*गंगा जल*
अमेरिका में एक लीटर गंगाजल 250 डालर में क्यों मिलता है ? सर्दी के मौसम में कई बार खांसी हो जाती है। जब डॉक्टर से खांसी ठीक नही हुई तो किसी ने बताया कि डाक्टर से खांसी ठीक नहीं होती तब गंगाजल पिलाना चाहिए।
गंगाजल तो मरते हुए व्यक्ति के मुंह में डाला जाता है, हमने तो ऐसा सुना है ; तो डॉक्टर साहिब बोले- नहीं ! कई रोगों का इलाज भी है। दिन में तीन बार दो-दो चम्मच गंगाजल पिया और तीन दिन में खांसी ठीक हो गई। यह अनुभव है, हम इसे गंगाजल का चमत्कार नहीं मानते, उसके औषधीय गुणों का प्रमाण मानते हैं।
कई इतिहासकार बताते हैं कि सम्राट अकबर स्वयं तो गंगा जल का सेवन करता ही था, मेहमानों को भी गंगा जल पिलाता था। इतिहासकार लिखते हैं कि अंग्रेज जब कलकत्ता से वापस इंग्लैंड जाते थे, तो पीने के लिए जहाज में गंगा का पानी ले जाते थे, क्योंकि वह सड़ता नहीं था। इसके विपरीत अंग्रेज जो पानी अपने देश से लाते थे वह रास्ते में ही सड़ जाता था।
करीब सवा सौ साल पहले आगरा में तैनात ब्रिटिश डाक्टर एमई हॉकिन ने वैज्ञानिक परीक्षण से सिद्ध किया था कि हैजे का बैक्टीरिया गंगा के पानी में डालने पर कुछ ही देर में मर गया। दिलचस्प ये है कि इस समय वैज्ञानिक भी पाते हैं कि गंगा में बैक्टीरिया को मारने की गजब की क्षमता है। लखनऊ के नेशनल बोटैनिकल रिसर्च इंस्टीट्यूट एनबीआरआई के निदेशक डॉक्टर चंद्र शेखर नौटियाल ने एक अनुसंधान में प्रमाणित किया है कि गंगा के पानी में बीमारी पैदा करने वाले ई-कोलाई बैक्टीरिया को मारने की क्षमता बरकरार है। डॉ नौटियाल का इस विषय में कहना है कि गंगा जल में यह शक्ति गंगोत्री और हिमालय से आती है।
गंगा जब हिमालय से आती है तो कई तरह की मिट्टी, कई तरह के खनिज, कई तरह की जड़ी बूटियों से मिलती मिलाती है। कुल मिलाकर कुछ ऐसा मिश्रण बनता है- जिसे हम अभी तक नहीं समझ पाए हैं। डॉक्टर नौटियाल ने परीक्षण के लिए तीन तरह का गंगा जल लिया था। उन्होंने तीनों तरह के गंगा जल में ई-कोलाई बैक्टीरिया डाला। नौटियाल ने पाया कि ताजे गंगा पानी में बैक्टीरिया तीन दिन जीवित रहा, आठ दिन पुराने पानी में एक हफ्ते और सोलह साल पुराने पानी में 15 दिन। यानी तीनों तरह के गंगा जल में ई-कोलाई बैक्टीरिया जीवित नहीं रह पाया।
वैज्ञानिक कहते हैं कि गंगा के पानी में बैक्टीरिया को खाने वाले बैक्टीरियोफाज वायरस होते हैं। ये वायरस बैक्टीरिया की तादाद बढ़ते ही सक्रिय होते हैं और बैक्टीरिया को मारने के बाद फिर छिप जाते हैं। मगर सबसे महत्वपूर्ण सवाल इस बात की पहचान करना है कि गंगा के पानी में रोगाणुओं को मारने की यह अद्भुत क्षमता कहाँ से आती है?
