𝕝𝕝 🕉 𝕝𝕝
*श्री हरिहरो*
*विजयतेतराम*
*🌹।।सुप्रभातम्।।🌹*
🗓 आज का पञ्चाङ्ग 🗓
*बुधवार, ११ जनवरी २०२३*
सूर्योदय: 🌄 ०७:१५
सूर्यास्त: 🌅 ०५:३९
चन्द्रोदय: 🌝 २१:२९
चन्द्रास्त: 🌜१०:०७
अयन 🌖 दक्षिणायने
(दक्षिणगोलीय)
ऋतु: 🎄 शिशिर
शक सम्वत:👉१९४४ (शुभकृत)
विक्रम सम्वत:👉२०७९ (नल)
मास 👉 माघ
पक्ष 👉 कृष्ण
तिथि 👉 चतुर्थी (१४:३१ से
पञ्चमी)
नक्षत्र 👉 मघा (११:५० से
पूर्वाफाल्गुनी)
योग 👉 आयुष्मान् (१२:०२
से सौभाग्य)
प्रथम करण 👉 बालव
(१४:३१ तक)
द्वितीय करण 👉 कौलव
(२७:३६ तक)
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॥ गोचर ग्रहा: ॥
🌖🌗🌖🌗
सूर्य 🌟 धनु
चंद्र 🌟 सिंह
मंगल🌟वृष(उदित,पश्चिम,वक्री)
बुध🌟धनु(अस्त,पश्चिम,वक्री)
गुरु🌟मीन(उदित,पूर्व,मार्गी)
शुक्र🌟मकर(उदित,पश्चिम)
शनि🌟मकर(उदित,पूर्व,मार्गी)
राहु 🌟 मेष
केतु 🌟 तुला
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शुभाशुभ मुहूर्त विचार
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अभिजित मुहूर्त 👉 ❌️❌️❌️
अमृत काल 👉 ०९:०९ से १०:५७
विजय मुहूर्त 👉 १४:०८ से १४:५०
गोधूलि मुहूर्त 👉 १७:३३ से १८:००
सायाह्न सन्ध्या 👉 १७:३५ से १८:५७
निशिता मुहूर्त 👉 २३:५७ से २४:५२
राहुकाल 👉 १२:२५ से १३:४२
राहुवास 👉 दक्षिण-पश्चिम
यमगण्ड 👉 ०८:३२ से ०९:४९
होमाहुति 👉 मंगल (गुरु १४:२५ से)
दिशाशूल 👉 उत्तर
अग्निवास 👉 पृथ्वी (१४:३१ तक)
चन्द्रवास 👉 पूर्व
शिववास 👉 कैलाश पर (१४:३१ से नन्दी पर)
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☄चौघड़िया विचार☄
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॥ दिन का चौघड़िया ॥
१ – लाभ २ – अमृत
३ – काल ४ – शुभ
५ – रोग ६ – उद्वेग
७ – चर ८ – लाभ
॥रात्रि का चौघड़िया॥
१ – उद्वेग २ – शुभ
३ – अमृत ४ – चर
५ – रोग ६ – काल
७ – लाभ ८ – उद्वेग
नोट– दिन और रात्रि के चौघड़िया का आरंभ क्रमशः सूर्योदय और सूर्यास्त से होता है। प्रत्येक चौघड़िए की अवधि डेढ़ घंटा होती है।
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शुभ यात्रा दिशा
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पूर्व-उत्तर (गुड़ अथवा दूध का सेवन कर यात्रा करें)
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तिथि विशेष
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आज जन्मे शिशुओं का नामकरण
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आज ११:५० तक जन्मे शिशुओ का नाम मघा नक्षत्र के चतुर्थ चरण अनुसार क्रमश (मे) नामाक्षर से तथा इसके बाद जन्मे शिशुओ का नाम पूर्वाफाल्गुनी नक्षत्र के प्रथम, द्वितीय, तृतीय एवं चतुर्थ चरण अनुसार क्रमशः (मो, टा, टी, टू) नामाक्षर से रखना शास्त्रसम्मत है।
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उदय-लग्न मुहूर्त
धनु – २९:२८ से ०७:३१
मकर – ०७:३१ से ०९:१२
कुम्भ – ०९:१२ से १०:३८
मीन – १०:३८ से १२:०२
मेष – १२:०२ से १३:३५
वृषभ – १३:३५ से १५:३०
मिथुन – १५:३० से १७:४५
कर्क – १७:४५ से २०:०७
सिंह – २०:०७ से २२:२५
कन्या – २२:२५ से २४:४३
तुला – २४:४३ से २७:०४
वृश्चिक – २७:०४ से २९:२४
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पञ्चक रहित मुहूर्त
चोर पञ्चक – ०७:१४ से ०७:३१
