आज का पंचाग, आपका राशि फल, संस्कृत भाषा की इस विशालता और विशेषता से विश्व को परिचित होना चाहिए

पुण्य लाभ के लिए इस पंचांग को औरो को भी अवश्य भेझिये🙏🏻
🌞 ~ *आज का हिन्दू पंचांग* ~ 🌞
⛅ *दिनांक 05 फरवरी 2021*
⛅ *दिन – शुक्रवार*
⛅ *विक्रम संवत – 2077*
⛅ *शक संवत – 1942*
⛅ *अयन – उत्तरायण*
⛅ *ऋतु – शिशिर*
⛅ *मास – माघ (गुजरात एवं महाराष्ट्र अनुसार – पौष)*
⛅ *पक्ष – कृष्ण*
⛅ *तिथि – अष्टमी सुबह 10:07 तक तत्पश्चात नवमी*
⛅ *नक्षत्र – विशाखा शाम 06:58 तक तत्पश्चात अनुराधा*
⛅ *योग – वृद्धि शाम 07:21 तक तत्पश्चात ध्रुव*
⛅ *राहुकाल – सुबह 11:28 से दोपहर 12:53 तक*
⛅ *सूर्योदय – 07:15*
⛅ *सूर्यास्त – 18:30*
⛅ *दिशाशूल – पश्चिम दिशा में*⛅ *व्रत पर्व विवरण –
💥 *विशेष – अष्टमी को नारियल का फल खाने से बुद्धि का नाश होता है।(ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)*
💥 *अष्टमी तिथि के दिन ब्रह्मचर्य पालन करे तथा तिल का तेल खाना और लगाना निषिद्ध है।(ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-38)*
🌞 *~ हिन्दू पंचांग ~* 🌞

🌷 *काम-धंधे में बरकत के लिए* 🌷
🐄 *नौकरी या काम-धंधे में बरकत नहीं आती हो तो गाय की धूलि लेकर उसको ललाट पर लगाकर काम-धंधे पर जाएँ l धीरे-धीरे बरकत होने लगेगी और विघ्न हटने लगेंगे l
🌞 *~ हिन्दू पंचांग ~* 🌞

🌷 *पेट सम्बन्धी तकलीफों में* 🌷
🍋 *नींबू के रस में सौंफ भिगो दें और जितना नींबू का रस, सौंफ पी ले l फिर सौंफ में थोड़ा काला नमक या संत कृपा चूर्ण मिलाकर तवे में सेंक कर रख दो l ये लेने से पेट का भारीपन, बदहाजमा दूर होगा और भूख खुलकर लगेगी l कब्ज़ की तकलीफ भी ठीक हो जायेगी l
🌞 *~ हिन्दू पंचांग ~* 🌞

🌷 *पढाई में आशातीत लाभ हेतु* 🌷
👉🏻 *विद्यार्थी अध्ययन-कक्ष में अपने इष्टदेव या गुरुदेव का श्रीविग्रह अथवा स्वस्तिक या ॐकार का चित्र रखें तथा नियमित अध्ययन से पूर्व उसे १०-१५ मिनट अपनी आँखों की सीध में रखकर पलकें गिराये बिना एकटक देखें अर्थात त्राटक करें | इससे पढ़ाई में आशातीत लाभ होता हैं |*
🙏🏻💐🙏🏻पंचक आरम्भ
फरवरी 12, 2021, शुक्रवार को 02:11 am

