आज का पंचाग आपका राशि फल, अयोध्या में बन रहा राम मंदिर एक नये युग का आरंभ है, भारतीय नव वर्ष का प्रारंभ चैत्र प्रतिपदा से ही क्यों?

*🙏🏻श्री हनुमते नमो नमः🙏🏻* 

*पुण्य लाभ के लिए इस पंचांग को औरों को भी अवश्य भेजिए🙏🏻🙏🏻*        

🌞 *~ वैदिक पंचांग ~* 🌞

🌤️ *दिनांक – 02 जनवरी 2024*

🌤️ *दिन – मंगलवार*

🌤️ *विक्रम संवत – 2080*

🌤️ *शक संवत -1945*

🌤️ *अयन – दक्षिणायन*

🌤️ *ऋतु – शिशिर ॠतु* 

🌤️ *मास – पौष ( गुजरात और महाराष्ट्र अनुसार मार्गशीर्ष)*

🌤️ *पक्ष – कृष्ण* 

🌤️ *तिथि – षष्ठी शाम 05:10 तक तत्पश्चात सप्तमी*

🌤️ *नक्षत्र – पूर्वाफाल्गुनी सुबह 11:42 तक तत्पश्चात उत्तराफाल्गुनी*

🌤️ *योग – सौभाग्य 03 जनवरी प्रातः 05:33 तक तत्पश्चात शोभन*

🌤️ *राहुकाल – शाम 03:26 से शाम 04:47 तक*

🌞 *सूर्योदय-07:17*

🌤️ *सूर्यास्त- 18:07*

👉 *दिशाशूल – उत्तर दिशा में*

🚩 *व्रत पर्व विवरण- 

💥 *विशेष – षष्ठी को नीम की पत्ती, फल या दातुन मुँह में डालने से नीच योनियों की प्राप्ति होती है। (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)*

🌷 *5 आयु-आरोग्यवर्धक चीजें एवं 5 आयुनाशक चीजें* 🌷

 👉🏻 5️⃣ *चीजों से आयुष्य और आरोग्य बढ़ता है*

➡ *1 संयम : पति – पत्नी हैं फिर भी अलग रहें, थोडा संयम से रहें |*

➡ *2 उपवास : १५ दिन में एक उपवास करें |*

➡ *3 सूर्यकिरणों का सेवन : रोज सुबह सिर को ढककर शरीर पर कम-से-कम वस्त्र धारण करके ८ मिनट सूर्य की ओर मुख व १० मिनट पीठ करके बैठें सूर्य से आँखें न लडाये *

➡ *4 प्राणायाम : प्रात:काल ३ से ५ बजे के बीच प्राणायाम करना विशेष लाभकारी है | यह समय प्राणायाम द्वारा प्राणशक्ति, मन:शक्ति, बुद्धिशक्ति विकसित करने हेतु बेजोड़ है |*

➡ *5 मंत्रजप :मंत्रजप से आयुष्य, आरोग्य बढ़ता है और भाग्य निखरता है |*

 

👉🏻 *इन 5️⃣ कारणों से आयुष्य नष्ट होता है*

 

1️⃣ *अति शरीरिक परिश्रम*

2️⃣ *भय*

3️⃣ *चिंता*

4️⃣ *कामविकार का अधिक भोग*     

5️⃣ *अंग्रेजी दवाइयाँ, कैप्सूल, इंजेक्शन, ऑपरेशन आदि की गुलामी*

   🌞 *~ वैदिक पंचांग ~* 🌞

🌷 *मणिपुर केन्द्र कैसे विकसित करें* 🌷

🌞 *सूर्य को अर्घ्य देते समय नाभि में सूर्य का ध्यान कराने से मणिपुर केन्द्र ( ७ केन्द्रों का तीसरा केन्द्र) विकसित होगा। जीवनी शक्ति में लाभ होगा |* 

   🌞 *~ वैदिक पंचांग ~* 🌞

🌷 *सफ़ेद दाग का ईलाज* 🌷

👉🏻 *सबसे पहली बात विरुद्ध आहार छोड़ दो ( सब्जी-रोटी खाये और ऊपर से थोड़ी देर बाद दूध पी लिया, दूध पिया है फिर थोड़ी देर बाद कुछ खा लिया नमक मिर्च वाला ) ….. सफेद दाग हो वे …. एक मुट्ठी काले चने, 125 मिली पानी में डाल दे सुबह 8-9 बजे डाल दे…. उसमे 10 ग्राम त्रिफला चूर्ण डाल दे, 24 घंटे वो पड़ा रहे …ढक के रह दे … 24 घंटे बाद वो छाने जितना खा सके चबाकर के खाये…. सफ़ेद दाग जल्दी मिटेंगें और होमियोपैथीक दवा लें, सफ़ेद दाग होमियोपैथी से जल्दी मिटे है |*

            आज का राशिफल

          🐐🐂💏💮🐅👩

मेष🐐 (चू, चे, चो, ला, ली, लू, ले, लो, अ)

आज के दिन आपका आत्मविश्वास बड़ा रहेगा। किसी भी कार्य को करने से पहले उसकी बारीकी से जांच करेंगे जिससे आगे भ्रमित होने की संभावना नही रहेगी। इसके विपरीत महिलाये अधिकांश कार्यो में जल्दबाजी दिखाएंगी जिस के कारण काम तो बिगड़ेगा ही साथ ही बड़ो की डांट भी सुन्नी पड़ेगी। व्यावसायिक स्थिति आपके परिश्रम के ऊपर निर्भर रहेगी नौकरी पेशाओ को भागदौड़ के बाद ही सफलता मिलेगी वही व्यवसायी वर्ग भी प्रतिस्पर्धा अधिक रहने से कुछ कमी अनुभव करेंगे। आज आप पुरानी खट्टी मीठी यादो के ताजा होने से काल्पनिक दुनिया मे भी खोये रहेंगे। परिवार के वातावरण में थोड़ी बहुत नोंकझोंक के बाद भी शांति रहेगी।

वृष🐂 (ई, ऊ, ए, ओ, वा, वी, वू, वे, वो)