शुभ मुहूर्त – ०७:३१ से ०९:१२
रोग पञ्चक – ०९:१२ से १०:३८
शुभ मुहूर्त – १०:३८ से ११:५०
मृत्यु पञ्चक – ११:५० से १२:०२
रोग पञ्चक – १२:०२ से १३:३५
शुभ मुहूर्त – १३:३५ से १४:३१
मृत्यु पञ्चक – १४:३१ से १५:३०
अग्नि पञ्चक – १५:३० से १७:४५
शुभ मुहूर्त – १७:४५ से २०:०७
रज पञ्चक – २०:०७ से २२:२५
शुभ मुहूर्त – २२:२५ से २४:४३
चोर पञ्चक – २४:४३ से २७:०४
शुभ मुहूर्त – २७:०४ से २९:२४
रोग पञ्चक – २९:२४ से ३१:१४
आज का राशिफल
🐐🐂💏💮🐅👩
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मेष🐐 (चू, चे, चो, ला, ली, लू, ले, लो, अ)
आज का दिन हर प्रकार से शुभ रहेगा कार्य व्यवसाय से में बुद्धि विद्या और संतान का सहयोग मिलने से कई दिनों से टल रही योजना को आगे बढ़ाएंगे। कार्य विस्तार और उन्नति होने से मन प्रसन्न रहेगा। आज आपका स्वभाव भी अन्य दिनों की तुलना में शांत रहेगा मध्यान के बाद धन को लेकर किसी पर गरम हो सकते है फिर भी स्थिति आज आपके पकड़ में ही रहेगी। व्यवसाय में प्रतिस्पर्धा के कारण नए शत्रु बनेंगे सन्तान भी आज शत्रु वृद्धि का कारण बन सकती है पर इन बातों का आपकी दिनचर्या पर कोई प्रभाव नही पड़ेगा। धन की आमद आवश्यकता से अधिक ही होगी। घर का वातावरण कुछ समय को छोड़ सामान्य रहेगा। पर्यटन की योजना बनेगी उत्तम वाहन भोजन सुख मिलेगा। आरोग्य में थोड़ी नरमी अनुभव करेंगे।
वृष🐂 (ई, ऊ, ए, ओ, वा, वी, वू, वे, वो)
आज का दिन अशुभ फलदायी रहेगा आज आपको अपनी वाणी और व्यवहार दोनो पर संयम रखने की जरूरत है अथवा के दिनों से जमी दोस्ती अथवा स्नेह व्यवहार टूट भी सकती हैं। दिन के आरंभ से किसी कार्य मे असफल होने पर क्रोध आएगा परिज भी इच्छा के विपरीत कार्य कर आग में घी का काम करेंगे। दोपहर तक मानसिक रूप से विक्षिप्त जैसे व्यवहार करेंगे इसके बाद व्यावसाय से लाभ मिलने पर क्रोध को भूल जाएंगे। लेकिन कार्य क्षेत्र पर छोटे मोटे धन को लेकर भी झगड़ा करने पर आमदा होंगे। विवेकी व्यवहार रखे अन्यथा व्यवसाय में बदनामी होने पर लंबे समय तक परेशानी देखनी पड़ेगी। संध्या बाद दिन भर की खीज घर पर उतारने पर मुश्किल से शांत हुआ वातावरण फिर खराब होगा। चोटादि का भय है।
मिथुन👫 (का, की, कू, घ, ङ, छ, के, को, हा)
आज का दिन व्यावसायिक एवं आर्थिक विषयों में बीते कल की तुलना में अधिक बेहतर रहेगा। आज दिन के आरंभ से ही मन मे पर्यटन मनोरंजन का भूत सवार रहेगा लेकिन कार्य व्यस्तता भी अन्य दिन की तुलना में अधिक रहेगी फिर भी संध्या बाद सब कार्य छोड़ मनोकामना पूर्ति के लिये समय निकाल ही लेंगे। व्यवसाय से आज कम मेहनत और समय मे आशाजनक लाभ मिल जाएगा अन्य कार्यो में भी सहज सफलता मिलने से उत्साही रहेंगे आर्थिक रूप से दृढ़ता आएगी भविष्य के लिये संचय कर सकेंगे। आज घर के सदस्यों को प्रसन्न करने में पसीने छूटेंगे खर्च करने के बाद भी कोई न कोई नुक्स अवश्य निकालेंगे। सेहत में कुछ नरमी रहने पर भी दिनचर्या प्रभावित नही होने देंगे।
कर्क🦀 (ही, हू, हे, हो, डा, डी, डू, डे, डो)
