आज का पंचाग आपका राशि फल, महाशिवरात्रि आज भगवान शिव शंकर के विवाह का महात्म्य, हनुमान चालीसा में है जीवन के आरंभ से अंत तक का रहस्य

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25 अप्रैल को खुलेंगे बाबा केदार के कपाट

                  *श्री हरिहरो* 

                *विजयतेतराम*

        *🌹।।सुप्रभातम्।।🌹*

        🗓 आज का पञ्चाङ्ग 🗓

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*_शनिवार, १८ फरवरी २०२३_*

सूर्योदय: 🌄 ०७:०२

सूर्यास्त: 🌅 ०६:१९

चन्द्रोदय: 🌝 ३०:२१

चन्द्रास्त: 🌜१५:५०

अयन 🌖 उत्तरायणे

(दक्षिणगोलीय)

ऋतु: 🎋 बसंत

शक सम्वत:👉१९४४ (शुभकृत)

विक्रम सम्वत:👉२०७९ (नल)

मास 👉 फाल्गुन

पक्ष 👉 कृष्ण

तिथि 👉 त्रयोदशी (२०:०२

से चतुर्दशी)

नक्षत्र 👉 उत्तराषाढ

(१७:४२ से श्रवण)

योग 👉 व्यतीपात (१९:३६

से वरीयान)

प्रथम करण👉गर(०९:५१तक)

द्वितीय करण 👉 वणिज

(२०:०२ तक)

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॥ गोचर ग्रहा: ॥

🌖🌗🌖🌗

सूर्य 🌟 कुम्भ

चंद्र 🌟 मकर

मंगल 🌟 वृष 

(उदित, पश्चिम, मार्गी)

बुध🌟मकर(उदित,पूर्व,मार्गी)

गुरु🌟मीन(उदित,पूर्व,मार्गी)

शुक्र 🌟 मीन(उदित,पश्चिम)

शनि 🌟 कुम्भ

 (अस्त, पश्चिम, मार्गी)

राहु 🌟 मेष

केतु 🌟 तुला

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शुभाशुभ मुहूर्त विचार

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अभिजित मुहूर्त 👉 १२:०९ से १२:५३

अमृत काल 👉 १२:०२ से १३:२९

सर्वार्थसिद्धि योग 👉 १७:४२ से ३०:५४

विजय मुहूर्त 👉 १४:२३ से १५:०८

गोधूलि मुहूर्त 👉 १८:०५ से १८:३०

सायाह्न सन्ध्या 👉 १८:०७ से १९:२४

निशिता मुहूर्त 👉 २४:०५ से २४:५६

राहुकाल 👉 ०९:४३ से ११:०७

राहुवास 👉 पूर्व

यमगण्ड 👉 १३:५५ से १५:१९

होमाहुति 👉 केतु

दिशाशूल 👉 पूर्व

अग्निवास 👉 पृथ्वी (२०:०२ तक)

भद्रावास 👉 पाताल २०:०२ से ३०:१०

चन्द्रवास 👉 दक्षिण

शिववास 👉 भोजन में (२०:०२ से श्मशान में)

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☄चौघड़िया विचार☄

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॥ दिन का चौघड़िया ॥ 

१ – काल २ – शुभ

३ – रोग ४ – उद्वेग

५ – चर ६ – लाभ

७ – अमृत ८ – काल

॥रात्रि का चौघड़िया॥ 

१ – लाभ २ – उद्वेग

३ – शुभ ४ – अमृत

५ – चर ६ – रोग

७ – काल ८ – लाभ

नोट– दिन और रात्रि के चौघड़िया का आरंभ क्रमशः सूर्योदय और सूर्यास्त से होता है। प्रत्येक चौघड़िए की अवधि डेढ़ घंटा होती है। 

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शुभ यात्रा दिशा

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दक्षिण-पूर्व (वायविंडिंग अथवा तिलमिश्रित चावल का सेवन कर यात्रा करें)

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तिथि विशेष

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शनि प्रदोष व्रत, महाशिवरात्री पर्व (रात्रि चार प्रहर पूजन) आदि।

