आज का पंचाग आपका राशि फल, सच्चा इतिहास : प्राचीन भारत में न जातियाँ थी न जातिगत भेदभाव, हनुमान पूजन विधि

🌹………..|| *पञ्चाङ्गदर्शन* ||……….🌹
*श्रीशुभ वैक्रमीय सम्वत् २०७९ || शक-सम्वत् १९४४ || याम्यायन् || नल नाम संवत्सर || वर्षा ऋतु || भाद्रपद शुक्लपक्ष || तिथि षष्ठी अपराह्न १:५४ तक उपरान्त सप्तमी || भृगुवासर || भाद्रपद सौर १७ प्रविष्ठ || तदनुसार ०२ सितम्बर २०२२ ई० || नक्षत्र विशाखा (ईश) || तुलास्थ चन्द्रमा अपराह्न ७:५७तक उपरान्त वृश्चिकस्थ चन्द्र ||*
💐👏🏾 *सुदिनम्* 👏🏾💐*🙏🏻या देवी सर्वभूतेषु शक्ति-रूपेण संस्थिता।* 

*नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥* 

*पुण्य लाभ के लिए इस पंचांग को औरों को भी अवश्य भेजिए🙏🏻🙏🏻*🌞 *~ वैदिक पंचांग ~* 🌞

🌤️ *दिनांक – 02 सितम्बर 2022*

🌤️ *दिन – शुक्रवार*

🌤️ *विक्रम संवत – 2079 (गुजरात-2078)*

🌤️ *शक संवत -1944*

🌤️ *अयन – दक्षिणायन*

🌤️ *ऋतु – शरद ॠतु* 

🌤️ *मास – भाद्रपद*

🌤️ *पक्ष – शुक्ल* 

🌤️ *तिथि – षष्ठी दोपहर 01:51 तक तत्पश्चात सप्तमी*

🌤️ *नक्षत्र – विशाखा रात्रि 11:47 तक तत्पश्चात अनुराधा*

🌤️ *योग – इंद्र शाम 07:16 तक तत्पश्चात वैधृति*

🌤️ *राहुकाल – सुबह 11:04 से दोपहर 12:38 तक*

🌞 *सूर्योदय – 06:23*

🌦️ *सूर्यास्त – 18:52*

👉 *दिशाशूल – पश्चिम दिशा में*

🚩 *व्रत पर्व विवरण – सूर्य षष्ठी*

🔥 *विशेष – षष्ठी को नीम की पत्ती, फल या दातुन मुँह में डालने से नीच योनियों की प्राप्ति होती है। (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)*

    🌞 *~ वैदिक पंचांग ~* 🌞

        🌷 *राधा अष्टमी* 🌷

🙏🏻 *03 सितम्बर, शनिवार को श्रीराधा अष्टमी है। जन्माष्टमी के पूरे 15 दिन बाद ब्रज के रावल गांव में राधा जी का जन्म हुआ । भाद्रपद शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को राधाष्टमी व्रत रखा जाता है। पुराणों में राधा और रुक्मिणी को एक ही माना जाता है। जो लोग राधा अष्टमी के दिन राधा जी की उपासना करते हैं, उनका घर धन संपदा से सदा भरा रहता है।*

➡ *पुराणों के अनुसार राधा अष्टमी*

🙏🏻 *स्कंद पुराण के अनुसार राधा श्रीकृष्ण की आत्मा हैं। इसी कारण भक्तजन सीधी-साधी भाषा में उन्हें ‘राधारमण’ कहकर पुकारते हैं।*

🙏🏻 *पद्म पुराण में ‘परमानंद’ रस को ही राधा-कृष्ण का युगल-स्वरूप माना गया है। इनकी आराधना के बिना जीव परमानंद का अनुभव नहीं कर सकता।*

🙏🏻 *भविष्य पुराण और गर्ग संहिता के अनुसार, द्वापर युग में जब भगवान श्रीकृष्ण पृथ्वी पर अवतरित हुए, तब भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी के दिन महाराज वृषभानु की पत्नी कीर्ति के यहां भगवती राधा अवतरित हुई। तब से भाद्रपद शुक्ल अष्टमी ‘राधाष्टमी’ के नाम से विख्यात हो गई।*

🙏🏻 *नारद पुराण के अनुसार ‘राधाष्टमी’ का व्रत करनेवाला भक्त ब्रज के दुर्लभ रहस्य को जान लेता है।*