आज आपका स्वभाव दो तरफा रहेगा स्वयं को बाहर से संतोषि प्रदर्शित करेंगे लेकिन अंदर से उथल पुथल लगी रहेगी। कार्य व्यवसाय को लेकर आज दूरदर्शी सोच लाभ नही करेगी तो हानि होने से भी बचाएगी। व्यावसायिक लेन देन को लेकर ज्यादा माथा पच्ची में नही पड़ेंगे लेकिन किसी के दबाव में आकर जल्दबाजी दिखाएंगे फिर भी कुछ ना कुछ लाभ ही मिलेगा। धन की आमद आज सीमित साधनों से पर आवश्यकता अनुसार हो जाएगी। माता अथवा संतानों से किसी विषय को लेकर तीखी बहस हो सकती है इसमें विजय आपकी ही होगी लेकिन परिजनों का दिल दुखाने पर ही। बाहर की यात्रा के प्रसंग बनेंगे परन्तु इसे टालने के प्रयास करेंगे। महिलाओ का रहस्यमयी व्यवहार घर मे संदेह पैदा करेगा सेहत अकस्मात बिगड़ने अथवा चोट-मोच का भय है।
सिंह🦁 (मा, मी, मू, मे, मो, टा, टी, टू, टे)
आज के दिन आप अपनी बुद्धि का इस्तेमाल कुछ अधिक ही करेंगे हर कार्य मे अतिरिक्त दिमाग चलाएंगे जहां केवल व्यवहारिकता से काम निकल सकता है वहां भी अपनी श्रेष्ठता का परिचय देने से नाहाई चूकेंगे अन्य लोगो को आपका स्वभाव सनकी जैसा लगेगा लेकिन बोलेंगे नही। कार्य क्षेत्र पर आज लाभ कमाने के अवसर मिलते रहेंगे लेकिन सफलता सब मे नही मिल पाएगी धन लाभ मेहनत और चतुराई के बल पर आशाजनक हो जाएगा। कार्य क्षेत्र पर सहकर्मियो को शक की दृष्टि से देखेंगे जिससे कहासुनी तो नही पर मतभेद जरूर रहेंगे। मित्र परिजनों के आगे भी अक्लमंदी दिखाने पर आपकी हसी हो सकती है। पिता से व्यवसाय को लेकर विचार में भिन्नता रहेगी। आज का कुछ हिस्सा दवाओं पर खर्च होगा।
कन्या👩 (टो, पा, पी, पू, ष, ण, ठ, पे, पो)
आज के दिन आपको प्रतिकूल परिस्थितियो का सामना करना पड़ेगा मध्यान तक किसी विशेष कार्य से भागदौड़ करनी पड़ेगी लेकिन इसका परिणाम निराशाजनक रहने से आगे काम करने का उत्साह नही रहेगा। धन को लेकर आज भी असमंजस की स्थिति में रहेंगे लोग एक बार कोई वस्तु अथवा धन लेकर वापस करने में आनाकानी करेंगे इस वजह से आपका काम बीच मे रुकेगा साथ ही किसी के ताने भी सुनने को मिलेगें। कार्य व्यवसाय से जोड़ तोड़ कर लाभ तो होगा परन्तु आकस्मिक हानि सारे लाभ पर पानी फेर देगी। कार्य क्षेत्र से संबंधित मामले में माता अथवा किसी स्त्री वर्ग के सहयोग की आवश्यकता पड़ेगी लेकिन इनका जिद्दी स्वभाव रहने से काम निकालने में खासी मशक्कत करनी पड़ेगी। जोड़ो में दर्द और कब्जी की शिकायत रह सकती है।
तुला⚖️ (रा, री, रू, रे, रो, ता, ती, तू, ते)
आज आप अपने काम से कम रखेंगे फालतू की बातों में समय खराब करन पसंद नही करेंगे। दिन के पूर्वार्ध में कार्य व्यवसाय संबंधित योजना बनाएंगे लेकिन इनको अमल में नही ला सकेंगे एक बार अव्यवस्था पनपने पर सुधार करने की जगह जैसे तैसे कार्य निकालने पर जोर देंगे। मध्यान तक बिक्री कम रहने से धन संबंधित समस्या रहेगी लेकिन इसके बाद कही से आर्थिक लाभ होने पर राहत मिलेगी परन्तु धन तुरंत कही ना कही खर्च हो जाएगा। पारिवारिक वातावरण धार्मिक रहेगा महिलाए आध्यात्म में डूबी रहेंगी व्रत उपवास के कारण सेहत भी शिथिल बनेगी। घर मे पूजा पाठ से वातावरण शांत बनेगा। लंबी यात्रा आज टाले चोरी अथवा अन्य कारणों से हानि हो सकती है।
वृश्चिक🦂 (तो, ना, नी, नू, ने, नो, या, यी, यू)
