संस्कृत भाषा के संदर्भ में अति महत्वपूर्ण जानकारी, आज का पंचाग आपका राशि फल, भारत की जल संस्कृति : महिलाएं भी करती थी मानसूनी वर्षा की भविष्यवाणियां

#संस्कृत_के_बारे_में_महत्वपूर्ण_तथ्य

1. मात्र 3,000 वर्ष पूर्व तक समस्त अखंड भारत में संस्कृत बोली जाती थी तभी तो ईसा से 500 वर्ष पूर्व पाणिनी ने संसार के लिए व्याकरण ग्रंथ लिखा था, जो संस्कृत का था। इसका नाम ‘अष्टाध्यायी’ है। अखंड भारत में पहले पन्द्रह लाख मंदिर थे और उनके 22 लाख गुरूकुल थे जहां बोलचाल की भाषा संस्कृत थी शतप्रतिशत लोग शिक्षित होते थे। वन में रहने वाले भील कोल किरात भी गुरूकुल में संस्कृत में ही पढ़ते थे। 

2. संस्कृत, विश्व की सबसे प्राचीन पुस्तक (ऋग्वेद) की भाषा है। इसलिये इसे विश्व की प्रथम भाषा मानने में कहीं किसी संशय की आशंका और संभावना नहीं है।

3. इसकी सुस्पष्ट व्याकरण और वर्णमाला की वैज्ञानिकता के कारण सर्वश्रेष्ठता भी स्वयं सिद्ध है।

4. संस्कृत ही एक मात्र साधन हैं जो क्रमशः अंगुलियों एवं जीभ को लचीला बनाते हैं।

5. संस्कृत अध्ययन करने वाले छात्रों को गणित, विज्ञान एवं अन्य भाषाएँ ग्रहण करने में सहायता मिलती है।

6. संस्कृत केवल एक मात्र भाषा नहीं है अपितु संस्कृत एक विचार है संस्कृत एक संस्कृति है एक संस्कार है संस्कृत में विश्व का कल्याण है शांति है सहयोग है वसुदैव कुटुम्बकम् कि भावना है।

7. नासा का कहना है की 6th और 7th generation super computers संस्कृत भाषा पर आधारित होंगे।

8. संस्कृत विद्वानों के अनुसार सौर परिवार के प्रमुख सूर्य के एक ओर से 9 रश्मियां(Beams of light) निकलती हैं और ये चारों ओर से अलग-अलग निकलती हैं। इस तरह कुल 36 रश्मियां हो गईं। इन 36 रश्मियों के ध्वनियों पर संस्कृत के 36 स्वर बने।

9. समझ सकते हैं कि अरबी भाषा को कंठ से और अंग्रेजी को केवल होंठों से ही बोला जाता है किंतु संस्कृत में वर्णमाला को स्वरों की आवाज के आधार पर कवर्ग, चवर्ग, टवर्ग, तवर्ग, पवर्ग, अंतःस्थ और ऊष्म वर्गों में बांटा गया है।

10. संस्कृत उत्तराखंड की आधिकारिक राज्य(official state) भाषा है।

11.अरबी यवन कबीलों के आक्रमण से पहले संस्कृत भारत की राष्ट्रभाषा थी।

12. कर्नाटक के मट्टुर(Mattur) गाँव में आज भी लोग संस्कृत में ही बोलते हैं।

13. जर्मनी के 14 विश्वविद्यालय लोगों की भारी मांग पर संस्कृत (Sanskrit) की शिक्षा उपलब्ध करवा रहे हैं लेकिन आपूर्ति से ज्यादा मांग होने के कारन वहाँ की सरकार संस्कृत (Sanskrit) सीखने वालों को उचित शिक्षण व्यवस्था नहीं दे पा रही है।

14. काशी विश्वविद्यालय और हिन्दू युनिवर्सिटी के निष्कर्षों के अनुसार संस्कृत में बात करने वाला मनुष्य बीपी, मधुमेह, कोलेस्ट्रॉल आदि रोग से मुक्त हो जाएगा।

15. संस्कृत में बात करने से मानव शरीर का तंत्रिका तंत्र सक्रिय रहता है। जिससे कि व्यक्ति का शरीर सकारात्मक आवेश के साथ सक्रिय हो जाता है।

16. यूनेस्को(UNESCO) ने भी मानवता की अमूर्त सांस्कृतिक विरासत की अपनी सूची में संस्कृत वैदिक जाप को जोड़ने का निर्णय लिया गया है। यूनेस्को(UNESCO) ने माना है कि संस्कृत भाषा में वैदिक जप मानव मन, शरीर और आत्मा पर गहरा प्रभाव पड़ता है।

17. शोध से पाया गया है कि संस्कृत (Sanskrit) पढ़ने से स्मरण शक्ति धराण शक्ति में अप्रत्याशित वृद्धि होती है।

18. संस्कृत वाक्यों में शब्दों की किसी भी क्रम में रखा जा सकता है। इससे अर्थ का अनर्थ होने की बहुत कम या कोई भी सम्भावना नहीं होती। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि सभी शब्द विभक्ति और वचन के अनुसार होते हैं। जैसे- अहं गृहं गच्छामि >या गच्छामि गृहं अहं दोनों ही ठीक हैं।

