आज का पंचाग आपका राशि फल, पूरी नींद नहीं लेने से बिगड़ रही है शरीर की जैविक घड़ी, तपस्‍य फागुन वसंत की अवधि का ये दिन आपके नाम हम वर्ष के समापन और चैत्र की ओर अग्रसर हैं

​ 𝕝𝕝 🕉 𝕝𝕝
*श्री हरिहरो*
*विजयतेतराम*

*🌹।।सुप्रभातम्।।🌹*
*🗓आज का पञ्चाङ्ग🗓*
*_रविवार, ०५ मार्च २०२३_*
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सूर्योदय: 🌄 ०६:४४
सूर्यास्त: 🌅 ०६:१९
चन्द्रोदय: 🌝 १६:२२
चन्द्रास्त: 🌜३०:१२
अयन 🌖 उत्तरायणे
(दक्षिणगोलीय)
ऋतु: 🎋 बसंत
शक सम्वत:👉१९४४ (शुभकृत)
विक्रम सम्वत:👉२०७९ (नल)
मास 👉 फाल्गुन
पक्ष 👉 शुक्ल
तिथि 👉 त्रयोदशी (१४:०७
से चतुर्दशी)
नक्षत्र👉आश्लेशा(२१:३०से मघा
योग 👉 अतिगण्ड (२०:२१
से सुकर्मा)
प्रथम करण👉तैतिल(१४:०७ तक
द्वितीय करण👉गर(२७:१४ तक
*≛≛≛≛≛≛≛≛≛≛≛≛≛≛≛≛≛≛≛≛≛*
॥ गोचर ग्रहा: ॥
🌖🌗🌖🌗
सूर्य 🌟 कुम्भ
चंद्र 🌟 सिंह (२१:३० से)
मंगल 🌟 वृष
(उदित, पश्चिम, मार्गी)
बुध🌟कुम्भ(अस्त,पूर्व,मार्गी)
गुरु🌟मीन(उदित,पूर्व,मार्गी)
शुक्र🌟मीन (उदित, पश्चिम)
शनि 🌟 कुम्भ
(उदित, पूर्व, मार्गी)
राहु 🌟 मेष
केतु 🌟 तुला
*≛≛≛≛≛≛≛≛≛≛≛≛≛≛≛≛≛≛≛≛≛≛≛≛*
शुभाशुभ मुहूर्त विचार
⏳⏲⏳⏲⏳⏲⏳
*≛≛≛≛≛≛≛≛≛≛≛≛≛≛≛≛≛≛≛≛≛≛≛≛*
अभिजित मुहूर्त 👉 १२:०५ से १२:५२
अमृत काल 👉 १९:४३ से २१:३०
रवियोग 👉 २१:३० से ३०:३८
विजय मुहूर्त 👉 १४:२५ से १५:१२
गोधूलि मुहूर्त 👉 १८:१६ से १८:४०
सायाह्न सन्ध्या 👉 १८:१८ से १९:३२
निशिता मुहूर्त 👉 २४:०३ से २४:५३
राहुकाल 👉 १६:५१ से १८:१८
राहुवास 👉 उत्तर
यमगण्ड 👉 १२:२९ से १३:५६
होमाहुति 👉 शनि (२१:३० तक)
दिशाशूल 👉 पश्चिम
अग्निवास 👉 पृथ्वी
चन्द्रवास 👉 उत्तर (पूर्व २१:३० से)
शिववास 👉 नन्दी पर (१४:०७ से भोजन में)
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☄चौघड़िया विचार☄
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॥ दिन का चौघड़िया ॥
१ – उद्वेग २ – चर
३ – लाभ ४ – अमृत
५ – काल ६ – शुभ
७ – रोग ८ – उद्वेग
॥रात्रि का चौघड़िया॥
१ – शुभ २ – अमृत
३ – चर ४ – रोग
५ – काल ६ – लाभ
७ – उद्वेग ८ – शुभ
नोट– दिन और रात्रि के चौघड़िया का आरंभ क्रमशः सूर्योदय और सूर्यास्त से होता है। प्रत्येक चौघड़िए की अवधि डेढ़ घंटा होती है।
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शुभ यात्रा दिशा
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पूर्व-उत्तर (पान का सेवन कर यात्रा करें)
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तिथि विशेष
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शनि पूर्व में उदय २०:३५ से आदि।
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आज जन्मे शिशुओं का नामकरण
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आज २१:३० तक जन्मे शिशुओ का नाम आश्लेषा नक्षत्र के द्वितीय, तृतीय एवं चतुर्थ चरण अनुसार क्रमशः (डू, डे, डो) नामक्षर से तथा इसके बाद जन्मे शिशुओ का नाम मघा नक्षत्र के प्रथम एवं द्वितीय चरण अनुसार क्रमशः (मा, मी) नामक्षर से रखना शास्त्रसम्मत है।
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उदय-लग्न मुहूर्त
कुम्भ – २९:४४ से ०७:१०
मीन – ०७:१० से ०८:३३
मेष – ०८:३३ से १०:०७
वृषभ – १०:०७ से १२:०२
मिथुन – १२:०२ से १४:१७
कर्क – १४:१७ से १६:३८
सिंह – १६:३८ से १८:५७
कन्या – १८:५७ से २१:१५
तुला – २१:१५ से २३:३६
वृश्चिक – २३:३६ से २५:५५
धनु – २५:५५ से २७:५९
मकर – २७:५९ से २९:४०
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पञ्चक रहित मुहूर्त
शुभ मुहूर्त – ०६:३९ से ०७:१०
रोग पञ्चक – ०७:१० से ०८:३३
चोर पञ्चक – ०८:३३ से १०:०७
शुभ मुहूर्त – १०:०७ से १२:०२
रोग पञ्चक – १२:०२ से १४:०७
शुभ मुहूर्त – १४:०७ से १४:१७
मृत्यु पञ्चक – १४:१७ से १६:३८
अग्नि पञ्चक – १६:३८ से १८:५७
शुभ मुहूर्त – १८:५७ से २१:१५
रज पञ्चक – २१:१५ से २१:३०
शुभ मुहूर्त – २१:३० से २३:३६
चोर पञ्चक – २३:३६ से २५:५५
शुभ मुहूर्त – २५:५५ से २७:५९
रोग पञ्चक – २७:५९ से २९:४०
शुभ मुहूर्त – २९:४० से ३०:३८
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आज का राशिफल
🐐🐂💏💮🐅👩
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मेष🐐 (चू, चे, चो, ला, ली, लू, ले, लो, अ)
आज के दिन परिस्थितियां आशा के विपरीत रहेंगी दिन का प्रथम भाग
परिजन अथवा किसी आस-पड़ोसी से व्यर्थ की कलह से खराब होगा इसका प्रभाव मध्यान तक मानसिक रूप से बेचैन रखेगा। आज पूर्व में किये आलस्य का दुख मन को व्यथित करेगा। कार्य क्षेत्र पर मेहनत ज्यादा करनी पड़ेगी मन इधर उधर भटकेगा। धनलाभ के अवसर भी मिलेंगे लेकिन आशा जनक नही होगा। सहकर्मी अथवा संपर्क में रहने वालों की छोटी मोटी बातो को अनदेखा करें अन्यथा आपसी मतभेद के कारण कार्य हानि हो सकती है। महिलाए भी आज बेतुके बयानों से बचें परिस्थिति अनुसार स्वयं को ढालने से शांति बनी रहेगी। मानसिक तनाव आज ज्यादा रहेगा।