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आज जन्मे शिशुओं का नामकरण 

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आज १७:४२ तक जन्मे शिशुओ का नाम उत्तराषाढ नक्षत्र के तृतीय एवं चतुर्थ चरण अनुसार क्रमशः (ज, जी) नामाक्षर से तथा इसके बाद जन्मे शिशुओ का नाम श्रवण नक्षत्र के प्रथम, द्वितीय एवं तृतीय चरण अनुसार क्रमशः (खी, खू, खे) नामक्षर से रखना शास्त्रसम्मत है।

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उदय-लग्न मुहूर्त

कुम्भ – ३०:४३ से ०८:०९

मीन – ०८:०९ से ०९:३२

मेष – ०९:३२ से ११:०६

वृषभ – ११:०६ से १३:०१

मिथुन – १३:०१ से १५:१६

कर्क – १५:१६ से १७:३७

सिंह – १७:३७ से १९:५६

कन्या – १९:५६ से २२:१४

तुला – २२:१४ से २४:३५

वृश्चिक – २४:३५ से २६:५४

धनु – २६:५४ से २८:५८

मकर – २८:५८ से ३०:३९

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पञ्चक रहित मुहूर्त

रज पञ्चक – ०६:५५ से ०८:०९

शुभ मुहूर्त – ०८:०९ से ०९:३२

शुभ मुहूर्त – ०९:३२ से ११:०६

रज पञ्चक – ११:०६ से १३:०१

शुभ मुहूर्त – १३:०१ से १५:१६

चोर पञ्चक – १५:१६ से १७:३७

शुभ मुहूर्त – १७:३७ से १७:४२

रोग पञ्चक – १७:४२ से १९:५६

शुभ मुहूर्त – १९:५६ से २०:०२

मृत्यु पञ्चक – २०:०२ से २२:१४

अग्नि पञ्चक – २२:१४ से २४:३५

शुभ मुहूर्त – २४:३५ से २६:५४

रज पञ्चक – २६:५४ से २८:५८

शुभ मुहूर्त – २८:५८ से ३०:३९

चोर पञ्चक – ३०:३९ से ३०:५४

आज का राशिफल

🐐🐂💏💮🐅👩

मेष🐐 (चू, चे, चो, ला, ली, लू, ले, लो, अ)

आज दिन का पूर्वार्ध नयी उलझने लाएगा। हठी प्रवृति रहने से व्यापार में हानि एवं प्रियजनों से दूरी बढ़ सकती है। महत्त्वपूर्ण कार्य को अनुभवियों के परामर्श के बाद ही करें अन्यथा थोड़े समय के लिए टाल दें। नौकरों के व्यवहार से भी परेशानी हो सकती है। दोपहर के बाद स्थिति धीरे-धीरे नियंत्रण में आने लगेगी। आपके लिए निर्णय सफल होने से प्रातः जो आपसे विपरीत व्यवहार कर रहे थे वो भी स्वार्थ सिद्धि करने लगेंगे। आकस्मिक धन लाभ होने से राहत मिलेगी।

 

वृष🐂 (ई, ऊ, ए, ओ, वा, वी, वू, वे, वो)

आज आपको प्रतिकूल फल मिलने से मन में नकारत्मकता रहेगी। कार्य को करने से पहले ही हार मान लेने से सफलता की उम्मीद भी अल्प रहेगी। आज किसी व्यक्ति का ना चाहते हुए भी सहयोग अथवा कोई अप्रिय कार्य करना पडेगा। परिवार में आपसी मतभेद रहने से तालमेल नहीं बैठा पाएंगे। एकदम से ख़ुशी अगले ही पल दुःख वाली स्थिति दिन भर रहेगी। धन के कारण मनोदशा में विकृत आ सकती है। सेहत पर ध्यान दें।

 

मिथुन👫 (का, की, कू, घ, ङ, छ, के, को, हा)

आज भी दिन विपरीत फल देने वाला रहेगा। स्वयं अथवा किसी पारिवारिक सदस्य के स्वास्थ्य को लेकर चिंता रहेगी दवाओं पर खर्च बढ़ेगा। कार्य क्षेत्र पर भी परिश्रम के अनुसार लाभ मिलेगा नए कार्य के आरम्भ के विचार को टालना पड सकता है। सरकारी कार्यो में भी धन खर्च होने से आर्थिक कारणों से चिंता रहेगी परन्तु मध्यान के आस-पास थोड़े धन की आमद होने से दैनिक कार्य चलते रहेंगे। परिवार में तालमेल बना रहेगा।

