आज का पंचाग आपका राशि फल, भगवान बद्रीविशाल के पार्षद कुबेर जी, पूर्व राष्ट्रपति डाॅ राजेन्द्र प्रसाद की मृत्यु का राज जान कर चौंक जायेंगे आप? भारत में रेल अंग्रेजों के कारण नहीं बल्कि बंबई के साहुकार श्री नाना शंकरशेठ के कारण भारत आयी

*आज देवताओं के वित्त अधिकारी और भगवान बद्रीविशाल जी पंचायतन के पार्षद कुबेर जी बामणी गांव आयेंगे। बद्रीनाथ के कपाट खुलने के बाद बद्रीशपुरी के निकट स्थित बामणी गांव में भी इन दिनों चहल पहल बढ़ जाती है। 6 महीने की प्रतीक्षा के बाद गाँव में पसरा सन्नाटा  कपाट खुलने के बाद दूर हो जाता है। गांव के ग्रामीण अपनी गाय व घोड़ों के संग गांव लौट आयें हैं। बामणी गांव के लोग 6 महीने अपने शीतकालीन प्रवास हेतु निचले गांव पांडुकेशर आ जाते हैं। ग्रामीणों की आर्थिकी पूरी तरह से बद्रीनाथ की यात्रा पर निर्भर है परम्परागत रूप से उन्हें बद्रीविशाल में विशेषाधिकार मिले हुए हैं। साथ ही तुलसी माला और प्रसाद का कार्य इन्हीं लोगों के पास है। डाल दी भूखे की थाली में जिसने रोटियां वही पूजा की थाली हो गयी ✍️हरीश मैखुरी 

