भारतीय संस्कृति का अनुपम उदाहरण यूक्रेन में मेडिकल की पढ़ाई कर रही हरियाणा की नेहा सांगवान ने भारत लौटने से मना कर दिया

यूक्रेन में मेडिकल की पढ़ाई कर रही हरियाणा की नेहा सांगवान ने भारत लौटने से इन्कार कर दिया है,

बेटी का कहना है कि उसका मकान मालिक युद्ध पर चला गया है,

वह मकान मालकिन और उसके तीन बच्चों को ऐसे हालात में छोड़कर नहीं जा सकती ..

 

यही वो पल है जब आप अपनी मिट्टी, अपने संस्कार – संस्कृति, और अपनी परवरिश पर #गर्व करते हैं ..

बता दें कि यूक्रेन, रशिया युद्ध को हवा देकर आग में घी डालने का श्रेय अमेरिका और NATO देश है जिस में बलि का बकरा बना यूक्रेन (01)
आज़ रशिया पर सभी प्रतिबन्ध लगा कर NATO देश भी आग में जलेगा (02)

अगर रशिया बर्बाद हुआं और मरा तों यह रशिया किसी NATO देश को नहीं छोड़ेगा…
सीधी सी बात समझने की है जब सब देश एक होकर अकेले रशिया को गंदी राजनीति के तहत् घेरकर रशिया को ख़त्म करने में लगे हैं तों सोचने वाली बात है रशिया अंतिम समय में मरता मिटते वक्त परमाणु अटेक करेगा

क्योंकि जब कोई ख़त्म होता शक्तिशाली देश परमाणु हथियार क्या दिवाली पर फोड़ने के लिए बनाता है नहीं ना…?
तों वो अंतिम हथियार के तौर पर परमाणु शक्ति का उपयोग करेगा…जिस में सभी NATO देश को भारी नुक्सान उठाना पड़ेगा…
जों दुसरो के लिए गड्ढा तैयार करते हैं अपनी गंदी राजनीति से वो भी उसी काल के गड्ढे में समायेगे (03)

और… आज़ उछल उछल कर मीडिया, NATO युनियन यूक्रेन के गुणगान कर रहें हैं वो यूक्रेन को बहादुर बता बता कर उसे उकसा रहें हैं रशिया के साथ लंम्बी लड़ाई युद्ध में झोक रहें हैं वह सिर्फ़ एक तरफ़ सोच कर आनंद ले रहें हैं अपनी TRP बटोरने में लगे हैं लेकिन दूसरा पहलू नहीं समझ रहे इस का अंतिम परिणाम के बारे में अंजान बने बैठें हैं यह युद्ध यूंही आसानी से समाप्त नहीं होगा..

रशिया बहुत बड़ा परमाणु शक्ति संपन्न देश है वह गंदी राजनीति करने वाले अपने दुश्मन देशों को भी नहीं छोड़ेगा… रशिया से सीधी टक्कर न लें सकें इसके लिए तों पहले ही वह सभी दुश्मन देशों के घुटने टिका चुका है।

अंतिम बात ये कि … रशिया हमारा सबसे पुराना और सबसे विश्वसनीय मित्र देश रहा है और है। इसलिए जो सैक्युलर गैंग इन दिनों रूस और मोदी विरोधी अभियान चलाये हुए हैं उन्हें या तो यूक्रेन द्वारा अंतर्राष्ट्रीय मामलों में भारत के विरुद्ध किए गये वोटिंग और आतंकवादियों के समर्थन की जानकारी नहीं है या रूस की शक्ति का अनुमान नहीं है। …
रशिया और इज़राइल ने हर संभव भारत के विपरीत परिस्थितियों में भारत का साथ निभाता आया है। ऐसी विपरीत परिस्थितियों में भी वीरबाला की नेहा सांगवान ने प्राणों की चिंता न करते हुए भारतीय संस्कृति और त्याग का जो अनुपम उदाहरण प्रस्तुत किया वह सदैव के लिए उदाहरण बन गया है।

तनिक सोच कर देखिए अमेरिकी छात्रों को यूक्रेन से निकालना कितना आसान है? अमेरिका खुलकर यूक्रेन के साथ खड़ा भी है। अमेरिका के पास हो सकता है अपना सरकारी विमान भी होगा, भारत ने तो बेच लिया एयर इंडिया को। बावजूद इसके 25 फरवरी शुक्रवार को ही अमेरिका के एंबेसी ने एडवाइजरी जारी कर दिया कि बाईडेन प्रशासन अमेरिकी छात्रों को वहां से निकालने में किसी भी प्रकार की मदद नहीं करेगा।

मेरा सलाम पहुंचे मोदी सरकार को। सांप सपेरा वाले देश का प्रधानमंत्री होते हुए भी कितनी इज्जत से अपने नागरिकों को यूक्रेन से वापस ला रहा है। ऑपरेशन गंगा के तहत 5वीं फ्लाइट आ चुकी है। 1156 छात्र आ चुके हैं, बिना इस परवाह के कि मोदी सरकार को आज कितना कोसा जा रहा है। चारों ओर से उलाहने मिल रहे। यूक्रेन में शेष बचे छात्रों की भारत को ललकारती हुई वीडियो लेफ्ट लॉबी के सोशल मीडिया हैंडल से नैरेट किए जा रहे।

मोदी सरकार अपने चार मंत्रियों को भी यूक्रेन के पड़ोसी देश में भेज रही। ताकि एक एक भारतीय छात्र को बचाकर वापस लाया जा सके। संभव है वे मंत्री हरदीप पुरी, ज्योतिरादित्य सिंधिया, किरन रिजिजू और पूर्व थलसेना अध्यक्ष वीके सिंह हों। ये वही सरकार है जिसने एकलौता नागरिक कुलभूषण जाधव के लिए अंतरराष्ट्रीय अदालत तक की लड़ाई लड़ी है। जबकि एक समय था हमारे सैनिकों का गला काट कर पाकिस्तान में फुटबॉल खेला जाता था।

मोदी सरकार के साथ आज हम खुलकर खड़े हैं। हमें सरकार के समर्पण और कर्मठता पर पूरा भरोसा है। हमारे पास कोई आरोप नहीं है मढ़ने के लिए। खुल कर खड़ा होना मजबूरी है। इसलिए है कि भारत सरकार ओवरसीज मोर्चे पर तो लड़ ही रही है, डोमेस्टिक मोर्चे पर भी लड़ रही है। लेफ्ट लॉबी पूरी ताकत से मोदी सरकार को घेरने के लिए एजेंडा वीडियो सोशल मीडिया में रिलीज कर रहा है।

हमारे सरकार की हर लड़ाई आज यूक्रेन की लड़ाई से भी ज्यादा गंभीर होती है। क्योंकि यूक्रेन के सामने तो रसिया खुलकर खड़ा है। लेकिन शाहीन बाग से लेकर दिल्ली बॉर्डर तक हमारे यहां जो युद्ध क्षेत्र सजता है, इसमें भारत के खिलाफ कौन लड़ रहा है सामने से, पता नहीं चलता। कभी कनाडा लड़ रहा होता है तो कभी चीन और पाकिस्तान। स्वाभाविक है कि घरेलू मोर्चे पर देश के खिलाफ लड़ी जाने वाली हर दिन की लड़ाई को हम सरकार पर नहीं छोड़ सकते। इसलिए आज हम फिर सरकार के साथ खड़े हैं।