दूसरी ओर एक लंबे अरसे से गंगा पर शोध करने वाले आईआईटी रुड़की में पर्यावरण विज्ञान के रिटायर्ड प्रोफेसर देवेंद्र स्वरुप भार्गव का कहना है कि गंगा को साफ रखने वाला यह तत्व गंगा की तलहटी में ही सब जगह मौजूद है। डाक्टर भार्गव कहते हैं कि गंगा के पानी में वातावरण से आक्सीजन सोखने की अद्भुत क्षमता है। भार्गव का कहना है कि दूसरी नदियों के मुकाबले गंगा में सड़ने वाली गंदगी को हजम करने की क्षमता 15 से 20 गुना ज्यादा है।
गंगा *माता* इसलिए है कि गंगाजल अमृत है, जब तक अंग्रेज किसी बात को प्रमाणित नहीं करते तब तक भारतीय लोग सत्य नहीं मानते। भारतीय लोग हमारे सनातन ग्रन्थों में लिखी किसी भी बात को तब तक सत्य नहीं मानेंगे जब तक कि कोई विदेशी वैज्ञानिक या विदेशी संस्था उस बात की सत्यता की पुष्टि नहीं कर दे। इसलिए इस आलेख के वैज्ञानिकों के
वक्तव्य BBC बीबीसी हिन्दी सेवा से साभार लिये गये हैं…
*हर हर गंगे…🙏🏻🙏🏻
*शबरी को आश्रम सौंपकर महर्षि मतंग जब देवलोक जाने लगे, तब शबरी भी साथ जाने की जिद करने लगी।*
शबरी की उम्र *दस वर्ष* थी। वो *महर्षि मतंग का हाथ पकड़ रोने लगी।*
महर्षि शबरी को रोते देख व्याकुल हो उठे। शबरी को समझाया *”पुत्री इस आश्रम में भगवान आएंगे, तुम यहीं प्रतीक्षा करो।”*
अबोध शबरी इतना अवश्य जानती थी कि गुरु का वाक्य सत्य होकर रहेगा, उसने फिर पूछा- *कब आएंगे मेरे राम?*
*महर्षि मतंग त्रिकालदर्शी थे। वे भूत भविष्य सब जानते थे, वे ब्रह्मर्षि* थे।
*महर्षि शबरी के आगे घुटनों के बल बैठ गए और शबरी को नमन किया।*
*आसपास उपस्थित सभी ऋषिगण असमंजस में डूब गए।* ये उलट कैसे हुआ। *गुरु यहां शिष्य को नमन करे, ये कैसे हुआ???*
महर्षि के तेज के आगे कोई बोल न सका।
महर्षि मतंग बोले:
*पुत्री अभी उनका जन्म नहीं हुआ।*
*अभी दशरथ जी का लग्न भी नहीं हुआ।*
*उनका कौशल्या से विवाह होगा।* फिर भगवान की लम्बी प्रतीक्षा होगी।
*फिर दशरथ जी का विवाह सुमित्रा से होगा।* फिर प्रतीक्षा..
*फिर उनका विवाह कैकई से होगा।*
फिर प्रतीक्षा..
फिर वो *जन्म* लेंगे, फिर उनका *विवाह माता जानकी से होगा।* फिर उन्हें 14 वर्ष वनवास होगा और फिर वनवास के आखिरी वर्ष माता जानकी का हरण होगा। *तब उनकी खोज में वे यहां आएंगे।*
तुम उन्हें कहना *आप सुग्रीव से मित्रता कीजिये। उसे आततायी बाली के संताप से मुक्त कीजिये, आपका अभीष्ट सिद्ध होगा। और आप रावण पर अवश्य विजय प्राप्त करेंगे।*
शबरी एक क्षण *किंकर्तव्यविमूढ़* हो गई। *अबोध शबरी* इतनी लंबी प्रतीक्षा के समय को माप भी नहीं पाई।
*वह फिर अधीर होकर* पूछने लगी- *”इतनी लम्बी प्रतीक्षा कैसे पूरी होगी गुरुदेव?”*
महर्षि मतंग बोले- *”वे ईश्वर हैं, अवश्य ही आएंगे।* यह भावी निश्चित है। *लेकिन यदि उनकी इच्छा हुई तो काल दर्शन के इस विज्ञान को परे रखकर वे कभी भी आ सकते हैं। लेकिन आएंगे *”अवश्य”!*
