आज का पंचाग, आपका राशि फल, आज नाग पंचमी पर ऐसे करें विधिपूर्ण पूजा जीवन भर सर्प भय नहीं रहता

🕉श्री हरिहरो विजयतेतराम🕉
🌄सुप्रभातम🌄
🗓आज का पञ्चाङ्ग🗓
🌻शुक्रवार, १३ अगस्त २०२१🌻

सूर्योदय: 🌄 ०५:५३
सूर्यास्त: 🌅 ०६:५७
चन्द्रोदय: 🌝 १०:१३
चन्द्रास्त: 🌜२२:१२
अयन 🌕 दक्षिणायने (उत्तरगोलीय)
ऋतु: 🌦️ वर्षा
शक सम्वत: 👉 १९४३ (प्लव)
विक्रम सम्वत: 👉 २०७८ (आनन्द)
मास 👉 श्रावण
पक्ष 👉 शुक्ल
तिथि 👉 पञ्चमी (१३:४२ तक)
नक्षत्र 👉 हस्त (०८:०० तक)
योग 👉 साध्य (१३:४७ तक)
प्रथम करण 👉 बालव (१३:४२ तक)
द्वितीय करण 👉 कौलव (२४:४७ तक)
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॥ गोचर ग्रहा: ॥
🌖🌗🌖🌗
सूर्य 🌟 कर्क
चंद्र 🌟 तुला (१९:२८ से)
मंगल 🌟 सिंह (उदित, पूर्व, मार्गी)
बुध 🌟 सिंह (अस्त, पूर्व, मार्गी)
गुरु 🌟 कुम्भ (उदय, पूर्व, वक्री)
शुक्र 🌟 कन्या (उदय, पश्चिम, मार्गी)
शनि 🌟 मकर (उदय, पूर्व, वक्री)
राहु 🌟 वृष
केतु 🌟 वृश्चिक
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शुभाशुभ मुहूर्त विचार
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अभिजित मुहूर्त 👉 ११:५५ से १२:४८
अमृत काल 👉 २४:४९ से २६:२१
रवियोग 👉 ०८:०० से २९:४३
विजय मुहूर्त 👉 १४:३४ से १५:२७
गोधूलि मुहूर्त 👉 १८:४७ से १९:११
निशिता मुहूर्त 👉 २४:०० से २४:४३
राहुकाल 👉 १०:४२ से १२:२१
राहुवास 👉 दक्षिण-पूर्व
यमगण्ड 👉 १५:४१ से १७:२०
होमाहुति 👉 बुध
दिशाशूल 👉 पश्चिम
अग्निवास 👉 पृथ्वी (१३:४२ तक)
चन्द्रवास 👉 दक्षिण (पश्चिम १९:२९ से)
शिववास 👉 कैलाश पर (१३:४२ नन्दी पर)
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☄चौघड़िया विचार☄
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॥ दिन का चौघड़िया ॥
१ – चर २ – लाभ
३ – अमृत ४ – काल
५ – शुभ ६ – रोग
७ – उद्वेग ८ – चर
॥रात्रि का चौघड़िया॥
१ – रोग २ – काल
३ – लाभ ४ – उद्वेग
५ – शुभ ६ – अमृत
७ – चर ८ – रोग
नोट– दिन और रात्रि के चौघड़िया का आरंभ क्रमशः सूर्योदय और सूर्यास्त से होता है। प्रत्येक चौघड़िए की अवधि डेढ़ घंटा होती है।
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शुभ यात्रा दिशा
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पश्चिम-दक्षिण (दहीलस्सी अथवा राई का सेवन कर यात्रा करें)
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तिथि विशेष
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नाग पंचमी (तक्षक पूजा), श्रीकल्कि जयन्ती, विवाहदी मुहूर्त (पंजाब, हिमाचल, हरियाणा, कश्मीर) आदि प्रदेशो के लिये मीन-मेष लग्न रात्रि ०८:४३ से ११:४७ तक, नीवखुदाई एवं गृहारम्भ मुहूर्त प्रातः ०८:०० से १०:५३, गृहप्रवेश+देव प्रतिष्ठा मुहूर्त प्रातः ०७:५९ से १०:५३ तक, उद्योग (मशीनरी)+व्यवसाय आरम्भ मुहूर्त प्रातः ०६:०१ से १०:५३ तक, भूमि-भवन क्रय-विक्रय+वाहनादि क्रय-विक्रय मुहूर्त दोपहर १२:३१ से १४:१० तक आदि।