 

कर्क🦀 (ही, हू, हे, हो, डा, डी, डू, डे, डो)

आज भी दिन का अधिकांश समय शांति से व्यतीत होगा। थोड़ी आर्थिक परेशानियां रह सकती है परंतु मानसिक रूप से दृढ़ रहेंगे। जिस भी कार्य को करने की ठानेंगे उसे हानि-लाभ की परवाह किये बिना पूर्ण करके छोड़ेंगे धनलाभ आज अलप ही रहेगा फिर भी संतोष कर लेंगे। कार्य क्षेत्र पर अन्य व्यक्ति की दखलंदाजी से थोड़ी परेशानी एवं बहस हो सकती है। सामूहिक आयोजन में सम्मिलित होने का अवसर भी मिलेगा। बाहर की अपेक्षा घर में समय बिताना अधिक पसंद करेंगे।

 

सिंह🦁 (मा, मी, मू, मे, मो, टा, टी, टू, टे)

आज आप उदासीनता युक्त जीवन जीयेंगे। पेट सम्बंधित शिकायत रहने एवं अन्य शारीरिक कष्ट के कारण शरीर शिथिल रहेगा। मन के अनुसार कार्य नहीं होंगे। कार्यो में विलम्ब के कारण परेशानियां होंगी। सरकारी कार्यो में भी अल्प सफलता मिलेगी। आस पास का वातावरण भी विरोधाभासी रहने से मन में वैराग्य उत्पन्न होगा। आध्यत्म के प्रति अधिक रुचि दिखाएँगे। परिजनों से किसी पुरानी बात को लेकर शिकायत रहेगी। धन प्राप्ति के लिए संघर्ष करना पड़ेगा।

 

कन्या👩 (टो, पा, पी, पू, ष, ण, ठ, पे, पो)

आज आपकी महात्त्वकांक्षाओ की पूर्ती में अड़चने आने से हताश हो सकते है। फिर भी भले-बुरे का विवेक रहने से मानसिक रूप से परेशान नहीं होंगे। कार्य क्षेत्र पर अधिकारी एवं सहकर्मी सहयोग करेंगे निश्चित समय से पहले कार्य पूर्ण कर घरेलु कार्यो में व्यस्त रहेंगे। धार्मिक गतिविधियों में भी सक्रियता दिखाएँगे। आज आप किसी भी प्रकार के अनैतिक कार्यो से खुद को दूर रखने का हर संभव प्रयास करेंगे जिससे सम्मान के पात्र बनेंगे।

 

तुला⚖️ (रा, री, रू, रे, रो, ता, ती, तू, ते)

आपका आज का दिन मिश्रित फलदायक रहेगा। कार्यो की असफलता अथवा किसी महत्त्वपूर्ण अनुबंध के निरस्त होने से स्वभाव में चिड़चिड़ा पन आ सकता है। वाणी का रूखापन कार्य क्षेत्र एवं घर का वातावरण बिगाड़ेगा। विवेक से कार्य करें दोपहर के बाद किसी प्रतिष्ठित व्यक्ति से सहयोग मिलने की संभावना है। धन नाश होने के प्रबल योग है इसका भी ध्यान रखें गलत जगह निवेश हो सकता है। स्वास्थ्य में भी उतार चढ़ाव बना रहेगा।

 

वृश्चिक🦂 (तो, ना, नी, नू, ने, नो, या, यी, यू)

आज दिन का पूर्वार्ध आशा से अधिक शुभ रहेगा। आज के दिन आकस्मिक घटनाएं अधिक घटित होंगी चाहे वो आर्थिक या पारिवारिक हों। नौकरी पेशा और व्यवसायी को भी मेहनत का फल मिलेगा सम्मान में वृद्धि के साथ आय के मार्ग खुलेंगे। बेरोजगारों को थोड़ा प्रयास करने पर रोजगार उपलब्ध हो सकता है। खर्च भी अचानक होने से थोड़ी असहजता रहेगी परन्तु स्थिति पूर्ण रूप से आपके नियंत्रण में ही रहेगी। भाग्योन्नति के योग बनेगे।