पंचक अंत
फरवरी 16, 2021, मंगलवार को 08:57 pm

षटतिला एकादशी रविवार, 07 फरवरी 2021
जया एकादशी मंगलवार, 23 फरवरी 2021

09 फरवरी- भौम प्रदोष व्रत
24 फरवरी- प्रदोष व्रत

माघ पूर्णिमा 27 फरवरी, शनिवार
माघ अमावस्या 11 फरवरी 2021, गुरुवार
मेष
आपके कार्यक्षेत्र मेंआज आपके पक्ष में कुछ परिवर्तन हो सकता है, जिससे आपके साथी कर्मचारियों का मूड खराब हो सकता है, लेकिन आप अपने सद व्यवहार से खराब माहौल को भी अच्छा बनाने में कामयाब रहेंगे। विद्यार्थियों को शिक्षा के क्षेत्र में आज नये अवसर प्राप्त होगे। आपके भाई-बहन भी आज आपका पूर्ण सहयोग देंगे, जिससे आपके लिए लाभ की स्थितियां बनती दिख रही हैं। आपके पिताजी का भी आपको पूर्ण सहयोग मिलेगा, लेकिन पत्नी के स्वास्थ्य में कुछ खराबी होने के कारण कुछ परेशानी का सामना करना पड़ सकता है
वृष 
आज का दिन आपके लिए मध्यम फलदायक रहेगा। शाम के समय किसी अतिथि के पारिवारिक आगमन पर आपका मन हर्षित होगा और किसी मांगलिक कार्यक्रम में सम्मिलित होने से आपका सम्मान भी बढेगा। आपके परिजनों का आज का दिन सुखद क्षणों में व्यतीत होगा। भाग्य का पूरा साथ मिलेगा और शुभ समाचार भी मिलेंगे, लेकिन स्वास्थ्य के प्रति थोड़ा सचेत रहने की आवश्यकता है। विद्यार्थियों की बौद्धिक क्षमता का आज विकास होगा। आपकी माता जी का आज आपको विशेष सहयोग मिलेगा और पारिवारिक संपत्ति से मिलने की प्रबल संभावनाएं दिख रही है।
मिथुन
आज आपके पारिवारिक बिजनेस में जीवनसाथी के द्वारा दी गई सलाह आप के आर्थिक लाभ में वृद्धि कराएगी। अधिकारियों के सहयोग से आपकी बहुमूल्य वस्तु या संपत्ति की प्राप्ति की अभिलाषा आज पूरी होती दिख रही है। इसमें आपके पिताजी का आपको भरपूर सहयोग मिलेगा। कार्य के क्षेत्र में आज अधिक व्यस्तता रहेगी, लेकिन आपको व्यर्थ में होने वाले व्यय से बचना होगा। अनुभवों की मदद से कठिन समस्या का समाधान खोजने में आज आप सफल होंगे। लाइफ में मधुरता बनी रहे। महापुरुषों के दर्शन से आज आपका मनोबल और बढ़ेगा। धार्मिक व सामाजिक कार्य में आपकी काव्य कीर्ति बढ़ेगी
कर्क
आज आपकी पारिवारिक स्थिति कुछ तनावपूर्ण हो सकती है, लेकिन फिर भी आप के भाइयों के सहयोग से आप अपनी सभी समस्याओं से मुक्ति पा लेंगे। आपका सायंकाल का समय आज देव दर्शन और दान पुण्य कार्य में बीतेगा। आपके अटके हुए कार्य पूरे होने से आपको अधिक मात्रा में धन की प्राप्ति होगी, जिससे आपके धन कोष की वृद्धि होगी। व्यवसाय की योजनाओं को गति मिलेगी। सामाजिक कार्य करने से आज आपकी पद प्रतिष्ठा बढ़ सकती है
सिंह
आज आपकी संतान के प्रति दायित्वो की पूर्ति होगी। आपको बाहर के खाने पीने से बचना होगा क्योंकि आपके स्वास्थ्य में गड़बड़ हो सकती है। अपनी लव लाइफ में आज अपनी वाणी पर नियंत्रण रखेंगे, तो संबंधों में मधुरता आएगी। आपको अपने बड़े भाई के सहयोग से परिवार की योजनाओं पर चर्चा करेंगे। किसी प्रिय व्यक्ति के दर्शन हो सकते हैं, जिससे आपका शाम का समय हास्य परिहास में व्यतीत होगा। राजनीति के क्षेत्र में जाटों को साझा करने से सफलता मिलेगी और नए कार्यों की रूपरेखा तैयार होगी। छात्रों की उच्च शिक्षा से संबंधित इच्छा आज पूरी होगी
कन्या
आज आपको विदेश से कोई शुभ समाचार मिलने की उम्मीद है, जिससे आपका मन प्रसन्न होगा और आपकी योजनाओं को गति मिलेगी। आज आप वृद्धजनों की सेवा वह पुण्य के कार्यों पर कुछ धन व्यय कर सकते हैं, जिससे आपका मन हर्षित होगा। दांपत्य जीवन में सुखद स्थिति दिख रही है। पारिवारिक सुख समृद्धि के लिए कुछ सहन करेंगे। निवेश के लिए सही है। इससे आपकी आर्थिक स्थिति मजबूत होगी। आज आपके व्यवसाय के शत्रु आपकी बुद्धिमत्ता से पराजित नजर आएंगे और उनसे आपको निजात भी मिलेगी
तुला
कार्य क्षेत्र में आज आपकी वाकपटुता आपको विशेष सम्मान दिलाएगी। साथी ही आपको अपने नए प्रोजेक्टों पर काम करने का मौका भी मिलेगा। आपको अधिक भाग दौड़ करने से बचना होगा। साथ ही मौसम के विपरीत प्रभाव आपके स्वास्थ्य पर पड़ सकते हैं। आज आपको अपने पारिवारिक बिजनेस में वृद्धि के लिए अपने जीवनसाथी के सहयोग व सानिध्य की जरूरत होगी, जिससे आपको उनका साथ मिलेगा। विवाह के लिए आज अच्छे प्रस्ताव आपके सामने आएंगे। विद्यार्थियों के लिए शिक्षा में प्रतियोगिता के क्षेत्र में विशेष उपलब्धि के योग बन रहे है।
वृश्चिक
आज आपको अपनी वाणी पर पर संयम रखना होगा अन्यथा विपरीत परिस्थितियां आपके सामने आकर खड़ी हो जाएंगी। बेरोजगार युवाओं के लिए आज रोजगार की प्राप्ति होती दिख रही है। आपकी आज अपने परिजनों से भेट फायदेमंद होगी और संबंधों में भी मधुरता आएगी। आपको अपने पितरों की संपत्ति धन का लाभ होगा, लेकिन धार्मिक कार्यों से आपका मन हषित होगा। संबंधित रोगों से सावधान रहें और स्वास्थ्य के नियमों का पालन करें। व्यापार में किसी वरिष्ठ व्यक्ति के सहयोग से आपका मान सम्मान मजबूत होगा और आपके रुके हुए कार्य भी सिद्ध होंगे
धनु
घर की जरूरी चीजों की खरीदारी पर कुछ धन खर्च कर सकते हैं। आपके सांसारिक सुख भोग के साधनों में आज वृद्धि होगी। धन के कोई भी लेनदेन करने से आज आपको बचना होगा अन्यथा आपका वह धन कहीं फस सकता है, इसलिए सावधानी बरतें और यदि आपका कोई मामला कोर्ट या कचहरी में चल रहा है, तो आपको विजय मिलेगी। परिवार के आजा परिवार के छोटे सदस्यों के साथ सुखद समय व्यतीत करेंगे। आपको और पारिवारिक संपत्ति मिलने की प्रबल संभावना दिख रही है। किसी कर्मचारी या किसी सगे संबंधी के कारण आज आपका मानसिक तनाव बढ़ सकता है, इसलिए थोड़ी सावधानी बरतें।
मकर
वाहनों के प्रयोग में आज आप सावधानी बरतें क्योंकि उनके अचानक खराब हो जाने से आपकी जेब पर खर्चे का बोझ पड़ सकता है। शाम के समय आज धार्मिक स्थानों की यात्रओं का योग प्रबल होकर स्थगित हो सकता है। व्यवसाय के क्षेत्र में मन के अनुकूल लाभ होगा, जिससे आपको खुशी मिलेगी। अगर आप नौकरी में परिवर्तन की योजना की तैयारी में है, तो समय आपके लिए बहुत अनुकूल है, जिसका आपको भरपूर फायदा मिलेगा। यदि विद्यार्थी किसी प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी में लगे हुए हैं, तो उसमें आज सफलता मिलेगी।
कुंभ
आज का दिन आपके लिए मध्यम रूप से फलदाई रहेगा। आपके आत्मविश्वास में वृद्धि देखने को मिलेगी, जिसका फायदा आपके कार्य के क्षेत्र में भी देखने को मिल सकता है। आपकी किसी सगे संबंधी के माध्यम से व्यवसाय के मामलों में जो रुकावटें चल रही थी, वह आज दूर होंगी। आज आपकी पत्नी को शारीरिक कष्ट होने के कारण भाग दौड़ में अधिक खर्च की स्थिति आ सकती है, लेकिन सायंकल के समय उनके स्वास्थ्य में सुधार देखने को मिलेगा। यदि आप आज कोई संपत्ति खरीदना चाहते हैं, तो उसके सभी वैधानिक पहलुओं पर गंभीरता से विचार करें। विद्यार्थी अपने भविष्य की योजनाओं को मजबूत बनाने के लिए एकाग्रता से काम करें, तभी सफलता मिलेगी।
मीन
आज आपका पारिवारिक जीवन इतनी ऊंचाइयों को छुएगा, जिससे आपका मन हर्षित होगा और आप पार्टी करने के मूड में दिखेंगे। आपका वैवाहिक जीवन आनंददायक बीतेगा और आप आज में दूर की यात्रा भी कर सकते हैं विद्यार्थियों को अपने मानसिक बौद्धिक भार से छुटकारा मिलेगा। आपके पारिवारिक बिजनेस में आपको अपने माता जी या पिताजी का आशीर्वाद व उनकी सलाह उपयोगी सिद्ध होगी, इससे आपका दिमाग काफी रिलैक्स महसूस करेगा। आप सायं काल के समय घूमने फिरने जा सकते हैं, तभी आपको कोई महत्वपूर्ण जानकारी भी मिलती नजर आ रही है।