आज का दिन रुके कार्यो को पूर्ण करने में सहायता दिलाएगा। सफलता आज लगभग प्रत्येक कार्य मे निश्चित रहेगा लेकिन आपका ही मन सही कार्य को छोड़ अनर्गल विषयो में भटकने से कुछ न कुछ कमी रह जायेगी। विदेशी वस्तुओ अथवा जन्म स्थान से दूर व्यवसाय से आकस्मिक लाभ की संभावना है। धन की आमद आज एक से अधिक मार्ग से होगी आर्थिक स्थिति बेहतर बनेगी। सुख सुविधा जुटाने के लिये सोचना नही पड़ेगा। सहकर्मियो से किसी बात को लेकर अनबन होगींलेकिं आपकी आवश्यकता पड़ने पर सुलह भी जल्दी हो जायेगी। धर्म कर्म में आज रुचि कम ही रहेगी टाने टोटको में कुछ समय देंगे लेकिन निष्ठा यहां भी नही रहेगी। घर के सदस्य छोटी मोटी बातो को छोड़ प्रसन्न ही रहेंगे। संध्या का समय आनंद मनोरंजन में बीतेगा आकस्मिक दुर्घटना के योग है सावधान रहें।
धनु🏹 (ये, यो, भा, भी, भू, ध, फा, ढा, भे)
आज के दिन आपका स्वभाव अत्यंत रहस्यमय रहेगा अन्य लोगो के मन का भेद तुरंत ले लेंगे लेकिन अपने मन की बात किसी से नही बाटेंगे। कार्य क्षेत्र पर आज दौड़ धूप भी अधिक करनी पड़ेगी फिर भी आरम्भ में कार्यो में विफल होने पर गुस्सा आएगा पराक्रम में कमी आएगी लेकिन पूर्व संचित पुण्य से कुछ न कुछ लाभ कमा ही लेंगे। नौकरी वाले जातक आज मन कही अन्य जगह भटकने के कारण जबरदस्ती कार्य करेंगे अधिकारी वर्ग से सतर्क रहें गरमा गरमी हो सकती है। संध्या का समय दिन की अपेक्षा बेहतर रहेगा सामाजिक क्षेत्र से सम्मान के साथ धन भी मिलेगा लेकिन खर्च भी करना पड़ेगा। आय व्यय में संतुलन बना लेंगे लेकिन बचत नही कर पाएंगे। संध्या बाद शरीर मे शिथिलता बनेगीं।
मकर🐊 (भो, जा, जी, खी, खू, खा, खो, गा, गी)
आज के दिन पूर्वार्ध से ही सेहत संबंधित समस्या खड़ी होगी सर पर कार्य का भार होने पर भी शारीरिक रूप से तैयार नही रहेंगे फिर भी जबरदस्ती करने पर मध्यान के समय समस्या गहरायेगी लेकिन सेहत की आज अनदेखी ही करेंगे। कार्य क्षेत्र पर भाग्य का साथ मिलेगा व्यवसाय में गती रहने से थोड़े ही समय मे अधिक लाभ कमा लेंगे विरोधी वर्ग बाधा पहुचाने का हर सम्भव प्रयास करेंगे लेकिन आज सफल नही हो पाएंगे। धन की आमद एक साथ कई मार्ग से होगी। जोखिम वाले कार्य शेयर सट्टे आदि से जल्द लाभ हो सकता हैं फिर भी ज्यादा लालच में ना पढ़ें। परिवार में शांति रहेगी परिजन मोटा खर्च करने की योजना बनाएंगे। संध्या बाद का समय थकान के बाद भी आनंददायक रहेगा।
कुंभ🍯 (गू, गे, गो, सा, सी, सू, से, सो, दा)
आज का दिन आशा के अनुकूल रहेगा कुछ समय के लिए मौसम में बदलाव के कारण सेहत में गिरावट अनुभव होगी फिर भी व्यस्तता के कारण अनदेखी करेंगे। आज अधिकांश कार्यो में किसी अन्य के ऊपर आश्रित रहना पड़ेगा जिसे भी अपने कार्य सौपेंगे वह कुछ ना कुछ गड़बड़ करेगा सहकर्मी एवं नौकरों की गतिविधि पर शक भी होगा क्रोध आएगा लेकिन मजबूरी में प्रदर्शन नही करेंगे फिर भी आवश्यकता अनुसार लाभ किसी ना किसी माध्यम से अर्जित कर ही लेंगे। घरेलू वातावरण किसी न किसी के रोगग्रस्त रहने से अस्त व्यस्त रहेगा। व्यर्थ के खर्च बढ़ेंगे यात्रा की योजना टलने से मित्र परिजन मायूस होंगे।
मीन🐳 (दी, दू, थ, झ, ञ, दे, दो, चा, ची)
