70 लाख की चाय पीने के बाद स्लिपिंग मोड से जाग भी जाना चाहिए।

 

हरीश मैखुरी

आरटीआई में जानकारी दी गई है कि शपथ लेने के बाद से अब तक 6859865 रू मुख्यमंत्री के चाय पानी पर खर्च हुआ। पीओ चाय भी, चाय अब उत्तराखंड की सदाशयता की निशानी बन गया है। वैसे देश और प्रदेश में चाय के खोक्के रोजगार की सबसे बड़ी फैक्ट्री हैं। लेकिन बिना किसी काम के 70 लाख की चाय गटकना गले नहीं उतर रहा। इतनी चाय पीने के बाद स्लिपिंग मोड से जाग भी जाना चाहिए। स्थानीय निकाय, लोक सभा और पंचायत चुनाव निकट हैं, लेकिन आपके ओम प्रकाश कथा श्रवण का जीओ जारी कर रहे हैं। कथा भी सुनेंगे पर उत्तराखंड में विकास भी पैदा होना चाहिए कि नहीं? चाय बेच कर तो प्रधानमंत्री भी बन जाते हैं, खाली गटक कर तो कर्ज में ही डूबे रहोगे।

बेरोजगार चाय बेच कर दिहाड़ी बना सकें अपने पैरों पर खड़े हो सकें ऐसा जीओ कब जारी होगा? क्योंकि देवभूमि में दारू बेचने से कई गुना अच्छा है चाय का कारोबार, कम से कम मवासी घाम तो नहीं लगती।

इधर मुख्यमंत्री के पसंदीदा रहे अपर मुख्य सचिव ओमप्रकाश 1 फरवरी को एक संत के प्रवचन सुनने हेतु शासनादेश करते हैं जबकि हजारों शासनादेश उनके चिड़िया बिठाने की बाट जोह रहे हैं।