जिनका आज जन्मदिन है उनको हार्दिक शुभकामनाएं
आप बेहद भाग्यशाली हैं कि आपका जन्म 5 तारीख को हुआ है। 5 का मूलांक भी 5 ही होता है। ऐसे व्यक्ति अधिकांशत: मितभाषी होते हैं। कवि, कलाकार तथा अनेक विद्याओं के जानकार होते हैं। आपमें गजब की आकर्षण शक्ति होती है। आपमें लोगों को सहज अपना बना लेने का विशेष गुण होता है। अनजान व्यक्ति की मदद के लिए भी आप सदैव तैयार रहते हैं।

आपमें किसी भी प्रकार का परिवर्तन करना मुश्किल है। अर्थात अगर आप अच्छे स्वभाव के व्यक्ति हैं तो आपको कोई भी बुरी संगत बिगाड़ नहीं सकती। अगर आप खराब आचरण के हैं तो दुनिया की कोई भी ताकत आपको सुधार नहीं सकती। लेकिन सामान्यत: 5 तारीख को पैदा हुए व्यक्ति सौम्य स्वभाव के ही होते हैं।

 

शुभ दिनांक : 1, 5, 7, 14, 23

शुभ अंक : 1, 2, 3, 5, 9, 32, 41, 50

शुभ वर्ष : 2030, 2032, 2034, 2050, 2059, 2052

ईष्टदेव : देवी महालक्ष्मी, गणेशजी, मां अम्बे।

शुभ रंग : हरा, गुलाबी, जामुनी, क्रीम

कैसा रहेगा यह वर्ष
दाम्पत्य जीवन में मधुर वातावरण रहेगा। अविवाहित भी विवाह में बंधने को तैयार रहें। व्यापार-व्यवसाय में प्रगति से प्रसन्नता रहेगी। यह वर्ष सफलताओं भरा रहेगा। अभी तक आ रही परेशानियां भी इस वर्ष दूर होती नजर आएंगी। परिवारिक प्रसन्नता रहेगी। संतान पक्ष से खुशखबर आ सकती है। नौकरीपेशा व्यक्तियों के लिए यह वर्ष निश्चय ही सफलताओं भरा रहेगा।

*संस्कृत में 1700 धातुएं, 70 प्रत्यय और 80 उपसर्ग हैं, इनके योग से जो शब्द बनते हैं, उनकी संख्या 27 लाख 20 हजार होती है। यदि दो शब्दों से बने सामासिक शब्दों को जोड़ते हैं तो उनकी संख्या लगभग 769 करोड़ हो जाती है।*