वृष🐂 (ई, ऊ, ए, ओ, वा, वी, वू, वे, वो)
आज के दिन आपको बीते दिन की अपेक्षा सुधार अनुभव होगा। दिन का आरंभिक भाग साधारण रहेगा मन मे किसी इच्छा पूर्ति को लेकर तिकड़म भिड़ाएंगे लेकिन आज आपका मन कार्यो की के साथ ही मौज शौक में भी रहने के कारण मनोकामना पूर्ति संदिग्ध ही रहेगी। कार्य व्यवसाय में कम ध्यान देने पर भी किसी अन्य माध्यम से धन की आमद होगी। खर्च निकालने में परेशानी नही आएगी लेकिन व्यर्थ के खर्च बाद में आर्थिक उलझन का कारण बनेंगे। घर का वातावरण कुछ समय के लिये खराब होगा परिजन आपकी किसी गलत आदत को लेकर कलह करेंगे। सेहत असंयम से खराब होगी।

मिथुन👫 (का, की, कू, घ, ङ, छ, के, को, हा)
आज का दिन कामना पूर्ति में बाधक बनेगा स्वभाव से आलसी रहेंगे परिजनों के ताने सुनने के बाद ही गंभीरता आएगी। कार्य व्यवसाय में योजना बड़ी बड़ी बनाएंगे लेकिन उसके अनुसार कर्म नही करने पर मन मारकर रहना पड़ेगा। सहयोगी भी पहले हाँ में हाँ मिलाएंगे लेकिन काम के वक्त सहयोग करने में आनाकानी करेंगे। परिजन एवं सहयोगियों को आज किसी भी हाल में नाराज ना होने दें अन्यथा आने वाले समय मे काम निकालने में परेशानी आ सकती है। शेयर अथवा अन्य जोखिम वाले कार्यो ने निवेश निकट भविष्य के लिये शुभ रहेगा। धन लाभ आज भी होगा लेकिन आवश्यकता से कम। स्वास्थ्य के विषय मे शंका खड़ी होगी।