आज का दिन आपके लिये वृद्धिकारक रहेगा आज आप जहां से लाभ हो संभावना लगाएंगे वहां से आशा से अधिक ही मिलेगा। कार्य व्यवसाय में उन्नति होगी कार्य क्षेत्र का वातावरण थोड़ा प्रतिस्पर्धात्मक रहेगा फिर भी आपके हिस्से का लाभ विपरीत परिस्थिति में भी आपके ही पास आएगा। व्यवसाय में निवेश करना पड़ेगा इसके परिणाम शीघ्र ही देखने को मिलेंगे कार्य क्षेत्र पर सहकर्मियो की कमी खलेगी फिर भी तालमेल बिठा लेंगे। घर मे वातावरण किसी की जिद के कारण उथल पुथल रहेगा टालने पर भी इसके पीछे अधिक खर्च करना पड़ेगा। सेहत आज लगभग सामान्य ही रहेगी संध्या बाद कमर दर्द आलस्य थकान अधिक महसूस करेंगे।
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गणेशाय नम:’।
एक समय की बात है कि विष्णु भगवान का विवाह लक्ष्मीजी के साथ निश्चित हो गया। विवाह की तैयारी होने लगी। सभी देवताओं को निमंत्रण भेजे गए, परंतु गणेशजी को निमंत्रण नहीं दिया, कारण जो भी रहा हो।
अब भगवान विष्णु की बारात जाने का समय आ गया। सभी देवता अपनी पत्नियों के साथ विवाह समारोह में आए। उन सबने देखा कि गणेशजी कहीं दिखाई नहीं दे रहे हैं। तब वे आपस में चर्चा करने लगे कि क्या गणेशजी को नहीं न्योता है? या स्वयं गणेशजी ही नहीं आए हैं? सभी को इस बात पर आश्चर्य होने लगा। तभी सबने विचार किया कि विष्णु भगवान से ही इसका कारण पूछा जाए।
विष्णु भगवान से पूछने पर उन्होंने कहा कि हमने गणेशजी के पिता भोलेनाथ महादेव को न्योता भेजा है। यदि गणेशजी अपने पिता के साथ आना चाहते तो आ जाते, अलग से न्योता देने की कोई आवश्यकता भी नहीं थीं। दूसरी बात यह है कि उनको सवा मन मूंग, सवा मन चावल, सवा मन घी और सवा मन लड्डू का भोजन दिनभर में चाहिए। यदि गणेशजी नहीं आएंगे तो कोई बात नहीं। दूसरे के घर जाकर इतना सारा खाना-पीना अच्छा भी नहीं लगता।
इतनी वार्ता कर ही रहे थे कि किसी एक ने सुझाव दिया- यदि गणेशजी आ भी जाएं तो उनको द्वारपाल बनाकर बैठा देंगे कि आप घर की याद रखना। आप तो चूहे पर बैठकर धीरे-धीरे चलोगे तो बारात से बहुत पीछे रह जाओगे। यह सुझाव भी सबको पसंद आ गया, तो विष्णु भगवान ने भी अपनी सहमति दे दी।
होना क्या था कि इतने में गणेशजी वहां आ पहुंचे और उन्हें समझा-बुझाकर घर की रखवाली करने बैठा दिया। बारात चल दी, तब नारदजी ने देखा कि गणेशजी तो दरवाजे पर ही बैठे हुए हैं, तो वे गणेशजी के पास गए और रुकने का कारण पूछा। गणेशजी कहने लगे कि विष्णु भगवान ने मेरा बहुत अपमान किया है। नारदजी ने कहा कि आप अपनी मूषक सेना को आगे भेज दें, तो वह रास्ता खोद देगी जिससे उनके वाहन धरती में धंस जाएंगे, तब आपको सम्मानपूर्वक बुलाना पड़ेगा।
अब तो गणेशजी ने अपनी मूषक सेना जल्दी से आगे भेज दी और सेना ने जमीन पोली कर दी। जब बारात वहां से निकली तो रथों के पहिए धरती में धंस गए। लाख कोशिश करें, परंतु पहिए नहीं निकले। सभी ने अपने-अपने उपाय किए, परंतु पहिए तो नहीं निकले, बल्कि जगह-जगह से टूट गए। किसी की समझ में नहीं आ रहा था कि अब क्या किया जाए।
तब तो नारदजी ने कहा- आप लोगों ने गणेशजी का अपमान करके अच्छा नहीं किया। यदि उन्हें मनाकर लाया जाए तो आपका कार्य सिद्ध हो सकता है और यह संकट टल सकता है। शंकर भगवान ने अपने दूत नंदी को भेजा और वे गणेशजी को लेकर आए। गणेशजी का आदर-सम्मान के साथ पूजन किया, तब कहीं रथ के पहिए निकले। अब रथ के पहिए निकल तो गए, परंतु वे टूट-फूट गए, तो उन्हें सुधारे कौन?