19. नासा के वैज्ञानिकों के अनुसार जब वो अंतरिक्ष ट्रैवलर्स को मैसेज भेजते थे तो उनके वाक्य उलट हो जाते थे। इस वजह से मैसेज का अर्थ ही बदल जाता था। उन्होंने कई भाषाओं का प्रयोग किया लेकिन हर बार यही समस्या आई। अंततः में उन्होंने संस्कृत में मैसेज भेजा क्योंकि संस्कृत के वाक्य उलटे हो जाने पर भी अपना अर्थ नहीं बदलते हैं। जैसा के ऊपर बताया गया है।

20. संस्कृत भाषा में किसी भी शब्द के समानार्थी शब्दों की संख्या सर्वाधिक है. जैसे हाथी शब्द के लिए संस्कृत में १०० से अधिक समानार्थी शब्द हैं। सुवर्ण के लिए भी तीन सौ शब्द हैं। भगवान के लिए तैंतीस करोड़ से अधिक शब्द हैं क्योंकि भगवान हैं ही इतने विराट और समस्त चराचर सृष्टि कर्ता ब्रह्मांड के मूलाधार उनके चिंतन मात्र से ब्रह्मांड की उत्पत्ति और लय हो जाता है।

भारत की जल संस्कृति-13

महिलाएं भी करती थी मानसूनी वर्षा की भविष्यवाणियां

लेखक:- डॉ. मोहन चंद तिवारी
प्राचीन भारतीय जलवायु विज्ञान का उद्भव तथा विकास भारतवर्ष के कृषितन्त्र को वर्षा की भविष्यवाणी की जानकारी देने के प्रयोजन से हुआ. इसलिए वैदिक काल से लेकर उत्तरवर्ती काल तक भारत में जलवायु विज्ञान की अवधारणा कृषि विज्ञान से जुड़ी रही है. भारत के ऋतुवैज्ञानिकों ने राष्ट्र कल्याण की भावना से मानसून सम्बन्धी भविष्यवाणियों के सम्बन्ध में अनेक वैज्ञानिक सिद्धान्त और मान्यताएं स्थापित कीं तथा पिछले आठ हजार वर्षों से इन्हीं ऋतु वैज्ञानिक मान्यताओं के आधार पर समूचे भारत का कृषक वर्ग अपने खेती-बाड़ी का कारोबार करता आया है.

प्राचीन भारत में वर्षा के पूर्वानुमान के ज्ञान का इतिहास सिन्धु घाटी की सभ्यता के काल यानी तीन सहस्राब्दी ईस्वी पूर्व से प्रारम्भ हो जाता है. सन् 1960 में भारतीय पुरातत्त्व सर्वेक्षण विभाग ने सिन्धु सभ्यता से सम्बद्ध एक प्राचीन आवासीय बस्ती लोथल का उत्खनन किया तो पता चला कि यह सभ्यता 3000 ई.पू. की एक उन्नत कृषि सभ्यता थी जिसे पुरातत्त्वविदों ने ‘टैराक्वा कल्चर’ का नाम दिया है. इस सभ्यता के लोग अन्तरिक्ष के खगोलीय ग्रह और नक्षत्रों के आधार पर अपना कृषि कार्य करते थे तथा उसी को ध्यान में रखकर मानसूनों की वर्षा का भी पूर्वानुमान कर लेने में सिद्धहस्त थे. बाद में यही ग्रह-नक्षत्रों पर आधारित कृषि संस्कृति भारत की मुख्य संस्कृति बन गई. वराहमिहिर की बृहत्संहिता, कौटिल्य के अर्थशास्त्र, कृषिपराशर तथा घाघ-भड्डरी आदि की रचनाओं में इसका लोक प्रचलित रूप देखा जा सकता है. प्राचीन भारत में वर्षा के पूर्वानुमान का निर्धारण करने के चार पैरामीटर थे –
1. भौम निमित्त,
2. अन्तरिक्ष निमित्त,
3. दिव्य निमित्त,
4. मिश्र निमित्त.

इन चार प्रकार के निमित्तों के निरीक्षण एवं परीक्षण हेतु प्राचीन भारत के ऋतु वैज्ञानिकों ने कुछ विशेष तिथियों और पर्वों की पहचान की है जिनमें होली, दीपावली, विजयादशमी के अतिरिक्त अक्षय तृतीया और आषाढ़ी पूर्णिमा की तिथियों का विशेष महत्त्व है.
भारतीय प्रायद्वीप में आषाढ मास का प्रारम्भ दक्षिण-पश्चिमी मानसूनों के आगमन का सूचक है. इस मास में भारत का कृषक वर्ग चार महीनों तक अच्छी वर्षा होने की शुभकामना करता है ताकि समूचे राष्ट्र को धन-धान्य की समृद्धि प्राप्त हो सके तथा वर्षा के पूर्वानुमान की यथासंभव जानकारी भी उन्हें मिल सके. भारतीय कृषिविज्ञान की महत्त्वपूर्ण रचना ‘कृषिपाराशर’ में कहा गया है कि सम्पूर्ण कृषि का मूल कारण वर्षा है,वर्षा ही जन-जीवन का भी मूल है अतएव मौसम वैज्ञानिकों को प्रयत्नपूर्वक वर्षा के ज्ञान का प्रयास करना चाहिए –

