आज का पंचाग आपका राशि फल, हमारे त्यौहार और परम्पराओं पर पाश्चात्य आक्रमण, अनदेखा पहाड़ बंशी नारायण और फ्यूंला नारायण

 ‼️ 🕉️ ‼️
🚩🌞 *सुप्रभातम* 🌞
📜««« *आज का पञ्चांग* »»»📜
कलियुगाब्द…………………..5123
विक्रम संवत्………………….2078
शक संवत्…………………….1943
मास…………………………..आषाढ़
पक्ष……………………………..शुक्ल
तिथी……………………………पंचमी
प्रातः 07.15 पर्यंत पश्चात षष्ठी
रवि……………………….दक्षिणायन
सूर्योदय………..प्रातः 05.51.22 पर
सूर्यास्त……….संध्या 07.14.54 पर
सूर्य राशि……………………..मिथुन
चन्द्र राशि………………………सिंह
गुरु राशि………………………कुम्भ
नक्षत्र………………..उत्तराफाल्गुनी
रात्रि 03.15 पर्यंत पश्चात चित्रा
योग…………………………..वरिघ
प्रातः 11.34 पर्यंत पश्चात शिव
करण…………………………बालव
प्रातः 07.15 पर्यंत पश्चात कौलव
ऋतु…………………………..ग्रीष्म
*दिन……………………..गुरुवार*

*🇮🇳 राष्ट्रीय सौर आषाढ़, दिनांक २४*
*( शुचिमास ) !*

*🇬🇧 आंग्ल मतानुसार दिनांक*
*१५ जुलाई सन २०२१ ईस्वी !*

⚜️ *अभिजीत मुहूर्त :-*
प्रातः 12.06 से 12.59 तक ।

👁‍🗨 *राहुकाल :-*
दोपहर 02.12 से 0३.51 तक ।

🌞 *उदय लग्न मुहूर्त :-*
*मिथुन*
03:27:53 05:42:36
*कर्क*
05:42:36 08:03:34
*सिंह*
08:03:34 10:21:15
*कन्या*
10:21:15 12:37:55
*तुला*
12:37:55 14:57:47
*वृश्चिक*
14:57:47 17:16:44
*धनु*
17:16:44 19:21:05
*मकर*
19:21:05 21:03:41
*कुम्भ*
21:03:41 22:31:23
*मीन*
22:31:23 23:56:34
*मेष*
23:56:34 25:32:03
*वृषभ*
25:32:03 27:27:53

🚦 *दिशाशूल :-*
दक्षिणदिशा – यदि आवश्यक हो तो दही या जीरा का सेवन कर यात्रा प्रारंभ करें ।

☸ शुभ अंक…………………..8
🔯 शुभ रंग……………..केसरिया

✡ *चौघडिया :-*
प्रात: 10.52 से 12.31 तक चंचल
दोप. 12.31 से 02.11 तक लाभ
दोप. 02.11 से 03.50 तक अमृत
सायं 05.30 से 07.09 तक शुभ
सायं 07.09 से 08.30 तक अमृत
रात्रि 08.30 से 09.50 तक चंचल |

📿 *आज का मंत्र :-*
।। ॐ नमिताय नमः ।।

📢 *सुभाषितानि :-*
अल्पाक्षरमसंदिग्धं सारवद्विश्वतो मुखम् ।
अस्तोभमनवद्यं च सूत्रं सूत्रविदो विदुः ॥
अर्थात :-
अल्पाक्षरता, असंदिग्धता, साररुप, सामान्य सिद्धांत, निरर्थक शब्द का अभाव, और दोषरहितत्व – ये छे ‘सूत्र’ के लक्षण कहे गये हैं ।

