आज का पंचाग आपका राशि फल, पंचायतन (पाँच देवताओ) की पुजा का महत्त्व एवं विधि

🕉श्री हरिहरो विजयतेतराम🕉
🌄सुप्रभातम🌄
🗓आज का पञ्चाङ्ग🗓
🌻शनिवार, २३ अक्टूबर २०२१🌻

सूर्योदय: 🌄 ०६:२७
सूर्यास्त: 🌅 ०५:४०
चन्द्रोदय: 🌝 १९:२०
चन्द्रास्त: 🌜०८:३७
अयन 🌕 दक्षिणायने (दक्षिणगोलीय
ऋतु: 🌳 हेमन्त
शक सम्वत: 👉 १९४३ (प्लव)
विक्रम सम्वत: 👉 २०७८ (राक्षस)
मास 👉 कार्तिक
पक्ष 👉 कृष्ण
तिथि 👉 तृतीया (२७:०१ तक)
नक्षत्र 👉 कृत्तिका (२१:५३ तक)
योग 👉 व्यतीपात (२२:३३ तक)
प्रथम करण 👉 वणिज (१३:४३ तक)
द्वितीय करण 👉 विष्टि (२७:०१ तक)
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॥ गोचर ग्रहा: ॥
🌖🌗🌖🌗
सूर्य 🌟 तुला
चंद्र 🌟 वृष
मंगल 🌟 तुला (अस्त, पश्चिम, मार्गी)
बुध 🌟 कन्या (उदित, पूर्व, मार्गी)
गुरु 🌟 मकर (उदय, पूर्व, मार्गी)
शुक्र 🌟 वृश्चिक (उदय, पश्चिम, मार्गी)
शनि 🌟 मकर (उदय, पूर्व, मार्गी)
राहु 🌟 वृष
केतु 🌟 वृश्चिक
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शुभाशुभ मुहूर्त विचार
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अभिजित मुहूर्त 👉 ११:३८ से १२:२३
अमृत काल 👉 १९:१२ से २०:५९
सर्वार्थसिद्धि योग 👉 २१:५३ से ३०:२५
अमृतसिद्धि योग 👉 २१:५३ से ३०:२५
विजय मुहूर्त 👉 १३:५३ से १४:३८
गोधूलि मुहूर्त 👉 १७:२६ से १७:५१
निशिता मुहूर्त 👉 २३:३६ से २४:२७
राहुकाल 👉 ०९:१२ से १०:३७
राहुवास 👉 पूर्व
यमगण्ड 👉 १३:२५ से १४:४९
होमाहुति 👉 मंगल
दिशाशूल 👉 पूर्व
नक्षत्र शूल 👉 पश्चिम (२१:५३ से)
अग्निवास 👉 पाताल (२७:०१ से पृथ्वी)
भद्रावास 👉 स्वर्ग (१३:४३ से २७:०१)
चन्द्रवास 👉 दक्षिण
शिववास 👉 क्रीड़ा में (२७:०१ से कैलाश पर)
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☄चौघड़िया विचार☄
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॥ दिन का चौघड़िया ॥
१ – काल २ – शुभ
३ – रोग ४ – उद्वेग
५ – चर ६ – लाभ
७ – अमृत ८ – काल
॥रात्रि का चौघड़िया॥
१ – लाभ २ – उद्वेग
३ – शुभ ४ – अमृत
५ – चर ६ – रोग
७ – काल ८ – लाभ
नोट– दिन और रात्रि के चौघड़िया का आरंभ क्रमशः सूर्योदय और सूर्यास्त से होता है। प्रत्येक चौघड़िए की अवधि डेढ़ घंटा होती है।
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शुभ यात्रा दिशा
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दक्षिण-पूर्व (वाय विन्डिंग अथवा तिल मिश्रित चावल का सेवन कर यात्रा करें)
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तिथि विशेष