“वृष्टिमूला कृषिः सर्वा वृष्टिमूलं च जीवनम्.
तस्मादादौ प्रयत्नेन वृष्टिज्ञानं समाचरेत..“
-कृषिपाराशर, 2.1

सम्पूर्ण भारत में आज भी परम्परागत खेती से जुड़े किसान आषाढी पूर्णिमा के दिन शुभ मुहूर्त निकालकर एक लम्बे डण्डे में ध्वजा बांधकर वायु का इस दृष्टि से परीक्षण करते हैं कि उसके बहने की दिशा क्या है? ताकि वे अनुमान कर सकें कि आगामी मानसूनों की स्थिति कैसी रहेगी? ‘भद्रबाहुसंहिता’ के अनुसार आषाढ़ी पूर्णिमा के दिन पूर्व दिशा का वायु यदि सारे दिन चले तो समझना चाहिए कि आगामी वर्षाकाल में अच्छी वर्षा होगी तथा आर्थिक दृष्टि से सारे वर्ष खुशहाली रहेगी –
“आषाढ़ी पूर्णिमायां तु पूर्ववातो यदा भवेत्.
प्रवाति दिवसं सर्वं सुवृष्टिः सुषमा तदा.”
-भद्रवाहु.,9.7

यदि आषाढी पूर्णिमा के दिन सूर्यास्त के समय अग्निकोण की वायु चले तो फसल नष्ट होती है वर्षा के अभाव से कृषकवर्ग को भारी क्षति होती है किन्तु यदि दक्षिण की वायु चले तो भी अन्न का अकाल तथा उच्च राजवर्ग में आपसी कलह की स्थिति उत्पन्न हो सकती है-
“कृशानुवाते मरणं प्रजानाम्‚
अन्नस्य नाशः खलु वृष्टिनाशः.
याम्ये मही सस्यविवर्जिता स्यात् ‚
परस्परं यान्ति नृपा विनाशम्..”
– बृहद्दैवज्ञरंजन,5.5

आज भी भारत के गांव गांव में मौसम विभाग की जानकारी से नहीं, बल्कि घाघ-भड्डरी की कहावतों के आधार पर किसान अपनी खेती के लिए अनुकूल जलवायु का अनुमान करते हैं. आषाढ की पूर्णिमा को यदि बादल गरजे, बिजली चमके, और पानी बरसे तो यह जान लेना चाहिए कि यह वर्ष मानसूनी वर्षा का अच्छा वर्ष है. यह पूर्णिमा भारतीय ऋतु वैज्ञानिकों के अनुसार वायु परीक्षा के लिए प्रसिद्ध है. घाघ-भड्डरी की प्रसिद्ध उक्ति है कि आषाढ़ी पूनो की संध्या के समय ध्वजा बांधकर हवा की जांच करनी चाहिए. यदि पुरवा हवा हो तो समझो फसल अच्छी होगी और बारिश भी खूब होगी किन्तु अग्निकोण की हवा चले तो अकाल पड़ेगा और शारीरिक रोग बढेंगे –
“जो पै पवन पूरब से आवै
उपजे अन्न मेघ झरि लावै.
अग्निकोण जो बहे समीरा
पडे काल दुःख सहै शरीरा.”

यानी प्राचीन भारतीय जलवायु वैज्ञानिकों के अनुसार अक्षय तृतीया तथा आषाढी पूर्णिमा के दिन जो प्राकृतिक हलचल होती है,धरती का ताप, वायुदाब, वृष्टिगर्भ, मेघगर्जन,वर्षा आदि के जो विशेष मौसम वैज्ञानिक लक्षण प्रकट होते हैं उनसे वर्षाकालीन चौमासे का पूर्वानुमान वैज्ञानिक पद्धति से किया जा सकता है. प्राचीन भारतीय ऋतु वैज्ञानिकों द्वारा आषाढ़ी पूर्णिमा के दिन वायु परीक्षण के सिद्धान्त को भारत का कृषक वर्ग आज भी घाघ-भड्डरी की कहावत के रूप में कण्ठस्थ किए हुए है –
“आषाढ़ मास पुन गौना,
धुजा बांध के देखो पौना
जो पे पवन पुरब से आवै
उपजे अन्न मेघ झरि लावै..”
महिला मौसमवैज्ञानिक ‘खाना’
भारत में जमीन से जुड़े मौसमविज्ञान की यह खासियत थी कि पुरुष ही नहीं महिलाएं भी खेती से जुड़े मौसम की वैज्ञानिक जानकारी में सिद्धहस्त थी. ऐसी ही एक ‘खाना’ नामक एक महिला मौसम वैज्ञानिक अपने किसान ससुर को सम्बोधित करते हुए कहती है कि यदि आषाढ की शुक्ला नवमी को मुसलाधार पानी बरसे तो समझना चाहिए कि उस वर्ष अनावृष्टि और अकाल के कारण समुद्र भी सूख जाएंगे. यदि उस दिन थोड़ा पानी बरसे तो उस साल भीषण वर्षा होगी और मछलियां बहुत अधिक मात्रा में पैदा होंगी. यदि मंद-मंद वर्षा हो तो सुवृष्टि के कारण फसल बहुत अच्छी होगी और यदि उस दिन सूर्यास्त के समय आकाश साफ रहे, सूर्य हंसते हंसते डूबे तो समझ लो खेती चौपट होने वाली है. उस वर्ष किसानों को अपने पशुओं को बेचकर अन्न इक्ट्ठा करना पडे़गा-
“आषाढे नवमी शुक्ल पाखा,
किकर श्वसुर लेखा जोखा.
यदि बरसे मुसलधारे
माझा समुद्रे बगा चरे.
यदि बरसे छिटें-फोंटा,
पर्वते है मीनेर घटा ..
यदि बरसे निमि झिमि,
शस्येर भार ना सय मेदिनी.
हंसे चाकि बसे पाटे
चाषार गरु बिकाय हाटे..”

