आज का पंचाग, आपका राशि फल, भगवान के इन नामों के उच्चारण से होता रोगों का नाश, वंश व गोत्र रहस्य का व्यावहारिक विज्ञान, मुख्यमंत्री तीरथ सिंह की विशेष पहल पर स्टेट प्लेन भेज कर अहमदाबाद से पंहुचे 7500 रैमडैसिबीर, चमोली कोरोना अपडेट

अच्युतानंदन गोविंदम् नामोच्चारण भेषजात्, नश्यन्ति सकला रोगा सत्य सत्य वदाम्यहम्   

अर्थात – – अच्य्युताय नम:, केशवराय नम:, माधवाय नम: गोविंदाय नम :  ये नाम बोल कर आचमन लेने से रोगों का नाश हो जाता है। यह सत्य भगवान स्वयं कह रहे हैं। 

ॐ नमो भगवते महासुदर्शन
वासुदेवाय
धन्वंतराय
अमृतकलश हस्ताय
सकल भय विनाशाय
सर्वरोग निवारणाय
त्रिलोक पतये
त्रिलोक निधये
ॐ श्री महाविष्णू स्वरुप
श्री धन्वंतरी स्वरुप
ॐ श्री श्री औषधचक्र नारायणाय
नम: ।।🌹🌹🌹🇮🇳🙏🙏🙏

According to Veda, a very Powerful Mantra that keeps us Healthy.. 

भारतीय संस्कृति और देश के चारों कोनों में चार मठों की प्रतिष्ठा करने वाले वेदांत के प्रणेता एवं उपनिषद व्याख्याता आदि शंकराचार्य जी के प्रकाट्य दिवस पर उन्हें शत्-शत् नमन् ।

📖 *नीतिदर्शन……………….*✍🏿

*अतीन्द्रितश्च प्रायेण दुर्बलो बलिनं रिपुम्।*
*जयेत् सम्यक् प्रयोगेण नीत्यार्थानात्मनो हितान्।।*
📝 *भावार्थ* 👉🏿 जो व्यक्ति अतीन्द्रित होकर युक्ति और नीतिसे कार्य करता है, वह दुर्बल होकर भी बलवान् शत्रुके ऊपर विजय प्राप्त कर लेता है और अपना हित तथा अभीष्ट उपलब्ध कर लेता है।
💐👏🏿 *सुदिनम्* 👏🏿💐
🌹………..|| *पञ्चाङ्गदर्शन* ||……….🌹
*श्रीशुभ वैक्रमीय सम्वत् २०७८ || शक-सम्वत् १९४३ || सौम्यायन् || राक्षस नाम संवत्सर || वसन्त ऋतु || वैशाख कृष्णपक्ष || तिथि द्वितीया || चान्द्रवासर || वैशाख सौर १५ प्रविष्ठ || तदनुसार २८ अप्रैल २०२१ ई० || नक्षत्र विशाखा || तुलास्थ चन्द्रमा पूर्वाह्ण ११:५३ तक उपरान्त वृश्चिकस्थ चन्द्र ||*
💐👏🏾 *सुदिनम्* 👏🏾💐

*दिनाँक-: 28/04/2021,बुधवार*
द्वितीया, कृष्ण पक्ष
चैत्र/वैशाख
“”””””””””””””””””””””””””””””(समाप्ति काल)

तिथि———– द्वितीया 25:33:37 तक
पक्ष————————— कृष्ण
नक्षत्र———–विशाखा 17:11:45
योग———- व्यतापता 15:49:09
करण————– तैतुल 15:22:22
करण—————- गर 25:33:37
वार————————–बुधवार
माह————————–वैशाख
चन्द्र राशि——– तुला 11:54:54
चन्द्र राशि—————– वृश्चिक
सूर्य राशि———————- मेष
रितु————————— वसंत
सायन————————-ग्रीष्म
आयन——————– उत्तरायण
संवत्सर———————– प्लव
संवत्सर (उत्तर) ———आनंद
विक्रम संवत—————- 2078
विक्रम संवत (कर्तक)—–2077
शाका संवत—————– 1943