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आज जन्मे शिशुओं का नामकरण
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आज ०८:०० तक जन्मे शिशुओ का नाम
हस्त नक्षत्र के चतुर्थ चरण अनुसार क्रमशः (ठ) नामाक्षर से तथा इसके बाद जन्मे शिशुओ का नाम चित्रा नक्षत्र के प्रथम, द्वितीय, तृतीय एवं चतुर्थ चरण अनुसार क्रमश (पे, पो, रा, री) नामाक्षर से रखना शास्त्रसम्मत है।
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उदय-लग्न मुहूर्त
कर्क – २७:४२ से ०६:०३
सिंह – ०६:०३ से ०८:२२
कन्या – ०८:२२ से १०:४०
तुला – १०:४० से १३:०१
वृश्चिक – १३:०१ से १५:२०
धनु – १५:२० से १७:२४
मकर – १७:२४ से १९:०५
कुम्भ – १९:०५ से २०:३१
मीन – २०:३१ से २१:५४
मेष – २१:५४ से २३:२८
वृषभ – २३:२८ से २५:२३
मिथुन – २५:२३ से २७:३८
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पञ्चक रहित मुहूर्त
मृत्यु पञ्चक – ०५:४३ से ०६:०३
अग्नि पञ्चक – ०६:०३ से ०८:००
शुभ मुहूर्त – ०८:०० से ०८:२२
रज पञ्चक – ०८:२२ से १०:४०
शुभ मुहूर्त – १०:४० से १३:०१
चोर पञ्चक – १३:०१ से १३:४२
शुभ मुहूर्त – १३:४२ से १५:२०
रोग पञ्चक – १५:२० से १७:२४
शुभ मुहूर्त – १७:२४ से १९:०५
मृत्यु पञ्चक – १९:०५ से २०:३१
अग्नि पञ्चक – २०:३१ से २१:५४
शुभ मुहूर्त – २१:५४ से २३:२८
मृत्यु पञ्चक – २३:२८ से २५:२३
अग्नि पञ्चक – २५:२३ से २७:३८
शुभ मुहूर्त – २७:३८ से २९:४३
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आज का राशिफल
🐐🐂💏💮🐅👩
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मेष🐐 (चू, चे, चो, ला, ली, लू, ले, लो, अ)
आज के दिन भी लाभ-हानि बराबर रहेगी। किसी के ऊपर आवश्यकता से अधिक निर्भर रहना हानि करा सकता है। कार्य व्यवसाय में आज किसी से धोखा मिलने की भी सम्भावना है सतर्क रहें। व्यवसाय आशा के।विपरीत रहेगा फिर भी बीच-बीच में थोड़ा बहुत धन प्राप्त होने से कार्य चलते रहेगे। आलस्य एवं लापरवाही के कारण कार्यो में विलम्ब होने से अधिकारियो की डांट सुननी पड़ेगी। आज आपका मन कार्य करते हुए भी कही और रहेगा जिससे कार्य बिगड़ सकते है। आज अधिक धैर्य का परिचय दें। क्रोध के भी कई प्रसंग बनेंगे जो सम्बन्धो के कटुता लायेगी। घर की शांति अचानक भंग हो सकती है।

वृष🐂 (ई, ऊ, ए, ओ, वा, वी, वू, वे, वो)
आज के दिन आप जोड़-तोड़ की नीति अपनायेंगे। कार्य क्षेत्र पर भी किसी से समझौता करना पड़ सकता है। एकल स्वामित्व वाले व्यवसाय में निवेश हानि करा सकता है इसके विपरीत भागीदारी के व्यवसाय में लाभ की संभावना अधिक रहेगी। आर्थिक कारणों से किसी से झगड़ा भी हो सकता है शांत व्यवहार से काम् चलाएं। स्वभाव में कामुकता अधिक रहेगी विपरीत लिंगीय के प्रति जल्दी आकर्षित हो जाएंगे सतर्क रहे हानि हो सकती है। गृहस्थ जीवन में सुख के साधन पर अधिक खर्च होगा। स्त्री संतान का सुख मिलेगा।

