आज का पंचाग आपका राशि फल, धरती के सबसे पहले ज्योतिर्लिंग की महिमा, हमारे मंदिर हमारे गर्व हमारी परंपरा हमारी आर्थिकी, जितनी कवरेज अपराधियों को मिलती है उतनी कवरेज बलिदानियों को मिले तो समाज सुधर जायेगा

‌‌   *༺ ॐ ༻​​*

*|| जय श्री राधे ||*

*🌺 महर्षि पाराशर पंचांग 🌺*

*🙏अथ पंचांगम् 🙏*

*दिनांक :~*

*17/04/2023, सोमवार*

द्वादशी, कृष्ण पक्ष,

वैशाख

▬▬▬▬▬⁂⧱⁂▬▬▬▬▬

 

(समाप्ति काल)

 

तिथि——द्वादशी 15:45:53 तक

पक्ष————————-कृष्ण

नक्षत्र———पूoभाo 26:26:56

योग—————ब्रह्म 21:05:28

करण————तैतुल 15:45:53

करण————–गर 26:34:50

वार———————–सोमवार

माह————————वैशाख

चन्द्र राशि——–कुम्भ 20:50:48

चन्द्र राशि——————–मीन

सूर्य राशि———————-मेष

रितु————————–वसंत

आयन——————-उत्तरायण

संवत्सर——————शोभकृत

संवत्सर (उत्तर)—————–पिंगल

विक्रम संवत—————-2080

गुजराती संवत————–2079

शक संवत——————1945

 

वृन्दावन

सूर्योदय—————-05:54:27

सूर्यास्त—————-18:43:35

दिन काल————- 12:49:08

रात्री काल————- 11:09:51

चंद्रास्त————— 15:57:23

चंद्रोदय—————- 28:43:22

 

लग्न—- मेष 2°34′ , 2°34′

 

सूर्य नक्षत्र—————– अश्विनी

चन्द्र नक्षत्र—————- पूoभाo

नक्षत्र पाया—————– ताम्र

 

*🚩💮शुभा$शुभ मुहूर्त 💮🚩*

 

राहू काल 07:31 – 09:07 अशुभ

यम घंटा 10:43 – 12:19 अशुभ

गुली काल 13:55 – 15: 31अशुभ

अभिजित 11:53 – 12:45 शुभ

दूर मुहूर्त 12:45 – 13:36 अशुभ

दूर मुहूर्त 15:18 – 16:10 अशुभ

वर्ज्यम 10:03 – 11:32 अशुभ

🚩पंचक अहोरात्र अशुभ

 

*💮दिशा शूल ज्ञान————पूर्व*

परिहार-: आवश्यकतानुसार यदि यात्रा करनी हो तो घी अथवा काजू खाके यात्रा कर सकते है l

इस मंत्र का उच्चारण करें-:

*शीघ्र गौतम गच्छत्वं ग्रामेषु नगरेषु च l*

*भोजनं वसनं यानं मार्गं मे परिकल्पय: ll*

*🚩💮पद, चरण 💮🚩*

से—- पूर्वा भाद्रपदा 09:40:23

सो—- पूर्वा भाद्रपदा 15:15:19

दा—- पूर्वा भाद्रपदा 20:50:48

दी—- पूर्वा भाद्रपदा 26:26:56

*🚩💮ग्रह गोचर 💮🚩*

ग्रह =राशी , अंश ,नक्षत्र, पद

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सूर्य=मेष 02 : 59 अश्विनी , 1 चू

