आज का पंचाग, आपका राशि फल, महा शिवरात्रि की शुभकामनाएं, व्रतवंध संस्कार, श्रेष्ठ नमक, कल्पेश्वर महादेव, प्यार के पिंजरे में तड़पे मन पंछी कविता

नागेन्द्रहाराय त्रिलोचनाय भस्माङ्गरागाय महेश्वराय।

नित्याय शुद्धाय दिगम्बराय तस्मै नकाराय नम:शिवाय॥1॥

 

मंदाकिनीसलिलचन्दनचर्चिताय नन्दीश्वरप्रमथनाथ महेश्वराय।

मण्दारपुष्पबहुपुष्पसुपूजिताय तस्मै मकाराय नम:शिवाय॥2॥

 

शिवाय गौरीवदनाब्जवृन्दसूर्याय दक्षाध्वरनाशकाय।

श्रीनीलकण्ठाय बृषध्वजाय तस्मै शिकाराय नम:शिवाय॥3॥

 

वसिष्ठकुम्भोद्भवगौतमार्यमुनीन्द्रदेवार्चितशेखराय।

चन्द्रार्कवैश्वानरलोचनाय तस्मै वकाराय नम:शिवाय॥4॥

 

यक्षस्वरूपाय जटाधराय पिनाकहस्ताय सनातनाय।

दिव्याय देवाय दिगम्बराय तस्मै यकाराय नम:शिवाय॥5॥

 

पञ्चाक्षरिमदं पुण्यं य: पठेच्छिवसन्निधौ।

शिवलोकमवाप्नोति शिवेन सह मोदते॥6॥

🙏🌺 महाशिवरात्रि के पावन पर्व पर हार्दिक शुभकामनाएं ।🙏🌺(सौजन्य विनोद पुरोहित) 

*प्रशासक समिति✊🚩*

*🚩जय सत्य सनातन🚩*

*🚩आज की हिंदी तिथि*

🌥️ *🚩युगाब्द-५१२२*
🌥️ *🚩विक्रम संवत-२०७७*
⛅ *🚩तिथि – त्रयोदशी दोपहर 02:39 तक तत्पश्चात चतुर्दशी व्रत

⛅ *दिनांक 11 मार्च 2021*

⛅ *दिन – गुरुवार*
⛅ *विक्रम संवत – 2077*
⛅ *शक संवत – 1942*
⛅ *अयन – उत्तरायण*
⛅ *ऋतु – वसंत*
⛅ *मास – फाल्गुन*
⛅ *पक्ष – कृष्ण*
⛅ *नक्षत्र – धनिष्ठा रात्रि 09:45 तक तत्पश्चात शतभिषा*
⛅ *योग – शिव सुबह 09:25 तक तत्पश्चात सिद्ध*
⛅ *राहुकाल – दोपहर 02:18 से दोपहर 03:48 तक*
⛅ *सूर्योदय – 06:52*
⛅ *सूर्यास्त – 18:45*
⛅ *दिशाशूल – दक्षिण दिशा में*
⛅ *व्रत पर्व विवरण – महाशिवरात्रि व्रत, रात्रि – जागरण शिव – पूजन (निशीथकाल : रात्रि 12:24 से 01:13 तक) (प्रहर :- प्रथम : शाम 06:46 से, द्वितीय : रात्रि 09:47 से, तृतीय : मध्यरात्रि 12:48 से, चतुर्थ : 12 मार्च प्रातः 03:49 से), हरिद्वार कुंभ पहला शाही स्नान*
💥 *विशेष – त्रयोदशी को बैंगन खाने से पुत्र का नाश होता है।(ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)*

🌷 *शिवरात्रि* 🌷
🙏🏻 *वैसे तो भगवान शिव का अभिषेक हमेशा करना चाहिए,लेकिन शिवरात्रि(11 मार्च, गुरुवार)का दिन कुछ खास है। यह दिन भगवान शिवजी का विशेष रूप से प्रिय माना जाता है। कई ग्रंथों में भी इस बात का वर्णन मिलता है। भगवान शिव का अभिषेक करने पर उनकी कृपा हमेशा बनी रहती है मनोकामना पूरी होती है। धर्मसिन्धू के दूसरे परिच्छेद के अनुसार,अगर किसी खास फल की इच्छा हो तो भगवान के विशेष शिवलिंग की पूजा करनी चाहिए। यहां जानिए किस धातु के बने शिवलिंग की पूजा करने से कौन-सा फल मिलता है।*
1⃣ *सोने के शिवलिंग पर अभिषेक करने से सत्यलोक (स्वर्ग) की प्राप्ति होती है ।*
2⃣ *मोती के शिवलिंग पर अभिषेक करने से रोगों का नाश होता है।*
3⃣ *हीरे से निर्मित शिवलिंग पर अभिषेक करने से दीर्घायु की प्राप्ति होती है ।*
4⃣ *पुखराज के शिवलिंग पर अभिषेक करने से धन-लक्ष्मी की प्राप्ति होती है ।*
5⃣ *स्फटिक के शिवलिंग पर अभिषेक करने से मनुष्य की सारी कामनाएं पूरी हो जाती हैं ।*
6⃣ *नीलम के शिवलिंग पर अभिषेक करने से सम्मान की प्राप्ति होती है ।*
7⃣ *चांदी से बने शिवलिंग पर अभिषेक करने से पितरों की मुक्ति होती है ।*
8⃣ *ताम्बे के शिवलिंग पर अभिषेक करने से लम्बी आयु की प्राप्ति होती है ।*
9⃣ *लोहे के शिवलिंग पर अभिषेक करने से शत्रुओं का नाश होता है ।*
🔟 *आटे से बने शिवलिंग पर अभिषेक करने से रोगों से मुक्ति मिलती है ।*
1⃣1⃣ *मक्खन से बने शिवलिंग पर अभिषेक करने पर सभी सुख प्राप्त होते हैं ।*
1⃣2⃣ *गुड़ के शिवलिंग पर अभिषेक करने से अन्न की प्राप्ति होती है ।*