मिथुन👫 (का, की, कू, घ, ङ, छ, के, को, हा)
आज के दिन सम्मान हानि की संभावना अधिक है प्रत्येक कार्य विशेषकर सामाजिक क्षेत्र पर अत्यन्त सावधानी बरतें। किसी के कहे में आकर कोई अनैतिक कार्य ना करें। कार्य व्यवसाय में भी आज प्रलोभन के अवसर मिलेंगे जिनमे शीघ्र लाभ हो सकता है परन्तु भविष्य में इनका दुष्प्रभाव देखने को मिलेगा। व्यावसायिक क्षेत्र पर लाभ पाने के लिए व्यवहारिकता काम आएगी इसलिए स्वभाव में नरमी रखें। विरोधी आपके प्रयासों को विफल कर सकते है। जल्दबाजी में धन का निवेश ना करें ना ही किसी को उधार दें। घर में आज मौन साधन ही तकरार से बचने का उत्तम उपचार है।

कर्क🦀 (ही, हू, हे, हो, डा, डी, डू, डे, डो)
आज के दिन आप अति ईर्ष्यालु प्रवृति से ग्रसित रहेंगे। इस कारण घर एवं बाहर का वातावरण असामान्य बनेगा। हर कार्य में संदेह करना सहकर्मियो को अखरेगा। व्यापार में लाभ की संभावनाएं तो रहेंगी परन्तु आपकी व्यवहार शून्यता के चलते आर्थिक लाभ विलम्ब से होगा अथवा निरस्त भी हो सकता है। परिवार के बड़े सदस्य आपकी मनोदशा को समझ आज शांत ही रहेंगे। नौकरी पेशा जातक कार्यो को जल्द पूर्ण करने के कारण गलती कर सकते है। सामजिक क्षेत्र में आज आपका योगदान बढ़ने से सम्मान मिलेगा। संताने जिद्दी व्यवहार करेंगी।

सिंह🦁 (मा, मी, मू, मे, मो, टा, टी, टू, टे)
आज आप अपने किये सभी कार्यो में संतोष रखेंगे। पारिवारिक वातावरण भी आपके निर्णयों के समर्थन में रहेगा। आज विशेषकर महिलाएं परिवार में सक्रिय भागीदारी निभाएंगी धन सम्बंधित समस्याओं को सुलझाने में भी सहयोग करेंगी। आज आप लाभ-हानि के चक्कर में ज्यादा नहीं पड़ेंगे लेकिन सुखोपभोग की मानसिकता अवश्य रहेगी। स्नेहीजन से आनंददायक भेंट रहेगी। पड़ोसियों से किसी कारण बहस हो सकती है जिसका कोई परिणाम नहीं निकलेगा। सरकारी कार्य करने के लिए किसी की सहायता आवश्यक रहेगी। धन लाभ प्रयास करने पर ही होगा।

कन्या👩 (टो, पा, पी, पू, ष, ण, ठ, पे, पो)
आज के दिन लाभ की संभावना बनते बनते अनिर्णय की स्थिति के कारण बिगड़ सकती है कार्यो को अधिक ध्यान से करना आवश्यक है। लाभ पाने के लिए अधिक परिश्रम एवं मन को एकाग्रचित रखना पड़ेगा। प्रतिस्पर्धी अतिरिक्त प्रलोभन देकर आपके बनते कार्य को बिगाड़ने का प्रयास करेंगे फिर धन लाभ आवश्यकता अनुसार हो ही जाएगा। आज आपकी महात्त्वकांक्षाएँ भी अधिक रहेगी पूरी ना होने पर बेवजह दुःख रहेगा। परिजन का व्यवहार अनुकूल रहेगा महत्त्वपूर्ण कार्यो में मार्गदर्शन भी मिलेगा परन्तु आप इसकी अनदेखी करेंगे।

तुला⚖️ (रा, री, रू, रे, रो, ता, ती, तू, ते)