आषाढ़ मास के सम्बन्ध में खाना अपने पति से कहती है. जिस वर्ष पूस (दिसम्बर-जनवरी) में गर्मी और बैसाख (अप्रेल-मई) में जाड़ा लगे, आषाढ लगते ही यानि जून के महीने में सभी गड्ढे पानी से भर जाएं तो यह समझना चाहिए कि सावन-भादो यानी अगस्त-सितम्बर के महीनों में पानी नहीं बरसेगा –
“पौष गरमि बैसाख जाडा
प्रथम आषाढे भरवे गाडा.
खाना बोले सुनो हे स्वामी,
सावन भादर नाइको पानी..”

दरअसल, भारत का काश्तकार जिन प्राकृतिक लक्षणों के आधार पर जलवायु सम्बन्धी संकेतों का अनुमान लगा लेता है, वह अन्धविश्वास नहीं बल्कि प्राचीन भारतीय ऋतु वैज्ञानिक मान्यताओं का ग्रामीकरण है.विडम्बना यह है कि आधुनिक मौसम विज्ञान भारतीय उपमहाद्वीप के पर्यावरण विज्ञान को नजरअन्दाज करते हुए पश्चिमी मान्यता को मानसूनों के पूर्वानुमान हेतु वैज्ञानिक पैरामीटर बनाए हुए है जिसके कारण भारत के मौसम विभाग द्वारा मानसूनी वर्षा के बारे में की गई भविष्यवाणियां प्रायः गलत सिद्ध होती हैं. आधुनिक मौसम वैज्ञानिक भारतीय कृषकों के परिप्रेक्ष्य में पश्चिमी मौसम वैज्ञानिक मान्यताओं का स्वदेशीकरण नहीं कर पाए. इनकी वैज्ञानिक मान्यताएं पश्चिमी मॉडल से प्रभावित होकर केवल अनुसंधान और सांख्यिकी के आंकड़े जुटाने के लिए हैं. इसलिए स्वतन्त्रता प्राप्ति के 72 वर्षों बाद भी भारत का कृषक समुदाय न तो आधुनिक मौसम वैज्ञानिकों की भाषा समझता है और न ही भारतीय कृषि सभ्यता की अपेक्षा से मौसम सम्बन्धी इन भविष्यवाणियों का किसानों को कोई लाभ पहुंच पाता है.
दूसरी ओर अठारहवीं शताब्दी में हुए घाघ और भड्डरी ने आम जनता की जानकारी के लिए लोकगीतों या कहावतों की शक्ल में जिस कृषि मूलक मौसम विज्ञान की रचना की वह प्राचीन भारत के वराहमिहिर कृत ‘बृहत्संहिता’, ‘संवत्सरफल’, ‘कृषिपाराशर’, ‘मेघमाला’ तथा पुराणोक्त ऋतुविज्ञान सम्बन्धी संस्कृत में लिखे गए ग्रन्थों का ग्रामीण भाषा में किया गया सरल भावानुवाद ही था. घाघ,भड्डरी और खाना आदि महिला ऋतु वैज्ञानिकों के वर्षा सम्बन्धी पूर्वानुमान प्राचीन भारतीय जलवायु विज्ञान के सिद्धान्तों पर ही आधारित थे.आज देश के परम्परागत कृषि विज्ञान द्वारा पाली पोसी गई अक्षय तृतीया तथा आषाढी पूर्णिमा से सम्बन्धित वर्षा के पूर्वानुमान की भारतीय परम्पराओं को आधुनिक ज्ञान-विज्ञान की नवीन तकनीकों से परिष्कृत करने की आवश्यकता है ताकि देश का मौसम विज्ञान खेतिहर कृषिविज्ञान की जमीन से जुड़ सके और अकाल तथा सूखे की परिस्थितियों का सटीक पूर्वानुमान कर सके.

मगर विडम्बना यह है कि भारत के परंपरागत मौसम विज्ञान के सिद्धांतों और मान्यताओं की तुलनात्मक अध्ययन करने की चिंता न तो आज संस्कृत के विद्वानों को है और न ही मौसम विभाग की ओर से ही भारत के ऋतुविज्ञान और आधुनिक मौसमविज्ञान के समन्वय का कोई सकारात्मक प्रयास किया गया है,जिसकी वजह से आज मौसम विभाग के मौसम सम्बन्धी पूर्वानुमान और भविष्यवाणियां ज्यादातर गलत ही सिद्ध होती हैं.