चन्द्र=कुंभ 15:56, शतभिषा , 3 सी

बुध =मेष 20°: 34′ भरणी’ 3 ले

शुक्र=वृषभ 12 °05, रोहिणी ‘ 1 ओ

मंगल=मिथुन 17°30 ‘ आर्द्रा ‘ 4 छ

गुरु=मीन 28°30 ‘ रेवती , 4 ची

शनि=कुम्भ 10°53 ‘ शतभिषा ‘ 2 सा

राहू=(व) मेष 10°32 अश्विनी , 4 ला

केतु=(व) तुला 10°32 स्वाति , 2 रे

💮चोघडिया, दिन

अमृत 05:54 – 07:31 शुभ

काल 07:31 – 09:07 अशुभ

शुभ 09:07 – 10:43 शुभ

रोग 10:43 – 12:19 अशुभ

उद्वेग 12:19 – 13:55 अशुभ

चर 13:55 – 15:31 शुभ

लाभ 15:31 – 17:07 शुभ

अमृत 17:07 – 18:44 शुभ

🚩चोघडिया, रात

चर 18:44 – 20:07 शुभ

रोग 20:07 – 21:31 अशुभ

काल 21:31 – 22:55 अशुभ

लाभ 22:55 – 24:19* शुभ

उद्वेग 24:19* – 25:42* अशुभ

शुभ 25:42* – 27:06* शुभ

अमृत 27:06* – 28:30* शुभ

चर 28:30* – 29:53* शुभ

 

💮होरा, दिन

चन्द्र 05:54 – 06:59

शनि 06:59 – 08:03

बृहस्पति 08:03 – 09:07

मंगल 09:07 – 10:11

सूर्य 10:11 – 11:15

शुक्र 11:15 – 12:19

बुध 12:19 – 13:23

चन्द्र 13:23 – 14:27

शनि 14:27 – 15:31

बृहस्पति 15:31 – 16:35

मंगल 16:35 – 17:40

सूर्य 17:40 – 18:44

🚩होरा, रात

शुक्र 18:44 – 19:39

बुध 19:39 – 20:35

चन्द्र 20:35 – 21:31

शनि 21:31 – 22:27

बृहस्पति 22:27 – 23:23

मंगल 23:23 – 24:19

सूर्य 24:19* – 25:14

शुक्र 25:14* – 26:10

बुध 26:10* – 27:06

चन्द्र 27:06* – 28:02

शनि 28:02* – 28:58

बृहस्पति 28:58* – 29:53

*🚩💮उदयलग्न प्रवेशकाल💮🚩*

मेष > 05:00 से 07:44 तक

वृषभ > 07:44 से 08:36 तक

मिथुन > 08:36 से 10:56 तक

कर्क > 10:56 से 13:04 तक

सिंह > 13:04 से 15:20 तक

कन्या > 15:20 से 17:46 तक

तुला > 17:46 से 19:50 तक

वृश्चिक > 19:50 से 21:50 तक

धनु > 21:50 से 00:06 तक

मकर > 00:06 से 01:50 तक

कुम्भ > 01:50 से 03:46 तक

मीन > 03:46 से 05:00 तक

*🚩विभिन्न शहरों का रेखांतर (समय)संस्कार*

(लगभग-वास्तविक समय के समीप)

दिल्ली +10मिनट——— जोधपुर -6 मिनट

जयपुर +5 मिनट—— अहमदाबाद-8 मिनट

कोटा +5 मिनट———— मुंबई-7 मिनट

लखनऊ +25 मिनट——–बीकानेर-5 मिनट

कोलकाता +54—–जैसलमेर -15 मिनट

*नोट*– दिन और रात्रि के चौघड़िया का आरंभ क्रमशः सूर्योदय और सूर्यास्त से होता है।

प्रत्येक चौघड़िए की अवधि डेढ़ घंटा होती है।

चर में चक्र चलाइये , उद्वेगे थलगार ।

शुभ में स्त्री श्रृंगार करे,लाभ में करो व्यापार ॥

रोग में रोगी स्नान करे ,काल करो भण्डार ।

अमृत में काम सभी करो , सहाय करो कर्तार ॥

अर्थात- चर में वाहन,मशीन आदि कार्य करें ।

उद्वेग में भूमि सम्बंधित एवं स्थायी कार्य करें ।

शुभ में स्त्री श्रृंगार ,सगाई व चूड़ा पहनना आदि कार्य करें ।

लाभ में व्यापार करें ।

रोग में जब रोगी रोग मुक्त हो जाय तो स्नान करें ।

काल में धन संग्रह करने पर धन वृद्धि होती है ।

अमृत में सभी शुभ कार्य करें ।

*🚩 अग्नि वास ज्ञान -:*

*यात्रा विवाह व्रत गोचरेषु,*

*चोलोपनिताद्यखिलव्रतेषु ।*

*दुर्गाविधानेषु सुत प्रसूतौ,*

*नैवाग्नि चक्रं परिचिन्तनियं ।।* *महारुद्र व्रतेSमायां ग्रसतेन्द्वर्कास्त राहुणाम्*