संस्कृत इंडो-यूरोपियन लैंग्वेज की सबसे प्राचीन भाषा है और सबसे वैज्ञानिक भाषा भी है।
इसके सकारात्मक तरंगों के कारण ही ज्यादातर श्लोक संस्कृत में हैं।
भारत में संस्कृत से लोगों का जुड़ाव खत्म हो रहा है लेकिन विदेशों में इसके प्रति रुझाान बढ़ रहा है।

ब्रह्मांड में सर्वत्र गति है। गति के होने से ध्वनि प्रकट होती है।
ध्वनि से शब्द परिलक्षित होते हैं और शब्दों से भाषा का निर्माण होता है।
आज अनेकों भाषायें प्रचलित हैं।
किन्तु इनका काल निश्चित है कोई सौ वर्ष, कोई पाँच सौ तो कोई हजार वर्ष पहले जन्मी।
साथ ही इन भिन्न भिन्न भाषाओं का जब भी जन्म हुआ, उस समय अन्य भाषाओं का अस्तित्व था। अतः पूर्व से ही भाषा का ज्ञान होने के कारण एक नयी भाषा को जन्म देना अधिक कठिन कार्य नहीं है। किन्तु फिर भी साधारण मनुष्यों द्वारा साधारण रीति से बिना किसी वैज्ञानिक आधार के निर्माण की गयी सभी भाषाओं में भाषागत दोष दिखते हैं।
ये सभी भाषाए पूर्ण शुद्धता, स्पष्टता एवं वैज्ञानिकता की कसौटी पर खरी नहीं उतरती…
क्योंकि ये सिर्फ और सिर्फ एक दूसरे की बातों को समझने के साधन मात्र के उद्देश्य से बिना किसी सूक्ष्म वैज्ञानिकीय चिंतन के बनाई गयी।
किन्तु मनुष्य उत्पत्ति के आरंभिक काल में, धरती पर किसी भी भाषा का अस्तित्व न था।

तो सोचिए किस प्रकार भाषा का निर्माण संभव हुआ होगा?
शब्दों का आधार #ध्वनि है, तब ध्वनि थी तो स्वाभाविक है #शब्द भी थे।
किन्तु व्यक्त नहीं हुये थे, अर्थात् उनका ज्ञान नहीं था।
प्राचीन ऋषियों ने मनुष्य जीवन की आत्मिक एवं लौकिक उन्नति व विकास में शब्दों के महत्व और शब्दों की अमरता का गंभीर आकलन किया।
उन्होने एकाग्रचित्त हो ध्वानपूर्वक, बार बार मुख से अलग प्रकार की ध्वनियाँ उच्चारित की और ये जानने में प्रयासरत रहे कि मुख-विवर के किस सूक्ष्म अंग से, कैसे और कहाँ से ध्वनि जन्म ले रही है। तत्पश्चात् निरंतर अथक प्रयासों के फलस्वरूप उन्होने परिपूर्ण, पूर्ण शुद्ध, स्पष्ट एवं अनुनाद क्षमता से युक्त ध्वनियों को ही भाषा के रूप में चुना।

सूर्य के एक ओर से 9 रश्मियाँ निकलती हैं और सूर्य के चारो ओर से 9 भिन्न भिन्न रश्मियों के निकलने से कुल निकली 36 रश्मियों की ध्वनियों पर *संस्कृत के 36 #स्वर बने और इन 36 रश्मियों के पृथ्वी के आठ वसुओ से टकराने से 72 प्रकार की #ध्वनि उत्पन्न होती हैं… जिनसे संस्कृत के 72 व्यंजन बने।*
इस प्रकार ब्रह्माण्ड से निकलने वाली कुल *108 ध्वनियों पर संस्कृत की #वर्णमाला आधारित है।* ब्रह्मांड की इन ध्वनियों के रहस्य का ज्ञान वेदों से मिलता है।
इन ध्वनियों को नासा ने भी स्वीकार किया है जिससे स्पष्ट हो जाता है कि प्राचीन ऋषि मुनियों को उन ध्वनियों का ज्ञान था और उन्ही ध्वनियों के आधार पर उन्होने पूर्णशुद्ध भाषा को अभिव्यक्त किया।*
अतः प्राचीनतम #आर्यभाषा जो #ब्रह्मांडीय_संगीत थी उसका नाम “संस्कृत” पड़ा।* संस्कृत – संस् + कृत् अर्थात्
#श्वासों_से_निर्मित अथवा साँसो से बनी एवं स्वयं से कृत, जो कि ऋषियों के ध्यान लगाने व परस्पर संपर्क से अभिव्यक्त हुयी*।

कालांतर में #पाणिनी ने नियमित #व्याकरण के द्वारा संस्कृत को परिष्कृत एवं सर्वम्य प्रयोग में आने योग्य रूप प्रदान किया। #पाणिनीय_व्याकरण ही संस्कृत का प्राचीनतम व सर्वश्रेष्ठ व्याकरण है।*
दिव्य व दैवीय गुणों से युक्त, अतिपरिष्कृत, परमार्जित, सर्वाधिक व्यवस्थित, अलंकृत सौन्दर्य से युक्त , पूर्ण समृद्ध व सम्पन्न , पूर्णवैज्ञानिक #देववाणी *संस्कृत – मनुष्य की आत्मचेतना को जागृत करने वाली, सात्विकता में वृद्धि , बुद्धि व आत्मबल प्रदान करने वाली सम्पूर्ण विश्व की सर्वश्रेष्ठ भाषा है।*
अन्य सभी भाषाओ में त्रुटि होती है पर इस भाषा में कोई त्रुटि नहीं है।
इसके उच्चारण की शुद्धता को इतना सुरक्षित रखा गया कि सहस्त्रों वर्षो से लेकर आज तक वैदिक मन्त्रों की ध्वनियों व मात्राओं में कोई पाठभेद नहीं हुआ और ऐसा सिर्फ हम ही नहीं कह रहे बल्कि विश्व के आधुनिक विद्वानों और भाषाविदों ने भी एक स्वर में संस्कृत को पूर्णवैज्ञानिक एवं सर्वश्रेष्ठ माना है।