🙏🏻 *पद्म पुराण में सत्यतपा मुनि सुभद्रा गोपी प्रसंग में राधा नाम का स्पष्ट उल्लेख है। राधा और कृष्ण को ‘युगल सरकार’ की संज्ञा तो कई जगह दी गई है।*

     🌞 *~ वैदिक पंचांग ~* 🌞 

🌷 *घर में सदैव आर्थिक परेशानी रहती है तो* 🌷

🙏🏻 *स्कंदपुराण और दूसरे ग्रंथों में बात आयी है कि जिन लोगों के घर में सदैव आर्थिक परेशानी रहती है उनके लिए भाद्र शुक्ल अष्टमी (03 सितम्बर, शनिवार) के दिन से लेकर आश्विन कृष्ण अष्टमी (गुजरात एवं महाराष्ट्र अनुसार भाद्रपद कृष्ण अष्टमी) माने 17 सितम्बर, शनिवार तक महालक्ष्मी माता का पूजन विधान स्कंदपुराण, आदि ग्रंथो में बताया गया है और इस सरल विधान के अनुसार 03 सितम्बर से 17 सितम्बर तक नित्य प्रात: लक्ष्मी माता का सुमिरन करते हुए – ॐ लक्ष्‍मयै नम: ॐ लक्ष्‍मयै नम: ॐ लक्ष्‍मयै नम: मंत्र का 16 बार प्रति दिन जप करें और फिर लक्ष्मीमाता का पूजन करते हुए एक श्लोक पाठ करें । इससे समय, शक्ति खर्च नहीं होगी उल्टा पुण्य भी बढ़ेगा | श्लोक इस प्रकार है-*

🌷 *धनं धान्यं धराम हरम्यम, कीर्तिम आयुर्यश: श्रीयं,*

*दुर्गां दंतीन: पुत्रां, महालक्ष्मी प्रयच्‍छ मे ‘*

 *”ॐ श्री महालक्ष्मये नमः” “ॐ श्री महालक्ष्मये नमः”*

🙏🏻 *- Shri Sureshanandji Mauranipur 22nd Sep’ 2012*

 

📖 *वैदिक पंचांग संपादक ~ अंजनी निलेश ठक्कर*

📒 *वैदिक पंचांग प्रकाशित स्थल ~ सुरत शहर (गुजरात)’*

 

      🌞 *~ वैदिक पंचांग ~* 🌞

              आज का राशिफल

            🐐🐂💏💮🐅👩

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मेष🐐 (चू, चे, चो, ला, ली, लू, ले, लो, अ)

आज का दिन आपके लिए बेहतर रहने वाला है। लेकिन आज आपके स्वभाव में स्वार्थ सिद्धि की भावना आवश्यकता से कुछ अधिक ही रहेगी। अपने काम निकालने के लिए परिजनों का सहारा लेंगे जाने-अनजाने किसी पारिवारिक सदस्य का अहित भी कर सकते हैं। स्वभाव में दिखावे की भावुकता रहने से जल्दी से कोई आपके कार्य के लिए मना नहीं करेगा। कार्यक्षेत्र पर भी भाग्य का सहारा मिलने से निश्चित ही धन की आमद होगी। लेकिन किसी सरकारी उलझन अथवा अन्य सरकार संबंधित खर्चे बढ़ने से बचत नहीं कर पाएंगे। कार्यक्षेत्र अथवा कुटुंब में किसी के विपरीत व्यवहार का भी सामना करना पड़ेगा इस को अनदेखा करें अन्यथा अपने मूल उद्देश्य से भटक सकते हैं। आज मौसम जनित बीमारी अथवा छाती के निचले हिस्सों में कुछ ना कुछ समस्या उत्पन्न होगी।

 

वृष🐂 (ई, ऊ, ए, ओ, वा, वी, वू, वे, वो)

आज का दिन आपके लिए धन-धान्य में वृद्धि कार्य करेगा। आज आपके स्वभाव में सुखोपभोग की इच्छा भी प्रबल रहेगी। इसके लिए कुछ भी करने के लिए तैयार भी रहेंगे। लेकिन आज विपरीतलिंगी आकर्षण एवं अभद्र भाषा के प्रयोग से बचना होगा अन्यथा सार्वजनिक क्षेत्र पर अपमान के साथ शत्रुओं में वृद्धि भी हो सकती है। कार्य क्षेत्र से आज आश्चर्यजनक रूप से लाभ मिलेगा। जिस कार्य से उम्मीद नहीं रहेगी वह भी धन लाभ करा देगा। सहकर्मियों के प्रति नरम व्यवहार रखें छोटी-छोटी बातों पर शक करना आपको ही परेशानी में डाल सकता है। घरेलू वातावरण कामना पूर्ति करने पर कुछ समय के लिए शांत रहेगा फिर भी परिजन किसी ना किसी बात को लेकर नाराज हो सकते हैं। आज भी शरीर में त्रिदोष के असंतुलन से पीड़ा हो सकती है। यात्रा लाभदायक रहेगी।