पास के खेत में खाती काम कर रहा था, उसे बुलाया गया। खाती अपना कार्य करने के पहले ‘श्री गणेशाय नम:’ कहकर गणेशजी की वंदना मन ही मन करने लगा। देखते ही देखते खाती ने सभी पहियों को ठीक कर दिया।
तब खाती कहने लगा कि हे देवताओं! आपने सर्वप्रथम गणेशजी को नहीं मनाया होगा और न ही उनकी पूजन की होगी इसीलिए तो आपके साथ यह संकट आया है। हम तो मूरख अज्ञानी हैं, फिर भी पहले गणेशजी को पूजते हैं और गणेश आरती गाकर उनका उनका ध्यान करते हैं क्योंकि वे ही संकट नाशन/मोचन हैं। आप लोग तो देवतागण हैं, फिर भी आप गणेशजी को कैसे भूल गए? अब आप लोग भगवान श्री गणेशजी की जय बोलकर जाएं, तो आपके सब काम बन जाएंगे और कोई संकट भी नहीं आएगा।
ऐसा कहते हुए बारात वहां से चल दी और विष्णु भगवान का लक्ष्मीजी के साथ विवाह संपन्न कराके सभी सकुशल घर लौट आए। हे गणेशजी महाराज! आपने विष्णु को जैसो कारज सारियो, ऐसो कारज सबको सिद्ध करजो। बोलो गजानन भगवान की जय।
*सकारात्मक दृष्टिको*
*असली सुगन्ध तो आपके अन्दर है*
*और आपका सारा ध्यान संसार पर है।*
*जब अन्तर में देखने का मौका होता है,*
*तो आप सो जाते हैं।*
*सो नहीं जाते .. सोये हुए हैं।*
*पूरे दिन में से कुछ समय ध्यान को दें।*
*अपने भीतर देखने की कोशिश करें।*
*अपने भीतर जो भी आवाज़ सुनाई पड़े,*
*उसे सुनने की कोशिश करें।*
*भीतर के अपने ही रंग, स्वाद और सुगंध हैं।*
*जैसे ही आपको भीतर आनन्द आया,*
*आप परमात्मा के सामने होंगे।*
*आपकी सब इच्छाएँ समाप्त हो जायेगी।*
*आपको संतोष और तृप्ति का भंडार मिल जाएगा।*
*मन में हमेशा जीत की आस*
*होनी चाहिए…*
*नसीब बदले या न बदले,*
*वक्त जरूर बदलता है*
*सकारात्मक कार्य करने के लिए हमें अवश्य ही*
*सकारात्मक दृष्टिकोण विकसित करना चाहिए।*
*🙏🌹सुप्रभात🌹🙏*
“प्रथम पूज्य, सर्वमान्य, पिता जिनके महेश हैं, सुखकर्ता-दुखहर्ता कहलाते वो गणेश हैं।” हिंदू धर्म में सभी देवताओं से पहले भगवान गणेश का नाम लिया जाता है। शुभ, कल्याण और स्थिरता के देवता गणेश के लिए सारे ही काम आसान हैं। जो व्यक्ति, दरिद्रता, रोग और मानसिक स्थिरता चाहता है उसके लिए भगवान गणेश की आराधना जीवन में सुख-समृद्धि लाती है। अगर आप भी खुश रहने के साथ-साथ जीवन में आने वाली बाधाओं से मुक्ति चाहते हैं, तो भगवान गणेश के ये 5 मंत्र आपके जीवन में ला सकते हैं बदलाव..
पहला मंत्र
कहते हैं कि जीवन में सबसे जरूरी है संकटों और कष्टों से दूर रहना। इनसे दूर रहने के लिए “ॐ गं गणपतये नमः” मन्त्र की 1 माला का जाप करने से आपके जीवन में संकट नहीं आएंगे और यदि आ भी गए तो गणेश जी की कृपा से उनका प्रभाव कम हो जाएगा।
दूसरा मंत्र
जीवन में वही लोग आगे बढ़ पाते हैं जो निराशा और आलस्य का त्याग करते हैं। कहते हैं कि “वक्रतुण्डाय हुं” मन्त्र की 2 माला का जाप करने से जीवन में आशा का संचार होता है। जहां आशा है, वहां उत्साह है और उत्साह के साथ सभी तरह की विपत्तियों का नाश हो जाता है।
तीसरा मंत्र
जीवन में आर्थिक समस्या और आत्मविश्वास की कमी के कारण कई तरह की समस्याएं पैदा होती हैं। धन और आत्मबल की प्राप्ति के लिए “ॐ श्रीं गं सौभ्याय गणपतये वर वरद सर्वजनं मे वशमानय स्वाहा” मन्त्र की एक माला का जाप आपका जीवन बदल सकता है। यह एक ऐसा मंत्र है, जिससे धन आगमन के नए रास्ते खुलेंगे और आत्मविश्वास का विकास होगा, जिससे आप तेजी से उन्नति के मार्ग पर बढ़ेंगे।
चौथा मंत्र हर तरह की सफलता के लिए
जीवन में हर व्यक्ति आगे बढ़ने के लिए काम करता है और उसे उस काम से नाम, शोहरत और पैसे की आस होती है। खास बात यह है कि मेहनत तो सभी करते हैं, लेकिन मेहनत के बाद भी कई लोगों को सफलता नहीं मिलती। “ॐ वक्रतुण्डैक दंष्ट्राय क्लीं ह्रीं श्रीं गं गणपते वर वरद सर्वजनं मे वशमानय स्वाहा” एक ऐसा मंत्र है जो ना केवल बहुत आसान है बल्कि यह मंत्र आपको हर तरह के काम में उन्नति दिला सकता है। यदि आप जीवन में सफलता चाहते हैं तो आपको इस मंत्र का जाप जरूर करना चाहिए। इससे पैसा, शोहरत और सफलता तीनों से आप संपन्न हो सकते हैं।