🌷 *कालसर्प दोष* 🌷
🙏🏻 *फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को महाशिवरात्रि का पर्व मनाया जाता है। इस बार ये पर्व 11 मार्च, गुरुवार को है। ज्योतिष के अनुसार,जिन लोगों को कालसर्प दोष है,वे यदि इस दिन कुछ विशेष उपाए करें तो इस दोष से होने वाली परेशानियों से राहत मिल सकती है।*
➡ *कालसर्प दोष मुख्य रूप से 12 प्रकार का होता है,इसका निर्धारण जन्म कुंडली देखकर ही किनया जा सकता है। प्रत्येक कालसर्प दोष के निवारण के लिए अलग-अलग उपाए हैं। यदि आप जानते हैं कि आपकी कुंडली में कौन का कालसर्प दोष है तो उसके अनुसार आप महाशिवरात्रि पर उपाए कर सकते हैं। कालसर्प दोष के प्रकार व उनके उपाए इस प्रकार हैं-*
🐍 *1.अनन्त कालसर्प दोष*
*-अनन्त कालसर्प दोष होने पर शिवरात्रि पर एकमुखी,आठमुखी अथवा नौ मुखी रुद्राक्ष धारण करें।*
*-यदि इस दोष के कारण स्वास्थ्य ठीक नहीं रहता है,तो महाशिवरात्रि पर रांगे(एक धातु)से बना सिक्का नदी में प्रवाहित करें।*
🐍 *2.कुलिक कालसर्प दोष*
*-कुलिक नामक कालसर्प दोष होने पर दो रंग वाला कंबल अथवा गर्म वस्त्र दान करें।*
*-चांदी की ठोस गोली बनवाकर उसकी पूजा करें और उसे अपने पास रखें।*
🐍 *3. वासुकि कालसर्प दोष*
*- वासुकि कालसर्प दोष होने पर रात को सोते समय सिरहाने पर थोड़ा बाजरा रखें और सुबह उठकर उसे पक्षियों को खिला दें।*
*- महाशिवरात्रि पर लाल धागे में तीन, आठ या नौ मुखी रुद्राक्ष धारण करें।*
🐍 *4. शंखपाल कालसर्प दोष*
*- शंखपाल कालसर्प दोष के निवारण के लिए 400 ग्राम साबुत बादाम बहते जल में प्रवाहित करें।*
*- महाशिवरात्रि पर शिवलिंग का दूध से अभिषेक करें।*
🐍 *5. पद्म कालसर्प दोष*
*- पद्म कालसर्प दोष होने पर महाशिवरात्रि से प्रारंभ करते हुए 40 दिनों तक रोज सरस्वती चालीसा का पाठ करें।*
*- जरूरतमंदों को पीले वस्त्र का दान करें और तुलसी का पौधा लगाएं।*
🐍 *6. महापद्म कालसर्प दोष*
*- महापद्म कालसर्प दोष के निदान के लिए हनुमान मंदिर में जाकर सुंदरकांड का पाठ करें।*
*- महाशिवरात्रि पर गरीब, असहायों को भोजन करवाकर दान-दक्षिणा दें।*
🐍 *7. तक्षक कालसर्प दोष*
*- तक्षक कालसर्प योग के निवारण के लिए 11 नारियल बहते हुए जल में प्रवाहित करें।*
*- सफेद कपड़े और चावल का दान करें।*
🐍 *8. कर्कोटक कालसर्प दोष*
*- कर्कोटक कालसर्प योग होने पर बटुकभैरव के मंदिर में जाकर उन्हें दही-गुड़ का भोग लगाएं और पूजा करें।*
*- महाशिवरात्रि पर शीशे के आठ टुकड़े नदी में प्रवाहित करें।*
🐍 *9. शंखचूड़ कालसर्प दोष*
*- शंखचूड़ नामक कालसर्प दोष की शांति के लिए महाशिवरात्रि की रात सोने से पहले सिरहाने के पास जौ रखें और उसे अगले दिन पक्षियों को खिला दें।*
*- पांचमुखी, आठमुखी या नौ मुखी रुद्राक्ष धारण करें।*
🐍 *10. घातक कालसर्प दोष*
*- घातक कालसर्प के निवारण के लिए पीतल के बर्तन में गंगाजल भरकर अपने पूजा स्थल पर रखें।*
*- चार मुखी, आठमुखी और नौ मुखी रुद्राक्ष हरे रंग के धागे में धारण करें।*
🐍 *11. विषधर कालसर्प दोष*
*- विषधर कालसर्प के निदान के लिए परिवार के सदस्यों की संख्या के बराबर नारियल लेकर एक-एक नारियल पर उनका हाथ लगवाकर बहते हुए जल में प्रवाहित करें।*
*- महाशिवरात्रि पर भगवान शिव के मंदिर में जाकर यथाशक्ति दान-दक्षिणा दें।*
🐍 *12. शेषनाग कालसर्प दोष*
*- शेषनाग कालसर्प दोष होने पर महाशिवरात्रि की पूर्व रात्रि को लाल कपड़े में थोड़े से बताशे व सफेद फूल बांधकर सिरहाने रखें और उसे अगले दिन सुबह उन्हें नदी में प्रवाहित कर दें।*
*- महाशिवरात्रि पर गरीबों को दूध व अन्य सफेद वस्तुओं का दान करें।*
🙏🏻 *अर्ध रात्रि की पूजा के लिये स्कन्दपुराण में लिखा है कि फाल्गुन कृष्ण चतुर्दशी को ‘निशिभ्रमन्ति भूतानि शक्तयः शूलभृद यतः । अतस्तस्यां चतुर्दश्यां सत्यां तत्पूजनं भवेत् ॥’ अर्थात् रात्रिके समय भूत, प्रेत, पिशाच, शक्तियाँ और स्वयं शिवजी भ्रमण करते हैं; अतः उस समय इनका पूजन करने से मनुष्य के पाप दूर हो जाते हैं । शिवपुराण में आया है “कालो निशीथो वै प्रोक्तोमध्ययामद्वयं निशि ॥ शिवपूजा विशेषेण तत्काले ऽभीष्टसिद्धिदा ॥ एवं ज्ञात्वा नरः कुर्वन्यथोक्तफलभाग्भवेत्” अर्थात रात के चार प्रहरों में से जो बीच के दो प्रहर हैं, उन्हें निशीधकाल कहा गया हैं | विशेषत: उसी कालमें की हुई भगवान शिव की पूजा अभीष्ट फल को देनेवाली होती है – ऐसा जानकर कर्म करनेवाला मनुष्य यथोक्त फलका भागी होता है |*
🙏🏻 *चतुर्दशी तिथि के स्वामी शिव हैं। अत: ज्योतिष शास्त्रों में इसे परम कल्याणकारी कहा गया है। वैसे तो शिवरात्रि हर महीने में आती है। परंतु फाल्गुन कृष्ण चतुर्दशी को महाशिवरात्रि कहा गया है। शिवरहस्य में कहा गया है ।*
🌷 *“चतुर्दश्यां तु कृष्णायां फाल्गुने शिवपूजनम्। तामुपोष्य प्रयत्नेन विषयान् परिवर्जयेत।। शिवरात्रि व्रतं नाम सर्वपापप्रणाशनम्।”*
🙏🏻 *शिवपुराण में ईशान संहिता के अनुसार “फाल्गुनकृष्णचतुर्दश्यामादिदेवो महानिशि। शिवलिंगतयोद्भूत: कोटिसूर्यसमप्रभ:॥” अर्थात फाल्गुन कृष्ण चतुर्दशी की रात्रि में आदिदेव भगवान शिव करोडों सूर्यों के समान प्रभाव वाले लिंग रूप में प्रकट हुए इसलिए इसे महाशिवरात्रि मानते हैं।*
🙏🏻 *शिवपुराण में विद्येश्वर संहिता के अनुसार शिवरात्रि के दिन ब्रह्मा जी तथा विष्णु जी ने अन्यान्य दिव्य उपहारों द्वारा सबसे पहले शिव पूजन किया था जिससे प्रसन्न होकर महेश्वर ने कहा था की “आजका दिन एक महान दिन है | इसमें तुम्हारे द्वारा जो आज मेरी पूजा हुई है, इससे मैं तुम लोगोंपर बहुत प्रसन्न हूँ | इसीकारण यह दिन परम पवित्र और महान – से – महान होगा | आज की यह तिथि ‘महाशिवरात्रि’ के नामसे विख्यात होकर मेरे लिये परम प्रिय होगी | इसके समय में जो मेरे लिंग (निष्कल – अंग – आकृति से रहित निराकार स्वरूप के प्रतीक ) वेर (सकल – साकाररूप के प्रतीक विग्रह) की पूजा करेगा, वह पुरुष जगत की सृष्टि और पालन आदि कार्य भी कर सकता हैं | जो महाशिवरात्रि को दिन-रात निराहार एवं जितेन्द्रिय रहकर अपनी शक्ति के अनुसार निश्चलभाव से मेरी यथोचित पूजा करेगा, उसको मिलनेवाले फल का वर्णन सुनो | एक वर्षतक निरंतर मेरी पूजा करनेपर जो फल मिलता हैं, वह सारा केवल महाशिवरात्रि को मेरा पूजन करने से मनुष्य तत्काल प्राप्त कर लेता हैं | जैसे पूर्ण चंद्रमा का उदय समुद्र की वृद्धि का अवसर हैं, उसी प्रकार यह महाशिवरात्रि तिथि मेरे धर्म की वृद्धि का समय हैं | इस तिथिमे मेरी स्थापना आदि का मंगलमय उत्सव होना चाहिये |*