 

मिथुन👫 (का, की, कू, घ, ङ, छ, के, को, हा)

आज का दिन आपके लिए कोई नई समस्या लेकर आएगा। बुद्धि विवेक होते हुए भी भावनाओं पर नियंत्रण नहीं रख पाएंगे। घर में संतान के कारण कोई ना कोई परेशानी लगी रहेगी। संतानों का अनापेक्षित अथवा उद्दंड व्यवहार मन को दुखी कर सकता है। कार्य क्षेत्र पर आपका कुशल व्यवहार एवं निर्णय लेने की क्षमता लोगों को पसंद आएगी लेकिन लाभ प्राप्त करने के लिए सहयोगी नहीं बनेगी। आज किसी की खुशामद अथवा कुछ उटपटांग कार्य करके ही लाभ प्राप्त किया जा सकता है। परंतु इससे शत्रु वृद्धि भी होनी संभव है। संध्या के आस-पास दिन भर की मेहनत रंग लाएगी धन लाभ किसी ना किसी साधन से अवश्य होगा। पारिवारिक जीवन में भाई बंधुओं के अतिरिक्त अन्य किसी से कोई अपेक्षा ना रखें। मध्यान्ह बाद सुखोपभोग में वृद्धि होने से मानसिक राहत मिलेगी सेहत मानसिक तनाव को छोड़ सामान्य ही रहेगी।

 

कर्क🦀 (ही, हू, हे, हो, डा, डी, डू, डे, डो)

आज का दिन भी आपके लिए प्रतिकूल फलदायक है। बीते दिनों जिन लोगों से आप को किसी न किसी रूप में मानसिक कष्ट मिल रहा था आज उनको अपने हिसाब से उत्तर देंगे। जिस वजह से आज भी किसी न किसी का विरोध देखना पड़ेगा। कार्यक्षेत्र पर मत मध्यान तक व्यर्थ की गतिविधियों में लिप्त रहेंगे जिनका दैनिक कार्यों से कोई लेना-देना नहीं रहेगा। दोपहर के बाद किसी वरिष्ठ सामाजिक व्यक्ति का सहयोग मिलने से अपनी योजनाओं को दिशा दे पाएंगे लेकिन धन की आमद आज आवश्यकता से भी कम ही होगी। कोई अक्समात कार्य आने से किसी से उधार भी लेने की नौबत आ सकती है। पारिवारिक वातावरण कुछ समय को छोड़ ठीक ही रहेगा। मन में प्रतिशोध की भावना ना रखें अन्यथा फल विपरीत भी हो सकते। आज मांसपेशियों अथवा शरीर के जोड़ों संबंधित समस्या हो सकती है।

 

सिंह🦁 (मा, मी, मू, मे, मो, टा, टी, टू, टे)

आज का दिन आप व्यर्थ के प्रपंचों में पड़कर खराब करेंगे या तो जल्दी से किसी कार्य को हाथ में नहीं लेंगे लेंगे तो उसमें अपनी मनमानी ही करेंगे। दोपहर तक का समय व्यर्थ की भागदौड़ में खराब होगा इसके बाद का समय आपके लिए लाभदायक रहेगा। लेकिन स्वभाव की लापरवाही एवं व्यवहारिकता की कमी के कारण इसका उचित पूर्ण लाभ नहीं उठा पाएंगे। कार्य क्षेत्र पर लोग आपकी उदारता का अनुचित फायदा उठा सकते हैं। सहकर्मी एवं अधिकारी वर्ग भी आपके ऊपर सामर्थ्य से अधिक बोझ डालेंगे जिससे सुविधा अनुभव होगी। संध्या के आसपास किसी महत्वपूर्ण कार्य में सफलता मिलने पर दिनभर की उलझनों को भूल जाएंगे। पारिवारिक वातावरण में थोड़ी बहुत छींटा कशी लगी रहेगी फिर भी कोई आपके सामने सर उठाने की हिम्मत नहीं करेगा। सर्दी जुखाम से परेशानी होगी।