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राष्ट्रीय कार्तिक मास आरम्भ, हेमन्त ऋतु आरम्भ, विवाहादि मुहूर्त (हिमाचल, पंजाब, कश्मीर, हरियाणा) आदि के लिये सिंह-तुला लग्न रात्रि ०३:०२ से प्रातः ०६:२९ तक आदि।
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आज जन्मे शिशुओं का नामकरण
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आज ०९:५३ तक जन्मे शिशुओ का नाम
शतभिषा नक्षत्र के चतुर्थ चरण अनुसार क्रमशः (सू) नामाक्षर से तथा इसके बाद जन्मे शिशुओं का नाम पूर्वाभाद्रपद नक्षत्र के प्रथम, द्वितीय, तृतीय एवं चतुर्थ चरण अनुसार क्रमश (से, सो, द, दी) नामाक्षर से रखना शास्त्रसम्मत है।
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उदय-लग्न मुहूर्त
तुला – ३०:०१ से ०८:२२
वृश्चिक – ०८:२२ से १०:४१
धनु – १०:४१ से १२:४५
मकर – १२:४५ से १४:२६
कुम्भ – १४:२६ से १५:५२
मीन – १५:५२ से १७:१५
मेष – १७:१५ से १८:४९
वृषभ – १८:४९ से २०:४४
मिथुन – २०:४४ से २२:५९
कर्क – २२:५९ से २५:२०
सिंह – २५:२० से २७:३९
कन्या – २७:३९ से २९:५७
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पञ्चक रहित मुहूर्त
रोग पञ्चक – ०६:२४ से ०८:२२
शुभ मुहूर्त – ०८:२२ से १०:४१
मृत्यु पञ्चक – १०:४१ से १२:४५
अग्नि पञ्चक – १२:४५ से १४:२६
शुभ मुहूर्त – १४:२६ से १५:५२
रज पञ्चक – १५:५२ से १७:१५
अग्नि पञ्चक – १७:१५ से १८:४९
शुभ मुहूर्त – १८:४९ से २०:४४
रज पञ्चक – २०:४४ से २१:५३
शुभ मुहूर्त – २१:५३ से २२:५९
चोर पञ्चक – २२:५९ से २५:२०
शुभ मुहूर्त – २५:२० से २७:०१
रोग पञ्चक – २७:०१ से २७:३९
शुभ मुहूर्त – २७:३९ से २९:५७
मृत्यु पञ्चक – २९:५७ से ३०:२५
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आज का राशिफल
🐐🐂💏💮🐅👩
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मेष🐐 (चू, चे, चो, ला, ली, लू, ले, लो, अ)
आज के दिन परिस्थितियां आपकी आशा के अनुकूल रहेंगी। लेकिन महिलाये आज जो भी विचारेंगी फल उसके विपरीत ही मिलेगा। आध्यात्म के प्रति आस्था बढ़ने पर भी धन कमाने को ज्यादा महत्त्व देंगे।
आपकी मनोवृति सुखोपभोग की अधिक रहेगी जिस वजह से कार्य क्षेत्र पर पूर्ण ध्यान नही दे पाएंगे फिर भी आज धन लाभ के अवसर मिलते रहेंगे। जिस भी कार्य को करने का मन बनाएंगे उनके निर्णय आरंभिक व्यवधान के बाद आपके ही पक्ष में रहेंगे। सरकारी कार्यो भी आज किसी के सहयोग मिलने से आगे बढ़ेंगे। सार्वजनिक कार्यो में अरुचि रहेगी। लंबी धार्मिक तीर्थ स्थानों की यात्रा के प्रसंग बन सकते है।