वृन्दावन
सूर्योदय————— 05:43:45
सूर्यास्त—————– 18:49:57
दिन काल————— 13:06:12
रात्री काल————— 10:52:56
चंद्रास्त—————- 06:34:41
चंद्रोदय—————- 20:23:38

लग्न—- मेष 13°48′ , 13°48′

सूर्य नक्षत्र——————- भरणी
चन्द्र नक्षत्र—————- विशाखा
नक्षत्र पाया——————–रजत

*🚩💮🚩 पद, चरण 🚩💮🚩*

तू—- विशाखा 06:38:39

ते—- विशाखा 11:54:54

तो—- विशाखा 17:11:45

ना—- अनुराधा 22:29:22

नी—- अनुराधा 27:47:55

*💮🚩💮 ग्रह गोचर 💮🚩💮*

ग्रह =राशी , अंश ,नक्षत्र, पद
==========================
सूर्य= मेष 13°52 ‘ भरणी , 1 ली
चन्द्र = तुला 25°23 ‘ विशाखा 2 तू
बुध = मेष 23°57′ भरणी’ 4 लो
शुक्र= मेष 22°55, भरणी ‘ 3 ले
मंगल=मिथुन 08°30 ‘ आर्द्रा ‘ 1 कु
गुरु=कुम्भ 03°22 ‘ धनिष्ठा , 4 गे
शनि=मकर 18°43 ‘ श्रवण ‘ 3 खे
राहू=(व)वृषभ 18°43 ‘मृगशिरा , 3 वि
केतु=(व)वृश्चिक 18°43 ज्येष्ठा , 1 नो

*🚩💮🚩शुभा$शुभ मुहूर्त🚩💮🚩*

राहू काल 12:17 – 13:55 अशुभ
यम घंटा 07:22 – 09:00 अशुभ
गुली काल 10:39 – 12:17 अशुभ
अभिजित 11:51 -12:43 अशुभ
दूर मुहूर्त 11:51 – 12:43 अशुभ

💮चोघडिया, दिन
लाभ 05:44 – 07:22 शुभ
अमृत 07:22 – 09:00 शुभ
काल 09:00 – 10:39 अशुभ
शुभ 10:39 – 12:17 शुभ
रोग 12:17 – 13:55 अशुभ
उद्वेग 13:55 – 15:33 अशुभ
चर 15:33 – 17:12 शुभ
लाभ 17:12 – 18:50 शुभ

🚩चोघडिया, रात
उद्वेग 18:50 – 20:12 अशुभ
शुभ 20:12 – 21:33 शुभ
अमृत 21:33 – 22:55 शुभ
चर 22:55 – 24:16* शुभ
रोग 24:16* – 25:38* अशुभ
काल 25:38* – 26:59* अशुभ
लाभ 26:59* – 28:21* शुभ
उद्वेग 28:21* – 29:43* अशुभ

💮होरा, दिन
बुध 05:44 – 06:49
चन्द्र 06:49 – 07:55
शनि 07:55 – 09:00
बृहस्पति 09:00 – 10:06
मंगल 10:06 – 11:11
सूर्य 11:11 – 12:17
शुक्र 12:17 – 13:22
बुध 13:22 – 14:28
चन्द्र 14:28 – 15:33
शनि 15:33 – 16:39
बृहस्पति 16:39 – 17:44
मंगल 17:44 – 18:50

🚩होरा, रात
सूर्य 18:50 – 19:44
शुक्र 19:44 – 20:39
बुध 20:39 – 21:33
चन्द्र 21:33 – 22:28
शनि 22:28 – 23:22
बृहस्पति 23:22 – 24:16
मंगल 24:16* – 25:11
सूर्य 25:11* – 26:05
शुक्र 26:05* – 26:59
बुध 26:59* – 27:54
चन्द्र 27:54* – 28:48
शनि 28:48* – 29:43