 

कन्या👩 (टो, पा, पी, पू, ष, ण, ठ, पे, पो)

आज का दिन भी बीते कल की भांति ही मिला-जुला फल देगा। आज दिन के आरंभिक भाग में काम करने का मन नहीं करेगा प्रत्येक कार्य में आलस से करेंगे। कार्यक्षेत्र पर भी विलंब होगा लेकिन थोड़ी देर में ही स्थिति को संभाल लेंगे। आज किसी परिचित को आपसे आर्थिक मदद की आवश्यकता पड़ेगी लेकिन स्वयं की ही स्थिति ठीक ना होने के कारण इसे टालने का प्रयास करेंगे फिर भी परोपकारी स्वभाव रहने के कारण मदद करेंगे। आज तेल संबंधित अथवा दूध से संबंधित उत्पाद भूमि भवन संबंधित कार्य में निवेश निकट भविष्य के लिए लाभदायक रहेगा। पारिवारिक वातावरण छोटी मोटी बातों को छोड़ सामान्य ही रहेगा। माता से कोई मनोकामना पूर्ण होने पर जिद बहस हो सकती है। लेकिन भाई बंधुओं से बहस का सामर्थ नहीं बना पाएंगे। घर में यात्रा की योजना बनेगी शीघ्र ही इस पर खर्च भी करना पड़ेगा। सर्दी जुखाम की परेशानी हो सकती।

 

तुला⚖️ (रा, री, रू, रे, रो, ता, ती, तू, ते)

आज के दिन भी किसी ना किसी प्रसंग को लेकर आपका मन राग-द्वेष से भरा रहेगा। आपकी दिनचर्या भी अन्य दिनों से धीमी रहेगी एक बार किसी कार्य में विलंब होने पर अन्य कार्य भी अव्यवस्थित हो जाएंगे। कार्य क्षेत्र पर स्वयं तो लापरवाही करेंगे अन्य लोगों भी आपकी देखा देख कार्य में विलंब करेंगे। कार्यक्षेत्र पर परिस्थितियां पल-पल में बदलेंगी एक पल जहां से लाभ की संभावना रहेगी अगले ही पल वहां से निराश होना पड़ेगा। आज आप स्वयं के बलबूते निर्णय लें तो कुछ ना कुछ लाभ अवश्य होगा अन्यथा गलत मार्गदर्शन मिलने से हानि ही निश्चित है। कई दिनों से अटके सरकारी कार्य अथवा सरकारी उलझनों में कुटुंब का सहयोग मिलने से मुक्ति मिल सकती है। दांपत्य जीवन में भी अन्य दिनों की अपेक्षा शांति का अनुभव होगा। संध्या के समय उत्तम भोजन मिष्ठान आदि का सुख मिलेगा। सेहत मौसमी बीमारियों के चलते थोड़ी नरम रहेगी।

 

वृश्चिक🦂 (तो, ना, नी, नू, ने, नो, या, यी, यू)

आज के दिन आप बीते समय से मिल रही निराशा एवं असफलता के कारण धर्म से विमुख हो सकते हैं। दिन के आरंभिक भाग में थोड़ी शांति रहेगी। लेकिन दिन चढ़ते-चढ़ते विविध उलझनों में फंस जाएंगे फिर भी बीते कल की तुलना में आज थोड़ी राहत का अनुभव भी होगा। कार्यक्षेत्र पर किसी पुराने संपर्क द्वारा मिली सहानुभूति जीवन को नई राह दिखाएगी। व्यवसाई वर्ग को अधूरे कार्य पूर्ण करने के लिए अतिरिक्त परिश्रम करना पड़ेगा। लेकिन धन लाभ इकट्ठा ना होकर थोड़ा-थोड़ा होगा इसलिए कार्यक्षेत्र पर अधिक सतर्कता बरतनी पड़ेगी। अन्यथा आपके हिस्से का लाभ एवं कोई नया सौदा किसी प्रतिस्पर्धी को मिल सकता है। पुरानी उधारी एवं अन्य खर्चों के कारण बचत नहीं कर पाएंगे। घरेलू मामलों में अति आवश्यकता होने पर ही अपने विचार रखें छोटी-छोटी बातों पर अनबन हो सकती है। नेत्र संबंधित समस्या अथवा रक्त पित्त विकार उत्पन्न होंगे। अनदेखा ना करें अन्यथा आगे परेशानी बढ़ भी सकती है।