🍃 *आरोग्यं :-*
*घुटनो का दर्द दूर करने के लिए उपचार-*

*4. अदरक -*
अदरक ऑस्टियोआर्थराइटिस के कारण घुटने के दर्द से पीड़ित व्यक्तियों की मदद कर सकता है। जिंजरोल जैसे कंपाउंड की उपस्थिति के कारण यह एक शक्तिशाली एंटी-इंफ्लेमेटरी पदार्थ है।
घुटने के दर्द में आप एक कप पानी को गर्म कर लीजिए और उसमें एक इंच अदरक को कुचलकर डाल दीजिए। 5 मिनट तक उबलने के बाद आप उसे गैस से उतार लीजिए। फिर साफ कपड़ा लेकर उस पानी को घूटने पर लगाइए। आपको जरूर फायदा मिलेगा।

⚜ *आज का राशिफल* ⚜

🐐 *राशि फलादेश मेष :-*
*(चू, चे, चो, ला, ली, लू, ले, लो, आ)*
व्यावसायिक यात्रा सफल रहेगी। रोजगार प्राप्ति के प्रयास सफल रहेंगे। निवेश शुभ रहेगा। व्यापार मनोनुकूल लाभ देगा। किसी बड़ी समस्या से मुक्ति मिल सकती है। किसी न्यायपूर्ण बात का भी विरोध हो सकता है। विवाद न करें। कुबुद्धि हावी रहेगी। चोट व रोग से बचें।

🐂 *राशि फलादेश वृष :-*
*(ई, ऊ, ए, ओ, वा, वी, वू, वे, वो)*
चिंता तथा तनाव बने रहेंगे। यश बढ़ेगा। दूर से शुभ समाचारों की प्राप्ति होगी। घर में मेहमानों का आगमन होगा। कोई मांगलिक कार्य हो सकता है। आत्मविश्वास बढ़ेगा। जोखिम उठाने का साहस कर पाएंगे। व्यापार-व्यवसाय ठीक चलेगा। निवेश शुभ रहेगा। प्रसन्नता बनी रहेगी।

👫🏻 *राशि फलादेश मिथुन :-*
*(का, की, कू, घ, ङ, छ, के, को, ह)*
प्रयास सफल रहेंगे। सामाजिक कार्यों में रुचि रहेगी। मान-सम्मान मिलेगा। नौकरी में प्रशंसा होगी। कार्यसिद्धि होगी। प्रसन्नता रहेगी। चोट व रोग से बचें। लेन-देन में जल्दबाजी न करें। किसी व्यक्ति के बहकावे में न आएं। व्यापार ठीक चलेगा। निवेश शुभ रहेगा। पारिवारिक सहयोग मिलेगा।

🦀 *राशि फलादेश कर्क :-*
*(ही, हू, हे, हो, डा, डी, डू, डे, डो)*
राजभय रहेगा। वाणी पर नियंत्रण रखें। शारीरिक कष्ट संभव है। यात्रा में जल्दबाजी न करें। कीमती वस्तुएं संभालकर रखें। दु:खद समाचार प्राप्त हो सकता है। भागदौड़ अधिक रहेगी। थकान व कमजोरी महसूस होगी। आय में निश्चितता रहेगी। व्यापार ठीक चलेगा। निवेश सोच-समझकर करें।

🦁 *राशि फलादेश सिंह :-*
*(मा, मी, मू, मे, मो, टा, टी, टू, टे)*
किसी मांगलिक कार्य में भाग लेने का अवसर प्राप्त होगा। विद्यार्थी वर्ग सफलता प्राप्त करेगा। किसी वरिष्ठ प्रबुद्ध व्यक्ति का मार्गदर्शन व सहयोग प्राप्त होगा। व्यापार से लाभ होगा। नौकरी में प्रभाव बढ़ेगा। प्रेम-प्रसंग में अनुकूलता रहेगी। कष्ट व भय सताएंगे। भाग्य का साथ मिलेगा।