जन्म मरण से परे उन्हें जब जरूरत हुई तो प्रह्लाद के लिए खम्बे से भी निकल आये थे। *इसलिए प्रतीक्षा करना।* वे कभी भी आ सकते है।
*”तीनों काल तुम्हारे गुरु के रूप में मुझे याद रखेंगे। शायद यही मेरे तप का फल है।”*
शबरी गुरु के आदेश को मान वहीं आश्रम में रुक गई। *उसे हर दिन प्रभु श्रीराम की प्रतीक्षा रहती थी।* वह जानती थी समय का चक्र उनकी उंगली पर नाचता है, वे कभी भी आ सकतें है।
*हर रोज रास्ते में फूल बिछाती है और हर क्षण प्रतीक्षा करती।*
*कभी भी आ सकतें हैं।*
हर तरफ फूल बिछाकर हर क्षण प्रतीक्षा। *शबरी बूढ़ी हो गई।* लेकिन प्रतीक्षा *उसी अबोध चित्त से करती रही।*
और एक दिन उसके बिछाए फूलों पर प्रभु श्रीराम के चरण पड़े। *शबरी का कंठ अवरुद्ध हो गया। आंखों से अश्रुओं की धारा फूट पड़ी।*
*गुरु का कथन सत्य हुआ।* भगवान उसके घर आ गए। *शबरी की प्रतीक्षा का फल ये रहा कि जिन राम को कभी तीनों माताओं ने जूठा नहीं खिलाया, उन्हीं राम ने शबरी का जूठा खाया।*
*ऐसे पतित पावन मर्यादा, पुरुषोत्तम, दीन हितकारी श्री राम जी की जय हो। जय हो। जय हो। एकटक देर तक उस सुपुरुष को निहारते रहने के बाद वृद्धा भीलनी के मुंह से स्वर/बोल फूटे:*
*”कहो राम ! शबरी की कुटिया को ढूंढ़ने में अधिक कष्ट तो नहीं हुआ?”*
राम मुस्कुराए- *”यहां तो आना ही था मां, कष्ट का क्या मोल/मूल्य?”*
*”जानते हो राम! तुम्हारी प्रतीक्षा तब से कर रही हूँ, जब तुम जन्मे भी नहीं थे, यह भी नहीं जानती थी कि तुम कौन हो ? कैसे दिखते हो ? क्यों आओगे मेरे पास ? बस इतना ज्ञात था कि कोई पुरुषोत्तम आएगा, जो मेरी प्रतीक्षा का अंत करेगा।*
राम ने कहा- *”तभी तो मेरे जन्म के पूर्व ही तय हो चुका था कि राम को शबरी के आश्रम में जाना है।”*
*”एक बात बताऊँ प्रभु !*
भक्ति में दो प्रकार की शरणागति होती है। पहली *‘वानरी भाव’* और दूसरी *‘मार्जारी भाव’।*
*”बन्दर का बच्चा अपनी पूरी शक्ति लगाकर अपनी माँ का पेट पकड़े रहता है, ताकि गिरे न… उसे सबसे अधिक भरोसा माँ पर ही होता है और वह उसे पूरी शक्ति से पकड़े रहता है।* यही *भक्ति का भी एक भाव है, जिसमें भक्त अपने ईश्वर को पूरी शक्ति से पकड़े रहता है। दिन रात उसकी आराधना करता है!” (वानरी भाव)*
पर मैंने यह भाव नहीं अपनाया। *”मैं तो उस बिल्ली के बच्चे की भाँति थी, जो अपनी माँ को पकड़ता ही नहीं, बल्कि निश्चिन्त बैठा रहता है कि माँ है न, वह स्वयं ही मेरी रक्षा करेगी, और माँ सचमुच उसे अपने मुँह में टांग कर घूमती है। मैं भी निश्चिन्त थी कि तुम आओगे ही, तुम्हें क्या पकड़ना।” (मार्जारी भाव)*
*राम मुस्कुराकर रह गए!*
भीलनी ने पुनः कहा- *”सोच रही हूँ बुराई में भी तनिक अच्छाई छिपी होती है न… “कहाँ सुदूर उत्तर के तुम, कहाँ घोर दक्षिण में मैं!”
