आज का पंचाग आपका राशि फल, आज है अन्नंत चतुर्दशी व्रत आज का दान-पुण्य अन्नंत काल तक फलदायी रहता है, इतिहास का वास्तविक पहलू,

*आज…..👏🏻🙏🏻*
*विसर्जन करो राग का*
*विसर्जन करो द्वेष का*
*विसर्जन करो लोभ का*
*विसर्जन करो मोह का*
*विसर्जन करो अहंकार का*
*विसर्जन करो आलस का*
*विसर्जन करों चिंता*
*विसर्जन करो निराशा का*
*विसर्जन करो विकारों का*
*विसर्जन करो नकारात्मक विचारों का*
*विसर्जन करो अपनी “मैं” का*

*सब विघ्न दूर होंगे….*

*गणपति बप्पा मोरया..*
*मंगल मूर्ति मोरया..*
*अगले वर्ष तुम शीघ्र आयें..*
🙏🏻💐🙏🏻🌺🙏🏻 जय श्री गणेशाय नमः 🙏🏻🌺

         🌺🙏🏻 जय माता दी 🙏🏻🌺

 आज है अन्नंत चतुर्दशी व्रत आज का दान-पुण्य अन्नंत काल तक फलदायी रहता है 

यह पाठ महाकवि कालिदास द्वारा लिखित ‘कुमार सम्भव’ नामक महाकाव्य के प्रथम सर्ग से लिया गया है। इन पद्यों में हिमालय की प्राकृतिक सुषमा का वर्णन किया गया है। (क) अस्त्युत्तरस्यां दिशि देवतात्मा हिमालयो नाम नगाधिराज:। पूर्वापरौ तोयनिधी वगाह्य स्थितः पृथिव्या इव मानदण्डः।।

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     🌺🙏🏻 महर्षि पाराशर पंचांग 🙏🏻🌺

 

      🌺🙏 ( अथ पंचांगम् ) 🙏🌺

 

            *दिनाँक : ~* 

        *09/09/2022, शुक्रवार*

चतुर्दशी, शुक्ल पक्ष,

भाद्रपद दिल्ली

▬▬▬▬▬⁂⧱⁂▬▬▬▬▬

 

(समाप्ति काल)

 

तिथि—–चतुर्दशी 18:07:14 तक

पक्ष————————शुक्ल

नक्षत्र———धनिष्ठा 11:33:44

योग———–सुकर्मा 18:09:42

करण————-गर 07:33:27

करण———वणिज 18:07:14

करण——-विष्टि भद्र 28:45:03

वार———————–शुक्रवार

माह———————-भाद्रपद

चन्द्र राशि——————-कुम्भ

सूर्य राशि——————–सिंह

ऋतु————————–वर्षा

सायन———————–शरद

आयन—————-दक्षिणायण

संवत्सर——————शुभकृत

संवत्सर (उत्तर)—————–नल

विक्रम संवत—————2079

गुजराती सवंत————-2078

शक संवत—————-1944 

 

                 दिल्ली

सूर्योदय————— 06:04:09 

सूर्यास्त————— 18:32:23

दिन काल————-12:28:14 

रात्री काल———— 11:32:14

चंद्रोदय————— 18:12:43

चंद्रास्त—————- 29:39:49*

 

लग्न—-/ सिंह 22°10′ , 142°10′

 

सूर्य नक्षत्र———— पूर्वा फाल्गुनी 

चन्द्र नक्षत्र—————— धनिष्ठा

नक्षत्र पाया——————- ताम्र 

 

*🚩💮🚩 पद, चरण 🚩💮🚩*

 

गु—- धनिष्ठा 06:05:39

 

गे—- धनिष्ठा 11:33:44

 

गो—- शतभिषा 17:02:39

 

सा—- शतभिषा 22:32:33

 

सी—- शतभिषा 28:03:34

 

*💮🚩💮 ग्रह गोचर 💮🚩💮*

 

        ग्रह =राशी , अंश ,नक्षत्र, पद

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सूर्य=सिंह 22:12 पू o फ़ाo , 3 टी 