पांचवां मंत्र:
मान्यता है कि गणपति जी के “ॐ हस्ति पिशाचि लिखे स्वाहा” मंत्र के जाप से हर तरह के कष्ट, विघ्न और दुख दूर होते हैं। यह सिद्धि, शोहरत और समृद्धि देने वाला मंत्र है। इसका जाप हर व्यक्ति को रोजाना करना चाहिए।
हिन्दू धर्म में मन्त्रों का अत्यधिक महत्व माना गया है। अगर परम श्रद्धा के साथ भगवान गणेश का स्मरण कर, उनके मंत्रो का जाप किया जाए, तो भगवान गणेश को प्रसन्न कर, भक्त अपने हर विघ्न को समाप्त कर सकते हैं। विघ्नहर्ता श्री गणेश अपने भक्तों के सारे दुख हर लेते हैं और उनके जीवन में धन-वैभव की कमी नहीं रहती है।हस्तरेखा ज्योतिष: गणेश जी के ये मंत्र आपके जीवन में लाएंगे बदलाव, दूर होंगे कष्ट और पूरी होंगी मनोकामनाएं
एक निवेदन है सभी बंधुजन पोस्ट ध्यानपूर्वक पढ़ें फिर कुछ कहें….
कुछ दशक पहले, तीर्थाटन के उद्देश्य से निकला हिन्दू:
“हाय राम, न ढंग की सड़क, न टाइम से बिजली, न रुकने की ठीकठाक व्यवस्था। सरकार को हम हिंदुओं की कोई सुध ही नहीं जो तीर्थों पर थोड़ा #विकास-फिकास करा के हम हिंदुओं की मुश्किल आसान कर दे।”
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कुछ वर्ष पहले, वो ही हिंदू…
“सरकार तीर्थों के विकास पर स्पेशल ध्यान दे रही है। तीर्थयात्रा से रेवेन्यू बूस्ट होता है, रोजगार बनता है, देश की अर्थव्यवस्था धार्मिक पर्यटन आधारित होनी चाहिए।”
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आजकल वही हिन्दू…
“डबल इंजन का विकास हमारे तीर्थ खा गया। #जोशीमठ दरक गया। भोलेनाथ ही बचाये अब। नहीं चाहिए बिकास-फिकास, बस करो भाई।”
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ये हिन्दू आख़िर चाहता क्या है?
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मैं बिल्कुल महसूस कर सकता हूँ कि जोशीमठ के निवासियों पर क्या गुजर रही होगी पर जब कोई समस्या उत्पन्न होती है तो समस्या के सभी पहलूँ समझकर, क्रिटिकल एनालिसिस करके, प्रतिक्रिया देने में हम अक्सर गलती क्यों करते हैं?
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अव्वल तो होना यह चाहिए कि तीर्थों पर भीड़ हो ही न। दिक्कत यह कि भारत में हर 5 किलोमीटर पर कहीं रामजी ने खड़ाऊं छोड़ी होती हैं तो कहीं शिवजी के डमरू का मनका टूट के गिरा होता है तो कहीं युधिष्ठिर ने देह त्याग की होती है। तीर्थ गिनते-गिनते थक जाइये। संख्या में हम 150 करोड़ छूने वाले हैं। किस-किस को मना करिएगा। वो जमाने बीत गए जब इंसान तीर्थों पर जाने से पहले वसीयत लिखकर जाता था कि पता नहीं वापसी होगी या नहीं। अब हर आदमी को सुख-सुविधा के साथ दर्शन भी चाहियें, बढिया गर्म खाना और कंबल ओढ़कर सोने के लिए होटल भी, साथ ही वापस लौटने की गारंटी भी, नहीं तो सरकार गिरा देगा। ना प्रैक्टिकल तौर पर तीर्थों पर भीड़ रोकी जा सकती है और भीड़ होगी तो निर्माण कार्य भी होंगे।
तो प्रैक्टिकल समाधान यही है कि पर्ची सिस्टम से यात्रियों की संख्या निश्चित की जाए। डिस्पोजेबल मकान बनाए जाएं। कम से कम निर्माण हो। पूर्व में वैज्ञानिक चेतावनियां इग्नोर हुईं हैं तो उनके दोषियों को दंडित किया जाए।
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समाधान के चक्कर में लोग विकास को कोसेंगे तो बताइए क्या करें? भारत के बिजली उत्पादन का 60% से ज्यादा हिस्सा बांध और कोयले से आता है तो फिर पर्यावरण हितैषी होकर दिन में 10 घण्टे बिजली की आदत डाल लें?