तुम प्रतिष्ठित रघुकुल के भविष्य, मैं वन की भीलनी। *यदि रावण का अंत नहीं करना होता तो तुम कहाँ से आते?*
राम गम्भीर हुए और कहा:
*भ्रम में न पड़ो मां! “राम क्या रावण का वध करने आया है?”* अहंकारी *रावण का वध तो लक्ष्मण अपने पैर से बाण चलाकर भी कर सकता है।*
*राम हजारों कोस चलकर इस गहन वन में आया है, तो केवल तुमसे मिलने आया है मां,* ताकि *“सहस्त्रों वर्षों के बाद भी, जब कोई भारत के अस्तित्व पर प्रश्न खड़ा करे तो इतिहास चिल्ला कर उत्तर दे, कि इस राष्ट्र को क्षत्रिय राम और उसकी भीलनी माँ ने मिलकर गढ़ा था।”*
*”जब कोई भारत की परम्पराओं पर उँगली उठाये तो काल उसका गला पकड़कर कहे कि नहीं! यह एकमात्र ऐसी सभ्यता है जहाँ, एक राजपुत्र वन में प्रतीक्षा करती एक वनवासिनी से भेंट करने के लिए चौदह वर्ष का वनवास स्वीकार करता है।”*
राम वन में बस इसलिए आया है, ताकि *“जब युगों का इतिहास लिखा जाए, तो उसमें अंकित हो* कि *”शासन/प्रशासन और सत्ता”* जब *पैदल चलकर वन में रहने वाले समाज के अंतिम व्यक्ति तक पहुँचे, तभी वह रामराज्य होता है।”*
*राम वन में इसलिए आया है, ताकि भविष्य स्मरण रखे कि प्रतीक्षाएँ अवश्य पूरी होती हैं। राम रावण को मारने भर के लिए नहीं आया है माँ!*
माता शबरी एकटक राम को निहारती रहीं।
राम ने फिर कहा:
राम की वन यात्रा रावण युद्ध के लिए नहीं है माता! *“राम की यात्रा प्रारंभ हुई है, भविष्य के आदर्श की स्थापना के लिए।”*
*”राम राजमहल से निकला है,* ताकि *“विश्व को संदेश दे सके कि एक माँ की अवांछनीय इच्छओं को भी पूरा करना* ही *’राम’* होना है।”
*”राम निकला है,* ताकि *“भारत विश्व को सीख दे सके कि किसी सीता के अपमान का दण्ड असभ्य रावण के पूरे साम्राज्य के विध्वंस से पूरा होता है।”*
*”राम आया है,* ताकि *“भारत विश्व को बता सके कि अन्याय और आतंक का अंत करना ही धर्म है।”*
*”राम आया है,* ताकि *“भारत विश्व को सदैव के लिए सीख दे सके कि विदेश में बैठे शत्रु की समाप्ति के लिए आवश्यक है कि पहले देश में बैठी उसकी समर्थक शूर्पणखाओं की नाक काटी जाए और खर-दूषणों का घमंड तोड़ा जाए।”*
और
*”राम आया है,* ताकि *“युगों को बता सके कि रावणों से युद्ध केवल राम की शक्ति से नहीं बल्कि वन में बैठी शबरी के आशीर्वाद से जीते जाते है।”*
शबरी की आँखों में जल भर आया था।
उसने बात बदलकर कहा- *”बेर खाओगे राम..?”*
राम मुस्कुराए, *”बिना खाये जाऊंगा भी नहीं मां!”*
शबरी अपनी कुटिया से झपोली में बेर लेकर आई और राम के समक्ष रख दिये।
राम और लक्ष्मण खाने लगे तो कहा- *”बेर मीठे हैं न प्रभु?”*
*”यहाँ आकर मीठे और खट्टे का भेद भूल गया हूँ मां! बस इतना समझ रहा हूँ कि यही अमृत है।”*
सबरी मुस्कुराईं, बोली- *”सचमुच तुम मर्यादा पुरुषोत्तम हो, राम!”**जय जय श्रीराम!*
𝕝𝕝 🕉 𝕝𝕝
श्री हरिहरो
विजयतेतराम
*🌹।।सुप्रभातम्।।🌹*
🗓 आज का पञ्चाङ्ग 🗓
*◕◕◕◕◕◕◕◕⊰⧱⊱◕◕◕◕◕◕◕◕*
*सोमवार, १८ जुलाई २०२२*