*नोट*– दिन और रात्रि के चौघड़िया का आरंभ क्रमशः सूर्योदय और सूर्यास्त से होता है।
प्रत्येक चौघड़िए की अवधि डेढ़ घंटा होती है।
चर में चक्र चलाइये , उद्वेगे थलगार ।
शुभ में स्त्री श्रृंगार करे,लाभ में करो व्यापार ॥
रोग में रोगी स्नान करे ,काल करो भण्डार ।
अमृत में काम सभी करो , सहाय करो कर्तार ॥
अर्थात- चर में वाहन,मशीन आदि कार्य करें ।
उद्वेग में भूमि सम्बंधित एवं स्थायी कार्य करें ।
शुभ में स्त्री श्रृंगार ,सगाई व चूड़ा पहनना आदि कार्य करें ।
लाभ में व्यापार करें ।
रोग में जब रोगी रोग मुक्त हो जाय तो स्नान करें ।
काल में धन संग्रह करने पर धन वृद्धि होती है ।
अमृत में सभी शुभ कार्य करें ।

*💮🚩 दैनिक राशिफल 🚩💮*

देशे ग्रामे गृहे युद्धे सेवायां व्यवहारके।
नामराशेः प्रधानत्वं जन्मराशिं न चिन्तयेत्।।
विवाहे सर्वमाङ्गल्ये यात्रायां ग्रहगोचरे।
जन्मराशेः प्रधानत्वं नामराशिं न चिन्तयेत ।।

🐏मेष
पार्टी व पिकनिक का कार्यक्रम बन सकता है। स्वादिष्ट व्यंजनों का आनंद प्राप्त होगा। विद्यार्थी वर्ग सफलता हासिल करेगा। कारोबार में वृद्धि होगी। आय के नए स्रोत प्राप्त हो सकते हैं। नौकरी में कार्य की प्रशंसा होगी। नए विचार दिमाग में आएंगे। भाग्य का साथ मिलेगा। धनार्जन होगा।

🐂वृष
दु:खद समाचार प्राप्त हो सकता है। वाणी में हल्के शब्दों के प्रयोग से बचें। क्रोध व उत्तेजना पर नियंत्रण रखें। पुराना रोग उभर सकता है। कीमती वस्तुएं संभालकर रखें। काम में मन नहीं लगेगा। दूसरे आपसे अधिक की अपेक्षा करेंगे व्यापार-व्यवसाय लाभदायक रहेगा।

👫मिथुन
प्रयास सफल रहेंगे। पराक्रम वृद्धि होगी। सामाजिक कार्य करने का अवसर प्राप्त होगा। मान-सम्मान मिलेगा। कारोबार में वृद्धि होगी। निवेश शुभ रहेगा। नौकरी में कार्य की प्रशंसा होगी। आय में वृद्धि होगी। जल्दबाजी न करें। प्रतिद्वंद्विता में वृद्धि होगी। लाभ होगा।

🦀कर्क
दूर से शुभ समाचार प्राप्त होंगे। आत्मविश्वास में वृद्धि होगी। जोखिम उठाने का साहस कर पाएंगे। घर में अतिथियों का आगमन होगा। प्रसन्नता तथा उत्साह बने रहेंगे। व्यापार-व्यवसाय मनोनुकूल लाभ देगा। आलस्य हावी रहेगा। प्रमाद न करें। विवेक का प्रयोग करें।

🐅सिंह
अप्रत्याशित लाभ हो सकता है। रोजगार प्राप्ति के प्रयास सफल रहेंगे। नौकरी में अधिकार वृद्धि हो सकती है। व्यावसायिक यात्रा सफल रहेगी। निवेश मनोनकूल रहेगा। घर-बाहर प्रसन्नता का वातावरण बनेगा। किसी कार्य के प्रति चिंता रहेगी। शारीरिक कष्ट संभव है।

🙍‍♀️कन्या
अप्रत्याशित खर्च सामने आएंगे। विवाद से स्वाभिमान को ठेस पहुंच सकती है। पुराना रोग उभर सकता है। जोखिम व जमानत के कार्य टालें। किसी भी अपरिचित व्यक्ति की बातों में न आएं। व्यवसाय ठीक चलेगा। आय में निश्चितता रहेगा।

⚖️तुला
बकाया वसूली के प्रयास सफल रहेंगे। व्यावसायिक यात्रा सफल रहेगी। लाभ के अवसर हाथ आएंगे। व्यापार-व्यवसाय लाभदायक रहेगा। नौकरी में अनुकूलता रहेगी। भाग्य का साथ मिलेगा। कोई बड़ा काम करने की इच्‍छा जागृत होगी। चिंता तथा तनाव बने रहेंगे। प्रमाद न करें।

