ऐतिहासिक और धार्मिक महत्व के ‘ज्योतिर्मठ’ शहर को नीति-नियंताओं की कार्ययोजना और राजनीतिक सूझबूझ की आवश्यकता है

जोशीमठ कत्युरी राजवंश की राजधानी थी तब इस जगह को कार्तिकेय पुर कहते थे …. इस राजवंश ने 700-1200 CE तक लगभग 500 साल शासन किया था….. ऐसा कहा जाता है कि आज से 1000 वर्ष पहले जोशीमठ में भयानक भू स्खलन हुआ था। कत्युरी राजा जोशीमठ के खासा मूल के एक मध्यकालीन हिंदू राजपूत के शासक थे, जिन्होंने भारत में कुमाऊं, उत्तराखंड के वर्तमान क्षेत्रों और नेपाल में डोटी/सुदूरपश्चिम प्रांत के कुछ हिस्सों पर 700 से 1200 सीई तक शासन किया था।

इतिहासकार शिवप्रसाद डबराल ने अपनी पुस्तक ‘उत्तराखंड का इतिहास’ में बताया है कि एक बड़े भू धंसाव के चलते जोशीमठ की पूरी जनसंख्या को राजधानी कार्तिकेयपुर जोशीमठ से शिफ्ट किया गया था। यानी जोशीमठ एक बार पहले भी शिफ्ट किया जा चुका है। उसके पहले और बाद में भी इस तरह की भूगर्भिय हलचल इस पूरे क्षेत्र में होती रही है… भविष्य में भी होती रहेगी…. चाहें वहाँ मनुष्य रहे या नहीं।

उस समय ना वहाँ सुरंग थी, ना बाँध था, ना वहाँ होटल थे, ना रिसोर्ट थे…और तब SUV में बैठ कर पहाड़ घूमने वाली भीड़ भी नहीं थी, ना ही तीर्थ में हनीमून मनाने वाले कपल्स थे…. फिर क्यों जोशीमठ बर्बाद हुआ था???
इस लिए जोशीमठ को आन्दोलन जीवियों से अधिक इस समय नीति नियंताओं की आवश्यकता है जो बता सकें इस धार्मिक और ऐतिहासिक शहर को उसके धार्मिक महत्व सहित कैसे सुरक्षित संरक्षित विकसित और संसाधन संपन्न बनाया जाय। और अभी उसके भारी भू धंसाव को कैसे रोका जाय। लोगों तात्कालिक से कैसे सहयोग व सहायता की जाय। वहां का विकास सुविचारित स्व विचारित व स्थानीय विचार स्थानीय परिस्थितियों के अनुरूप हो। इस कार्य में वर्तमान विधायक राजेंद्र भंडारी और पूर्व विधायक महेन्द्र भट्ट दोनों को भी मिल कर विचार विमर्श के बाद सरकार को तत्कालिक और दीर्धकालिक कार्ययोजना देनी होगी, और उसका ठीक से क्रियान्वयन कराना होगा। जोशीमठ का ड्रेनेज सिस्टम तत्काल ठीक किया जाय और उसे ट्रीटमेंट प्लांट के बाद ही छोड़ना चाहिए। बदरीनाथ राष्ट्रीय राजमार्ग की चौड़ाई कम करने से अधिक अच्छा ये होगा कि इस राजमार्ग को हेलंग से पल्ली पार यानी अलकनंदा नदी के दायीं ओर शिफ्ट किया जाय जो जेपी परियोजना के निकट मिले। वहीं नीति मलारी राजमार्ग को जोशीमठ शहर के पीछे से निकाला जा सकता है और औली के बर्फ के पानी को इस राज मार्ग पर टेप कर पक्के टैकों में संरक्षित कर जोशीमठ शहर की आपूर्ति की जाय। ताकि बर्फ के पानी के सीपेज से शहर बच सके और शहर को पानी भी मिले ✍️हरीश मैखुरी

*देहरादून 10 जनवरी, 2023 
मुख्य सचिव डॉ. एस.एस. संधु ने मंगलवार को सचिवालय में जोशीमठ भू-धंसाव के सम्बन्ध में बैठक ली। मुख्य सचिव ने जिलाधिकारी चमोली से क्षेत्र की अद्यतन स्थिति की जानकारी ली। उन्होंने जिलाधिकारी चमोली को स्थिति पर लगातार नजर बनाए रखने के निर्देश दिए। कहा कि प्रभावित क्षेत्र को पूर्ण रूप से खाली करवाया जाए।

मुख्य सचिव ने कहा कि भूस्खलन से किसी प्रकार का जानमाल का नुकसान न हो इसके लिए सबसे पहले परिवारों को शिफ्ट किया जाए और उस बिल्डिंग को प्राथमिकता के आधार पर ध्वस्त किए जाए जो अधिक खतरनाक साबित हो सकती है। जिन स्थानों पर प्रभावित परिवारों को रखा गया है, उन स्थानों पर उनके रहने खाने की उचित व्यवस्था हो। साथ ही यह भी ध्यान रखा जाए कि प्रभावित नागरिकों एवं शासन प्रशासन के मध्य किसी प्रकार का कम्युनिकेशन गैप न हो। उच्चाधिकारी भी लगातार प्रभावित परिवारों के संपर्क रहें, और परिस्थितियों पर नजर बनाए रखें।

मुख्य सचिव ने अधिकारियों को निर्देश दिए कि भू-धंसाव के कारण मोबाइल नेटवर्क भी प्रभावित हो सकता है। मोबाइल टावर अन्यत्र सुरक्षित स्थान में शिफ्ट कर अथवा नए टावर लगा कर संचार व्यवस्था को मजबूत बनाया जाए। उन्होंने कहा कि स्थानीय लोगों को साथ लेकर एक असेसमेंट कमिटी बनाई जाए। प्रतिदिन पूरे क्षेत्र में टीम भेज कर निरीक्षण करवाया जाए कि पिछले 24 घंटे में क्षेत्र में किस प्रकार का और कितना परिवर्तन हुआ हुआ है, जो भवन अधिक प्रभावित हैं उन्हें प्राथमिकता पर ध्वस्त किया जाए।

मुख्य सचिव ने कहा कि जोशीमठ के स्थिर क्षेत्र के लिए ड्रेनेज और सीवेज प्लान पर भी काम शुरू किया जाए। भवनों को ध्वस्त करने में विशेषज्ञों का सहयोग लिया जाए ताकि ध्वस्तीकरण में कोई अन्य हानि न हो। साथ ही, कंट्रोल रूम को 24 घंटे एक्टिव मोड पर रखा जाए, और आमजन को किसी भी प्रकार की आपात स्थिति में संपर्क करने हेतु प्रचार प्रसार किया जाए।

इस अवसर पर अपर मुख्य सचिव श्री आनन्द बर्द्धन, वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से जोशीमठ से सचिव श्री आर. मीनाक्षी सुंदरम, सचिव श्री नितेश कुमार झा, श्री अरविंद सिंह ह्यांकी, डॉ. रंजीत सिन्हा एवं श्री बृजेश कुमार संत सहित वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से आयुक्त गढ़वाल श्री सुशील कुमार एवं जिलाधिकारी चमोली श्री हिमांशु खुराना सहित अन्य उच्चाधिकारी उपस्थित थे।