आगामी लेख में पढिये “प्राचीन भारत में मेघविज्ञान और बादलों के प्रकार”.
✍🏻डॉ0 मोहन चंद तिवारी, हिमान्तर में प्रकाशित आलेख
(लेखक दिल्ली विश्वविद्यालय के रामजस कॉलेज से एसोसिएट प्रोफेसर के पद से सेवानिवृत्त हैं. एवं विभिन्न पुरस्कार व सम्मानों से सम्मानित हैं. जिनमें 1994 में ‘संस्कृत शिक्षक पुरस्कार’, 1986 में ‘विद्या रत्न सम्मान’ और 1989 में उपराष्ट्रपति डा. शंकर दयाल शर्मा द्वारा ‘आचार्यरत्न देशभूषण सम्मान’ से अलंकृत. साथ ही विभिन्न सामाजिक संगठनों से जुड़े हुए हैं और देश के तमाम पत्र—पत्रिकाओं में दर्जनों लेख प्रकाशित।)

🕉श्री हरिहरो विजयतेतराम🕉
🌄सुप्रभातम🌄
🗓आज का पञ्चाङ्ग🗓
🌻गुरुवार, १६ जून २०२२🌻

सूर्योदय: 🌄 ०५:२८
सूर्यास्त: 🌅 ०७:११
चन्द्रोदय: 🌝 २१:३९
चन्द्रास्त: 🌜०६:४९
अयन 🌕 उत्तरायने (उत्तरगोलीय
ऋतु: 🌞 ग्रीष्म
शक सम्वत: 👉 १९४४ (शुभकृत)
विक्रम सम्वत: 👉 २०७९ (राक्षस)
मास 👉 आषाढ
पक्ष 👉 कृष्ण
तिथि 👉 द्वितीया (०९:४४ से तृतीया)
नक्षत्र 👉 पूर्वाषाढ (१२:३७ से
उत्तराषाढ)
योग 👉 ब्रह्म (२१:०९ से इन्द्र)
प्रथम करण 👉 गर (०९:४४ तक)
द्वितीय करण 👉 वणिज (१९:५५ तक)
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॥ गोचर ग्रहा: ॥
🌖🌗🌖🌗
सूर्य 🌟 मिथुन
चंद्र 🌟 मकर (१७:५५ से)
मंगल 🌟 मीन (उदित, पश्चिम, मार्गी)
बुध 🌟 वृष (अस्त, पश्चिम, मार्गी)
गुरु 🌟 मीन (उदित, पूर्व, मार्गी)
शुक्र 🌟 मेष (उदित, पूर्व, वक्री)
शनि 🌟 कुम्भ (उदित, पूर्व, वक्री)
राहु 🌟 मेष
केतु 🌟 तुला
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शुभाशुभ मुहूर्त विचार
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अभिजित मुहूर्त 👉 ११:४९ से १२:४६
अमृत काल 👉 ०८:२४ से ०९:४९
विजय मुहूर्त 👉 १४:३८ से १५:३५
गोधूलि मुहूर्त 👉 १९:०६ से १९:३०
सायाह्न सन्ध्या 👉 १९:२० से २०:२०
निशिता मुहूर्त 👉 २३:५८ से २४:३७
राहुकाल 👉 १४:०३ से १५:४९
राहुवास 👉 दक्षिण
यमगण्ड 👉 ०५:१५ से ०७:०१
होमाहुति 👉 मंगल
दिशाशूल 👉 दक्षिण
अग्निवास 👉 पृथ्वी
भद्रावास 👉 पाताल (१९:५५ से)
चन्द्र वास 👉 पूर्व (दक्षिण १७:५५ से)
शिववास 👉 सभा में (०९:४४ से क्रीड़ा में)
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☄चौघड़िया विचार☄
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॥ दिन का चौघड़िया ॥
१ – शुभ २ – रोग
३ – उद्वेग ४ – चर
५ – लाभ ६ – अमृत
७ – काल ८ – शुभ
॥रात्रि का चौघड़िया॥
१ – अमृत २ – चर
३ – रोग ४ – काल
५ – लाभ ६ – उद्वेग
७ – शुभ ८ – अमृत
नोट– दिन और रात्रि के चौघड़िया का आरंभ क्रमशः सूर्योदय और सूर्यास्त से होता है। प्रत्येक चौघड़िए की अवधि डेढ़ घंटा होती है।
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शुभ यात्रा दिशा
🚌🚈🚗⛵🛫
दक्षिण-पूर्व (दही का सेवन कर यात्रा करें)
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तिथि विशेष
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उपनयन संस्कार+व्यवसाय आरम्भ मुहूर्त प्रातः मुहूर्त प्रातः १०:४४ से दोपहर १२:२८ तक, विद्या एवं अक्षर आरम्भ मुहूर्त प्रातः ०५:३५ से ०७:१७ तक आदि।
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आज जन्मे शिशुओं का नामकरण
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आज १२:३७ तक जन्मे शिशुओ का नाम
पूर्वाषाढ नक्षत्र के तृतीय एवं चतुर्थ चरण अनुसार क्रमश (फा, ढा) नामाक्षर से तथा इसके बाद जन्मे शिशु का नाम उत्तराषाढ नक्षत्र के प्रथम, द्वितीय एवं तृतीय चरण अनुसार क्रमशः (भे, भो, ज) नामाक्षर से रखना शास्त्रसम्मत है।
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उदय-लग्न मुहूर्त
वृषभ – २७:२१ से ०५:१६
मिथुन – ०५:१६ से ०७:३१
कर्क – ०७:३१ से ०९:५२
सिंह – ०९:५२ से १२:११
कन्या – १२:११ से १४:२९
तुला – १४:२९ से १६:५०
वृश्चिक – १६:५० से १९:०९
धनु – १९:०९ से २१:१३
मकर – २१:१३ से २२:५४
कुम्भ – २२:५४ से २४:२०
मीन – २४:२० से २५:४३
मेष – २५:४३ से २७:१७
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पञ्चक रहित मुहूर्त
रोग पञ्चक – ०५:१५ से ०५:१६
शुभ मुहूर्त – ०५:१६ से ०७:३१
मृत्यु पञ्चक – ०७:३१ से ०९:४४
अग्नि पञ्चक – ०९:४४ से ०९:५२
शुभ मुहूर्त – ०९:५२ से १२:११
रज पञ्चक – १२:११ से १२:३७
शुभ मुहूर्त – १२:३७ से १४:२९
चोर पञ्चक – १४:२९ से १६:५०
शुभ मुहूर्त – १६:५० से १९:०९
रोग पञ्चक – १९:०९ से २१:१३
शुभ मुहूर्त – २१:१३ से २२:५४
मृत्यु पञ्चक – २२:५४ से २४:२०
अग्नि पञ्चक – २४:२० से २५:४३
शुभ मुहूर्त – २५:४३ से २७:१७
मृत्यु पञ्चक – २७:१७ से २९:१५
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आज का राशिफल
🐐🐂💏💮🐅👩
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मेष🐐 (चू, चे, चो, ला, ली, लू, ले, लो, अ)
आज के दिन सुख शांति में वृद्धि होगी लेकिन शरीर मे कोई नया विकार भी बनेगा। आज आप की कार्य गति थोड़ी धीमी रहेगी कोई भी कार्य एकदम सर पर आने पर ही करेंगे फिर भी अन्य लोगो की तुलना में जल्दी और अधिक सफाई रहेगी। मध्यान के बाद स्वभाव में तेजी आएगी कार्य-व्यवसाय से लाभ आशाजनक रहेगा फिर भी सन्तोष नही होगा अधिक पाने की लालसा परेशानी में डालेंगी धर्य से काम लें। नौकरी वाले लोग महत्त्वपूर्ण कार्य सम्पन्न होने पर प्रसन्न रहेंगे अधिकारी वर्ग से काम निकालने के लिये आज दिन उपयुक्त है। व्यवसायी वर्ग धन का निवेश करने से बचे आने वाले समय मे व्यवधान आएंगे। सेहत भी संध्या बाद प्रतिकूल होने लगेगी।