चन्द्र =कुम्भ 03 °23, धनिष्ठा , 3 गु 

बुध =कन्या 14 ° 07′ हस्त ‘ 2 ष

शुक्र=सिंह 10°05, मघा ‘ 4 मे 

मंगल=वृषभ 16°30 ‘ रोहिणी’ 2 वा 

गुरु=मीन 12°30 ‘ उ o भा o, 3 झ 

शनि=मकर 26°33 ‘ धनिष्ठा ‘ 1 गा       

राहू=(व) मेष 22°10′ भरणी , 3 ले 

केतु=(व) तुला 22°10 विशाखा , 1 ती 

 

*🚩💮🚩 मुहूर्त प्रकरण 🚩💮🚩*

 

राहू काल 10:45 – 12:18 अशुभ

यम घंटा 15:25 – 16:59 अशुभ

गुली काल 07:38 – 09:11 शुभ 

अभिजित 11:53 – 12:43 शुभ

दूर मुहूर्त 08:34 – 09:24 अशुभ

दूर मुहूर्त 12:43 – 13:33 अशुभ

वर्ज्यम 18:09 – 19:36 अशुभ

 

🚩पंचक अहोरात्र अशुभ

 

💮चोघडिया, दिन

चर 06:03 – 07:36 शुभ

लाभ 07:36 – 09:10 शुभ

अमृत 09:10 – 10:43 शुभ

काल 10:43 – 12:16 अशुभ

शुभ 12:16 – 13:50 शुभ

रोग 13:50 – 15:23 अशुभ

उद्वेग 15:23 – 16:57 अशुभ

चर 16:57 – 18:30 शुभ

 

🚩चोघडिया, रात

रोग 18:30 – 19:57 अशुभ

काल 19:57 – 21:23 अशुभ

लाभ 21:23 – 22:50 शुभ

उद्वेग 22:50 – 24:17* अशुभ

शुभ 24:17* – 25:43* शुभ

अमृत 25:43* – 27:10* शुभ

चर 27:10* – 28:37* शुभ

रोग 28:37* – 30:03* अशुभ

 

💮होरा, दिन

शुक्र 06:03 – 07:05

बुध 07:05 – 08:07

चन्द्र 08:07 – 09:10

शनि 09:10 – 10:12

बृहस्पति 10:12 – 11:14

मंगल 11:14 – 12:16

सूर्य 12:16 – 13:19

शुक्र 13:19 – 14:21

बुध 14:21 – 15:23

चन्द्र 15:23 – 16:25

शनि 16:25 – 17:28

बृहस्पति 17:28 – 18:30

 

🚩होरा, रात

मंगल 18:30 – 19:28

सूर्य 19:28 – 20:25

शुक्र 20:25 – 21:23

बुध 21:23 – 22:21

चन्द्र 22:21 – 23:19

शनि 23:19 – 24:17

बृहस्पति 24:17* – 25:14

मंगल 25:14* – 26:12

सूर्य 26:12* – 27:10

शुक्र 27:10* – 28:08

बुध 28:08* – 29:05

चन्द्र 29:05* – 30:03

 

*🚩💮 उदयलग्न प्रवेशकाल 💮🚩* 

 

सिंह > 04:28 से 05:44 तक

कन्या > 05:44 से 07:58 तक

तुला > 07:58 से 10:04 तक

वृश्चिक > 10:04 से 12:20 तक 

धनु > 12:20 से 14:46 तक

मकर > 14:46 से 16:28 तक

कुम्भ > 16:28 से 17:54 तक

मीन > 17:54 से 18:30 तक

मेष > 18:30 से 20:02 तक

वृषभ > 20:00 से 22:50 तक

मिथुन > 22:50 से 01:14 तक

कर्क > 01:14 से 03:20 तक

 

*नोट*– दिन और रात्रि के चौघड़िया का आरंभ क्रमशः सूर्योदय और सूर्यास्त से होता है। 

प्रत्येक चौघड़िए की अवधि डेढ़ घंटा होती है। 

चर में चक्र चलाइये , उद्वेगे थलगार ।

शुभ में स्त्री श्रृंगार करे,लाभ में करो व्यापार ॥

रोग में रोगी स्नान करे ,काल करो भण्डार ।

अमृत में काम सभी करो , सहाय करो कर्तार ॥

अर्थात- चर में वाहन,मशीन आदि कार्य करें ।

उद्वेग में भूमि सम्बंधित एवं स्थायी कार्य करें ।

शुभ में स्त्री श्रृंगार ,सगाई व चूड़ा पहनना आदि कार्य करें ।

लाभ में व्यापार करें ।

रोग में जब रोगी रोग मुक्त हो जाय तो स्नान करें ।

काल में धन संग्रह करने पर धन वृद्धि होती है ।

अमृत में सभी शुभ कार्य करें ।

 