कर्क🦀 (ही, हू, हे, हो, डा, डी, डू, डे, डो)
आज का दिन शुभ फलदायी है लेकिन आज मन पर चंचलता कुछ ज्यादा ही हावी रहेगी। विपरीत लिंगीय आकर्षण अधिक रहने के कारण अपने आवश्यक कार्यो को छोड़ वासना के पीछे ध्यान भटकाएँगे। कार्य व्यवसाय में किसी मार्गदर्शक की सलाह से लाभ के प्रसंग उपस्थित होंगे यहां जल्दबाजी ही काम आएगी अन्यथा आपके सौदों पर अन्य प्रतिस्पर्धी भी नजर लगाए बैठे है थोड़ा सा विलम्ब बड़े लाभ से वंचित कर सकता है। धन लाभ के मार्ग एक से अधिक रहेंगे पर होगा किसी एक साधन द्वारा ही। परिवार में अपनी बेतुकी हरकतों से डांट पड़ेगी लेकिन स्वभाव आज मनमौजी ही रहेगा। व्यस्तता के बाद भी मौज शौक के लिए समय निकाल लेंगे। सेहत लगभग ठीक ही रहेगी।

सिंह🦁 (मा, मी, मू, मे, मो, टा, टी, टू, टे)
आज का दिन हानिकारक रहेगा। पूर्व में लिए निर्णयों पर एकबार फिर से विचार करें जिद्दी स्वभाव आज कुछ ना कुछ गड़बड़ ही कराएगा। व्यवसायी वर्ग जिस कार्य से लाभ की उम्मीद रखेंगे उसके अंत समय मे निरस्त हिने पर निराशा होगी अपनी गलतियों का गुस्सा अन्य के ऊपर उतारना आज भारी पड़ सकता है। विवेकी व्यवहार अपनाए अन्यथा कोई आपसे बात करने के लिये भी तैयार नही होगा। धन को लेकर आज कुछ ना कुछ उलझन रहेगी भाग दौड़ के बाद भी अल्प लाभ से संतोष करना पड़ेगा इसके विपरीत आकस्मिक खर्च अथवा हानि से परेशान रहेंगे। घर मे किसी बाहरी व्यक्ति के कारण अशांति हो सकती है। सेहत में नरमी आएगी, संध्या बाद से स्थिति में सुधार आने लगेगा।

कन्या👩 (टो, पा, पी, पू, ष, ण, ठ, पे, पो)
आज का दिन पूर्व में किये किसी परोपकार अथवा अन्य शुभ कर्मो का फल सम्मान के रूप में वापस मिलेगा। दिन का आरंभ थोड़ा सुस्त रहेगा लेकिन जल्द ही गति आयेगी लेकिन आज आप घर संबंधित कार्यो में लापरवाही करेंगे जबकि बाहरी लोगों की सहायता के लिये तत्पर रहेंगे। घर मे महिला पुरुष के बीच यह व्यवहार कलह का कारण बनेगा फिर भी अपनी वाक्चातुर्य से सर्वत्र विजय पा लेंगे। काम-धंधे के प्रति गंभीर तो रहेंगे लेकिन एक साथ दो काम करने पर होने वाले लाभ में कमी आएगी। आज आपके मन में आर्थिक विषयो को लेकर कुछ ना कुछ तिकड़म लगी रहेगी फिर भी धन लाभ कामचलाऊ ही होगा। घर मे अंतर्द्वन्द की स्थिति रहेगी। सेहत सामान्य से कम रहेगी।

तुला⚖️ (रा, री, रू, रे, रो, ता, ती, तू, ते)
आज के दिन आप जिस भी कार्य को करेंगे उसमे अन्य लोग टांग अड़ायेंगे जिससे कुछ समय के लिये भ्रामक स्थिति बनेगी लेकिन ध्यान रहे आज परिस्थिति सफ़लतादायक बनी है अन्य लोगो के ऊपर ध्यान ना दें अपनी बुद्धि से कार्य करे विजय अवश्य मिलेगी भले ही थोड़ा विलम्ब से ही। कार्य व्यवसाय से पुरानी योजनाए धन लाभ कराएंगी नए अनुबंध हथियाने के लिये कुटिल बुद्धि का इस्तेमाल करना पड़ेगा सरल स्वभाव का प्रयोग आज काम नही आएगा। विरोधी प्रबल रहेंगे पीछे से आपकी हानि पहुचाने का हर संभव प्रयास करेंगे मन को लक्ष्य पर केंद्रित रख ही इनपर विजय पाई जा सकती है। घर एवं शारीरिक सुख उत्तम रहेगा।

