‼️ 🕉️ ‼️🚩🌞 *सुप्रभातम्* 🌞
📜««« *आज का पञ्चांग* »»»📜
कलियुगाब्द……………………..5125
विक्रम संवत्…………………….2080
शक संवत्……………………….1945
मास……………………………….ज्येष्ठ
पक्ष……………………………….शुक्ल
तिथी…………………………….अष्टमी
प्रातः 09.55 पर्यंत पश्चात नवमी
रवि…………………………..उत्तरायण
सूर्योदय (इंदौर)…..प्रातः 05.42.41 पर
सूर्यास्त………….संध्या 07.06.14 पर
सूर्य राशि…………………………वृषभ
चन्द्र राशि………………………….सिंह
गुरु राशि……………………………मेष
नक्षत्र…………………….पूर्वाफाल्गुनी
रात्रि 02.14 पर्यंत पश्चात उत्तराफाल्गुनी
योग……………………………….हर्षण
रात्रि 08.31 पर्यंत पश्चात वज्र
करण……………………………….बव
प्रातः 09.55 पर्यंत पश्चात बालव
ऋतु……………………….(शुक्र) ग्रीष्म
*दिन………………………….रविवार*
*🇮🇳 राष्ट्रीय सौर ज्येष्ठ, दिनांक ०७*
*( शुक्रमास ) !*
*🇬🇧 आंग्ल मतानुसार दिनांक*
*२८ मई सन् २०२३ ईस्वी !*
☸ शुभ अंक………………………1
🔯 शुभ रंग…………………….नीला
⚜️ *अभिजीत मुहूर्त :-*
दोप 11.57 से 12.50 तक ।
👁🗨 *राहुकाल :-*
संध्या 05.22 से 07.01 तक ।
🌞 *उदय लग्न मुहूर्त :-*
*वृषभ*
04:58:36 06:57:36
*मिथुन*
06:57:36 09:11:17
*कर्क*
09:11:17 11:27:27
*सिंह*
11:27:27 13:39:16
*कन्या*
13:39:16 15:49:55
*तुला*
15:49:55 18:04:33
*वृश्चिक*
18:04:33 20:20:43
*धनु*
20:20:43 22:26:20
*मकर*
22:26:20 24:13:27
*कुम्भ*
24:13:27 25:47:00
*मीन*
25:47:00 27:18:11
*मेष*
27:18:11 28:58:36
🚦 *दिशाशूल :-*
पश्चिमदिशा – यदि आवश्यक हो तो दलिया, घी या पान का सेवनकर यात्रा प्रारंभ करें ।
✡ *चौघडिया :-*
प्रात: 07.24 से 09.04 तक चंचल
प्रात: 09.04 से 10.43 तक लाभ
प्रात: 10.43 से 12.23 तक अमृत
दोप. 02.02 से 03.42 तक शुभ
सायं 07.01 से 08.21 तक शुभ
संध्या 08.21 से 09.42 तक अमृत
रात्रि 09.42 से 11.02 तक चंचल ।
📿 *आज का मंत्रः*
।। ॐ हिरण्यगर्भाय नम: ।।
*संस्कृत सुभाषितानि :-*
*श्रीमद्भगवतगीता (प्रथम अध्याय – अर्जुन विषादयोग)*
दोषैरेतैः कुलघ्नानां वर्णसंकरकारकैः।
उत्साद्यन्ते जातिधर्माः कुलधर्माश्च शाश्वताः ॥ ४३ ॥
अर्थात :
वर्ण-संकरता के कारण होने वाले इन दोषों से कुलघातियों के सनातन कुल-धर्म और जाति-धर्म नष्ट हो जाते हैं॥43॥
🍃 *आरोग्यं सलाह :-*
*पेट और कमर की चर्बी कम करने के उपाय -*
*1. लहसुन -*
पेट की चर्बी को कम करने के लिए सबसे आसान उपाय लहसुन है। नियमित रूप से लहसुन का सेवन (भोजन या कच्चे में) एलिसिन के एंटी-ऑक्सीडेंट गुणों के कारण कोलेस्ट्रॉल के स्तर को कम करने में मदद करता है। दरअसल लहसुन में एलिसिन पाया जाता है। यह रक्तचाप और ब्लड शुगर के स्तर को नियंत्रित करने के लिए भी बेहद लाभकारी है। इसके लिए आप सुबह में एक या दो लहसुन को कच्चे रूप में चबा सकते हैं। शुरुआत में इसे चबाने से आपको मुश्किल हो सकती है, लेकिन समय के साथ, आप एक आदत विकसित करेंगे।