🙏🏻 *तिथितत्त्व के अनुसार शिव को प्रसन्न करने के लिए महाशिवरात्रि पर उपवास की प्रधानता तथा प्रमुखता है क्योंकि भगवान् शंकर ने खुद कहा है – “न स्नानेन न वस्त्रेण न धूपेन न चार्चया। तुष्यामि न तथा पुष्पैर्यथा तत्रोपवासतः।।” ‘मैं उस तिथि पर न तो स्नान, न वस्त्रों, न धूप, न पूजा, न पुष्पों से उतना प्रसन्न होता हूँ, जितना उपवास से।’*
🙏🏻 *स्कंदपुराण में लिखा है “सागरो यदि शुष्येत क्षीयेत हिमवानपि। मेरुमन्दरशैलाश्च रीशैलो विन्ध्य एव च॥ चलन्त्येते कदाचिद्वै निश्चलं हि शिवव्रतम्।” अर्थात् ‘चाहे सागर सूख जाये, हिमालय भी क्षय को प्राप्त हो जाये, मन्दर, विन्ध्यादि पर्वत भी विचलित हो जाये, पर शिव-व्रत कभी निष्फल नहीं हो सकता।’ इसका फल अवश्य मिलता है।*
🙏🏻 *‘स्कंदपुराण’ में आता है “परात्परं नास्ति शिवरात्रि परात्परम् | न पूजयति भक्तयेशं रूद्रं त्रिभुवनेश्वरम् | जन्तुर्जन्मसहस्रेषु भ्रमते नात्र संशयः||” ‘शिवरात्रि व्रत परात्पर (सर्वश्रेष्ठ) है, इससे बढ़कर श्रेष्ठ कुछ नहीं है | जो जीव इस रात्रि में त्रिभुवनपति भगवान महादेव की भक्तिपूर्वक पूजा नहीं करता, वह अवश्य सहस्रों वर्षों तक जन्म-चक्रों में घूमता रहता है |’*
🙏🏻 *ब्रह्मवैवर्त पुराण के अनुसार एकादशी को अन्न खाने से पाप लगता है और शिवरात्रि, रामनवमी तथा जन्माष्टमी के दिन अन्न खाने से दुगना पाप लगता है। अतः महाशिवरात्रि का व्रत अनिवार्य है।*

🙏🚩🇮🇳🔱🏹🐚🕉️

*नोट*–  दिन और रात्रि के चौघड़िया का आरंभ क्रमशः सूर्योदय और सूर्यास्त से होता है।
प्रत्येक चौघड़िए की अवधि डेढ़ घंटा होती है।
चर में चक्र चलाइये , उद्वेगे थलगार ।
शुभ में स्त्री श्रृंगार करे,लाभ में करो व्यापार ॥
रोग में रोगी स्नान करे ,काल करो भण्डार ।
अमृत में काम सभी करो , सहाय करो कर्तार ॥
अर्थात- चर में वाहन,मशीन आदि कार्य करें ।
उद्वेग में भूमि सम्बंधित एवं स्थायी कार्य करें ।
शुभ में स्त्री श्रृंगार ,सगाई व चूड़ा पहनना आदि कार्य करें ।
लाभ में व्यापार करें ।
रोग में जब रोगी रोग मुक्त हो जाय तो स्नान करें ।
काल में धन संग्रह करने पर धन वृद्धि होती है ।
अमृत में सभी शुभ कार्य करें ।