*नित्यनैमित्यके कार्ये अग्निचक्रं न दर्शायेत् ।।*

15 + 12 + 2 + 1 = 30 ÷ 4 = 2 शेष

आकाश लोक पर अग्नि वास हवन के लिए अशुभ कारक है l

*🚩💮 ग्रह मुख आहुति ज्ञान 💮🚩*

सूर्य नक्षत्र से अगले 3 नक्षत्र गणना के आधार पर क्रमानुसार सूर्य , बुध , शुक्र , शनि , चन्द्र , मंगल , गुरु , राहु केतु आहुति जानें । शुभ ग्रह की आहुति हवनादि कृत्य शुभपद होता है

केतु ग्रह मुखहुति

*💮शिव वास एवं फल -:*

27 + 27 + 5 = 59 ÷ 7 = 3 शेष

वृषभारूढ़ = शुभ कारक

*🚩भद्रा वास एवं फल -:*

*स्वर्गे भद्रा धनं धान्यं ,पाताले च धनागम:।*

*मृत्युलोके यदा भद्रा सर्वकार्य विनाशिनी।।*

*💮🚩विशेष जानकारी 🚩💮*

* सोम प्रदोष व्रत (शिव पूजन)

*श्री सैन जयंती

*🚩💮 शुभ विचार 💮🚩*

विप्राऽस्मिन्नगरे महान् कथयकस्तालद्रुमाणां गणः

को दाता रजको ददाति वसनं प्रातर्गृ हीत्वा निशि ।

को दक्षः परवित्तदारहरणे सर्वोऽपि दक्षो जनः

कस्माज्जीवसि हे सखे विष कृमिन्यायेन जीवाम्यहम् ।।

।। चा o नी o।।

एक अजनबी ने एक ब्राह्मण से पूछा. “बताइए, इस शहर में महान क्या है?”. ब्राह्मण ने जवाब दिया की खजूर के पेड़ का समूह महान है.

अजनबी ने सवाल किया की यहाँ दानी कौन है? जवाब मिला के वह धोबी जो सुबह कपडे ले जाता है और शाम को लौटाता है.

प्रश्न हुआ यहाँ सबसे उत्तम कौन है. उत्तर मिला यहाँ हर कोई दुसरे का द्रव्य और दारा हरण करने में योग्य है.

प्रश्न हुआ की आप ऐसी जगह रह कैसे लेते हो? जवाब मिला की जैसे एक कीड़ा एक दुर्गन्ध युक्त जगह पर रहता है.

*🚩💮सुभाषितानि 💮🚩*

गीता -: ज्ञानविज्ञान योग अo-08

बहूनां जन्मनामन्ते ज्ञानवान्मां प्रपद्यते ।,

वासुदेवः सर्वमिति स महात्मा सुदुर्लभः ॥,

बहुत जन्मों के अंत के जन्म में तत्व ज्ञान को प्राप्त पुरुष, सब कुछ वासुदेव ही हैं- इस प्रकार मुझको भजता है, वह महात्मा अत्यन्त दुर्लभ है॥,19॥,

*💮🚩दैनिक राशिफल 🚩💮*

देशे ग्रामे गृहे युद्धे सेवायां व्यवहारके।

नामराशेः प्रधानत्वं जन्मराशिं न चिन्तयेत्।।

विवाहे सर्वमाङ्गल्ये यात्रायां ग्रहगोचरे।

जन्मराशेः प्रधानत्वं नामराशिं न चिन्तयेत ।।

🐏मेष

पुराना रोग उभर सकता है। अप्रत्याशित खर्च सामने आएंगे। कर्ज लेना पड़ सकता है। किसी व्यक्ति से कहासुनी हो सकती है। स्वाभिमान को ठेस लग सकती है। जोखिम व जमानत के कार्य टालें। कोई भी महत्वपूर्ण निर्णय सोच-समझकर करें। व्यवसाय ठीक चलेगा। आय बनी रहेगी।