वृश्चिक🦂 (तो, ना, नी, नू, ने, नो, या, यी, यू)
आज आपसी तालमेल की कमी हर जगह अव्यवस्था फैलाएगी। दिन के आरंभ में मानसिक रूप से शांत रहेंगे धर्म-कर्म में भी निष्ठा रहने से पूजा पाठ के लिये समय निकालेंगे लेकिन स्वभाव में अकड़ एवं जिद बनते कार्यो में बाधा डालेगी। आज आपके पक्ष में बोलने वालों से भी विपरीत व्यवहार करेंगे बाद में समय निकलने पर पछतायेंगे। धन को लेकर आज कोई नई समस्या खड़ी होगी। कार्य क्षेत्र पर भी आर्थिक अभाव रहने के कारण अपने विचारों को साकार रूप नही दे पाएंगे। घर मे मामूली तकरार के बाद स्थित सामान्य हो जाएगी। सेहत की अनदेखी बाद में भारी पड़ने वाली है सतर्क रहें। बुजुर्ग वर्ग को छोड़ अन्य सभी से पटेगी।

धनु🏹 (ये, यो, भा, भी, भू, ध, फा, ढा, भे)
आज के दिन आपको शारीरिक समस्या का सामना करना पड़ेगा दिन के आरंभ से ही शरीर में विकार उत्पन्न होंगे मध्यान तक इनकी अनदेखी करेंगे बढ़ने पर ही इलाज करेंगे वह भी मनमर्जी से जिसके परिणाम आगे गंभीर भी हो सकते है। कार्य क्षेत्र पर लाभ की संभावनाए बनते बनते बिगड़ेंगी आपकी मनोदशा का विरोधी लाभ उठाएंगे। धन लाभ फिर भी अवश्य होगा लेकिन खर्च की तुलना में बहुत कम। भाग दौड़ में असमर्थ रहने के कारण महत्त्वपूर्ण सौदा अथवा पैतृक कार्य में विलंब अथवा हानि होने की संभावना है। परिवार के सदस्य आपसे काफी आशाएं लगाए रहेंगे परन्तु परिस्थितिवश बोल नही पाएंगे स्वयं ही इनका निराकरण करने का प्रयास करें आगे परिणाम सकारत्मक मिलेंगे।

मकर🐊 (भो, जा, जी, खी, खू, खा, खो, गा, गी)
आज आप जिस भी कार्य को करने का मन बनायेगे परिस्थिति स्वतः ही उसके अनुकूल बन जाएगी। लेकिन आशाजनक धन लाभ के लिए अधिक परिश्रम करना पड़ेगा फिर भी आज की जगह कल ही होगा। मध्यान का समय थोड़ा उतार चढ़ाव वाला रहेगा आपके रूखे व्यवहार से किसी के मन को दुख पहुचेगा लेकिन स्थित को भांप इसमें तुरंत सुधार कर स्थिति नियंत्रण में कर लेंगे। आज आप मीठा बोलकर कठिन से कठिन कार्य भी सहज बना लेंगे। धन की कामना है तो उसी क्षेत्र में प्रयास जारी रखें थोड़े विलम्ब से लेकिन सफल अवश्य होंगे। घर का वातावरण आनंद प्रदान करेगा आवश्यकता पूर्ति पर निसंकोच खर्च करेंगे। आरोग्य बना रहेगा पुरानी बीमारी में सुधार आएगा।

कुंभ🍯 (गू, गे, गो, सा, सी, सू, से, सो, दा)
आज आपका लक्ष्य अधिक से अधिक सुख सुविधा जुटाने पर रहेगा आपकी मानसिकता भी कम समय मे ज्यादा मुनाफा पाने की रहेगी। इसके लिये अनैतिक मार्ग अपनाने से भी नही हिचकेंगे। आज आप जिस कार्य को लग्न से करेंगे उसकी अपेक्षा बेमन से किया कार्य अधिक शीघ्र एवं ज्यादा लाभदायक रहेगा। नौकरी करने वाले सतर्क रहें इल्जाम लग लगने अथवा मान भंग की संभावना है। व्यवसाय में मध्यान तक उदासीनता के बाद गति आएगी। घर मे सुख के साधन बढ़ाने का विचार मन मे चलता रहेगा लेकिन आज कुछ विघ्न के कारण कामना पूर्ति संधिग्ध रहेगी। दौड़ भाग के कारण अत्यधिक थकान अनुभव होगी फिर भी मनोरंज से नही चूकेंगे।