वृष🐂 (ई, ऊ, ए, ओ, वा, वी, वू, वे, वो)
आज के दिन मन कार्य में आ रही बाधा के कारण अशान्त रहेगा। शारीरिक सामर्थ्य भी आज कम ही रहेगा फिर भी जबरदस्ती करेंगे। व्यवसायी वर्ग अधूरे कार्य पर ज्यादा ध्यान दें आज धन पाने का यही एक साधन है। मध्यान तक स्थिति अनियंत्रित रहेगी चाह कर भी मन के अनुसार काम नही कर पाएंगे लेकिन दोपहर बाद थोड़ा बदलाव आने लगेगा किसी की सहायता मिलने पर जटिल कार्य आसानी से पूर्ण कर लेंगे। पूर्व में किये गलत आचरण का आज भुगतान भी करना पड़ेगा। स्वभाव में चिड़चिड़ा पन रहेगा अकारण ही परिजन अथवा सहकर्मियों पर क्रोध करेंगे आस-पड़ोसी आपके प्रति सांत्वना रखेंगे लेकिन आपका व्यवहार विपरीत ही रहेगा। लोभ से दूर रहें।

मिथुन👫 (का, की, कू, घ, ङ, छ, के, को, हा)
आज का दिन भी आपके लिये अनुकूल बना हुआ है जिस भी कार्य मे हाथ डालेंगे उसमे अन्य लोगो की तुलना में शीघ्र सफलता मिल सकती है। लेकिन व्यवहारिकता की कमी अथवा स्वार्थी वृति कुछ अभाव भी बनाएगी। कार्य क्षेत्र पर धन को लेकर आज किसी भी प्रकार का समझौता नही करेंगे लेकिन अपना काम बनाने के लिये आवश्यकता से अधिक धन लुटाएंगे। पुराने कार्य मे विलम्ब होने पर कहासुनी होगी लेकिन धन की आमद हो जाने के बाद इनको भूल जाएंगे। सहकर्मी अथवा परिजन आपसे कोई अनैतिक मांग करेंगे जिस पूर्ण करने में खासी परेशानी आएगी। घर का वातावरण छोटी मोटी उलझनों को छोड़ ठीक ही रहेगा। स्वास्थ्य लाभ मिलेगा।