🐂वृष

कीमती वस्तुएं संभालकर रखें। शारीरिक कष्ट संभव है। बकाया वसूली के प्रयास सफल रहेंगे। व्यावसायिक यात्रा लाभदायक रहेगी। भाग्य का साथ मिलेगा। नौकरी में चैन रहेगा। निवेश शुभ रहेगा। घर-बाहर प्रसन्नता रहेगी। पार्टनरों का सहयोग मिलेगा। प्रमाद न करें।

👫मिथुन

सुख के साधन प्राप्त होंगे। नई योजना बनेगी। तत्काल लाभ नहीं मिलेगा। कार्यप्रणाली में सुधार होगा। सामाजिक काम करने की इच्छा रहेगी। मान-सम्मान मिलेगा। व्यापार-व्यवसाय लाभदायक रहेगा। नौकरी में मातहतों का सहयोग मिलेगा। घर-बाहर प्रसन्नता रहेगी।

🦀कर्क

धार्मिक अनुष्ठान पूजा-पाठ इत्यादि का कार्यक्रम आयोजित हो सकता है। कोर्ट-कचहरी के कार्य मनोनुकूल रहेंगे। मानसिक शांति रहेगी। लाभ के अवसर हाथ आएंगे। समय अनुकूल है। व्यावसायिक यात्रा सफल रहेगी। कारोबार में वृद्धि के योग हैं। शारीरिक कष्ट संभव है।

🐅सिंह

कुसगंति से बचें। वाहन व मशीनरी के प्रयोग में सावधानी रखें। पुराना रोग उभर सकता है। किसी दूसरे व्यक्ति की बातों में न आएं। कोई भी महत्वपूर्ण निर्णय सोच-समझकर करें। व्यापार अच्‍छा चलेगा। नौकरी में मातहतों से कहासुनी हो सकती है। लेन-देन में सावधानी रखें।

🙍‍♀️कन्या

शरीर में कमर व घुटने आदि के दर्द से परेशानी हो सकती है। लेन-देन में सावधानी रखें। चिंता तथा तनाव रहेंगे। शत्रुभय रहेगा। कोर्ट व कचहरी के कार्य अनुकूल रहेंगे। धन प्राप्ति सुगम होगी। घर-बाहर प्रसन्नता रहेगी। भाइयों का सहयोग मिलेगा। परिवार में मांगलिक कार्य हो सकता है।

⚖️तुला

शत्रु पस्त होंगे। सुख के साधनों की प्राप्ति पर व्यय होगा। धनलाभ के अवसर हाथ आएंगे। भूमि व भवन संबंधी बाधा दूर होगी। बड़ा लाभ हो सकता है। रोजगार प्राप्ति के प्रयास सफल रहेंगे। परीक्षा व साक्षात्कार आदि में सफलता मिलेगी। भाग्य का साथ रहेगा। शेयर मार्केट से लाभ होगा।

🦂वृश्चिक

किसी मांगलिक कार्य में भाग लेने का अवसर प्राप्त होगा। विद्यार्थी वर्ग सफलता प्राप्त करेगा। किसी वरिष्ठ प्रबुद्ध व्यक्ति का मार्गदर्शन व सहयोग प्राप्त होगा। व्यापार से लाभ होगा। नौकरी में प्रभाव बढ़ेगा। प्रेम-प्रसंग में अनुकूलता रहेगी। कष्ट व भय सताएंगे। भाग्य का साथ मिलेगा।

🏹धनु

राजभय रहेगा। वाणी पर नियंत्रण रखें। शारीरिक कष्ट संभव है। यात्रा में जल्दबाजी न करें। कीमती वस्तुएं संभालकर रखें। दु:खद समाचार प्राप्त हो सकता है। भागदौड़ अधिक रहेगी। थकान व कमजोरी महसूस होगी। आय में निश्चितता रहेगी। व्यापार ठीक चलेगा। निवेश सोच-समझकर करें।