मीन🐳 (दी, दू, थ, झ, ञ, दे, दो, चा, ची)
आज आपकी छवि घर को छोड़ अन्य सभी जगह बुद्धिमानो जैसी बनेगी मन मे कुछ समय के लिये आतिआत्मविश्वास के भाव भी आयंगे लेकिन आध्यात्म के प्रभाव से कोई हानि नही होगी। कार्य क्षेत्र से आज एक ही बार मे लाभ कमाने के चक्कर मे रहेंगे इससे अन्य लोगो के ऊपर आपकी लोभी छवि बनेगी फिर भी स्वार्थवश कह नही पाएंगे। आज आप अपने कार्य बनाने में पीछे परन्तु अन्य लोगो के लिये अवश्य ही सहयोगी रहेंगे। सार्वजनिक क्षेत्र पर आपसे महत्त्वपूर्ण विषय मे सलाह ली जाएगी लेकिन घर मे इसके विपरीत हास्य के पात्र बनेंगे। धन लाभ अवश्य होगा लेकिन इच्छानुसार नही लोभ से बचे आगे समय लाभ वाला ही है। शारीरिक कारणों से मन मे।अस्थिरता आएगी। स्त्री सुख मिलेगा।
*≛≛≛≛≛≛≛≛≛≛≛≛≛≛≛≛≛≛≛≛≛≛≛≛*

*👉शांत निद्रा – २६*

*♦️सामान्यत: व्यक्ति काे कितने घंटे नींद आवश्यक है ?

वर्तमान संघर्षपूर्ण जीवन पद्धति, पारिवारिक अथवा कार्यालय में तनाव आदि के कारण अधिकांश लोगों को शांत नींद लगना कठिन हो गया है । शांत नींद न लगे, तो अगले दिन दिनचर्या पर अनिष्ट परिणाम होता है । निद्रा संबंधी समस्या को हल करने के लिए कई लोग चिकित्सक के पास जाते हैं । नींद के लिए डॉक्टर औषधि देते हैं और व्यायाम के कुछ प्रकार सुझाते हैं । ‘एलोपैथी’ इससे आगे कोई विचार नहीं करता । शांत नींद न लगने की समस्या का मूल कारण है, निद्रा संबंधी प्रकृति-नियम और धर्म में बताए निद्रा संबंधी आचार का पालन न करना ।

*🔸१. कलियुगी मानव-जीवन की विशेषताएं*
कलियुग में निद्रा, भय एवं विकृति, इन तीन प्रमुख प्रक्रियाओं से मानव का जीवन क्रियाशक्ति की एक शृंखला में बद्ध है ।

*🔸२.निद्रा की उत्पत्ति एवं अर्थ*
*▪️अ. उत्पत्ति :* पौराणिक मत है कि निद्रा ब्रह्म का स्त्री-रूप है एवं उसकी उत्पत्ति समुद्र-मंथन से हुई है ।

*▪️आ. अर्थ :* मेध्यामनःसंयोगः अर्थात ‘मेध्या’ नामक नाडी एवं मन का संयोग है ‘निद्रा’ ।

*▪️इ. सतेज निद्रा :* उचित आहार से जीव उचित निद्रा की ओर बढता है, इसी को ‘सतेज निद्रा’ कहते हैं । निद्रा में भी जब जीव का अंतर्मन सात्त्विक विचारों के झूले में झूलने लगता है, तब नींद में भी उसकी अंतर्मन से साधना जारी रहती है । ऐसी साधना से मनुष्य का मनःपटल शुद्ध होने से वह मनोलय की दिशा में यात्रा आरंभ करता है । भरपूर निंन्द्रा से हमारे शरीर की जैविक घड़ी संतुलित होती है हम निरोग और कांतिमय होते हैं।

 

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तपस्‍य हुआ फागुन, वसंत की अवधि

फाल्‍गुन का ये दिन आप सबके नाम। हम वर्ष के समापन और चैत्र की ओर अग्रसर हैं। फागुन या फाल्‍गुन, वह मास जो वीरवर अर्जुन का भी एक नाम था हमारे लिए एक मास ही है। फाल्‍गुनी नक्षत्र पर इस मास का नाम है।

यह वसन्‍त की वेला का मास है, ऐसी वेला जिसकी पहचान कोई पंद्रह सौ साल पहले भी आज के रूप में ही की गई थी, खासकर उन शिल्पियों ने जो #दशपुर में रंग-बिरंगी रेशम की साडियां, दुकूल बनाते थे और देश ही नहीं, समंदर पार भी अपनी पहचान बनाए हुए थे।
उन्‍होंने फागुन की ऋतु को बहुत अच्‍छा माना है, उनके कवि वत्‍सभट्टि ने लिखा है –