सूर्योदय: 🌄 ०५:३०
सूर्यास्त: 🌅 ०७:११
चन्द्रोदय: 🌝 २२:५४
चन्द्रास्त: 🌜१०:१४
अयन🌖दक्षिणायने(उत्तरगोलीय)
ऋतु: ⛈️ वर्षा
शक सम्वत:👉१९४४ (शुभकृत)
विक्रम सम्वत:👉२०७९ (नल)
मास 👉 श्रावण
पक्ष 👉 कृष्ण
तिथि👉पञ्चमी(०८:५४ से षष्ठी)
नक्षत्र 👉 पूर्वाभाद्रपद
(१२:२४ से उत्तराभाद्रपद)
योग 👉 शोभन (१५:२६ से
अतिगण्ड)
प्रथम करण👉तैतिल(०८:५४ तक)
द्वितीय करण👉गर(२०:१५ तक)
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॥ गोचर ग्रहा: ॥
🌖🌗🌖🌗
सूर्य 🌟 कर्क
चंद्र 🌟 मीन (०६:३४ से)
मंगल🌟मेष(उदित,पश्चिम,मार्गी)
बुध🌟कर्क (अस्त, पूर्व, मार्गी)
गुरु🌟मीन (उदित, पूर्व, मार्गी)
शुक्र🌟वृष (उदित, पूर्व, वक्री)
शनि🌟मकर
(उदित, पूर्व, वक्री)
राहु 🌟 मेष
केतु 🌟 तुला
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शुभाशुभ मुहूर्त विचार
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अभिजित मुहूर्त 👉 ११:५५ से १२:५१
रवियोग 👉 १२:२४ से २९:२८
विजय मुहूर्त 👉 १४:४२ से १५:३७
गोधूलि मुहूर्त 👉 १९:०५ से १९:२९
सायाह्न सन्ध्या 👉 १९:१९ से २०:२०
निशिता मुहूर्त 👉 २४:०३ से २४:४४
राहुकाल 👉 ०७:११ से ०८:५५
राहुवास 👉 उत्तर-पश्चिम
यमगण्ड 👉 १०:३९ से १२:२३
होमाहुति 👉 गुरु
दिशाशूल 👉 पूर्व
नक्षत्रशूल 👉 दक्षिण (१२:२४ तक)
अग्निवास 👉 पृथ्वी
चन्द्रवास 👉 पश्चिम (उत्तर ०६:३४ से)
शिववास 👉 नन्दी पर (०८:५४ से भोजन में)
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☄चौघड़िया विचार☄
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॥ दिन का चौघड़िया ॥
१ – अमृत २ – काल
३ – शुभ ४ – रोग
५ – उद्वेग ६ – चर
७ – लाभ ८ – अमृत
॥रात्रि का चौघड़िया॥
१ – चर २ – रोग
३ – काल ४ – लाभ
५ – उद्वेग ६ – शुभ
७ – अमृत ८ – चर
नोट– दिन और रात्रि के चौघड़िया का आरंभ क्रमशः सूर्योदय और सूर्यास्त से होता है। प्रत्येक चौघड़िए की अवधि डेढ़ घंटा होती है।
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शुभ यात्रा दिशा
🚌🚈🚗⛵🛫
उत्तर-पश्चिम (दर्पण देखकर अथवा खीर का सेवन कर यात्रा करें)
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तिथि विशेष
🗓📆🗓📆
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श्रावण मास प्रथम सोमवार, नागपंचमी (राजस्थान), (विवाह मुहूर्त हिमाचल, हरियाणा, पंजाब एवं जम्मू कश्मीर प्रांतो के लिए) वृष-मिथुन ल. रात्रि ०१:३० से प्रातः ०५:३९ तक, नींवखुदाई एवं गृहारम्भ+गृहप्रवेश मुहूर्त प्रातः ०९:०९ से १०:५१ तक आदि।
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आज जन्मे शिशुओं का नामकरण
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आज १२:२४ तक जन्मे शिशुओ का नाम
पूर्वाभाद्रपद नक्षत्र के तृतीय एवं चतुर्थ चरण अनुसार क्रमश (द, दी) नामाक्षर से तथा इसके बाद जन्मे शिशु का नाम उत्तरा भाद्रपद नक्षत्र के प्रथम, द्वितीय एवं तृतीय चरण अनुसार क्रमशः (दू, थ, झ) नामाक्षर से रखना शास्त्रसम्मत है।