🕉श्री हरिहरौ विजयतेतराम🕉
🌄सुप्रभातम🌄
🗓आज का पञ्चाङ्ग🗓
🌻रविवार, ११ जून २०२३🌻

सूर्योदय: 🌄 ०५:३६
सूर्यास्त: 🌅 ०७:१५
चन्द्रोदय: 🌝 २५:१७
चन्द्रास्त: 🌜१२:४१
अयन 🌖 उत्तरायणे (उत्तरगोलीय)
ऋतु: 🌡️ग्रीष्म
शक सम्वत: 👉 १९४५ (शोभकृत)
विक्रम सम्वत: 👉 २०८० (नल)
मास 👉 आषाढ
पक्ष 👉 कृष्ण
तिथि 👉 अष्टमी (१२:०५ से नवमी)
नक्षत्र 👉 पूर्वाभाद्रपद (१४:३२ से उत्तराभाद्रपद)
योग 👉 प्रीति (१०:११ से आयुष्मान)
प्रथम करण 👉 कौलव (१२:०५ तक)
द्वितीय करण 👉 तैतिल (२३:१७ तक)
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॥ गोचर ग्रहा: ॥
🌖🌗🌖🌗
सूर्य 🌟 वृष
चंद्र 🌟 मीन (०८:४६ से)
मंगल 🌟 कर्क (उदित, पश्चिम, मार्गी)
बुध 🌟 वृष (उदय, पूर्व, मार्गी)
गुरु 🌟 मेष (उदित, पश्चिम, मार्गी)
शुक्र 🌟 कर्क (उदित, पश्चिम)
शनि 🌟 कुम्भ (उदित, पूर्व, मार्गी)
राहु 🌟 मेष
केतु 🌟 तुला
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शुभाशुभ मुहूर्त विचार
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अभिजित मुहूर्त 👉 ११:४८ से १२:४५
अमृत काल 👉 ०६:५४ से ०८:२६
सर्वार्थसिद्धि योग 👉 १४:३२ से २९:१५
विजय मुहूर्त 👉 १४:३७ से १५:३३
गोधूलि मुहूर्त 👉 १९:१७ से १९:३७
सायाह्न सन्ध्या 👉 १९:१८ से २०:१८
निशिता मुहूर्त 👉 २३:५७ से २४:३६
राहुकाल 👉 १७:३३ से १९:१८
राहुवास 👉 उत्तर
यमगण्ड 👉 १२:१७ से १४:०२
होमाहुति 👉 गुरु – १४:३२ से राहु
दिशा शूल 👉 पश्चिम
नक्षत्र शूल 👉 दक्षिण (१४:३२ तक)
अग्निवास 👉 आकाश
चन्द्र वास 👉 पश्चिम (उत्तर ०८:४६ से)
शिववास 👉 गौरी के साथ (१२:०५ से सभा में)
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☄चौघड़िया विचार☄
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॥ दिन का चौघड़िया ॥
१ – उद्वेग २ – चर
३ – लाभ ४ – अमृत
५ – काल ६ – शुभ
७ – रोग ८ – उद्वेग
॥रात्रि का चौघड़िया॥
१ – शुभ २ – अमृत
३ – चर ४ – रोग
५ – काल ६ – लाभ
७ – उद्वेग ८ – शुभ
नोट– दिन और रात्रि के चौघड़िया का आरंभ क्रमशः सूर्योदय और सूर्यास्त से होता है। प्रत्येक चौघड़िए की अवधि डेढ़ घंटा होती है।
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शुभ यात्रा दिशा
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उत्तर-पश्चिम (पान का सेवन कर यात्रा करें)
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तिथि विशेष
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विवाहादि मुहूर्त कन्या लग्न (दोपहर ०२:२७ से ०२:५४), गोधुलि (सांय ०६:३५ से रात्रि ०८:०९), धनु लग्न (सायं ०७:३२ से रात्रि ०९:३६), मेष वृष लग्न (मध्यरात्रि ०२:१७ से अंतरात्रि ०५:३५) तक आदि।
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आज जन्मे शिशुओं का नामकरण
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आज १४:३२ तक जन्मे शिशुओ का नाम पूर्वाभाद्रपद नक्षत्र के तृतीय एवं चतुर्थ चरण अनुसार क्रमशः (द, दि) नामक्षर से तथा इसके बाद जन्मे शिशुओ का नाम उत्तराभाद्रपद नक्षत्र के प्रथम, द्वितीय एवं तृतीय चरण अनुसार क्रमशः (दू, थ, झ) नामक्षर से रखना शास्त्रसम्मत है।
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उदय-लग्न मुहूर्त
वृषभ – २७:४२ से ०५:३६
मिथुन – ०५:३६ से ०७:५१
कर्क – ०७:५१ से १०:१३
सिंह – १०:१३ से १२:३२
कन्या – १२:३२ से १४:५०
तुला – १४:५० से १७:११
वृश्चिक – १७:११ से १९:३०
धनु – १९:३० से २१:३४
मकर – २१:३४ से २३:१५
कुम्भ – २३:१५ से २४:४१
मीन – २४:४१ से २६:०४
मेष – २६:०४ से २७:३८
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पञ्चक रहित मुहूर्त
चोर पञ्चक – ०५:१५ से ०५:३६
शुभ मुहूर्त – ०५:३६ से ०७:५१
रोग पञ्चक – ०७:५१ से १०:१३
शुभ मुहूर्त – १०:१३ से १२:०५
मृत्यु पञ्चक – १२:०५ से १२:३२
अग्नि पञ्चक – १२:३२ से १४:३२
शुभ मुहूर्त – १४:३२ से १४:५०
रज पञ्चक – १४:५० से १७:११
शुभ मुहूर्त – १७:११ से १९:३०
चोर पञ्चक – १९:३० से २१:३४
शुभ मुहूर्त – २१:३४ से २३:१५
रोग पञ्चक – २३:१५ से २४:४१
शुभ मुहूर्त – २४:४१ से २६:०४
शुभ मुहूर्त – २६:०४ से २७:३८
रोग पञ्चक – २७:३८ से २९:१५
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आज का राशिफल
🐐🐂💏💮🐅👩
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मेष🐐 (चू, चे, चो, ला, ली, लू, ले, लो, अ)
आज का दिन आपके लिये हानिकर है प्रत्येक कार्य सोच समझ कर ही करें धन सम्बन्धित कार्य आज टालना ही बेहतर रहेगा। आज किसी से पुरानी उधारी मांगने पर विवाद भी हो सकता है ज्यादा बहस में ना उतरे डूबने की आशंका है। सेहत प्रातः काल से ही नरम रहेगी बाहर का खान-पान एवं शीतल प्रदार्थ ज्यादा गड़बड़ करेगा इनसे दूर रहेगें। नौकरी पेशा जातको को लापरवाही के कारण अधिकारियों की डांट सुन्नी पड़ेगी। व्यवसायी वर्ग भी समय से वादा पूर्ण ना करने पर अपमानित हो सकते है। व्यवसाय मे लगभग सभी कार्य आपकी सोच के विपरीत ही होंगे नए कार्यो में पैसा ना फ़सायें पहले अधूरे कार्य पूर्ण करें धन लाभ अल्प मात्रा में ही होगा। महिलाये शारीरिक क्षमता कम रहने से मामूली बातो से चिढ़ जाएंगी।

वृष🐂 (ई, ऊ, ए, ओ, वा, वी, वू, वे, वो)
आज के दिन आप जितना भी परिश्रम करेंगे निकट भविष्य में शीघ्र ही इसका लाभ धन अथवा अन्य उपहार सम्मान के रूप में मिलेगा। व्यवहारिकता में थोड़ी कमी रहेगी जिससे आपकी छवि अभिमानियों जैसी बनेगी। कार्य क्षेत्र पर आज अधिकारियो का प्रोत्साहन मिलने से उन्नति के मार्ग खुलेंगे। व्यवसाय में लाभ पाने के लिए थोड़ा परिश्रम करना पड़ सकता है इसका फल संध्या के आसपास आश्चर्य में डालने वाला रहेगा। अनैतिक कार्यो में पड़ने से मान हानि के योग बनेंगे इससे दूर रहें। परिजनों से मधुर भावनात्मक सम्बन्ध रहेंगे घरेलू समस्याओ को महिलाये अपने बल पर सुलझा लेंगी। संध्या के समय शुभ समाचार मिलेंगे। उत्तम भोजन वाहन मनोरंजन यात्रा से आनंद मिलेगा थकान भी होगी।