*💮दिशा शूल ज्ञान———————उत्तर*
परिहार-: आवश्यकतानुसार यदि यात्रा करनी हो तो पान अथवा पिस्ता खाके यात्रा कर सकते है l
इस मंत्र का उच्चारण करें-:
*शीघ्र गौतम गच्छत्वं ग्रामेषु नगरेषु च l*
*भोजनं वसनं यानं मार्गं मे परिकल्पय: ll*

*🚩 अग्नि वास ज्ञान -:*
*यात्रा विवाह व्रत गोचरेषु,*
*चोलोपनिताद्यखिलव्रतेषु ।*
*दुर्गाविधानेषु सुत प्रसूतौ,*
*नैवाग्नि चक्रं परिचिन्तनियं ।।* *महारुद्र व्रतेSमायां ग्रसतेन्द्वर्कास्त राहुणाम्*
*नित्यनैमित्यके कार्ये अग्निचक्रं न दर्शायेत् ।

*💮🚩💮 शुभ विचार 💮🚩💮*

मांसभक्षैः सुरापानैः मूर्खैश्चाऽक्षरवर्जितैः ।
पशुभि पुरुषाकारर्भाराक्रान्ताऽस्ति मेदिनी ।।
।।चा o नी o।।

यह धरती उन लोगो के भार से दबी जा रही है, जो मास खाते है, दारू पीते है, बेवकूफ है, वे सब तो आदमी होते हुए पशु ही है.

*🚩💮🚩 सुभाषितानि 🚩💮🚩*

गीता -: कर्मयोग अo-3

देवान्भावयतानेन ते देवा भावयन्तु वः ।,
परस्परं भावयन्तः श्रेयः परमवाप्स्यथ ॥,

तुम लोग इस यज्ञ द्वारा देवताओं को उन्नत करो और वे देवता तुम लोगों को उन्नत करें।, इस प्रकार निःस्वार्थ भाव से एक-दूसरे को उन्नत करते हुए तुम लोग परम कल्याण को प्राप्त हो जाओगे॥,11॥,

 

💐💐😍💐💐💐💐💐बालकों का जनेऊ धारण संस्कार एक उत्तम परम्परा है। यह व्रतवंध कहलाता है। यज्ञोपवित संस्कार सारी अंग्रेजी माध्यम पीढ़ी अवश्य करें। यही दीक्षा होती है। अन्यथा आजकल की पीढ़ी के पास एक निश्चित तरह की सूचनाओं का संकलन भले हो, लेकिन ज्ञान संस्कार और संस्कृति नहीं होती, वे न शिक्षित होते हैं न दीक्षित वे काले अंगेज होते हैं, इसी को संस्कृत में साक्षात पशु पुच्छ विहीनम् कहा गया है, नयीं पीढ़ी ज्ञान वान, प्रज्ञावान ओजवान, धैर्यवान, गुणवान और संस्कारवान बने यही प्रयास आपकी भांति हर माता-पिता को करना चाहिए। सनातन अथवा हिन्दू धर्म की संस्कृति संस्कारों पर ही आधारित है. हमारे ऋषियों ने मानव जीवन को पवित्र  और मर्यादित बनाने के लिए संस्कारों का आविष्कार किया, धार्मिक ही नहीं वैज्ञानिक दृष्टि से भी इन संस्कारों का हमारे जीवन में विशेष महत्व है। भारतीय संस्कृति की महानता में संस्कारों का महनीय योगदान है। सच्चे अर्थों में संस्कार ही मनुष्य बनने की प्रक्रिया है। धन्यास्तुभारतभूमे ।–हरीश मैखुरी ✍️

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🌹………..|| *पञ्चाङ्गदर्शन* ||……….🌹
*श्रीशुभ वैक्रमीय सम्वत् २०७७ || शक-सम्वत् १९४२ || सौम्यायन् || प्रमादी नाम संवत्सर|| शिशिर ऋतु || फाल्गुन कृष्णपक्ष || तिथि त्रयोदशी अपराह्न २:४१ तक उपरान्त चतुर्दशी || गुरुवासर || फाल्गुन सौर २८ प्रविष्टा || तदनुसार ११ मार्च २०२१ ई० || नक्षत्र धनिष्ठा || पूर्वाह्ण ९:१९ के उपरान्त पंचकारम्भ || मकरस्थ चन्द्रमा पूर्वाह्ण ९:१९ तक उपरान्त कुम्भस्थ चन्द्र || श्रीमहाशिवरात्रि व्रत ||*
💐👏🏾 *सुदिनम्* 👏🏾💐
📖 *पर्वानुशंसा………………*✍
फाल्गुने कृष्णपक्षस्य या तिथि: *स्याच्चतुर्दशी।*
तस्यां या तामसी रात्रि: सोच्चते *शिवरात्रिका।।*
📝 *भावार्थ*👉🏾 फाल्गुनमासके कृष्णपक्षकी चतुर्दशी तिथि *शिवरात्रि* कहलाती है। ज्योतिषशास्त्रके अनुसार फाल्गुन कृष्ण चतुर्दशी तिथिमें चन्द्रमा सूर्यके समीप होता है। अतः वही समय जीवनरूपी चन्द्रमाका शिवरूपी सूर्यके साथ *योग–मिलन* होता है।
💐 *महाशिवरात्रिपर्व की शुभकामना*💐
🙏 🙏

कंठे यस्य विराजते ही गरलं गंगाजलं मस्तके। वामागे गिरीराज राजतनया जाया भवानी स्थिता:।॥ नंदी स्कंध गणाधिनाथं सहित:श्री कल्पनाथ प्रभु। कल्पेश्वर संस्थितो हि सततं कुर्यात सदामंगलम।॥