आज के दिन आप मानसिक रूप से बेचैन रहेंगे। पूर्व में की गई गलतियों का भय बना रहेगा घर एवं बाहर किसी ना किसी से झगड़ा होने की संभावना है वाणी ओर व्यवहार का संतुलित प्रयोग करें अन्यथा मुश्किल होगी। धन संबंधित कार्यो को लेकर आज धैर्य दिखाये महिलाओ का मिजाज भी आज बिगड़ा रहेगा लेकिन किसी के भड़काने पर ही विवाद करेंगी अन्यथा नही। कार्य क्षेत्र पर अव्यवस्था को सुधारने की असफल कोशिश करेंगे लापरवाही के कारण लाभ के अवसर हाथ से निकल सकते है। धन लाभ मध्यान के बाद ही अचानक से होगा। आज कोई भी नई योजना ना बनाए धैर्य से समय व्यतीत करे शीघ्र ही स्थिति आपके पक्ष में होने वाली है।

मिथुन👫 (का, की, कू, घ, ङ, छ, के, को, हा)

आज का दिन आपके लिये कोई नई दुविधा लायेगा। दिन का आरंभ आलस्य में खराब होगा इसके बाद कार्यो में व्यस्त हो जाएंगे। धन लाभ की कामना आज भी आशानुकूल पूर्ण नही होगी। गुजारे योग्य आय से ही काम चलाना पड़ेगा। कार्य व्यवसाय में प्रतिस्पर्धा कम रहेगी फिर भी इसका कोई विशेष लाभ आपको नही मिल सकेगा। आज आपका मन अनर्गल प्रवृतियों में ज्यादा भटकेगा। मौज-शौक के अवसर खाली नही जाने देंगे इनपर खर्च भी आंख बंद करके करेंगे। महिलाये परिवार में किसी सदस्य की उद्दंडता से परेशान रहेंगी लेकिन अपने कार्य व्यवस्थित रखेंगी। घुटनो में दर्द अथवा अन्य शारीरिक परेशानी रहेगी आय की अपेक्षा व्यय अधिक होगा।

कर्क🦀 (ही, हू, हे, हो, डा, डी, डू, डे, डो)

आज का दिन आपके लिए साधारण रहेगा। आज आपके अंदर आत्म संतोष की भावना रहने से अतिआवश्यक कार्यो को छोड़ अन्य किसी भी कार्य को करने के लिए ज्यादा भागदौड़ करना पसंद नही करेंगे। नौकरी वाले लोग कार्य क्षेत्र पर टालमटोल वाले रवैये के कारण अपमानित हो सकते है। महिलाये भी आज सीमित साधनों से निर्वाह कर लेंगी। आर्थिक लाभ कम लेकीन आवश्यकता के समय होगा। पूजा पाठ में मन की एकग्रता नही रख सकेंगे। आज आप अपने कार्यो की अपेक्षा अन्य लोगो के लिये ज्यादा सहयोगी सिद्ध होंगे। स्वास्थ्य छोटी-मोटी परेशानियों को छोड़ सामान्य बना रहेगा। बुजुर्गो का सानिध्य मिलेगा।

सिंह🦁 (मा, मी, मू, मे, मो, टा, टी, टू, टे)

आज का दिन आपके लिये लाभदायक है लेकिन आज स्वभाव की चंचलता पल पल पर आपके कार्यो में विघ्न डालेगी। अकड़ू स्वभाव के कारण अपनी बात के आगे किसी की नही चलने देंगे। कार्य व्यवसाय में थोड़े से परिश्रम के बाद वृद्धि के साथ धन लाभ भी होगा। सहयोगियों का ईर्ष्यालु व्यवहार कुछ समय के लिये परेशानी खड़ी करेगा लेकिन आज आपमें भी अहंकार की भावना रहने से किसी की बातो की परवाह नही करेंगे। महिलाये आज काम की अपेक्षा बखान ज्यादा करेंगी। मित्र रिश्तेदारी में जाना पड़ेगा। उपहार अथवा अन्य लेनदेन पर खर्च होगा। विरोधी प्रबल रहेंगे लेकिन आपका अहित नही कर सकेंगे। परिवार के बुजुर्गो एवं बच्चों की सेहत का ध्यान रखें। यात्रा के योग बनते-बनते निरस्त हो सकते है।

कन्या👩 (टो, पा, पी, पू, ष, ण, ठ, पे, पो)

आज का दिन आपके लिये विपरीत फलदायक रहेगा कल तक जो आपकी सहायता अथवा समर्थन कर रहे थे आज वे ही आवश्यकता के समय पल्ला झाड़ते नजर आएंगे। कार्य क्षेत्र पर लाभ की आशा की जगह किसी गलती के कारण हानि होने की संभावना है। आज आप आर्थिक संबंधित कार्यो को लेकर किसी अन्य के भरोसे ना बैठे निराशा ही मिलेगी। किसी से कोई वादा ना करें पूरा नही कर पाएंगे। महिलाये भी आज प्रत्येक कार्य देखभाल कर ही करें बिगड़ने की संभावना अधिक है। नौकरी वाले लोगो को कार्य मुक्त अथवा किसी नापसंद कार्य से लगाया जाने से नई उलझन बढ़ेगी। धन की आमद न्यून आकस्मिक खर्च अधिक रहने से बजट बिगड़ेगा। मानसिक विकार आएंगे।

तुला⚖️ (रा, री, रू, रे, रो, ता, ती, तू, ते)

आज का दिन भी आपके अनुकूल बना रहेगा। आज आपका मिलनसार व्यवहार एवं मृदु वाणी सभी क्षेत्र पर जय कराएगी। प्रतिद्वन्दी भी आज आपकी कार्य कुशलता से प्रभावित होंगे। नौकरी वाले लोग अधिकारियों का सानिध्य मिलने से आत्मविश्वास से भरे रहेंगे। कार्य क्षेत्र पर महिला मित्रो का महत्त्वपूर्ण सहयोग मिलेगा संबंधों में भी समीपता आएगी। धन लाभ के लिये आज ज्यादा परेशान नही होना पड़ेगा पुराने कार्यो से बैठे बिठाये हो जाएगा लेकिन नए अनुबंध मिलने में संध्या तक इंतजार करना पड़ेगा। पारिवारिक वातावरण आज आनंदित रहेगा सभी सदस्यों में आपसी तालमेल बना रहेगा। पैतृक मामलो को लेकर अपना मत प्रकट ना करें।

वृश्चिक🦂 (तो, ना, नी, नू, ने, नो, या, यी, यू)