🦂वृश्चिक
नई योजना बनेगी। कार्यप्रणाली में सुधार होगा। मान-सम्मान मिलेगा। आय के नए स्रोत प्राप्त हो सकते हैं। व्यापार-व्यवसाय में मनोनुकूल लाभ होगा। शेयर मार्केट व म्युचुअल फंड इत्यादि से लाभ होगा। प्रेम-प्रसंग में जल्दबाजी न करें। थकान रहेगी। किसी कार्य की चिंता रहेगी।

🏹धनु
धर्म-कर्म में रुचि रहेगी। कोर्ट व कचहरी के काम मनोनुकूल लाभ देंगे। किसी बड़े काम की रुकावट दूर होगी। लाभ के अवसर हाथ आएंगे। व्यापार-व्यवसाय लाभदायक रहेगा। पारिवारिक सहयोग प्राप्त होगा। घर-बाहर प्रसन्नता रहेगी। दूसरों के कार्य में हस्तक्षेप न करें।

🐊मकर
यात्रा में जल्दबाजी न करें। शारीरिक कष्ट संभव है। पुराना रोग उभर सकता है। वाहन व मशीनरी के प्रयोग में सावधानी रखें। हंसी-मजाक में हल्कापन न हो, ध्यान रखें। कीमती वस्तुएं इधर-उधर हो सकती हैं, संभालकर रखें। व्यापार-व्यवसाय ठीक चलेगा। आय में निश्चितता रहेगी।

🍯कुंभ
धनहानि की आशंका है। लेन-देन में जल्दबाजी न करें। थकान व कमजोरी रह सकती है। व्यापार व व्यवसाय ठीक चलेगा। नौकरी में चैन रहेगा। यात्रा मनोरंजक रहेगी। प्रेम-प्रसंग में अनुकूलता रहेगी। राजकीय बाधा दूर होकर स्थिति अनुकूल बनेगी। घर-बाहर प्रसन्नता रहेगी।

🐟मीन
स्थायी संपत्ति के कार्य बड़ा लाभ दे सकते हैं। रोजगार में वृद्धि होगी। आय के नए साधन प्राप्त हो सकते हैं। भाग्योन्नति के प्रयास सफल रहेंगे। जीवन सुखमय व्यतीत होगा। घर-बाहर प्रसन्नता रहेगी। स्वास्थ्य में राहत मिलेगी। चिंता दूर होगी। नौकरी में रुतबा बढ़ेगा।

🙏आपका दिन मंगलमय हो🙏
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जोतिष आचार्य पांडुरंगराव शास्त्री
कुंडली हसतरेखा वास्तुशास्त्र निष्णात एवम संपुर्ण पुजाविधी संपन्न मो: +9321113407

*वंश व गोत्र का रहस्य या पुरातन विज्ञान:-*
अनुवांशिक विज्ञान जिसका किसी भी धर्म से कुछ लेना देना नहीं है। उसे संक्षेप में जानिये।

हमारे धार्मिक ग्रंथ और हमारी सनातन हिन्दू परंपरा के अनुसार पुत्र (बेटा) को कुलदीपक अथवा वंश को आगे बढ़ाने वाला माना जाता है….. उसे गोत्र का वाहक माना जाता है।
आखिर क्यों सिर्फ पुत्र को ही वंश का वाहक माना जाता है ?

*असल में इसका कारण….*
पुरुष प्रधान समाज अथवा पितृसत्तात्मक व्यवस्था नहीं….
बल्कि, हमारे जन्म लेने की प्रक्रिया है।

अगर हम जन्म लेने की प्रक्रिया को सूक्ष्म रूप से देखेंगे तो हम पाते हैं कि……

*एक स्त्री में गुणसूत्र (क्रोमोसोम्स) XX होते है…. और, पुरुष में XY होते है।*

इसका मतलब यह हुआ कि….
अगर पुत्र हुआ (जिसमें XY गुणसूत्र है)…
तो, उस पुत्र में Y गुणसूत्र पिता से ही आएगा क्योंकि माता में तो Y गुणसूत्र होता ही नही है।