*💮दिशा शूल ज्ञान————पश्चिम*

परिहार-: आवश्यकतानुसार यदि यात्रा करनी हो तो घी अथवा काजू खाके यात्रा कर सकते है l

इस मंत्र का उच्चारण करें-:

*शीघ्र गौतम गच्छत्वं ग्रामेषु नगरेषु च l*

*भोजनं वसनं यानं मार्गं मे परिकल्पय: ll*

 

*🚩 अग्नि वास ज्ञान -:*

*यात्रा विवाह व्रत गोचरेषु,*

*चोलोपनिताद्यखिलव्रतेषु ।*

*दुर्गाविधानेषु सुत प्रसूतौ,*

*नैवाग्नि चक्रं परिचिन्तनियं ।।* *महारुद्र व्रतेSमायां ग्रसतेन्द्वर्कास्त राहुणाम्*

*नित्यनैमित्यके कार्ये अग्निचक्रं न दर्शायेत् ।।*

 

  14 + 6 + 1 = 21 ÷ 4 = 1 शेष

  पाताल लोक पर अग्नि वास हवन के लिए अशुभ कारक है l

 

*🚩💮 ग्रह मुख आहुति ज्ञान 💮🚩*

 

सूर्य नक्षत्र से अगले 3 नक्षत्र गणना के आधार पर क्रमानुसार सूर्य , बुध , शुक्र , शनि , चन्द्र , मंगल , गुरु , राहु केतु आहुति जानें । शुभ ग्रह की आहुति हवनादि कृत्य शुभपद होता है

 

 चन्द्र ग्रह मुखहुति

 

*💮 शिव वास एवं फल -:*

 

  14 + 6 + 5 = 25 ÷ 7 = 4 शेष

 

सभायां = संताप कारक

 

*🚩भद्रा वास एवं फल -:*

 

*स्वर्गे भद्रा धनं धान्यं ,पाताले च धनागम:।*

*मृत्युलोके यदा भद्रा सर्वकार्य विनाशिनी।।*

 

सांय 18:07 से रात्रि 28:35

 

मृत्यु लोक = सर्वकार्य विनाशीनी 

 

*💮🚩 विशेष जानकारी 🚩💮*

 

*सत्यनारायण पूर्णिमा व्रत

 

*अनन्त चतुर्दशी व्रत

 

*गणपति विसर्जन 

 

*💮🚩💮 शुभ विचार 💮🚩💮*

 

जलबिन्दुनिपातेन क्रमशः पूर्यते घटः ।

स हेतु सर्वविद्यानां धर्मस्य च धनस्य च ।।

।। चा o नी o।।

 

   बूंद बूंद से सागर बनता है. इसी तरह बूंद बूंद से ज्ञान, गुण और संपत्ति प्राप्त होते है.

 

*🚩💮🚩 सुभाषितानि 🚩💮🚩*

 

गीता -: मोक्षसान्यांसयोग अo-18

 

यत्र योगेश्वरः कृष्णो यत्र पार्थो धनुर्धरः ।,

तत्र श्रीर्विजयो भूतिर्ध्रुवा नीतिर्मतिर्मम ॥,

 

हे राजन! जहाँ योगेश्वर भगवान श्रीकृष्ण हैं और जहाँ गाण्डीव-धनुषधारी अर्जुन है, वहीं पर श्री, विजय, विभूति और अचल नीति है- ऐसा मेरा मत है॥,78॥,

 

*💮🚩 दैनिक राशिफल 🚩💮*

 

देशे ग्रामे गृहे युद्धे सेवायां व्यवहारके।

नामराशेः प्रधानत्वं जन्मराशिं न चिन्तयेत्।।

विवाहे सर्वमाङ्गल्ये यात्रायां ग्रहगोचरे।

जन्मराशेः प्रधानत्वं नामराशिं न चिन्तयेत ।।

 