. ⚜ *आज का राशिफल* ⚜
🐐 *राशि फलादेश मेष :-*
*(चू, चे, चो, ला, ली, लू, ले, लो, आ)*
रोजगार प्राप्ति के प्रयास सफल रहेंगे। व्यावसायिक यात्रा सफल रहेगी। निवेश के सुखद परिणाम आएंगे। अप्रत्याशित लाभ हो सकता है। किसी बड़ी बाधा के दूर होने से प्रसन्नता रहेगी। स्वास्थ्य का ध्यान रखना होगा। भाग्य का साथ मिलेगा। पुराना रोग उभर सकता है। विवाद से क्लेश संभव है। लेन-देन में जल्दबाजी न करें।
🐂 *राशि फलादेश वृष :-*
*(ई, ऊ, ए, ओ, वा, वी, वू, वे, वो)*
अप्रत्याशित खर्च सामने आएंगे। कर्ज लेना पड़ सकता है। वाणी पर नियंत्रण रखें। दूसरों से अपेक्षा पूर्ण नहीं होने से खिन्नता रहेगी। कार्य में विलंब होगा। स्वास्थ्य का पाया कमजोर रहेगा। पारिवारिक चिंता बनी रहेगी। कीमती वस्तुएं संभालकर रखें। व्यवसाय ठीक चलेगा। आय बनी रहेगी। व्यस्तता रहेगी।
👫🏻 *राशि फलादेश मिथुन :-*
*(का, की, कू, घ, ङ, छ, के, को, ह)*
पुराने शत्रु परेशान कर सकते हैं। थकान व कमजोरी रह सकती है। जीवनसाथी के स्वास्थ्य की चिंता रहेगी। व्यावसायिक यात्रा सफल रहेगी। डूबी हुई रकम प्राप्त हो सकती है। लाभ के अवसर हाथ आएंगे। भाग्य का साथ रहेगा। व्यापार में वृद्धि के योग हैं। निवेश शुभ रहेगा। आय होगी। प्रमाद न करें।
🦀 *राशि फलादेश कर्क :-*
*(ही, हू, हे, हो, डा, डी, डू, डे, डो)*
नई योजना बनेगी। कार्यप्रणाली में सुधार होगा। कारोबार में वृद्धि होगी। जोखिम उठाने का साहस कर पाएंगे। नए व्यापारिक अनुबंध होंगे। धनार्जन होगा। लंबे समय से रुके कार्यों में गति आएगी। सामाजिक प्रतिष्ठा में वृद्धि होगी। जोखिम व जमानत के कार्य टालें। शत्रु परास्त होंगे। स्वास्थ्य का ध्यान रखें।
🦁 *राशि फलादेश सिंह :-*
*(मा, मी, मू, मे, मो, टा, टी, टू, टे)*
कुसंगति से हानि होगी। पूजा-पाठ में मन लगेगा। कोर्ट व कचहरी के कार्य अनुकूल रहेंगे। लाभ के अवसर हाथ आएंगे। परिवार के साथ समय अच्छा व्यतीत होगा। आर्थिक उन्नति के प्रयास सफल रहेंगे। कारोबार अच्छा चलेगा। नौकरी में उच्चाधिकारी प्रसन्नता रहेंगे। भाइयों का सहयोग मिलेगा। प्रसन्नता बनी रहेगी।
🙎🏻♀️ *राशि फलादेश कन्या :-*
*(ढो, पा, पी, पू, ष, ण, ठ, पे, पो)*