फागुन वही है जिसमें महादेव के विषम लोचनानल से भस्‍मीभूत, अतएव पवित्र शरीर वाला होकर कामदेव जैसा अनंग देव अशोक वृक्ष, केवडे, सिंदूवार और लहराती हुई अतिमुक्‍तक लता और मदयन्तिका या मेहंदी के सद्य स्‍फुटित पुंजीभूत फूलों से अपने बाणों को समृद्ध करता है। ये ही वनस्‍पतियां इन दिनों अपना विकास करती है।
यह वही फागुन है जिसमें मकरंद पान से मस्‍त मधुपों की गूंज से नगनों की शाखा अपनी सानी नहीं रखती और नवीन फूलों के विकास रोध्र पेडों में उत्‍कर्ष और श्री की समृद्धि हो रही है। (कुमारगुप्‍त का 473 ई. का मंदसौर अभिलेख श्‍लोक 40-41)

इस अभिलेख में इस मास का नाम ‘तपस्‍य’ कहा गया है। यही नाम पुराना है, नारद संहिता (3, 81-83) में मासों के नाम में यह शामिल है। ज्‍योतिष रत्‍नमाला (1038 ई.) में भी ये पर्याय आए हैं। बारह मासों के बारह सूर्यों में इस मास के सूर्य का नाम सूर्य ही कहा गया है, देवी धात्री और देवता गोविन्‍द को बताया गया है।

यही मास है जो नवीन वर्ष को निमंत्रित करता है, होलिका दहन के साथ इस मास का समापन होगा। बहरहाल गांव गांव होलिकाएं रोंपी जा चुकी हैं, ये एक महीने की अवधि वाली हैं। मगर, ज्ञात रहे होलिका के लिए सेमल के पेडों को काटा जाना ठीक नहीं हैं, सेमल बहुत उपयोगी है।
✍🏻श्रीकृष्ण “जुगनू”

फागुन बहुत उदास है।

उदास है, क्योंकि उसके निकट अब वे हुरियारे नहीं रहे जिन्हें फागुन का वास्तविक अर्थ ज्ञात था।

वे हुरियारे अब नहीं रहे जो पलाश – पुष्पों जैसे शब्दों से जनों के मनों में टहटह गुलनार फागुन घोल देते थे।

नहीं रहे वे हुरियारे,
जो वासकज्जा, विरहोत्कंठिता, स्वाधीनपतिका, कलहांतरिता, खंडिता, विप्रलब्धा, प्रोषितभर्तृका
एवं अभिसारिका के नवोढ़ा, मुग्धा एवं प्रौढा रूपों में महीन विभेद जान कर उनके मन के अनुरूप ऐसी मीठी गारियाँ गढ़ सकें कि नायिकायें एक साथ कहत, नटत, रीझत, खिझत, मिलत, खिलत, लजियात कह उठें कि “भाग हियंवाँ से निर्लज्ज!” और उनकी भंगिमाएँ बोलें – “ए गो अउरो सुनाउ न!”

हम साहित्य ही नहीं, ऋतुओं एवं उत्सवों के भी अल्पजीवी परिवेश में जी रहे हैं जिसमें प्रत्येक को प्रत्येक अवसर, प्रत्येक घटना, प्रत्येक भावना, प्रत्येक अभिव्यक्ति को एक औपचारिकता का निर्वाह करते हुए यथासंभव शीघ्रातिशीघ्र निबटा देने की अबूझ शीघ्रता है। और आज शब्दकारों के पास ले-दे कर सरसों का एक फुलाया हुआ खेत है, जिसकी बसन्ती आभा में ही सारा बसन्त सिमटा है। किन्तु किया क्या जा सकता है? सारे पर्व, समस्त उत्सव, और उनसे संश्लिष्ट ऋतु-व्यापार तो ऋतु-विपर्यय का आखेट हो चुके हैं।

होलास्टक लग गया किन्तु कोकिल नहीं कूका। एक – दो नवहे अमोलों को छोड़ दें जिनकी युवानी तनिक पहले अँखुआ आयी थी, तो आमों पर मञ्जरियाँ तो अब तक थीं ही नहीं। प्रौढ़ सहकार तो अब जा कर धीरे-धीरे उमगने लगे हैं, उनका बसन्त में बौराना तो अभी भी ढंग से नहीं हुआ, क्योंकि आधे से अधिक फागुन तो माघ की चपेट में रहा।