 

धनु🏹 (ये, यो, भा, भी, भू, ध, फा, ढा, भे)

आज का दिन आपके अनुकूल है। बीते हुए कल की तुलना में आज उसके विपरीत फल मिलेंगे। सार्वजनिक क्षेत्र पर अपने शुभ आचरण एवं परोपकारी स्वभाव के चलते सम्मान के पात्र बनेंगे। कार्यक्षेत्र पर भी अपने बुद्धि विवेक से बिगड़े कार्य को बनाने की क्षमता रखेंगे। जिससे अधिकारी वर्ग आपसे प्रसन्न रहेंगे लेकिन सहकर्मी क्यों में ईर्ष्या का भाव उत्पन्न होगा। पठन पाठन अथवा इससे संबंधित किसी अन्य व्यवसाय से जुड़े जातकों को मध्यान्ह के समय अपमानित होना पड़ेगा। लेकिन संध्या के समय कुछ विशेष लाभ होने से इस को भूल जाएंगे। आप अपने पराक्रम से जितना भी धन कमाएंगे वह किसी न किसी कार्य में खर्च हो जाएगा। भविष्य के लिए बचत ना कर पाने का दुख होगा। घर परिवार में आनंद का वातावरण रहेगा। परिजन किसी पर्यटन क्षेत्र की यात्रा के लिए जिद कर सकते हैं। गिरने कटने सके चोट का भय है सतर्कता से कार्य करें।

 

मकर🐊 (भो, जा, जी, खी, खू, खा, खो, गा, गी)

आज के दिन परिवार अथवा कार्य क्षेत्र पर पूर्व में बरती किसी अनियमितता के चलते अव्यवस्था अथवा अन्य उलझन बढ़ने का भय दिन के आरंभ से ही लगा रहेगा। दिन के आरंभ में पूर्व की गतिविधियों का अवलोकन करेंगे इन में सुधार करने का निर्णय लेंगे लेकिन परिस्थितिवश ऐसा कर नहीं पाएंगे। कार्यक्षेत्र पर आज किसी न किसी रूप में परिजन अथवा अन्य पैतृक संबंधी ही बाधक बन सकते हैं। लाभ कमाने के लिए आज जोखिम से ना घबराए जिस कार्य में झंझट लगेगा उससे बाद में कुछ ना कुछ लाभ अवश्य मिलेगा। धन की आमद संतोषजनक हो जाएगी। लेकिन बिना मानसिक एवं बौद्धिक परिश्रम किए सफल नहीं हो सकते। दांपत्य जीवन में आज सुख की कमी अनुभव होगी धैर्य से आज का दिन बताए रात्रि के बाद वातावरण में स्वत ही परिवर्तन आने लगेगा। किसी कुटुंबी जन के कारण यात्रा हो सकती है। सेहत में छुटपुट विकार लगे रहेंगे।

 

कुंभ🍯 (गू, गे, गो, सा, सी, सू, से, सो, दा)

आज दिन के पूर्वार्ध से लेकर संध्या तक आपको विविध प्रकार की मुश्किलों का सामना करना पड़ेगा। किसी भी कार्य को करने का प्रयास करेंगे उसमें आर्थिक कारणों से व्यवधान आएंगे धन का प्रबंध कहीं से कर भी लेंगे तो कोई ना कोई अन्य बाधा कार्य को पूर्ण होने से रोकेगी। कार्यक्षेत्र पर भी प्रतिस्पर्धी हावी रहेगे जिसके चलते आज धन लाभ होते होते अंतिम चरण में या तो टलेगा या आशा से बहुत कम होगा। किसी भी प्रकार के नए कार्य में निवेश से बचे ना ही आज कोई नई वस्तु खरीदें अन्यथा बाद में पछताना पड़ेगा। नौकरीपेशा जातक अधिकारी वर्ग से सतर्क रहें आपकी प्रत्येक गतिविधियों पर नजर लगाए हुए हैं। दांपत्य जीवन में आपके किसी अनैतिक कृत्य को लेकर झगड़ा हो सकता है। पेट में गर्मी होने से अन्य विकार उत्पन्न होंगे। यात्रा में सतर्कता बरतें चोट आदि का भय भी है।

 

मीन🐳 (दी, दू, थ, झ, ञ, दे, दो, चा, ची)