🙎🏻‍♀️ *राशि फलादेश कन्या :-*
*(ढो, पा, पी, पू, ष, ण, ठ, पे, पो)*
शत्रु पस्त होंगे। सुख के साधनों की प्राप्ति पर व्यय होगा। धनलाभ के अवसर हाथ आएंगे। भूमि व भवन संबंधी बाधा दूर होगी। बड़ा लाभ हो सकता है। रोजगार प्राप्ति के प्रयास सफल रहेंगे। परीक्षा व साक्षात्कार आदि में सफलता मिलेगी। भाग्य का साथ रहेगा। शेयर मार्केट से लाभ होगा।

⚖ *राशि फलादेश तुला :-*
*(रा, री, रू, रे, रो, ता, ती, तू, ते)*
शरीर में कमर व घुटने आदि के दर्द से परेशानी हो सकती है। लेन-देन में सावधानी रखें। चिंता तथा तनाव रहेंगे। शत्रुभय रहेगा। कोर्ट व कचहरी के कार्य अनुकूल रहेंगे। धन प्राप्ति सुगम होगी। घर-बाहर प्रसन्नता रहेगी। भाइयों का सहयोग मिलेगा। परिवार में मांगलिक कार्य हो सकता है।

🦂 *राशि फलादेश वृश्चिक :-*
*(तो, ना, नी, नू, ने, नो, या, यी, यू)*
कुसगंति से बचें। वाहन व मशीनरी के प्रयोग में सावधानी रखें। पुराना रोग उभर सकता है। किसी दूसरे व्यक्ति की बातों में न आएं। कोई भी महत्वपूर्ण निर्णय सोच-समझकर करें। व्यापार अच्‍छा चलेगा। नौकरी में मातहतों से कहासुनी हो सकती है। लेन-देन में सावधानी रखें।

🏹 *राशि फलादेश धनु :-*
*(ये, यो, भा, भी, भू, धा, फा, ढा, भे)*
धार्मिक अनुष्ठान पूजा-पाठ इत्यादि का कार्यक्रम आयोजित हो सकता है। कोर्ट-कचहरी के कार्य मनोनुकूल रहेंगे। मानसिक शांति रहेगी। लाभ के अवसर हाथ आएंगे। समय अनुकूल है। व्यावसायिक यात्रा सफल रहेगी। कारोबार में वृद्धि के योग हैं। शारीरिक कष्ट संभव है।

🐊 *राशि फलादेश मकर :-*
*(भो, जा, जी, खी, खू, खे, खो, गा, गी)*
सुख के साधन प्राप्त होंगे। नई योजना बनेगी। तत्काल लाभ नहीं मिलेगा। कार्यप्रणाली में सुधार होगा। सामाजिक काम करने की इच्छा रहेगी। मान-सम्मान मिलेगा। व्यापार-व्यवसाय लाभदायक रहेगा। नौकरी में मातहतों का सहयोग मिलेगा। घर-बाहर प्रसन्नता रहेगी।

🏺 *राशि फलादेश कुंभ :-*
*(गू, गे, गो, सा, सी, सू, से, सो, दा)*
कीमती वस्तुएं संभालकर रखें। शारीरिक कष्ट संभव है। बकाया वसूली के प्रयास सफल रहेंगे। व्यावसायिक यात्रा लाभदायक रहेगी। भाग्य का साथ मिलेगा। नौकरी में चैन रहेगा। निवेश शुभ रहेगा। घर-बाहर प्रसन्नता रहेगी। पार्टनरों का सहयोग मिलेगा। प्रमाद न करें।

🐋 *राशि फलादेश मीन :-*
*(दी, दू, थ, झ, ञ, दे, दो, चा, ची)*
पुराना रोग उभर सकता है। अप्रत्याशित खर्च सामने आएंगे। कर्ज लेना पड़ सकता है। किसी व्यक्ति से कहासुनी हो सकती है। स्वाभिमान को ठेस लग सकती है। जोखिम व जमानत के कार्य टालें। कोई भी महत्वपूर्ण निर्णय सोच-समझकर करें। व्यवसाय ठीक चलेगा। आय बनी रहेगी।