वाहन व मशीनरी आदि के प्रयोग में सावधानी रखें, विशेषकर स्त्रियां रसोई में ध्यान रखें। वाणी में हल्के शब्दों के प्रयोग से बचें। किसी व्यक्ति से बेवजह विवाद हो सकता है। लेन-देन में जल्दबाजी न करें। धनलाभ के अवसर प्राप्त होंगे। आय में निश्चितता होगी। ऐश्वर्य पर व्यय होगा।
⚖ *राशि फलादेश तुला :-*
*(रा, री, रू, रे, रो, ता, ती, तू, ते)*
शत्रु परास्त होंगे। कोर्ट व कचहरी के कार्य मनोनुकूल रहेंगे। जीवनसाथी से सहयोग प्राप्त होगा। सुख के साधन जुटेंगे। कारोबार में वृद्धि होगी। निवेशादि शुभ रहेंगे। नौकरी में सहकर्मी साथ देंगे। स्त्री पक्ष से लाभ होगा। अज्ञात भय रहेगा। लाभ के अवसर हाथ आएंगे। पार्टनरों का सहयोग मिलेगा। घर-बाहर प्रसन्नता रहेगी।
🦂 *राशि फलादेश वृश्चिक :-*
*(तो, ना, नी, नू, ने, नो, या, यी, यू)*
लेन-देन में जल्दबाजी न करें। किसी अपरिचित पर अतिविश्वास न करें। आय में वृद्धि होगी। भूमि व भवन संबंधी योजना बनेगी। कोई बड़ा लाभ हो सकता है। रोजगार प्राप्ति के प्रयास सफल रहेंगे। भाग्य बेहद अनुकूल है, लाभ लें। चोट व रोग से बचें। प्रेम-प्रसंग में अनुकूलता रहेगी। घर-बाहर प्रसन्नता रहेगी।
🏹 *राशि फलादेश धनु :-*
*(ये, यो, भा, भी, भू, धा, फा, ढा, भे)*
किसी गलती का खामियाजा भुगतना पड़ सकता है। जल्दबाजी व लापरवाही न करें। अज्ञात भय सताएगा। पुराना रोग उभर सकता है। भागदौड़ रहेगी। विद्यार्थी वर्ग सफलता हासिल करेगा। किसी आनंदोत्सव में भाग लेने का अवसर प्राप्त होगा। स्वादिष्ट भोजन का आनंद मिलेगा। प्रसन्नता रहेगी।
🐊 *राशि फलादेश मकर :-*
*(भो, जा, जी, खी, खू, खे, खो, गा, गी)*
सेहत का ध्यान रखें, पुराना रोग उभर सकता है। किसी बड़ी समस्या से सामना हो सकता है। लेन-देन में विशेष सावधानी रखें। वाणी में हल्के शब्दों के प्रयोग से बचें। दु:खद समाचार मिल सकता है। किसी व्यक्ति से बेवजह विवाद हो सकता है। व्यर्थ भागदौड़ होगी। कार्य में विलंब होगा। चिंता तथा तनाव रहेंगे। आय में निश्चितता रहेगी।
🏺 *राशि फलादेश कुंभ :-*
*(गू, गे, गो, सा, सी, सू, से, सो, दा)*
प्रयास सफल रहेंगे। सामाजिक प्रतिष्ठा में वृद्धि होगी। पराक्रम बढ़ेगा। आय में वृद्धि होगी। पराक्रम बढ़ेगा। किसी बड़े काम को करने में रुझान रहेगा। कारोबार में वृद्धि होगी। नौकरी में प्रशंसा प्राप्त होगी। शेयर मार्केट व म्युचुअल फंड से लाभ होगा। चोट व रोग से बचें। सुख के साधन जुटेंगे। घर में तनाव रह सकता है।
🐋 *राशि फलादेश मीन :-*
*(दी, दू, थ, झ, ञ, दे, दो, चा, ची)*
शुभ समाचार प्राप्त होंगे। घर में मेहमानों का आगमन होगा। आत्मविश्वास में वृद्धि होगी। विवेक से कार्य करें। विरोधी सक्रिय रहेंगे। मित्रों का सहयोग प्राप्त होगा । व्यापार-व्यवसाय लाभदायक रहेगा। नौकरी में चैन रहेगा। आय में वृद्धि होगी। मित्रों के साथ समय मनोरंजक व्यतीत होगा। प्रमाद न करें।
