स्वतन्त्रं भारत के इतिहास में इससे अच्छे दिन क्या हो सकते हैं ?

हरीश मैखुरी

  1. कुछ लोग पूछ रहे हैं कि अच्छे दिन कब आयेंगे? तब मैने कहा दो नम्बर के धन्धे बाजों के तो अच्छे दिन लद गये। नक्सलियों के अच्छे दिन लद गए। आतंकवादियों के अच्छे दिन लद गए। देश को दीमक की तरह चाटने वालों के अच्छे दिन लद गए। इसाई और कसाई धर्मान्तरण की दुकानों के भी अच्छे दिन लद गए। जाति की बैसाखी से प्रमोशन के सहारे सरकारी घर जंवाई बनने के ख्याल वाले भी देश जलायेंगे तो अच्छे दिन लद गये, 15 लाख मुफ्तखोरों के अच्छे दिन भी लद गए। मीमासुरों और भीमासुरों की विदेशी फंडिंग के अच्छे दिन लद गये।किसान आत्महत्या दर घट रही है। जबकि राशन फल व सब्जी सस्ती हुई है। पहले मेरा नेट वाले लैंडलाइन फोन का बिल तीन हजार रुपये महिना आता था और बिल जमा नहीं होने पर आटो कट होता था। अब 345 रू में रोज डेढ़ जीबी फोर जी डाटा 90 दिनों के लिए। 2003 में जब पहला ब्लैक एंड वाइट मोबाइल फोन लिया तो वह ₹12000 का आया सिर्फ कॉल कर सकता था अब ₹3000 के आसपास 4जी Android मोबाइल फोन विद मल्टीपल एक्शन सिस्टम बाजार में उपलब्ध है। भारत में इस समय अच्छा खासा तेल रिजर्व बन गया है और कच्चे तेल की प्रोसेसिंग होकर अब भारत विदेशों को तेल भेज रहा है किस से आमदनी बढ़ रही है पिछले 4 सालों में देश ने वर्ल्ड बैंक से कर्जा नहीं लिया देश के लोग जगह-जगह होने वाले बम विस्फोट की घटनाओं को लगभग भूल ही गए हैं बीवी से अनजान वस्तु नाच हुए हैं बम हो सकता है विज्ञापन भी गायब हो गया है सालों से लटके हुए कई प्रोजेक्ट इन 4 सालों में पूरे हुए हैं। सेना मजबूत हुई है हमारा डिफेंस सिस्टम वर्ल्ड क्लास बना है कई देशों से हमारे संबंध सुधरे हैं।  हमारी विदेश नीति पूरी तरह से बदल गई है हम आज वर्ल्ड के डिसाइडिंग डिगनिटीज में हैं।  अनेक राजनीतिक दल जो लड़ते रहते थे आज एक हो रहे हैं। कम से कम एक बंदा तो है गाली खाकर भी देश से गद्दारी नहीं करता। वाकई स्वतंत्र भारत के इतिहास में इससे अच्छे दिन क्या हो सकते हैं।