वृष🐂 (ई, ऊ, ए, ओ, वा, वी, वू, वे, वो)
आज आप जिस भी कार्य को करने की योजना बनाएंगे उसमें सफल अवश्य होंगे। आज आपको आस-पास का वातावरण भी उत्साह बढ़ाने वाला मिलेगा। कार्य व्यवसाय में आरंभिक मंदी के बाद मध्यान पश्चात लाभजनक स्थिति बनेगी। निवेश भी निसंकोच होकर कर सकते है लाभ ही होगा। कुछ दिनों से जिस वस्तु की कामना कर रहे थे आज उसकी प्राप्ति होने से मन प्रफुल्लित रहेगा। धन लाभ के साथ साथ खर्च में भी बढ़ोतरी होगी फिर भी आर्थिक संतुलन बना रहेगा। आज कोई निकटस्थ व्यक्ति घर अथवा कार्य क्षेत्र पर आपके भेदों को सार्वजनिक कर सकता है सतर्क रहें।

मिथुन👫 (का, की, कू, घ, ङ, छ, के, को, हा)
आज के दिन आपको अकस्मात हानि का सामना करना पड़ेगा। जिस भी कार्य को आरम्भ करेंगे उस मे किसी अन्य के कारण विलम्ब होगा। व्यवसायी वर्ग को धन लाभ की आशा दिन के आरम्भ से ही लगी रहेगी परन्तु आज सीमित साधनों से ही काम चलाना पड़ेगा। दिन के आरंभ में बौद्विक परिश्रम भी अधिक करना पड़ेगा इसका लाभ सम्मान के रूप में अवश्य मिलेगा। आर्थिक विषय संबंधित अधिकांश कार्यो में केवल आश्वासन से ही काम चलाना पड़ेगा। सेहत का भी आज ध्यान रखें पेट खराब होने से अन्य शारीरिक अंगों में शिथिलता आएगी। पारिवारिक वातावरण तालमेल की कमी के कारण बिखर सकता है।

कर्क🦀 (ही, हू, हे, हो, डा, डी, डू, डे, डो)
आज के दिन घर-परिवार एवं सार्वजनिक क्षेत्र पर आपकी सम्मानजनक स्थिति बनेगी। आज आप किसी भी कार्य मे ज्यादा तामझाम करना पसंद नही करेंगे। जिस कार्य मे आसानी रहे उसे प्राथमिकता देंगे। सरकार संबंधित कागजी कार्य थोड़ी भागदौड़ से पूर्ण हो सकेंगे। व्यवसाय में ले देकर काम चलाने की प्रवृति शुरू में हानि लेकिन बाद में लाभदायक सिद्ध होगी। आज किसी के मनमाने व्यवहार के कारण तीखी बहस भी हो सकती है जिसमे विजय आपकी ही होगी। महिलाये आज मौन रहने का प्रयास करें इससे कई समस्याओं का समाधान स्वतः ही हो जायेगा।

सिंह🦁 (मा, मी, मू, मे, मो, टा, टी, टू, टे)
आज के दिन परिस्थितियों ने सुधार आने लगेगा आज कार्य क्षेत्र पर व्यवस्था बदलने के बाद ही आर्थिक स्थिति बेहतर बन सकेगी। सहकर्मी सहयोग करने में आनाकानी करेंगे जिससे कुछ समय के लिए कार्यो में अवरोध रहेगा लेकिन शीघ्र ही अन्य विकल्प भी मिल जायेंगे। मध्यान के बाद जिस भी काम मे निवेश करेंगे उसमे दुगना धन मिलने की संभावना रहेगी लेकिन धन की आमद में थोड़ा विलम्ब हो सकता है। व्यवसाय के अतिरिक्त भी आय होने की संभावना है। पारिवारिक वातावरण में थोड़ा विरोधाभास रहेगा परन्तु महत्त्वपूर्ण विषयो में सभी एकजुट हो जाएंगे। सेहत में सुधार आएगा।

कन्या👩 (टो, पा, पी, पू, ष, ण, ठ, पे, पो)
आज का दिन अधिक भाग-दौड़ वाला रहेगा। आज आपको कोई नापसंद कार्य भी मजबूरी में करना पड़ेगा। आर्थिक रूप से दिन सामान्य से उत्तम रहेगा लेकिन आकस्मिक खर्च भी साथ मे लगे रहने से बचत नही कर पाएंगे। आज आप जिस किसी से भी कोई वादा करेंगे उसे अवश्य पूरा करेंगे। मध्यान तक परिश्रम का फल ना मिलने से निराशा रहेगी परन्तु संध्या के समय धन की आमद होने लगेगी व्यवसाय में आज विस्तार ना करें निवेश भी सोच समझ कर ही करें। नौकरी पेशा जातक कार्यभार बढ़ने से थकान अनुभव करेंगे। घर मे मांगलिक आयोजन हो सकता है। कुछ मतभेद के बाद भी शांति बनी रहेगी।