. *🚩 🎪 ‼️ 🕉️ घृणि सूर्याय नमः ‼️ 🎪 🚩*
*☯आज का दिन सभी के लिए मंगलमय हो☯*
. *‼️ शुभम भवतु ‼️*
. *‼️ जयतु भारती ‼️*
. 🚩🇮🇳‼️ *भारत माता की जय* ‼️🇮🇳🚩
*🌹नवग्रह के उपाय🌹*
💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐
*⭕नवग्रह व्यक्ति के जीवन पर शुभ-अशुभ प्रभाव रखते हैं। जब कुंडली में ग्रहों की दशा बेहतर होती है तो लाइफ पॉजिटिव रहती है। राजेश जैन एस्ट्रोलॉजर के अनुसार यदि आपकी कुंडली में कोई ग्रह नीच है या वह ग्रह खराब असर दे रहा है तो ये उपाय किए जा सकते हैं-* 1️⃣सूर्य के अशुभ होने पर शरीर में अकडऩ आ जाती है। मुंह में थूक बना रहता है। इसके लिए हर रोज़ मुंह में मीठा या गुड़ डालकर ऊपर से पानी पीकर ही घर से बाहर निकलें। पिता का सम्मान करें।
2️⃣चन्द्रमा को शुभ बनाने के लिए निम्न उपाय कर सकते हैं।
* शिव की भक्ति।
* सोमवार का व्रत।
* मोती धारण करना।
* प्रतिदिन माता के पैर छूना।
* पानी या दूध को साफ पात्र में सिरहाने रखकर सोएं और सुबह कीकर के वृक्ष की जड़ में डाल दें।
* चावल, सफेद वस्त्र, शंख, वंशपात्र, सफेद चंदन, श्वेत पुष्प, चीनी, बैल, दही और मोती दान करना चाहिए।
* दो मोती या दो चांदी के टुकड़े लेकर एक टुकड़ा पानी में बहा दें तथा दूसरे को अपने पास रखें।
* कुंडली के छठे भाव में चन्द्र हो तो दूध या पानी का दान करना मना है।
* यदि चन्द्र 12वां हो तो धर्मात्मा या साधु को भोजन न कराएं और न ही दूध पिलाएं।
* सोमवार को सफेद वस्तु जैसे दही, चीनी, चावल, सफेद वस्त्र,1 जोड़ा जनेऊ, दक्षिणा के साथ दान करना।
* *•#’ॐ सोम सोमाय नमः’* का 108 बार नित्य जाप करना श्रेयस्कर होता है।
* चंद्र अच्छा है तो उसकी वस्तुओं का दान न करें और बुरा है तो दान करें।
3️⃣मंगल ठीक रखने के लिए प्रतिदिन हनुमान जी की पूजा करें। सुंदरकांड का पाठ करें। चींटियों को मिठाई खिलाएं। चरित्रवान बनें। मांस न खाएं।
4️⃣बुध ग्रह को शुभ करने के लिए दुर्गा माता की पूजा करें। नाक छिदवाएं। बेटी, बहन, बुआ और साली से अच्छे संबंध रखें। बुधवार के दिन गाय को हरा चारा खिलाएं। साबुत हरे मूंग का दान करें। कभी झूठ न बोलें।
5️⃣गुरु की कृपा प्राप्त करने के लिए पीपल में जल चढ़ाएं। सदा सत्य बोलें और चाल-चलन को शुद्ध रखें। पिता, दादा और गुरु का आदर करें। घर में धूप-दीप दें। केसर या चंदन का तिलक लगाएं। पीले वस्त्र पहनें। घर के ईशान कोण को साफ और खाली रखें। वहां जल की स्थापना कर सकते हैं। हर रोज माता के पैर छुएं। एकादशी या प्रदोष का व्रत रखें। विशेष अवसरों पर ही शिव जी को जल चढ़ाएं। चंद्र अच्छा है तो उसकी वस्तुओं का दान न करें और बुरा है तो दान करें।
