उत्तराखंड में भी केशर की खेती की पर्याप्त संभावना

गढवाल में केशर की खेती हो सकती है !

दो साल पहले मै गढवाली गजलकार श्री जगमोहन बिष्ट जी से मिला तो पता चला कि वे आपने गाँव में केशर की खेती करते हैं और केशर बेचते भी हैं . मैंने उनसे केशर बीज लिया और आपने गाँव जसपुर (३००० -३५०० फीट ) के श्री वीरेंद्र जखमोला को दे दिए . श्री वीरेंद्र दो साल से केशर उगा रहे हैं . उन्हें अभी Commercialization नहीं आता है किन्तु यह सिद्ध हो गया है कि गढवाल में केशर की खेती हो सकती है। मैंने जसपुर में उगे केशर फूलों को पाणी में डाला तो पानी का रंग लाल -पीला हो जाता है 
 केशर में लिली की तरह फूल निकलता है। फूल के अंदर से केशर को लिया जाता है। पहाड़ में जो केशर उगाई जा रही है, वह लाल पीले फूल वाली अन्य प्रजाति है इसके दो तीन फीट तक लंबे पौधे होते हैं। कश्मीर वाले केशर के बीज कंद रूप में होते हैं, जबकि पहाड़ में उगाई जाने वाली प्रजाति के सफेद दाने होते है।
वह कश्मीर के केशर जैसा है तो यह बहुत अच्छी बात है।
जानकारी हेतु श्री वीरेन्द्र जखमोला से सम्पर्क करने उन्होंने बताया कि दो-तीन साल पहले केसर लगाने का प्रयास किया था इस पर काफी परिश्रम लगता है और समय-समय पर इस को पानी देने की आवश्यकता होती है उन्होंने कहा कि खूब केसर लगी भी लेकिन उन्हें उससे आगे का पता नहीं था कि अब क्या करना है कैसे इसका व्यवसाय करना है और कैसे इसे रिजर्व करना है संभालना है केसर को। लेकिन कोई युवा प्रशिक्षण के बाद उत्तराखंड में केसर की खेती को करें तो उसे बहुत लाभ होगा उन्होंने कहा कि जो हमारे पास केसर पैदा हुई उससे घटिया बदन दर्द का उपचार तो होता ही है स्पूर्थी भी बढ़ती है।  इसी प्रकार रूद्रप्रयाग जनपद में भी रंजना रावत केसर की खेती के प्रयोग कर रही हैं।