🐊मकर

प्रयास सफल रहेंगे। सामाजिक कार्यों में रुचि रहेगी। मान-सम्मान मिलेगा। नौकरी में प्रशंसा होगी। कार्यसिद्धि होगी। प्रसन्नता रहेगी। चोट व रोग से बचें। लेन-देन में जल्दबाजी न करें। किसी व्यक्ति के बहकावे में न आएं। व्यापार ठीक चलेगा। निवेश शुभ रहेगा। पारिवारिक सहयोग मिलेगा।

🍯कुंभ

चिंता तथा तनाव बने रहेंगे। यश बढ़ेगा। दूर से शुभ समाचारों की प्राप्ति होगी। घर में मेहमानों का आगमन होगा। कोई मांगलिक कार्य हो सकता है। आत्मविश्वास बढ़ेगा। जोखिम उठाने का साहस कर पाएंगे। व्यापार-व्यवसाय ठीक चलेगा। निवेश शुभ रहेगा। प्रसन्नता बनी रहेगी।

🐟मीन

कुबुद्धि हावी रहेगी। चोट व रोग से बचें। व्यावसायिक यात्रा सफल रहेगी। रोजगार प्राप्ति के प्रयास सफल रहेंगे। निवेश शुभ रहेगा। व्यापार मनोनुकूल लाभ देगा। किसी बड़ी समस्या से मुक्ति मिल सकती है। किसी न्यायपूर्ण बात का भी विरोध हो सकता है। विवाद न करें।

🙏आपका दिन मंगलमय हो🙏

🌺🌺🌺🌺🙏🌺🌺🌺🌺

*आचार्य नीरज पाराशर (वृन्दावन)*

(व्याकरण,ज्योतिष,एवं पुराणाचार्य)

*धरती के सबसे पहले ज्योतिर्लिंग की महिमा*

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देश में शिव के जो बारह ज्योतिर्लिंग है उनके बारे में मान्यता है कि अगर सुबह उठकर सिर्फ एक बार भी बारहों ज्योतिर्लिंगों का नाम ले लिया जाए तो सारा काम हो जाता है। सोमनाथ का ज्योतिर्लिंग इस धरती का पहला ज्योतिर्लिंग है। इस ज्योतिर्लिंग की महिमा बड़ी विचित्र है। शिव पुराण की कथा के हिसाब से प्राचीन काल में राजा दक्ष ने अश्विनी समेत अपनी सत्ताईस कन्याओं की शादी चंद्रमा से की थी।

सत्ताईस कन्याओं का पति बन के चंद्रमा बेहद खुश हुए। कन्याएं भी चंद्रमा को वर के रूप में पाकर अति प्रसन्न थीं। लेकिन ये प्रसन्नता ज्यादा दिनों तक कायम नहीं रह सकी। क्योंकि कुछ दिनों के बाद चंद्रमा उनमें से एक रोहिणी पर ज्यादा मोहित हो गए।

ये बात जब राजा दक्ष को पता चली तो वो चंद्रमा को समझाने गए। चंद्रमा ने उनकी बातें सुनीं, लेकिन कुछ दिनों के बाद फिर रोहिणी पर उनकी आसक्ति और तेज हो गई।

जब राजा दक्ष को ये बात फिर पता चली तो वो गुस्से में चंद्रमा के पास गए। उनसे कहा कि मैं तुमको पहले भी समझा चुका हूं। लेकिन लगता है तुम पर मेरी बात का असर नहीं होने वाला। इसलिए मैं तुम्हें शाप देता हूं कि तुम क्षय रोग के मरीज हो जाओ।

राजा दक्ष के इस श्राप के तुरंत बाद चंद्रमा क्षय रोग से ग्रस्त होकर धूमिल हो गए। उनकी रौशनी जाती रही। ये देखकर ऋषि मुनि बहुत परेशान हुए। इसके बाद सारे ऋषि मुनि और देवता इंद्र के साथ भगवान ब्रह्मा की शरण में गए।

फिर ब्रह्मा जी ने उन्हें एक उपाय बताया। उपाय के हिसाब से चंद्रमा को सोमनाथ के इसी जगह पर आना था। भगवान शिव का तप करना था और उसके बाद ब्रह्मा जी के हिसाब से भगवान शिव के प्रकट होने के बाद वो दक्ष के शाप से मुक्त हो सकते थे।