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उदय-लग्न मुहूर्त
कर्क – २९:२५ से ०७:४६
सिंह – ०७:४६ से १०:०५
कन्या – १०:०५ से १२:२३
तुला – १२:२३ से १४:४४
वृश्चिक – १४:४४ से १७:०३
धनु – १७:०३ से १९:०७
मकर – १९:०७ से २०:४८
कुम्भ – २०:४८ से २२:१४
मीन – २२:१४ से २३:३७
मेष – २३:३७ से २५:११
वृषभ – २५:११ से २७:०६
मिथुन – २७:०६ से २९:२१
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पञ्चक रहित मुहूर्त
चोर पञ्चक – ०५:२७ से ०७:४६
शुभ मुहूर्त – ०७:४६ से ०८:५४
रोग पञ्चक – ०८:५४ से १०:०५
शुभ मुहूर्त – १०:०५ से १२:२३
मृत्यु पञ्चक – १२:२३ से १२:२४
अग्नि पञ्चक – १२:२४ से १४:४४
शुभ मुहूर्त – १४:४४ से १७:०३
रज पञ्चक – १७:०३ से १९:०७
शुभ मुहूर्त – १९:०७ से २०:४८
चोर पञ्चक – २०:४८ से २२:१४
शुभ मुहूर्त – २२:१४ से २३:३७
शुभ मुहूर्त – २३:३७ से २५:११
चोर पञ्चक – २५:११ से २७:०६
शुभ मुहूर्त – २७:०६ से २९:२१
रोग पञ्चक – २९:२१ से २९:२८
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आज का राशिफल
🐐🐂💏💮🐅👩
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मेष🐐 (चू, चे, चो, ला, ली, लू, ले, लो, अ)
आज के दिन आप अकस्मात घटनाओं से सतर्क रहें। घरेलू दिनचर्या वैसे तो सामान्य ही रहेगी परन्तु आज जिस भी कार्य मे हाथ डालेंगे उसमे आशा के विपरीत अकस्मात क्षति के योग बनेंगे। घर मे भी महिलाओं के हाथ कुछ ना कुछ नुकसान अवश्य होगा। व्यवसाय में निवेश आज भूल कर भी ना करें पुराने उधार के व्यवहार यथा शीघ्र निपटाने के प्रयास करें अन्यथा ये अतिरिक्त सरदर्दी बढ़ाएंगे। सरकार की तरफ से कोई नोटिस अथवा अशुभ समाचार मिलने की संभावना है। संतान की गतिविधियों के ऊपर नजर रखें। धन की कमी रहेगी।
वृष🐂 (ई, ऊ, ए, ओ, वा, वी, वू, वे, वो)
आपको आज का दिन धन एवं सम्मान दोनों की प्राप्ति कराएगा। जिस भी कार्य को करेंगे उसमे प्रराम्भ में थोड़ी भाग-दौड़ करनी पड़ेगी लेकिन अंतिम परिणाम प्रसन्नता दायक रहेगा। सरकारी कार्यो में सफलता निश्चित रहेगी परन्तु इनमे आज देरी ना करे अन्यथा लंबित रह जाएंगे। आध्यत्म के प्रति निष्ठा रहेगी पर व्यस्तता के कारण अधिक समय नही दे पाएंगे। कार्य समय से थोड़ा विलंब से पूर्ण होंगे फिर भी धन की प्राप्ति में ज्यादा विलंब नही होगा। घर मे सुख के साधनों की वृद्धि होगी। महिलाये गृहस्थ संबंधित समस्याएं स्वयं सुलझाने की क्षमता रखेंगी।
मिथुन👫 (का, की, कू, घ, ङ, छ, के, को, हा)
आज आप दिन के आरंभ में जितना परिश्रम करेंगे मध्यान के बाद उसका फल धन लाभ एवं सम्मान के रूप में मिलेगा। परन्तु कार्य व्यवसाय में आज अधिकांश कार्य बीच मे भी छोड़ सकते है। चल- अचल संपत्ति से लाभ होगा। प्रतिस्पर्धी आज आपके आगे ज्यादा देर नही टिक पाएंगे। हृदय में आज कोमलता अधिक रहेगी परोपकार के लिए प्रेरित होंगे। बीच-बीच मे अहम की भावना आने से लोगो से व्यवहारिक दूरी बढ़ेगी। महिलाओ का जिद्दी स्वभाव कुछ समय के लिये घर पर अशांति कर सकता है। फिर भी पिछले कुछ दिनों की तुलना में आज शान्ति अनुभव करेंगे।