*🚩🎪‼️ 🕉️ विष्णवे नमः ‼️🎪🚩*

*☯ आज का दिन सभी के लिए मंगलमय हो ☯*

*‼️ शुभम भवतु ‼️*

🚩 🇮🇳 ‼️ *भारत माता की जय* ‼️ 🇮🇳 🚩

हमें अपने जीवन में भारतीय पंचांग ही अपनाना चाहिए जिससे हम अपने पर्वों, त्यौहारों से लेकर मौसम की भी अनेक जानकारियां सहज रूप से जान व समझ सकते है.। भगवान राम और भगवान श्री कृष्ण भी नित्य पंचाग वाचन करते थे इससे विपत्ति और रोग हरण होता है। 
वैसे भी देखिये…..
👩‍👧‍👧 यदि मातृनवमी थी तो मदर्स डे क्यों लाया गया..?
🙋‍♂️यदि कौमुदी महोत्सव था तो वेलेंटाइन डे क्यों लाया गया..?
✍ यदि गुरुपूर्णिमा थी तो टीचर्स डे क्यों लाया गया..?
💉यदि धन्वन्तरि जयन्ती थी तो डाक्टर्स डे क्यों लाया गया..?
🏘 यदि विश्वकर्मा जयंती थी तो प्रद्यौगिकी दिवस क्यों लाया..?
👫 यदि सन्तान सप्तमी थी तो चिल्ड्रन्स डे क्यों लाया गया..?
🧘‍♀️ यदि नवरात्रि और कंजिका भोज था तो डॉटर्स डे क्यों लाया..?
💍 रक्षाबंधन है तो सिस्टर्स डे क्यों..?
⛹️‍♂️भाईदूज है ब्रदर्स डे क्यों..?
🎈इसी तरह कैथोलिक देशों में जहां पिता को केवल एक वर्कर समझा जाता है , वहां उनसे साल में एक दिन जाकर  मिलने व सम्मान देने के लिए ही फादर्स डे शुरू किया गया। परन्तु हमारे देश भारत में जहां पिता को भगवान समझा जाता है और हर दिवस माता-पिता के सम्मुख ही बीतता है तो यहां क्यों सनातनी लोग इस फादर्स डे का अनुसरण करते है…? 
सन्दर्भ हैतु तुलसी बाबा की कुछ पंक्तियां विचारणीय हैं …
💥(1) चारि पदारथ करतल ताके.!
           प्रिय पितु मातु चरण रति जाके.!!
भावार्थ….पूज्यनीय माता- पिता के चरणों में जिसका स्नेह हो उसको सभी प्रकार की सफलतायें और समृद्धि मिलती हैं।
💥(2) धन्य जनम जगतीतल तासू.!
           पितहिं प्रमोद चरित सुनि जासू.!!
भावार्थ….उसी पुत्र या पुत्री का जन्म और जीवन इस धरती पर, इस धरा पर, धन्य है जिसके सुकृत्यों, सुकृतियों, सत्कर्मों के बारे में प्रसंशा सुनकर उसके पिता को असीम आनंद मिले.।
💥(3)  “जनक सुकृत मूरति वैदेही.!
              दशरथ सुकृत राम धरें देही.!! “
भावार्थ..सौभाग्य केवल बच्चों का ही नहीं होता कि वे अच्छे परिवार में अच्छे माता-पिता के यहां जन्म लें। बल्कि माता-पिता को भी अपने सुकृत्यों के कारण भी अच्छी संताने मिलती हैं। जनक महाराज ने जितने पुण्य कर्म किये थे,जितने सुकृत्य किये थे वे सभी मानव रूप लेकर ‘सीता’ के रूप में प्रकट हुए।उसी तरह दशरथ महाराज ने भी जितने पुण्य कर्म किये थे वे सभी मानव रूप लेकर ‘राम’ के रूप में  अवतरित हुए। इस तरह ‘राम और सीता’  दोनों अपने-अपने माता-पिता के पुण्यों का फल थे।