 

धनु🏹 (ये, यो, भा, भी, भू, ध, फा, ढा, भे)

आज के दिन धन की कमी रहने पर भी खुश रहने का सफल प्रयास करेंगे। परिजनों से भावनात्मक सम्बन्ध रहने से मन को शान्ति मिलेगी। परन्तु आज प्रेम प्रसंगों से दूरी बनाना ही बेहतर रहेगा अन्यथा धन और पारिवारिक मान हानि हो सकती है। किसी मांगलिक आयोजन में जाने के कारण अतिरिक्त खर्च करना पड़ेगा फिर भी आनंददायक वातावरण मिलने से खर्च व्यर्थ नहीं लगेगा। स्त्री पक्ष से विशेष निकटता रहेगी।

 

मकर🐊 (भो, जा, जी, खी, खू, खा, खो, गा, गी)

आज दिन का प्रारंभिक भाग सुख-शांति से बितायेंगे। मन खुश रहने से आसपास का वातावरण भी हास्यमय बनाएंगे। मित्र प्रियजनों के साथ भविष्य की योजनाओं पर खुल कर विचार करेंगे। परन्तु दोपहर के समय स्थिति एक दम उलट हो जायेगी। किसी मनोकामना के अपूर्ण रहने से ठेस पहुंचेगी इससे उबरने में भी थोड़ा समय लगेगा। आज स्वभाव में ज्यादा खुलापन भी ना रखें मन का भेद अन्य को देने से हानि भी हो सकती है। परिजनों से लाभ होने की संभावना है।

 

कुंभ🍯 (गू, गे, गो, सा, सी, सू, से, सो, दा)

आज के दिन आपको प्रत्येक कार्य में सावधानी रखने की सलाह है। जल्दबाजी में लिए गए निर्णय के कारण धन के साथ सम्मान की भी हानि हो सकती है। कार्य क्षेत्र पर अप्रिय घटनाओं के कारण दुविधा की स्थिति बनेगी। किसी पारिवारिक सदस्य के गलत आचरण से मन दुखी रहेगा मन में गलत विचार की भरमार रहने से सेहत पर बुरा असर पड़ेगा। सर अथवा अन्य शारीरिक अंग निष्क्रिय होते अनुभव होंगे। धैर्य से समय बिताएं।

 

मीन🐳 (दी, दू, थ, झ, ञ, दे, दो, चा, ची)

आज भी परिस्थितियां आपके अनुकूल रहने से लाभ के कई अवसर मिलेंगे परन्तु अज्ञान की स्थिति अथवा गलत सलाह के कारण लाभ होना संदिग्ध ही रहेगा। बहुप्रतीक्षित अतिमहत्त्वपूर्ण कार्य पूरा होगा। धन लाभ रुक-रुक कर होता रहेगा। घर में सुख के साधनों की वृद्धि होगी इसपर अधिक खर्च भी रहेगा। नए सम्बन्ध बनने से अतिरिक्त आय के मार्ग भी खुलेंगे। पारिवारिक दायित्वों की पूर्ति से आज पीछे नहीं हटेंगे।

