ऐसे कनैक्शन भारत के लिए खतरा ?

 

डाॅ.  हरीश मैखुरी

एक पत्रकार होने के नाते राष्ट्र हित और जन पक्षीय लेखन हमारी प्राथमिकता रहती है। लेकिन देश में कुछ अराजकतावादी लोग जो खुद को राष्ट्र और भारतीय संविधान से उपर मानते हैं उन्हें राष्ट्रवादी होना नागवार गुजरता है। उन्हें भारतीयता से भी परहेज है। वे दुनियां के मजदूरों एक हो या दुनियां का मुसलमान एक है नारा देते हैं। और हर क्षण राष्ट्र विरोधी गतिविधियों और राष्ट्र विरोधी लेखन में लगे रहते हैं। साथ ही वे अपनी विचारधारा के अलावा दूसरों को सहन नहीं करते हैं। और दूसरी जमात के लोगों को यातो अपने जैसा बनने को विवश कर देते हैं, यहाँ तक कि अपने मिशन के लिए तारगेटेड हत्याएं भी करते रहते हैं। अपने उदेश्य के लिए उन लोगों के स्वर में भी स्वर मिलाते हैं जो भारत, भारतीयता और भारती संस्कृति के खिलाफ काम करते हैं। इन दिनों वे म्यांमार के रोह्यांग देश द्रोहियों  के पक्ष में खड़े दिखेंगे, अक्सर वे अपने मिशन में प्रभाव शाली लोगों  का भी उपयोग करते हैं। वे जेएनयू बीएचयू एएमयू आई आई टी से लेकर हर कालेज  और हर गांव में सक्रिय रहते हैं, अपने  क्लस्टर बना रहे हैं। दिखने में लाल हरे काले रंग के हो सकते हैं,  परन्तु अन्दर से उनकी कैमैस्ट्री एक है । उनके संगठन कभी एक दूसरे के खिलाफ नहीं बोलते, वे देश को कश्मीर, बंगाल, केरल बनाने में लगे हैं। जहां भारत और भारत का संविधान समाप्त हो जाता है। वे लाख लाख लोगों की रैली निकालते,  अपने लाल हरे काले  फतवे जारी करते हैं और प्रशासन निसहाय देखता रह जाता है। वे कभी अपनी निजी करतूतों के कारण मरते हैं तो उनका मीडिया तंत्र देश को झकझोर देता है,  अखलाक और गौरी लंकेस इसके हालिया उदाहरण हैं। वे रोज हत्याऐं करते हैं खबर नहीं बनती। वे देश को खत्म कर रहे हैं,  खबर नहीं लगती। वे अन्तरराष्ट्रीय हैं और देश के कानून को ठेंगे पर रखते हैं। वे देश की विविधता समाप्त कर अपने रंग में रंग देते हैं। वे देश को अन्दर और बाहर से खोखला कर रहे हैं। वे भारत में  होते हुए भी भारत के  नहीं हैं। देश  के लोगों को ऐसी जमातों को पहचानना होगा। दलगत राजनीति से ऊपर उठ कर देश हित में सोचना होगा। आज भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा और भारतीय संविधान की रक्षा पर सबसे बड़ा खतरा है। सबसे बड़ा सवाल भी आज यही है कि जब देश बचेगा तब न पक्ष विपक्ष की राजनीति बचेगी।