आज की परिस्थितियां पहले से अधिक ख़राब रहने वाली है। नौकरी-व्यवसाय में छोटी गलती के कारण बड़ा नुकसान हो सकता है इसलिये सहकर्मी अथवा नौकरों के ऊपर आश्रित ना रहें जितना संभव हो स्वयं की देखरेख में कार्य संपंन्न करवाये। सेहत में भी उतार चढ़ाव आने से कार्य प्रभावित हो सकते है उदर शूल अथवा अन्य पेट सम्बंधित व्याधि के कारण असहजता बनेगी। महिलाएं पुरुषों की अपेक्षा अधिक खर्चीली रहेंगी। सरकारी एवं जमीनी कार्य आगे के लिए टलेंगे जिससे समय एवं धन नष्ट होगा। लोग आपके नरम स्वभाव का फायदा उठायेंगे। गृहस्थ जीवन में थोड़ी बहस होगी परन्तु शांति बनी रहेगी।

वृश्चिक🦂 (तो, ना, नी, नू, ने, नो, या, यी, यू)
आज के दिन आप अपना ध्यान आवश्यक कार्यो पर एकाग्र करने का प्रयास करें अन्यथा जहाँ लाभ होना है वहां हानि मिलेगी। मन अनर्गल कार्यो में अधिक भटकेगा। विष्योपभोग में अधिक रुचि रहने के कारण धन खर्च की परवाह नहीं करेंगे। मौज-शौक पर अधिक खर्च रह सकता है। धन लाभ लापरवाही के चलते आगे के लिए टलेगा। व्यवसाय में निवेश अतिआवश्यक होने पर ही करें। स्वयं अथवा परिजन की स्वास्थ्य सम्बंधित समस्याओं की अनदेखी आगे भारी पड़ सकती है। परिवार में आपके कारण खींच-तान रह सकती है। विवेकी व्यवहार अपनाए बेवजह की परेशानी से बचेंगे।

धनु🏹 (ये, यो, भा, भी, भू, ध, फा, ढा, भे)
आज का दिन सरकारी कार्यो के लिए विशेष लाभदायक रहेगा किसी भी प्रकार की सरकारी सहायता अथवा रुके कार्य आज अवश्य ही आगे बढ़ेंगे। व्यवसाय में प्रतिस्पर्धा कम रहने से लाभ की संभावना अधिक रहेगी। आस-पड़ोसियों से वैर-विरोध मिटेगा लेकिन अभिमानी स्वभाव रहेगा। आज आप किसी से भी मधुर वाणी द्वारा आसानी से काम निकाल सकेंगे। अधिकारी वर्ग आपके ऊपर कृपा दृष्टि बनाएंगे। मध्यान के समय आकस्मिक यात्रा से थोड़ी थकान रहेगी। पारिवारिक वातावरण सुखद रहेगा। संताने प्रगति करेंगी फिर भी नजर अवश्य रखें।

मकर🐊 (भो, जा, जी, खी, खू, खा, खो, गा, गी)
आज दिन का पहला भाग अशान्त रहेगा। घरेलु समस्याओं के कारण मन विचलित बनेगा जिससे कार्यो में चाह कर भी उत्साह नहीं दिखा पाएंगे। परिवार में किसी महिला के कारण ग़लतफ़हमी से विवाद हो सकता है। सन्तानो का व्यवहार विपरीत रहेगा। परन्तु दोपहर के बाद का समय लाभ दिला सकता है इसके लिए व्यवसाय को पूरा समय देना आवश्यक है। कार्य क्षेत्र पर हास्य के अवसर मिलने से मन को राहत मिलेगी। धन लाभ अकस्मात होने से अधूरे कार्य पूर्ण कर सकेंगे। आज मित्रो अथवा अन्य कारणों से यात्रा पर्यटन यथा संभव टालने का प्रयास करें दुर्घटना हो सकती है।

कुंभ🍯 (गू, गे, गो, सा, सी, सू, से, सो, दा)