          अतः ये भाव हमें भी अपने माता-पिता की सुयोग्य संतान बनने के लिए प्रेरणा देते हैं….।
🌳पीपल,बङ,नीम,बरगद तथा आंवला नवमी, तुलसी विवाह मनाने वाले हिंदुओं को एनवायरमेंट डे की क्या आवश्यकता..?
पीपल को वृक्षों का राजा कहते है। इसकी वंदना में एक श्लोक देखिए–
मूलम् ब्रह्मा, त्वचा विष्णु,
सखा शंकरमेवच।
पत्रे-पत्रेका सर्वदेवानाम,
वृक्षराज नमस्तुते।
 🎻केवल इतना ही नहीं —- नारद जयन्ती ब्रह्माण्डीय पत्रकारिता दिवस है।
👤 पितृपक्ष 7 पीढ़ियों तक के पूर्वजों का पितृपर्व है।
💁‍♀️ नवरात्रि को स्त्री के नवरूप दिवस के रूप में स्मरण कीजिये। अतःसनातन पर्वों को अवश्य मनाईये।
नव संवत्सर को ‘अप्रैल फूल डे’ घोषित कर एक जनवरी हैप्पी न्यू ईयर कर दिया गया! 
उन्होंने अपनी नदियों, पहाड़ों, झीलों को बचाया, केवल भारत की नदियों को नष्ट करने के लिए ताकत झोंकी। उनकी अमेज़न, टेम्स, वोल्गा, दजला, मिसिसिपी, मिसौरी सुरक्षित हैं तो हमारी गंगा, यमुना, कावेरी, कृष्णा, नर्मदा, गोदावरी क्यों नहीं..?”
अतः अब पृथ्वी के सनातन भाव को स्वीकार करना ही होगा। यदि हम समय रहते नहीं चेते तो वे लोग ही हमें वेद, शास्त्र, और संस्कृत को भी पढ़ाने आ जाएंगे..! 
        अतः इसका एक ही उपाय है कि हम अपनी जड़ों की ओर , सनातन संस्कृति के मूल की ओर लौटें तथा सनातन संस्कृति के अनुरूप ही व्रत, पर्व, त्यौहारों को मना कर अपनी संस्कृति और सभ्यता को जीवंत करें ।
क्यों कि 🌳उत्सव और पर्व सनातन धर्म की शक्ति हैं
उरगम से लगभग 12- 13 किमी की अच्छी चढाई  चढने के बाद  12000 की ऊँचाई पर भगवान श्री वंशी नारायण जी का यह मन्दिर पूरे देश का एक ऐसा मन्दिर है, जहाँ भगवान नारायण जलेरी में स्थापित हैं ।
  • मनोज की कलम से✍️ 
11 सालों बाद 7 वीं बार भगवान श्री वंशी नारायण के दर्शन करने का सौभाग्य प्राप्त हुआ ।
 तब और अब में (1999 )यही फर्क देखने को मिला कि नारायण भगवान का तेज आज भी वही था, लेकिन मन्दिर के बाहर से भक्तों द्वारा लगायी गयी प्लास्टिक की माला मन्दिर की  प्राकृतिक सौन्दर्यता को धूमिल कर रही थी ।
आप कल्पना कर सकते हैं कि जिन  नारायण भगवान का स्वयं प्राकृतिक फूलों की बगिया में वाश हो उनके लिए ये नकली प्लास्टिक के फूलों का  कितना महत्व होगा  ??
कृपया बुग्यालों में प्लास्टिक का प्रयोग न करें 