अगर पहाड़ पर बिजली का बांध न बनाए तो वहां के निवासियों, सैनिकों, प्रशासनिक कार्यों के लिए बिजली कहाँ से लाएं? तीर्थ यात्रियों के अलावा पहाड़ों में करोड़ों की जनसंख्या निवास नहीं करती? अंधेरे में बैठा दें सबको? दूर से बिजली ट्रांसमिट करने की भी सीमाएं होती हैं। और बांध न बनाएं, तो हाइड्रो पावर से उत्पन्न होने वाली 10% बिजली का बोझ कोयले पर डाल दें? उससे पर्यावरण खराब नहीं होगा?
सड़क पहाड़ों पर चाहिए नहीं तो कल को जब हिमालय क्षेत्र में धड़ाधड़ इंफ्रास्ट्रक्चर का जाल बिछाता चीन भारत मे घुस आए तो ये तो नहीं कहेंगे कि हाय, टाइम पर रसद काहे नहीं पहुंची? टाइम पर दूसरी चीजें काहे नहीं हुईं? सड़क तो चाहिए नहीं तो हेलीकॉप्टर से सब काम होंगे? प्रैक्टिकल है जरा भी?
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प्रकृति हमारी सुविधा के हिसाब से काम नहीं करती और न इसे प्रकोप दिखाने के लिए इंसानों के पाप का घड़ा भरने का इंतजार करने की जरूरत है। इतिहास में हुए 99.99% जीवों को प्रकृति पहले ही खत्म कर चुकी है। पूर्व में हुए किसी बेचारे जीव ने विकास कार्य करके प्रकृति से खेलने की कोशिश नहीं की। प्रकृति जीवन से अधिक मृत्युकाण्ड रचने में ज्यादा रुचि लेती है। Survival is exception on Earth, Extinction is the rule. भूस्खलन होते हैं, भूकंप आते हैं, ज्वालामुखी फटते हैं। एक सेकंड में इकोलॉजिकल सिस्टम की कायापलट हो जाती है। कल एक बड़ा एस्टेरोइड आकर गिरेगा और वैश्विक अर्थव्यवस्था धड़ाम हो जाएगी। तब किसके सर दोष नत्थी करेंगे? किसी दारूबाज के या पहाड़ों पर जा कर चुंबन करने वाले के?
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जो पहाड़ समय के किसी पन्ने पर जमीन से ऊपर उठ कर निकला था, उसका वापस धड़ाम होना तय है। ग्रेविटी नाम की भी कोई चीज होती है। आप उसमें निर्माण कार्य करके उसकी गति थोड़ी या ज्यादा तेज कर देते हैं। कितनी करते हैं, वो क्रिटिकल एनालिसिस का विषय है। चट्टानों का कम्पोजीशन क्या है, उनकी बाइंडिंग स्ट्रेंथ क्या है। भूगर्भीय मिट्टी कितनी स्थिर है, यह समझ कर ही निर्माण होने चाहिएं और बांध बनने चाहिए। जोशीमठ की समस्या वास्तविक है, लापरवाहियां भी हुई होंगी, समाधान होने चाहिएं, पर इसका मतलब यह नहीं कि खुद को ग्लानि बोध में धकेल कर विकासविरोधी नैरेटिव तैयार कर दें। यकीन मानिए, समस्या का यह समाधान भविष्य में बड़ी समस्याओं को जन्म दे देगा।
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थोड़ा सोचिए। जोशीमठ की समस्या का हल निकलेगा। जापान में साल के 365 दिन भूकंप आते हैं, मकान दरकते हैं, भूस्खलन होता है। पर फिर भी तकनीक का सहारा लेकर विश्व के सफलतम राष्ट्रों में एक हैं। उनका विकास तो कभी नहीं रुका। भविष्य में आपदा से सीखकर हम भी बेहतर करेंगे पर एक समस्या के कारण विकास को कोसने मत बैठ जाइए।
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विकास देश के लिए भोत जरूरी है। जिन्हें विकास पसंद नहीं तो उन्हें पहाड़ों पर जाना छोड़ देना चाहिए। मैदानी इलाकों में मौजूद ईश्वरीय धाम भी मोक्ष दिलाने के लिए पर्याप्त हैं। हिमालय को तपस्वियों के लिए छोड़ दीजिए। जाना है तो अपनी वसीयत लिख कर जाइए। विकास सिर्फ तीर्थयात्रा को आसान बनाने के लिए नहीं होता। विकास से देश के कई अन्य हित जुड़े हुए हैं। विकास को अपना काम करने दीजिए।
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दुनिया बैलेंस बना कर ही चल सकती है। अतिवाद से बचिए।
अवधेश प्रताप सिंह कानपुर उत्तर प्रदेश