ब्रेकिंग : भाजपा और कांग्रेस की उत्तराखण्ड विधानसभा प्रत्याशियों की नयी सूचि जारी, ऋतुभूषण खंडूरी का कोटद्वार से टिकट, हरीश रावत अब रामनगर की जगह लालकुंवा से लड़ेंगे चुनाव

इस समय का बड़ा समाचार है कि कांग्रेस को बड़ा झटका देते हुए पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष किशोर उपाध्याय ने भाजपा का दामन थाम लिया है। भारतीय जनता पार्टी के संसदीय बोर्ड ने उत्तराखण्ड की विधानसभा चुनाव २०२२ हेतु प्रत्याशियों दूसरी सूचि जारी कर दी है, इस सूचि में ऋतुभूषण खंडूरी को कोटद्वार से प्रत्याशी बनाया गया है, ऋतुभूषण खंडूरी के पिता पूर्व मुख्यमंत्री जनरल भुवन चन्द्र खंडूरी भी पहले कोटद्वार से चुनाव लड़ चुके हैं। तब वे बहुत कम अंतर से रह गये थे। लेकिन ऋतुभूषण खंडूरी ने कहा है कि पार्टी का आदेश शिरोधार्य है। उन्होंने आशा जताई कि इस बार कोटद्वार की जनता का सहयोग भारतीय जनता पार्टी को और आशीर्वाद मुझे प्राप्त होगा। मुख्यमंत्री पुष्करसिंह धामी ने विधानसभा के सभी प्रत्याशियों को अग्रिम शुभकामनाएं दीं। उन्होंने कहा कि मैं भारतीय जनता पार्टी की केंद्रीय चुनाव समिति द्वारा आज घोषित किए गए सभी 9 उम्मीदवारों को शुभकामनाएं देता हूं।

धामी ने कहा कि निश्चित ही प्रदेश की जनता भाजपा सरकार के विकास कार्यों व जनकल्याणकारी नीतियों पर जीत की मुहर लगाएगी और भारतीय जनता पार्टी, देवभूमि में एक बार फिर से प्रचंड बहुमत के साथ सरकार बनाएगी।

वहीं कांग्रेस ने भी अपनी तीसरी सूची में कई प्रत्याशियों के क्षेत्रों में बड़ा बदलाव कर दिया है पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत को नई सूची में रामनगर की बजाय लाल कुमार से प्रत्याशी बनाया गया है जबकि रामनगर से हरीश रावत के चुनाव लड़ने का प्रबल विरोध कर रहे हरीश रावत के पूर्व सहयोगी रणजीत सिंह रावत को सीट से विधायक प्रत्याशी बनाया गया है कुल मिलाकर हरीश रावत और पुष्करसिंह धामी के बीच दोनों दलों की भिडंत रोचक होती जा रही है। 

और एक कटु सत्य एक कविता शोशल मीडिया से=======================

जब विधायक ने देहरादून ही रहना हैं,

बिमार ने इलाज के लिए मैदान ही आना हैं,

जब नौकरी हमें मैदान में ही ढूढ़नी है, 

जब जवानी मैदान में ही टूटनी हैं।

फिर विधायक चुनने का फायदा क्या पहाड़ मे

फिर नेता चुन कर क्या फायदा उत्तराखण्ड में ।

जब बाबू चपरासी ने मैदान में ही सेवा देनी है,

जब मास्टर जी ने देहरादून से ही क्लास लेनी है,

जब पत्रकार ने देहरादून से ही खबर लिखनी है

जब पहाड़ की जमीन देहरादून से ही बिकनी हैं

फिर विधायक चुनने का क्या फायदा पहाड़ में

फिर नेता चुनकर क्या फायदा पहाड़ में

 

जब सब ऑफिस देहरादून ही शिप्ट होने हैं

जब हर काम के दाम यहीं से फिक्स होने हैं

जब कौथिग सेमीनार देहरादून में करने हैं

जब देहरादून में ही करने प्रदर्शन धरने हैं

फिर विधायक चुनने का क्या फायदा पहाड़ में

फिर नेता चुनकर क्या फायदा पहाड़ में

जब स्मार्ट सिटी मैदान को ही बनाना है

जब पूरा राज यहीं देहरादून से चलाना हैं 

जब एक तिहाई बजट मैदानों में खर्चना हैं 

जब हर किसी की नब्ज यहीं परखना हैं 

फिर विधायक चुनने का क्या फायदा पहाड़ में

फिर नेता चुनकर क्या फायदा पहाड़ में

 

क्या फायदा, क्या फायदा, चुनकर क्या फायदा,

क्या फायदा विधानसभा देहरादून का।

क्या फायदा विधायको का ।

क्या फायदा जनता के पैसे की बर्बादी इन विधायकों की ऐश का।

क्यों न एक मुहीम चलायें केंद्र शासित प्रदेश । केंद्र शासित प्रदेश का।

 

जय उत्तराखंड, जय देवभूमि🙏🙏🙏ये है नंगी आंखों की सच्चाइयाँ 21 सालो का। 

विधायक बन गये करोड़पति ।

जनता बन गईं रोड पति।

उत्तराखण्ड को क्यों न ये केंद्र शासित प्रदेश बना दिया@@#!! जाय