कर्क🦀 (ही, हू, हे, हो, डा, डी, डू, डे, डो)
आज भी दिन आपके पक्ष में रहेगा लेकिन आज आपके अंदर समझ की कमी भी रहेगी सही की जगह गलत बातो का समर्थन करना घर अथवा बाहर वैचारिक मतभेद बनाएगा। कार्य व्यवसाय एवं दैनिक कार्यो में आज परिश्रम अधिक करना पड़ेगा परन्तु इसका परिणाम सकारत्मक ही रहेगा। आज आपको सहयोग भी बिन मांगे मिल जायेगा अपने कार्य समय से पूर्ण कर लेंगे लेकिन अन्य लोगो की सहायता करने में टालमटोल करेंगे घरेलू कार्य की अनदेखी करने पर ताने सुनने को मिलेंगे। धन की आमाद निश्चित होगी सामाजिक व्यवहार इसके कम या अधिक होने में महत्त्वपूर्ण रहेगा। सेहत आज ठीक ही रहेगी फिर भी खाना समय पर खाये।

सिंह🦁 (मा, मी, मू, मे, मो, टा, टी, टू, टे)
आज के दिन आप पिछली गलतियों से सीख लेंगे। व्यवहार में सुधार करेंगे मीठा बोलकर अपना स्वार्थ सिद्ध कर लेंगे। घर के सदस्य बजट से अधिक मांग कर दिनचार्य को जटिल बनाएंगे आज दिन भर धन संबंधित मामले दिमाग मे चलते रहेंगे फिर भी आज धन की तुलना में बौद्धिक क्षमता की उन्नति अधिक होगीं। मध्यान के आस पास सगे संबंधियों से किसी बात को लेकर टकराव होने की संभावना है आज स्वभाव की नरमी बात बढ़ेंगे नही देगी लेकिन मानसिक बेचैनी जरूर रहेगी। कार्य व्यवसाय में उन्नति होगी पर धन लाभ के लिये इंतजार करना पड़ेगा। बाहर घूमे के प्रसंग बनेंगे परन्तु अंत समय मे टल भी सकते है। मानसिक अंतर्द्वन्द को छोड़ सेहत ठीक रहेगी।

कन्या👩 (टो, पा, पी, पू, ष, ण, ठ, पे, पो)
आज भी बचते बचते कलह होने की संभावना है आज स्वभाव में नरमी रखना अत्यंत आवश्यक है। आप जल्दी से किसी विवाद में नही पड़ेंगे लेकिन वातावरण ही ऐसा बनेगा ना चाहकर भी क्रोध आयेगा। आर्थिक कारणों से घर एवं कार्य क्षेत्र पर खींच तान होगी। भाई बंधुओ से किसी पुराने विवाद को लेकर तीखी झड़प होने की संभावना है बेतुकी बयानबाजी से बचें अन्यथा स्थिति अनियंत्रित हो सकती है। नई सरकारी उलझने भी बनने के आसार है अनैतिक गतिविधियोंसे स्वयं को दूर रखें। महिला वर्ग भी आज आवश्यकता पड़ने पर ही अपना विचार रखें अन्यथा मान हानि हो सकती हैं। आज धन लाभ की आशा कम ही रखें बस खर्च ही निकाल पाएंगे। सेहत में सुधार आएगा पर अपनी ही गलती से समस्या दोबारा हो सकती है। अति आवश्यक कार्यो के लिये संध्या का इंतजार करें।

तुला⚖️ (रा, री, रू, रे, रो, ता, ती, तू, ते)
आज का दिन आपको कोई नई खुशी देकर जाएगा। धन लाभ उम्मीद ना होने पर भी अकस्मात होगा। कार्यो के प्रति गंभीर रहेंगे दिन भर की मेहनत का आंकलन संध्या के समय संतोषजनक रहेगा। आज आपके मन को भटकाने वाले प्रसंग भी बनेंगे सही दिशा में जा रहा कार्य किसी के गलत मार्गदर्शन से गलत होगा जिसे सुधारने में समय खराब करेंगे। महिलाए किसी कार्य पूर्ति को लेकर आशंकित रहेंगी धर्य ना खोये देर से ही सही सफलता अवश्य मिलेगी। धन संबंधित कार्य अन्य दिनों की तुलना में शीघ्र बनेंगे। आर्थिक रूप से सक्षम रहेंगे फिर भी कंजूस प्रवृति घर मे अथवा सहकर्मियों का आगे नीचा दिखाएगी। परिवार के बुजुर्ग अनदेखी होने पर व्यथित होंगे। सेहत सामान्य ही रहेगी।