🐏मेष

यात्रा मनोरंजक रहेगी। कोई बड़ा काम होने से प्रसन्नता रहेगी। कारोबार में वृद्धि होगी। विरोधी सक्रिय रहेंगे। धन प्राप्ति सुगम होगी। समय अनुकूल है। जोखिम व जमानत के कार्य टालें। परिवार के साथ समय प्रसन्नतापूर्वक व्यतीत होगा। जोखिम उठाने का साहस कर पाएंगे। जल्दबाजी न करें।

 

🐂वृष

भूले-बिसरे साथियों से मुलाकात होगी। उत्साहवर्धक सूचना मिलेगी। किसी बड़े काम को करने की योजना बनेगी। आत्मसम्मान बना रहेगा। व्यापार लाभदायक रहेगा। घर-परिवार में कोई मांगलिक कार्य का आयोजन हो सकता है। घर-बाहर प्रसन्नता रहेगी। मित्रों के साथ अच्‍छा समय बीतेगा।

 

👫मिथुन

मित्रों का सहयोग करने का मौका प्राप्त होगा। मेहनत का फल मिलेगा। सामाजिक प्रतिष्ठा में वृद्धि होगी। घर-बाहर पूछ-परख रहेगी। लेन-देन में सावधानी रखें। अपरिचितों पर अंधविश्वास न करें। कारोबार ठीक चलेगा। लाभ के अवसर हाथ आएंगे। भाग्य अनुकूल है। समय का लाभ लें।

 

🦀कर्क

विवाद को बढ़ावा न दें। कानूनी अड़चन से सामना हो सकता है। स्वास्थ्य का ध्यान रखें। बुरी खबर मिल सकती है, धैर्य रखें। दौड़धूप से स्वास्थ्य पर असर पड़ सकता है। आय बनी रहेगी। व्यापार-व्यवसाय लाभदायक रहेगा। नौकरी में कार्यभार रहेगा। जोखिम न लें।

 

🐅सिंह

रचनात्मक कार्य सफल रहेंगे। किसी आनंदोत्सव में भाग लेने का अवसर प्राप्त होगा। मनपसंद भोजन का आनंद मिलेगा। पार्टी व पिकनिक का आयोजन हो सकता है। नौकरी में कार्य की प्रशंसा होगी। जीवनसाथी से सहयोग प्राप्त होगा। घर-बाहर प्रसन्नता रहेगी। जल्दबाजी न करें।

 

🙍‍♀️कन्या

स्थायी संपत्ति के कार्य मनोनुकूल लाभ देंगे। किसी बड़ी समस्या का हल सहज ही प्राप्त होगा। किसी वरिष्ठ व्यक्ति का सहयोग मिलेगा। भाग्य अनुकूल है। व्यापार-व्यवसाय में वृद्धि होगी। धन प्राप्ति सुगम होगी। शत्रुओं का पराभव होगा। किसी व्यक्ति की बातों में न आएं। प्रसन्नता रहेगी।

 

⚖️तुला

किसी व्यक्ति विशेष का सहयोग प्राप्त होगा। व्यापार लाभदायक रहेगा। पारिवारिक सदस्यों का सहयोग मिलेगा। प्रसन्नता में वृद्धि होगी। नौकरी में मातहतों से अनबन हो सकती है। शारीरिक कष्ट संभव है। जल्दबाजी से हानि होगी। जोखिम व जमानत के कार्य टालें। धन प्राप्ति सुगम होगी।

 

🦂वृश्चिक

चोट व दुर्घटना से बड़ी हानि हो सकती है। दुष्टजन हानि पहुंचा सकते हैं। किसी अपरिचित व्यक्ति पर अतिविश्वास न करें। किसी भी प्रकार के विवाद में न पड़ें। जोखिम व जमानत के कार्य टालें। व्यापार ठीक चलेगा। आय में निश्चितता रहेगी। मित्रों के साथ समय अच्‍छा व्यतीत होगा।

 

🏹धनु

तीर्थदर्शन की योजना फलीभूत होगी। सत्संग का लाभ मिलेगा। आत्मशांति रहेगी। यात्रा संभव है। व्यापार ठीक चलेगा। संपत्ति के कार्य मनोनुकूल लाभ देंगे। नौकरी में चैन रहेगा। दूसरों की जवाबदारी न लें। थकान रह सकती है।

 