6️⃣यदि शुक्र अशुभ हो तो स्त्री ऋण का उपाय करें। हर शुक्रवार को विष्णु-लक्ष्मी मंदिर में गुलाब के फूल चढ़ाएं। स्वयं को और घर को साफ-सुथरा रखें। हमेशा साफ कपड़े पहनें। शरीर को जरा भी गंदा न रखें। सुगंधित इत्र या परफ्यूम का उपयोग करें। पवित्र बने रहें।
7️⃣शनि ग्रह की शांति के लिए भगवान भैरव की उपासना करें। हर शनिवार शाम को शनि मंदिर में एक कटोरी में रखे सरसों के तेल में अपनी छाया देखें और उसे वहीं मंदिर में रख कर आ जाएं। इसे छायादान करना कहते हैं। शराब का सेवन न करें। दांत, बाल और नाखून हमेशा साफ रखें। शनिवार सुबह नहाते समय जल में थोड़ा-सा चमेली का तेल डालकर नहाएं। नेत्रहीनों, अपंगों, सेवकों और सफाई कर्मियों से अच्छा व्यवहार करते हुए उनको दान दें।
8️⃣राहू ग्रह के उपाय के लिए किचन में ही खाना खाएं। शौचालय में कपूर की एक डली रखें। चांदी का हाथी घर में रखें। ससुराल पक्ष से अच्छे संबंध रखें। स्नानघर में लकड़ी के पीढ़े पर बैठकर ही स्नान करें। काले, कत्थई, भूरे, मटमैले रंग के वस्त्र पहनने से बचें।
9️⃣केतु को अपने पक्ष में करने के लिए कान छिदवाएं। संतान और अन्य बच्चों से भी मधुर संबंध रखें। दो रंग के कुत्ते को रोटी खिलाएं। दो रंगों का कंबल दान भी कर सकते हैं। बुरे व्यक्तियों की संगत से बचें।
*🚩हरि ऊँ🚩*
💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐
🌹महत्वपूर्ण जानकारी 🌹
■ 7 दिवस = 1 सप्ताह
■ 4 सप्ताह = 1 माह ,
■ 2 माह = 1 ऋतू
■ 6 ऋतू = 1 वर्ष ,
■ 100 वर्ष = 1 शताब्दी
■ 10 शताब्दी = 1 सहस्राब्दी ,
■ 432 सहस्राब्दी = 1 युग
■ 2 युग = 1 द्वापर युग ,
■ 3 युग = 1 त्रैता युग ,
■ 4 युग = सतयुग
■ सतयुग + त्रेतायुग + द्वापरयुग + कलियुग = 1 महायुग
■ 72 महायुग = मनवन्तर ,
■ 1000 महायुग = 1 कल्प
■ 1 नित्य प्रलय = 1 महायुग (धरती पर जीवन अन्त और फिर आरम्भ )
■ 1 नैमितिका प्रलय = 1 कल्प ।(देवों का अन्त और जन्म )
■ महालय = 730 कल्प ।(ब्राह्मा का अन्त और जन्म )
सम्पूर्ण विश्व का सबसे बड़ा और वैज्ञानिक समय गणना तन्त्र यही है। जो हमारे देश भारत में बना। ये हमारा भारत जिस पर हमको गर्व है l
दो लिंग : नर और नारी ।
दो पक्ष : शुक्ल पक्ष और कृष्ण पक्ष।
दो पूजा : वैदिकी और तांत्रिकी (पुराणोक्त)।
दो अयन : उत्तरायन और दक्षिणायन।
तीन देव : ब्रह्मा, विष्णु, शंकर।