प्रकाश सेमवाल की कलम से✍️

#अनदेखापहाड़
#जय श्री #फ्युला #नारायण 🙏

16 जुलाई की श्रावण सक्रांति पर्व पर खुलेंगे “भगवान फ्यूला नारायण” धाम के कपाट

जोशीमठ क्षेत्र की खूबसूरत कल्प घाटी के 10 हजार फिट ऊँचे उच्च हिमालयी बुग्याल में विराजित भगवान फ्यूलानारायण धाम के कपाट इस वर्ष आगामी 16 जुलाई की श्रावण सक्रांति पर्व पर विधि विधान के साथ भक्तों के लिए खोल दिया जायेंगे।
आज से भगवान फ्यूलानारायण धाम के कपाट खुलने की प्रक्रिया शुरू हो गई है। क्षेत्र के सामाजिक कार्यकर्ता डी०एस० चौहान ने बताया की जिस गांव से भी हर साल मंदिर के पुजारी की बारी होती है वो लोग कपाट खुलने से दो दिन पहले भर्की पंचनामा चौक पहुँचते हैं। यहाँ से 16जुलाई को प्रातः पंचनामा चौक से फ्यूलानारायण धाम के लिए प्रस्थान करते हैं और बताया की इस वर्ष इस धाम में भगवान फ्यूला नारायण के फ्यूला हरीश सिंह चौहान और फ्यूलाण गोदाम्वरी देवी है।

गौरतलब है कि यहां पुजारी महिलाएं फ्यूलाण रूप में करती हैं भगवान का श्रृंगार चमोली जिले के जोशीमठ ब्लॉक में स्थित फ्यूंला नारायण धाम के इस पौराणिक मंदिर में यहां उगने वाले विशेष पुष्प ‘फ्यूंला’ के कारण इसे “फ्यूंला नारायण” कहा जाता है। बता दें कि दक्षिण शैली में बने इस पौराणिक मंदिर की विशेषता यह है कि यहां पुजारी के रूप में गाँव की ही महिला हर वर्ष भगवान नारायण का फूलों से श्रृंगार करती है।
कल्प घाटी उर्गम में समुद्रतल से लगभग दस हजार फीट की ऊंचाई पर स्थित भगवान फ्यूंला नारायण अत्यन्त रमणीक और मनमोहक धाम है। मंदिर के कपाट खुलने पर भगवान श्री हरि नारायण के स्नान के बाद फ्यूंला के पुष्पों से भव्य श्रृंगार किया जाता है। इससे पूर्व गाँव के लोग अपनी दुधारू गायों और अन्य पशु धन को लेकर फ्यूंला नारायण धाम पहुँचते हैं और इन्हीं दुधारू गायों के दूध और मक्खन का भगवान फ्यूला नारायण को नित्य भोग लगाया जाता है। बड़ी बात ये कि यहां पुजारी की जगह महिलाएं भगवान का श्रृंगार करती हैं। जिसके बाद पुजारी, श्रृंगार करने वाली महिला और गाय कपाट बंद होने तक फ्यूंला नारायण मंदिर में रहते हैं। भगवान को प्रति दिन तीनों प्रहर भोग लगाया जाता है। इस बार भगवान नारायण का श्रृंगार गोदांबरी देवी करेंगी। उन्होंने कहा कि यह अधिकार महिलाओं को पीढ़ियों से मिला हुआ है।
सिर्फ डेढ़ माह खुला रहता है धाम

फ्यूंला नारायण धाम परंपरा के अनुसार मंदिर के कपाट श्रवण संक्रांति को खुलते हैं व डेढ़ माह बाद नंदा अष्टमी को बंद कर दिए जाते हैं।
भर्की के भूम्याल देवता करते हैं यात्रा की अगवाईकल्प क्षेत्र के भेटा,भर्की, गवाणा व अरोशी सहित उर्गम घाटी के दर्जनों गांवों के लोग मंदिर में हक-हकूकधारी हैं। कपाट खुलने पर भर्की के पंचनाम देवता (भूम्याल) मंदिर से पुजारी सैकड़ों श्रद्धालुओं के साथ फ्यूंला नारायण मंदिर पहुंचते हैं। जबकि भर्की के भूम्याल देवता यात्र की अगवानी करते हैं। उर्गम सड़क मार्ग से फ्यूंला नारायण मंदिर चार किमी पैदल चलकर पहुंचा जा सकता है।