तुला⚖️ (रा, री, रू, रे, रो, ता, ती, तू, ते)
आज के दिन आपको विषम परिस्थितियों का सामना करना पड़ेगा। दिन के आरम्भ में स्वास्थ्य ठीक रहेगा लेकिन मध्यान तक कुछ ना कुछ विकार आने से कार्य प्रभावित होंगे वाहन अथवा उपकरणों से सावधानी बरतें दुर्घटना का भय है। दिन के आरंभ में किसी से बंधी आशा टूटने से मन दुखी होगा। आर्थिक कारणों से मध्यान तक का समय संघर्ष वाला रहेगा इसके बाद कही से आकस्मिक धन लाभ होने से थोड़ी राहत मिलेगी। आज यात्रा पर्यटन की योजना भी बनेगी। कार्य क्षेत्र पर प्रतिस्पर्धा अधिक रहने से लाभ में कमी आएगी। महिलाये आज परिजनों के ऊपर अधिक आश्रित रहेंगी। संतानो के विषय मे नई चिंता बनेगी।

वृश्चिक🦂 (तो, ना, नी, नू, ने, नो, या, यी, यू)
आज दिन के आरम्भ से ही आप महत्त्वपूर्ण कार्यो के सहज सफल होने से उत्साहित रहेंगे। परिवार के सदस्य से शुभ समाचार मिलने पर उत्साह में और वृद्धि होगी। नौकरी व्यवसाय में धन के साथ सम्मान की प्राप्ति भी होगी। अधिकारी वर्ग आपसे महत्त्वपूर्ण विषयों को लेकर परामर्श करेंगे। व्यापारी वर्ग को कुछ दिनों से अटके कार्य आज पूर्ण होने से तसल्ली मिलेगी। लेकिन परिवार में आज आर्थिक अथवा अथवा किसी अन्य वजह से खींच-तान होने की संभावना है। धन की अपेक्षा संबंधों को अधिक महत्त्व दे अन्यथा वैर-विरोध का सामना करना पड़ेगा। मध्यान के बाद का समय पूरे दिन की अपेक्षा ज्यादा सुखदायी रहेगा। मौज-शौक एवं संतानो पर खर्च होगा।

धनु🏹 (ये, यो, भा, भी, भू, ध, फा, ढा, भे)
आज के दिन आपको पूर्व में की गई मेहनत का फल धन लाभ के रूप में मिलेगा। दिनचार्य भी सुव्यवस्थित रहने से किसी भी कार्य को लेकर ज्यादा मशक्कत नही करनी पड़ेगी। अधिकांश कार्यो में सहज सफलता मिल जाएगी। लेकिन धन संबंधित कार्य देखभाल कर ही करें। प्रतिस्पर्धी स्वतः ही अपनी हार मान लेंगे जिससे लाभ के अवसर बढ़ेंगे। सेहत भी अनुकूल रहने से हर प्रकार की परिस्थितियों में काम कर लेंगे। जो लोग अबतक आपके विपरीत चल रहे थे वो भी आपका सहयोग एवं प्रशंशा करेंगे फिर भी आकस्मिक वाद-विवाद के प्रसंग बनेंगे इससे बच कर रहें। घर मे थोड़ी उग्रता रहने पर भी प्रेम बना रहेगा।