पंचम केदार कल्पेश्वर,महादेव का मंदिर भारत में उत्तराखंड राज्य के जिला चमोली गढ़वाल जोशीमठ क्षेत्र के सुरम्य उर्गम घाटी में 2,200 मीटर (7,217.8 फीट) की ऊंचाई पर स्थित शिव को समर्पित एक हिंदू मंदिर है ।
पांडवों से जुड़े मंदिर की प्राचीन कथा, महाकाव्य महाभारत के नायक, शिव के पाँच शारीरिक दिव्य रूपों के पंच केदारों (पाँच मंदिरों) का पाँचवाँ मंदिर है; उनकी पूजा के क्रम में अन्य चार मंदिरों केदारनाथ, रुद्रनाथ, तुंगनाथ और मध्यमहेश्वर मंदिर हैं; कल्पेश्वर वर्षभर में सुलभ एकमात्र मंदिर है। इस छोटे से पत्थर के मंदिर में, एक गुफा के रास्ते से गुज़रते हुए, भगवान शिव की जटा की पूजा की जाती है इसलिए, भगवान शिव को जटाधर या जटामोलेश्वर भी कहा जाता है। पहले यह ऋषिकेश-बदरीनाथ मार्ग पर हेलंग के निकटतम रोड हेड से केवल 12 किमी (7.5 मील) दूर था, लेकिन अब यह सड़क मंदिर तक जाती है जिसमें वाहनो से जा सकते हैं

कल्पेश्वर महादेव महर्षि दुर्वासा की तपस्थली है एवं इंद्र की भी तपस्थली है ।।

दुर्वासा ऋषि ने इस स्थान पर कल्पवास किया था जिस कारण इस क्षेत्र को कल्पक्षेत्र कहा जाता है

दुर्वासा ऋषि ने नवरात्र में देवी की कृपा यहीं पर प्राप्त की और देवी से प्राप्त एक तुलसी की माला ऐश्वर्यवान इंद्र को भेंट की ऐश्वर्यमद में चूर इंद्र ने माला हाथी के पाँव के नीचे फेक दी माला का अपमान होने से दुर्वासा और महालक्ष्मी दोनों इंद्र से रुष्ट हो गए और इंद्र को ऐश्वर्य हीन होने का श्राप दे दिया इंद्र ऐश्वर्यहीन होकर स्वर्ग से भ्रष्ट हो गए, पुनः देवी की उपासना, दुर्वासा को गुरु बनाकर और समुद्र मंथन से पुनः लक्ष्मी को ऐश्वर्या सहित प्राप्त किया ।।

कहा जाता है कि कि समुद्र मंथन के समय कल्पगंगा का जल (जो कि कल्पेश्वर महादेव के चरणों में बह रहा है) समुद्र में डाल दिया गया जिस कारण अमृत व लक्ष्मी की उत्पत्ति हुई। गुफा के ठीक बगल में जो कलेवर कुंड इस कुंड की विशेषता यह है कि कितना भी सूखा पड जाये इस कुंड का जल कभी नहीं सूखता है। इस कुंड के जल से भगवान का अभिषेक करने सभी कामनाएं पूर्ण हो जाती है।महाशिवरात्रि के शुभ पर्व पर भगवान कल्पेश्वर महादेव के दर्शन एवं जलाभिषेक करनेकरने से सभी कामनाएं पूर्ण हो जाती है । महाशिवरात्रिमहाशिवरात्रि के शुभ अवसर पर भगवान कल्पेश्वर महादेव के दर्शन करके पुण्य के भागी बने । सभी प्रभु प्रेमियों का भगवान आशुतोष के दरबार में हार्दिक अभिनंदन एवं स्वागत है।

✍️(आचार्य विजय सेमवाल पंचम केदार भगवान कल्पेश्वर महादेव)

यह *व्हाट्सएप ज्ञान* नहीं है। पुराणों व धर्मग्रंथों में उल्लेखित जानकारी है।

*आज फाल्गुन कृष्ण नवमी तिथि है*
*आज समर्थ गुरु रामदास जयंती है*

👉 *उज्जैन काल गणना का मुख्य केंद्र माना गया है।*
👉 भौगोलिक दृष्टि से *उज्जैन कर्क रेखा* पर स्थित है।
👉 लंका से सुमेरु पर्वत तक जो *देशांतर रेखा* है, वह उज्जैन स्थित महाकालेश्वर मंदिर *शिखर* के ऊपर से जाती है।
👉 *उज्जैन* का *सूर्योदय समय* पूरे भारत के लिए *प्रामाणिक* है।
👉 एक मात्र महाकालेश्वर लिङ्ग है, जो *दक्षिण मुखी* है।
👉 विक्रमादित्य राजा के बाद से *उज्जैन में कोई भी राजा रात्रि को विश्राम (शयन) नहीं कर सकता है।*
👉 *स्वतंत्र भारत* में भी किसी राज्य के मुख्यमंत्री, प्रधानमंत्री, राष्ट्रपति और पूर्व रियासत के राजा – महाराजा *उज्जैन में रात्रि विश्राम नहीं करते हैं।*
👉 कार्तिक मास में *वैकुंठ चतुर्दशी* के दिन उज्जैन में *हरिहर* मिलन होता है।
👉 *महाकालेश्वर गोपाल मंदिर पधारते हैं*, वहां भोग के बाद माल्यार्पण होता है।
👉 *महाकालेश्वर* की ओर से द्वारका के राजा गोपाल कृष्ण भगवान को *बिल्वपत्र* की और *गोपालकृष्ण जी* की ओर से महाकालेश्वर को *तुलसी पत्र* की माला पहनाई जाती है।
👉 “हरिहर मिलन” के कारण *उज्जैन* के इस क्षेत्र को *हरिहर क्षेत्र* भी कहते हैं। यहां *विष्णु* और *शिव* में कोई *भेद* नहीं माना जाता है।
👉 उज्जैन के महाकाल मंदिर के गर्भ गृह की छत पर *रुद्र यंत्र* निर्मित है। इसमें *274 मन्त्र* लिपिबद्ध

☘️ *_खाने में नमक बिना स्वाद नही पर क्या आपको पता है श्रेष्ठ नमक कौनसा होता है?_*