मिथुन👫 (का, की, कू, घ, ङ, छ, के, को, हा)
आज का दिन सुख-समृद्धि दायक रहेगा। व्यवसाय में भी उन्नति होगी साथ ही मित्र परिचितों के बीच सम्मान बढेगा। आज धार्मिक गतिविधियों में हिस्सा लेने से मानसिक रूप से भी हल्कापन अनुभव करेंगे लेकिन नौकरी वाले लोग कार्य क्षेत्र पर अपने दुराचरण के कारण अपमानित हो सकते है। अचानक किसी की सहायता अथवा स्वभाव परिवर्तन देख कर आश्चर्य चकित रह जायेंगे। काम-धंधा आशाजनक रहेगा परन्तु उधारी वाले व्यवहारों से निजात पाना असंभव होगा इसी वजह से धन संचय करने में भी परेशानी आएगी। खर्च आज आसानी से निकाल लेंगे। सरकारी कार्य आगे बढ़ेंगे। महिलाये आज किसी कारण से पुरुषों के ऊपर आश्रित होंगी। सेहत लगभग सामान्य ही रहेगी।

कर्क🦀 (ही, हू, हे, हो, डा, डी, डू, डे, डो)
आज का दिन आपके लिये थोड़ा उठापटक वाला रहेगा। आज आर्थिक लाभ की संभवनाएं भी रहेंगी परन्तु आप अपने मन के विचार अथवा व्यवसाय का प्रचार संकोची वृति रहने के कारण खुल कर नही कर सकेंगे फिर भी आज आप दिन भर की गतिविधियों से संतोषी रहेंगे। आर्थिक विषयो को लेकर ज्यादा सरदर्दी नही लेंगे आवश्यकता अनुसार हो भी जाएगा। संतोषी स्वभाव रहने के कारण मानसिक रूप से भी शांत ही रहेंगे परन्तु किसी आवश्यक कार्य को करने में हड़बड़ी अवश्य करेंगे उसके बाद भी कार्य लंबित रहने पर निराशा होगी। महिलाये आज अपने मे ही मगन रहेंगी जिससे घरेलू कार्य थोड़े अस्त-व्यस्त होंगे। आकस्मिक कार्य पड़ने पर दिनचार्य में बदलाव करना पड़ेगा।

सिंह🦁 (मा, मी, मू, मे, मो, टा, टी, टू, टे)
आज का दिन आपके लिये विषम परिस्थितियों वाला रहेगा। कार्य भार अधिक रहेगा परन्तु सेहत आज नरम रहेगी। घर एवं कार्य क्षेत्र पर अव्यवस्था अधिक रहेगी। व्यवहार में भी उदासीनता रहेगी आकर्षण की कमी रहने के कारण लोगो से मेल जोल नही बना सकेंगे। लाभ के अवसर हाथ से निकाल देंगे बाद में इसकी ग्लानि भी होगी। पारिवारिक दायित्वों की पूर्ति हेतु धन को लेकर आज ज्यादा चिंतित रहेंगे आपकी परेशानी का हल शीघ्र ही निकल भी जाएगा महिलाये आर्थिक मामलों में मददगार रहेंगी। मित्र परिचित आवश्यकता पड़ने पर सहायता करेंगे जिससे मन को राहत मिलेगी। परिवारक सदस्यों का महत्त्व जानेंगे। सेहत ठीक रहेगी लेकिन फिर भी आलस्य करेंगे।

कन्या👩 (टो, पा, पी, पू, ष, ण, ठ, पे, पो)
आज के दिन आपकी दिनचार्य आनंद प्रदान करेगी। नौकरी पेशाओ को आज कार्य क्षेत्र पर अपनी प्रतिभा दिखाने का अवसर मिलेगा पद प्रतिष्ठा में शीघ्र ही वृद्धि होने की सम्भवना बनेगी। सरकारी कार्य भी आज जोड़ तोड़ कर आगे बढ़ने से राहत मिलेगी। व्यवसायी वर्ग के मन मे कुछ ना कुछ उथल पुथल लगी रहेगी धन लाभ के लिए जुगाड़ू प्रवृति अपनाएंगे फिर भी सफलता संदिग्ध ही रहेगी। महिलाये ले देकर अपना काम बना ही लेंगी घरेलू साज सज्जा पर खर्च भी करेंगी। मध्यान पश्चात का समय स्नेही जनों के साथ उत्तम भोजन लघु पर्यटन में आनंद से व्यतीत होगा। आपको घर के बुजुर्ग अथवा किसी वरिष्ठ अधिकारी से खरी खोटी भी सुनने को मिलेगी।