कर्क🦀 (ही, हू, हे, हो, डा, डी, डू, डे, डो)
आज आपको प्रत्येक कार्यो में सफलता मिलेगी लेकिन इसके लिए बौद्धिक परिश्रम अधिक करना पड़ेगा। आध्यत्म अथवा साधना क्षेत्र से जुड़े जातको को साधना में सिद्धि की दिव्य अनुभूति होगी। बेरोजगार व्यक्ति आज थोड़े से प्रयास के बाद अवश्य किसी रोजगार से जुड़ सकते है। नौकरी पेशा लोगो का आज काम के समय भी मन इधर उधर ज्यादा भटकेगा। मन में चल रही कामना अतिशीघ्र पूर्ण होने के योग है। ध्यान रहे आज किसी भी कार्य में आलस्य किया तो दोबारा अवसर नही मिल सकेगा। गृहस्थ में प्रेम बढेगा।
सिंह🦁 (मा, मी, मू, मे, मो, टा, टी, टू, टे)
आपके लिए आज का दिन प्रतिकूल फल देने वाला रहेगा। जिस भी कार्य को करने का मन बनाएंगे उसमे पहले आलस्य बाद में किसी के गलत मार्गदर्शन के कारण विघ्न बाधाएं आएंगी। आज आप अपने जीवनी की समीक्षा भी करेंगे जिससे मन हीनभावना से ग्रस्त रहेगा। व्यावसायिक अथवा अन्य पारिवारिक-धार्मिक कारणों से यात्रा के योग बनेंगे अगर संभव हो तो यात्रा आज ना ही करें वाहन से चोटादि का भय है। सेहत अचानक खराब हो सकती है। चक्कर-वमन अथवा अन्य पेट मस्तिष्क संबंधित समस्या खड़ी होगी। धन की आमद परिश्रम साध्य रहेगी।
कन्या👩 (टो, पा, पी, पू, ष, ण, ठ, पे, पो)
आज का दिन आर्थिक दृष्टिकोण से उन्नति वाला रहेगा। धन संबंधित समस्याएं काफी हद तक सुलझने पर दिन भर प्रसन्नता रहेगी। कार्य व्यवसाय से प्रारंभिक परिश्रम के बाद दोपहर के समय से धन की आमद शुरू हो जाएगी जो संध्या तक रुक रुक कर चलती रहेगी। मितव्ययी रहने के कारण खर्च भी हिसाब से करेंगे धन कोष में वृद्धि होगी। महिलाये किसी मनोकामना पूर्ति से उत्साहित होंगी। आज महिला वर्ग से कोई भी काम निकालना आसान रहेगा मना नही कर सकेंगी। दाम्पत्य सुख में भी वृद्धि होगी। पर्यटन की योजना बनेगी।
तुला⚖️ (रा, री, रू, रे, रो, ता, ती, तू, ते)
आज के दिन आप सम्भल कर ही कार्य करेंगे फिर भी सफलता में संशय बना रहेगा। व्यवहारिकता की कमी के कारण जितना लाभ मिलना चाहिए उतना नही मिल सकेगा। घर अथवा बाहर बेवजह कलह के प्रसंग बनेगे। व्यापार व्यवसाय में सहकर्मियो की।मनमानी के कारण असुविधा एवं अव्यवस्था बनेंगी लेकिन फिर भी स्वयं के पराक्रम से खर्च लायक धनार्जन कर ही लेंगे। आस-पड़ोसी एवं भाई बंधुओ से बात का बतंगड़ ना बने इसके लिए मौन रखने की जरूरत है फिर भी महिलाये स्वभावानुसार बनती बात बिगाड़ लेंगी। विपरीत लिंग के प्रति कामासक्त रहेंगे।
वृश्चिक🦂 (तो, ना, नी, नू, ने, नो, या, यी, यू)