फागुन बसन्त का प्रतिरूप नहीं। बसन्त की मादकता एवं सरसता का प्रतिरूप तो वैदिक मधु एवं माधव मास है। मधुमास है चैत्र और माधव मास है बैशाख। बसन्त है काम का घोषित सामन्त! काम के कोमल आक्रमण से पूर्व उसकी सैन्य-योजना का निर्धारण यह बसन्त ही करता है। गन्ध और रङ्ग से, कोकिल की कूक से, प्रकृति के हुलास से, नकुल के विलास से, किसलय से, पात से और छेड़ भरी बात से, काम के आगमन का परिवेश ये मधु एवं माधव मास ही रचते हैं। प्रकृति के गर्भाधान एवं सृजन का मास फागुन नहीं, चइत-बइसाख हैं। फागुन तो प्रकृति के प्रथम रजोदर्शन का मास है जो बताता है कि प्रकृति अब इस योग्य हो चुकी कि स्वयं काम-शर से बिद्ध हो सके एवं आपको भी बिद्ध कर सके। फागुन पियाराये झरे पातों के माध्यम से हरिद्राभिषिक्त पत्रलेख है, काम के सुबास की सूचना है, एक आमन्त्रण, काम के स्वयंवर हेतु प्रकृति का न्यौता! खर्जूर के सामयिक क्षतों से स्रवित होते रस के मदिर मधुर गंध और स्वाद के प्रति रसभाविकों को एक प्रलोभन!

फागुन बस इतना ही है।
स्वयंवर तो चइतवाँसे सजेगा!

नीरस मिथ्याडम्बर का परिवेशन करते शुष्क तर्कशास्त्री काम के सिद्धान्त से अनभिज्ञ ही रहते हैं। स्वेदन-स्नेहन की उपेक्षा कर रूक्ष घर्षण से काम का देवता तृप्त नहीं होता। उसे काया ही नहीं, मन का भी मृदु-मंथन चाहिये।

कहते हैं कि मण्डन मिश्र को शास्त्रार्थ में पराजित कर चुके आदि शंकराचार्य से मण्डन मिश्र की अर्धांगिनी श्रीमती शारदा मिश्र ने कहा था – आप ने मेरे पति को पराजित किया है आचार्य! किन्तु वह आधे हैं। गार्हस्थ पति एवं पत्नी के युग्म से पूर्ण होता है अतः उनका अर्धांग अभी अपराजित है। यदि पूर्ण विजय की अभिलाषा है तो आपको मुझसे भी शास्त्रार्थ करना होगा।

तर्कतः बात सिद्ध थी अतः शंकराचार्य ने शारदा से शास्त्रार्थ स्वीकार कर लिया।

शारदा ही शंकर एवं मण्डन के शास्त्रार्थ हेतु निर्णायक की भूमिका में थी अतः अब तक के शास्त्रार्थ में वह जान चुकी थी कि अपने विषय में तो शंकर एक घुटा हुआ तर्कशास्त्री है किन्तु रस से अनभिज्ञ है, अतः इसे घेरना हो तो इसे किसी उस भूमि में घेरना होगा जो इसका जाना न हो। इसे उस अखाड़े में पटकना होगा जहाँ इसकी गति न हो।

अतः शारदा ने पहला ही प्रश्न किया –

कलाः कियत्यो वद पुष्पधन्वनः,
किमासिका किञ्च पदं समाश्रिताः ।
पूर्वे च पक्षे कथमन्यथा स्थितिः
कथं युवत्यां कथमेव पूरुषे।।

पुष्पधन्वा कामदेव की कलायें कितनी हैं? उनका स्वरूप क्या है? वे किन-किन स्थानों का आश्रय लेती हैं? युवती हेतु एवं पुरुष हेतु उसकी स्थितियॉं कैसी हैं? पूर्व तथा पक्ष में, अर्थात प्रथम हेतु (युवती हेतु) एवं अपर हेतु (पुरुष हेतु) उसकी (काम की) स्थिति भिन्न कैसे हो जाती है?

बाल ब्रह्मचारी शंकराचार्य तो सन्न! वे क्या जानें काम की कलायें?

उन्होंने शारदा से एक मास का समय माँगा।

कहते हैं कि बसन्त में मृगया को निकला राजा अमरुक वन में ही तृषा से त्रस्त अपने प्राण खो बैठा था और तभी शंकराचार्य ने उसके रोते-बिलखते परिजनों के साथ उसका शव देखा। परकाया-प्रवेश में सिद्ध शंकर ने अपने शिष्यों को अपने देह की यत्न से रक्षा करने का आदेश दे कर तत्काल अपनी मूल काया को त्याग कर उस मृत राजा के शव में प्रविष्ट हो गये एवं मास भर यथेच्छ काम-सेवन किया।

उस अवधि के अनुभव को उन्होंने अमरुक शतक नाम के ग्रंथ में लिख दिया जो शृंगार का एक अनुपम ग्रंथ है।

मास पर्यंत स्वीकृत अवधि के बीतने से पूर्व ही वे पुनः अमरुक की काया त्याग कर अपनी प्राकृत काया में आ गये एवं उस एक मास के काम-अनुभव का लाभ ले कर उन्होंने शारदा मिश्र को शास्त्रार्थ में पराजित भी किया।

किन्तु शंकर के भीतर का शुष्क तार्किक अब रस-सिद्ध हो चुका था। अब उसकी वाणी में कर्कश तर्क की रूक्षता ही नहीं थी, रस की एक निर्बाध पयस्विनी भी थी।

क्या फागुन बस इतना ही है?