स्वस्थ भारत सबल भारत
*डॉ राव पी सिंह*

स्वस्थतम प्राणी जगत

*नमक कौन-सा खायें ?*

आयुर्वेद के अनुसार सेंधा नमक सर्वश्रेष्ठ है । लाखों वर्ष पुराना समुद्री नमक जो पृथ्वी की गहराई में दबकर पत्थर बन जाता है, वही सेंधा नमक है । यह रुचिकर, स्वास्थ्यप्रद व आँखों के लिए हितकर है ।

*सेंधा नमक के लाभ*

आधुनिक आयोडीनयुक्त नमक से सेंधा नमक श्रेष्ठ है । यह कोशिकाओं के द्वारा सरलता से अवशोषित किया जाता है । शरीर में जो 84 प्राकृतिक खनिज तत्त्व होते हैं, वे सब इसमें पाये जाते हैं ।

(1) शरीर में जल-स्तर का नियमन करता है, जिससे शरीर की क्रियाओं में मदद मिलती है ।

(2) रक्तमें शर्करा के प्रमाण को स्वास्थ्य के अनुरूप रखता है ।

(3) पाचन संस्थान में पचे हुए तत्त्वों के अवशोषण में मदद करता है ।

(4) श्वसन तंत्र के कार्यों में मदद करता है और उसे स्वस्थ रखता है ।

(5) साइनस की पीड़ा को कम करता है ।

(6) मांसपेशियों की ऐंठन को कम करता है ।

(7) अस्थियों को मजबूत करता है ।

(8) स्वास्थ्यप्रद प्राकृतिक नींद लेने में मदद करता है ।

(9) पानी के साथ यह रक्तचाप के नियमन के लिए आवश्यक है ।

(10) मूत्रपिंड व पित्ताशय की पथरी रोकने में रासायनिक नमक की अपेक्षा अधिक उपयोगी ।

वंदे मातरम 🇮🇳
स्वस्थ और सबल भारत

कुंडली में अकाल मृत्यु के योग एवं निवारण

पं वेद प्रकाश तिवारी ज्योतिष एवं हस्तरेखा विशेषज्ञ
9919242815 निशुल्क परामर्श उपलब्ध

मौत का नाम सुनते ही शरीर में अचानक सिहरन दौड़ जाती है। मृत्यु एक अटल सत्य है, जिसे कोई बदल नहीं सकता। कब, किस कारण से, किस की मौत होगी, यह कोई भी नहीं कह सकता। कुछ लोगों की अल्पायु में ही मौत हो जाती है। ऐसी मौत को अकाल मृत्यु कहते हैं। जातक की कुंडली के आधार पर अकाल मृत्यु के संबंध में जाना जा सकता है।

1- लग्नेश तथा मंगल की युति छठे, आठवें या बारहवें भाव में हो तो जातक को शस्त्र से घाव होता है। इसी प्रकार का फल इन भावों में शनि और मंगल के होने से मिलता है।

2- यदि मंगल जन्मपत्रिका में द्वितीय भाव, सप्तम भाव अथवा अष्टम भाव में स्थित हो और उस पर सूर्य की पूर्ण दृष्टि हो तो जातक की मृत्यु आग से होती है।

3- लग्न, द्वितीय भाव तथा बारहवें भाव में क्रूर ग्रह की स्थिति हत्या का कारण बनती है।

4- दशम भाव की नवांश राशि का स्वामी राहु अथवा केतु के साथ स्थित हो तो जातक की मृत्यु अस्वभाविक होती है।

5- यदि जातक की कुंडली के लग्न में मंगल स्थित हो और उस पर सूर्य या शनि की अथवा दोनों की दृष्टि हो तो दुर्घटना में मृत्यु होने की आशंका रहती है।

6- राहु-मंगल की युति अथवा दोनों का समसप्तक होकर एक-दूसरे से दृष्ट होना भी दुर्घटना का कारण हो सकता है।

7- षष्ठ भाव का स्वामी पापग्रह से युक्त होकर षष्ठ अथवा अष्टम भाव में हो तो दुर्घटना होने का भय रहता है।

अष्टम भाव और लग्न भाव के स्वामी बलहीन हो और मंगल ६ घर के साथ बैठा हो तो ये योग बनता है |.

क्षीण चन्द्र ८ भाव में हो तो भी योग बनता है या लग्न में शनि हो और उस पर शुभ ग्रहों की दृष्टि न हो तथा उसके साथ सूर्य, चन्द्र , या सूर्य राहू हो तो भी योग बनता है |.

ऐसे योंगों में मृत्यु के निम्न कारण होते है जैसे-

१– शस्त्र से , २- विष से, ३- फांसी लगाने से , आग में जलने से , पानी में डूबने से या मोटर -वाहन दुर्घटना से |.

1- यदि जातक की कुंडली के लग्न में मंगल स्थित हो और उस पर सूर्य या शनि की अथवा दोनों की दृष्टि हो तो दुर्घटना में मृत्यु होने की आशंका रहती है।

2- राहु-मंगल की युति अथवा दोनों का समसप्तक होकर एक-दूसरे से दृष्ट होना भी दुर्घटना का कारण हो सकता है।

3- षष्ठ भाव का स्वामी पापग्रह से युक्त होकर षष्ठ अथवा अष्टम भाव में हो तो दुर्घटना होने का भय रहता है।

4- लग्न, द्वितीय भाव तथा बारहवें भाव में क्रूर ग्रह की स्थिति हत्या का कारण बनती है।

5- दशम भाव की नवांश राशि का स्वामी राहु अथवा केतु के साथ स्थित हो तो जातक की मृत्यु अस्वभाविक होती है।

6- लग्नेश तथा मंगल की युति छठे, आठवें या बारहवें भाव में हो तो जातक क शस्त्र से घाव होता है। इसी प्रकार का फल इन भावों में शनि और मंगल के होने से मिलता है।

7- यदि मंगल जन्मपत्रिका में द्वितीय भाव, सप्तम भाव अथवा अष्टम भाव में स्थित हो और उस पर सूर्य की पूर्ण दृष्टि हो तो जातक की मृत्यु आग से होती है।

निवारण –

लग्नेश को मजबूत करे उपाय के द्वारा और रत्ना के द्वारा और इसके बाद भी यदि दुर्घटना होती है तो सर महाम्रिन्त्युन्जय का जाप या मृत्संजनी का जाप ही ऐसे जातक को
बचा सकता है

उदारहण के लिए श्रीमती इंदिरा गाँधी के कुंडली देखे जिनके लग्न में कर्क राशी का शनि है और ६ भाव में राहू और शुक्र …और लग्न का स्वामी चन्द्र ७ भाव में है..