*माता पार्वती से विवाह के लिए भगवान शिव की जब बारात चली, तो अलौकिक उस बारात की शोभा भी अनुपम थी। समस्त देवता अपने अपने गणों के साथ सुसज्जित होकर अपने अपने वाहनों पर विराजमा न होकर चल रहे थे। अनेकों दिव्य महर्षि राजर्षि आदि भी बारात में सम्मिलित थे। चारो वेद और पुराण मूर्त या अमूर्त रूप मे बारात में चल रहे थे। लक्ष्मी सरस्वती आदि देवियाँ भी मंगल कलश हाँथों मे लिए मंगलाचार करते हुए बारात में चल रहीं थीं। भगवान विष्णु और ब्रह्मा जी अपने अपने पार्षदों के साथ प्रसन्न होकर अपने अपने वाहनों पर विराजमान होकर चल रहे थे। चारो दिशा में ढोल, मृदंग,शंख, नगाड़े आदि की मधुर ध्वनि गूँज रही थी। और परम मंगलमय भगवान शिव दूल्हा वेष में सुसज्जित नन्दी वृषभ पर सवार होकर प्रसन्न होकर चल रहे थे। चण्डी देवी और मातृकाएँ भगवान शिव को चँवर डुलाते और पंखा झलते हुए चल रहीं थीं। भगवान शिव के गण भी नाचते झुमते गाते हुए चल रहे थे। देवगण शंख बजाकर मंगल ध्वनि कर रहे थे। बारात में सबसे आगे ब्रह्म राक्षसों का समूह स्वस्तिवाचन तथा वेद पाठ करते हुए चल रहा था। इस प्रकार भगवान शिव के अलौकिक दिव्य बारात की पुण्यमय शोभा अनुपम थी।*महाशिवरात्रि (निशीथकाल व्यापनी फाल्गुन कृष्ण चतुर्दशी) का त्यौहार क्यों मनाया जाता है और इसमें शिवपूजा क्यों की जाती है इसके बारे में अनेक कथाएं प्रचलित हैं परन्तु शिवपुराण में वर्णित रहस्य ही इसमें प्रमुख है जिसका ज्ञान प्रत्येक सनातनी को होना चाहिए। 

 

शिव पुराण में ईशान संहिता के अनुसार “फाल्गुनकृष्णचतुर्दश्यामादिदेवो महानिशि। शिवलिंगतयोद्भूत: कोटिसूर्यसमप्रभ:॥” अर्थात फाल्गुन कृष्ण चतुर्दशी की रात्रि में आदिदेव भगवान शिव करोडों सूर्यों के समान प्रभाव वाले लिंग रूप में प्रकट हुए इसलिए इसे महाशिवरात्रि मानते हैं। 

 

शिवपुराण में विद्येश्वर संहिता के अनुसार शिवरात्रि के दिन ब्रह्मा जी तथा विष्णु जी ने अन्यान्य दिव्य उपहारों द्वारा सबसे पहले शिव पूजन किया था जिससे प्रसन्न होकर महेश्वर ने कहा था की 

 

तुष्टो ऽहमद्य वां वत्सौ पूजया ऽस्मिन्महादिने।।९।।

दिनमेतत्ततः पुण्यं भविष्यति महत्तरम्। शिवरात्रिरिति ख्याता तिथिरेषा मम प्रिया।।१०।।

एतत्काले तु यः कुर्यात्पूजां मल्लिंगबेरयोः। कुर्यात्तु जगतः कृत्यं स्थितिसर्गादिकं पुमान्।।११।।

शिवरात्रावहोरात्रं निराहारो जितेंद्रियः। अर्चयेद्वा यथान्यायं यथाबलमवंचकः।।१२।।

यत्फलं मम पूजायां वर्षमेकं निरंतरम्। तत्फलं लभते सद्यः शिवरात्रौ मदर्चनात्।।१३।।

मद्धर्मवृद्धिकालोऽयं चंद्रकाल इवांबुधेः। प्रतिष्ठाद्युत्सवो यत्र मामको मंगलायनः।।१४।।

 

“आजका दिन एक महान दिन है | इसमें तुम्हारे द्वारा जो आज मेरी पूजा हुई है, इससे मैं तुम लोगोंपर बहुत प्रसन्न हूँ | इसीकारण यह दिन परम पवित्र और महान से महान होगा | आज की यह तिथि ‘शिवरात्रि’ के नामसे विख्यात होकर मेरे लिये परम प्रिय होगी | इसके समय में जो मेरे लिंग (निष्कल – अंग – आकृति से रहित निराकार स्वरूप के प्रतीक ) वेर (सकल – साकाररूप के प्रतीक विग्रह) की पूजा करेगा, वह पुरुष जगत की सृष्टि और पालन आदि कार्य भी कर सकता हैं | जो महाशिवरात्रि को दिन-रात निराहार एवं जितेन्द्रिय रहकर अपनी शक्ति के अनुसार निश्चलभाव से मेरी यथोचित पूजा करेगा, उसको मिलनेवाले फल का वर्णन सुनो | एक वर्षतक निरंतर मेरी पूजा करनेपर जो फल मिलता हैं, वह सारा केवल महाशिवरात्रि को मेरा पूजन करने से मनुष्य तत्काल प्राप्त कर लेता हैं | जैसे पूर्ण चंद्रमा का उदय समुद्र की वृद्धि का अवसर हैं, उसी प्रकार यह महाशिवरात्रि तिथि मेरे धर्म की वृद्धि का समय हैं | इस तिथिमे मेरी स्थापना आदि का मंगलमय उत्सव होना चाहिये |    