इस जगह पर चंद्रमा आए। भगवान वृषभध्वज का महामृत्युंजय मंत्र से पूजन किया। फिर छह महीने तक शिव की कठोर तपस्या करते रहे। चंद्रमा की कठोर तपस्या को देखकर भगवान शिव खुश हुए। उनके सामने आए और वर मांगने को कहा।

चंद्रमा ने वर मांगा कि हे भगवन अगर आप खुश हैं तो मुझे इस क्षय रोग से मुक्ति दीजिए और मेरे सारे अपराधों को क्षमा कर दीजिए।

भगवान शिव ने कहा कि तुम्हें जिसने शाप दिया है वो भी कोई साधारण व्यक्ति नहीं है। लेकिन मैं तुम्हारे लिए कुछ करूंगा जरूर। इसके बाद भगवान शिव ने चंद्रमा के साथ जो किया उसे देखकर चंद्रमा न ज्यादा खुश हो सके और न ही उदास रह सके। लेकिन शिव ने ऐसा किया क्या।

चंद्रमा की तपस्या से भगवान शिव प्रसन्न थे। उन्हें वर देना चाहते थे लेकिन संकट देखिए। जिन्होंने चंद्रमा को श्राप दिया है वो भी कोई साधारण हस्ती नहीं थे। असमंजस था ऐसा असमंजस जिसमें भगवान शिव भी पड़ गए थे।

खैर, शिव एक रास्ता निकालते हैं। चंद्रमा से कहते हैं कि मैं तुम्हारे लिए ये कर सकता हूं एक माह में जो दो पक्ष होते हैं, उसमें से एक पक्ष में तुम निखरते जाओगे। लेकिन दूसरे पक्ष में तुम क्षीण भी होओगे। ये पौराणिक राज है चंद्रमा के शुक्ल और कृष्ण पक्ष का जिसमें एक पक्ष में वो बढ़ते हैं और दूसरे में वो घटते जाते हैं। भगवान शिव के इस वर से भी चंद्रमा काफी खुश हो गए। उन्होंने भगवान शिव का आभार प्रकट किया उनकी स्तुति की।

यहां पर एक बड़ा अच्छा रहस्य है। अगर आप साकार और निराकर शिव का रहस्य जानते हैं तो आप इसे समझ जाएंगे, क्योंकि चंद्रमा की स्तुति के बाद इसी जगह पर भगवान शिव निराकार से साकार हो गए थे। और साकार होते ही देवताओं ने उन्हें यहां सोमेश्वर भगवान के रूप में मान लिया। यहां से भगवान शिव तीनों लोकों में सोमनाथ के नाम से विख्यात हुए।

जब शिव सोमनाथ के रूप में यहां स्थापित हो गए तो देवताओं ने उनकी तो पूजा की ही, चंद्रमा को भी नमस्कार किया। क्योंकि चंद्रमा की वजह से ही शिव का ये स्वरूप इस जगह पर मौजूद है।

समय गुजरा। इस जगह की पवित्रता बढ़ती गई। शिव पुराण में कथा है कि जब शिव सोमनाथ के रूप में यहां निवास करने लगे तो देवताओं ने यहां एक कुंड की स्थापना की। उस कुंड का नाम रखा गया सोमनाथ कुंड। कहते हैं कि कुंड में भगवान शिव और ब्रह्मा का साक्षात निवास है। इसलिए जो भी उस कुंड में स्नान करता है, उसके सारे पाप धुल जाते हैं। उसे हर तरह के रोगों से निजात मिल जाता है।

शिव पुराण में लिखा है कि असाध्य से असाध्य रोग भी कुंड में स्नान करने के बाद खत्म हो जाता है। लेकिन एक विधि है जिसको मानना पड़ता है। अगर कोई व्यक्ति क्षय रोग से ग्रसित है तो उसे उस कुंड में लगातार छह माह तक स्नान करना होगा। ये महिमा है सोमनाथ की।