क्या आप दीर्घायु होना चाहते है तो निम्न मंत्रो का ११ बार जाप करें और चमत्कार अपने आप देख्ने…

” अश्वथामा बलीर व्यासो हनुमानाश च विभिशाना कृपाचार्य च परशुरामम सप्तैता चिरंजीवानाम ”

१ अस्वधामा २- राजा बलि ३ व्यास ऋषि , ४-अनजानी नंदन श्री राम भक्त हनुमान ५- लंका के राजा विभीषण
६- महा तपश्वी परशुराम , ७- क्रिपाचार्य .. ये सात नाम है जो अजर अमर है और आज भी पृथ्वी पर विराजमान है…

अद्भुत कवच: सफलता का मंत्र, समस्याओं का निदान-

बग्लामुखी कवच :— यह समय घोर प्रतिस्पर्धा का है। आज व्यक्ति खुद के दुखों से ज्यादा दूसरों के सुख से दु:खी है। ऎसे में मनुष्य के कई शत्रु बन जाते हैं। दूसरों से आगे निकलने की होड में व्यक्ति एक-दूसरे का दुश्मन बनता चला जाता है। यहां तक की तांत्रिक प्रयोग करवाने से भी नहीं चूकते। इसलिए हमारे ग्रन्थों में शत्रुबाधा, मुकदमा, कलह, डर इत्यादि से रक्षा करने के लिए बग्लामुखी कवच धारण करना बताया गया है। बग्लामुखी कवच धारण करने के बाद व्यक्ति पर शत्रु द्वारा किया गए सभी तांत्रिक प्रयोग विफल हो जाते हैं। इस कवच को धारण करने से शत्रु भय दूर होता है व मुकदमों में विजय होती है।

अभेद्य महामृत्युंजय कवच : —जब जन्म कुंडली में मृत्यु का योग न हो लेकिन फिर भी व्यक्ति मृत्यु को प्राप्त हो जाए तो इसे अकाल मृत्यु कहा जाता है। हर समय किसी अनहोनी का डर लगा रहता है। इन्हीं कारणों से बचाव के लिए मां भगवती ने भगवान शिव से पूछा कि प्रभू अकाल मृत्यु से रक्षा करने और सभी प्रकार के अशुभों से रक्षा का कोई उपाय बताइए। तब भगवान शिव ने महामृत्युंजय कवच के बारे में बताया। महामृंत्युजय कवच को धारण करके मनुष्य सभी प्रकार के अशुभो से बच सकता है और अकाल मृत्यु को भी टाल सकता है।

सर्वजन वशीकरण कवच : —आकर्षण, व्यक्तित्व, मधुरता, मोहकता ये सब शब्द किसी भी व्यक्ति विशेष के लिए बहुत मायने रखते हैं। आज के युग में हमें कई लोगों से मिलना पडता है जिसमें पुरूष, स्त्री, अधिकारी व अन्य तरह के लोग होते हैं। उन सब पर प्रभाव जमाने के लिए आवश्यक है कि हमारे व्यक्तित्व में कोई विशेष बात हो या हमारे चेहरे पर चुम्बकीय आर्कषण हो जिसे देखते ही सामने वाला प्रभावित हो जाए। सर्वजन वशीकरण कवच धारण करके आप महसूस करेंगे कि आपके व्यक्तित्व में एक अनोखा आर्कषण आ जाएगा। इसे धारण करने के बाद आप आर्कषण, शांति और सुकून महसूस करेंगे। साथ ही अपने आर्कषक व्यक्तित्व का परिणाम भी देखेंगे।

सौंदर्य कवच :— हर स्त्री की सदैव यही सोच बनी रहती है कि उसमें यौवन, रूप लावण्य, आर्कषण सदैव बना रहे। लेकिन कई लडकियों में विवाह योग्य उम्र हो जाने के बाद भी यौवन, रूप लावण्यता नहीं रहती है। ब्यूटी पार्लर अथवा सौंदर्य प्रसाधनों का इस्तेमाल करके बढती उम्र को छुपाने की कोशिश की जाती है। तंत्र में ऎसी औरते अनंग मरू साधना द्वारा काम संतुष्टी प्राप्त कर सकती हैं। लेकिन जो औरते नौकरी या व्यवसाय में है अथवा जो मंत्र जाप या पूजा नहीं कर सकती वे सौंदर्य कवच को धारण कर अपने जीवन में यौवन व रूप लावण्यता प्राप्त कर सकती हैं। इस कवच को धारण करने से शारीरिक ही नहीं अपितु आत्मिक सुंदरता का भी विकास होता है।

अकाल मृत्यु का भय नाश करतें हैं महामृत्युञ्जय—–
ग्रहों के द्वारा पिड़ीत आम जन मानस को मुक्ती आसानी से मिल सकती है। सोमवार के व्रत में भगवान शिव और देवी पार्वती की पूजा की जाती है। प्राचीन शास्त्रों के अनुसार सोमवार के व्रत तीन तरह के होते हैं। सोमवार, सोलह सोमवार और सौम्य प्रदोष। इस व्रत को सावन माह में आरंभ करना शुभ माना जाता है।

शिवशंकर की पूजा :—–
भगवान शंकर की विशेष रूप से पूजा की जाती है। इस दौरान पूजन की शुरूआत महादेव के अभिषेक के साथ की जाती है। अभिषेक में महादेव को जल, दूध, दही, घी, शक्कर, शहद, गंगाजल, गन्ना रस आदि से स्नान कराया जाता है। अभिषेक के बाद बेलपत्र, समीपत्र, दूब, कुशा, कमल, नीलकमल, ऑक मदार, जंवाफूल कनेर, राई फूल आदि से शिवजी को प्रसन्न किया जाता है। इसके साथ की भोग के रूप में धतूरा, भाँग और श्रीफल महादेव को चढ़ाया जाता है।