*आप सभी को महाशिवरात्री की बहुतबहुत शुभकामनाएं बधाई हो*

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करोड़ों लोगों की दिनचर्या हनुमान चालीसा पढ़ने से आरंभ होती है। पर क्या आप जानते हैं कि श्री *हनुमान चालीसा* में 40 चौपाइयां हैं, ये उस क्रम में लिखी गई हैं जो सामान्य मनुष्यों के जीवन का क्रम होता है।

माना जाता है तुलसीदास द्वारा हनुमान चालीसा का प्राकट्य रामचरितमानस से पूर्व किया गया था। 
हनुमान को गुरु बनाकर उन्होंने राम को पाने का अनुनय किया।
यदि आप केवल हनुमान चालीसा पढ़ रहे हैं तो यह आपको भीतरी शक्ति तो दे रही है लेकिन यदि आप इसके अर्थ में छिपे जीवन के सूत्र समझ लें तो आपको जीवन के हर क्षेत्र में सफलता दिला सकते हैं।
हनुमान चालीसा सनातन परंपरा में लिखी गई पहली चालीसा है शेष सभी चालीसाएं इसके बाद ही लिखी गई।
हनुमान चालीसा के आरंभ से अंत तक सफलता के कई सूत्र हैं। आइए जानते हैं हनुमान चालीसा से आप अपने जीवन में क्या-क्या परिवर्तन ला सकते हैं….
*आरंभ गुरु से…*
हनुमान चालीसा का आरंभ *गुरु* से हुआ है…
श्रीगुरु चरन सरोज रज,
निज मनु मुकुरु सुधारि।
*अर्थ* – अपने गुरु के चरणों की धूल से अपने मन के दर्पण को साफ करता हूं।
गुरु का महत्व चालीसा की पहले दोहे की पहली लाइन में लिखा गया है। जीवन में गुरु नहीं है तो आपको कोई आगे नहीं बढ़ा सकता। गुरु ही आपको सही मार्ग दिखा सकते हैं।
इसलिए तुलसीदास ने लिखा है कि गुरु के चरणों की धूल से मन के दर्पण को साफ करता हूं। आज के युग में गुरु हमारा मेंटोर भी हो सकता है, बॉस भी। माता-पिता को पहला गुरु ही कहा गया है।
समझने वाली बात ये है कि गुरु यानी अपने से बड़ों का सम्मान करना जरूरी है। यदि उन्नति की राह पर आगे बढ़ना है तो विनम्रता के साथ बड़ों का सम्मान करें।
*ड्रेसअप का रखें ख्याल…*
चालीसा की चौपाई है
कंचन बरन बिराज सुबेसा,
कानन कुंडल कुंचित केसा।
*अर्थ* – आपके शरीर का रंग सोने की तरह चमकीला है, सुवेष यानी अच्छे वस्त्र पहने हैं, कानों में कुंडल हैं और बाल संवरे हुए हैं।
आज के दौर में आपकी तरक्की इस बात पर भी निर्भर करती है कि आप रहते और दिखते कैसे हैं। प्रथम प्रभाव अच्छा होना चाहिए।
अगर आप बहुत गुणवान भी हैं लेकिन अच्छे से नहीं रहते हैं तो ये बात आपके करियर को प्रभावित कर सकती है। इसलिए, रहन-सहन और ड्रेसअप हमेशा अच्छा रखें।
आगे पढ़ें – हनुमान चालीसा में छिपे मैनेजमेंट के सूत्र…
*सिर्फ डिग्री काम नहीं आती*
बिद्यावान गुनी अति चातुर,
राम काज करिबे को आतुर।
*अर्थ* – आप विद्यावान हैं, गुणों की खान हैं, चतुर भी हैं। राम के काम करने के लिए सदैव आतुर रहते हैं।