तीन देवियाँ : महा सरस्वती, महा लक्ष्मी, महा गौरी।
तीन लोक : पृथ्वी, आकाश, पाताल।
तीन गुण : सत्वगुण, रजोगुण, तमोगुण।
तीन स्थिति : ठोस, द्रव, वायु।
तीन स्तर : प्रारंभ, मध्य, अंत।
तीन पड़ाव : बचपन, जवानी, बुढ़ापा।
तीन रचनाएँ : देव, दानव, मानव।
तीन अवस्था : जागृत, मृत, बेहोशी।
तीन काल : भूत, भविष्य, वर्तमान।
तीन नाड़ी : इडा, पिंगला, सुषुम्ना।
तीन संध्या : प्रात:, मध्याह्न, सायं।
तीन शक्ति : इच्छाशक्ति, ज्ञानशक्ति, क्रियाशक्ति।
चार धाम : बद्रीनाथ, जगन्नाथ पुरी, रामेश्वरम्, द्वारका।
चार मुनि : सनत, सनातन, सनंद, सनत कुमार।
चार वर्ण : ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य, शूद्र।
चार निति : साम, दाम, दंड, भेद।
चार वेद : सामवेद, ॠग्वेद, यजुर्वेद, अथर्ववेद।
चार स्त्री : माता, पत्नी, बहन, पुत्री।
चार युग : सतयुग, त्रेतायुग, द्वापर युग, कलयुग।
चार समय : सुबह, शाम, दिन, रात।
चार अप्सरा : उर्वशी, रंभा, मेनका, तिलोत्तमा।
चार गुरु : माता, पिता, शिक्षक, आध्यात्मिक गुरु।
चार प्राणी : जलचर, थलचर, नभचर, उभयचर।
चार जीव : अण्डज, पिंडज, स्वेदज, उद्भिज।
चार वाणी : ओम्कार्, अकार्, उकार, मकार्।
चार आश्रम : ब्रह्मचर्य, ग्राहस्थ, वानप्रस्थ, सन्यास।
चार भोज्य : खाद्य, पेय, लेह्य, चोष्य।
चार पुरुषार्थ : धर्म, अर्थ, काम, मोक्ष।
चार वाद्य : तत्, सुषिर, अवनद्व, घन।
पाँच तत्व : पृथ्वी, आकाश, अग्नि, जल, वायु।
पाँच देवता : गणेश, दुर्गा, विष्णु, शंकर, सुर्य।
पाँच ज्ञानेन्द्रियाँ : आँख, नाक, कान, जीभ, त्वचा।
पाँच कर्म : रस, रुप, गंध, स्पर्श, ध्वनि।
पाँच उंगलियां : अँगूठा, तर्जनी, मध्यमा, अनामिका, कनिष्ठा।
पाँच पूजा उपचार : गंध, पुष्प, धुप, दीप, नैवेद्य।
पाँच अमृत : दूध, दही, घी, शहद, शक्कर।
पाँच प्रेत : भूत, पिशाच, वैताल, कुष्मांड, ब्रह्मराक्षस।
पाँच स्वाद : मीठा, चर्खा, खट्टा, खारा, कड़वा।
पाँच वायु : प्राण, अपान, व्यान, उदान, समान।
पाँच इन्द्रियाँ : आँख, नाक, कान, जीभ, त्वचा, मन।
पाँच वटवृक्ष : सिद्धवट (उज्जैन), अक्षयवट (Prayagraj), बोधिवट (बोधगया), वंशीवट (वृंदावन), साक्षीवट (गया)।
पाँच पत्ते : आम, पीपल, बरगद, गुलर, अशोक।
पाँच कन्या : अहिल्या, तारा, मंदोदरी, कुंती, द्रौपदी।
छ: ॠतु : शीत, ग्रीष्म, वर्षा, शरद, बसंत, शिशिर।
छ: ज्ञान के अंग : शिक्षा, कल्प, व्याकरण, निरुक्त, छन्द, ज्योतिष।
छ: कर्म : देवपूजा, गुरु उपासना, स्वाध्याय, संयम, तप, दान।
छ: दोष : काम, क्रोध, मद (घमंड), लोभ (लालच), मोह, आलस्य।
सात छंद : गायत्री, उष्णिक, अनुष्टुप, वृहती, पंक्ति, त्रिष्टुप, जगती।