बीते कल की अपेक्षा आज परिस्थितियों में सुधार अनुभव करेंगे। आज आप जिस भी कार्य को आरम्भ करेंगे उसके शुरुआत में कोई ना कोई बाधा आएगी परन्तु धैर्य धारण कर लगे रहे सफलता निश्चित मिलेगी। आज आपके लटके सरकारी कार्य पूर्ण होने की भी संभावना है अधिकारी वर्ग से बहस ना करें। व्यवसाय में आज कुछ बदलाव लाने का प्रयास भी करेंगे परन्तु इसमे पूर्ण सफलता नही मिल सकेगी। धन लाभ आवश्यकता अनुसार हो जाएगा लेकिन दिखावे की मनोवृत्ति भी रहने से फिजूल के खर्च भी रहेंगे। महिलाये आज पारिवारिक जिम्मेदारी को किसी अन्य को सौपकर स्वयं निश्चिन्त रहना पसंद करेंगी फिर भी आवश्यकता पड़ने पर सहयोग करेंगी।

धनु🏹 (ये, यो, भा, भी, भू, ध, फा, ढा, भे)

आज का दिन आपके लिए भाग्योदय कारक रहेगा लेकिन उन्नति पाने के लिए आज अपना हठी स्वभाव त्यागना पड़ेगा साथ ही सभी से मित्रवत व्यवहार करना पड़ेगा। आय एक से अधिक साधनों से होगी पर विघ्न डालने वाले भी अधिक रहेंगे अनुभवियों की राय भी आज गलत हो सकती है इसलिये अपने ही विवेक से कार्य करें। व्यवसाय एवं नौकरी में संभावित के साथ अतिरिक्त आय बनाने के अवसर मिलेंगे। महिलाये आज गृहस्थ में खरीददारी के ऊपर ध्यान देंगी सुख के साधनों में वृद्धि होगी इनपर खर्च भी अधिक रहेगा परन्तु अनावश्यक नही लगेगा। संताने मनोकामना पूर्ति होने से प्रसंन्न रहेंगी। बुजुर्ग आपको आडम्बर युक्त दिनचार्य से अवश्य असहमति दिखाएंगे। आरोग्य बना रहेगा।

मकर🐊 (भो, जा, जी, खी, खू, खा, खो, गा, गी)

आज का दिन आपके प्रतिकूल रहेगा। आज आपको स्वास्थ्य के प्रति अधिक सतर्क रहने की आवश्यकता है। खाने पीने में भी सावधानी रखें पेट संबंधित व्याधि अन्य रोगों के जन्म का कारण बनेगी। जोखिम वाले कार्यो से बचकर रहना आज हितकर रहेगा। व्यवसायिक क्षेत्र पर भी आज कार्यो को स्वतः ही होने दें धन संबंधित मामलों में जोर-जबरदस्ती हानि ही कराएगी। धन लाभ के लिये परिश्रम अधिक करना पड़ेगा फिर भी आशानुकूल नही होगा महिलाओ को भी आज वाणी पर नियंत्रण रखने की आवश्यकता है बेतुकी बाते व्यर्थ के विवाद को जन्म देंगी। मित्र-स्नेहीजन से अशुभ समाचार मिल सकता है। मन किसी अरिष्ट की आशंका से व्याकुल रहेगा। धैर्य से आज का दिन बिताये।

कुंभ🍯 (गू, गे, गो, सा, सी, सू, से, सो, दा)

आज का दिन आपको शुभफलो की प्राप्ति कराएगा। महिलाये आज कार्य क्षेत्र पर ज्यादा प्रभावशाली रहेंगी। आज आप जिस कार्य को करने की ठान लेंगे उसे अकेले ही पूर्ण करने का सामर्थ्य रखेंगे। व्यवसायी वर्ग को अकस्मात लाभ के अनुबंध मिलेंगे धन लाभ भी बीच बीच मे होते रहने से जोखिम वाले कार्य करने में हिचकेंगे नही। आज आपका कंजूस स्वभाव परिजनों के लिये परेशानी करेगा समय पर मांग पूरी ना होने पर घर मे रूठना मनाना लगा रहेगा। महिलाये मनोरंजन को छोड़ भविष्य के लिये संचय करेंगी। नौकरी पेशा जातको को आज कोई महत्त्वपूर्ण कार्य सौंपा जाएगा आरम्भ में यह परेशानी वाला परन्तु अंत मे सम्मान के साथ ही अतिरिक्त आय भी प्रदान करेगा।

मीन🐳 (दी, दू, थ, झ, ञ, दे, दो, चा, ची)

आज का दिन आपके लिये राहत भरा रहेगा। बीमार लोगो की सेहत में सुधार आएगा। आज आप व्यावसायिक कार्यो को ज्यादा महत्त्व ना देकर सार्वजनिक अथवा धार्मिक कार्यो में लिप्त रहेंगे। समाज मे मान-सम्मान बढेगा परन्तु घर मे आपका अनादर होगा। आर्थिक मामले लचीले व्यवहार के कारण लंबित रहेंगे फिर भी निर्वाह योग्य आय बना ही लेंगे। व्यावसायिक अथवा अन्य पर्यटक यात्रा के प्रसंग बनेंगे इन्हें भी टालने का भरपूर प्रयास करेंगे आर्थिक दृष्टिकोण से यह निर्णय हित में ही रहेगा। परिवार के बुजुर्ग आपकी किसी बुरी आदत से परेशान रहेंगे महिलाये आज आध्यात्म में ज्यादा रुचि लेंगी घर अस्त-व्यस्त कार्यो को सुधारने में गुस्सा आएगा। सेहत आलस्य को छोड़ सामान्य ही रहेगी।

🚩🚩 *” ll जय श्री राम ll “* 🌹🌹

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*☆ अयोध्या में किसका मंदिर बन रहा है?*

▪क्या भगवान “राम” का? *नहीं।*
क्योंकि वे स्वयं परमात्मा स्वरूप हैं, सारा जगत ही उनका मंदिर है।

▪क्या राजा रामचन्द्र जी का? *नहीं।*
क्योंकि पृथ्वी पर कई राजा आये और गए, बड़े बड़े सम्राट आये और गए, सब अपने आलीशान महलों को यहीं छोड़के चले गए।

▪क्या भाजपा के जय श्रीराम का? *नहीं।*
क्योंकि इस मंदिर के लिए पिछले 500 सालों से अब तक लाखों लोगों ने लड़ाइयां लड़ी हैं और अपनी जानें गंवाई है। आज तक विश्वभर के करोड़ों गैर राजनीतिक लोग राम मंदिर बनने का सपना देखते आ रहे हैं।

*☆ तो फिर ये मंदिर बन किसका रहा है?*

यह मंदिर बन रहा है *हिंदू अस्मिता* का, जिसे सैकड़ो वर्षों से रौंदा जा रहा था।
हिंदू आत्म सम्मान का, जिसे लगातार ठेस पहुंचाई जा रही थी।
उदार हिंदुओं की गरिमा और गौरव का, जिसे आतताइयों ने बेरहमी से कुचला था कभी।