वृश्चिक🦂 (तो, ना, नी, नू, ने, नो, या, यी, यू)
आज का दिन धैर्य से बिताने में ही भलाई है। मेहनत करने पर तुरंत लाभ की आशा ना रखें आज किया परिश्रम का फल संध्या बाद से दिखने लगेगा लेकिन प्राप्ति में अड़चनें आएंगी आज की तुलना में कल दिन ज्यादा बेहतर रहेगा। आज केवल आश्वासनो से ही काम चलाना पड़ेगा। मध्यान तक का समय कार्य व्यवसाय के लिये उतार चढ़ाव वाला रहेगा इसके बाद परिस्थिति से समझौता कर लेंगे स्वभाव में संतोष बनेगा। धन अथवा अन्य किसी भी प्रकार के वादे ना करें पूरे नही कर पाएंगे उलटे आलोचना ही होगी। घर का कोई सदस्य जिद पर अड़ेगा जिससे कुछ समय के लिये शांति भंग होगी। महिलाए अपने कार्य छोड़ अन्य के कार्य मे मीन मेख निकालेंगी यह झगड़े का कारण बनेगा। बदन दर्द स्नायु तंत्र में दुर्बलता रहेगी।

धनु🏹 (ये, यो, भा, भी, भू, ध, फा, ढा, भे)
आज का दिन मिश्रित फल प्रदान करेगा। कभी लाभ होता नजर आएगा अगले पल निराश होने पड़ेगा। घर एवं कार्य क्षेत्र पर मनमाना व्यवहार करेंगे इससे आप तो निश्चिन्त रहेंगे लेकिन संपर्क में रहने वालों को परेशानी आएगी। कार्य करते समय भी मन मौज शौक की ओर आकर्षित होगा। आज आप प्रलोभन में अनैतिक कार्य करने से भी परहेज नही करेंगे इससे धन लाभ शीघ्र तो होगा साथ मे नई समस्या भी बढ़ेगी जिसके परिणाम निकट भविष्य में भुगतने पड़ेंगे। व्यवसायी वर्ग नए कार्य मे निवेश कर सकते है इसके निकट भविष्य में संतोषजनक परिणाम मिलेंगे। घर के सदस्य अपने कामो में मस्त रहेंगे। कफ अथवा अन्य ठंड संबंधित समस्या हो सकती है।

मकर🐊 (भो, जा, जी, खी, खू, खा, खो, गा, गी)
आज भी दिनचार्य संघर्ष वाली रहेगी। दिन के आरम्भ से ही मन किस अरिष्ट की आशंका से व्याकुल रहेगा हानि की सम्भवना के कारण बड़ा कार्य करने से डरेंगे लेकिन दैनिक कार्य थोड़े विलम्ब से पूर्ण हो जाएंगे। घर अथवा कार्य क्षेत्र पर टूट-फुट अथवा अन्य कारणों से हानि होने का भय है। आर्थिक मामले अधूरे रहने के कारण धन संबंधित समस्या भी रहेगी खर्च चलाना भी आज भारी पड़ेगा। किसी से लिये उधार अतिशीघ्र वापस करने का प्रयास करें। परिजन आपकी मनोदशा को जानते हुए भी अनदेखा करेंगे मित्र परिचित केवल औपचारिक व्यवहार रखेंगे। दिन भर मानसिक बोझ बना रहेगा। संध्या बाद से थोड़ी राहत मिलने लगेगी।

कुंभ🍯 (गू, गे, गो, सा, सी, सू, से, सो, दा)
आज का दिन वैसे तो आपके लिये कुछ ना कुछ लाभ ही देगा लेकिन आज आपके द्वारा कोई ऐसा काम हो सकता है जिसका पछतावा लंबे समय तक रहेगा। दिन के पहले भाग से लेकर दोपहर बाद तक भागदौड़ व्यर्थ लगेगी फिर भी व्यवहार पूर्ति के लिये करनी पड़ेगी इसके बाद का समय आकस्मिक लाभ दिलाएगा लेकिन ध्यान रहे यहाँ लापरवाही करने पर लाभ हानि में भी बदल सकता है। धन लाभ मेहनत की।तुलना में कम फिर भी संतोषजनक हो ही जायेगा। कार्य क्षेत्र पर विस्तार करने के अवसर मिलेंगे धन निवेश से ना डरें भविष्य में दुगुना होकर मिलेगा। घर मे संध्या तक स्थिति सामान्य रहेगी इसके बाद कोई हानिकर समाचार मिल सकता है। सेहत में भी गिरावट दर्ज होगी।

मीन🐳 (दी, दू, थ, झ, ञ, दे, दो, चा, ची)
आज का दिन थोड़ा उठापटक वाला रहेगा। आज एक समय मे मन दो कार्यो में भटकने के कारण मनचाही सफलता नही मिल पाएगी। विपरीत लिंगीय आकर्षण भी अधिक रहेगा जिसके चलते किसी की अनुचित मांग पूरा करने में संकोच नही करेंगे लेकिन याद रहे बाद में यह आत्मग्लानि का कारण भी बनेगा। मध्यान बाद कार्य व्यवसाय से लाभ की आशा जागेगी परन्तु मेहनत इसकी तुलना में कम रहने के कारण बाद में ले देकर काम निकालना पड़ेगा। व्यर्थ समय खराब करते वक्त ध्यान रहे आज कीगई मेहनत आने वाले दिनों में जीवन की दिशा बदल सकती है। पारिवारिक जन को गुमराह करने का प्रयास करेंगे यह बाद में कलह का कारण बनेगा। सेहत में छोटे मोटे विकार लगे रहेंगे।
〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️🙏राधे राधे🙏