आज का दिन बीते कल की तुलना में राहत भरा रहेगा सेहत में थोड़ा सुधार आएगा। फिर भी सेहत से संबंधित लापरवाही से बचें खासकर ज्यादा परिश्रम वाले कार्य ना करें। परिवार में आज पैतृक कारणों से खींचतान लगी रहेगी संध्या तक इसको अनदेखा करने का प्रयास करें इसके बाद स्थिति स्वतः ही सुधरने लगेगी कार्य व्यवसाय से आज भी आशा तो काफी लगा कर रखेंगे। लेकिन सोचे कार्य अंत समय में या तो बिगड़ेंगे अथवा आगे के लिए टलेंगे। आज व्यवसाय से संबंधित कोई वादा समय पर पूरा ना करने पर मन में अपमान का भय सताएगा। दैनिक खर्चों की पूर्ति जोड़ तोड़ कर हो ही जाएगी। आज आवश्यकता पड़ने पर जीवनसाथी अथवा किसी अन्य पारिवारिक सदस्य से आर्थिक मदद लेनी पड़ेगी इस कारण ताने भी सुनने को मिलेंगे। पेट, मूत्र संबंधित व्याधि अथवा जुखाम से परेशानी हो सकती है। यात्रा टालने का प्रयास करें हानि हो सकती है 