मकर🐊 (भो, जा, जी, खी, खू, खा, खो, गा, गी)
आज के दिन कुछ कार्यो को लेकर आप असमंजस की स्थिति में रहेंगे। अन्य लोगो के हस्तक्षेप देने पर भ्रमित होने की संभावना है। मनमानी रवैये के चलते भी हानि हो सकती है इसलिए महत्त्वपूर्ण कार्य अनुभवी व्यक्ति से सलाह लेकर ही करें। कार्य व्यवसाय में आज कुछ विशेष सफलता नही मिलेगी। परिवार में आज किसी सदस्य की इच्छा पूर्ति ना होने पर वातावरण खराब होगा। नए कार्य की योजना बना रहे है तो आज अवश्य आरम्भ करें। नौकरी पेशा जातक काम मे ऊबन अनुभव करेंगे। मनोरंजन के अवसर नही मिलने से निराशा बढ़ेगी।

कुंभ🍯 (गू, गे, गो, सा, सी, सू, से, सो, दा)
आज के दिन का अधिकांश भाग भी आपके लिए कलहकारी रहेगा। आर्थिक स्थिति भी गड़बड़ाने से क्रोध अधिक आएगा। संबंधों के प्रति लापरवाह रहेंगे जिससे घर मे अशांति के प्रसंग ज्यादा बढ़ेंगे। महिलाओ के अन्य पारिवारिक सदस्यों के साथ आज आपके विचार मेल नही खाएंगे। व्यवसायी वर्ग मध्यान बाद तक व्यापार को लेकर परेशान रहेंगे इसके बाद स्थिति में सुधार आएगा परन्तु आपकी छोटि मानसिकता आज ओरो को परेशान करेगी। सेहत का भी ध्यान रखें असंयमित दिनचर्या हानि पहुचायेगी।

मीन🐳 (दी, दू, थ, झ, ञ, दे, दो, चा, ची)
आज का दिन आपके लिए धन लाभ कराने वाला रहेगा। आज आपको जिस कार्य मे हानि की संभावना रहेगी उससे भी अकस्मात धन लाभ प्राप्त करेंगे। परिवार की महिलाये अथवा महिला मित्र आज आपके जीवन मे कुछ विशेष भूमिका निभाएंगी। धन लाभ आवश्यकता के समय होने से ज्यादा झंझट में नही पड़ना पड़ेगा। आज आप अपनी व्यवहार कुशलता का परिचय हर क्षेत्र पर देंगे लेकिन परिवार में किसी ना किसी का रूठना मनाना लगा रहेगा फिर भी माहौल नियंत्रण में ही रहेगा। विशेष कर आज व्यसनों से दूर रहें धन के साथ ही मान एवं शारीरिक हानि हो सकती है

 