सात स्वर : सा, रे, ग, म, प, ध, नि।
सात सुर : षडज्, ॠषभ्, गांधार, मध्यम, पंचम, धैवत, निषाद।
सात चक्र : सहस्त्रार, आज्ञा, विशुद्ध, अनाहत, मणिपुर, स्वाधिष्ठान, मुलाधार।
सात वार : रवि, सोम, मंगल, बुध, गुरु, शुक्र, शनि।
सात मिट्टी : गौशाला, घुड़साल, हाथीसाल, राजद्वार, बाम्बी की मिट्टी, नदी संगम, तालाब।
सात महाद्वीप : जम्बुद्वीप (एशिया), प्लक्षद्वीप, शाल्मलीद्वीप, कुशद्वीप, क्रौंचद्वीप, शाकद्वीप, पुष्करद्वीप।
सात ॠषि : वशिष्ठ, विश्वामित्र, कण्व, भारद्वाज, अत्रि, वामदेव, शौनक।
सात ॠषि : वशिष्ठ, कश्यप, अत्रि, जमदग्नि, गौतम, विश्वामित्र, भारद्वाज।
सात धातु (शारीरिक) : रस, रक्त, मांस, मेद, अस्थि, मज्जा, वीर्य।
सात रंग : बैंगनी, जामुनी, नीला, हरा, पीला, नारंगी, लाल।
सात पाताल : अतल, वितल, सुतल, तलातल, महातल, रसातल, पाताल।
सात पुरी : मथुरा, हरिद्वार, काशी, अयोध्या, उज्जैन, द्वारका, काञ्ची।
सात धान्य : उड़द, गेहूँ, चना, चांवल, जौ, मूँग, बाजरा।
आठ मातृका : ब्राह्मी, वैष्णवी, माहेश्वरी, कौमारी, ऐन्द्री, वाराही, नारसिंही, चामुंडा।आठ लक्ष्मी : आदिलक्ष्मी, धनलक्ष्मी, धान्यलक्ष्मी, गजलक्ष्मी, संतानलक्ष्मी, वीरलक्ष्मी, विजयलक्ष्मी, विद्यालक्ष्मी।
आठ वसु : अप (अह:/अयज), ध्रुव, सोम, धर, अनिल, अनल, प्रत्युष, प्रभास।
आठ सिद्धि : अणिमा, महिमा, गरिमा, लघिमा, प्राप्ति, प्राकाम्य, ईशित्व, वशित्व।
आठ धातु : सोना, चांदी, ताम्बा, सीसा जस्ता, टिन, लोहा, पारा।
नवदुर्गा : शैलपुत्री, ब्रह्मचारिणी, चन्द्रघंटा, कुष्मांडा, स्कन्दमाता, कात्यायनी, कालरात्रि, महागौरी, सिद्धिदात्री।
नवग्रह : सुर्य, चन्द्रमा, मंगल, बुध, गुरु, शुक्र, शनि, राहु, केतु।
नवरत्न : हीरा, पन्ना, मोती, माणिक, मूंगा, पुखराज, नीलम, गोमेद, लहसुनिया।
नवनिधि : पद्मनिधि, महापद्मनिधि, नीलनिधि, मुकुंदनिधि, नंदनिधि, मकरनिधि, कच्छपनिधि, शंखनिधि, खर्व/मिश्र निधि।
दस महाविद्या : काली, तारा, षोडशी, भुवनेश्वरी, भैरवी, छिन्नमस्तिका, धूमावती, बगलामुखी, मातंगी, कमला।
दस दिशाएँ : पूर्व, पश्चिम, उत्तर, दक्षिण, आग्नेय, नैॠत्य, वायव्य, ईशान, ऊपर, नीचे।
दस दिक्पाल : इन्द्र, अग्नि, यमराज, नैॠिति, वरुण, वायुदेव, कुबेर, ईशान, ब्रह्मा, अनंत।
दस अवतार (विष्णुजी) : मत्स्य, कच्छप, वाराह, नृसिंह, वामन, परशुराम, राम, कृष्ण, बुद्ध, कल्कि।
दस सति : सावित्री, अनुसुइया, मंदोदरी, तुलसी, द्रौपदी, गांधारी, सीता, दमयन्ती, सुलक्षणा, अरुंधती।
*उक्त जानकारी शास्त्रोक्त 📚 आधार पर… हैं ।
जय श्री राम 🌹🙏सनातन कर्मकाण्डी