आज के दिन आप बुद्धि विवेक से कार्य करेंगे परन्तु परिस्थिति हर तरह से कार्यो में बाधा डालेगी। कार्य व्यवसाय से मन ऊबने लगेगा धैर्य से कार्य करते रहें संध्या तक संतोषजक लाभ अवश्य मिलेगा पारिवारिक एवं सामाजिक क्षेत्र पर आपके विचारो की प्रशंसा होगी लेकिन केवल व्यवहार मात्र के लिए ही। आर्थिक विषयो को लेकर किसी से विवाद ना करें धन डूबने की आशंका है। गृहस्थ में प्रेम स्नेह तो मिलेगा परन्तु स्वार्थ सिद्धि की भावना भी अधिक रहेगी। महिलाये अधिक बोलने की समस्या से ग्रस्त रहेंगी।
धनु🏹 (ये, यो, भा, भी, भू, ध, फा, ढा, भे)
आज के दिन कार्यो के प्रति मन मे उच्चाटन रहेगा। नौकरी पेशा एवं व्यवासायिक लोगो को अपने क्षेत्र में विविध कष्टो का सामना करना पड़ेगा। कोई भी कार्य बिना किसी के सहयोग के बनाना असंभव ही लगेगा। आर्थिक कारणों से भविष्य को लेकर चिंता रहेगी। परन्तु आज आपका ध्यान आध्यत्म की ओर अधिक आकर्षित रहेगा। मन मे सत्संग प्रवचन सुनने की लालसा रहेगी धर्म के गूढ़ रहस्यों को जानने में रुचि लेंगे। महिलाये धार्मिक अथवा सामाजिक कार्यो में सक्रियता दिखाएंगी। घर का वातावरण मामूली विषयो को छोड़ मंगलमय रहेगा।
मकर🐊 (भो, जा, जी, खी, खू, खा, खो, गा, गी)
आपका आज का दिन आर्थिक लाभ कराएगा फिर भी ध्यान रखें व्यवहार का रूखापन लाभ को हानि में बदलने के साथ ही सामाजिक प्रेम संबंधों में खटास भी ला सकता है। घर परिवार एवं समाज में आपकी अनदेखी होने के कारण मन खिन्न रहेगा परन्तु धैर्य बनाना अति आवश्यक है अन्यथा स्वयं के साथ परिवार की गरिमा को भी ठेस पहुंच सकती है। महिलाओं को भी आज गुस्से पर काबू रखने की अधिक आवश्यकता है। बात-बात पर नाराज होने से घर का वातावरण अस्त-व्यस्त हो सकता है। धन आने के साथ जाने के रास्ते बना लेगा।
कुंभ🍯 (गू, गे, गो, सा, सी, सू, से, सो, दा)
आज के दिन आप किसी भी कार्य को लेकर ज्यादा भाग-दौड़ करने के पक्ष में नही रहेंगे। आसानी से जितना मिल जाये उसी में संतोष कर लेंगे। परन्तु महिलाये इसके विपरीत रहेंगी अल्प साधनो से कार्य करने पर भाग्य को दोष देंगी। व्यवसाय की गति पल पल में बदलेगी जिससे सुकून से बैठने का समय नही मिलेगा। किसी पुरानी घटना को याद करके दुखी रहेंगे। पारिवारिक खर्चो में अकस्मात वृद्धि होने से बजट गड़बड़ा सकता है। महिलाओं के मन मे आज उथल पुथल अधिक रहने के कारण बड़ी जिम्मेदारी का कार्य सौपना उचित नही रहेगा।
मीन🐳 (दी, दू, थ, झ, ञ, दे, दो, चा, ची)
आज के दिन आपको लगभग सभी कार्यो के अनुकूल परिणाम मिलेंगे। अधिकांश कार्य थोड़े से प्रयास से पूर्ण हो जाएंगे। आर्थिक दृष्टिकोण से दिन ज्यादा लाभप्रद नही फिर भी संतोषजनक स्थिति बनेगी। व्यापार विस्तार की योजना सफल रहेगी। नौकरी पेशा जातक अधिकारी वर्ग से आसानी से काम निकाल सकेंगे। सामाजिक क्षेत्र हो या पारिवारिक अथवा अन्य सभी जगह आपकी जय होगी। अपरिचित भी आपसे संपर्क बनाने को उत्सुक रहेंगे। महिलाओं का स्वभाव अधिक नखरे वाला रहेगा इस वजह से हास्य की पात्र भी बनेंगी।
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