      🌞 *~ हिन्दू – पंचांग ~* 🌞

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  〰〰〰🙏राधे राधे🙏〰〰〰

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प्राचीन समय भारत मे कभी छुआछुत रहा ही नहीं, और ना ही कभी जातियाँ भेदभाव का कारण होती थी। जाति व्यवस्था मनुस्मृति में नहीं है। 
चलिए हजारों वर्ष पुराना इतिहास पढ़ते हैं। 
सम्राट शांतनु ने विवाह किया एक मछवारे की पुत्री सत्यवती से।उनका बेटा ही राजा बने इसलिए भीष्म ने विवाह न करके,आजीवन संतानहीन रहने की भीष्म प्रतिज्ञा की।
सत्यवती के बेटे बाद में क्षत्रिय बन गए, जिनके लिए भीष्म आजीवन अविवाहित रहे, क्या उनका शोषण होता होगा?
महाभारत लिखने वाले वेद व्यास भी मछवारे थे, पर महर्षि बन गए, गुरुकुल चलाते थे वो।
विदुर, जिन्हें महा पंडित कहा जाता है वो एक दासी के पुत्र थे, हस्तिनापुर के महामंत्री बने, उनकी लिखी हुई विदुर नीति, राजनीति का एक महाग्रन्थ है।
भीम ने वनवासी हिडिम्बा से विवाह किया।
श्री कृष्ण दूध का व्यवसाय करने वालों के परिवार से थे, 
उनके भाई बलराम खेती करते थे, हमेशा हल साथ रखते थे।
यादव क्षत्रिय रहे हैं, कई प्रान्तों पर शासन किया और श्री कृष्ण सबके पूजनीय हैं, गीता जैसा ग्रन्थ विश्व को दिया।
राम के साथ वनवासी निषादराज गुरुकुल में पढ़ते थे।
उनके पुत्र लव कुश महर्षि वाल्मीकि के गुरुकुल में पढ़े जो वनवासी थे
तो ये हो गयी वैदिक काल की बात, स्पष्ट है कोई किसी का शोषण नहीं करता था,सबको शिक्षा का अधिकार था, कोई भी पद तक पहुंच सकता था अपनी योग्यता के अनुसार।
वर्ण सिर्फ काम के आधार पर थे वो बदले जा सकते थे, जिसको आज इकोनॉमिक्स में डिवीज़न ऑफ़ लेबर कहते हैं वो ही।
प्राचीन भारत की बात करें, तो भारत के सबसे बड़े जनपद मगध पर जिस नन्द वंश का राज रहा वो जाति से नाई थे । 
नन्द वंश की शुरुवात महापद्मनंद ने की थी जो की राजा नाई थे। बाद में वो राजा बन गए फिर उनके बेटे भी, बाद में सभी क्षत्रिय ही कहलाये।
उसके बाद मौर्य वंश का पूरे देश पर राज हुआ, जिसकी शुरुआत चन्द्रगुप्त से हुई,जो कि एक मोर पालने वाले परिवार से थे और एक ब्राह्मण चाणक्य ने उन्हें पूरे देश का सम्राट बनाया । 506 साल देश पर मौर्यों का राज रहा।
फिर गुप्त वंश का राज हुआ, जो कि घोड़े का अस्तबल चलाते थे और घोड़ों का व्यापार करते थे।140 साल देश पर गुप्ताओं का राज रहा।
केवल पुष्यमित्र शुंग के 36 साल के राज को छोड़ कर 92% समय प्राचीन काल में देश में शासन उन्ही का  रहा, जिन्हें आज दलित पिछड़ा कहते हैं तो शोषण कहां से हो गया? यहां भी कोई शोषण वाली बात नहीं है।
(भगवान की पूजा का अधिकार सबको था सबको है)
फिर शुरू होता है मध्यकालीन भारत का समय जो सन 1100- 1750 तक है, इस दौरान अधिकतर समय, अधिकतर जगह मुस्लिम आक्रमणकारियो का समय रहा और कुछ स्थानों पर उनका शासन भी चला।
अंत में मराठों का उदय हुआ, बाजी राव पेशवा जो कि ब्राह्मण थे, ने गाय चराने वाले गायकवाड़ को गुजरात का राजा बनाया, चरवाहा जाति के होलकर को मालवा का राजा बनाया।
अहिल्या बाई होलकर खुद बहुत बड़ी शिवभक्त थी। ढेरों मंदिर गुरुकुल उन्होंने बनवाये। 
मीरा बाई जो कि राजपूत थी, उनके गुरु एक चर्मकार रविदास थे और रविदास के गुरु ब्राह्मण रामानंद थे|।
यहां भी शोषण वाली बात कहीं नहीं है।
मुग़ल काल से देश में गंदगी शुरू हो गई और यहां से पर्दा प्रथा, गुलाम प्रथा, बाल विवाह जैसी चीजें शुरू होती हैं।
1800 -1947 तक अंग्रेजो के शासन रहा और यहीं से जातिवाद शुरू हुआ । जो उन्होंने फूट डालो और राज करो की नीति के तहत किया। 
अंग्रेज अधिकारी निकोलस डार्क की किताब “कास्ट ऑफ़ माइंड” में मिल जाएगा कि कैसे अंग्रेजों ने जातिवाद, छुआछूत को बढ़ाया और कैसे स्वार्थी भारतीय नेताओं ने अपने स्वार्थ में इसका राजनीतिकरण किया।
इन हजारों सालों के इतिहास में देश में कई विदेशी आये जिन्होंने भारत की सामाजिक स्थिति पर किताबें लिखी हैं, जैसे कि मेगास्थनीज ने इंडिका लिखी, फाहियान,  ह्यू सांग और अलबरूनी जैसे कई। किसी ने भी नहीं लिखा की यहां किसी का शोषण होता था।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जो ब्राह्मण नहीं हैं, गोरखपुर मंदिर के महंत हैं, पिछड़ी जाति की उमा भारती महा मंडलेश्वर रही हैं। जन्म आधारित जाति को छुआछुत व्यवस्था हिन्दुओं को कमजोर करने के लिए लाई गई थी।