🐊मकर

कार्यस्थल पर परिवर्तन की योजना बनेगी। सामाजिक प्रतिष्ठा में वृद्धि होगी। व्यापार-व्यवसाय मनोनुकूल लाभ देगा। नौकरी में सहकर्मी साथ देंगे। ऐश्वर्य व आरामदायक साधनों पर व्यय होगा। जोखिम व जमानत के कार्य टालें। जल्दबाजी से बचें। घर-बाहर प्रसन्नता बनी रहेगी।

 

🍯कुंभ

डूबी हुई रकम प्राप्त हो सकती है। यात्रा मनोरंजक रहेगी। नौकरी में मातहतों का सहयोग प्राप्त होगा। शेयर मार्केट में जल्दबाजी न करें। व्यापार लाभदायक रहेगा। पारिवारिक सहयोग मिलेगा। घर-बाहर प्रसन्नता रहेगी। लेन-देन में सावधानी रखें। चोट व रोग से कष्ट संभव है। प्रमाद न करें।

 

🐟मीन

स्वास्थ्य का पाया कमजोर रहेगा। विवाद को बढ़ावा न दें। फालतू खर्च होगा। किसी के व्यवहार से क्लेश होगा। जल्दबाजी में कोई निर्णय न लें। व्यापार-व्यवसाय लाभप्रद रहेगा। आय में निश्चितता रहेगी। नौकरी में कार्यभार बढ़ेगा। सहकर्मी साथ नहीं देंगे। चिंता तथा तनाव बने रहेंगे।

 

🙏आपका दिन मंगलमय हो🙏

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कभी कभी सोचता हूँ कि 1500 ई. के बाद के कितने साहसी और बुद्धिमानी रहे होंगे ब्रिटेन के लोग, जिन्होंने एक ठण्डे प्रदेश से निकलकर अंजान रास्ते और अंजान जगहों पर जाकर लोगों को गुलाम बनाया। अभी भी देखा जाए तो ब्रिटेन की जनसंख्या और क्षेत्रफल गुजरात के बराबर है लेकिन उन्होंने दशकों नहीं शताब्दियों तक दुनिया को गुलाम रखा। 

                भारत की करोड़ों की जनसंख्या को मात्र कुछ लाख या हजार लोगों ने गुलाम बनाकर रखा, और केवल गुलाम ही नहीं बनाया खूब हत्यायें की, लूटपाट की। उनको अपनी कौम पर कितना गर्व होगा कि इत्ते से देश के इत्ते से लोग पूरी दुनिया को नाच नचाते रहे।

            भारत के एक जिले में शायद ही 50 से ज्यादा अंग्रेज रहे होंगे लेकिन लाखों लोगों के बीच अपनी धरती से हजारों मील दूर आकर अपने से संख्या में कई गुना लोगों को इस तरह गुलाम रखने के लिए अद्भुत साहस रहा होगा। 

                अगर इतिहास देखता हूँ तो पता चलता है कि उनके पास हम पर अत्याचार करने के लिए लोग भी नहीं थे तो उन्होंने हम में से ही कुछ लोगों को भर्ती किया था हम पर अत्याचार करने के लिए, हमें लूटने के लिए। 

मुझे सोचकर ही अजीब लगता है कि हम लोग अंग्रेजों के सैनिक बन कर अपने ही लोगों पर अत्याचार करते थे। चंद्रशेखर, बिस्मिल जैसे मात्र कुछ गिनती के लोग थे जिन्हें हमारा ही समाज हेय दृष्टि से देखता था।  

आज वही नपुंसक समाज उन चंद लोगों के नाम के पीछे अपना कायरतापूर्ण इतिहास छुपाकर झूठा दम्भ भरता है। 

                 अरब के रेगिस्तान से कुछ भूँखे जाहिल आतातायी लोग आए और उन्होंने भी हमको लूटा मारा बलात्कार किया और हम वहाँ भी नाकाम रहे। 

               उन्होंने हमारे मन्दिर तोड़े, हमारी स्त्रियों के बलात्कार किये लेकिन हमने क्या किया कि ….वो दिन में विवाह में लूटपाट करते हैं तो रात को चुपचाप विवाह करने लगे, जवान लड़कियों को उठा ले जाते हैं तो बचपन में ही शादी करने लगे और अगर उसमें ही असुरक्षा हो तो बेटी पैदा होते ही मारते रहे। सुन – पढ़ कर बुरा लगता तो है …..लेकिन यही हमारी सच्चाई है।  