क्यों किया जाता है महादेव का अभिषेक ????
महादेव का अभिषेक करने के पीछे एक पौराणिक कथा का उल्लेख है कि समुद्र मंथन के समय हलाहल विष निकलने के बाद जब महादेव इस विष का पान करते हैं तो वह मूर्चि्छत हो जाते हैं। उनकी दशा देखकर सभी देवी-देवता भयभीत हो जाते हैं और उन्हें होश में लाने के लिए निकट में जो चीजें उपलब्ध होती हैं, उनसे महादेव को स्नान कराने लगते हैं। इसके बाद से ही जल से लेकर तमाम उन चीजों से महादेव का अभिषेक किया जाता है।

‘मम क्षेमस्थैर्यविजयारोग्यैश्वर्याभिवृद्धयर्थं सोमव्रतं करिष्ये’

इसके पश्चात निम्न मंत्र से ध्यान करें-

‘ध्यायेन्नित्यंमहेशं रजतगिरिनिभं चारुचंद्रावतंसं रत्नाकल्पोज्ज्वलांग परशुमृगवराभीतिहस्तं प्रसन्नम्।
पद्मासीनं समंतात्स्तुतममरगणैर्व्याघ्रकृत्तिं वसानं विश्वाद्यं विश्ववंद्यं निखिलभयहरं पंचवक्त्रं त्रिनेत्रम् ॥

ध्यान के पश्चात ‘ऊँ नम: शिवाय’ से शिवजी का तथा ‘ऊँ नम: शिवायै’ के अलावा जन साधारण को महामृत्युञ्जय मंत्र का जप करने से अकाल मृत्यु का भय समाप्त हो जाता है । अत: शिव-पार्वती जी का षोडशोपचार पूजन कर राशियों के अनुसार दिये मंत्र से अलग-अलग प्रकार से पुष्प अर्पित करें।

राशियों के अनुसार क्या चढ़ावें भगवान शिव को..????

भगवान शिव को भक्त प्रसन्न करने के लिए बेलपत्र और समीपत्र चढ़ाते हैं। इस संबंध में एक पौराणिक कथा के अनुसार जब 88 हजार ऋषियों ने महादेव को प्रसन्न करने की विधि परम पिता ब्रह्मा से पूछी तो ब्रह्मदेव ने बताया कि महादेव सौ कमल चढ़ाने से जितने प्रसन्न होते हैं, उतना ही एक नीलकमल चढ़ाने पर होते हैं। ऐसे ही एक हजार नीलकमल के बराबर एक बेलपत्र और एक हजार बेलपत्र चढ़ाने के फल के बराबर एक समीपत्र का महत्व होता है।

मेष:-ऊँ ह्रौं जूं स:, इस त्र्यक्षरी महामृत्युछञ्जय मंत्र बोलते हुए11 बेलपत्र चढ़ावें।

वृषभ:- ऊँ शशीशेषराय नम: इस मंत्र से 84 शमीपत्र चढ़ावें।

मिथुन:- ऊँ महा कालेश्वराय नम: (बेलपत्र 51)।

कर्क:- ऊँ त्र्यम्बकाय नम: (नील कमल 61)।

सिंह:- ऊँ व्योमाय पाय्र्याय नम: (मंदार पुष्प 108)

कन्या:- ऊँ नम: कैलाश वासिने नंदिकेश्वराय नम:(शमी पत्र 41)

तुला:- ऊँ शशिमौलिने नम: (बेलपत्र 81)

वृश्चिक:
ऊँ महाकालेश्वराय नम: ( नील कमल 11 फूल)

धनु:- ऊँ कपालिक भैरवाय नम: (जंवाफूल कनेर108)

मकर:- ऊँ भव्याय मयोभवाय नम: (गन्ना रस और बेल पत्र 108)

कुम्भ:- ऊँ कृत्सनाय नम: (शमी पत्र 108)

मीन:- पिंङगलाय नम: (बेलपत्र में पीला चंदन से राम नाम लिख कर 108)

सोमवार व्रत नियमित रूप से करने पर भगवान शिव तथा देवी पार्वती की अनुकम्पा बनी रहती है।जीवन धन-धान्य से भर जाता है।
सभी अनिष्टों का भगवान शिव हरण कर भक्तों के कष्टों को दूर करते हैं।

✍️दमयन्ती भट्ट की कविता

प्यार के पिंजरे मैं
तडफे मन पंछी
पल पल प्यास बढे
बूंद बूंद रिसे गागर
मन मैला तन उजला

गिरे हुए नहीं उठाये
थके कभी गले नहीं लगाये
किसी भूले को राह नहीं दिखाये

लाख गंगा नहाये
मंदिर मैं माथ नवाये
उनका मुख कितना फीका
किसी के काम न आ सके जो
उनके ऊंचे महलों का
क्या होगा?

मन का मैल जस का तैसा
मन की
खोल देते खिडकी
आ जाती रोशनी
सुख दुख बांट लेते सबके
पर जो अपनों के हुए नहीं
जिनका रूप अजाना, सब जग जाना

जिसकी सुगंध न कोई पाये
ऐसा कहीं किसी गमले में
खिल गया सुमन
क्या होगा?

जो हृदय का नेह न समझे
जो दूसरे की पीर न समझे
जो धन के ऊपर बैठ
शांति न पा सके
जो दूसरे के बच्चे की
भोली चितवन पर
क्षण भर भी मुस्का न सके

वो जीवन भी क्या जीवन है?

जो खुद को आदर्श बताता
खुद नर से नारायण बन जाता
वैभव मैं आसक्ति जिसकी
नारायण के दर मुक्ति नहीं उसकी
जो अपनी सुख समाधि लगाता
पंछी वो ,मछली वो
जल और नभ नहीं पाता
जो जग मैं आकर
विष के वाण बो जाता
अपने वैभव मैं आसक्त वो
मुक्ति नहीं पाता
खाली जाती सांसें उसकी
मरन हाट मैं अमर रहे
उसका सौदा बस जीते जी

जिसका धन किसी के काम न आये
उसके ढेरों कंचन का
क्या होगा?…………… ✍️दमयंती