यह मंदिर हिंदू पुनर्जागरण का प्रतीक है। हिंदू पुनरुत्थान की उद्घोषणा है। हिंदू आत्म विश्वास के पुनः उठ खड़े होने का सूचक है। प्राचीन अस्त हिंदू सभ्यता के उदय होने का शंखनाद है।
*लाखों हिंदू-सिक्ख-जैन-बौद्ध बलिदानियों के लिए श्रद्धांजलि है ये मंदिर।*

*यह मंदिर उन परमपिता परमेश्वर श्री राम का मंदिर है* जो प्रत्येक हिंदू के हृदय में इस श्रद्धा विश्वास के रूप में विद्यमान थे कि एक दिन उनका भी दिन आएगा और वे पुनः अपनी खोई हुई शक्ति दर्प और स्वाभिमान को वापस प्राप्त कर लेंगे।

सभी श्री राम भक्त हिन्दू २२ जनवरी २०२४ को अपने अपने घरों में रामायण का पाठ करें, दिए जलाएं, शंखनाद करें, घंटियाँ बजाएं, कीर्तन-भजन करें, ढोलक मृदंग डमरू इत्यादि जो कुछ भी जिनके पास जो है वह बजाएं इससे पूरी दुनियां को संदेश जाएगा कि हिंदू जाग गया है, हिंदुओं के एक नए युग का प्रारंभ हो चुका हैं।

#राम काल्पनिक है तो प्राण प्रतिष्ठा का निमंत्रण क्यों चाहिए और #श्रीराम सब के है

तो 21 वकील क्यो खड़े किये थे जबाब तो देना पड़ेगा🤔

🚩🚩🌷🙏जय श्रीराम🙏🌷🚩🚩

भारतीय नव वर्ष का प्रारंभ चैत्र प्रतिपदा से ही क्यों?
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भारतीय नववर्ष का प्रारंभ चैत्र शुक्ल प्रतिपदा से ही माना जाता है और इसी दिन से ग्रहों, वारों, मासों और संवत्सरों का प्रारंभ गणितीय और खगोल शास्त्रीय संगणना के अनुसार माना जाता है । आज भी जनमानस से जुड़ी हुई यही शास्त्रसम्मत कालगणना व्यावहारिकता की कसौटी पर खरी उतरी है । इसे राष्ट्रीय गौरवशाली परंपरा का प्रतीक माना जाता है । विक्रमी संवत किसी संकुचित विचारधारा या पंथाश्रित नहीं है । हम इसको पंथ निरपेक्ष रूप में देखते हैं । यह संवत्सर किसी देवी, देवता या महान पुरुष के जन्म पर आधारित नहीं, ईस्वी या हिजरी सन की तरह किसी जाति अथवा संप्रदाय विशेष का नहीं है । हमारी गौरवशाली परंपरा विशुद्ध अर्थों में प्रकृति के खगोलशास्त्रीय सिद्धातों पर आधारित है और भारतीय कालगणना का आधार पूर्णतया पंथ निरपेक्ष है । प्रतिपदा का यह शुभ दिन भारत राष्ट्र की गौरवशाली परंपरा का प्रतीक है । ब्रह्म पुराण के अनुसार चैत्रमास के प्रथम दिन ही ब्रह्मा ने सृष्टि संरचना प्रारंभ की । यह भारतीयों की मान्यता है, इसीलिए हम चैत्र शुक्ल प्रतिपदा से नववर्षारंभ मानते हैं ।

आज भी हमारे देश में प्रकृति, शिक्षा तथा राजकीय कोष आदि के चालन-संचालन में मार्च, अप्रैल के रूप में चैत्र शुक्ल प्रतिपदा को ही देखते हैं। यह समय दो ऋतुओं का संधिकाल है। इसमें रातें छोटी और दिन बड़े होने लगते हैं । प्रकृति नया रूप धर लेती है । प्रतीत होता है कि प्रकृति नवपल्लव धारण कर नव संरचना के लिए ऊर्जस्वित होती है । मानव, पशु-पक्षी, यहां तक कि जड़-चेतन प्रकृति भी प्रमाद और आलस्य को त्याग सचेतन हो जाती है । वसंतोत्सव का भी यही आधार है । इसी समय बर्फ पिघलने लगती है । आमों पर बौर आने लगता है । प्रकृति की हरीतिमा नवजीवन का प्रतीक बनकर हमारे जीवन से जुड़ जाती है ।

इसी प्रतिपदा के दिन आज से 2054 वर्ष पूर्व उज्जयनी नरेश महाराज विक्रमादित्य ने विदेशी आक्रांत शकों से भारत-भू का रक्षण किया और इसी दिन से काल गणना प्रारंभ की । उपकृत राष्ट्र ने भी उन्हीं महाराज के नाम से विक्रमी संवत कह कर पुकारा। महाराज विक्रमादित्य ने आज से 2054 वर्ष पूर्व राष्ट्र को सुसंगठित कर शकों की शक्ति का उन्मूलन कर देश से भगा दिया और उनके ही मूल स्थान अरब में विजयश्री प्राप्त की। साथ ही यवन, हूण, तुषार, पारसिक तथा कंबोज देशों पर अपनी विजय ध्वजा फहराई । उसी के स्मृति स्वरूप यह प्रतिपदा संवत्सर के रूप में मनाई जाती थी और यह क्रम पृथ्वीराज चौहान के समय तक चला । महाराजा विक्रमादित्य ने भारत की ही नहीं, अपितु समस्त विश्व की सृष्टि की । सबसे प्राचीन कालगणना के आधार पर ही प्रतिपदा के दिन को विक्रमी संवत के रूप में अभिषिक्त किया । इसी दिन मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान रामचंद्र के राज्याभिषेक अथवा रोहण के रूप में मनाया गया । यह दिन ही वास्तव में असत्य पर सत्य की विजय दिलाने वाला है । इसी दिन महाराज युधिष्टिर का भी राज्याभिषेक हुआ और महाराजा विक्रमादित्य ने भी शकों पर विजय के उत्सव के रूप में मनाया।