                  हमने 1000 सालों की दुर्दशा से कुछ नहीं सीखा। आज एक जनसँख्या उन्हीं अरबी अत्याचारियों को अपना पूर्वज मानने लगी है।

                  कुछ उन ईसाइयों को अपना पूर्वज मानने लगी है, यानि हम स्वाभिमानहीन लोग हैं, स्वतंत्रता मिलने पर भी हम मानसिक गुलाम ही रहें। दूसरी तरफ हमारी व्यवस्थाएं भी सड़ी हुई हैं ……जिन्होंने इन सभी नाकामियों का कभी मंथन ही नहीं किया। 

हमारे ऊपर जब आक्रमण हो रहे थे और हम जब एक युद्धकाल से गुजर रहे थे, हमारी बहुसंख्यक जनसँख्या इस मानसिकता में थी कि “कोउ हो नृप हमें का हानि” मतलब उनको युद्ध से राज्य से राजा से कोई मतलब नहीं था। ये सब बस क्षत्रिय के काम थे। उनको करना है तो करें, नहीं करना तो नहीं करें। 

           यही कारण था कि मुस्लिम आक्रमण से राजस्थान क्षेत्र छोड़कर समस्त भारत धराशाही हो गया था क्योंकि राजस्थान में क्षत्रिय जनसँख्या अधिक थी तो संघर्ष करने में सफल रहे। ऐसे ही कुछ क्षेत्र और थे जो इसमें सफल हुए। 

आज युद्धकाल में इस्राइल बुरी तरह शत्रुओं से घिरा हुआ है लेकिन सुरक्षित है क्योंकि वहाँ के प्रत्येक व्यक्ति की देश और धर्म की सुरक्षा की जिम्मेदारी है लेकिन हमने ये कार्य केवल क्षत्रियों पर छोड़ दिया था, जबकि फ़ौज में भी युद्ध के समय माली, नाई, पेंटर, रसोइया आदि सभी लड़ाका बनकर तैयार रहते हैं। लेकिन हमने युद्धकाल में भी परिस्थितियों को नहीं समझा और अपनी योजनायें नहीं बनाई अपनी व्यवस्थाएँ नहीं बदली। 

                मुझे अम्बेडकर जी का वह कथन सोचने पर मजबूर का देता है कि “अगर समाज के एक बड़े वर्ग को युद्ध से दूर नहीं किया गया होता तो भारत कभी गुलाम नहीं बनता”। जरा विचार करके देखिए कि मुस्लिम एवं अंग्रेजों से जिस तरह क्षत्रिय लड़े, अगर पूरा हिन्दू समाज क्षत्रिय बनकर लड़ा होता तो क्या हम कभी गुलाम हो सकते थे?

                     सामान्य परिस्थिति में समाज को चलाने के लिए उसको वर्गीकृत किया ही जाता है लेकिन विपत्तिकाल में नीतियों में परिवर्तन भी किया जाता है, लेकिन हम इसमें पूरी तरह नाकाम लोग हैं। इसलिए 1000 सालों से दुर्भाग्य हमारे पीछे पड़ा है। 

             अटल जी का एक भाषण सुन रहा था जिसमें वो कह रहे थे कि एक युद्ध जीतने के बाद जब 1000 अंग्रेजी सैनिक ने जुलूस निकाला था तो सड़क के दोनों तरफ 20000 भारतीय उनको देखने आए थे। अगर ये 20000 लोग पत्थर डण्डे से भी मारते तो 1000 सैनिक को भागते न बनता लेकिन ये 20 हजार लोग केवल युद्व के मूक दर्शक थे। 

आज भी कुछ खास नहींं बदला। मुगलों और अंग्रेजों का स्थान एक खास dynasty ने ले लिया और वामपंथियों/सेकुलरों के रूप में खतरनाक गद्दारों की फौज भी पैदा हो गई। 

लेकिन सबसे बड़ी विडंबना है कि हम आज भी बंटे हुए हैं। 100 करोड़ होकर भी मूक दर्शक बने हुए हैं। 

भले मोदी कुछ जागृति पैदा करने में सफल हुए हों, पर बिना संपूर्ण जागृति हिंदुओं के दुर्भाग्य का अंत नहींं होगा ।