और….
यदि पुत्री हुई तो (xx गुणसूत्र) तो यह गुणसूत्र पुत्री में माता व् पिता दोनों से आते है।

*XX गुणसूत्र अर्थात पुत्री*

अब इस XX गुणसूत्र के जोड़े में एक X गुणसूत्र पिता से तथा दूसरा X गुणसूत्र माता से आता है।

तथा, इन दोनों गुणसूत्रों का संयोग एक गांठ सी रचना बना लेता है… जिसे, क्रॉस ओवर कहा जाता है।

*जबकि…*
*पुत्र में XY क्रोमोसोम अर्थात गुणसूत्र होता है।*

अर्थात….
जैसा कि मैंने पहले ही बताया कि….
पुत्र में Y गुणसूत्र केवल पिता से ही आना संभव है क्योंकि माता में Y गुणसूत्र होता ही नहीं है।

*और…. दोनों गुणसूत्र अ-समान होने के कारण….* इन दोनों गुणसूत्र का पूर्णतः क्रॉस ओवर नहीं… बल्कि, केवल 5 % तक ही क्रॉस ओवर होता है.

और, 95 % Y क्रोमोसोम या गुणसूत्र ज्यों का त्यों (intact) ही बना रहता है.

तो, इस लिहाज से महत्त्वपूर्ण Y गुणसूत्र हुआ…. क्योंकि, Y गुणसूत्र के विषय में हम निश्चिंत है कि…. यह पुत्र में केवल पिता से ही आया है।

*बस…..*
इसी Y गुणसूत्र का पता लगाना ही गौत्र प्रणाली का एकमात्र उदेश्य है जो हजारों / लाखों वर्षों पूर्व हमारे ऋषियों ने जान लिया था.

*इस तरह ये बिल्कुल स्पष्ट है कि….*
हमारी वैदिक गोत्र प्रणाली, गुणसूत्र पर आधारित है अथवा Y गुणसूत्र को ट्रेस करने का एक माध्यम है।

*उदाहरण के लिए….*
यदि किसी व्यक्ति का गोत्र शांडिल्य है तो उस व्यक्ति में विद्यमान Y गुणसूत्र शांडिल्य ऋषि से आया है…. या कहें कि शांडिल्य ऋषि उस Y गुणसूत्र के मूल हैं.

*अब चूँकि….*
Y क्रोमोसोम या गुणसूत्र स्त्रियों में नहीं होता है इसीलिए विवाह के पश्चात स्त्रियों को उसके पति के गोत्र से जोड़ दिया जाता है।

वैदिक / हिन्दू संस्कृति में एक ही गोत्र में विवाह वर्जित होने का मुख्य कारण यह है कि एक ही गोत्र से होने के कारण वह पुरुष व स्त्री भाई-बहन कहलाए क्योंकि उनका पूर्वज (ओरिजिन) एक ही है….. क्योंकि, एक ही गोत्र होने के कारण…
दोनों के गुणसूत्रों में समानता होगी.

*आज की आनुवंशिक विज्ञान के अनुसार भी…..* यदि सामान गुणसूत्रों वाले दो व्यक्तियों में विवाह हो तो उनके संतान… आनुवंशिक विकारों का साथ उत्पन्न होगी क्योंकि…. ऐसे दंपत्तियों की संतान में एक सी विचारधारा, पसंद, व्यवहार आदि में कोई नयापन नहीं होता एवं ऐसे बच्चों में रचनात्मकता का अभाव होता है।

विज्ञान द्वारा भी इस संबंध में यही बात कही गई है कि समगौत्र शादी करने पर अधिकांश ऐसे दंपत्ति की संतानों में अनुवांशिक दोष अर्थात् मानसिक विकलांगता, अपंगता, गंभीर रोग आदि जन्मजात ही पाए जाते हैं।
शास्त्रों के अनुसार इन्हीं कारणों से सगौत्र विवाह पर प्रतिबंध लगाया था।
यही कारण था कि शारीरिक बिषमता के कारण अग्रेज राज परिवार में आपसी विवाह बन्द हुए।
जैसा कि हम जानते हैं कि….
पुत्री में 50% गुणसूत्र माता का और 50% पिता से आता है।

फिर, यदि पुत्री की भी पुत्री हुई तो…. वह डी.एन.ए. 50% का 50% रह जायेगा…
*और फिर….*
यदि उसके भी पुत्री हुई तो उस 25% का 50% डी.एन.ए. रह जायेगा।

इस तरह से सातवीं पीढ़ी में पुत्री जन्म में यह परसेंटेज घटकर 1% रह जायेगा.