आज भी यह दिन हमारे सामाजिक और धाíमक कार्यों के अनुष्ठान की धुरी के रूप में तिथि बनाकर मान्यता प्राप्त कर चुका है। यह राष्ट्रीय स्वाभिमान और सांस्कृतिक धरोहर को बचाने वाला पुण्य दिवस है। हम प्रतिपदा से प्रारंभ कर नौ दिन में छह मास के लिए शक्ति संचय करते हैं, फिर अश्विन मास की नवरात्रि में शेष छह मास के लिए शक्ति संचय करते हैं ।

पूरे विश्व में ९६ में प्रकार की कैलेंडर है, अकेले भारत में १२ अलग-अलग नव वर्ष मनाने की परंपरा है। भारत में कुल ३६ कैलेंडर चलते थे जिसमें २४ कैलेंडर अब प्रचलन में नहीं हैं। पूरे विश्व में सबसे अधिक प्राचीन कैलेंडर #विक्रम_संवत है जो मार्च-अप्रैल में प्रारंभ होता है और यह भारत में बहुत प्रचलित है। पश्चिमी आस्ट्रेलिया में कुछ जगह नववर्ष ३० अक्टूबर को मनाया जाता है। अधिकतर देशों में नववर्ष फरवरी से अप्रैल के बीच मनाया जाता है। पूरे विश्व में ग्रेगोरियन कैलेंडर जो १ जनवरी से प्रारंभ होता है वो सबसे अधिक प्रचलित है। इसका प्रमुख कारण ग्रेगोरियन कैलेंडर अंग्रेजों का है और अंग्रेजों ने पूरे विश्व में राज किया।

सबसे पहले अंग्रेजी नववर्ष प्रशांत महासागर के किरिबाती द्विप में मनाई जाती है उस समय भारत में दोपहर के साढ़े तीन बज रहे होते हैं। इसके बात फिजी व न्यूजीलैंड में मनाया जाता है। सबसे अधिक विलंब से हाउलैंड में अंग्रेजी नववर्ष मनाया जाता है उस समय भारत में १ जनवरी के शाम साढ़े ५ बज रहे होते हैं।

मुश्किल था, नामुमकिन नहीं… *2024 आते आते…* आखिरकार… गधा दिवस प्रचलित हुआ…

*टोपियां उतर रही हैं, नकाब जा रहे हैं,*
*बकरों की, बकरियों की,*
*सब पोल खुल रही है,*
*बुर्का नशीन लोगां, सरेआम गा रहे हैं,*
*मेरे राम आ रहे हैं, तेरे राम आ रहे हैं!*

*बाबरी के दावेदार,*
*फूल बरसा रहे हैं*
*कमला हसन, रहमा*
*सरे आम गा रहे हैं,*
*मेरे राम आ रहे हैं, तेरे राम आ रहे हैं!*

जी हां… अंग्रेजी गधा दिवस *2024 के आते आते सबकी पोल खुल रही* है…

हमारी *धरती नहीं, बल्कि सूरज धरती के चक्कर लगाता है, ऐसा बाइबिल में लिखा है तो यही सही है!?*

ऐसी मूर्खतापूर्ण, अवैज्ञानिक बकवास करने वाली, किसी जमाने में *वैटिकन की सबसे बड़ी बैंकर,* इंदिरा की खास मित्र, इमरजेंसी की वकालत करने वाली, मदर टेरेसा इसलिए भारत रत्न दे दिया, अब पता चल रहा है *कोई संत वंत नहीं थी,* बल्कि अब धर्मांतरण माफिया थी, *शैतान मानसिकता वाली, इस मिशनरी और धर्मांतरण माफिया वैटिकन समेत, बाइबल और ईसाईयत के फ्रॉड अवैज्ञानिक कल्ट की पोल भी, अब खुल चुकी है, भगवान हैं नहीं, भगवान का पुत्र है, बाप का पता नहीं, मां खुश (मैंरी) है!?*

एक तरफ जहां *अज्ञात लोगों द्वारा दुनिया भर में आतंकवादियों का सफाया किया जा रहा है,* तो दूसरी तरफ, खुले मंच से एस्थर धनराज *Eshther Dhanraj* और अरूप चटर्जी *Aroop Chaterji* जैसे लोग तथ्यों के साथ बता रहे हैं, इनका मानना है, कि *वैश्विक आतंकवाद, समेत, दुनिया भर के राष्ट्रों और वहां मूल निवासियों के खूनी खेला, और सांस्कृतिक विनाश की, असली जड़ है, मुफ्तखोरी फैलाने वाला, धर्मांतरण माफिया!?*

आज *सूचना प्रौद्योगिकी के काल में, सभी जानते हैं,* और मानते हैं कि, *धरती को चपटा बताने वाले दकियानूसी चटाई बाज मौलाना, और गैलीलियो को दबाने वाले अवैज्ञानिक चर्च दोनों ही हत्या, लूट, बलात्कार, और कब्जा संस्कृति से उपजे, और आधुनिक विकास क्रम में, पूंजीवादी बने, अल्कोहल, टोबैको, फ्यूल, फार्मास्यूटिकल, तेल और ड्रग के कोरोना माफिया कल्ट हैं* कोई *धर्म नहीं,* बल्कि *दुनिया भर में, आतंकवाद फैलाने वाली, हथियार बनाने वाली फर्म हैं!*

*सभी जानकर समझ चुके* हैं कि *पूरी दुनिया में,* पिछले मात्र *1500 से 2000 वर्षों में, तेजी से, एक वैश्विक षडयंत्र के तहत, पनपाई गई, इस जोशुआ जेहादी अब्राहमिक ठगबंधन की, अंग्रेजी ईसाई और मुगल व्याभिचारी, वैचारिक, गंदगी से छुटकारा पाकर, अपने मूल घर में वापसी करने का, सही समय है, यही समय है,* अभी नहीं तो कभी नहीं…

*अरब देशों में तो बड़ी संख्या में लोग अपने मूल धर्म में वापसी कर, अपनी तीन देवियों की उपासना करने लगे हैं,* उनके दर्शन करने को उमड़ रहे हैं, और पश्चिमी देशों में तो *#Awesome_Without_Allah* मुहिम चल रही है!?