तुला⚖️ (रा, री, रू, रे, रो, ता, ती, तू, ते)
आज भी दिन आपकी आशाओ पर खरा उतरेगा लेकिन आज आप संबंधों को ज्यादा महत्त्व दें अन्यथा धन की लालसा में लोगो से दूरी बना लेंगे आज आर्थिक स्थिति में स्वाभाविक बढ़ोतरी होगी ज्यादा हाथ पैर ना मारें। आज व्यवसाय अथवा अन्य जोखिम वाले कार्यो में निवेश निसंकोच होकर करें विलम्ब से ही सही नतीजे पक्ष में ही रहेंगे। व्यवसाय में दुविधा की स्थिति से बाहर निकलने के लिए किसी अनुभवी का मार्गदर्शन लें धन लाभ आज निश्चित होकर रहेगा। महिलाये आज मानसिक रूप से प्रसन्न रहेगी पारिवारिक वातावरण को भी महकाएंगी। दाम्पत्य जीवन मे भी आत्मीयता रहेगी। बेरोजगार नए कार्य से जुड़ेंगे व्यर्थ बहस वाले प्रसंगों से दूर रहें।

वृश्चिक🦂 (तो, ना, नी, नू, ने, नो, या, यी, यू)
आज का दिन आपकी बौद्धिक क्षमता में वृद्धि तो कराएगा परन्तु आज धैर्य की कमी रहने के कारण इसका लाभ नही उठा पाएंगे। कार्य क्षेत्र अथवा घर पर किसी गलतफहमी के कारण मन अशांत रहेगा लोगो को संदेह की दृष्टि से देखेंगे।मध्यान बाद महिला एवं पुरुष दोनों ही अपने निखरे हुए व्यक्तित्त्व के बल पर समाज से सम्मान पाने के अधिकारी बनेंगे। आर्थिक लाभ के भी कई अवसर मिलेंगे साथ ही मितव्ययी प्रवृति रहने से बचत भी कर सकेंगे लेकिन आज उधारी भूल से भी ना दें नया ही किसी से लें। स्त्री वर्ग भी आज आर्थिक मामलों में परिवार की मदद करेंगी। शारीरिक दर्द एवं सर्दी जुखाम की संभावना है।

धनु🏹 (ये, यो, भा, भी, भू, ध, फा, ढा, भे)
आपका आज का दिन कलह क्लेश की भेंट चढेगा आज घर एवं बाहर के लोगो का अमर्यादित आचरण आपको आवेश में रखेगा आपके अंदर भी धैर्य की कमी रहने के कारण बात बात पर किसी से भी उलझ पड़ेंगे। प्रातः काल मे ही आसपडोसी अथवा पारिवारिक सदस्य से कहासुनी होगी। अहम की भावना भी अधिक रहने से गलती करने पर भी मानेंगे नही करेंगे क्रोध में आकर जो मन मे आये बोल देंगे बाद में इसकी ग्लानि भी होगी। व्यावसायिक स्थिति भी आपके रूखे व्यवहार के चलते उतार चढ़ाव से भरी रहेगी। धन लाभ के लिए स्वभाव में नरमी रखना आवश्यक है अन्यथा भविष्य के लाभ से भी हाथ धो बैठेंगे। महिलाये परिवार के सदस्यों को एकजुट रखने की असफल कोशिश करेंगी।

मकर🐊 (भो, जा, जी, खी, खू, खा, खो, गा, गी)
आज का दिन आपके लिये नई खुशिया लाएगा। आज आर्थिक रूप से स्थिति सुदृढ़ बनेगी फिर भी धन संबंधित मामलों में ज्यादा सावधानी बरतें अन्यथा आपके भाग्य का लाभ किसी और के हिस्से में भी जा सकता है। स्वभाव में अकड रहने से किसी से मन की बात नही कर सकेंगे। दोपहर से घर एवं बाहर का वातावरण अनुकूल होगा मन इच्छित कार्य कर सकेंगे। आलस्य रहेगा लेकिन जिम्मेदारियों को समय पर पूर्ण करेंगे। पारिवारिक जिम्मेदारी ज्यादा रहने से व्यवसाय में तालमेल बैठाने में थोड़ी मुश्किल रहेगी फिर भी इनपर विजय पा लेंगे। दैनिक उपभोग की वस्तुओं के साथ ही धार्मिक खर्च भी रहेंगे। महिलाये किसी कारण से नाराज रहेंगी।