*अर्थात….*
एक पति पत्नी का ही डी.एन.ए. सातवीं पीढ़ी तक पुनः पुनः जन्म लेता रहता है….
*और, यही है “सात जन्मों के साथ का रहस्य”*

*लेकिन…..*
यदि संतान पुत्र है तो….
पुत्र का गुणसूत्र पिता के गुणसूत्रों का 95% गुणों को अनुवांशिकी में ग्रहण करता है और माता का 5% (जो कि किन्हीं परिस्थितियों में 1% से कम भी हो सकता है) डी.एन.ए. ग्रहण करता है…
और, यही क्रम अनवरत चलता रहता है।

जिस कारण पति और पत्नी के गुणों युक्त डी.एन.ए. बारम्बार जन्म लेते रहते हैं…. अर्थात, यह जन्म जन्मांतर का साथ हो जाता है।

*इन सब में सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि….*
माता पिता यदि कन्यादान करते हैं तो इसका यह अर्थ कदापि नहीं है कि वे कन्या को कोई वस्तु समकक्ष समझते हैं…

बल्कि, इस दान का विधान इस निमित किया गया है कि दूसरे कुल की कुलवधू बनने के लिये और उस कुल की कुल धात्री बनने के लिये, उसे गोत्र मुक्त होना चाहिए।

*पुत्रियां…..* आजीवन डीएनए मुक्त हो नहीं सकती क्योंकि उसके भौतिक शरीर में वे डीएनए रहेंगे ही, इसलिये मायका अर्थात माता का रिश्ता बना रहता है।

*शायद यही कारण है कि…..*
विवाह के पश्चात लड़कियों के पिता को घर को “मायका” ही कहा जाता है…. “पिताका” नहीं.

*क्योंकि…..*
उसने अपने जन्म वाले गोत्र अर्थात पिता के गोत्र का त्याग कर दिया है..!

*और चूंकि…..* कन्या विवाह के बाद कुल वंश के लिये रज का दान कर मातृत्व को प्राप्त करती है… इसीलिए, हर विवाहित स्त्री माता समान पूजनीय हो जाती है।

*आश्चर्य की बात है कि….*
हमारी ये परंपराएं हजारों लाखों साल से चल रही है जिसका सीधा सा मतलब है कि हमारे पूर्वज ऋषि मुनि…. इंसानी शरीर में गुणसूत्र के विभक्तिकरण को समझ गए थे…. और, हमें गोत्र सिस्टम में बांध लिया था।

*इस बातों से एक बार फिर ये स्थापित होता है कि….*
हमारा सनातन सभ्यता पूर्णतः वैज्ञानिक है, बस हमें ही इस बात का भान नहीं है।

*असल में…..* अंग्रेजों ने जो हम लोगों के मन में जो कुंठा बोई है….. उससे बाहर आकर हमें अपने पुरातन विज्ञान को फिर से समझकर उसे अपनी नई पीढियों को बताने और समझाने की जरूरत।

*नोट :*
लेख का उद्देश्य सिर्फ और सिर्फ…. गोत्र परंपरा एवं सात जन्मों के रहस्य को समझाना मात्र है।

 