*संस्कृत की सर्वोत्तम शब्द-विन्यास युक्ति के, गणित के, कंप्यूटर आदि के स्तर पर नासा व अन्य वैज्ञानिक व भाषाविद संस्थाओं ने भी इस भाषा को एकमात्र वैज्ञानिक भाषा मानते हुये इसका अध्ययन आरंभ कराया है* और भविष्य में भाषा-क्रांति के माध्यम से आने वाला समय संस्कृत का बताया है।
अतः अंग्रेजी बोलने में बड़ा गौरव अनुभव करने वाले, अंग्रेजी में गिटपिट करके गुब्बारे की तरह फूल जाने वाले कुछ महाशय जो संस्कृत में दोष गिनाते हैं उन्हें कुँए से निकलकर संस्कृत की वैज्ञानिकता का एवं संस्कृत के विषय में विश्व के सभी विद्वानों का मत जानना चाहिए।
*नासा की वेबसाईट पर जाकर संस्कृत का महत्व पढ़ें।*

*काफी शर्म की बात है कि भारत की भूमि पर ऐसे लोग हैं जिन्हें अमृतमयी वाणी संस्कृत में दोष और विदेशी भाषाओं में गुण ही गुण नजर आते हैं वो भी तब जब विदेशी भाषा वाले संस्कृत को सर्वश्रेष्ठ मान रहे हैं।*

अतः जब हम अपने बच्चों को कई विषय पढ़ा सकते हैं तो संस्कृत पढ़ाने में संकोच नहीं करना चाहिए।
देश विदेश में हुये कई शोधो के अनुसार संस्कृत मस्तिष्क को काफी तीव्र करती है जिससे अन्य भाषाओं व विषयों को समझने में काफी सरलता होती है, साथ ही यह सत्वगुण में वृद्धि करते हुये नैतिक बल व चरित्र को भी सात्विक बनाती है।
अतः सभी को यथायोग्य संस्कृत का अध्ययन करना चाहिए।

आज दुनियाँ भर में लगभग 6900 भाषाओं का प्रयोग किया जाता है।
लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि इन भाषाओं की जननी कौन है?

नहीं?

कोई बात नहीं आज हम आपको दुनिया की सबसे पुरानी भाषा के बारे में विस्तृत जानकारी देने जा रहे हैं।
*दुनिया की सबसे पुरानी भाषा है :- संस्कृत भाषा।*

आइये जानें संस्कृत भाषा का महत्व :
संस्कृत भाषा के विभिन्न स्वरों एवं व्यंजनों के विशिष्ट उच्चारण स्थान होने के साथ प्रत्येक स्वर एवं व्यंजन का उच्चारण व्यक्ति के सात ऊर्जा चक्रों में से एक या एक से अधिक चक्रों को निम्न प्रकार से प्रभावित करके उन्हें क्रियाशील – उर्जीकृत करता है :-

मूलाधार चक्र – स्वर ‘अ’ एवं क वर्ग का उच्चारण मूलाधार चक्र पर प्रभाव डाल कर उसे क्रियाशील एवं सक्रिय करता है।

स्वर ‘इ’ तथा च वर्ग का उच्चारण स्वाधिष्ठान चक्र को उर्जीकृत करता है।

स्वर ‘ऋ’ तथा ट वर्ग का उच्चारण मणिपूरक चक्र को सक्रिय एवं उर्जीकृत करता है।

स्वर ‘लृ’ तथा त वर्ग का उच्चारण अनाहत चक्र को प्रभावित करके उसे उर्जीकृत एवं सक्रिय करता है।

स्वर ‘उ’ तथा प वर्ग का उच्चारण विशुद्धि चक्र को प्रभावित करके उसे सक्रिय करता है।

ईषत् स्पृष्ट वर्ग का उच्चारण मुख्य रूप से आज्ञा चक्र एवं अन्य चक्रों को सक्रियता प्रदान करता है।

ईषत् विवृत वर्ग का उच्चारण मुख्य रूप से
सहस्त्राधार चक्र एवं अन्य चक्रों को सक्रिय करता है।

इस प्रकार देवनागरी लिपि के प्रत्येक स्वर एवं व्यंजन का उच्चारण व्यक्ति के किसी न किसी उर्जा चक्र को सक्रिय करके व्यक्ति की चेतना के स्तर में अभिवृद्धि करता है।
वस्तुतः *संस्कृत भाषा का प्रत्येक शब्द इस प्रकार से संरचित(design) किया गया है कि उसके स्वर एवं व्यंजनों के मिश्रण (combination) का उच्चारण करने पर वह हमारे विशिष्ट ऊर्जा चक्रों को प्रभावित करे।*
प्रत्येक शब्द स्वर एवं व्यंजनों की विशिष्ट संरचना है जिसका प्रभाव व्यक्ति की चेतना पर स्पष्ट परिलक्षित होता है।
इसीलिये कहा गया है कि व्यक्ति को शुद्ध उच्चारण के साथ-साथ बहुत सोच-समझ कर बोलना चाहिए।
शब्दों में शक्ति होती है जिसका दुरूपयोग एवं सदुपयोग स्वयं पर एवं दूसरे पर प्रभाव डालता है।
शब्दों के प्रयोग से ही व्यक्ति का स्वभाव, आचरण, व्यवहार एवं व्यक्तित्व निर्धारित होता है।