आज का दिन थोड़ा उठा पटक वाला रहेगा। सेहत प्रातः काल से नरम रहेगी मन अकारण ही अशांत रहेगा। भावुकता भी स्वभाव में अधिक रहेगी जिससे अन्य लोग आपकी भावनाओं का गलत लाभ उठा सकते है। आज किसी के ऊपर जल्दी विश्वास करना हानि कराएगा सावधान रहें। धन सम्बंधित व्यवहार देख-भालकर एवं लिख कर ही करें। व्यवसाय आज आशा के अनुकूल नहीं रहेगा परन्तु खर्च अधिक रहने से आर्थिक संतुलन प्रभावित होगा। गृहस्थ में भी धन खर्च करने पर ही सुख की प्राप्ति हो सकेगी। सायंकाल का समय अपेक्षाकृत आराम से बितायेंगे। थकान मिटाने के लिए मनोरंजन के अवसर उपलब्ध होंगे।

मीन🐳 (दी, दू, थ, झ, ञ, दे, दो, चा, ची)
आज आपको कार्य क्षेत्र पर कई व्यवधानों का सामना करना पड़ सकता है परन्तु आत्मविश्वास बनाये रखें सोची योजनाएं अवश्य पूरी होंगी। कार्य आज थोड़े विलम्ब से शुरू होने के कारण पूर्ण होने में भी विलम्ब होगा आर्थिक मामले इस वजह से प्रभावित हो सकती है। विपरीत लिंगीय व्यक्ति के प्रति अधिक आकर्षण बेवजह परेशानी का कारण बनेगा। प्रेम प्रसंगों में किसी ग़लतफ़हमी के कारण अचानक दूरी आ सकती है। धन सम्बंधित व्यवहारों के कारण असहजता रहेगी। नौकरी पेशा जातक भी कार्य स्थल पर असुरक्षित अनुभव करेंगे। अधिकारी वर्ग अकारण भी क्रोध कर सकते है।
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नागपंचमी (श्रावण पंचमी) 13 अगस्त शुक्रवार 2021 विशेष 
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श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को नागपंचमी का पर्व मनाया जाता है। इस पर्व पर प्रमुख नाग मंदिरों में श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ती है और भक्त नागदेवता के दर्शन व पूजा करते हैं। सिर्फ मंदिरों में ही नहीं बल्कि घर-घर में इस दिन नागदेवता की पूजा करने का विधान है।
ऐसी मान्यता है कि जो भी इस दिन श्रद्धा व भक्ति से नागदेवता का पूजन करता है उसे व उसके परिवार को कभी भी सर्प भय नहीं होता। इस बार यह पर्व 13 अगस्त, शुक्रवार को यानी आज है है। इस दिन नागदेवता की पूजा किस प्रकार करें, इसकी विधि इस प्रकार है।
 पूजन विधि
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नागपंचमी पर सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि करने के बाद सबसे पहले भगवान शंकर का ध्यान करें नागों की पूजा शिव के अंश के रूप में और शिव के आभूषण के रूप में ही की जाती है। क्योंकि नागों का कोई अपना अस्तित्व नहीं है। अगर वो शिव के गले में नहीं होते तो उनका क्या होता। इसलिए पहले भगवान शिव का पूजन करेंगे।  शिव का अभिषेक करें, उन्हें बेलपत्र और जल चढ़ाएं।
इसके बाद शिवजी के गले में विराजमान नागों की पूजा करे। नागों को हल्दी, रोली, चावल और फूल अर्पित करें। इसके बाद चने, खील बताशे और जरा सा कच्चा दूध प्रतिकात्मक रूप से अर्पित करेंगे।
घर के मुख्य द्वार पर गोबर, गेरू या मिट्टी से सर्प की आकृति बनाएं और इसकी पूजा करें।
घर के मुख्य द्वार पर सर्प की आकृति बनाने से जहां आर्थिक लाभ होता है, वहीं घर पर आने वाली विपत्तियां भी टल जाती हैं।