इसलिए भारतीय होने पर गर्व करें और घृणा, द्वेष और भेदभाव के षड्यंत्रों से खुद भी बचें और औरों को भी बचाएं।*
“श्री हनुमानजी” के लिए ‘दीपदान विधि’ (भाग–२)_*
_श्रीहनुमानजी के दीपदान में जो विशेष बात है, उसे यहाँ बताया जा रहा है। देव-प्रतिमा के आगे, प्रमोद के अवसर पर, ग्रहों के निमित्त, भूतों के निमित्त, गृहों में और चौराहों पर – इन छ: स्थलों में दीप दिलाना चाहिये। स्फटिकमय शिवलिङ्ग के समीप, शालग्राम-शिला के निकट श्रीहनुमानजी के लिये किया हुआ दीपदान नाना प्रकार के भोग और लक्ष्मी की प्राप्ति का हेतु कहा गया है। विघ्न तथा महान् संकटों का नाश करने के लिये गणेशजी के निकट श्रीहनुमानजी के उद्देश्य से दीपदान करे। भयंकर विष तथा व्याधि का भय उपस्थित होने पर श्रीहनुमद्विग्रह के समीप दीपदान का विधान है। व्याधिनाश के लिये तथा दुष्ट ग्रहों की दृष्टि से रक्षा के लिये चौराहे पर दीप देना चाहिये। बन्धन से छूटने के लिये राजद्वार पर अथवा कारागार के समीप दीप देना उचित है। सम्पूर्ण कार्यों की सिद्धि के लिये पीपल और वट के मूलभाग में दीप देना चाहिये । भय-निवारण और विवाद-शान्ति के लिये, गृहसंकट और युद्धसंकट की निवृत्ति के लिये और विष, व्याधि तथा ज्वर को उतारने के लिये, भूतग्रह का निवारण करने, कृत्या से छुटकारा पाने तथा कटे हुए घाव को जोड़ने के लिये, दुर्गम एवं भारी वन में व्याघ्र, हाथी तथा सम्पूर्ण जीवों के आक्रमण से बचने के लिये, सदा के लिये बन्धन से छूटने के लिये, पथिक के आगमन में, आने-जाने के मार्ग में तथा राजद्वार पर श्रीहनुमानजी के लिये – दीपदान आवश्यक बताया गया है। ग्यारह, इक्कीस और पिण्ड-तीन प्रकार का मण्डलमान होता है। पाँच, सात अथवा नौ- इन्हें लघुमान कहा गया है। दीप-दान के समय दूध, दही, मक्खन अथवा गोबर से श्रीहनुमानजी की प्रतिमा बनाने का विधान किया गया है। परम् पराक्रमी वीरवर श्रीहनुमानजी को दक्षिणाभिमुख करके उनके पैर को रीछ पर रखा हुआ दिखाये। उनका मस्तक किरीट से सुशोभित होना चाहिये। सुन्दर वस्त्र, पीठ अथवा दीवार पर श्रीहनुमानजी की प्रतिमा अङ्कित करनी चाहिये। कूटादि में तथा नित्य दीप में द्वादशाक्षरमन्त्र का प्रयोग करना चाहिये । गोबर से लिपी हुई भूमिपर एकाग्रचित्त हो षट्कोण अङ्कित करे। उसके बाह्यभाग में अष्टदल कमल बनाये तथा उसके भी बाह्यभाग में भूपुर-रेखा खींचे। उस कमल में दीपक रखे। शैव अथवा वैष्णव पीठ पर श्रीअञ्जनीनन्दन हनुमानजी की पूजा करे। छः कोण के अन्तराल में *’ह्रीं ह्स्फ्रें ख्फ्रें ह् स्त्रौं ह्स्ख्फ्रें हसौं* इन छः कूटों का उल्लेख करे। छहों कोणों में बीज सहित छः अङ्ग को लिखे। मध्य में सौम्य का उल्लेख करे और उसी में श्रीपवननन्दन हनुमानजी की पूजा करके छः कोणों में छः अङ्गों तथा छः नामों की पहले बताये अनुसार पूजा करे। कमल के अष्टदलों में क्रमश: इन वानरों की पूजा करनी चाहिये – *सुग्रीवाय नमः, अङ्गदाय नमः, सुषेणाय नमः, नलाय नमः, नीलाय नमः, जाम्बवते नमः, प्रहस्ताय नमः, सुवेषाय नमः ।* तत्पश्चात् षडङ्ग में देवताओं का पूजन करे – *अञ्जनापुत्राय नमः, रुद्रमूर्तये नमः, वायुसुताय नमः, जानकीजीवनाय नमः, रामदूताय नमः, ब्रह्मास्त्रनिवारणाय नमः ।* फिर पञ्चोपचार (गन्ध, पुष्प, धूप, दीप और नैवेद्य) से इन सबका पूजन करके कुश और जल हाथ में लेकर देश-काल के उच्चारणपूर्वक दीपदान का संकल्प करे। उसके बाद दीप-मन्त्र बोले । श्रेष्ठ साधक उत्तराभिमुख हो उस मन्त्र को कूट-संख्या के बराबर (छ: बार) जपकर हाथ में लिये हुए जल को भूमि पर गिरा दे। तदनन्तर दोनों हाथ जोड़कर यथाशक्ति मन्त्र जप करे। फिर इस प्रकार कहे- ‘श्रीहनुमानजी ! उत्तराभिमुख अर्पित किये हुए इस श्रेष्ठ दीपक से प्रसन्न होकर आप ऐसी कृपा करें, जिससे मेरे सारे मनोरथ पूर्ण हो जायँ ।’_
*_🚩श्रीहनुमान परिपूर्ण परात्पर परमात्मा परब्रह्म परमेश्वर 🚩_*