*अब क्या कहेंगे यहां के लालच, भय, गरीबी, कायरता से कन्वर्ट हो चुके मौलाना जो कहते थे अब्बा अरब से आए, अब अरब खुद कह रहा है, इस्लाम बीमारी है, जिसने हमारी मूल संस्कृति को नष्ट कर दिया!?*

*छोटे अब्राहमिक भाई यानी जेहादी इस्लाम का ही नहीं, बड़े भाई जोशुआ ईसाईयत का भी बहुत ही बुरा हाल* है… दोनों की पूरी दुनिया में *भद्द पिटी हुई है…*

*Eshther Dhanraj* जैसी पढ़ी लिखी ईसाई विद्वान महिला, खुद यूट्यूब पर आकर *ईसाईयत को सेवा की आड़ में शुरू किया, एक बकवास षडयंत्र बता रही हैं?*

कलकत्ता के *अरूप चटर्जी* ने *मदर टेरेसा की असलियत खोल कर रख दी है,* और दुनिया भर में *मदर टेरेसा को संत नहीं बल्कि वैटिकन द्वारा प्रचार के लिए भेजा गए एक शैतान की उपाधि दी जा रही है!?*

*अयोध्या, मथुरा, काशी में वृहत समाज का जागरण, तो केवल झांकी है!*

नए भारत में *जातिवाद, अलगाववाद, भाषावाद, क्षेत्रवाद फैलाने वाली गंदगी की सफाई,* शिव, राम, कृष्ण का आगमन, *मटन खोर नमाजी, साईं उर्फ चांद मियां, हिंजड़ा ख्वाजा, बलात्कारी खादिमों, मजार, दरगाह बाजों का सूपड़ा साफ,* होना, *स्वच्छ भारत अभियान का अगला चरण, घर वापसी, एकमात्र विकल्प,* अभी तो, *गुलामी की मानसिकता की गंदगी से वैचारिक मुक्ति का महायाग,* अभी तो *पूरा भारत, बाकी है!*

बताना जरूरी नहीं, *अभी सभी हिंदूविरोधी नेताओं की जालीदार टोपियां उतर गई हैं, गौमांस भक्षक ईसाई मुसलमान रक्त दूषित परिवार वाले पुस्तैनी लुटेरे भी कोट पर जनेऊ डालकर घूम रहे हैं,* सब समझ रहे हैं, और सब जानते भी हैं कि… *ये केवल मोदी, योगी, शाह, संघ, भाजपा, वीएचपी, बजरंग दल अथवा किसी भी सामाजिक, धार्मिक, राजनैतिक, संगठन ट्रस्ट के लिए संभव कार्य नहीं था, ना ही हो सकता था!*

ये संभव हुआ, सनातनी गुरुओं, सिक्खों के बलिदान से, हिंदुओं की पीढ़ियों के त्याग तपस्चर्या से, एकजुट होकर डाले गए हिंदू वोटों से… और उसकी वजह है…

व्यक्तिगत, सामूहिक प्रयास से, हम सभी, अपने वास्तविक *इतिहास, ऐतिहासिक घटनाओं, व्यक्तियों, कथाओं का सही परिप्रेक्ष्य जान* सके, *सकारात्मक विचार संप्रेषण* से, *राष्ट्र के अध्यात्मिक, सामाजिक, वैचारिक उत्थान और सर्वांगीण विकास के प्रति उद्धत* हुए और *स्वच्छ भारत अभियान* से प्रेरणा लेकर *देश को स्वच्छता के प्रति जागरूक करने* से, और *सकारात्मक, रचनात्मक, तरीके से देश से अध्यात्मिक, सामाजिक, और वैचारिक विषमता हटाने, राष्ट्रीय एकता बढ़ाने के प्रति प्रतिबद्ध हुए…*

इसी कड़ी में एक और…

*अवैज्ञानिक, ग्रेगेरियन कैलेंडर, के हिसाब से आज अंग्रेजी नववर्ष है, ऐसा कैलेंडर, जिसमें अधिक मास, मलमास जैसी सामान्य गणना, जो हमारे गांव के पुरोहित का छोटा बेटा भी कर लेता है, नहीं कर सकते,* इसके अतिरिक्त *किसी भी तरह की भौगोलिक गति, गणना, वैज्ञानिक, अथवा प्राकृतिक बदलाव के लिए इसमें कोई संकेत तक नहीं* ये रौंग नंबर है!

क्योंकि इसमें तो बस *मंडे को आधुनिक अंग्रेज मालिकों की फैक्ट्री में काम करने वाली मजदूरी और फ्राइडे, सैटरडे को अंग्रेजों की बनाई शराब से दारूखोरी* और *संडे को ईसाई चर्च जाने के अलावा, किसी भगवान, प्रकृति, पूजा, आदि का कोई जिक्र नहीं,* बल्कि *एक भगवान के पुत्र के नाम पर बनाए क्रिसमस और फिर न्यू ईयर की बकवास के अलावा, कुछ नहीं है इसमें!?*

फिर भी इसको, अपने अधीन रहे देशों में, जनता को मूर्ख बनाकर, धूर्त अंग्रेजों द्वारा थोपा गया ये *गधा कैलेंडर, प्रचलन में आने का आंकलन करने पर साफ पता चलता है, इसका एक बड़ा कारण* हो सकता है, *अंग्रेजी शिक्षा के नाम पर, कंठ लंगोट (टाई बांधे) पढ़े लिखे मजदूर बनाकर, कैरियर के नाम पर, गधों की संख्या में तेजी से की गई बढ़ोतरी!*

इसके अलावा *मंदबुद्धियों की संख्या में इजाफा करने के लिए,* पूरे भारत में *सत्ता सरंक्षण में थोपी गई अंग्रेजी और अंग्रेजियत की बीमारी फैलाने हेतु, ईसाई मिशनरी, मैकाले का अनैतिक शिक्षा थोपना* और *लालची धर्मांतरित, वामपंथी, क्रिप्टो, शिक्षा माफिया द्वारा, भारत के वास्तविक इतिहास, हमारी वैज्ञानिक लिपि और भाषा संस्कृत और उन्नत साहित्य, वैदिक ज्ञान, विज्ञान, गणित से अगली पीढ़ियों की, एक बड़े खेला, षडयंत्र, हेतु की गई दूरी!?*

इसके बावजूद भी, *आज भी, भारत के किसी भी भाषा, क्षेत्र, में निवास करने वाले भगवान राम, कृष्ण, शिव को मानने वाले, सनातनी भारतीय* अभी तक भी *पंचांग को ही मानते हैं, चाहे लाख मिलावट कर लो, पर तिथि से संस्कार और अच्छे कार्य किए जाते हैं* इसके लिए अंग्रेजी और मुगलिया षडयंत्र दूर करने हेतु, पीढ़ी दर पीढ़ी हत्या, लूट, बलात्कार, सामूहिक नरसंहार, झेल कर भी अपने उद्देश्य में लगे रहे, *विद्वान, धर्मरक्षकों को शिव नमन, साधुवाद!*

सभी जानते हैं कि *अंग्रेजी गुलाम रहे, सभी औपनिवेशिक देशों में ईसाई, अवैज्ञानिक कैलेंडर, मनाने की परंपरा, जबरदस्ती थोपी गई! धीरे धीरे कुछ पीढ़ी के बाद, लोगों को इसकी आदत ही हो गई,* लेकिन *भारत में और अन्य कई देशों में,* आज भी इसे अलग अलग भाषा में *”गुलाम मानसिकता वाला, गधा दिवस”* ही कहते हैं!