इसके बाद ‘ऊं कुरु कुल्ले फट् स्वाहा’ का जाप करते हुए घर में जल छिड़कें। अगर आप नागपंचमी के दिन आप सामान्य रूप से भी इस मंत्र का उच्चारण करते हैं तो आपको नागों का तो आर्शीवाद मिलेगा ही साथ ही आपको भगवान शंकर का भी आशीष मिलेगा बिना शिव जी की पूजा के कभी भी नागों की पूजा ना करें। क्योंकि शिव की पूजा करके नागों की पूजा करेंगे तो वो कभी अनियंत्रित नहीं होंगे नागों की स्वतंत्र पूजा ना करें, उनकी पूजा शिव जी के आभूषण के रूप में ही करें।
नाग-नागिन के जोड़े की प्रतिमा (सोने, चांदी या तांबे से निर्मित) के सामने यह मंत्र बोलें।
अनन्तं वासुकिं शेषं पद्मनाभं च कम्बलम्।
शंखपाल धृतराष्ट्रं तक्षकं कालियं तथा।।
एतानि नव नामानि नागानां च महात्मनाम्।
सायंकाले पठेन्नित्यं प्रात:काले विशेषत:।।
तस्मै विषभयं नास्ति सर्वत्र विजयी भवेत्।।
इसके बाद पूजा व उपवास का संकल्प लें। नाग-नागिन के जोड़े की प्रतिमा को दूध से स्नान करवाएं। इसके बाद शुद्ध जल से स्नान कराकर गंध, फूल, धूप, दीप से पूजा करें व सफेद मिठाई का भोग लगाएं। यह प्रार्थना करें।
सर्वे नागा: प्रीयन्तां मे ये केचित् पृथिवीतले।।
ये च हेलिमरीचिस्था येन्तरे दिवि संस्थिता।
ये नदीषु महानागा ये सरस्वतिगामिन:।
ये च वापीतडागेषु तेषु सर्वेषु वै नम:।।
प्रार्थना के बाद नाग गायत्री मंत्र का जाप करें-
ऊँ नागकुलाय विद्महे विषदन्ताय धीमहि तन्नो सर्प: प्रचोदयात्।
इसके बाद सर्प सूक्त का पाठ करें
ब्रह्मलोकुषु ये सर्पा: शेषनाग पुरोगमा:।
नमोस्तुतेभ्य: सर्पेभ्य: सुप्रीता: मम सर्वदा।।
इन्द्रलोकेषु ये सर्पा: वासुकि प्रमुखादय:।
नमोस्तुतेभ्य: सर्पेभ्य: सुप्रीता: मम सर्वदा।।
कद्रवेयाश्च ये सर्पा: मातृभक्ति परायणा।
नमोस्तुतेभ्य: सर्पेभ्य: सुप्रीता: मम सर्वदा।।
इंद्रलोकेषु ये सर्पा: तक्षका प्रमुखादय:।
नमोस्तुतेभ्य: सर्पेभ्य: सुप्रीता: मम सर्वदा।।
सत्यलोकेषु ये सर्पा: वासुकिना च रक्षिता।
नमोस्तुतेभ्य: सर्पेभ्य: सुप्रीता: मम सर्वदा।।मलये चैव ये सर्पा: कर्कोटक प्रमुखादय:।
नमोस्तुतेभ्य: सर्पेभ्य: सुप्रीता: मम सर्वदा।।
पृथिव्यांचैव ये सर्पा: ये साकेत वासिता।
नमोस्तुतेभ्य: सर्पेभ्य: सुप्रीता: मम सर्वदा।।
सर्वग्रामेषु ये सर्पा: वसंतिषु संच्छिता।
नमोस्तुतेभ्य: सर्पेभ्य: सुप्रीता: मम सर्वदा।।
ग्रामे वा यदिवारण्ये ये सर्पा प्रचरन्ति च।
नमोस्तुतेभ्य: सर्पेभ्य: सुप्रीता: मम सर्वदा।।
समुद्रतीरे ये सर्पा ये सर्पा जलवासिन:।
नमोस्तुतेभ्य: सर्पेभ्य: सुप्रीता: मम सर्वदा।।
रसातलेषु या सर्पा: अनन्तादि महाबला:।
नमोस्तुतेभ्य: सर्पेभ्य: सुप्रीता: मम सर्वदा।।
नागदेवता की आरती करें और प्रसाद बांट दें। इस प्रकार पूजा करने से नागदेवता प्रसन्न होते हैं और हर मनोकामना पूरी करते हैं।
नागपंचमी