आज के दौर में एक अच्छी डिग्री होना बहुत जरूरी है। लेकिन चालीसा कहती है सिर्फ डिग्री होने से आप सफल नहीं होंगे। विद्या हासिल करने के साथ आपको अपने गुणों को भी बढ़ाना पड़ेगा, बुद्धि में चतुराई भी लानी होगी। हनुमान में तीनों गुण हैं, वे सूर्य के शिष्य हैं, गुणी भी हैं और चतुर भी।
*अच्छा लिसनर बनें*
प्रभु चरित सुनिबे को रसिया,
राम लखन सीता मन बसिया।
*अर्थ* -आप राम चरित यानी राम की कथा सुनने में रसिक है, राम, लक्ष्मण और सीता तीनों ही आपके मन में वास करते हैं।
जो आपकी प्रायोरिटी है, जो आपका काम है, उसे लेकर सिर्फ बोलने में नहीं, सुनने में भी आपको रस आना चाहिए।
अच्छा श्रोता होना बहुत जरूरी है। अगर आपके पास सुनने की कला नहीं है तो आप कभी अच्छे लीडर नहीं बन सकते।
*कहां, कैसे व्यवहार करना है ये ज्ञान जरूरी है*
सूक्ष्म रुप धरि सियहिं दिखावा, बिकट रुप धरि लंक जरावा।
*अर्थ* – आपने अशोक वाटिका में सीता को अपने छोटे रुप में दर्शन दिए। और लंका जलाते समय आपने बड़ा स्वरुप धारण किया।
कब, कहां, किस परिस्थिति में खुद का व्यवहार कैसा रखना है, ये कला हनुमानजी से सीखी जा सकती है।
सीता से जब अशोक वाटिका में मिले तो उनके सामने छोटे वानर के आकार में मिले, वहीं जब लंका जलाई तो पर्वताकार रुप धर लिया।
अक्सर लोग ये ही तय नहीं कर पाते हैं कि उन्हें कब किसके सामने कैसा दिखना है।
*अच्छे सलाहकार बनें*
तुम्हरो मंत्र बिभीसन माना, लंकेस्वर भए सब जग जाना।
*अर्थ* – विभीषण ने आपकी सलाह मानी, वे लंका के राजा बने ये सारी दुनिया जानती है।
हनुमान सीता की खोज में लंका गए तो वहां विभीषण से मिले। विभीषण को राम भक्त के रुप में देख कर उन्हें राम से मिलने की सलाह दे दी।
विभीषण ने भी उस सलाह को माना और रावण के मरने के बाद वे राम द्वारा लंका के राजा बनाए गए। किसको, कहां, क्या सलाह देनी चाहिए, इसकी समझ बहुत आवश्यक है। सही समय पर सही इंसान को दी गई सलाह सिर्फ उसका ही फायदा नहीं करती, आपको भी कहीं ना कहीं फायदा पहुंचाती है।
*आत्मविश्वास की कमी ना हो*
प्रभु मुद्रिका मेलि मुख माही, जलधि लांघि गए अचरज नाहीं।
*अर्थ* – राम नाम की अंगुठी अपने मुख में रखकर आपने समुद्र को लांघ लिया, इसमें कोई अचरज नहीं है।
अगर आपमें खुद पर और अपने परमात्मा पर पूरा भरोसा है तो आप कोई भी मुश्किल से मुश्किल टॉस्क को आसानी से पूरा कर सकते हैं।
आज के युवाओं में एक कमी ये भी है कि उनका भरोसा बहुत टूट जाता है। आत्मविश्वास की कमी भी बहुत है। प्रतिस्पर्धा के दौर में आत्मविश्वास की कमी होना खतरनाक है। अपनेआप पर पूरा भरोसा रखें।– डॉ0 विजय शंकर मिश्र