आपका राशि फल, पंचायतन (पाँच देवताओ) की पुजा का महत्त्व एवं विधि 〰️〰️🌼〰️〰️🌼〰️〰️🌼〰️〰️🌼〰️〰️🌼〰️〰️ हिन्दू पूजा पद्यति में किसी भी कार्य का शुभारंभ करने अथवा जप-अनुष्ठान एवं प्रत्येक मांगलिक कार्य के आरंभ में सुख-समृद्धि देने वाले पांच देवता, एक ही परमात्मा पांच इष्ट रूपों में पूजे जाते है। एक परम प्रभु चिदानन्दघन परम तत्त्व हैं सर्वाधार । सर्वातीत,सर्वगत वे ही अखिलविश्वमय रुप अपार ।। हरि, हर, भानु, शक्ति, गणपति हैं इनके पांच स्वरूप उदार । मान उपास्य उन्हें भजते जन भक्त स्वरुचि श्रद्धा अनुसार ।। (पद-रत्नाकर) निराकार ब्रह्म के साकार रूप हैं पंचदेव 〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️ परब्रह्म परमात्मा निराकार व अशरीरी है, अत: साधारण मनुष्यों के लिए उसके स्वरूप का ज्ञान असंभव है । इसलिए निराकार ब्रह्म ने अपने साकार रूप में पांच देवों को उपासना के लिए निश्चित किया जिन्हें पंचदेव कहते हैं । ये पंचदेव हैं—विष्णु, शिव, गणेश, सूर्यऔर शक्ति। आदित्यं गणनाथं च देवीं रुद्रं च केशवम् । पंचदैवतभित्युक्तं सर्वकर्मसु पूजयेत् ।। एवं यो भजते विष्णुं रुद्रं दुर्गां गणाधिपम् । भास्करं च धिया नित्यं स कदाचिन्न सीदति ।। (उपासनातत्त्व) अर्थात👉 सूर्य, गणेश, देवी, रुद्र और विष्णु—ये पांच देव सब कामों में पूजने योग्य हैं, जो आदर के साथ इनकी आराधना करते हैं वे कभी हीन नहीं होते, उनके यश-पुण्य और नाम सदैव रहते हैं । वेद-पुराणों में पंचदेवों की उपासना को महाफलदायी और उसी तरह आवश्यक बतलाया गया है जैसे नित्य स्नान को । इनकी सेवा से ‘परब्रह्म परमात्मा’ की उपासना हो जाती है । अन्य देवताओं की अपेक्षा इन पांच देवों की प्रधानता ही क्यों? अन्य देवों की अपेक्षा पंचदेवों की प्रधानता के दो कारण हैं— १.👉 पंचदेव पंचभूतों के अधिष्ठाता (स्वामी) हैं। पंचदेव आकाश, वायु, अग्नि, जल और पृथ्वी—इन पंचभूतों के अधिपति हैं । 👉 सूर्य वायु तत्त्व के अधिपति हैं इसलिए उनकी अर्घ्य और नमस्कार द्वारा आराधना की जाती है । 👉 गणेश के जल तत्त्व के अधिपति होने के कारण उनकी सर्वप्रथम पूजा करने का विधान हैं, क्योंकि सृष्टि के आदि में सर्वत्र ‘जल’ तत्त्व ही था । 👉 शक्ति (देवी, जगदम्बा) अग्नि तत्त्व की अधिपति हैं इसलिए भगवती देवी की अग्निकुण्ड में हवन के द्वारा पूजा करने का विधान हैं । 👉 शिव पृथ्वी तत्त्व के अधिपति हैं इसलिए उनकी शिवलिंग के रुप में पार्थिव-पूजा करने का विधान हैं । 👉 विष्णु आकाश तत्त्व के अधिपति हैं इसलिए उनकी शब्दों द्वारा स्तुति करने का विधान हैं । २.👉 अन्य देवों की अपेक्षा इन पंचदेवों के नाम के अर्थ ही ऐसे हैं कि जो इनके ब्रह्म होने के सूचक हैं। विष्णु अर्थात् सबमें व्याप्त, शिव यानी कल्याणकारी, गणेश अर्थात् विश्व के सभी गणों के स्वामी, सूर्य अर्थात् सर्वगत (सभी जगह जाने वाले), शक्ति अर्थात् सामर्थ्य । संसार में देवपूजा को स्थायी रखने के उद्देश्य से वेदव्यासजी ने विभिन्न देवताओं के लिए अलग-अलग पुराणों की रचना की। अपने-अपने पुराणों में इन देवताओं को सृष्टि को पैदा करने वाला, पालन करने वाला और संहार करने वाला अर्थात् ब्रह्म माना गया है। जैसे विष्णुपुराण में विष्णु को, शिवपुराण में शिव को, गणेशपुराण में गणेश को, सूर्यपुराण में सूर्य को और शक्तिपुराण में शक्ति को ब्रह्म माना गया है। अत: मनुष्य अपनी रुचि अथवा भावना के अनुसार किसी भी देव को पूजे, उपासना एक ब्रह्म की ही होती है क्योंकि पंचदेव ब्रह्म के ही प्रतिरुप (साकार रूप) हैं। उनकी उपासना या आराधना में ब्रह्म का ही ध्यान होता है और वही इष्टदेव में प्रविष्ट रहकर मनोवांछित फल देते हैं। वही एक परमात्मा अपनी विभूतियों में आप ही बैठा हुआ अपने को सबसे बड़ा कह रहा है वास्तव में न तो कोई देव बड़ा है और न कोई छोटा। एक उपास्य देव ही करते लीला विविध अनन्त प्रकार। पूजे जाते वे विभिन्न रूपों में निज-निज रुचि अनुसार ।। (पद रत्नाकर) पंचदेव और उनके उपासक 〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️ विष्णु के उपासक ‘वैष्णव’ कहलाते हैं, शिव के उपासक ‘शैव’ के नाम से जाने जाते हैं, गणपति के उपासक ‘गाणपत्य’ कहलाते हैं, सूर्य के उपासक ‘सौर’ होते हैं, और शक्ति के उपासक ‘शाक्त’ कहलाते हैं । इनमें शैव, वैष्णव और शाक्त विशेष रूप से प्रसिद्ध हैं । पंचदेवों के ही विभिन्न नाम और रूप हैं अन्य देवता 〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️ शालग्राम, लक्ष्मीनारायण, सत्यनारायण, गोविन्ददेव, सिद्धिविनायक, हनुमान, भवानी, भैरव, शीतला, संतोषीमाता, वैष्णोदेवी, कामाख्या, अन्नपूर्णा आदि अन्य देवता इन्हीं पंचदेवों के रूपान्तर (विभिन्न रूप) और नामान्तर हैं । पंचायतन में किस देवता को किस कोण (दिशा) में स्थापित करें? 〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️ पंचायतन विधि👉 पंचदेवोपासना में पांच देव पूज्य हैं। पूजा की चौकी या सिंहासन पर अपने इष्टदेव को मध्य में स्थापित करके अन्य चार देव चार दिशाओं में स्थापित किए जाते हैं। इसे ‘पंचायतन’ कहते हैं। शास्त्रों के अनुसार इन पाँच देवों की मूर्तियों को अपने इष्टदेव के अनुसार सिंहासन में स्थापित करने का भी एक निश्चित क्रम है। इसे ‘पंचायतन विधि’ कहते हैं। जैसे👉 विष्णु पंचायतन 〰️〰️〰️〰️〰️जब विष्णु इष्ट हों तो मध्य में विष्णु, ईशान कोण में शिव, आग्नेय कोण में गणेश, नैऋत्य कोण में सूर्य और वायव्य कोण में शक्ति की स्थापना होगी। सूर्य पंचायतन 〰️〰️〰️〰️यदि सूर्य को इष्ट के रूप में मध्य में स्थापित किया जाए तो ईशान कोण में शिव, अग्नि कोण में गणेश, नैऋत्य कोण में विष्णु और वायव्य कोण में शक्ति की स्थापना होगी । देवी पंचायतन 〰️〰️〰️〰️〰️जब देवी भवानी इष्ट रूप में मध्य में हों तो ईशान कोण में विष्णु, आग्नेय कोण में शिव, नैऋत्य कोण में गणेश और वायव्य कोण में सूर्य रहेंगे । शिव पंचायतन 〰️〰️〰️〰️〰️जब शंकर इष्ट रूप में मध्य में हों तो ईशान कोण में विष्णु, आग्नेय कोण में सूर्य, नैऋत्य कोण में गणेश और वायव्य कोण में शक्ति का स्थान होगा। गणेश पंचायतन 〰️〰️〰️〰️〰️जब इष्ट रूप में मध्य में गणेश की स्थापना है तो ईशान कोण में विष्णु, आग्नेय कोण में शिव, नैऋत्य कोण में सूर्य तथा वायव्य कोण में शक्ति की पूजा होगी। शास्त्रों के अनुसार यदि पंचायतन में देवों को अपने स्थान पर न रखकर अन्यत्र स्थापित कर दिया जाता है तो वह साधक के दु:ख, शोक और भय का कारण बन जाता है। देवता चाहे एक हो, अनेक हों, तीन हों या तैंतीस करोड़ हो, उपासना ‘पंचदेवों’ की ही प्रसिद्ध है। इन सबमें गणेश का पूजन अनिवार्य है। यदि अज्ञानवश गणेश का पूजन न किया जाए तो विघ्नराज गणेशजी उसकी पूजा का पूरा फल हर लेते हैं।