कुंभ🍯 (गू, गे, गो, सा, सी, सू, से, सो, दा)
आज का दिन हर तरह से पिछले दिन की अपेक्षा बेहतर रहेगा लेकिन आज आप किसी की बातों तो तुरंत उत्तर ना दे ना ही किसी से प्रतिशोध की भावना रखे अन्यथा अनुकूलता का लाभ मिलना मुश्किल रहेगा। बैठे बिठाए राय देने वाले भी आज अधिक मिलेंगे इनको अनदेखा कर अपनी बुद्धि का इस्तेमाल करें परिश्रम का उचित फल अवश्य मिलेगा। नौकरी वाले लोगो को भाग-दौड़ अधिक रहेगी अधिकारी वर्ग आपके निर्णयों से सहमत रहेंगे आज अधिकारियों से अपना काम निकालने के लिये भी दिन उपयुक्त है। धन लाभ जिस समय उम्मीद नही होगी तब अकस्मात होगा। महिलाये परिवार के लिए सहयोगी रहेंगी सेहत थोड़ी शिथिल होने पर भी कार्य समय पर पूर्ण कर लेंगी।

मीन🐳 (दी, दू, थ, झ, ञ, दे, दो, चा, ची)
आज आपका स्वभाव अन्य दिनों की अपेक्षा शांत रहेगा। हास-परिहास करने से आस-पास का वातावरण हल्का बनाएंगे। लेकिन आज किसी परिजन के विपरीत व्यवहार पर क्रोध आने से कुछ समय के लिए अशांति बनेगी। आप प्रत्येक कार्य को बेहतर करने का प्रयास करेंगे। कार्य व्यवसाय से धन लाभ लेदेकर हो जाएगा। महिलाये आज अकस्मात किसी शुभसमाचार मिलने से आनंदित रहेंगी। बेरोजगार लोग भी आज हतोत्साहित ना हो प्रयास करने पर आशाजनक रोजगार से जुड़ सकते है। आर्थिक दृष्टिकोण से दिन अच्छा रहेगा खर्च भी आज कम रहने से धन संचय कर पाएंगे। स्वास्थ्य थोड़ा नरम रहेगा। आलस्य के कारण नींद आने की बीमारी से ग्रस्त रह सकते है।
〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️🙏राधे राधे🙏

देश के पहले राष्ट्रपति की मौत का सच ,पढ़ेगें तो चौक जाएंगे????

सोमनाथ मंदिर के लिए डा. राजेंद्र प्रसाद व सरदार पटेल को बड़ी कीमत चुकानी पड़ी

ये जगजाहिर है कि जवाहल लाल नेहरू सोमनाथ मंदिर के पक्ष में नहीं थे.

 महात्मा गांधी जी की सहमति से सरदार पटेल ने सोमनाथ मंदिर के पुनर्निर्माण का काम शुरु किया था. पटेल की मौत के बाद मंदिर की जिम्मेदारी के एम मुंशी पर आ गई. मुंशी नेहरू की कैबिनेट के मंत्री थे. गांधी और पटेल की मौत के बाद नेहरू का विरोध और तीखा होने लगा था.

 एक मीटिंग में तो उन्होंने मुंशी की फटकार भी लगाई थी. उन पर हिंदू-रिवाइवलिज्म और हिंदुत्व को हवा देने का आरोप भी लगा दिया. लेकिन, मुंशी ने साफ साफ कह दिया था कि सरदार पटेल के काम को अधूरा नहीं छोड़ेगे. 

के एम मुंशी भी गुजराती थे इसलिए उन्होंने सोमनाथ मंदिर बनवा के ही दम लिया. फिर उन्होंने मंदिर के उद्घाटन के लिए देश के पहले राष्ट्रपति डा. राजेंद्र प्रसाद को न्यौता दे दिया. उन्होंने इस न्यौते को बड़े गर्व से स्वीकार किया लेकिन जब जवाहर लाल नेहरू की इसका पता चला तो वे नाराज हो गए. उन्होंने पत्र लिख कर डा. राजेंद्र प्रसाद को सोमनाथ जाने से मना कर दिया. राजेंद्र बाबू भी तन गए. नेहरू की बातों को दरकिनार कर वो सोमनाथ गए और जबरदस्त भाषण दिया था. जवाहर लाल नेहरू को इससे जबरदस्त झटका लगा. उनके इगो को ठेंस पहुंची. उन्होंने इसे अपनी हार मान ली. डा. राजेंद्र प्रसाद को सोमनाथ जाना बड़ा महंगा पड़ा क्योंकि इसके बाद नेहरू ने जो इनके साथ सलूक किया वो हैरान करने वाला है.