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महाभारत आदि ग्रंथों में नागों की उत्पत्ति के बारे में बताया गया है। इनमें शेषनाग, वासुकि, तक्षक आदि प्रमुख हैं। नागपंचमी के अवसर पर हम आपको ग्रंथों में वर्णित प्रमुख नागों के बारे में बता रहे हैं।
तक्षक नाग
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धर्म ग्रंथों के अनुसार, तक्षक पातालवासी आठ नागों में से एक है। तक्षक के संदर्भ में महाभारत में वर्णन मिलता है। उसके अनुसार, श्रृंगी ऋषि के शाप के कारण तक्षक ने राजा परीक्षित को डसा था, जिससे उनकी मृत्यु हो गयी थी। तक्षक से बदला लेने के उद्देश्य से राजा परीक्षित के पुत्र जनमेजय ने सर्प यज्ञ किया था। इस यज्ञ में अनेक सर्प आ-आकर गिरने लगे। यह देखकर तक्षक देवराज इंद्र की शरण में गया।
जैसे ही ऋत्विजों (यज्ञ करने वाले ब्राह्मण) ने तक्षक का नाम लेकर यज्ञ में आहुति डाली, तक्षक देवलोक से यज्ञ कुंड में गिरने लगा। तभी आस्तिक ऋषि ने अपने मंत्रों से उन्हें आकाश में ही स्थिर कर दिया। उसी समय आस्तिक मुनि के कहने पर जनमेजय ने सर्प यज्ञ रोक दिया और तक्षक के प्राण बच गए।
कर्कोटक नाग
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कर्कोटक शिव के एक गण हैं। पौराणिक कथाओं के अनुसार, सर्पों की मां कद्रू ने जब नागों को सर्प यज्ञ में भस्म होने का श्राप दिया तब भयभीत होकर कंबल नाग ब्रह्माजी के लोक में, शंखचूड़ मणिपुर राज्य में, कालिया नाग यमुना में, धृतराष्ट्र नाग प्रयाग में, एलापत्र ब्रह्मलोक में और अन्य कुरुक्षेत्र में तप करने चले गए।
ब्रह्माजी के कहने पर कर्कोटक नाग ने महाकाल वन में महामाया के सामने स्थित लिंग की स्तुति की। शिव ने प्रसन्न होकर कहा- जो नाग धर्म का आचरण करते हैं, उनका विनाश नहीं होगा। इसके बाद कर्कोटक नाग उसी शिवलिंग में प्रवेश कर गया। तब से उस लिंग को कर्कोटेश्वर कहते हैं। मान्यता है कि जो लोग पंचमी, चतुर्दशी और रविवार के दिन कर्कोटेश्वर शिवलिंग की पूजा करते हैं उन्हें सर्प पीड़ा नहीं होती।
कालिया नाग
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श्रीमद्भागवत के अनुसार, कालिया नाग यमुना नदी में अपनी पत्नियों के साथ निवास करता था। उसके जहर से यमुना नदी का पानी भी जहरीला हो गया था। श्रीकृष्ण ने जब यह देखा तो वे लीलावश यमुना नदी में कूद गए। यहां कालिया नाग व भगवान श्रीकृष्ण के बीच भयंकर युद्ध हुआ। अंत में श्रीकृष्ण ने कालिया नाग को पराजित कर दिया। तब कालिया नाग की पत्नियों ने श्रीकृष्ण से कालिया नाग को छोडऩे के लिए प्रार्थना की। तब श्रीकृष्ण ने उनसे कहा कि तुम सब यमुना नदी को छोड़कर कहीं और निवास करो। श्रीकृष्ण के कहने पर कालिया नाग परिवार सहित यमुना नदी छोड़कर कहीं और चला गया।
इनके अलावा कंबल, शंखपाल, पद्म व महापद्म आदि नाग भी धर्म ग्रंथों में पूज्यनीय बताए गए हैं।