इन्हीं ईस्ट *इंडिया कंपनी वाले अंग्रेजों के गुलाम रहे देशों में कॉमनवेल्थ गेम्स भी मनाए जाते हैं!?*

स्मरण रहे, जैसा कि बताया गया, कई अन्य देशों में जैसे *वियतनाम, दक्षिण कोरिया और मंगोलिया (फरवरी के पहले सप्ताह में चंद्र कैलेंडर से), संयुक्त अरब अमीरात, ईरान (पारसी कैलेंडर नवरोज), सऊदी अरब, थाईलैंड अप्रैल (सोंग्रकण, ठंडा पानी एक दूसरे पर फेंककर होली जैसे), श्रीलंका (सिंहली नव वर्ष या अलुथ अवुरुद्दा) यहां तक रूस और यूक्रेन (14 जनवरी को अपने कैलेंडर से नववर्ष मनाते हैं) और तो और पाकिस्तान तक में वो (मुहर्रम मनाते हैं)* अंग्रेजी नववर्ष नहीं मनाते!

दरअसल *अंग्रेज, ईसाई धर्मांतरण माफियाओं ने, एक विशेष षडयंत्र के तहत, उस देश के मूल कैलेंडर को ही शासन, प्रशासन से निकालने के लिए, ताकि लोग स्थानीय पर्व, त्यौहार, तिथि और ईश्वर को भूलकर, मुफ्तखोरी फैलाकर धर्मांतरण करने वाले माफिया सैंटा, और अपने मन से बनाए गए, भगवान के पुत्र के नाम को याद रखें* दुनिया भर के अन्य *(षडयंत्र) दिवस, जैसे वेलेंटाइन डे आदि, मनवाने शुरू कर दिए!?*

मदर डे से लेकर फादर डे हो या फिर *हग* दिवस तक, *चॉकलेट, केक, उपहारों की ऐसी परंपरा विकसित की गई जिसका लाभ, अंततः, विधर्मी, मानसिकता को आगे बढ़ाने* के कार्य में लिप्त *व्यापारिक (चॉकलेटी अमेजन, नेस्टले, कैडबरीज) घरानों को ही होता है!*

दिलचस्प पहलू ये है कि, अधिकांश पढ़े लिखे लोग भी आज तक नहीं जानते, या फिर *खाओ, खुजाओ, बत्ती बुझाओ, संस्कृति में इतना डूब चुके हैं* कि ऑफलाइन और ऑनलाइन लूट का कितना बड़ा हिस्सा, *मुस्लिम ब्रदरहुड, जकात फाउंडेशन, इंटरफेथ ग्रोथ फाउंडेशन, फोर्ड, अशोका, कबीर होते हुए खुजली वाले जोकर माफियाओं तक पहुंचता है* वो जानकर भी उदासीन बने हुए हैं!

कई *बड़े माफिया तो, मूल निवासियों को, जमीन हेतु कर्ज अथवा सोने के बदले पर दिए कर्ज से मुक्त करने हेतु उनको कन्वर्ट तक करने का खेला तक चलाते हैं!?*

किसी भी जगह के, *मूल निवासियों से ही कमाए गए, धन के बल पर, दुनिया के अलग अलग देशों में,* जो कि *क्षेत्रफल और जनसंख्या आदि के हिसाब से देखें तो, भारत जैसे बड़े राष्ट्र के (नशे में डुबोया दिल्ली और पंजाब) राज्य के बराबर ही हैं,* विदेशी *धर्मांतरण का विधर्मी खेला, खूनी खेला, खुलकर चलाया जा रहा है!*

जैसे *यूक्रेन* या *सिंगापुर* आदि सब जगह *आम आदमी से मिलते जुलते नामों वाला नकली क्रांति आंदोलनजीवी माफिया है,* जो *मिजोरम, मणिपुर हो या केरल, कश्मीर, पश्चिम बंगाल, या फिर कर्नाटक से मारवाड़ी हिंदुओं को भगाने हेतु, भाषा, जाति के नाम पर,* वर्तमान में चलाया जा रहा *धर्मान्तरण मिशनरी के एक इशारे पर लाउडस्पीकर लेकर, वहां की राष्ट्रवादी, मूलनिवासियों की सरकार के विरोध में, सड़कों पर आ जाता है!?*

समझने वाली बात ये है कि *इस प्रकार दुनिया के बड़े हिस्से में, आधुनिक ईस्ट इंडिया कंपनी,* अमेजन टाइप, ब्रांड चलाकर, अप्रत्यक्ष रूप से, *सोरोस जैसे माफिया,* आम आदमी जैसे मिलते जुलते नामों पर *अपनी सरकार चलाते हैं!*

परिणामत: *अतीत की मदर टेरेसा, जेवियर जैसे पिशाचों को नकली संत बनाकर,* वर्तमान में *योहानन, सायरो मालाबार चर्च, अंकुर नरूला, सोनू सूद सरीखे क्रिप्टो, धर्मांतरण माफिया, आगे खड़े करके,* पहले बीमारी फैलाते हैं, फिर *मुफ्त की सेवा के नाम पर अपना पर्वट गैंग बनाता है,* फिर शुरू होता है, *धर्मांतरण का विधर्मी कुचक्र!?*

*प्रमुख बात ये है,* दोनों अब्राहमिक भाई *ईसाई और मुसलमान* के कब्जे से, अभी तक बच गए राष्ट्रों में भी *अपने कैलेंडर, तारीख को भूलता मूल समाज, अपने अपभ्रंश होते पर्व, परंपरा, मूल्यों और संस्कृति से ही नहीं दूर हो रहा,* बल्कि *विधर्मी जोशुआ जेहादी अब्राहमिक संस्कृति के मांसाहार की तरह* ऐसा चतुराई से, *मेरिनेड* किया जा रहा है, कि वो *लगभग मृतप्राय है,* अगर आप उसे जगाने की *कोशिश भी करें, तो प्रथम दृष्ट्या, कई बार, ये आपको भी व्यर्थ कार्य ही, नजर आएगा!?*