सोमनाथ मंदिर की वजह से डा. राजेंद्र प्रसाद और जवाहर लाल नेहरू के रिश्ते में इतनी कड़वाहट आ गई कि जब राजेंद्र बाबू राष्ट्रपति पद से मुक्त हुए तो नेहरू ने उन्हें दिल्ली में घर तक नहीं दिया

राजेंद्र बाबू दिल्ली में रह कर किताबें लिखना चाहते थे. लेकिन, नेहरू ने उनके साथ अन्याय किया. एक पूर्व राष्ट्रपति को सम्मान मिलना चाहिए, उनका जो अधिकार था उससे उन्हें वंचित कर दिया गया.

 आखिरकार, डा. राजेंद्र प्रसाद को पटना लौटना पड़ा. पटना में भी उनके पास अपना मकान नहीं था. पैसे नहीं थे. नेहरू ने पटना में भी उन्हें कोई घर नहीं दिया जबकि वहां सरकारी बंगलो और घरों की भरमार है. 

डा. राजेंद्र प्रसाद आखिरकार पटना के सदाकत आश्रम के एक सीलन भरे कमरे में रहने लगे. न कोई देखभाल करने वाला और न ही डाक्टर. उनकी तबीयत खराब होने लगी. उन्हें दमा की बीमारी ने जकड़ लिया. दिन भर वो खांसते रहते थे. अब एक पूर्व राष्ट्रपति की ये भी तो दुविधा होती है कि वो मदद के लिए गिरगिरा भी नहीं सकता.राष्ट्रपति पद से हटने के बाद डॉ. राजेंद्र प्रसाद पटना के सदाकत आश्रम में रहने चले आए थे

डॉ. राजेंद्र प्रसाद के आखिरी दिन बीमारी के बीच पटना में ही गुजरे थे

वह ऐसे राष्ट्रपति थे जिन्होंने अपनी आधी से ज्यादा तनख्वाह राष्ट्रीय कोष में दे दी थी

देश के पहले राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद की आज पुण्यतिथि है. उनका निधन पटना में 28 फरवरी 1963 में हो गया था. इससे पहले वो बीमार थे. बीमारी की ही वजह से उन्होंने दो कार्यकाल के बाद राष्ट्र्पति पद से हटने का फैसला किया था. उनके आखिरी दिन पटना के सदाकत आश्रम में सादगी के बीच बीते.

 

राजेंद्र प्रसाद 26 जनवरी 1950 को देश के पहले राष्ट्रपति बने थे. उसके बाद 1952 में उन्होंने राष्ट्रपति के रूप में अपना पहला कार्यकाल शुरू किया. 1957 में उन्होंने फिर राष्ट्रपति पद के तौर पर दूसरे कार्यकाल के लिए चुनाव जीता. दूसरे कार्यकाल के दौरान ही उनका स्वास्थ्य खराब रहने लगा. लिहाजा उन्होंने इस कार्यकाल के पद से हटने का फैसला किया. वह राष्ट्रपति भवन को विदा कहकर पटना आ गये। लेकिन राजेंद्र बाबू के पटना आने के बाद नेहरू ने कभी ये सुध लेने की कोशिश भी नहीं कि देश का पहला राष्ट्रपति किस हाल में जी रहा है?

इतना ही नहीं, जब डा. राजेंद्र प्रसाद की तबीयत खराब रहने लगी, तब भी किसी ने ये जहमत नहीं उठाई कि उनका अच्छा इलाज करा सके. 

बिहार में उस दौरान कांग्रेस पार्टी की सरकार थी. आखिर तक डा. राजेन्द्र बाबू को अच्छी स्वास्थ्य सुविधाएं नहीं मिलीं. उनके साथ बेहद बेरुखी वाला व्यवहार होता रहा. मानो ये किसी के निर्देश पर हो रहा हो. उन्हें कफ की खासी शिकायत रहती थी. उनकी कफ की शिकायत को दूर करने के लिए पटना मेडिकल कालेज में एक मशीन थी. उसे भी दिल्ली भेज दिया गया. यानी राजेन्द्र बाबू को मारने का पूरा और पुख्ता इंतजाम किया गया.

एक बार जय प्रकाश नारायण उनसे मिलने सदाकत आश्रम पहुंचे. वो देखना चाहते थे कि देश पहले राष्ट्रपति और संविधान सभा के अध्यक्ष आखिर रहते कैसे हैं. जेपी ने जब उनकी हालत देखी तो उनका दिमाग सन्न रह गया. आंखें नम हो गईं. 

उन्हें समझ में नहीं आ रहा था कि आखिर वो क्या कहें. जेपी ने फौरन अपने सहयोगियों से कहकर रहने लायक बनवाया. लेकिन, उसी कमरे में रहते हुए राजेन्द्र बाबू की 28 फरवरी,1963 को मौत हो गई. 

डा. राजेंद्र प्रसाद की मौत के बाद भी नेहरू का कलेजा नहीं पसीजा. उनकी बेरुखी खत्म नहीं हुई. नेहरू ने उनकी अंत्येष्टि में शामिल तक नहीं हुए. जिस दिन उनकी आखरी यात्रा थी उस दिन नेहरू जयपुर चले गए. इतना ही नहीं, राजस्थान के राज्यपाल डां. संपूर्णानंद पटना जाना चाह रहे थे लेकिन नेहरू ने उन्हें वहां जाने से मना कर दिया. 