नागपंचमी पर नागों की पूजा कर आध्यात्मिक शक्ति और धन मिलता है। लेकिन पूजा के दौरान कुछ बातों का ख्याल रखना बेहद जरूरी है।
हिंदू परंपरा में नागों की पूजा क्यों की जाती है और ज्योतिष में नाग पंचमी का क्या महत्व है।
अगर कुंडली में राहु-केतु की स्थिति ठीक ना हो तो इस दिन विशेष पूजा का लाभ पाया जा सकता है।
जिनकी कुंडली में विषकन्या या अश्वगंधा योग हो, ऐसे लोगों को भी इस दिन पूजा-उपासना करनी चाहिए. जिनको सांप के सपने आते हों या सर्प से डर लगता हो तो ऐसे लोगों को इस दिन नागों की पूजा विशेष रूप से करना चाहिए।
भूलकर भी ये ना करें
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1. जो लोग भी नागों की कृपा पाना चाहते हैं उन्हें नागपंचमी के दिन ना तो भूमि खोदनी चाहिए और ना ही साग काटना चाहिए.।
2. उपवास करने वाला मनुष्य सांयकाल को भूमि की खुदाई कभी न करे।
3. नागपंचमी के दिन धरती पर हल न चलाएं।
4. देश के कई भागों में तो इस दिन सुई धागे से किसी तरह की सिलाई आदि भी नहीं की जाती।
5. न ही आग पर तवा और लोहे की कड़ाही आदि में भोजन पकाया जाता है।
6. किसान लोग अपनी नई फसल का तब तक प्रयोग नहीं करते जब तक वह नए अनाज से बाबे को रोट न चढ़ाएं।
राहु-केतु से परेशान हों तो क्या करें
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एक बड़ी सी रस्सी में सात गांठें लगाकर प्रतिकात्मक रूप से उसे सर्प बना लें इसे एक आसन पर स्थापित करें। अब इस पर कच्चा दूध, बताशा और फूल अर्पित करें। साथ ही गुग्गल की धूप भी जलाएं.
इसके पहले राहु के मंत्र ‘ऊं रां राहवे नम:’ का जाप करना है और फिर केतु के मंत्र ‘ऊं कें केतवे नम:’ का जाप करें।
जितनी बार राहु का मंत्र जपेंगे उतनी ही बार केतु का मंत्र भी जपना है।
मंत्र का जाप करने के बाद भगवान शिव का स्मरण करते हुए एक-एक करके रस्सी की गांठ खोलते जाएं. फिर रस्सी को बहते हुए जल में प्रवाहित कर दें. राहु और केतु से संबंधित जीवन में कोई समस्या है तो वह समस्या दूर हो जाएगी।
सांप से डर लगता है या सपने आते हैं।
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अगर आपको सर्प से डर लगता है या सांप के सपने आते हैं तो चांदी के दो सर्प बनवाएं साथ में एक स्वास्तिक भी बनवाएं। अगर चांदी का नहीं बनवा सकते तो जस्ते का बनवा लीजिए।
अब थाल में रखकर इन दोनों सांपों की पूजा कीजिए और एक दूसरे थाल में स्वास्तिक को रखकर उसकी अलग पूजा कीजिए।
नागों को कच्चा दूध जरा-जरा सा दीजिए और स्वास्तिक पर एक बेलपत्र अर्पित करें. फिर दोनों थाल को सामने रखकर ‘ऊं नागेंद्रहाराय नम:’ का जाप करें।
इसके बाद नागों को ले जाकर शिवलिंग पर अर्पित करें और स्वास्तिक को गले में धारण करें।
ऐसा करने के बाद आपके सांपों का डर दूर हो जाएगा और सपने में सांप आना बंद हो जाएंगे।
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