उदाहरणार्थ जब ‘राम’ शब्द का उच्चारण किया जाता है है तो हमारा अनाहत चक्र जिसे ह्रदय चक्र भी कहते है सक्रिय होकर उर्जीकृत होता है।

‘कृष्ण’ का उच्चारण मणिपूरक चक्र – नाभि चक्र को सक्रिय करता है।

‘सोह्म’ का उच्चारण दोनों ‘अनाहत’ एवं ‘मणिपूरक’ चक्रों को सक्रिय करता है।

वैदिक मंत्रो को हमारे मनीषियों ने इसी आधार पर विकसित किया है।
प्रत्येक मन्त्र स्वर एवं व्यंजनों की एक विशिष्ट संरचना है।
इनका निर्धारित प्रक्रिया के अनुसार शुद्ध उच्चारण ऊर्जा चक्रों को सक्रिय करने के साथ साथ मष्तिष्क की चेतना को उच्चीकृत करता है।
उच्चीकृत चेतना के साथ व्यक्ति विशिष्टता प्राप्त कर लेता है और उसका कहा हुआ अटल होने के साथ-साथ अवश्यम्भावी होता है।
शायद आशीर्वाद एवं श्राप देने का आधार भी यही है। संस्कृत भाषा की वैज्ञानिकता एवं सार्थकता इस तरह स्वयं सिद्ध है।

*भारतीय शास्त्रीय संगीत के सातों स्वर हमारे शरीर के सातों उर्जा चक्रों से जुड़े हुए हैं।*
प्रत्येक का उच्चारण सम्बंधित उर्जा चक्र को क्रियाशील करता है। शास्त्रीय राग इस प्रकार से विकसित किये गए हैं जिससे उनका उच्चारण / गायन विशिष्ट उर्जा चक्रों को सक्रिय करके चेतना के स्तर को उच्चीकृत करे। प्रत्येक राग मनुष्य की चेतना को विशिष्ट प्रकार से उच्चीकृत करने का सूत्र (formula) है।
इनका सही अभ्यास व्यक्ति को असीमित ऊर्जावान बना देता है।

*संस्कृत केवल स्वविकसित भाषा नहीं बल्कि संस्कारित भाषा है इसीलिए इसका नाम संस्कृत है।
संस्कृत को संस्कारित करने वाले भी कोई साधारण भाषाविद् नहीं बल्कि #महर्षि_पाणिनि; #महर्षि_कात्यायिनि और योग शास्त्र के प्रणेता महर्षि #पतंजलि हैं।
इन तीनों महर्षियों ने बड़ी ही कुशलता से योग की क्रियाओं को भाषा में समाविष्ट किया है।*
यही इस भाषा का रहस्य है। जिस प्रकार साधारण पकी हुई दाल को शुद्ध घी में जीरा; मैथी; लहसुन; और हींग का तड़का लगाया जाता है; तो उसे संस्कारित दाल कहते हैं।
घी ; जीरा; लहसुन, मैथी ; हींग आदि सभी महत्वपूर्ण औषधियाँ हैं।
ये शरीर के तमाम विकारों को दूर करके पाचन संस्थान को दुरुस्त करती है।
दाल खाने वाले व्यक्ति को यह पता ही नहीं चलता कि वह कोई कटु औषधि भी खा रहा है; और अनायास ही आनन्द के साथ दाल खाते-खाते इन औषधियों का लाभ ले लेता है।
ठीक यही बात संस्कारित भाषा संस्कृत के साथ सटीक बैठती है।
जो भेद साधारण दाल और संस्कारित दाल में होता है; वैसा ही भेद अन्य भाषाओं और संस्कृत भाषा के बीच है।

*संस्कृत भाषा में वे औषधीय तत्व क्या हैं?*
यह विश्व की तमाम भाषाओं से संस्कृत भाषा का तुलनात्मक अध्ययन करने से स्पष्ट हो जाता है। चार महत्वपूर्ण विशेषताएँ:- 1. अनुस्वार (अं) और विसर्ग (अ:): संस्कृत भाषा की सबसे महत्वपूर्ण और लाभदायक व्यवस्था है, अनुस्वार और विसर्ग। पुल्लिंग के अधिकांश शब्द विसर्गान्त होते हैं -यथा- राम: बालक: हरि: भानु: आदि।
नपुंसक लिंग के अधिकांश शब्द अनुस्वारान्त होते हैं-यथा- जलं वनं फलं पुष्पं आदि।

विसर्ग का उच्चारण और कपालभाति प्राणायाम दोनों में श्वास को बाहर फेंका जाता है।
अर्थात् जितनी बार विसर्ग का उच्चारण करेंगे उतनी बार कपालभाति प्रणायाम अनायास ही हो जाता है। जो लाभ कपालभाति प्रणायाम से होते हैं, वे केवल संस्कृत के विसर्ग उच्चारण से प्राप्त हो जाते हैं।