जब नेहरु को मालूम चला कि संपूर्णानंद जी पटना जाना चाहते हैं तो उन्होंने संपूर्णानंद से कहा कि ये कैसे मुमकिन है कि देश का प्रधानमंत्री किसी राज्य में आए और उसका राज्यपाल वहां से गायब हो. इसके बाद डा. संपूर्णानंद ने अपना पटना जाने का कार्यक्रम रद्द किया. 

यही नहीं, नेहरु ने राजेन्द्र बाबू के उतराधिकारी डा. एस. राधाकृष्णन को भी पटना न जाने की सलाह दी. लेकिन, राधाकृष्णन ने नेहरू की बात नहीं मानी और वो राजेन्द्र बाबू के अंतिम संस्कार में भाग लेने पटना पहुंचे. जब भी दिल्ली के राजघाट से गुजरता हूं तो डा. राजेंद्र प्रसाद के साथ नेहरू के रवैये को याद करता हूं. अजीब देश है, महात्मा गांधी के बगल में संजय गांधी को जगह मिल सकती है लेकिन देश के पहले राष्ट्रपति के लिए इस देश में कोई इज्जत ही नहीं है. 

सोमनाथ मंदिर के पक्ष में होनें के कारण सरदार बल्लभ भाई पटेल को भी कांग्रेसियों ने कोई सम्मान आज तक नहीं दिया , जबकि मस्जिद क प्रेमियों को बडे बडे मंत्रालय दिये गए ၊

पूरे देश में बस गांधी परिवार के नाम पर ही स्मारक और योजनाएं बनाई गई ,ऐसा लगता है कि इस देश में महानता और बलिदान की कॉपी राइट सिर्फ नेहरू-गांधी परिवार के पास है.

सच ईश्वर है 

सच का साथ देना ही ईश्वर भक्ति है 

आप कौन हैं ,आपके कर्म ही तय करेंगें ,आप स्वयं नहीं। (साभार ✍️डा० पवन त्यागी) 

*आज जो भारत में रेलवे है.., उसको भारत में कौन लाया ?*

*आपका उत्तर ब्रिटिश होगा ।*

*कैसा रहेगा अगर मैं कहूं कि ब्रिटिश सिर्फ विक्रेता थे, यह वास्तव में एक भारतीय का स्वप्न था ।*

*भारतीय गौरव को छिपाने के लिए हमारे देश की पूर्व सरकारों के समय इतिहास से बड़ी एवं गम्भीर छेड़छाड़ की गई ।*

*रेलवे अंग्रेजों के कारण नहीं बल्कि नाना के कारण भारत आयी । भारत में रेलवे आरम्भ करने का श्रेय हर कोई अंग्रेजों को देता है लेकिन श्रीनाना जगन्नाथ शंकर सेठ मुर्कुटे के योगदान और मेहनत के बारे में कदाचित कम ही लोग जानते हैं ।*

*१५ सितंबर १८३० को दुनिया की पहली इंटरसिटी ट्रेन इंग्लैंड में लिवरपूल और मैनचेस्टर के बीच चली । यह समाचार हर जगह फैल गया । बम्बई ( आज की मुंबई ) में एक व्यक्ति को यह बेहद अनुचित लगा । उन्होंने सोचा कि उनके गांव में भी रेलवे चलनी चाहिए ।*

*अमेरिका में अभी रेल चल रही थी और भारत जैसे गरीब और ब्रिटिश शासित देश में रहने वाला यह व्यक्ति रेलवे का स्वप्न देख रहा था। कोई और होता तो जनता उसे ठोकर मारकर बाहर कर देती ।*

*लेकिन यह व्यक्ति कोई साधारण व्यक्ति नहीं था । यह थे बंबई के साहूकार श्रीनाना शंकरशेठ, जिन्होंने स्वयं ईस्ट इंडिया कंपनी को ऋण दिया था .. है न आश्चर्यजनक ।*

*श्रीनाना शंकरशेठ का मूल ( वास्तविक ) नाम था जगन्नाथ शंकर मुर्कुटे, जो बंबई से लगभग १०० कि. मी. मुरबाड़ से थे । पीढ़ीगत रूप से समृद्ध थे । उनके पिता अंग्रेजों के बड़े नामी साहूकार थे । उन्होंने ब्रिटिश – टीपू सुल्तान युद्ध के समय बहुत धन अर्जित किया था । उनका एक मात्र पुत्र नाना थे । यह बालक मूँह में स्वर्ण चम्मच लेकर पैदा हुए था ।*