इसकी वजह ये है की व्यक्तिगत और सामूहिक चेतना, जो अब धर्मांतरण की भट्टी में जाने को तैयार एक *ऐसा चारा, बन चुका है, जिसकी शुरुआत, मुफ्तखोरी, शांति, सेवा, सौहार्द, भाईचारे से होती है, और अंत, उन्हीं के राष्ट्र, धर्म, समाज, परिवार, से, व्यापार कर, इकट्ठा किए गए, धन को, उन्हीं की हत्या, लूट, बलात्कार और कब्जे में लगाया जाता है!?*

नए जमाने के, आधुनिक शिक्षा वाले, लेकिन भारतीय मूल्यों परम्पराओं के शिव, कृष्ण, राम से जुड़े रहे, इसलिए गुलाम होने को तैयार नहीं, ऐसे *क्रांतिकारी विचारों के युवाओं में, जो सैकड़ों वर्षों की दासता से मुक्ति हेतु, अपने छोटे से जीवन काल में ही, परिवर्तन और क्रांति देखने को उद्धत हैं,* कभी कभी उदासीनता स्वाभाविक ही है, और भटकाव भी, जैसी शिव की, इच्छा…

लेकिन… सैकड़ों वर्षों तक, कई जन्मों तक, पीढ़ी दर पीढ़ी, संघर्ष करने की भावना लिए, साधनारत, निर्भय, निस्वार्थ, कर्मरत, विप्र धर्मरक्षकों के लिए, ये कोई एक दिवसीय, ट्वेंटी ट्वेंटी क्रिकेट मैच नहीं, बल्कि पूरा जीवन ही, *आत्मिक क्रमिक विकास* का एक *सु* चक्र ही है!

*(Virtuous Cycle of Accelerated Evolution of the Soul)*

अर्थात कुल मिलाकर, *एक साधन मात्र, जिसमें प्रारब्ध, जन्म, शरीर और इसके अंत, फिर प्रारब्ध, जन्म… की यात्रा क्रमश:* एक अक्षर तत्व *ॐ* की *शब्द साधना* और *धर्म की रक्षा की प्रतिबद्धता को जीवित रखने* का हेतु मात्र है!

फिलहाल *समय के साथ, इस प्रतिबद्धता की उपयोगिता जानने और पीढ़ी दर पीढ़ी इसको जीवित रखने का, एकमात्र विकल्प* यही है कि *अपनी आने वाली पीढ़ियों को अपने धर्म, संस्कृति, इतिहास, और अपने उन्नत विज्ञान की उचित शिक्षा द्वारा, जानकारी दी जाए!*

इसके लिए, *पहले शिक्षा ही नहीं, अपितु, मंजन से लेकर मनोरंजन तक की गंदगी को, धर्मांतरण माफियाओं द्वारा फैलाई जा रही, अनैतिहासिक बकवास, से मुक्त करने हेतु,* सभी *भारत वासियों को जातिवाद, क्षेत्रवाद, अलगाववाद के जहर को त्यागकर,* एकमैव *एकम् सत् विप्रा बहुधा वदन्ति* के ज्ञान से तेजोमय काटने वाले *गुरुकुल पुनः बनाने होंगे!*

जैसा कि अतीत में *जम्बूद्वीप भारत वर्ष के प्रत्येक गांव में एक था, जिसे मुगलों और अंग्रेजों ने मिलकर खत्म कर दिया!*

इस महायाग की *शुरुआत, अपने त्यौहार, अपनी तिथि, पूर्णमासी, एकादशी, अमावस, अपने पर्व, अपना नया साल मनाकर करें* स्मरण रहे *भारतीय नव वर्ष चैत्र शुक्ल प्रतिपदा* को आता है!

वर्तमान कालखंड में *550 से अधिक वर्षों की ऐतिहासिक प्रतिबद्धता का एक पड़ाव, जिसमें सनातनी हिंदुओं, सिख गुरुओं, जैन, बौद्ध अनुयायियों ने, अपने मूल, भगवान राम को बचाने हेतु मिलकर प्रयास किए,* आने वाली *22 जनवरी को है, राम आएंगे, अतैव पूरे भारत के प्रत्येक घर, मंदिर से गुलामी की गंदगी (चांद मियां, साईं को कूड़ेदान में फेंककर) गंगाजल से पवित्र कर, उत्सव मनाएं, दिए जलाएं, दीपावली मनाएं!*

उठो जागो और जब तक लक्ष्य की प्राप्ति न हो, आगे बढ़ते रहो,

*उत्तिष्ठत जाग्रत प्राप्य वरान्निबोधत।*
*क्षुरस्य धारा निशिता दुरत्यया दुर्गं पथस्तत्कवयो वदन्ति।*

हे मनुष्यों उठो, जागो, और श्रेष्ठ मनुष्यों के साथ बैठकर ज्ञान की प्राप्ति करो!

*यजुर्वेद*

असतो मा सद्गमय तमसो मा ज्योमतिर्गमय। ऊँ शान्तिः शान्तिः शान्तिः। हे भगवन् हमे असत से सत् की ओर, अन्धकार से प्रकाश की ओर और मृत्यु से अमरता की ओर ले चलो।

*बृहदारण्यकोपनिषद*

बड़े बुजुर्ग अपनी कहावतों में कहते थे *घर छोड़ के न जाना, वरना घर न मिलेगा* इसका मतलब मकान से नहीं था, सुख, सुविधाओं से नहीं, वो तो आलीशान होटलों में भी मिलती है और आकाश छूती अट्टालिकाओं में भी, पर *शांति, से है, अपने मूल में वापसी से है* वो *अपने घर में ही मिलती है!*

*अपने साहित्य, धर्म, इतिहास को जानने का संकल्प लें, इसके लिए पहले अपने ऊपर थोपी गई गंदगी (साईं, ख्वाजा, पीर , फकीर, मजार, दरगाह, धर्मांतरण) से छुटकारा पाएं* 2024 में *दृढ़ संकल्प लेकर, अपने नववर्ष, चैत्र शुक्ल प्रतिप्रदा, जो अप्रैल में आने वाली है, नवरात्रि, को, अपने मूल घर में वापसी करें!*

हर हर बम बम, हर हर बम बम, *नमः पार्वती पतये, हर हर महादेव!* जय श्रीराम, जय जय सीताराम, *जय सियाराम!* बोलो, *वृंदावन बांके बिहारी महाराज की जय!*(साभार)