फागुन बहुत उदास है।

वह उदास है, क्योंकि उसके निकट अब वे हुरियारे नहीं रहे जिन्हें फागुन का वास्तविक अर्थ ज्ञात था।

किन्तु वह किससे कहे? कैसे कहे? कि फागुन बस सरसों के फुलाये हुए खेत नहीं! फागुन इससे कहीं बहुत अलग, और बहुत कुछ और भी है।
✍🏻त्रिलोचन नाथ तिवारी

अच्छा सुनिये!
ये जो फागुन के महीने में हम जैसे बूढ़े युवक बौरा कर उल्टा पुल्टा मजाक करने लगते हैं, उसका कारण बस इतना ही है कि आप हमारे जीवन का हिस्सा हैं। वरना सोचिये, कि जो लोग अपरिचित होने पर दूर गाँव की अप्सरा को भी मुँह न लगाते हों, वे ही अपनी ताड़का की मौसीआउत बहन जैसी भौजाई में ऐश्वर्या राय कैसे देख लेते हैं? यह अद्भुत नहीं है क्या?
जानती हैं फागुन क्यों आता है? फागुन आता है ताकि काम का मारा मानुस खेत में खिले सरसो की तरह महीने भर खिलखिला सके। ताकि मुस्कुरा सके मुंह में मञ्जरी ले कर मुस्कुरा रहे आम के पल्लवों की तरह… नहीं तो जीवन में जीने से अधिक तो मरता रहता है मनुष्य!
ड्यूटी में बॉस मार रहा है, बाजार में हमारी पहाड़ की तरह खड़ी हो चुकी इच्छाएं मार रही हैं, पैसे कमाने के लोभ में जीवन पर थोपी गयी व्यस्तता हमारे प्रेम को मार रही है, जिस आयु में मन को हवा में उड़ना चाहिए उस आयु में लड़कों को अधिक अंक लाने की विवशता दबा कर मार रही है। इस शमशान हो चुके संसार में कोई व्यक्ति अपने हृदय में आनंद की कोंपल उपजाने के लिए यदि थोड़ी फूहड़ खाद ही डाल ले तो क्या उसे माफ नहीं किया जाना चाहिये? बिल्कुल किया जाना चाहिये, बल्कि बदले में उसके ऊपर थोड़ी खाद और डाल देनी चाहिये। ताकि लहलहा जाय मन… फागुन में देवर के मजाक के बदले भौजाई की गालियों और रङ्ग के बदले गोबर फेंकने की परम्परा का यही एकमात्र कारण है। है न मजेदार?
कुछ लोगों को लगता है कि फागुन-चइत मनुष्य का बनाया हुआ है। ऐसा बिल्कुल नहीं है जी! फागुन को ईश्वर ने फुर्सत में बैठ कर रचा है। जभी इस महीने में आम किसान को कोई काम नहीं होता। फसल के लिए जो करना होता है वह कर चुके होते हैं लोग, अब बस पकने की प्रतीक्षा होती है। अब इस मुक्त समय में भी आनन्द न मनाया जाय तो कब मनाया जाएगा जी? फिर क्यों न बजे झांझ और क्यों न मचे फगुआ? जभी तो भगवान शिव ने भी अपने विवाह के लिए यही महीना चुना था। अब मनुष्य लोभ में अपना काम ही बदल ले तो क्या कहें…
कुछ लोग हैं जो बारहों महीने विमर्श ठेलते रहते हैं। हम कहते हैं रुको मरदे! बहुत बोरिंग है यह सब, फागुन को तो बख्स दो। ग्यारह महीने बनते रहो स्त्रीवादी, पुरुषवादी, राष्ट्रवादी, समाजवादी! फागुन में बस मानुस बने रहो… सरकार मेरी सुनती तो कहते, फागुन में सबकुछ करो बस चुनाव न कराओ… इस महीने में दोस्त को प्रतिद्वंदी बनते देखना बहुत दुख देता है यार!
हां तो महीने भर बौराये रहेंगे हम! कन्हैया का महीना है, सो बिंदास हो कर जीना है। इसमें कुछ बुरा लग जाय तो बुरा मानना नहीं है। समझे न!
✍🏻सर्वेश तिवारी श्रीमुख
गोपालगंज, बिहार।