उसी प्रकार अनुस्वार का उच्चारण और भ्रामरी प्राणायाम एक ही क्रिया है । भ्रामरी प्राणायाम में श्वास को नासिका के द्वारा छोड़ते हुए भवरे की तरह गुंजन करना होता है और अनुस्वार के उच्चारण में भी यही क्रिया होती है।
अत: जितनी बार अनुस्वार का उच्चारण होगा, उतनी बार भ्रामरी प्राणायाम स्वत: हो जायेगा।
जैसे हिन्दी का एक वाक्य लें- “राम फल खाता है” इसको संस्कृत में बोला जायेगा- “राम: फलं खादति” = राम फल खाता है, यह कहने से काम तो चल जायेगा, किन्तु राम: फलं खादति कहने से अनुस्वार और विसर्ग रूपी दो प्राणायाम हो रहे हैं।
यही संस्कृत भाषा का रहस्य है।
संस्कृत भाषा में एक भी वाक्य ऐसा नहीं होता जिसमें अनुस्वार और विसर्ग न हों।
अत: कहा जा सकता है कि संस्कृत बोलना अर्थात् चलते फिरते योग साधना करना होता है।

2.शब्द-रूप:-संस्कृत की दूसरी विशेषता है शब्द रूप।
*विश्व की सभी भाषाओं में एक शब्द का एक ही रूप होता है, जबकि संस्कृत में प्रत्येक शब्द के 25 रूप होते हैं।* जैसे राम शब्द के निम्नानुसार 25 रूप बनते हैं- यथा:- रम् (मूल धातु)-राम: रामौ रामा:;रामं रामौ रामान् ;रामेण रामाभ्यां रामै:; रामाय रामाभ्यां रामेभ्य: ;रामात् रामाभ्यां रामेभ्य:; रामस्य रामयो: रामाणां; रामे रामयो: रामेषु ;हे राम ! हे रामौ ! हे रामा : ।
ये 25 रूप सांख्य दर्शन के 25 तत्वों का प्रतिनिधित्व करते हैं।

जिस प्रकार पच्चीस तत्वों के ज्ञान से समस्त सृष्टि का ज्ञान प्राप्त हो जाता है, वैसे ही संस्कृत के पच्चीस रूपों का प्रयोग करने से आत्म साक्षात्कार हो जाता है और इन *25 तत्वों की शक्तियाँ संस्कृतज्ञ को प्राप्त होने लगती है।
सांख्य दर्शन के 25 तत्व निम्नानुसार हैं -आत्मा (पुरुष), (अंत:करण 4 ) मन बुद्धि चित्त अहंकार, (ज्ञानेन्द्रियाँ 5) नासिका जिह्वा नेत्र त्वचा कर्ण, (कर्मेन्द्रियाँ 5) पाद हस्त उपस्थ पायु वाक्, (तन्मात्रायें 5) गन्ध रस रूप स्पर्श शब्द,( महाभूत 5) पृथ्वी, जल, अग्नि, वायु, आकाश।*

3.द्विवचन:- *संस्कृत भाषा की तीसरी विशेषता है द्विवचन।*
सभी भाषाओं में एक वचन और बहुवचन होते हैं जबकि संस्कृत में द्विवचन अतिरिक्त होता है।
इस द्विवचन पर ध्यान दें तो पायेंगे कि यह द्विवचन बहुत ही उपयोगी और लाभप्रद है।
जैसे :- राम शब्द के द्विवचन में निम्न रूप बनते हैं:- रामौ, रामाभ्यां और रामयो:।
इन तीनों शब्दों के उच्चारण करने से योग के क्रमश: मूलबन्ध, उड्डियान बन्ध और जालन्धर बन्ध लगते हैं, जो योग की बहुत ही महत्वपूर्ण क्रियायें हैं।

4. सन्धि:- *संस्कृत भाषा की सबसे महत्वपूर्ण विशेषता है सन्धि।*
संस्कृत में जब दो शब्द पास में आते हैं तो वहाँ सन्धि होने से स्वरूप और उच्चारण बदल जाता है। उस बदले हुए उच्चारण में जिह्वा आदि को कुछ विशेष प्रयत्न करना पड़ता है।
ऐसे सभी प्रयत्न एक्यूप्रेशर चिकित्सा पद्धति के प्रयोग हैं।
“इति अहं जानामि” इस वाक्य को चार प्रकार से बोला जा सकता है, और हर प्रकार के उच्चारण में वाक् इन्द्रिय को विशेष प्रयत्न करना होता है।

यथा:- 1 इत्यहं जानामि।
2 अहमिति जानामि।
3 जानाम्यहमिति ।
4 जानामीत्यहम्।
इन सभी उच्चारणों में विशेष आभ्यंतर प्रयत्न होने से एक्यूप्रेशर चिकित्सा पद्धति का सीधा प्रयोग अनायास ही हो जाता है। जिसके फलस्वरूप मन बुद्धि सहित समस्त शरीर पूर्ण स्वस्थ एवं निरोग हो जाता है।
इन समस्त तथ्यों से सिद्ध होता है कि संस्कृत भाषा केवल विचारों के आदान-प्रदान की भाषा ही नहीं, अपितु मनुष्य के सम्पूर्ण विकास की कुंजी है।
यह वह भाषा है, जिसके उच्चारण करने मात्र से व्यक्ति का कल्याण हो सकता है।
इसीलिए इसे #देवभाषा और अमृतवाणी कहते हैं। संस्कृत भाषा का व्याकरण अत्यंत परिमार्जित एवं वैज्ञानिक है।

