस्पति सेमवाल ने आयोग के अधिकार व कार्यो के संबघ में विस्तार से जानकारी दी।

अध्यक्ष ने कहा कि प्राथमिक शिक्षा ही बच्चों के जीवन की नीव होती है। शिक्षा का अधिकार अधिनियम के तहत हर बच्चे को गुणवत्ता परक शिक्षा दी जानी आवश्यक है, जिसके लिए प्राथमिक स्तर पर दी जाने वाली शिक्षा में सुधार लाने की आवश्यकता है। उन्होंने दूरस्थ क्षेत्रों के प्राथमिक विद्यालयों में पठन-पाठन व अन्य सुविधाओं की निरन्तर माॅनिटरिंग करने के निर्देश जिलाधिकारी को दिये। उन्हांेंने कहा कि ग्रामीण क्षेत्रों में बच्चों की शिक्षा की स्थिति संतोषजनक नही है। विद्यालयों में अध्यापकों की कमी, जीर्णशीर्ण विद्यालय भवनों, विद्युत, पेयजल उपलब्ध न होना तथा स्कूल के पहुॅच मार्ग में आने वाले नाले व गधेरों पर पुलिया आदि न होने के कारण बच्चों को भारी असुविधा का सामना करना पडता है। जिसका सीधा प्रभाव उनके जीवन पर पडता है। जिसकी नियमित माॅनिटरिंग की जानी आवश्यक है। उन्होंने परिवहन अधिकारी को भी स्कूल बसों में मानकों के अनुसार सुरक्षा के पुख्ता इंतेजाम सुनिश्चित करते हुए नियमित माॅनिटरिंग के निर्देश दिये।

मा0 अध्यक्ष ने कहा कि नेशनल क्राॅइम रिकार्ड ब्यूरो की रिपोर्ट के अनुसार बच्चों की सुरक्षा की दृष्टि से देश के दस हिमालयी राज्यों में उत्तराखण्ड राज्य सबसे असुरक्षित है, जो एक गम्भीर चिन्तन का विषय है। हर बच्चें को भयमुक्त वातावरण देने के लिए निरन्तर प्रयास करने के आवश्यकता है।

मा0 अध्यक्ष ने बाल विवाह, भिक्षावृत्ति रोकने के लिए भी सख्त कदम उठाने के निर्देश दिये। उन्होंने बच्चों को नशे से दूर रखने, बाल श्रमिक एवं प्रताडना राकेन, गुमशुदा बच्चों को तलाशने, स्कूलों व छात्रावासों में आवश्यक सुविधाएं देन की बात कही। आंगनबाडी केन्द्रों व प्राथमिक विद्यालयों में पेयजल व शौचालय की समुचित व्यवस्था सुनिश्चित करने के निर्देश दिये। बाल सरंक्षण से जुडे विभागीय अधिकारियों के साथ बाल संरक्षण पर किये जा रहे क्रियाकलापों की जानकारी लेते हुए विभागों को समन्वय बनाकर बाल अधिकार संरक्षण के क्षेत्र में कार्य करने को कहा। उन्होंने पाक्सों एक्ट, आरटीआई एक्ट, बाल श्रम प्रतिषेध अधिनियम का उल्लंघन होने पर, किसी बच्चे के संकट में होने पर, बच्चे का उत्पीडन होन पर, बाल अधिकारों का हनन होन पर, बच्चों से संबधित योजनाओं का सही ढंग से क्रियान्वयन न होन पर तत्तकाल उचित कार्यवाही करने को कहा।

मा0 अध्यक्ष ने जिले में संचालित बाल कल्याण समितियों (सीडब्लूसी) के कार्यालयों में दूरभाष, इंटरनेट, फैक्स आदि संचार सुविधाएं, संशाधन एवं बच्चों के लिए खुशनुमा वातावरण देने के लिए भी आवश्यक कार्यवाही करने के निर्देश जिलाधिकारी को दिये।

समीक्षा के दौरान महिला एवं बाल विकास, शिक्षा, श्रम, पुलिस, समाज कल्याण सहित सभी संबधित  विभागों ने बाल संरक्षण के तहत किये जा रहे कार्यो की जानकारी दी। पुलिस विभाग ने बताया कि पोक्सों के अन्तर्गत इस वर्ष कोई मामला दर्ज नही है। स्वास्थ्य विभाग ने नियमित टीकाकरण व बच्चों के स्वास्थ्य परीक्षण की जानकारी देते हुए बताया कि सभी आंगनबाडी केन्द्रों में नियमित रूप से कुपोषित बच्चों का स्वास्थ्य परीक्षण किया जा रहा है। जिले में 180 कुपोषित तथा 07 बच्चे अति कुपोषित पाये गये है। समाज कल्याण अधिकारी ने बताया कि जिले में बाल संरक्षण गृह के लिए मानकों के अनुसार भूमि उपलब्ध नही होने के कारण प्रस्ताव तैयार नही हुआ है। बाल विकास अधिकारी ने बताया कि जिले में 1078 आंगनबाडियों में से 1063 आंगनबाडी संचालित है, जिनमें नियमित रूप से बच्चों का भरण-पोषण एवं स्वास्थ्य परीक्षण किया जा रहा है।

इस अवसर पर अपर जिलाधिकारी मोहन सिंह बर्निया, पीडी डीआरडीए प्रकाश रावत, सीओ मिथिलेस कुमार, एसडीएम परमानंद राम, सीईओ एलएम चमोली, डीईओ(मा0) आशुतोष भण्डारी, डीईओ(बे0) एनके हल्दिया, एसीएमओ पंकज जैन, जिला समाज कल्याण अधिकारी सुरेन्द्र लाल, बाल कल्याण समिति की अध्यक्षा प्रभा रावत, सदस्य उमा शंकर बिष्ट, सुरेश चन्द्र उनियाल आदि उपस्थित थे।