शिव पुराण में ये भी लिखा है कि अगर किसी वजह से आप सोमनाथ के दर्शन नहीं कर पाते हैं तो सोमनाथ की उत्पति की कथा सुनकर भी आप वही पौराणिक लाभ उठा सकते हैं। इस तीर्थ पर और भी तमाम मुरादें हैं जिन्हें पूरा किया जा सकता है। क्योंकि ये तीर्थ बारह ज्योतिर्लिंगों में से सबसे महत्वपूर्ण है।

धरती का सबसे पहला ज्योतिर्लिंग सौराष्ट्र में काठियावाड़ नाम की जगह पर स्थित है। इस मंदिर में जो सोमनाथ देव हैं उनकी पूजा पंचामृत से की जाती है। कहा जाता है कि जब चंद्रमा को शिव ने शाप मुक्त किया तो उन्होंने जिस विधि से साकार शिव की पूजा की थी, उसी विधि से आज भी सोमनाथ की पूजा होती है।

यदि आप शिवरात्रि की रात यहां महामृत्युंजय मंत्र का महज एक सौ आठ बार भी जाप कर देते हैं तो वो सारी चीजें आपको प्राप्त हो सकती जिसके लिए आप व्यथित हैं।

ये है इस धरती के सबसे पहले ज्योतिर्लिंग की महिमा। शिव पुराण में ये कथा महर्षि सूरत जी ने दूसरे ऋषियों को सुनाई है। जो जातक इस कथा को ध्यान से सुनते हैं या फिर सुनाते हैं उनपर चंद्रमा और शिव दोनों की कृपा होती है। चंद्रमा शीतलता के वाहक हैं। उनके खुश होने से इंसान मानसिक तनाव से दूर होता है। और शिव इस जगत के सार हैं। उनके खुश होने से जीवन के सारे मकसद पूरे हो जाते हैं।

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#Our_Temple_our_pride 🙏🚩

शायद आधे से ज़्यादा भारतीयों को अपनी इस महान विरासत का पता ही नही होगा …
यह अमरकंटक( मध्यप्रदेश) का श्रीयंत्र_मंदिर है । एक अद्भुत एवं यूनिक मंदिर … ऐसा ही एक मंदिर थाईलैंड में भी है ।

हजारो वर्ष पहले इन मंदिरो को प्रचार नही मिल पाया। जो मंदिर बचे रह गए, उनका कभी प्रचार तक नही करने दिया …आइए इन महान विरासतों का जमकर प्रचार करें।

इस्लामिक स्टडी से IAS बना जा सकता है

तो स्टडी ऑफ रामायण,गीता को भी UPSC परीक्षा में

सम्मिलित किया जाएगा कि नहीं …🙏🙏🙏

खराब इंजीनियरिंग के कारण पीसा का मीनार एक तरफ झुक गया इसके बाद भी इसे वर्ल्ड हेरिटेज साइट घोषित कर दिया गया। जबकि कई बार इस मीनार को बंद भी किया जा चुका है। इसका कारण साफ था कि यह कभी भी गिर सकता है।

इसके विपरीत मणिकर्णिका घाट काशी का यह मंदिर जिसे #रत्नेश्वर_महादेव के नाम से जानते हैं, यह भी हजारों वर्ष पुराना है, और यह भी झुका हुआ है।
परंतु इस पर न तो किसी का ध्यान जाता है और ना ही यहां कुछ खास भीड़ लगती है।
क्योंकि हमें अपने धरोहरों की जानकारी ही नहीं है, और जब तक हमें अपने धरोहरों की जानकारी नहीं होगी तब तक हम अपने संस्कृति को ऐसे ही खोते रहेंगे, और दूसरों की संस्कृति को अपनी संस्कृति से ऊंचा मानते रहेंगे।

अब हमें ही अपने धरोहरों की जानकारी सम्पूर्ण विश्व तक पहुंचानी होगी। इसे आगे बढ़ाना आपका काम है।

अतीक अहमद जैसे दुर्दांत अपराधी और उसके परिवार के आगे पीछे कैमरा लेकर रिपोर्टिंग करने वाले मीडिया महारथी…
देश के लिए श्रेष्ठ बलिदान देने वाले जवानों और उनके निराश्रित परिवारों की रिपोर्टिंग करने जाने लगें तो समाज में सुधार आने लगेगा