संस्कृत के एक वैज्ञानिक भाषा होने का पता उसके किसी वस्तु को संबोधन करने वाले शब्दों से भी पता चलता है।
इसका हर शब्द उस वस्तु के बारे में, जिसका नाम रखा गया है, के सामान्य लक्षण और गुण को प्रकट करता है।
ऐसा अन्य भाषाओं में बहुत कम है।
पदार्थों के नामकरण ऋषियों ने वेदों से किया है और वेदों में यौगिक शब्द हैं और हर शब्द गुण आधारित हैं।
इस कारण संस्कृत में वस्तुओं के नाम उसका गुण आदि प्रकट करते हैं।
जैसे हृदय शब्द। हृदय को अंगेजी में हार्ट कहते हैं और संस्कृत में हृदय कहते हैं।

अंग्रेजी वाला शब्द इसके लक्षण प्रकट नहीं कर रहा, लेकिन *संस्कृत शब्द* इसके लक्षण को प्रकट कर इसे परिभाषित करता है। *बृहदारण्यकोपनिषद 5.3.1 में हृदय शब्द का अक्षरार्थ* इस प्रकार किया है- तदेतत् र्त्यक्षर हृदयमिति, हृ इत्येकमक्षरमभिहरित, द इत्येकमक्षर ददाति, य इत्येकमक्षरमिति।
अर्थात् हृदय शब्द हृ, हरणे द दाने तथा इण् गतौ इन तीन धातुओं से निष्पन्न होता है।
हृ से हरित अर्थात् शिराओं से अशुद्ध रक्त लेता है, द से ददाति अर्थात् शुद्ध करने के लिए फेफड़ों को देता है और य से याति अर्थात सारे शरीर में रक्त को गति प्रदान करता है।
इस सिद्धांत की *खोज हार्वे ने 1922 में की थी,* जिसे *हृदय शब्द* स्वयं *लाखों वर्षों* से उजागर कर रहा था।

संस्कृत में संज्ञा, सर्वनाम, विशेषण और क्रिया के कई तरह से शब्द रूप बनाए जाते हैं, जो उन्हें व्याकरणीय अर्थ प्रदान करते हैं।
अधिकांश शब्द-रूप मूल शब्द के अंत में प्रत्यय लगाकर बनाए जाते हैं।
इस तरह यह कहा जा सकता है कि संस्कृत एक बहिर्मुखी-अंतःश्लिष्टयोगात्मक भाषा है।
*संस्कृत के व्याकरण को महापुरुषों ने वैज्ञानिक* स्वरूप प्रदान किया है।

संस्कृत भारत की कई लिपियों में लिखी जाती रही है, लेकिन आधुनिक युग में देवनागरी लिपि के साथ इसका विशेष संबंध है।

#देवनागरी_लिपि वास्तव में संस्कृत के लिए ही बनी है! इसलिए इसमें *हरेक चिन्ह* के लिए *एक और केवल एक ही ध्वनि है।*

*देवनागरी में 13 स्वर और 34 व्यंजन हैं।*
**संस्कृत* केवल स्वविकसित भाषा नहीं, बल्कि *संस्कारित भाषा* भी है, अतः *इसका नाम संस्कृत* है।
केवल संस्कृत ही एकमात्र भाषा है, जिसका नामकरण उसके बोलने वालों के नाम पर नहीं किया गया है। *संस्कृत को संस्कारित* करने वाले भी कोई साधारण भाषाविद नहीं, बल्कि *महर्षि पाणिनि, महर्षि कात्यायन और योगशास्त्र के प्रणेता महर्षि पतंजलि हैं।*

*विश्व की सभी भाषाओं में एक शब्द का प्रायः एक ही रूप होता है, जबकि संस्कृत में प्रत्येक शब्द के 27 रूप होते हैं।
सभी भाषाओं में* एकवचन और बहुवचन होते हैं, जबकि संस्कृत में द्विवचन अतिरिक्त होता है।
संस्कृत भाषा की सबसे महत्त्वपूर्ण विशेषता है संधि।
*संस्कृत में जब दो अक्षर* निकट आते हैं, तो वहाँ संधि होने से स्वरूप और उच्चारण बदल जाता है। *इसे शोध में कम्प्यूटर अर्थात् कृत्रिम बुद्धि* के लिए सबसे *उपयुक्त भाषा सिद्ध हुई है* और यह भी पाया गया है कि *संस्कृत पढ़ने से स्मरण शक्ति बढ़ती है।*

*संस्कृत ही एक मात्र साधन है, जो क्रमशः अंगुलियों एवं जीभ को लचीला बनाती है।*
इसके अध्ययन करने वाले छात्रों को गणित, विज्ञान एवं अन्य भाषाएं ग्रहण करने में सहायता मिलती है।
वैदिक ग्रंथों की बात छोड़ भी दी जाए, तो भी संस्कृत भाषा में साहित्य की रचना कम से कम छह हजार वर्षों से निरंतर होती आ रही है। *संस्कृत केवल एक भाषा* मात्र नहीं है, अपितु एक विचार भी है।
*संस्कृत एक भाषा मात्र नहीं, बल्कि एक संस्कृति है और संस्कार भी है।* संस्कृत में विश्व का कल्याण है, शांति है, सहयोग है और *वसुधैव कुटुंबकम्* की भावना भी ! 🙏🕉
साभार : राकेश चौधरी तेवतिया जी