*लेकिन धन ही नहीं अपितु ज्ञान और आशीर्वाद का हाथ भी सिर पर था । पिता ने एक विशेष अध्यापक रख कर अपने पुत्र को अंग्रेजी आदि की शिक्षा देने की भी व्यवस्था की थी । अपने पिता की मृत्यु के उपरांत, उन्होंने गृह व्यवसाय का बृहत विस्तार किया ।*

*जब विश्व के अनेक देश अंग्रेजों के सामने नतमस्तक थे, तब ब्रिटिश अधिकारी नाना शंकरशेठ के आशीर्वाद के लिए अपने पैर रगड़ते थे । अनेक अंग्रेज अच्छे मित्र बन गए थे ।*

*बंबई विश्वविद्यालय, एल फिन्स्टन कॉलेज, ग्रांट मेडिकल कॉलेज, लॉ कॉलेज, जेजे स्कूल ऑफ आर्ट्स, बंबई में कन्याओं के लिए पहला विद्यालय व बंबई विश्वविद्यालय नाना द्वारा स्थापित किये गये थे ।*

*इसलिए श्रीनाना शंकरशेठ ने बंबई में रेलवे प्रारंभ करने का विचार बनाया । वर्ष था १८४३, तब वे अपने पिता के मित्र सर जमशेदजी जीजीभाय उर्फ जे जे के पास गए । श्रीनाना के पिता की मृत्यु के उपरांत वे श्रीनाना के लिए पिता तुल्य थे । उन्होंने सर जेजे को अपना विचार बताया, उन्होंने इंग्लैंड से आए सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश सर थॉमस एर्स्किन पेरी की भी राय ली कि क्या पारले, बंबई में रेलवे का आरंभ किया जा सकता है ?*

*वे भी इस विचार से चकित थे । इन तीनों ने मिलकर भारत में इंडियन रेलवे एसोसिएशन की स्थापना की ।*

*उस समय कंपनी सरकार का भारत में रेलवे बनाने का कोई विचार नहीं था । लेकिन जब श्री नाना शंकरशेठ, सर जेजे, सर पैरी जैसे लोगों ने कहा कि वे इस कार्य के लिए गंभीरता से इच्छुक हैं, तो उन्हें इस ओर ध्यान देना पड़ा । १३ जुलाई १८४४ को कंपनी ने सरकार को एक प्रस्ताव पेश किया ।*

*बंबई से कितनी दूर तक रेल की पटड़ी बिछाई जा सकती है, इस पर प्रारंभिक रिपोर्ट तैयार करने की आज्ञा दी गई । उसके पश्चात ‘ बॉम्बे कमेटी ‘ का गठन किया गया । नाना ने कुछ अन्य बड़े अंग्रेज व्यापारियों, अधिकारियों, बैंकरों को एकत्रित किया और ग्रेट इंडियन रेलवे की स्थापना कर दी । जिसे आज भारतीय रेल के नाम से जाना जाता है ।*

*अंत में दिन ढल गया । दिनांक १६ अप्रैल १८५३ को मध्यान्ह ३.३० बजे ट्रेन बंबई के बोरीबंदर स्टेशन से थाना ( ठाणे ) के लिए हुई। इस ट्रेन में १८ डिब्बे और ३ लोकोमोटिव इंजन थे । इस ट्रेन के यात्रियों में श्री नाना शंकरसेठ एवं जमशेदजी जीजीभाय टाटा भी थे, जिसे विशेष रूप से अपनी पहली यात्रा के लिए फूलों से सजाया गया था।*

*नमन है श्रीनाना शंकरसेठ जी को 💐👏*

*कृपया यह अनमोल जानकारी अपने अन्य मित्रों व परिजनों से अवश्य साझा करें 🙏🌹👍❤️🎉

*बड़े लोगों को विवाह ऐसे ही करने चाहिये….*

देश की सबसे ताकतवर मंत्री…निर्मला सीतारमण ने अपनी पुत्री परकला वांगमयी का विवाह बिना किसी होटल, रिसोर्ट, डेस्टिनेशन, थीम, पोलिटिकल अतिथि और वीआईपी ट्रीटमेंट के किया है…परकला के पति प्रतीक भी प्रधानमंत्री कार्यालय में उच्चाधिकारी हैं…विश्व की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था के केन्द्रीय वित्त मंत्री की कलम के एक हस्ताक्षर मात्र से अरबों रुपये इधर से उधर होते हैं…उनकी आंख के संकेत भर से आकाश के तारे टूट जाते हैं…ऐसे पदों पर बैठे लोग अपनी पुत्री का विवाह कितना भव्य कर सकते हैं यह मेरी तो कल्पना के भी परे है…विवाह मन का विषय है जिसे खजाने का विषय बना दिया गया है…निर्मला जी ने साहस दिखाया है…समाज में ऐसे उदाहरण जितने ज्यादा सामने आये बेहतर होगा…पूरे परिवार को अनेक शुभकामनाएं…