उत्तराखंड प्रदेश में तीरथ सिंह रावत सरकार द्वारा जनहित में उठाया गया सराहनीय कदम।
     प्रदेश को आज 7500 रेमडिसिविर इंजेक्शन प्राप्त हो गए हैं। राज्य सरकार द्वारा स्टेट प्लेन को अहमदाबाद भेजा गया था। यह विशेष विमान रेमडिसिविर इंजेक्शन की खेप लेकर देर रात उत्तराखंड पहुँच गया । 
   ज्ञात हो कि , बीते 72 घंटों में उत्तराखंड में लगभग 11 हजार रेमडिसिविर इंजेक्शन की आपूर्ति हो गई है। बीते शनिवार को उत्तराखंड में 3500 रेमडिसिविर इंजेक्शन की आपूर्ति हुई थी और अगले 24 घंटों में उत्तराखंड को 2000 रेमडिसिविर इंजेक्शन की और आपूर्ति हो जाएगी। 
   कोरोना संक्रमण से जूझ रहे किसी भी प्रदेशवासी को रेमडिसिविर इंजेक्शन की कमी न हो, इसके लिए उत्तराखंड में मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत के विशेष प्रयासों के बाद प्रदेश को 7500 रेमडिसिविर इंजेक्शन प्राप्त हो गए हैं। मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत के निर्देशों पर मंगलवार सुबह ही स्टेट प्लेन को अहमदाबाद भेजा गया था, राज्य सरकार का यह विशेष विमान रेमडिसिविर इंजेक्शन की खेप लेकर देर रात तक उत्तराखण्ड पहुँचेगा। अब प्रदेश में अगले कुछ दिनों तक रेमडिसिविर इंजेक्शन की किल्लत नहीं होगी।

अहमदाबाद से इस खेप के आ जाने के बाद कोविड-19 संक्रमण के बाद इलाज में इस्तेमाल किए जाने वाले रेमडिसिविर इंजेक्शन का पर्याप्त कोटा प्रदेश के पास हो जाएगा। मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत ने स्वास्थ्य विभाग को निर्देश दिए है कि सभी जिलों में रेमडिसिविर इंजेक्शन के खपत और अनुपात तय करते हुए पर्याप्त मात्रा में रेमडिसिविर इंजेक्शन भेज दिए जाएं।

मुख्यमंत्री ने कहा कि कोरोना संक्रमण से जूझ रहे किसी भी प्रदेश वासी को रेमडिसिविर इंजेक्शन की कमी ना हो। बीते 72 घंटों में उत्तराखण्ड में लगभग 11 हजार रेमडिसिविर इंजेक्शन की आपूर्ति हो गई है। बीते शनिवार को भी उत्तराखंड में 3500 रेमडिसिविर इंजेक्शन की आपूर्ति हुई थी। अगले 24 घंटों में उत्तराखण्ड को 2000 रेमडिसिविर इंजेक्शन की और आपूर्ति हो जाएगी।

चमोली 

जनपद चमोली में मंगलवार को कोरोना के 111 नए मामले सामने आए। मंगलवार को गौचर से 31, गैरसैंण से 24, कर्णप्रयाग से 18, गोपेश्वर से 13, जोशीमठ से 7, पोखरी से 6, नारायणबगड से 5, चमोली से 4 तथा थराली से 3 लोगों की रिपोर्ट पाॅजिटिव मिली। 

तहसील कर्णप्रयाग क्षेत्रान्तर्गत भट्टनगर गांव के निकट स्थित रेलवे कन्सट्रेक्शन कंपनी डीबीएल के 40 कार्मिकों की रिपोर्ट कोविड पाॅजिटिव मिलने पर जिलाधिकारी स्वाति एस भदौरिया ने डीबीएल कंपनी के परिसर को कन्टेनमेंट जोन बना दिया है। जिलाधिकारी के निर्देशों के क्रम में यहाॅ पर पूरी तरह लाॅकडाउन रहेगा। जिले में यह तीसरा क्षेत्र है जहाॅ पर एक साथ कोविड के अधिक मामले मिलने पर कन्टेन्मेंट जोन बनाया गया है। इससे पूर्व घाट ब्लाक के कुरूड़ में 127-प्रादेशिक सेना बटालियन गढवाल राइफल कैंप तथा गैरसैंण क्षेत्रान्तर्गत कुशरानी बिचली गांव को कन्टेनमेंट जोन बनाया गया है।

गौचर में 40 मजदूरों की रिपोर्ट कोरोना पाॅजिटिव आने पर डीबीएल कंपनी परिसर को कन्टेनमेंट जोन बनाया गया।